आसमान से धरती तक: कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक वापसी – क्या कहता है भारत का अंतरिक्ष भविष्य?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में, कैप्टन शुभांशु शुक्ला की सुरक्षित धरती पर वापसी ने देश भर में, खासकर उत्तर प्रदेश में, खुशी की लहर दौड़ाई है। “मिशन पूरा कर धरती पर लौटे” कैप्टन शुभांशु शुक्ला की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार को भावुक कर दिया है, बल्कि इसने भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रमों, विशेषकर मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशनों की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम का संकेत दिया है। उनकी मां के ये शब्द, “शब्दों में बयान नहीं कर सकती ये खुशी”, उस अपार गौरव और राहत को दर्शाते हैं जो एक राष्ट्र तब महसूस करता है जब उसके बेटे-बेटियाँ अज्ञात के खतरों को पार कर सुरक्षित लौट आते हैं। यह घटना मात्र एक व्यक्ति की वापसी नहीं है, बल्कि यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति और मानव अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति उसके अटूट संकल्प का एक प्रतीक है।
कौन हैं कैप्टन शुभांशु शुक्ला? (Who is Captain Shubhanshu Shukla?)
कैप्टन शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के एक अनुभवी अधिकारी हैं और उनका चयन भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, ‘गगनयान’ के लिए संभावित अंतरिक्ष यात्रियों में हुआ है। उनका पैतृक गांव रायबरेली जिले के डलमऊ में है, और उनका परिवार वर्तमान में लखनऊ में रहता है। शुभांशु का चयन उन चुनिंदा भारतीय वायुसेना पायलटों में हुआ है, जिन्हें गगनयान मिशन के लिए व्यापक और कठोर प्रशिक्षण से गुजरना पड़ रहा है।
उनकी पृष्ठभूमि और प्रशिक्षण को समझना महत्वपूर्ण है:
- सैन्य पृष्ठभूमि: कैप्टन शुक्ला भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट हैं, जो उन्हें अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाता है। टेस्ट पायलटों को विमानों की नई प्रणालियों और उड़ानों के दौरान असाधारण परिस्थितियों से निपटने का गहरा अनुभव होता है, जो अंतरिक्ष मिशन के लिए आवश्यक धैर्य, तकनीकी समझ और त्वरित निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
- कठोर चयन प्रक्रिया: गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन एक अत्यंत कठोर प्रक्रिया के माध्यम से किया गया है, जिसमें हजारों पायलटों में से केवल कुछ को ही चुना गया है। इसमें गहन शारीरिक, मानसिक और मनोवैज्ञानिक परीक्षण शामिल हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण: कैप्टन शुक्ला और उनके साथी अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त किया है। यह प्रशिक्षण उन्हें भारहीनता, विकिरण, अलगाव और अन्य अंतरिक्ष-संबंधी चुनौतियों के लिए तैयार करता है। इसके अतिरिक्त, वे भारत में ISRO की विभिन्न सुविधाओं में भी विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं, जिसमें क्रू मॉड्यूल का संचालन, पुनर्प्राप्ति प्रक्रियाएं और आपातकालीन स्थितियां शामिल हैं।
उनकी वापसी, भले ही यह एक प्रशिक्षण मिशन या सिमुलेशन से हो, भारत के अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की सफलता और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय लिखने की तैयारी का संकेत है।
मिशन क्या था? (What was the Mission?)
हालांकि समाचार में कैप्टन शुभांशु शुक्ला द्वारा “मिशन पूरा कर धरती पर लौटने” का उल्लेख है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह कौन सा विशिष्ट मिशन था। सामान्यतः, अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण में कई तरह के मिशन और सिमुलेशन शामिल होते हैं, जिनमें वास्तविक अंतरिक्ष उड़ान जैसी परिस्थितियों को दोहराया जाता है। ये ‘मिशन’ धरती पर रहते हुए ही किए जाते हैं, लेकिन इनका उद्देश्य अंतरिक्ष में उत्पन्न होने वाली हर संभावित चुनौती के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को तैयार करना होता है।
संभावित रूप से, कैप्टन शुक्ला द्वारा ‘पूरा किया गया मिशन’ इनमें से कोई एक हो सकता है:
- गहन प्रशिक्षण सिमुलेशन: अंतरिक्ष यान के क्रू मॉड्यूल के भीतर रहने, विभिन्न प्रणालियों को संचालित करने, आपात स्थितियों से निपटने और क्रू के बीच समन्वय स्थापित करने का एक लंबा और यथार्थवादी सिमुलेशन। ऐसे सिमुलेशन दिनों या हफ्तों तक चल सकते हैं।
- अलगाव (Isolation) परीक्षण: अंतरिक्ष में अकेले या छोटे समूह में लंबे समय तक रहने के मानसिक और मनोवैज्ञानिक प्रभावों का आकलन करने के लिए डिज़ाइन किए गए परीक्षण।
- पुनर्प्रवेश और रिकवरी सिमुलेशन: अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में सुरक्षित रूप से फिर से प्रवेश करने और उतरने के बाद बचाव दल द्वारा खोजे जाने और निकालने की प्रक्रिया का अभ्यास।
- गुरुत्वाकर्षण रहित वातावरण का अनुभव: विशेष विमानों (जैसे ‘वॉमिट कॉमेट’ के नाम से जाने जाने वाले) में पैराबोलिक उड़ानों के माध्यम से कुछ सेकंड के लिए भारहीनता का अनुभव करना।
- अत्यधिक दबाव वाले वातावरण में प्रशिक्षण: अंतरिक्ष यान में लगने वाले दबाव को समझने और उसे सहन करने का प्रशिक्षण।
यह ‘मिशन’ गगनयान कार्यक्रम का एक अभिन्न अंग है, जिसका उद्देश्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले उन्हें हर चुनौती के लिए पूरी तरह से तैयार करना है। यह सुनिश्चित करना है कि जब वे वास्तव में अंतरिक्ष में जाएं, तो उनके पास न केवल तकनीकी ज्ञान हो, बल्कि वे शारीरिक और मानसिक रूप से भी सक्षम हों।
भारत का मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: एक अवलोकन (India’s Human Spaceflight Program: An Overview)
भारत का मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम (Human Spaceflight Program – HSP) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का सबसे महत्वाकांक्षी उपक्रमों में से एक है। इसका प्रमुख मिशन ‘गगनयान’ है।
गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission):
गगनयान मिशन का लक्ष्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों (व्योमनॉट्स) को पृथ्वी की निचली कक्षा (Low Earth Orbit – LEO) में 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर भेजना और उन्हें 3-7 दिनों के बाद सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। यदि यह सफल होता है, तो भारत संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और चीन के बाद मानव को अंतरिक्ष में भेजने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
उद्देश्य:
- भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन।
- मानव अंतरिक्ष उड़ान के लिए एक स्थायी क्षमता का विकास।
- अंतरिक्ष आधारित प्रयोगों का संचालन।
- अंतरिक्ष अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना।
- युवा पीढ़ी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में करियर बनाने के लिए प्रेरित करना।
मुख्य घटक:
- लॉन्च व्हीकल: मिशन के लिए ISRO के सबसे भारी लॉन्च व्हीकल, ‘लॉन्च व्हीकल मार्क-3’ (LVM3) का उपयोग किया जाएगा, जिसे पहले GSLV Mk-III के नाम से जाना जाता था। इसे मानव-रेटेड बनाने के लिए इसमें कई सुधार किए गए हैं, जैसे कि क्रू एस्केप सिस्टम।
- क्रू मॉड्यूल (Orbital Module): यह अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में ले जाएगा और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाएगा। इसमें जीवन समर्थन प्रणाली (Life Support System), पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली और नेविगेशन उपकरण शामिल होंगे।
- सर्विस मॉड्यूल: यह क्रू मॉड्यूल को शक्ति और प्रणोदन प्रदान करेगा।
- क्रू एस्केप सिस्टम: लॉन्च के दौरान किसी भी आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों को रॉकेट से सुरक्षित निकालने के लिए यह एक महत्वपूर्ण सुरक्षा प्रणाली है।
मिशन की प्रगति:
गगनयान मिशन को कई चरणों में परिकल्पित किया गया है:
- परीक्षण उड़ानें (Test Flights): बिना मानव के परीक्षण उड़ानें (जैसे TV-D1 – Test Vehicle D1, जो 2023 में सफल रहा) की जा रही हैं ताकि विभिन्न प्रणालियों और सुरक्षा प्रोटोकॉल का सत्यापन किया जा सके।
- व्योममित्र (Vyommitra): मानव रहित ‘व्योममित्र’ नामक महिला रोबोट को एक परीक्षण उड़ान में अंतरिक्ष में भेजा जाएगा ताकि मानव शरीर पर अंतरिक्ष उड़ान के प्रभावों का अध्ययन किया जा सके।
- वास्तविक मानव मिशन: सभी परीक्षणों के सफल होने के बाद, भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
प्रशिक्षण और चयन प्रक्रिया (Training and Selection Process):
गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों का चयन और प्रशिक्षण एक अत्यंत व्यापक और बहु-स्तरीय प्रक्रिया है:
- प्रारंभिक चयन: भारतीय वायुसेना के टेस्ट पायलटों में से प्रारंभिक चयन। यह सुनिश्चित करता है कि उम्मीदवार शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हों और अत्यधिक दबाव में काम करने की क्षमता रखते हों।
- गहन चिकित्सा परीक्षण: बंगलुरु स्थित भारतीय वायुसेना के एयरोस्पेस मेडिसिन इंस्टीट्यूट में कठोर चिकित्सा परीक्षण किए जाते हैं।
- रूसी प्रशिक्षण: चयनित अंतरिक्ष यात्रियों को रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में बुनियादी अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण प्राप्त हुआ। इसमें भारहीनता के लिए अनुकूलन, अंतरिक्ष यान प्रणालियों का अध्ययन, आपातकालीन प्रक्रियाओं का अभ्यास और शारीरिक फिटनेस प्रशिक्षण शामिल है।
- भारत में विशिष्ट प्रशिक्षण: रूस में प्रशिक्षण के बाद, अंतरिक्ष यात्री भारत में ISRO की विभिन्न सुविधाओं में विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। इसमें क्रू मॉड्यूल का संचालन, रिकवरी प्रक्रियाएं, चिकित्सा सहायता, और मिशन-विशिष्ट प्रोटोकॉल शामिल हैं। तिरुवनंतपुरम में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा (Astronaut Training Facility – ATF) में इन प्रशिक्षणों को अंजाम दिया जा रहा है।
मिशन के निहितार्थ (Implications of the Mission):
गगनयान मिशन के सफल होने के दूरगामी निहितार्थ होंगे:
- राष्ट्रीय गौरव: यह भारत को अंतरिक्ष शक्ति के रूप में स्थापित करेगा और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ाएगा।
- प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता: मानव अंतरिक्ष उड़ान की जटिल प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता प्राप्त होगी, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी तकनीकी उन्नति होगी।
- वैज्ञानिक अनुसंधान: सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण (micro-gravity) वातावरण में वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए नए अवसर खुलेंगे।
- उद्योग और अर्थव्यवस्था: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे नई नौकरियों का सृजन होगा और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अंतरिक्ष अन्वेषण में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और सहयोग के लिए नए रास्ते खुलेंगे।
- प्रेरणा: यह युवाओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
“गगनयान सिर्फ एक मिशन नहीं है, यह एक सपना है जो पूरे राष्ट्र को एक साथ जोड़ता है। यह भारत की वैज्ञानिक महत्वाकांक्षाओं का प्रतीक है और युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत।”
भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हालिया प्रगति (Recent Progress in India’s Space Sector)
भारत ने पिछले कुछ दशकों में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम में अभूतपूर्व प्रगति की है। गगनयान के अलावा, ISRO ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जो भारत को वैश्विक अंतरिक्ष मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करती हैं।
ISRO की प्रमुख उपलब्धियां:
- चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3): अगस्त 2023 में, भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया, और चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बना। प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर महत्वपूर्ण डेटा और तस्वीरें भेजीं।
- आदित्य-L1 (Aditya-L1): सितंबर 2023 में, भारत ने सफलतापूर्वक अपने पहले सौर वेधशाला मिशन, आदित्य-L1 को लॉन्च किया। यह सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला समर्पित मिशन है और इसे लैग्रेंजियन बिंदु L1 पर स्थापित किया गया है।
- पुनः प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल (RLV-TD): ISRO ने पुनः प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (RLV-TD) के सफल परीक्षण किए हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष मिशनों की लागत को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- वाणिज्यिक लॉन्च: न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के माध्यम से ISRO ने कई देशों के उपग्रहों को सफलतापूर्वक लॉन्च किया है, जिससे भारत एक विश्वसनीय और लागत प्रभावी वाणिज्यिक लॉन्च प्रदाता के रूप में उभरा है।
- मंगलयान (Mars Orbiter Mission – MOM): 2014 में, भारत एशिया का पहला और दुनिया का चौथा देश बन गया जिसने मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अपना अंतरिक्ष यान स्थापित किया।
अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार (Space Sector Reforms):
भारत सरकार ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधारों की शुरुआत की है ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाया जा सके और नवाचार को बढ़ावा दिया जा सके।
- IN-SPACe (Indian National Space Promotion and Authorization Centre): यह एक स्वायत्त, एकल-खिड़की नोडल एजेंसी है जिसे निजी संस्थाओं को अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने के लिए अधिकृत और पर्यवेक्षण करने के लिए स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य निजी क्षेत्र के लिए समान अवसर पैदा करना और उन्हें ISRO की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देना है।
- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL): यह ISRO की वाणिज्यिक शाखा है, जो भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत उत्पादित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को भारतीय उद्योगों में स्थानांतरित करने और वाणिज्यिक गतिविधियों को बढ़ाने पर केंद्रित है।
- अंतरिक्ष नीति 2023: नई अंतरिक्ष नीति निजी क्षेत्र को उपग्रहों, लॉन्च व्हीकल्स और ग्राउंड सेगमेंट्स के विकास और संचालन में अधिक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जबकि ISRO अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करेगा।
भविष्य की योजनाएं:
- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station): भारत का लक्ष्य 2035 तक अपना स्वयं का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना है।
- शुक्र मिशन (Venus Mission): ISRO शुक्र ग्रह के लिए एक ऑर्बिटर मिशन की योजना बना रहा है ताकि ग्रह के वातावरण और सतह का अध्ययन किया जा सके।
- लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन (Lupex): जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) के साथ मिलकर चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों का अन्वेषण।
चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and Way Forward)
भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम, विशेष रूप से मानव अंतरिक्ष उड़ान, कई चुनौतियों का सामना करता है, जिन्हें दूर करने के लिए ठोस प्रयासों की आवश्यकता है।
प्रमुख चुनौतियाँ:
- प्रौद्योगिकीय जटिलताएँ: मानव अंतरिक्ष उड़ान में जीवन समर्थन प्रणालियों, पुन: प्रवेश और रिकवरी, विकिरण सुरक्षा और अंतरिक्ष अपशिष्ट (space debris) से बचाव जैसी अत्यधिक जटिल प्रौद्योगिकियों का विकास और उनका सफल एकीकरण शामिल है। इन प्रणालियों की विफलता का मतलब मिशन की विफलता और मानव जीवन का नुकसान हो सकता है।
- वित्तीय संसाधन: अंतरिक्ष कार्यक्रम अत्यंत पूंजी-गहन होते हैं। गगनयान जैसे मिशनों के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की आवश्यकता होती है, जो सीमित राष्ट्रीय संसाधनों के बीच एक चुनौती हो सकती है।
- सुरक्षा और विश्वसनीयता: मानव मिशनों में सुरक्षा सर्वोपरि होती है। किसी भी दुर्घटना का अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और भविष्य के कार्यक्रमों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। “जीरो फेल्योर” मानसिकता अपनाना आवश्यक है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और प्रतिस्पर्धा: वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में तीव्र प्रतिस्पर्धा है। प्रौद्योगिकियों तक पहुंच, अंतर्राष्ट्रीय मानकों का पालन और भू-राजनीतिक समीकरण सहयोग और प्रतिस्पर्धा दोनों को प्रभावित करते हैं।
- अंतरिक्ष अपशिष्ट (Space Debris): पृथ्वी की कक्षा में बढ़ रहा अंतरिक्ष अपशिष्ट मिशनों के लिए एक गंभीर खतरा है, जिससे टकराव का जोखिम बढ़ जाता है।
- मानव स्वास्थ्य चुनौतियाँ: अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों (जैसे अस्थि घनत्व में कमी, मांसपेशियों का क्षय, विकिरण जोखिम) का प्रबंधन करना।
आगे की राह:
- अनुसंधान और विकास पर बल: स्वदेशी प्रौद्योगिकियों के विकास और नवाचार के लिए अनुसंधान और विकास में निवेश बढ़ाना। नए मटेरियल्स, प्रणोदन प्रणालियों और जीवन समर्थन प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करना।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी: अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रोत्साहित करना, उन्हें ISRO की सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करना और एक मजबूत अंतरिक्ष उद्योग पारिस्थितिकी तंत्र बनाना। यह नवाचार को बढ़ावा देगा और लागत कम करेगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: प्रमुख अंतरिक्ष शक्तियों के साथ सहयोग जारी रखना, विशेष रूप से मानव अंतरिक्ष उड़ान सुरक्षा और अंतरिक्ष अपशिष्ट प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में ज्ञान और अनुभव साझा करना।
- कुशल मानव संसाधन विकास: अंतरिक्ष इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष चिकित्सा और संबंधित क्षेत्रों में विशेषज्ञों को तैयार करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को मजबूत करना।
- दीर्घकालिक रणनीति: केवल गगनयान तक सीमित न रहकर, चंद्रमा, मंगल और उससे आगे के मानव मिशनों के लिए एक स्पष्ट दीर्घकालिक रोडमैप विकसित करना। इसमें भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना भी शामिल है।
- नैतिक और कानूनी ढाँचा: अंतरिक्ष खनन, अंतरिक्ष पर्यटन और सैन्यीकरण जैसे उभरते मुद्दों के लिए एक मजबूत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी और नैतिक ढाँचा विकसित करना।
नैतिक और सामाजिक प्रभाव (Ethical and Societal Implications)
अंतरिक्ष अन्वेषण केवल वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का विषय नहीं है, बल्कि इसके गहरे नैतिक और सामाजिक निहितार्थ भी हैं।
- अंतरिक्ष का सैन्यीकरण: अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ और सैन्य उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का उपयोग वैश्विक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। इस पर अंतर्राष्ट्रीय संधियों और सहयोग के माध्यम से नियंत्रण रखना आवश्यक है।
- अंतरिक्ष अपशिष्ट का प्रबंधन: कक्षा में बढ़ता अपशिष्ट भविष्य के मिशनों के लिए खतरा है और इसे साफ करने की नैतिक जिम्मेदारी उन देशों की है जिन्होंने इसे बनाया है।
- अंतरिक्ष उपनिवेशीकरण की नैतिकता: यदि मानव अन्य ग्रहों पर उपनिवेश स्थापित करता है, तो वहां के संभावित सूक्ष्मजीवों या संसाधनों के संरक्षण की नैतिक जिम्मेदारी क्या होगी?
- अंतरिक्ष पर्यटन: अंतरिक्ष पर्यटन का उदय धनवानों के लिए एक विशिष्ट अनुभव बन सकता है, जिससे सामाजिक असमानता और पर्यावरण पर प्रभाव जैसे प्रश्न उठते हैं।
- पृथ्वी पर प्रभाव: अंतरिक्ष कार्यक्रम अक्सर पृथ्वी पर संसाधनों के उपयोग और पर्यावरण पर उनके प्रभाव के बारे में सवाल उठाते हैं। हालांकि, वे पृथ्वी की निगरानी और जलवायु परिवर्तन के अध्ययन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- प्रेरणा और समावेशिता: अंतरिक्ष अन्वेषण मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत है, लेकिन यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इसमें सभी वर्ग और लिंग के लोग शामिल हों। कैप्टन शुभांशु शुक्ला जैसी कहानियां युवाओं, खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वालों को, बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
कैप्टन शुभांशु शुक्ला की धरती पर सुरक्षित वापसी, उनकी मां की आँखों में खुशी और पूरे देश में फैला यह उत्साह, भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सफलता और उसके भविष्य की संभावनाओं का एक सशक्त प्रमाण है। यह घटना सिर्फ एक पायलट की घर वापसी नहीं, बल्कि भारत की उस बुलंद उड़ान का प्रतीक है जो अब आसमान की ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है। गगनयान मिशन के साथ, भारत एक नए युग में प्रवेश कर रहा है, जहाँ मानव अंतरिक्ष अन्वेषण अब केवल एक सपना नहीं, बल्कि एक साकार होती हुई वास्तविकता है।
हालांकि चुनौतियाँ मौजूद हैं, भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र अपनी दृढ़ता, नवाचार और रणनीतिक दृष्टिकोण के साथ इन बाधाओं को पार करने के लिए प्रतिबद्ध है। निजी क्षेत्र की बढ़ती भागीदारी, मजबूत अनुसंधान एवं विकास और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ, भारत न केवल अपनी तकनीकी क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भी एक महत्वपूर्ण भागीदार बनेगा। कैप्टन शुभांशु शुक्ला जैसे बहादुर व्योमनॉट्स, जो अज्ञात को चुनौती देने के लिए तैयार हैं, भारत के भविष्य के अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए मार्ग प्रशस्त करते रहेंगे, जिससे देश को नए क्षितिज खोलने और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने में मदद मिलेगी। उनका सुरक्षित लौटना एक वादा है – एक वादा कि भारत का अंतरिक्ष भविष्य उज्ज्वल और सुरक्षित है, और यह कि हमारे नायक हमेशा घर लौटेंगे, मिशन पूरा कर!
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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प्रश्न 1: गगनयान मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इसका उद्देश्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में लगभग 7 दिनों के लिए भेजना है।
- मिशन के लिए लॉन्च व्हीकल के रूप में GSLV Mk-III का उपयोग किया जाएगा।
- ‘व्योममित्र’ नामक महिला रोबोट को मानव रहित परीक्षण उड़ान में भेजा जाएगा।
उपरोक्त कथनों में से कितने सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई नहीं
उत्तर: c) सभी तीन
व्याख्या: गगनयान का लक्ष्य तीन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर 3-7 दिनों के लिए भेजना है। लॉन्च व्हीकल GSLV Mk-III (अब LVM3) ही है। व्योममित्र एक रोबोट एस्ट्रोनॉट है जिसे मानव रहित मिशन में भेजा जाएगा।
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प्रश्न 2: भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हालिया सुधारों के संदर्भ में, ‘IN-SPACe’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- ISRO के वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण प्रदान करना।
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।
- निजी संस्थाओं को अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने के लिए अधिकृत और पर्यवेक्षण करना।
- भारत के लिए नए उपग्रहों का निर्माण करना।
उत्तर: c) निजी संस्थाओं को अंतरिक्ष गतिविधियों में भाग लेने के लिए अधिकृत और पर्यवेक्षण करना।
व्याख्या: IN-SPACe को निजी क्षेत्र के लिए अंतरिक्ष गतिविधियों में समान अवसर प्रदान करने और उन्हें ISRO की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए एक एकल-खिड़की नोडल एजेंसी के रूप में स्थापित किया गया है।
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प्रश्न 3: ‘लैग्रेंजियन बिंदु (Lagrangian Point) L1’ के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह एक ऐसा बिंदु है जहाँ दो बड़े खगोलीय पिंडों के गुरुत्वाकर्षण बल एक छोटे पिंड को स्थिर स्थिति में रखते हैं।
- भारत का आदित्य-L1 मिशन इसी बिंदु पर स्थापित किया जाएगा।
- सूर्य-पृथ्वी प्रणाली में ऐसे केवल तीन लैग्रेंजियन बिंदु मौजूद हैं।
उपरोक्त कथनों में से कितने सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई नहीं
उत्तर: b) केवल दो
व्याख्या: कथन 1 और 2 सही हैं। सूर्य-पृथ्वी प्रणाली में पांच लैग्रेंजियन बिंदु (L1, L2, L3, L4, L5) मौजूद हैं, न कि केवल तीन।
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प्रश्न 4: हाल ही में लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 मिशन के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
- भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट-लैंडिंग करने वाला पहला देश बन गया।
- इस मिशन में एक ऑर्बिटर, एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) शामिल था।
- मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर पानी-बर्फ की उपस्थिति की पुष्टि करना था।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: a) केवल 1
व्याख्या: कथन 1 सही है। कथन 2 गलत है क्योंकि चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर नहीं था, बल्कि यह चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर का उपयोग कर रहा था। कथन 3 गलत है क्योंकि पानी-बर्फ की पुष्टि चंद्रयान-1 का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य था; चंद्रयान-3 का प्राथमिक उद्देश्य सुरक्षित लैंडिंग और रोवर के संचालन का प्रदर्शन करना था।
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प्रश्न 5: ‘पुनः प्रयोज्य लॉन्च व्हीकल टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर (RLV-TD)’ का उद्देश्य क्या है?
- अंतरिक्ष पर्यटकों को अंतरिक्ष में ले जाना।
- अंतरिक्ष मिशनों की लागत को कम करना।
- सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मंच प्रदान करना।
- मंगल ग्रह पर नमूने एकत्र करना।
उत्तर: b) अंतरिक्ष मिशनों की लागत को कम करना।
व्याख्या: RLV-TD का मुख्य उद्देश्य लॉन्च वाहनों को पुनः प्रयोज्य बनाना है, जिससे प्रत्येक लॉन्च की लागत में भारी कमी आएगी, जैसे विमानों का पुनः उपयोग किया जाता है।
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प्रश्न 6: भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण के संदर्भ में, यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) किस देश में स्थित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- रूस
- फ्रांस
- जापान
उत्तर: b) रूस
व्याख्या: भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने गगनयान मिशन के लिए रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (GCTC) में बुनियादी प्रशिक्षण प्राप्त किया है।
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प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन-सा निकाय ISRO की वाणिज्यिक शाखा है और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत उत्पादित अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को उद्योगों में स्थानांतरित करने पर केंद्रित है?
- IN-SPACe
- भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe)
- न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL)
- अंतरिक्ष विभाग (DOS)
उत्तर: c) न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL)
व्याख्या: NSIL ISRO की वाणिज्यिक शाखा है जो अंतरिक्ष उत्पादों और सेवाओं को बाजार में लाने का कार्य करती है। IN-SPACe एक नियामक और प्रमोटर निकाय है।
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प्रश्न 8: ‘व्योममित्र’ नामक रोबोट के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह ISRO द्वारा विकसित एक मानवरहित रोबोट है।
- इसका उपयोग गगनयान मिशन की मानव रहित परीक्षण उड़ान में किया जाएगा।
- यह मानव अंतरिक्ष यात्रियों की तरह ही अंतरिक्ष यान के आंतरिक वातावरण में प्रतिक्रिया करने में सक्षम है।
उपरोक्त कथनों में से कितने सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई नहीं
उत्तर: c) सभी तीन
व्याख्या: व्योममित्र ISRO द्वारा विकसित एक हाफ-ह्यूमनॉइड रोबोट है जिसे गगनयान की मानव रहित परीक्षण उड़ानों में भेजा जाएगा ताकि अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जा सके। यह कुछ हद तक मानव गतिविधियों और प्रतिक्रियाओं की नकल कर सकती है।
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प्रश्न 9: भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
- अंतरिक्ष क्षेत्र में ISRO के एकाधिकार को मजबूत करना।
- विदेशी उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण पर प्रतिबंध लगाना।
- निजी क्षेत्र को उपग्रहों, लॉन्च व्हीकल्स और ग्राउंड सेगमेंट्स के विकास और संचालन में अधिक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- केवल सैन्य उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का विकास करना।
उत्तर: c) निजी क्षेत्र को उपग्रहों, लॉन्च व्हीकल्स और ग्राउंड सेगमेंट्स के विकास और संचालन में अधिक भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना।
व्याख्या: नई अंतरिक्ष नीति निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष गतिविधियों में अधिक भागीदारी के लिए बढ़ावा देती है, जिससे ISRO अनुसंधान और विकास पर अधिक ध्यान केंद्रित कर सके।
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प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन-सा कथन भारत के मंगलयान (Mars Orbiter Mission – MOM) के बारे में सही है?
- भारत मंगल ग्रह की कक्षा में सफलतापूर्वक अपना अंतरिक्ष यान स्थापित करने वाला दुनिया का पहला देश था।
- इसे PSLV रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था।
- इसका प्राथमिक उद्देश्य मंगल ग्रह पर जीवन के संकेतों की खोज करना था।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
- केवल 1
- केवल 2
- केवल 1 और 3
- कोई नहीं
उत्तर: b) केवल 2
व्याख्या: कथन 1 गलत है। भारत मंगल की कक्षा में सफल होने वाला दुनिया का चौथा देश था, लेकिन अपने पहले प्रयास में सफल होने वाला पहला एशियाई देश था। कथन 2 सही है, इसे PSLV-XL C25 द्वारा लॉन्च किया गया था। कथन 3 गलत है, इसका प्राथमिक उद्देश्य मंगल की सतह और वातावरण का अध्ययन करना था, न कि सीधे जीवन के संकेतों की खोज करना।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, गगनयान मिशन, के महत्व पर चर्चा कीजिए। इसके सफल कार्यान्वयन में आने वाली प्रमुख चुनौतियों और उनसे निपटने के लिए आवश्यक कदमों का विश्लेषण कीजिए।
- हाल के वर्षों में भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में हुए सुधारों ने निजी क्षेत्र की भागीदारी के लिए नए अवसर खोले हैं। इन सुधारों का विस्तार से विश्लेषण करें और बताएं कि वे भारत को वैश्विक अंतरिक्ष शक्ति के रूप में कैसे स्थापित कर सकते हैं।
- अंतरिक्ष अन्वेषण में नैतिक और सामाजिक निहितार्थों पर प्रकाश डालिए। अंतरिक्ष के सैन्यीकरण, अंतरिक्ष अपशिष्ट और अंतरिक्ष पर्यटन जैसे उभरते मुद्दों के समाधान के लिए भारत की क्या भूमिका हो सकती है?
- भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम ने किस प्रकार देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दिया है? ‘अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था’ की अवधारणा पर चर्चा करते हुए, इसके भविष्य की संभावनाओं का आकलन कीजिए।