ऑपरेशन सिंदूर: मेक-इन-इंडिया का दम, स्वदेशी हथियार और आतंक पर भारत की सर्जिकल स्ट्राइक!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “ऑपरेशन सिंदूर” में मेक-इन-इंडिया की असाधारण सफलता को उजागर किया। उन्होंने बताया कि कैसे भारत में निर्मित स्वदेशी हथियारों ने दुश्मन के ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जिससे आतंकवाद के आकाओं में हड़कंप मच गया। यह घटना न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं में वृद्धि का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी साबित हुई है। यह आलेख ऑपरेशन सिंदूर के पीछे की कहानी, मेक-इन-इंडिया की भूमिका, स्वदेशी हथियारों के महत्व, और इसके भू-राजनीतिक तथा सामरिक निहितार्थों का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत करता है, जो UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऑपरेशन सिंदूर: एक सामरिक सफलता की गाथा
युद्ध के मैदान में जब देश के अपने बनाए हुए हथियार दुश्मन को धूल चटाते हैं, तो यह केवल एक सैन्य जीत नहीं होती, बल्कि यह राष्ट्र की संप्रभुता, आत्मनिर्भरता और तकनीकी प्रगति का प्रमाण होता है। “ऑपरेशन सिंदूर” कुछ ऐसा ही अध्याय रचने वाला सैन्य अभियान रहा है। इस ऑपरेशन का नामकरण स्वयं में कई अर्थ रखता है, संभवतः किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र या रणनीति का प्रतीक। हालांकि, इस अभियान की सबसे बड़ी हाईलाइट रही स्वदेशी रूप से विकसित हथियारों और गोला-बारूद का प्रभावी प्रयोग।
“यह ऑपरेशन दर्शाता है कि कैसे ‘मेक-इन-इंडिया’ की शक्ति से हमने न केवल अपनी रक्षा प्रणालियों को मजबूत किया है, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भी एक निर्णायक बढ़त हासिल की है।” – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री के इन शब्दों ने ऑपरेशन की सफलता पर मुहर लगा दी और साथ ही देश के रक्षा विनिर्माण क्षेत्र को एक नई दिशा और पहचान दी। यह केवल हथियारों की मारक क्षमता का प्रदर्शन नहीं था, बल्कि भारत की उस इच्छाशक्ति का भी प्रदर्शन था जिसने दशकों की आयात निर्भरता को तोड़कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाया है।
मेक-इन-इंडिया: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का नया अध्याय
2014 में लॉन्च किया गया ‘मेक-इन-इंडिया’ अभियान, भारत को वैश्विक विनिर्माण और निवेश के केंद्र के रूप में स्थापित करने का एक महत्वाकांक्षी विजन है। रक्षा क्षेत्र इस अभियान का एक प्रमुख स्तंभ रहा है। इसका उद्देश्य केवल आयातित रक्षा उपकरणों पर निर्भरता कम करना नहीं है, बल्कि भारत को रक्षा उपकरणों के निर्माण और निर्यात के एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित करना भी है।
मेक-इन-इंडिया के प्रमुख स्तंभ (Key Pillars of Make-in-India):
- अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा: स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और नवाचार को प्रोत्साहित करना।
- विदेशी निवेश को आकर्षित करना: रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सुगम बनाना।
- रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी: सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) के साथ-साथ निजी कंपनियों को भी अवसर प्रदान करना।
- निर्यात को प्रोत्साहन: भारतीय रक्षा उत्पादों के लिए वैश्विक बाजारों की तलाश करना।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर अत्याधुनिक तकनीकों को भारत में विकसित करना।
“ऑपरेशन सिंदूर” में मेक-इन-इंडिया की सफलता इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि यह नीति सही दिशा में आगे बढ़ रही है। स्वदेशी रूप से निर्मित मिसाइलों, हवाई बमों, या अन्य सैन्य साजो-सामान ने न केवल दुश्मन के ठिकानों को सटीक रूप से निशाना बनाया, बल्कि यह भी साबित किया कि भारतीय रक्षा उद्योग अब अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप गुणवत्ता और मारक क्षमता वाले उत्पाद बनाने में सक्षम है।
स्वदेशी हथियारों का महत्व: क्यों हैं वे गेम-चेंजर?
किसी भी राष्ट्र की रक्षा तैयारियों का आकलन उसके शस्त्रागार की गुणवत्ता, मारक क्षमता और नवीनतम प्रौद्योगिकी से सुसज्जित होने पर निर्भर करता है। “ऑपरेशन सिंदूर” ने यह स्पष्ट कर दिया कि स्वदेशी हथियारों ने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव लाया है।
स्वदेशी हथियारों के लाभ:
- आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा: आयात पर निर्भरता कम होने से बाहरी दबावों या प्रतिबंधों का खतरा कम हो जाता है। देश अपनी सुरक्षा के लिए स्वयं के संसाधनों पर अधिक निर्भर हो सकता है।
- लागत-प्रभावीता (Cost-Effectiveness): दीर्घकालिक दृष्टि से, स्वदेशी उत्पादन आयातित हथियारों की तुलना में अक्सर अधिक लागत-प्रभावी होता है, खासकर जब रखरखाव और स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता की बात आती है।
- रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy): अपनी हथियार प्रणालियों को डिजाइन और निर्मित करने की क्षमता देश को अपनी रक्षा आवश्यकताओं के अनुसार सामरिक निर्णय लेने की स्वतंत्रता देती है।
- नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा: स्वदेशी विकास से देश के भीतर अनुसंधान और विकास (R&D) को बढ़ावा मिलता है, जिससे नई तकनीकों का जन्म होता है।
- रोजगार सृजन: रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि से कुशल और अकुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।
- निर्यात क्षमता: एक बार जब देश अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले हथियार बनाने में सक्षम हो जाता है, तो वह उन्हें अन्य देशों को निर्यात भी कर सकता है, जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है।
इस विशेष ऑपरेशन में, यह कहा गया है कि स्वदेशी हथियारों ने “आतंकी ठिकाने मिट्टी में मिलाए”। इसका अर्थ है कि इन हथियारों में न केवल सटीक निशाना लगाने की क्षमता थी, बल्कि उनकी मारक क्षमता इतनी अधिक थी कि वे कंक्रीट की संरचनाओं को भी भेदने और नष्ट करने में सक्षम थे। यह दर्शाता है कि भारत ने युद्धक प्रणालियों के विकास में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
आतंक के आकाओं की नींद उड़ाई: भू-राजनीतिक और सामरिक निहितार्थ
“आतंक के आकाओं की नींद उड़ाई” – यह वाक्यांश केवल एक काव्यात्मक अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि यह उस संदेश को दर्शाता है जो भारत ने इस ऑपरेशन के माध्यम से दिया है। यह उन देशों या संगठनों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं या उसका समर्थन करते हैं।
सामरिक निहितार्थ:
- प्रतिरोध की क्षमता: भारत की बढ़ी हुई सैन्य क्षमता, विशेष रूप से स्वदेशी हथियारों के साथ, सीमा पार आतंकवाद को रोकने और प्रतिक्रिया देने में अधिक प्रभावी होने का संकेत देती है।
- क्षेत्रीय शक्ति संतुलन: भारत की रक्षा क्षमता में वृद्धि से दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन प्रभावित हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता पर भी असर पड़ सकता है।
- “सबक सिखाने” की क्षमता: यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है कि भारत अब न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर दुश्मन के ठिकानों पर भी निर्णायक प्रहार कर सकता है।
- वैश्विक आतंकवाद विरोधी प्रयासों में योगदान: भारत की यह कार्रवाई वैश्विक आतंकवाद विरोधी लड़ाई में उसके दृढ़ संकल्प को दर्शाती है।
भू-राजनीतिक निहितार्थ:
- “मेक-इन-इंडिया” की वैश्विक प्रतिष्ठा: इस ऑपरेशन में स्वदेशी हथियारों की सफलता “मेक-इन-इंडिया” ब्रांड को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिष्ठित बनाएगी, जिससे निर्यात के अवसर बढ़ेंगे।
- सहयोग के नए अवसर: अन्य देश, जो अपनी रक्षा प्रणालियों को आधुनिक बनाना चाहते हैं, अब भारत को एक संभावित भागीदार के रूप में देख सकते हैं।
- नई दिल्ली की बढ़ती कूटनीतिक ताकत: एक मजबूत रक्षा आधार भारत की कूटनीतिक सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात अधिक प्रभावी ढंग से रख सकता है।
आतंक के आका, जो शायद भारत की प्रतिक्रिया क्षमता को कम आंक रहे थे, अब इस ऑपरेशन के बाद अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर होंगे। यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अब आतंकवाद को सहन नहीं करेगा और ऐसे कृत्यों का माकूल जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।
रक्षा उत्पादन में भारत की प्रगति: एक विस्तृत अवलोकन
भारत ने पिछले कुछ वर्षों में रक्षा उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति की है। सरकार ने “मेक-इन-इंडिया” पहल के तहत कई कदम उठाए हैं, जिनमें रक्षा खरीद नीति (DPP) में सुधार, FDI नियमों को उदार बनाना और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास पर अधिक जोर देना शामिल है।
कुछ प्रमुख स्वदेशी रक्षा परियोजनाएँ और उत्पाद:
- तेजस (Tejas) लड़ाकू विमान: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित एक हल्का लड़ाकू विमान, जो अब भारतीय वायु सेना और नौसेना में सेवा दे रहा है।
- अस्त्र (Astra) मिसाइल: भारत की पहली बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, जो रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है।
- ब्रह्मोस (BrahMos) क्रूज मिसाइल: भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित, यह दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक है।
- एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (ALH) ध्रुव: HAL द्वारा विकसित बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर।
- INS कलवरी (SCORPENE-class सबमरीन): भारतीय नौसेना के लिए फ्रांस के सहयोग से बनाई गई सबमरीन, जिनका निर्माण भारत में हो रहा है।
- आकाश (Akash) सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली: DRDO द्वारा विकसित एक मध्यम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल।
इन और ऐसे ही कई अन्य स्वदेशी उत्पादों ने भारतीय रक्षा बलों को अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बनाया है। “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियानों में इनका सफल प्रयोग इन परियोजनाओं की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता को रेखांकित करता है।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि “मेक-इन-इंडिया” रक्षा क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है, फिर भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं जिन पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
वर्तमान चुनौतियाँ:
- तकनीकी अंतराल (Technology Gaps): कुछ महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में अभी भी हम आयात पर निर्भर हैं।
- अनुसंधान और विकास में निवेश: R&D में और अधिक निवेश की आवश्यकता है ताकि हम वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सकें।
- निर्यात बाजार का विस्तार: भारतीय रक्षा उत्पादों के लिए नए निर्यात बाजारों की पहचान करना और उन तक पहुंच बनाना।
- घरेलू रक्षा उद्योग का एकीकरण: छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (MSMEs) को बड़े रक्षा निर्माताओं के साथ एकीकृत करना।
- प्रौद्योगिकी अवशोषण (Technology Absorption): विदेशी सहयोग से विकसित की गई तकनीकों को प्रभावी ढंग से आत्मसात करना और उनमें सुधार करना।
- ब्यूरोक्रेसी और नियामक बाधाएँ: रक्षा खरीद और उत्पादन से जुड़ी नौकरशाही प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना।
आगे की राह:
- डिजिटल रक्षा (Digital Defence): कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), साइबर सुरक्षा, और ड्रोन प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को रक्षा प्रणालियों में एकीकृत करना।
- स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा: रक्षा क्षेत्र में नवाचार के लिए स्टार्टअप्स को प्रोत्साहित करना और उनका समर्थन करना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और साझेदारी: उन देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाना जो रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में मदद कर सकें।
- रक्षा निर्यात नीति को सुदृढ़ करना: भारतीय रक्षा उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक स्पष्ट और सहायक नीति का निर्माण।
- कौशल विकास: रक्षा विनिर्माण के लिए आवश्यक कुशल कार्यबल तैयार करना।
“ऑपरेशन सिंदूर” ने मेक-इन-इंडिया की क्षमता को तो दिखाया ही है, साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि भारत अब अपनी सुरक्षा के लिए आत्मनिर्भर बनने की राह पर कितनी मजबूती से आगे बढ़ रहा है। यह न केवल सेना के लिए बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए गर्व का क्षण है।
निष्कर्ष (Conclusion)
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा “ऑपरेशन सिंदूर” में “मेक-इन-इंडिया” की सफलता का उल्लेख भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ का प्रतीक है। स्वदेशी हथियारों द्वारा दुश्मन के ठिकानों को प्रभावी ढंग से निशाना बनाना, न केवल हमारी सैन्य क्षमताओं में वृद्धि को दर्शाता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत अब रक्षा के क्षेत्र में एक आत्मनिर्भर और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर रहा है। यह “आत्मनिर्भर भारत” अभियान की सफलता का एक ज्वलंत उदाहरण है, जो “आतंक के आकाओं” को स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा और ऐसे कृत्यों का निर्णायक जवाब देने में सक्षम है। यह भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक नई सुबह है, जो आने वाले समय में न केवल देश की रक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी भारत को एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. “मेक-इन-इंडिया” पहल का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
A. भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देना।
B. भारत को वैश्विक विनिर्माण और निवेश के केंद्र के रूप में स्थापित करना।
C. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ाना।
D. डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को गति देना।
उत्तर: B
व्याख्या: “मेक-इन-इंडिया” का मुख्य लक्ष्य भारत को विनिर्माण और निवेश के लिए एक वैश्विक केंद्र बनाना है, जिसमें रक्षा क्षेत्र एक महत्वपूर्ण उप-लक्ष्य है।
2. “ऑपरेशन सिंदूर” में किस पहल की सफलता का उल्लेख प्रधानमंत्री मोदी ने किया?
A. डिजिटल इंडिया
B. स्किल इंडिया
C. मेक-इन-इंडिया
D. स्वच्छ भारत अभियान
उत्तर: C
व्याख्या: प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से “ऑपरेशन सिंदूर” में “मेक-इन-इंडिया” की ताकत का उल्लेख किया।
3. निम्न में से कौन सी स्वदेशी मिसाइल DRDO द्वारा विकसित की गई है?
A. ब्रह्मोस
B. अस्त्र
C. अग्नि
D. पृथ्वी
उत्तर: B
व्याख्या: अस्त्र, बियॉन्ड-विजुअल-रेंज (BVR) हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, DRDO द्वारा विकसित की गई है। ब्रह्मोस भारत-रूस का संयुक्त उत्पाद है, जबकि अग्नि और पृथ्वी DRDO की बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
4. “आत्मनिर्भर भारत” अभियान का एक प्रमुख उद्देश्य क्या है?
A. केवल कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना।
B. आयात पर निर्भरता कम करना और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना।
C. निर्यात को पूरी तरह से प्रतिबंधित करना।
D. केवल सेवा क्षेत्र को मजबूत करना।
उत्तर: B
व्याख्या: आत्मनिर्भर भारत का मूल मंत्र आयात पर निर्भरता कम करके देश के भीतर उत्पादन और क्षमताओं को बढ़ाना है।
5. रक्षा उत्पादन में “मेक-इन-इंडिया” पहल के तहत FDI के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. FDI की सीमा को रक्षा क्षेत्र में बढ़ाया गया है।
2. “मेक-इन-इंडिया” का उद्देश्य केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करना है, स्वदेशी क्षमता निर्माण नहीं।
उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. 1 और 2 दोनों
D. न तो 1 और न ही 2
उत्तर: A
व्याख्या: “मेक-इन-इंडिया” का एक उद्देश्य FDI को आकर्षित करना है, और सरकार ने समय-समय पर रक्षा क्षेत्र में FDI की सीमा को बढ़ाया है ताकि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिले। दूसरा कथन गलत है क्योंकि स्वदेशी क्षमता निर्माण भी एक प्रमुख लक्ष्य है।
6. “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियान भारत की रक्षा प्रणाली के किस पहलू को उजागर करते हैं?
A. केवल कूटनीतिक संबंध
B. केवल वित्तीय सहायता
C. स्वदेशी हथियार प्रणाली की मारक क्षमता और प्रभावशीलता
D. केवल मानवीय सहायता
उत्तर: C
व्याख्या: ऑपरेशन सिंदूर में स्वदेशी हथियारों के उपयोग और उनकी सफलता का जिक्र है, जो उनकी मारक क्षमता और प्रभावशीलता को दर्शाता है।
7. भारत के रक्षा उपकरणों के निर्यात को बढ़ावा देने में निम्नलिखित में से कौन सी पहल सहायक है?
A. रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO)
B. मेक-इन-इंडिया
C. रक्षा मंत्रालय
D. उपरोक्त सभी
उत्तर: D
व्याख्या: DRDO नई प्रौद्योगिकियों के विकास से स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देता है, मेक-इन-इंडिया निर्यात को प्रोत्साहित करता है, और रक्षा मंत्रालय नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन करता है, जो सभी निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक हैं।
8. “आतंक के आकाओं की नींद उड़ाई” वाक्यांश का सामरिक निहितार्थ क्या है?
A. भारत की कूटनीतिक विफलता
B. भारत की युद्ध लड़ने की क्षमता पर संदेह
C. आतंकवाद के समर्थकों को एक स्पष्ट चेतावनी
D. शांति वार्ता का प्रस्ताव
उत्तर: C
व्याख्या: यह वाक्यांश स्पष्ट रूप से आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले देशों या समूहों के लिए एक मजबूत संदेश है कि भारत अपनी सुरक्षा के लिए दृढ़ है।
9. “तेजस” (Tejas) क्या है?
A. एक बैलिस्टिक मिसाइल
B. एक विमानवाहक पोत
C. एक हल्का लड़ाकू विमान
D. एक पनडुब्बी
उत्तर: C
व्याख्या: तेजस हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित एक भारतीय हल्का लड़ाकू विमान है।
10. रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारत को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
1. तकनीकी अंतराल
2. R&D में अपर्याप्त निवेश
3. नौकरशाही बाधाएँ
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
A. केवल 1
B. 1 और 2
C. 2 और 3
D. 1, 2 और 3
उत्तर: D
व्याख्या: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए भारत को तकनीकी अंतराल को पाटना, R&D में निवेश बढ़ाना और नौकरशाही बाधाओं को दूर करना जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “ऑपरेशन सिंदूर” में “मेक-इन-इंडिया” की सफलता को भारत की रक्षा क्षमता में एक मील का पत्थर बताते हुए, रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के महत्व और इससे जुड़ी चुनौतियों का विस्तार से विश्लेषण करें। (250 शब्द, 15 अंक)
2. स्वदेशी हथियारों और रक्षा प्रणालियों के विकास ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को कैसे मजबूत किया है? “मेक-इन-इंडिया” पहल के संदर्भ में इसके सामरिक और भू-राजनीतिक निहितार्थों पर प्रकाश डालें। (250 शब्द, 15 अंक)
3. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की बढ़ती ताकत को “ऑपरेशन सिंदूर” जैसे अभियानों से कैसे देखा जा सकता है? मेक-इन-इंडिया और स्वदेशी रक्षा उत्पादन के माध्यम से भारत ने किस प्रकार “आतंक के आकाओं” को एक निर्णायक संदेश दिया है? (150 शब्द, 10 अंक)
4. भारत को रक्षा क्षेत्र में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए अनुसंधान और विकास (R&D) को और अधिक बढ़ावा देने, नवाचार को प्रोत्साहित करने और घरेलू रक्षा उद्योग के एकीकरण के लिए क्या कदम उठाने चाहिए? (150 शब्द, 10 अंक)
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