नाबालिग के साथ उल्लंघन? अब 2 गुना जुर्माना, क्यों है ये ज़रूरी कदम?

नाबालिग के साथ उल्लंघन? अब 2 गुना जुर्माना, क्यों है ये ज़रूरी कदम?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल ही में, सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने और यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। अब से, यदि कोई व्यक्ति नाबालिग के साथ यात्रा करते समय यातायात नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसे सामान्य से दोगुना जुर्माना देना होगा। यह कदम न केवल चालकों में अनुशासन लाने पर केंद्रित है, बल्कि यह नाबालिगों की सुरक्षा के प्रति समाज और अभिभावकों की जवाबदेही को भी मजबूत करता है। यह नियम, जो मोटर वाहन अधिनियम के तहत आता है, भारत में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या और उनमें बच्चों की संवेदनशीलता को देखते हुए विशेष रूप से प्रासंगिक हो जाता है। यह निर्णय स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सरकार सड़क सुरक्षा को एक प्राथमिकता के रूप में देख रही है और नियमों का उल्लंघन करने वालों के प्रति अधिक कठोर रुख अपना रही है, विशेषकर तब जब इसमें मासूमों का जीवन दांव पर हो।

क्या है यह नया प्रावधान? (What is this New Provision?)

भारत में सड़क सुरक्षा को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, एक नया और कड़ा प्रावधान लागू किया गया है। इस प्रावधान के तहत, यदि कोई चालक वाहन में किसी नाबालिग (Juvenile) के साथ यात्रा करते हुए यातायात नियमों का उल्लंघन करता है, तो उस पर लगने वाला जुर्माना सामान्य से दोगुना हो जाएगा।

विस्तार से समझें:

  • जुर्माने की राशि दोगुनी: यह प्रावधान सीधे तौर पर आर्थिक दंड को बढ़ाता है। उदाहरण के लिए, यदि बिना हेलमेट ड्राइविंग का सामान्य जुर्माना ₹1000 है और चालक के साथ एक नाबालिग भी है, तो जुर्माना ₹2000 हो जाएगा। यह केवल हेलमेट तक सीमित नहीं है, बल्कि सिग्नल तोड़ने, ओवरस्पीडिंग, गलत दिशा में ड्राइविंग जैसे सभी प्रकार के यातायात उल्लंघनों पर लागू होता है।
  • कानूनी आधार: यह प्रावधान मुख्य रूप से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 (Motor Vehicles (Amendment) Act, 2019) के तहत निहित सिद्धांतों और मौजूदा यातायात नियमों को मजबूत करने पर आधारित है। हालांकि यह किसी विशिष्ट नई धारा का जोड़ नहीं हो सकता है, बल्कि यह मौजूदा धाराओं के तहत जुर्माने को बढ़ाने के लिए एक कार्यकारी आदेश या अधिसूचना के रूप में लागू किया जाता है, जो बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देता है।
  • नाबालिग की परिभाषा: इस संदर्भ में, ‘नाबालिग’ से आशय सामान्यतः 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति से है, जैसा कि भारतीय कानूनों में परिभाषित किया गया है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रावधान बच्चों को जोखिम में डालने वाले व्यवहार के लिए वयस्कों को जवाबदेह ठहराता है।
  • किस पर लागू होगा? यह प्रावधान मुख्य रूप से वाहन के चालक पर लागू होगा, क्योंकि वही नियमों का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति होता है। हालांकि, कुछ मामलों में, वाहन के मालिक की जवाबदेही भी तय की जा सकती है, खासकर यदि वह चालक के गलत व्यवहार से परिचित हो या उसने जानबूझकर नाबालिग को जोखिम में डाला हो।
  • उद्देश्य: इस कड़े नियम का मुख्य उद्देश्य चालकों को अधिक सावधान और जिम्मेदार बनाना है, खासकर जब उनके साथ बच्चे यात्रा कर रहे हों। यह बच्चों को अनावश्यक जोखिमों से बचाने और उन्हें सुरक्षित सड़क वातावरण प्रदान करने के लिए एक निवारक के रूप में कार्य करता है।

यह केवल जुर्माने की राशि बढ़ाने का मामला नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक बदलाव लाने की कोशिश है जहाँ हर वयस्क अपनी और अपने साथ यात्रा करने वाले बच्चों की सुरक्षा के प्रति अधिक सचेत और जिम्मेदार हो।

इस प्रावधान का उद्देश्य क्या है? (What is the Objective of this Provision?)

यह नया प्रावधान केवल जुर्माना वसूलने का एक तरीका नहीं है, बल्कि यह एक सोची-समझी नीति है जिसके कई गहरे उद्देश्य हैं:

1. सड़क सुरक्षा में वृद्धि (Enhancing Road Safety):

  • दुर्घटनाओं में कमी: भारत में सड़क दुर्घटनाओं की दर alarming है। इस प्रावधान का प्राथमिक लक्ष्य लापरवाह ड्राइविंग, अत्यधिक गति, शराब पीकर गाड़ी चलाने और अन्य खतरनाक यातायात उल्लंघनों को हतोत्साहित करके दुर्घटनाओं की संख्या को कम करना है। जब जुर्माना दोगुना हो जाता है, तो चालकों पर नियमों का पालन करने का अधिक दबाव होता है।
  • बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना: यह प्रावधान विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा पर केंद्रित है। बच्चे सड़क दुर्घटनाओं में सबसे कमजोर पीड़ितों में से होते हैं। जब एक नाबालिग वाहन में होता है, तो उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी चालक और अभिभावक पर होती है। दोगुना जुर्माना यह सुनिश्चित करता है कि चालक बच्चों की उपस्थिति में अत्यधिक सावधानी बरतें।

2. निवारक प्रभाव (Deterrent Effect):

  • आर्थिक दंड का भय: आर्थिक दंड हमेशा एक शक्तिशाली निवारक रहा है। दोगुना जुर्माना संभावित उल्लंघनकर्ताओं को नियमों का पालन करने के लिए मजबूर करेगा, क्योंकि उन्हें पता होगा कि उल्लंघन करने पर उन्हें काफी अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी।
  • जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा: यह चालकों को अपनी ड्राइविंग आदतों पर पुनर्विचार करने और सड़कों पर अधिक जिम्मेदार व्यवहार अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। यह केवल जुर्माने से बचने का मामला नहीं है, बल्कि यह जानलेवा आदतों को बदलने का एक प्रयास है।

3. अभिभावकीय/वयस्क जवाबदेही (Parental/Adult Accountability):

  • नाबालिगों को सुरक्षित रखना: यह प्रावधान अभिभावकों और वयस्कों पर जोर देता है कि वे यह सुनिश्चित करें कि बच्चे उनकी उपस्थिति में हमेशा सुरक्षित रहें। इसमें सीट बेल्ट पहनने, हेलमेट पहनने (बच्चों के लिए भी), और सुरक्षित ड्राइविंग आदतों का पालन करना शामिल है।
  • बच्चों को यातायात नियमों से अवगत कराना: जब अभिभावक स्वयं जिम्मेदार होते हैं, तो वे अपने बच्चों को भी यातायात सुरक्षा के महत्व और नियमों के बारे में बेहतर तरीके से सिखा सकते हैं, जिससे भविष्य की पीढ़ी में सड़क सुरक्षा संस्कृति विकसित होगी।

4. सड़क सुरक्षा जागरूकता बढ़ाना (Increasing Road Safety Awareness):

  • सार्वजनिक चर्चा: ऐसे कड़े नियमों के लागू होने से सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर सार्वजनिक चर्चा बढ़ती है। यह लोगों को यातायात नियमों और उनके महत्व के बारे में शिक्षित करने का एक अवसर प्रदान करता है।
  • मीडिया कवरेज: मीडिया इस तरह के प्रावधानों को उजागर करता है, जिससे आम जनता में जागरूकता फैलती है और वे नियमों के बारे में अधिक जानने के लिए प्रेरित होते हैं।

5. प्रवर्तन तंत्र को मजबूत करना (Strengthening Enforcement Mechanism):

  • गंभीरता का संकेत: यह नियम यातायात पुलिस और प्रवर्तन एजेंसियों को एक स्पष्ट संकेत देता है कि बच्चों की सुरक्षा से जुड़े उल्लंघनों को अधिक गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
  • प्रभावी अनुपालन: दोगुना जुर्माना प्रवर्तन को और अधिक प्रभावी बनाता है क्योंकि उल्लंघनकर्ता जुर्माने से बचने के लिए नियमों का अधिक कड़ाई से पालन करने को बाध्य होंगे।

संक्षेप में, यह प्रावधान केवल एक दंडात्मक उपाय नहीं है, बल्कि यह एक बहुआयामी दृष्टिकोण का हिस्सा है जिसका लक्ष्य भारत की सड़कों को सभी के लिए, विशेषकर हमारे बच्चों के लिए सुरक्षित बनाना है। यह जिम्मेदारी, निवारण और जागरूकता के संगम पर आधारित है।

भारत में सड़क सुरक्षा की चुनौती (The Challenge of Road Safety in India)

भारत दुनिया में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाओं वाले देशों में से एक है। ये दुर्घटनाएं न केवल जानलेवा होती हैं बल्कि गंभीर चोटों, स्थायी विकलांगता और परिवारों पर भारी आर्थिक और भावनात्मक बोझ भी डालती हैं।

कुछ आंकड़े और तथ्य:

  • उच्च मृत्यु दर: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में हर साल लाखों सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें हजारों लोग अपनी जान गंवाते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के केवल 1% वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में इसकी हिस्सेदारी 11% है।
  • आर्थिक नुकसान: सड़क दुर्घटनाएं भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3-5% तक नुकसान पहुंचाती हैं, जो एक महत्वपूर्ण आर्थिक बोझ है। इसमें चिकित्सा व्यय, उत्पादकता का नुकसान और संपत्ति का नुकसान शामिल है।
  • युवा आबादी पर प्रभाव: सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले या घायल होने वाले लोगों में बड़ी संख्या युवा वयस्कों की होती है, जिससे देश की कार्यशील आबादी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
  • कमजोर वर्ग पर प्रभाव: पैदल चलने वाले, साइकिल चालक और दोपहिया वाहन चालक सड़क दुर्घटनाओं में सबसे कमजोर समूह होते हैं।

प्रमुख कारण (Major Causes):

  1. चालकों की गलती:
    • तेज गति: यह अधिकांश दुर्घटनाओं का एक प्रमुख कारण है।
    • लापरवाह और खतरनाक ड्राइविंग: अचानक लेन बदलना, अनुचित ओवरटेकिंग, दूरी न बनाए रखना।
    • शराब या ड्रग्स का सेवन: नशे में ड्राइविंग से प्रतिक्रिया समय धीमा हो जाता है और निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है।
    • थकान/नींद: लंबी दूरी की यात्रा में या रात में ड्राइविंग करते समय थकान दुर्घटना का कारण बन सकती है।
    • बिना हेलमेट/सीटबेल्ट: सुरक्षा उपकरणों का उपयोग न करना चोटों की गंभीरता को बढ़ाता है।
    • मोबाइल फोन का उपयोग: ड्राइविंग करते समय मोबाइल फोन का उपयोग ध्यान भटकाता है।
  2. सड़क इंजीनियरिंग दोष:
    • खराब सड़क डिजाइन (तीखे मोड़, अनुचित ग्रेडिएंट)।
    • अप्रकाशित सड़कें या खराब रोशनी।
    • खराब साइनेज और सड़क चिह्नांकन का अभाव।
    • गड्ढे और खराब रखरखाव वाली सड़कें।
  3. वाहन संबंधी मुद्दे:
    • खराब वाहन रखरखाव (टायर, ब्रेक)।
    • अनधिकृत संशोधन।
    • पुराने और असुरक्षित वाहन।
  4. कमजोर प्रवर्तन:
    • यातायात नियमों का अपर्याप्त या असमान प्रवर्तन।
    • भ्रष्टाचार और दंड से बचने की प्रवृत्ति।
  5. जागरूकता का अभाव:
    • आम जनता में सड़क सुरक्षा नियमों और उनके महत्व के बारे में जागरूकता की कमी।
    • सड़क सुरक्षा को प्राथमिकता न देना।

ये चुनौतियाँ एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करती हैं जिसमें शिक्षा, इंजीनियरिंग, प्रवर्तन और आपातकालीन देखभाल (4 E’s of Road Safety) शामिल हों। नया दोगुना जुर्माना प्रावधान प्रवर्तन के “E” को मजबूत करने की दिशा में एक कदम है, लेकिन यह केवल एक हिस्सा है समग्र समाधान का।

मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 और सड़क सुरक्षा (Motor Vehicles (Amendment) Act, 2019 and Road Safety)

भारत में सड़क सुरक्षा के संदर्भ में, मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 एक मील का पत्थर है। यह अधिनियम 1988 के मूल मोटर वाहन अधिनियम में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाया, जिसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा में सुधार, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, नागरिकों की सुविधा को बढ़ाना और ई-गवर्नेंस के माध्यम से पारदर्शिता लाना था।

अधिनियम के प्रमुख प्रावधान और उनका सड़क सुरक्षा पर प्रभाव:

  1. जुर्माने में वृद्धि और कठोर दंड:
    • उद्देश्य: उल्लंघनों के लिए दंड को अधिक कठोर बनाकर एक मजबूत निवारक पैदा करना।
    • उदाहरण:
      • शराब पीकर गाड़ी चलाने पर जुर्माना ₹2,000 से बढ़कर ₹10,000 हो गया।
      • तेज गति के लिए जुर्माना ₹500 से बढ़कर ₹1,000-2,000 हो गया।
      • बिना हेलमेट/सीट बेल्ट के लिए जुर्माना ₹100 से बढ़कर ₹1,000 हो गया।
      • खतरनाक ड्राइविंग पर ₹5,000 तक का जुर्माना और/या कारावास।
    • नाबालिगों द्वारा अपराध: यदि कोई नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है और अपराध करता है, तो अभिभावक/वाहन मालिक पर ₹25,000 का जुर्माना और 3 साल तक की कैद का प्रावधान है। वाहन का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है। यह प्रावधान सीधे तौर पर “नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना” नियम का पूर्वगामी और आधार है।
  2. कैब एग्रीगेटर के लिए नियम:
    • ओला, उबर जैसे कैब एग्रीगेटर को लाइसेंस की आवश्यकता होगी और उन्हें राज्य सरकारों के नियमों का पालन करना होगा, जिससे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  3. सड़क सुरक्षा बोर्ड:
    • सड़क सुरक्षा के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड का गठन करने का प्रस्ताव है, जो सड़क सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देगा।
  4. मोटर वाहन दुर्घटना कोष:
    • सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को अनिवार्य बीमा कवरेज प्रदान करने के लिए एक कोष बनाया जाएगा, जिसमें हिट एंड रन मामलों के पीड़ितों को भी कवर किया जाएगा।
  5. “गुड समैरिटन” (Good Samaritan) के लिए सुरक्षा:
    • जो लोग दुर्घटना पीड़ितों की मदद करते हैं, उन्हें सिविल या आपराधिक दायित्व से बचाया जाएगा। इससे लोग बिना किसी डर के घायलों की मदद करने के लिए आगे आएंगे, जिससे समय पर चिकित्सा सहायता मिल सकेगी।
  6. वाहन रिकॉल (Vehicle Recall):
    • सरकार को अधिकार दिया गया है कि यदि कोई वाहन खतरनाक पाया जाता है या पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है तो उसे वापस बुलाया जा सकता है।
  7. वाहन फिटनेस और ड्राइविंग लाइसेंस में सुधार:
    • ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग और ड्राइविंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन प्रणाली को बढ़ावा दिया गया है, जिससे पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी।
    • लाइसेंस प्राप्त करने और नवीकरण के लिए नियमों को सख्त किया गया है।

मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का मुख्य जोर सड़क उपयोगकर्ताओं की जवाबदेही बढ़ाने, प्रवर्तन को मजबूत करने और सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मृत्यु और चोटों को कम करने पर है। “नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना” का प्रावधान इस अधिनियम की भावना के अनुरूप है, क्योंकि यह न केवल वित्तीय दंड को बढ़ाता है, बल्कि विशेष रूप से कमजोर समूह (नाबालिग) की सुरक्षा पर जोर देकर सामाजिक जिम्मेदारी को भी बढ़ावा देता है। यह एक व्यापक नियामक ढांचे का हिस्सा है जो भारत की सड़कों को सभी के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

प्रभाव और संभावित परिणाम (Impact and Potential Outcomes)

नाबालिग के साथ यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर दोगुना जुर्माना लगाने का प्रावधान कई तरह के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, साथ ही कुछ चुनौतियां भी पेश कर सकता है।

सकारात्मक पक्ष (Pros):

  1. बढ़ी हुई सावधानी और जिम्मेदारी:
    • चालक बच्चों की उपस्थिति में अधिक सावधान रहेंगे।
    • अभिभावक अपने बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए अधिक सचेत होंगे।
  2. दुर्घटनाओं में कमी:
    • कठोर जुर्माने के डर से खतरनाक ड्राइविंग व्यवहार में कमी आ सकती है, जिससे दुर्घटनाओं की संख्या कम होगी।
    • विशेषकर बच्चों से जुड़ी दुर्घटनाओं में कमी आने की संभावना है।
  3. बेहतर सड़क अनुशासन:
    • नियमों का सख्ती से पालन करने की प्रवृत्ति बढ़ेगी, जिससे समग्र सड़क अनुशासन में सुधार होगा।
  4. सार्वजनिक जागरूकता में वृद्धि:
    • यह नया नियम सड़क सुरक्षा के महत्व और यातायात नियमों के पालन की आवश्यकता के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाएगा।
  5. प्रवर्तन को मजबूती:
    • यह यातायात पुलिस को ऐसे उल्लंघनों से अधिक गंभीरता से निपटने के लिए एक उपकरण प्रदान करता है।
  6. राजस्व सृजन:
    • जुर्माने में वृद्धि से सरकार के लिए राजस्व उत्पन्न होगा, जिसका उपयोग सड़क सुरक्षा पहल या बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए किया जा सकता है।

नकारात्मक पक्ष/चुनौतियाँ (Cons/Challenges):

  1. प्रवर्तन में चुनौती और भेदभाव का भय:
    • यातायात पुलिस द्वारा नियम के मनमाने या भेदभावपूर्ण प्रवर्तन की संभावना।
    • कुछ मामलों में अनावश्यक उत्पीड़न की शिकायतें।
    • नाबालिग की पहचान और उसकी उपस्थिति को साबित करने में व्यावहारिक चुनौतियाँ।
  2. आम जनता पर वित्तीय बोझ:
    • असावधानीवश किए गए छोटे उल्लंघनों के लिए भी भारी जुर्माना आम आदमी पर वित्तीय बोझ डाल सकता है, खासकर निम्न-आय वर्ग के लोगों पर।
    • क्या यह गरीबों को लक्षित करेगा जो अक्सर सार्वजनिक परिवहन के अभाव में बच्चों को साथ लेकर दोपहिया वाहन पर यात्रा करते हैं?
  3. बच्चे को साथ न ले जाने की प्रवृत्ति:
    • जुर्माने के डर से लोग बच्चों को अपने साथ यात्रा पर ले जाने से कतरा सकते हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं या सामाजिक गतिविधियों तक पहुंच प्रभावित हो सकती है।
    • इससे बच्चों को अकेले घर पर छोड़ने या असुरक्षित साधनों का उपयोग करने जैसी अनपेक्षित समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  4. वास्तविक मुद्दों का समाधान नहीं:
    • केवल जुर्माना बढ़ाने से सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों (जैसे खराब सड़क बुनियादी ढांचा, ड्राइविंग प्रशिक्षण की कमी, भ्रष्ट लाइसेंसिंग प्रक्रिया) का समाधान नहीं होगा।
    • यह एक दंडात्मक उपाय है, लेकिन यह व्यापक सड़क सुरक्षा रणनीति का केवल एक हिस्सा है।
  5. जनता का प्रतिरोध:
    • यदि जनता को लगता है कि नियम बहुत कठोर या अनुचित हैं, तो इससे जन प्रतिरोध या नियमों से बचने के नए तरीकों का विकास हो सकता है।

निष्कर्षतः, यह प्रावधान सड़क सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा के लिए। हालांकि, इसकी सफलता प्रवर्तन की निष्पक्षता, जनता की समझ और स्वीकार्यता, और एक व्यापक सड़क सुरक्षा रणनीति के साथ इसके एकीकरण पर निर्भर करेगी।

आगे की राह (Way Forward)

भारत में सड़क सुरक्षा को स्थायी रूप से सुधारने और “नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना” जैसे प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए एक बहुआयामी और समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। यह केवल नियमों को कड़ा करने से कहीं आगे की बात है।

1. शिक्षा और जागरूकता अभियान (Education and Awareness Campaigns):

  • व्यापक जन जागरूकता: नए प्रावधानों और यातायात नियमों के महत्व के बारे में बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाए जाएं। इसमें टीवी विज्ञापन, सोशल मीडिया, स्कूलों में जागरूकता कार्यक्रम और सामुदायिक बैठकें शामिल होनी चाहिए।
  • ड्राइविंग स्कूल में सुधार: ड्राइविंग स्कूलों के पाठ्यक्रम में सड़क सुरक्षा और जिम्मेदार ड्राइविंग पर विशेष जोर दिया जाए। नैतिकता और दूसरों के प्रति सम्मान की भावना विकसित की जाए।
  • बच्चों में जागरूकता: स्कूलों में बचपन से ही सड़क सुरक्षा के महत्व और नियमों के बारे में बच्चों को शिक्षित किया जाए।

2. प्रभावी प्रवर्तन (Effective Enforcement):

  • पारदर्शिता और निष्पक्षता: जुर्माने के प्रवर्तन में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जाए ताकि आम जनता में विश्वास बढ़े और उत्पीड़न की भावना कम हो।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरे, स्वचालित नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR) प्रणाली, स्पीड गन आदि जैसी तकनीकों का व्यापक उपयोग किया जाए। यह मानवीय हस्तक्षेप को कम करेगा और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगा।
  • प्रशिक्षण: यातायात पुलिस कर्मियों को नियमों के प्रभावी और मानवीय प्रवर्तन के लिए उचित प्रशिक्षण दिया जाए। उन्हें संवेदनशील बनाया जाए कि वे नागरिकों के साथ कैसे व्यवहार करें।

3. इंजीनियरिंग में सुधार (Improvements in Engineering):

  • बेहतर सड़क डिजाइन: सुरक्षित सड़क डिजाइन और इंजीनियरिंग प्रथाओं को अपनाया जाए, जैसे कि पर्याप्त साइनेज, सड़क चिह्नांकन, स्पीड ब्रेकर, जेब्रा क्रॉसिंग, फुटपाथ और साइकिल ट्रैक।
  • सुरक्षित इंटरसेक्शन: चौराहों को सुरक्षित बनाया जाए, खासकर स्कूलों और आवासीय क्षेत्रों के पास।
  • ब्लैक स्पॉट की पहचान: बार-बार दुर्घटनाओं वाले ‘ब्लैक स्पॉट’ की पहचान कर उनमें सुधार किया जाए।

4. आपातकालीन देखभाल (Emergency Care):

  • त्वरित प्रतिक्रिया: दुर्घटना स्थलों पर आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की प्रतिक्रिया समय को कम किया जाए।
  • ट्रॉमा केयर सेंटर: प्रमुख राजमार्गों और शहरी क्षेत्रों के पास पर्याप्त रूप से सुसज्जित ट्रॉमा केयर सेंटर स्थापित किए जाएं।
  • गुड समैरिटन को प्रोत्साहन: “गुड समैरिटन” कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए ताकि लोग बिना किसी डर के घायलों की मदद करने के लिए आगे आएं।

5. सहयोगात्मक दृष्टिकोण (Collaborative Approach):

  • अंतर-विभागीय समन्वय: सड़क परिवहन मंत्रालय, पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और शहरी नियोजन निकायों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाए।
  • समुदाय की भागीदारी: स्थानीय समुदायों और गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) को सड़क सुरक्षा अभियानों और जागरूकता कार्यक्रमों में शामिल किया जाए।

6. अनुसंधान और डेटा विश्लेषण (Research and Data Analysis):

  • सड़क दुर्घटनाओं के कारणों का नियमित और विस्तृत विश्लेषण किया जाए ताकि प्रभावी नीतियों और हस्तक्षेपों को तैयार किया जा सके।
  • सड़क सुरक्षा डेटा को मानकीकृत और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराया जाए।

नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन यह केवल एक बड़ी पहेली का एक छोटा सा टुकड़ा है। एक सुरक्षित सड़क वातावरण बनाने के लिए इन सभी पहलुओं पर एक साथ काम करना आवश्यक है। तभी हम एक ऐसे भविष्य की कल्पना कर सकते हैं जहाँ हमारी सड़कें अधिक सुरक्षित हों और हमारे बच्चे बिना किसी डर के यात्रा कर सकें।

निष्कर्ष (Conclusion)

भारत में सड़क सुरक्षा एक गंभीर चुनौती है, और “नाबालिग के साथ यात्रा करते समय यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर दोगुना जुर्माना” लगाने का प्रावधान इस चुनौती का सामना करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण और साहसिक कदम है। यह केवल एक दंडात्मक उपाय नहीं है, बल्कि यह एक सशक्त संदेश है कि समाज और कानून बच्चों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।

यह प्रावधान विशेष रूप से चालकों और अभिभावकों पर नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी डालता है कि वे अपने साथ यात्रा करने वाले नाबालिगों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। यह एक निवारक के रूप में कार्य करता है, जो लापरवाह ड्राइविंग आदतों को हतोत्साहित करता है और अधिक जिम्मेदार व्यवहार को बढ़ावा देता है। इससे न केवल दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आ सकती है, बल्कि यह सड़क पर समग्र अनुशासन और जागरूकता को भी बढ़ा सकता है।

हालांकि, इस कदम की सफलता केवल जुर्माने की कठोरता पर निर्भर नहीं करेगी। इसे एक व्यापक सड़क सुरक्षा रणनीति के हिस्से के रूप में देखा जाना चाहिए जिसमें ‘4 E’s’ – शिक्षा (Education), इंजीनियरिंग (Engineering), प्रवर्तन (Enforcement) और आपातकालीन देखभाल (Emergency Care) – का सामंजस्यपूर्ण अनुप्रयोग शामिल हो। हमें न केवल नियमों को लागू करना है, बल्कि लोगों को शिक्षित भी करना है, सड़कों को सुरक्षित बनाना है और दुर्घटना की स्थिति में त्वरित और प्रभावी सहायता प्रदान करनी है।

अंततः, एक सुरक्षित सड़क संस्कृति का निर्माण सामूहिक जिम्मेदारी का परिणाम है। सरकार, प्रवर्तन एजेंसियां, वाहन निर्माता, नागरिक समाज संगठन और प्रत्येक individual सड़क सुरक्षा के इस महाअभियान में अपनी भूमिका निभाएं। “नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना” एक महत्वपूर्ण अनुस्मारक है कि हमारी सड़कों पर हर जीवन मूल्यवान है, और विशेष रूप से हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित सड़कों पर ही निर्भर करता है। यह एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक छोटा, लेकिन शक्तिशाली कदम है, जिससे हमारी सड़कें सभी के लिए अधिक सुरक्षित और अधिक विश्वसनीय बन सकें।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(निम्नलिखित प्रश्नों पर विचार करें)

1. मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. यह अधिनियम शराब पीकर गाड़ी चलाने जैसे यातायात उल्लंघनों के लिए जुर्माने में उल्लेखनीय वृद्धि करता है।
  2. इसमें सड़क दुर्घटना पीड़ितों की सहायता करने वाले “गुड समैरिटन” को कानूनी सुरक्षा प्रदान करने का प्रावधान है।
  3. अधिनियम नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए वाहन के मालिक/अभिभावक को जवाबदेह नहीं ठहराता है।

उपरोक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1

(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है। अधिनियम ने विभिन्न यातायात उल्लंघनों के लिए जुर्माने में भारी वृद्धि की है, जिसमें शराब पीकर गाड़ी चलाना भी शामिल है।
  • कथन 2 सही है। अधिनियम में गुड समैरिटन को सिविल या आपराधिक दायित्व से बचाने का प्रावधान है।
  • कथन 3 गलत है। अधिनियम नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों के लिए वाहन के मालिक/अभिभावक पर ₹25,000 का जुर्माना और 3 साल तक की कैद का प्रावधान करता है, और वाहन का पंजीकरण भी रद्द कर सकता है। इसलिए, यह उन्हें जवाबदेह ठहराता है।

2. भारत में सड़क दुर्घटनाओं के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक सबसे आम कारणों में से एक नहीं है?

(a) तेज गति

(b) शराब या ड्रग्स का सेवन

(c) खराब सड़क बुनियादी ढांचा

(d) वाहनों में एयरबैग का अनिवार्य रूप से न होना

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • तेज गति, शराब या ड्रग्स का सेवन और खराब सड़क बुनियादी ढांचा भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख और सबसे आम कारणों में से हैं।
  • वाहनों में एयरबैग का अनिवार्य रूप से न होना दुर्घटना के “कारण” से अधिक दुर्घटना के “परिणाम” (चोटों की गंभीरता) से संबंधित है। यह सुरक्षा उपकरण चोटों को कम करने में मदद करता है, लेकिन दुर्घटना का प्राथमिक कारण नहीं बनता।

3. सड़क सुरक्षा के ‘4 E’s’ में निम्नलिखित में से कौन सा शामिल नहीं है?

(a) Education (शिक्षा)

(b) Engineering (इंजीनियरिंग)

(c) Environment (पर्यावरण)

(d) Enforcement (प्रवर्तन)

उत्तर: (c)

व्याख्या: सड़क सुरक्षा के 4 E’s में Education (शिक्षा), Engineering (इंजीनियरिंग), Enforcement (प्रवर्तन), और Emergency Care (आपातकालीन देखभाल) शामिल हैं। ‘Environment’ इसमें शामिल नहीं है।

4. ‘नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना’ के नए प्रावधान का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?

(a) सरकारी राजस्व में वृद्धि करना।

(b) नाबालिगों को वाहन चलाने से रोकना।

(c) यातायात नियमों के उल्लंघन के लिए वयस्कों की जवाबदेही बढ़ाना, विशेष रूप से जब नाबालिग शामिल हों।

(d) केवल दोपहिया वाहनों से होने वाली दुर्घटनाओं को कम करना।

उत्तर: (c)

व्याख्या: जबकि राजस्व वृद्धि एक अप्रत्यक्ष परिणाम हो सकता है, और नाबालिगों को वाहन चलाने से रोकने के लिए अलग प्रावधान हैं (MVA 2019 के तहत), इस विशेष प्रावधान का प्राथमिक उद्देश्य नाबालिगों की उपस्थिति में यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले वयस्कों की जवाबदेही को बढ़ाना और इस तरह बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। यह सभी प्रकार के वाहनों पर लागू होता है, न कि केवल दोपहिया वाहनों पर।

5. मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत, यदि कोई नाबालिग अपराध करता है, तो वाहन मालिक/अभिभावक पर क्या संभावित दंड हो सकता है?

(a) केवल वित्तीय जुर्माना।

(b) केवल कारावास।

(c) वित्तीय जुर्माना और कारावास दोनों, साथ ही वाहन पंजीकरण रद्द करना।

(d) वाहन के बीमा कवरेज का निलंबन।

उत्तर: (c)

व्याख्या: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत, यदि कोई नाबालिग अपराध करता है, तो वाहन के मालिक/अभिभावक पर ₹25,000 का जुर्माना और 3 साल तक की कैद का प्रावधान है। वाहन का पंजीकरण भी रद्द किया जा सकता है।

6. सड़क दुर्घटनाओं के संबंध में विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की वैश्विक स्थिति क्या है?

(a) भारत में दुनिया के 1% वाहन और 1% सड़क दुर्घटनाएँ हैं।

(b) भारत में दुनिया के 1% वाहन हैं लेकिन सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में इसकी हिस्सेदारी 11% है।

(c) भारत में दुनिया के 11% वाहन हैं लेकिन सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में इसकी हिस्सेदारी 1% है।

(d) भारत सड़क दुर्घटनाओं में सबसे सुरक्षित देशों में से एक है।

उत्तर: (b)

व्याख्या: विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दुनिया के केवल 1% वाहन हैं, लेकिन सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में इसकी हिस्सेदारी 11% है, जो एक गंभीर चुनौती को दर्शाता है।

7. निम्नलिखित में से कौन सा कथन मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के उद्देश्य को सबसे अच्छी तरह दर्शाता है?

(a) केवल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में सुधार करना।

(b) सड़क सुरक्षा में सुधार, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, और नागरिकों की सुविधा बढ़ाना।

(c) केवल प्रदूषण नियंत्रण मानदंडों को मजबूत करना।

(d) केवल नए वाहनों के निर्माण को बढ़ावा देना।

उत्तर: (b)

व्याख्या: मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 का उद्देश्य बहुआयामी है, जिसमें सड़क सुरक्षा में सुधार, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना, नागरिकों की सुविधा बढ़ाना और ई-गवर्नेंस के माध्यम से पारदर्शिता लाना शामिल है। अन्य विकल्प इसके आंशिक उद्देश्य हो सकते हैं, लेकिन व्यापक नहीं।

8. हाल ही में लागू हुए ‘नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना’ प्रावधान के तहत, ‘नाबालिग’ की परिभाषा सामान्यतः क्या है?

(a) 14 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति।

(b) 16 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति।

(c) 18 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति।

(d) 21 वर्ष से कम आयु का व्यक्ति।

उत्तर: (c)

व्याख्या: भारतीय कानूनों में सामान्यतः ‘नाबालिग’ से आशय 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति से है, और यह प्रावधान भी इसी परिभाषा का पालन करता है।

9. सड़क सुरक्षा के संदर्भ में, ‘ब्लैक स्पॉट’ शब्द का क्या अर्थ है?

(a) वे स्थान जहाँ यातायात पुलिस काली वर्दी पहनती है।

(b) वे सड़क खंड जहाँ बार-बार गंभीर सड़क दुर्घटनाएँ होती हैं।

(c) वे क्षेत्र जहाँ सड़क पर काले रंग के पैच होते हैं।

(d) वे स्थान जहाँ रात में रोशनी नहीं होती।

उत्तर: (b)

व्याख्या: ‘ब्लैक स्पॉट’ वे सड़क खंड या चौराहे होते हैं जहाँ ऐतिहासिक रूप से गंभीर सड़क दुर्घटनाएँ अधिक संख्या में होती रही हैं, और जिन पर विशेष ध्यान देने और सुधार की आवश्यकता होती है।

10. ‘नाबालिग के साथ दोगुना जुर्माना’ प्रावधान से जुड़ी संभावित नकारात्मक चुनौती क्या हो सकती है?

(a) सड़क पर वाहनों की संख्या में वृद्धि।

(b) अभिभावकों द्वारा बच्चों को आवश्यक यात्राओं पर ले जाने से बचना।

(c) सार्वजनिक परिवहन का पूर्ण अभाव।

(d) सड़क बुनियादी ढांचे में अचानक सुधार।

उत्तर: (b)

व्याख्या: इस प्रावधान की एक संभावित अनपेक्षित नकारात्मक चुनौती यह हो सकती है कि जुर्माने के डर से अभिभावक बच्चों को आवश्यक यात्राओं (जैसे स्कूल, डॉक्टर) पर भी अपने साथ ले जाने से कतरा सकते हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच प्रभावित हो सकती है।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(निम्नलिखित विश्लेषणात्मक प्रश्नों के उत्तर दें)

1. “नाबालिग के साथ यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर दोगुना जुर्माना लगाने का प्रावधान भारत में सड़क सुरक्षा को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें, इसके संभावित सकारात्मक प्रभावों और चुनौतियों दोनों पर प्रकाश डालें।

2. मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 ने भारत में सड़क सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाए हैं। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों की व्याख्या करें और चर्चा करें कि ये प्रावधान भारत में सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती चुनौती का समाधान करने में कितने प्रभावी सिद्ध हो सकते हैं।

3. भारत में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए केवल दंडात्मक उपायों पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। इस कथन के आलोक में, सड़क सुरक्षा के ‘4 E’s’ (शिक्षा, इंजीनियरिंग, प्रवर्तन, आपातकालीन देखभाल) के महत्व पर चर्चा करें और बताएं कि कैसे एक समग्र दृष्टिकोण अधिक सुरक्षित सड़क वातावरण बनाने में मदद कर सकता है।

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