कारगिल विजय दिवस: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश – आतंकवाद के सौदागरों को बख्शा नहीं जाएगा!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, भारतीय सेना प्रमुख ने कारगिल विजय दिवस के अवसर पर एक शक्तिशाली बयान जारी किया है। उनके शब्दों में, “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश दिया गया है कि आतंकवाद के समर्थकों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। यह बयान न केवल कारगिल युद्ध के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है, बल्कि वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य में भारत के दृढ़ संकल्प और कूटनीतिक मुखरता को भी दर्शाता है। इस अवसर पर, हमने भारत-पाकिस्तान संबंधों, आतंकवाद विरोधी अभियानों, और कारगिल जैसे ऐतिहासिक युद्धों के महत्व का गहराई से विश्लेषण करना आवश्यक समझा है, जो UPSC उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
कारगिल विजय दिवस, 26 जुलाई, भारतीय सैन्य इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय है। 1999 में, भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को करगिल की बर्फीली चोटियों से खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय का सफल संचालन किया था। यह विजय न केवल सैन्य शक्ति का प्रतीक है, बल्कि भारतीय जवानों के अदम्य साहस, बलिदान और सामरिक कुशलता का भी प्रमाण है। इस वर्ष, आर्मी चीफ का बयान, “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख करते हुए, इस ऐतिहासिक विजय की भावना को वर्तमान सुरक्षा चुनौतियों के साथ जोड़ता है।
“ऑपरेशन सिंदूर” – एक कूटनीतिक और सामरिक प्रहार (What is “Operation Sindoor”?):**
“ऑपरेशन सिंदूर” का सीधा संबंध पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की एक सुविचारित और मुखर नीति से है। यह कोई सैन्य आक्रमण का कोड-नाम नहीं है, बल्कि यह एक कूटनीतिक और सामरिक ढाँचा है जिसका उद्देश्य पाकिस्तान को आतंकवाद को प्रायोजित करने और समर्थन देने के गंभीर परिणामों से अवगत कराना है। आर्मी चीफ ने स्पष्ट किया कि भारत अब उन लोगों को बर्दाश्त नहीं करेगा जो आतंकवाद का समर्थन करते हैं। यह बयान कई स्तरों पर महत्वपूर्ण है:
- दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन: यह भारत की उस अटल प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह अपने पड़ोसियों से उत्पन्न होने वाले किसी भी प्रकार के आतंकवाद या उग्रवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा।
- सामरिक संदेश: यह पाकिस्तान के लिए एक प्रत्यक्ष चेतावनी है कि सीमा पार से होने वाली आतंकवादी गतिविधियों को भारत अब केवल प्रतिक्रियात्मक तरीके से नहीं देखेगा, बल्कि इसे एक “अस्वीकार्य आक्रामकता” के रूप में माना जाएगा।
- कूटनीतिक मुखरता: “ऑपरेशन सिंदूर” भारत की उस बदलती विदेश नीति का प्रतीक है जहाँ वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को स्पष्ट रूप से और बिना किसी हिचकिचाहट के व्यक्त करने में सक्षम है।
- सक्रिय रक्षा: यह निष्क्रिय रक्षा से एक सक्रिय रक्षा रणनीति की ओर बढ़ने का संकेत देता है, जहाँ भारत न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करता है, बल्कि उन तत्वों को भी निशाना बनाता है जो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करते हैं, चाहे वे कहीं भी हों।
कारगिल विजय दिवस और राष्ट्रीय सुरक्षा के निहितार्थ (Kargil Vijay Diwas and National Security Implications):
कारगिल विजय दिवस को याद करना केवल अतीत का स्मरण नहीं है, बल्कि यह वर्तमान और भविष्य की राष्ट्रीय सुरक्षा नीतियों को आकार देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। कारगिल युद्ध ने कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए:
- खुफिया तंत्र की भूमिका: युद्ध की शुरुआत में घुसपैठ का पता लगाने में खुफिया विफलता ने हमारी खुफिया एजेंसियों की क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
- सैन्य तैयारी: दुर्गम इलाकों में उच्च ऊंचाई पर युद्ध की चुनौतियों ने विशेष उपकरणों, प्रशिक्षण और लॉजिस्टिक्स में सुधार की आवश्यकता को उजागर किया।
- कूटनीतिक सक्रियता: भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की हरकत को उजागर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे वैश्विक समुदाय का समर्थन प्राप्त हुआ।
- सैनिकों का बलिदान: कारगिल ने देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर जवानों की शहादत को याद करने का एक महत्वपूर्ण दिन प्रदान किया।
आर्मी चीफ का बयान इन सभी पाठों को वर्तमान में प्रासंगिक बनाता है। “ऑपरेशन सिंदूर” का संदेश इंगित करता है कि भारत ने कारगिल से सीखे गए सबक को आत्मसात किया है और अब वह अपनी सुरक्षा के लिए अधिक मुखर और निर्णायक दृष्टिकोण अपना रहा है।
“जिस प्रकार कारगिल की बर्फीली चोटियों पर भारतीय सैनिकों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए दुश्मन को खदेड़ा, उसी प्रकार आज भी हम आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अडिग हैं। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस अडिग संकल्प का ही प्रतीक है।” – आर्मी चीफ (अनुमानित आशय)
पाकिस्तान को “आतंकवाद के समर्थकों” का संदेश (Message to Pakistan regarding “Supporters of Terrorism”):
यह वाक्यांश अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसके बहुआयामी अर्थ हैं:
- राज्य-प्रायोजित आतंकवाद: यह स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के भीतर उन तत्वों को लक्षित करता है जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उसका समर्थन करते हैं या उसे पोषित करते हैं, चाहे वे सरकार में हों या अन्य गैर-राज्य अभिकर्ता।
- जवाबदेही: भारत अब आतंकवाद के लिए जिम्मेदार लोगों और उन लोगों को भी जवाबदेह ठहराने का इरादा रखता है जो उन्हें सुरक्षित आश्रय या समर्थन प्रदान करते हैं।
- कूटनीतिक दबाव: इस तरह के बयानों का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान पर और अधिक दबाव डालना भी है, उसे एक “आतंकवादी राज्य” के रूप में चित्रित करना।
- असममित युद्ध का मुकाबला: भारत, पाकिस्तान के साथ पारंपरिक युद्ध में सीधा टकराव नहीं चाहता, लेकिन वह पाकिस्तान द्वारा अपनाई जाने वाली असममित युद्ध (आतंकवाद) की रणनीति का मुकाबला करने के लिए दृढ़ संकल्पित है।
“ऑपरेशन सिंदूर” – भारत की विदेश और रक्षा नीति में एक नया आयाम (A New Dimension in India’s Foreign and Defence Policy):**
आर्मी चीफ का बयान भारत की विदेश और रक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। पूर्व में, भारत अक्सर पाकिस्तान की हरकतों पर प्रतिक्रियात्मक रुख अपनाता था। लेकिन अब, “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी पहलें एक सक्रिय, निवारक और कभी-कभी प्रतिशोधात्मक (retaliatory) नीति की ओर इशारा करती हैं।
क्यों? (Why the Change?):**
- लगातार सीमा पार आतंकवाद: उरी, पुलवामा जैसे हमलों के बाद, भारत ने महसूस किया कि केवल निंदा पर्याप्त नहीं है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर बढ़ता जोर: सरकार की प्राथमिकता राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।
- घरेलू राजनीतिक दबाव: जनता की अपेक्षाएं भी सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव बनाती हैं।
- अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सफलता: भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर अलग-थलग करने में कुछ सफलता हासिल की है।
क्या? (What does it mean?):**
- सैन्य विकल्प: यद्यपि प्रत्यक्ष युद्ध को टाला जा रहा है, लेकिन लक्षित सैन्य कार्रवाई (जैसे बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक) की संभावना हमेशा बनी रहेगी।
- आर्थिक और कूटनीतिक अलगाव: भारत पाकिस्तान को वैश्विक वित्तीय और कूटनीतिक संस्थानों में अलग-थलग करने के लिए काम करेगा।
- सूचना युद्ध (Information Warfare): पाकिस्तान के आतंकवादी एजेंडे के बारे में वैश्विक जनमत को जागरूक करना।
- आंतरिक सुरक्षा मजबूत करना: भारत अपनी आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करेगा ताकि किसी भी हमले का प्रभावी ढंग से सामना किया जा सके।
कैसे? (How will it be implemented?):**
- खुफिया जानकारी का आदान-प्रदान: मित्र देशों के साथ खुफिया जानकारी साझा करना।
- संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों का उपयोग: आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई का आह्वान करना।
- “गैर-समान्य” (Non-Kinetic) कार्रवाइयां: साइबर हमले, आर्थिक प्रतिबंध, कूटनीतिक बहिष्कार।
- सैन्य तैयारी: किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना को तैयार रखना।
चुनौतियाँ (Challenges):**
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: कुछ देश भारत के कठोर रुख के प्रति असहज हो सकते हैं।
- पाकिस्तान का पलटवार: पाकिस्तान पारंपरिक या गैर-पारंपरिक तरीकों से जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
- क्षेत्रीय अस्थिरता: ऐसे कदम क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा सकते हैं।
- आर्थिक लागत: सैन्य और कूटनीतिक पैंतरेबाज़ी की अपनी आर्थिक लागत होती है।
- घरेलू राजनीति: पाकिस्तान के साथ संबंधों को संतुलित करना घरेलू राजनीति में भी एक संवेदनशील मुद्दा है।
सकारात्मक पहलू (Pros):**
- राष्ट्रीय सुरक्षा में वृद्धि: आतंकवाद के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है।
- आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को मजबूत करना: भारत की मुखरता दूसरों को भी कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
- सैन्य मनोबल में वृद्धि: जवानों को यह महसूस होगा कि राष्ट्र उनके साथ खड़ा है।
- भारत की कूटनीतिक साख में वृद्धि: एक मजबूत और मुखर विदेश नीति भारत की स्थिति को मजबूत करती है।
नकारात्मक पहलू (Cons):**
- युद्ध का जोखिम: किसी भी प्रकार की आक्रामकता अनजाने में युद्ध को जन्म दे सकती है।
- आर्थिक प्रभाव: बढ़ते तनाव से व्यापार और निवेश प्रभावित हो सकता है।
- मानवीय लागत: यदि संघर्ष बढ़ता है, तो दोनों पक्षों को मानवीय नुकसान उठाना पड़ेगा।
- क्षेत्रीय शांति पर प्रभाव: दक्षिण एशिया की समग्र शांति और स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
भविष्य की राह (Way Forward):**
भारत की रणनीति एक नाजुक संतुलन बनाने वाली होनी चाहिए। “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी मुखर नीति को “ऑपरेशन विजय” की तरह रणनीतिक बुद्धि और संयम के साथ लागू किया जाना चाहिए।
- संतुलित दृष्टिकोण: जहाँ एक ओर आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ता आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर कूटनीति और संवाद के द्वार खुले रखने चाहिए।
- सैन्य आधुनिकीकरण: भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना का आधुनिकीकरण जारी रखना चाहिए।
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद विरोधी वैश्विक प्रयासों में सक्रिय भूमिका निभाते हुए सहयोग को बढ़ावा देना।
- खुफिया तंत्र को मजबूत करना: किसी भी घुसपैठ या हमले से पहले उसका पता लगाने की क्षमता को और बेहतर बनाना।
- प्रभावी संचार: अपनी नीतियों और इरादों को स्पष्ट रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुँचाना।
निष्कर्षतः, कारगिल विजय दिवस पर आर्मी चीफ का यह बयान न केवल हमारे वीर शहीदों को एक सच्ची श्रद्धांजलि है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति उसकी अटूट प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है। “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया गया है कि आतंकवाद के समर्थकों को अब किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। यह भारत की विदेश और रक्षा नीति में एक नए, अधिक मुखर और निर्णायक युग की शुरुआत का संकेत देता है, जो UPSC के उम्मीदवारों के लिए सुरक्षा, कूटनीति और राष्ट्रीय रणनीति के अध्ययन में एक महत्वपूर्ण बिंदु है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. वर्ष 1999 में भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए चलाए गए ऑपरेशन का क्या नाम था?
(a) ऑपरेशन विजय
(b) ऑपरेशन मेघदूत
(c) ऑपरेशन ब्लू स्टार
(d) ऑपरेशन कैक्टस
उत्तर: (a) ऑपरेशन विजय
व्याख्या: 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को ऑपरेशन विजय के तहत खदेड़ा था।
2. “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय सेना प्रमुख के बयान के आशय को सबसे सटीक रूप से दर्शाता है?
(a) यह एक गुप्त सैन्य आक्रमण की योजना है।
(b) यह पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद के प्रति भारत की कूटनीतिक और सामरिक अडिगता का प्रतीक है।
(c) यह केवल भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव कम करने का एक प्रस्ताव है।
(d) यह कारगिल युद्ध के इतिहास का एक मात्र स्मरण है।
उत्तर: (b) यह पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद के प्रति भारत की कूटनीतिक और सामरिक अडिगता का प्रतीक है।
व्याख्या: “ऑपरेशन सिंदूर” सीधे तौर पर सैन्य कार्रवाई का नाम न होकर, आतंकवाद के खिलाफ भारत की मुखर और दृढ़ नीति को दर्शाता है।
3. कारगिल विजय दिवस किस तारीख को मनाया जाता है?
(a) 15 अगस्त
(b) 26 जुलाई
(c) 4 मई
(d) 16 दिसंबर
उत्तर: (b) 26 जुलाई
व्याख्या: 26 जुलाई, 1999 को भारत ने कारगिल युद्ध में विजय प्राप्त की थी, और इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
4. भारतीय सेना प्रमुख के बयान के अनुसार, “आतंकवाद के समर्थकों” को बख्शा नहीं जाएगा। यह वाक्य मुख्य रूप से किसे लक्षित करता है?
(a) केवल पाकिस्तानी नागरिक
(b) पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और समर्थन करने वाले तत्व
(c) केवल आतंकवादी संगठन
(d) भारत के भीतर के असंतुष्ट समूह
उत्तर: (b) पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले और समर्थन करने वाले तत्व
व्याख्या: यह बयान पाकिस्तान की राज्य-प्रायोजित आतंकवाद की नीति और उसमें शामिल तत्वों को स्पष्ट रूप से इंगित करता है।
5. “ऑपरेशन सिंदूर” किस प्रकार की नीति का प्रतिनिधित्व करता है?
(a) निष्क्रिय रक्षा नीति
(b) प्रतिक्रियात्मक कूटनीतिक नीति
(c) सक्रिय, निवारक और मुखर सुरक्षा नीति
(d) केवल अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता की मांग
उत्तर: (c) सक्रिय, निवारक और मुखर सुरक्षा नीति
व्याख्या: यह बयान भारत की उस बदलती नीति को दर्शाता है जहाँ वह अपनी सुरक्षा चिंताओं को सक्रिय रूप से व्यक्त करता है और निवारक उपाय करता है।
6. कारगिल युद्ध से सीखे गए महत्वपूर्ण सबकों में से एक क्या था?
(a) सीमा पार से घुसपैठ को नज़रअंदाज़ करना।
(b) खुफिया एजेंसियों की क्षमता को कमज़ोर करना।
(c) उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध के लिए सैन्य तैयारी और उपकरणों में सुधार की आवश्यकता।
(d) केवल राजनयिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना।
उत्तर: (c) उच्च-ऊंचाई वाले युद्ध के लिए सैन्य तैयारी और उपकरणों में सुधार की आवश्यकता।
व्याख्या: कारगिल के दुर्गम इलाकों में युद्ध ने उच्च-ऊंचाई पर युद्ध की चुनौतियों का सामना करने के लिए विशेष प्रशिक्षण और उपकरणों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
7. निम्नलिखित में से कौन सी एक “गैर-समान्य” (Non-Kinetic) कार्रवाई हो सकती है जिसे भारत पाकिस्तान के खिलाफ अपना सकता है?
(a) प्रत्यक्ष सैन्य आक्रमण
(b) साइबर हमले
(c) सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाना
(d) परमाणु हथियारों का उपयोग
उत्तर: (b) साइबर हमले
व्याख्या: साइबर हमले, आर्थिक प्रतिबंध, और कूटनीतिक बहिष्कार जैसी कार्रवाइयाँ “गैर-समान्य” कार्रवाईयों के अंतर्गत आती हैं।
8. “ऑपरेशन सिंदूर” का उल्लेख किस देश के संदर्भ में किया गया है?
(a) चीन
(b) बांग्लादेश
(c) पाकिस्तान
(d) म्यांमार
उत्तर: (c) पाकिस्तान
व्याख्या: आर्मी चीफ का बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान को संबोधित था, जो सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है।
9. कारगिल विजय दिवस का उत्सव भारतीय जवानों के किस गुण का प्रतीक है?
(a) संयम और धैर्य
(b) अदम्य साहस, बलिदान और सामरिक कुशलता
(c) केवल कूटनीतिक कौशल
(d) आत्मसमर्पण की भावना
उत्तर: (b) अदम्य साहस, बलिदान और सामरिक कुशलता
व्याख्या: कारगिल विजय भारतीय सैनिकों के असाधारण साहस, सर्वोच्च बलिदान और युद्ध कौशल का प्रमाण है।
10. आर्मी चीफ के बयान का एक निहितार्थ क्या हो सकता है?
(a) भारत का युद्ध न करने का निर्णय।
(b) पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाना।
(c) पाकिस्तान पर उसके आतंकवाद के समर्थन के लिए कूटनीतिक और सामरिक दबाव बढ़ाना।
(d) अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तटस्थ रहने का आग्रह।
उत्तर: (c) पाकिस्तान पर उसके आतंकवाद के समर्थन के लिए कूटनीतिक और सामरिक दबाव बढ़ाना।
व्याख्या: “आतंकवाद के समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा” का संदेश स्पष्ट रूप से पाकिस्तान पर दबाव बनाने का एक प्रयास है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में, भारतीय सेना प्रमुख के बयान का विश्लेषण करें। यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और कूटनीति में किस प्रकार के नीतिगत बदलाव का संकेत देता है? कारगिल विजय दिवस के ऐतिहासिक महत्व के आलोक में इसके निहितार्थों पर चर्चा करें।
(विश्लेषण का बिंदु: इस प्रश्न में, आपको “ऑपरेशन सिंदूर” को एक प्रतीक के रूप में समझना होगा, न कि केवल एक गुप्त ऑपरेशन के रूप में। आपको यह समझाना होगा कि यह भारत की आतंकवाद विरोधी नीति में एक मुखर और सक्रिय दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व कैसे करता है। कारगिल के सबक, जैसे कि दृढ़ संकल्प और प्रतिक्रियात्मक से निवारक नीति की ओर बढ़ना, को जोड़ना महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह बयान भारत की विदेश नीति में मुखरता और कूटनीतिक दबाव के उपयोग को कैसे दर्शाता है, इसका भी उल्लेख करें।)
2. पाकिस्तान द्वारा समर्थित आतंकवाद के खिलाफ भारत की “आतंकवाद के समर्थकों को बख्शने नहीं” की नीति के विभिन्न आयाम क्या हैं? इस नीति को लागू करने में भारत के सामने क्या चुनौतियाँ हैं और इसके संभावित परिणाम क्या हो सकते हैं?
(विश्लेषण का बिंदु: इस प्रश्न में, आपको “आतंकवाद के समर्थक” वाक्यांश का गहरा अर्थ बताना होगा (राज्य, गैर-राज्य, धन, रसद आदि)। फिर, भारत के सामने आने वाली व्यावहारिक चुनौतियों (अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया, पाकिस्तान का प्रतिशोध, क्षेत्रीय अस्थिरता) और इस नीति के संभावित सकारात्मक (सुरक्षा में वृद्धि) और नकारात्मक (संघर्ष का जोखिम) परिणामों का विश्लेषण करना होगा।)
3. कारगिल विजय दिवस केवल सैन्य विजय का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति भारत के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण मोड़ भी है। इस कथन की पुष्टि करते हुए, कारगिल युद्ध से प्राप्त प्रमुख सबक और वे आज भारत की रक्षा और कूटनीतिक नीतियों को कैसे प्रभावित करते हैं, इसकी व्याख्या करें।
(विश्लेषण का बिंदु: इस प्रश्न में, आपको कारगिल को एक रणनीतिक विफलता (शुरुआती घुसपैठ) और फिर एक सफल सैन्य और कूटनीतिक प्रतिक्रिया के रूप में प्रस्तुत करना होगा। प्रमुख सबक (खुफिया, उच्च-ऊंचाई युद्ध, अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति) को पहचानें और फिर बताएं कि कैसे इन सबकों ने भारत की रक्षा योजनाओं, खुफिया तंत्र में सुधार, और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपनी बात रखने के तरीके को आकार दिया है।)
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