टेस्ला मॉडल Y भारत में: 622 KM की रेंज के साथ इलेक्ट्रिक क्रांति की नई लहर का आगाज!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, और इस बढ़ती हुई लहर को एक और बड़ा प्रोत्साहन मिला है। दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित इलेक्ट्रिक कार निर्माता, टेस्ला ने अपनी बहुप्रतीक्षित मॉडल Y को भारतीय बाजार में लॉन्च कर दिया है। 622 किलोमीटर की प्रभावशाली रेंज और दमदार विशेषताओं के साथ, यह लॉन्च भारतीय ऑटोमोटिव उद्योग में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे जैसे प्रमुख शहरों में बुकिंग शुरू होने के साथ ही, टेस्ला एक बार फिर भारत के इलेक्ट्रिक मोबिलिटी परिदृश्य में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए तैयार है। यह सिर्फ एक कार का लॉन्च नहीं है, बल्कि भारत के ऊर्जा संक्रमण, आत्मनिर्भरता के लक्ष्य और वैश्विक ईवी दौड़ में उसकी स्थिति को भी प्रभावित करने वाला एक घटनाक्रम है।
टेस्ला मॉडल Y: क्या है इसकी खासियतें और यह कैसे बदल सकती है गेम?
टेस्ला मॉडल Y, जिसे अक्सर ‘एसयूवी ऑन स्टेरॉयड’ कहा जाता है, अपने डिजाइन, प्रदर्शन और अत्याधुनिक तकनीक का एक बेहतरीन मिश्रण है। यह सिर्फ एक इलेक्ट्रिक कार नहीं, बल्कि भविष्य की गतिशीलता का प्रतीक है।
तकनीकी विशिष्टताएँ और प्रदर्शन:
- लंबी रेंज: मॉडल Y की सबसे बड़ी खासियत इसकी 622 किलोमीटर (WLTP प्रमाणित) की प्रभावशाली रेंज है। यह रेंज ‘रेंज एंजाइटी’ (चार्ज खत्म होने का डर) को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे लंबी यात्राओं के लिए भी इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग आसान हो जाएगा।
- दमदार त्वरण: यह कार सिर्फ रेंज में ही नहीं, बल्कि रफ्तार में भी लाजवाब है। मॉडल Y महज 5 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है, जो इसे एक स्पोर्टी ड्राइविंग अनुभव प्रदान करती है।
- उच्चतम गति: इसकी टॉप स्पीड 217 किलोमीटर प्रति घंटा है, जो भारतीय सड़कों के लिए पर्याप्त से कहीं अधिक है।
- बैटरी और मोटर: टेस्ला अपनी उन्नत बैटरी तकनीक और कुशल इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए जानी जाती है, जो मॉडल Y को बेहतरीन परफॉर्मेंस और दक्षता प्रदान करती है। इसमें विभिन्न बैटरी पैक विकल्प और सिंगल मोटर रियर-व्हील ड्राइव (RWD) के साथ-साथ डुअल मोटर ऑल-व्हील ड्राइव (AWD) वेरिएंट भी उपलब्ध हो सकते हैं।
डिजाइन और सुरक्षा:
- पैनोरमिक ग्लास रूफ: मॉडल Y की विशाल पैनोरमिक ग्लास रूफ कार के केबिन को एक खुला और हवादार अनुभव देती है, जिससे यात्रियों को यात्रा का आनंद लेने का मौका मिलता है।
- न्यूनतम इंटीरियर: टेस्ला के सिग्नेचर न्यूनतमवादी (minimalist) इंटीरियर में एक बड़ा केंद्रीय टचस्क्रीन डिस्प्ले होता है जो कार के अधिकांश कार्यों को नियंत्रित करता है। यह ड्राइवर को एक सहज और अव्यवस्था-मुक्त अनुभव प्रदान करता है।
- स्पेस और उपयोगिता: यह एक 5-सीटर एसयूवी है जो पर्याप्त लेगरूम और बूट स्पेस प्रदान करती है, जिससे यह परिवारों और लंबी यात्राओं के लिए उपयुक्त है।
- विश्व स्तरीय सुरक्षा: टेस्ला अपनी कारों में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। मॉडल Y में उन्नत ड्राइवर-सहायता प्रणालियाँ (ADAS) जैसे ऑटोपायलट, ऑटोमेटिक इमरजेंसी ब्रेकिंग, लेन-कीपिंग असिस्ट आदि शामिल हैं, जो इसे दुनिया की सबसे सुरक्षित कारों में से एक बनाते हैं। इसे वैश्विक सुरक्षा रेटिंग में उच्चतम अंक प्राप्त हुए हैं।
चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर:
टेस्ला अपने खुद के ‘सुपरचार्जर’ नेटवर्क के लिए जानी जाती है, जो दुनिया के सबसे तेज चार्जिंग स्टेशनों में से एक हैं। भारत में टेस्ला के सफल विस्तार के लिए इस नेटवर्क का विकास महत्वपूर्ण होगा। कंपनी को भारत में अपने सुपरचार्जर स्टेशन स्थापित करने की भी आवश्यकता होगी, जो भारतीय ईवी चार्जिंग मानकों के साथ-साथ अपने स्वयं के मानकों के अनुकूल होने चाहिए। यह भारतीय ईवी पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों हो सकता है।
भारत के EV बाज़ार में टेस्ला का प्रवेश: एक व्यापक परिप्रेक्ष्य
टेस्ला का भारतीय बाजार में प्रवेश सिर्फ एक कार के लॉन्च से कहीं अधिक है; यह भारत के व्यापक इलेक्ट्रिक वाहन पारिस्थितिकी तंत्र, सरकारी नीतियों और ऊर्जा सुरक्षा लक्ष्यों के साथ गहरा संबंध रखता है।
टेस्ला की भारत यात्रा: अतीत से वर्तमान तक
टेस्ला ने भारत में प्रवेश की कई बार कोशिश की है। पहले, कंपनी ने अपनी कारों को पूरी तरह से निर्मित इकाई (CBU) के रूप में आयात करने की अनुमति मांगी थी, जिस पर भारत सरकार ने भारी आयात शुल्क (60-100%) लगाने का रुख अपनाया था। सरकार का जोर था कि टेस्ला भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करे, ताकि ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को बल मिल सके। लंबी वार्ताओं और गतिरोध के बाद, टेस्ला ने अब भारत में अपनी विनिर्माण इकाई स्थापित करने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसके बाद सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए नई नीति पेश की है, जो कुछ शर्तों के साथ कम आयात शुल्क की अनुमति देती है। यह एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव है जिसने टेस्ला के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बाजार की वर्तमान स्थिति:
भारत का ईवी बाजार तेजी से बढ़ रहा है। सरकार के सक्रिय समर्थन, बढ़ती जागरूकता और अनुकूल नीतियों ने इस क्षेत्र को गति प्रदान की है।
- सरकारी नीतियां: ‘फास्टर अडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स’ (FAME) योजना, विशेष रूप से FAME-II, इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर सब्सिडी प्रदान करती है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना भी उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी निर्माण और ऑटोमोटिव घटकों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है।
- बाजार का आकार: दोपहिया और तिपहिया सेगमेंट ईवी अपनाने में अग्रणी हैं, जबकि चार-पहिया सेगमेंट भी धीरे-धीरे गति पकड़ रहा है। टाटा मोटर्स वर्तमान में भारतीय ईवी कार बाजार में सबसे बड़ी खिलाड़ी है, जिसके पास नेक्सॉन ईवी और टियागो ईवी जैसे लोकप्रिय मॉडल हैं। महिंद्रा, हुंडई, एमजी मोटर, बीवाईडी और सिट्रोएन जैसे अन्य खिलाड़ी भी सक्रिय हैं।
- चुनौतियाँ: उच्च प्रारंभिक लागत, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी, बैटरी प्रौद्योगिकी की कीमतें और ‘रेंज एंजाइटी’ अभी भी ईवी अपनाने में प्रमुख बाधाएँ हैं।
टेस्ला मॉडल Y का भारतीय बाजार पर संभावित प्रभाव:
टेस्ला का प्रवेश भारतीय ईवी बाजार के लिए कई तरह से ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है:
- प्रतिस्पर्धा में वृद्धि: टेस्ला की एंट्री स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय निर्माताओं को अपनी तकनीक, रेंज और फीचर्स में सुधार करने के लिए मजबूर करेगी। यह भारतीय ईवी उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प और बेहतर गुणवत्ता लाएगा।
- प्रीमियम सेगमेंट का विस्तार: टेस्ला मॉडल Y, अपने प्रीमियम ब्रांड इमेज और उच्च प्रदर्शन के साथ, भारत में लक्जरी ईवी सेगमेंट को बढ़ावा देगी। यह अन्य वैश्विक प्रीमियम ईवी निर्माताओं को भी भारत में निवेश करने के लिए आकर्षित कर सकता है।
- तकनीकी उन्नति: टेस्ला की उन्नत बैटरी प्रबंधन प्रणाली, सॉफ्टवेयर और स्वायत्त ड्राइविंग क्षमताओं से भारतीय निर्माताओं को सीखने और नवाचार करने का अवसर मिलेगा।
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर पर जोर: टेस्ला का अपना सुपरचार्जर नेटवर्क स्थापित करने का प्रयास भारत में कुल चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास को गति दे सकता है, भले ही यह टेस्ला-विशिष्ट हो। यह अन्य खिलाड़ियों को भी अपने नेटवर्क का विस्तार करने के लिए प्रेरित करेगा।
- एफडीआई और रोजगार सृजन: टेस्ला द्वारा भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित करने से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) बढ़ेगा और उच्च-कौशल वाले रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- उपभोक्ता धारणा में बदलाव: टेस्ला ब्रांड की विश्वसनीयता और वैश्विक ख्याति भारतीय उपभोक्ताओं के बीच इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति विश्वास बढ़ाएगी, जिससे समग्र रूप से ईवी को अपनाने में तेजी आएगी।
“टेस्ला का भारत में प्रवेश सिर्फ एक कार का आगमन नहीं, बल्कि इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति राष्ट्रीय मानसिकता में बदलाव का एक उत्प्रेरक है।”
सरकार की नीतियां और टेस्ला का भारत में भविष्य
टेस्ला का भारत में सफल संचालन काफी हद तक भारत सरकार की नीतियों और टेस्ला की इन नीतियों के अनुकूल होने की क्षमता पर निर्भर करेगा।
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा: ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’
भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य देश में विनिर्माण को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से ऐसे महत्वपूर्ण और भविष्योन्मुखी क्षेत्रों में जैसे इलेक्ट्रिक वाहन। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियानों का लक्ष्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना और आयात पर निर्भरता कम करना है।
नियमतः, भारत में आयातित कारों पर भारी शुल्क लगता है ताकि स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिले। सरकार ने टेस्ला जैसी कंपनियों से भारत में विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने या कम से कम स्थानीयकरण (localization) को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। नई ईवी नीति, जो कम आयात शुल्क की अनुमति देती है यदि कंपनी भारत में विनिर्माण में पर्याप्त निवेश करती है, इसी दिशा में एक कदम है।
कस्टम ड्यूटी में रियायत की मांग और सरकार का रुख:
पहले टेस्ला ने भारत में अपने वाहनों के आयात पर कस्टम ड्यूटी में कमी की मांग की थी। सरकार ने इसे अस्वीकार कर दिया था, यह तर्क देते हुए कि इससे स्थानीय निर्माताओं को नुकसान होगा और मेक इन इंडिया के लक्ष्य कमजोर होंगे। हालांकि, हाल ही में सरकार ने एक नई नीति पेश की है:
यह नीति उन कंपनियों को कम आयात शुल्क (15% से 35% तक, वाहन के मूल्य के आधार पर) का लाभ उठाने की अनुमति देती है जो भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर (लगभग 4,150 करोड़ रुपये) का निवेश करती हैं और 3 साल के भीतर उत्पादन शुरू करती हैं, साथ ही 5 साल के भीतर स्थानीयकरण के लक्ष्य को भी प्राप्त करती हैं। यह नीति स्पष्ट रूप से टेस्ला जैसी कंपनियों के लिए ही डिजाइन की गई प्रतीत होती है, जो भारत में एक बड़ा निवेश करने को तैयार हैं।
टेस्ला के लिए चुनौतियाँ:
हालांकि टेस्ला का भारत में प्रवेश रोमांचक है, लेकिन उसे कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा:
- उच्च प्रारंभिक लागत: टेस्ला के वाहन वैश्विक स्तर पर प्रीमियम सेगमेंट में आते हैं। भारतीय बाजार में, जहां कीमत एक महत्वपूर्ण निर्णायक कारक है, मॉडल Y की उच्च प्रारंभिक लागत एक चुनौती हो सकती है, भले ही इसे स्थानीय रूप से निर्मित किया जाए।
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास: टेस्ला को अपने मालिकाना सुपरचार्जर नेटवर्क को भारत में व्यापक रूप से विकसित करना होगा। जबकि अन्य चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं, टेस्ला के मालिक आमतौर पर अपने खुद के नेटवर्क को पसंद करते हैं। इस विशाल नेटवर्क को स्थापित करने में समय और भारी निवेश लगेगा।
- स्थानीय प्रतिस्पर्धा: टाटा मोटर्स, महिंद्रा, एमजी और हुंडई जैसे खिलाड़ी पहले से ही स्थापित हैं और उन्होंने भारतीय उपभोक्ता की जरूरतों के अनुसार उत्पाद विकसित किए हैं। टेस्ला को इन स्थानीय रूप से विकसित और अक्सर अधिक किफायती विकल्पों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।
- सेवा नेटवर्क और स्पेयर पार्ट्स: भारत जैसे बड़े और भौगोलिक रूप से विविध देश में एक मजबूत बिक्री और सेवा नेटवर्क स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है। स्पेयर पार्ट्स की उपलब्धता और रखरखाव की लागत भी महत्वपूर्ण कारक होंगे।
- स्थानीयकरण और आपूर्ति श्रृंखला: 5 साल के भीतर 50% स्थानीयकरण के लक्ष्य को प्राप्त करना एक जटिल प्रक्रिया होगी, जिसके लिए मजबूत स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला विकसित करनी होगी।
- ग्राउंड क्लीयरेंस और सड़क की स्थिति: भारतीय सड़कों की अनूठी स्थिति (स्पीड ब्रेकर, गड्ढे) को देखते हुए, वाहनों का ग्राउंड क्लीयरेंस एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। टेस्ला को अपने वाहनों को भारतीय परिस्थितियों के अनुकूल बनाना पड़ सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्रांति और भारत का ऊर्जा संक्रमण
टेस्ला मॉडल Y का लॉन्च भारत की व्यापक इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति और उसके ऊर्जा संक्रमण लक्ष्यों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सिर्फ ऑटोमोबाइल उद्योग से परे, राष्ट्रव्यापी प्रभाव डालता है।
पर्यावरण लाभ:
- कार्बन उत्सर्जन में कमी: इलेक्ट्रिक वाहन शून्य टेलपाइप उत्सर्जन करते हैं, जिससे वायु प्रदूषण (विशेषकर PM2.5 और NOx जैसे हानिकारक कणों) में कमी आती है। यह शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
- जलवायु परिवर्तन शमन: परिवहन क्षेत्र ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का एक प्रमुख स्रोत है। ईवी को अपनाने से CO2 उत्सर्जन में कमी आती है, जो भारत के जलवायु परिवर्तन शमन प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है।
- नवीकरणीय ऊर्जा का एकीकरण: यदि ईवी को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (सौर, पवन) से चार्ज किया जाता है, तो उनके पर्यावरणीय लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं, जिससे “वेल-टू-व्हील” उत्सर्जन काफी कम हो जाता है।
ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक लाभ:
- जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता में कमी: भारत अपनी कच्चे तेल की जरूरतों का लगभग 85% आयात करता है, जिससे विदेशी मुद्रा का भारी बहिर्वाह होता है और ऊर्जा सुरक्षा पर दबाव पड़ता है। ईवी आयातित तेल पर निर्भरता कम करके देश को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद करते हैं।
- आर्थिक प्रोत्साहन: ईवी विनिर्माण, बैटरी उत्पादन, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर और संबंधित सेवाओं में निवेश से नए उद्योग और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
- बैलेंस ऑफ पेमेंट पर सकारात्मक प्रभाव: कच्चे तेल के आयात में कमी से देश के चालू खाता घाटे (CAD) को कम करने में मदद मिलेगी।
चुनौतियाँ और आगे की राह:
हालांकि ईवी क्रांति के फायदे स्पष्ट हैं, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- बिजली उत्पादन का स्रोत: भारत में बिजली का एक बड़ा हिस्सा अभी भी कोयले से उत्पन्न होता है। जब तक बिजली ग्रिड में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा नहीं बढ़ता, तब तक ईवी के “वेल-टू-व्हील” उत्सर्जन को पूरी तरह से कम नहीं किया जा सकता।
- बैटरी निपटान और पुनर्चक्रण: ईवी बैटरियों का उचित निपटान और पुनर्चक्रण एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती है। इसके लिए एक मजबूत नीति और बुनियादी ढांचा विकसित करना होगा।
- कच्चे माल की उपलब्धता: लिथियम, कोबाल्ट, निकल जैसे महत्वपूर्ण बैटरी खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला सुनिश्चित करना और उनकी भू-राजनीतिक चुनौतियों का सामना करना आवश्यक है।
- तकनीकी उन्नयन और मानकीकरण: बैटरी प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है। भारत को नवीनतम तकनीकों को अपनाने और चार्जिंग मानकों का राष्ट्रीय मानकीकरण करने की आवश्यकता है।
आगे की राह (Way Forward)
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को पूरी क्षमता तक पहुंचाने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:
- समग्र नीति ढांचा: सरकार को एक दीर्घकालिक और स्थिर ईवी नीति बनानी चाहिए जिसमें अनुसंधान और विकास, विनिर्माण प्रोत्साहन, उपभोक्ता सब्सिडी और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास शामिल हो। इसमें बैटरी रीसाइक्लिंग और डिस्पोजल नीतियां भी शामिल होनी चाहिए।
- किफायती ईवी पर जोर: मास मार्केट अपनाने के लिए किफायती इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी तकनीक पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है। स्थानीय अनुसंधान और विकास (R&D) में निवेश आवश्यक है।
- चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार: सार्वजनिक और निजी चार्जिंग स्टेशनों का व्यापक और विश्वसनीय नेटवर्क स्थापित करना सर्वोपरि है। इसमें राजमार्गों, शहरी केंद्रों और आवासीय क्षेत्रों को शामिल करना चाहिए।
- कौशल विकास: ईवी विनिर्माण, रखरखाव और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना होगा।
- बैटरी प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता: उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए PLI जैसी योजनाओं को और मजबूत करना चाहिए। साथ ही, वैकल्पिक बैटरी तकनीकों पर भी शोध को बढ़ावा देना चाहिए।
- जन जागरूकता और धारणा में बदलाव: इलेक्ट्रिक वाहनों के लाभों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और ‘रेंज एंजाइटी’ जैसी चिंताओं को दूर करना महत्वपूर्ण है। टेस्ट ड्राइव और अनुभव-केंद्रित अभियानों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
“भारत के इलेक्ट्रिक वाहन बाजार का भविष्य नवाचार, बुनियादी ढांचे और नीतिगत समर्थन के एक गतिशील संगम पर निर्भर करता है।”
निष्कर्ष (Conclusion)
टेस्ला मॉडल Y का भारत में लॉन्च एक महत्वपूर्ण घटना है, जो भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगी और उपभोक्ताओं को प्रीमियम इलेक्ट्रिक वाहन का विकल्प प्रदान करेगी। यह ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे सरकारी कार्यक्रमों के लिए भी एक परीक्षा है कि क्या हम वैश्विक दिग्गजों को आकर्षित कर सकते हैं और उन्हें स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र में सफलतापूर्वक एकीकृत कर सकते हैं। टेस्ला के प्रवेश से इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जनधारणा में सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे देश में ईवी अपनाने की गति और तेज होगी। हालांकि, भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सिर्फ एक ब्रांड पर निर्भर रहने के बजाय, एक मजबूत घरेलू ईवी पारिस्थितिकी तंत्र और व्यापक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जारी रखना होगा। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें टेस्ला एक नया और महत्वपूर्ण अध्याय जोड़ रही है, जो भारत को एक स्वच्छ, हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर ले जाने में सहायक होगी।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
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निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- FAME-II योजना का मुख्य उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहन देना है।
- उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना वर्तमान में केवल इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए उपलब्ध है, न कि बैटरी निर्माताओं के लिए।
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग के लिए कोई राष्ट्रीय मानकीकृत प्रोटोकॉल नहीं है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II
(c) केवल I
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
व्याख्या:- कथन I सही है। FAME-II (Faster Adoption and Manufacturing of Electric Vehicles) योजना का उद्देश्य भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उनके विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- कथन II गलत है। PLI योजना इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ-साथ उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी निर्माण को भी प्रोत्साहन देती है।
- कथन III गलत है। भारत में चार्जिंग के लिए मानकीकृत प्रोटोकॉल हैं, जैसे कि CCS2 (Combined Charging System 2) और Bharat EV Charger (AC-001 और DC-001)।
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भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात शुल्क में हालिया बदलावों के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) नई नीति सभी आयातित इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात शुल्क को 5% तक कम करती है।
(b) यह नीति उन कंपनियों को कम शुल्क का लाभ देती है जो भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करती हैं और 3 साल के भीतर उत्पादन शुरू करती हैं।
(c) इस नीति का मुख्य उद्देश्य स्थानीय ईवी निर्माताओं को सीधे सब्सिडी प्रदान करना है।
(d) यह नीति टेस्ला जैसी विशिष्ट कंपनियों के लिए नहीं, बल्कि केवल छोटे पैमाने के ईवी आयातकों के लिए है।
उत्तर: (b)
व्याख्या:- नई नीति उन कंपनियों को कम आयात शुल्क (15% से 35%) का लाभ देती है जो भारत में कम से कम 500 मिलियन डॉलर का निवेश करती हैं, 3 साल के भीतर उत्पादन शुरू करती हैं और 5 साल के भीतर स्थानीयकरण के लक्ष्य को प्राप्त करती हैं। अन्य विकल्प गलत हैं।
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लिथियम-आयन बैटरी के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- ये बैटरियां अपनी उच्च ऊर्जा घनत्व (energy density) के लिए जानी जाती हैं।
- इन्हें ‘मेमोरी प्रभाव’ (memory effect) का अनुभव होता है, जिससे उनकी क्षमता समय के साथ कम हो जाती है।
- इनके निर्माण में लिथियम और कोबाल्ट जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग होता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या:- कथन I सही है। लिथियम-आयन बैटरियां अपनी उच्च ऊर्जा घनत्व के लिए प्रसिद्ध हैं, जो उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों और पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए आदर्श बनाती हैं।
- कथन II गलत है। लिथियम-आयन बैटरियों को ‘मेमोरी प्रभाव’ का अनुभव नहीं होता है। यह निकेल-कैडमियम (NiCd) जैसी पुरानी बैटरी तकनीकों से जुड़ा एक मुद्दा था।
- कथन III सही है। लिथियम-आयन बैटरियों के निर्माण में लिथियम, कोबाल्ट, निकल और मैंगनीज जैसे महत्वपूर्ण खनिजों का उपयोग होता है।
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इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में, ‘रेंज एंजाइटी’ शब्द से क्या अभिप्राय है?
(a) वाहन में बैटरी की अत्यधिक गर्मी पैदा होने की चिंता।
(b) इलेक्ट्रिक वाहन के मालिकों द्वारा पर्याप्त चार्जिंग स्टेशनों की अनुपलब्धता का डर।
(c) इलेक्ट्रिक वाहन की उच्च प्रारंभिक लागत को लेकर उपभोक्ताओं की चिंता।
(d) इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण के बारे में चिंता।
उत्तर: (b)
व्याख्या:- ‘रेंज एंजाइटी’ इलेक्ट्रिक वाहन चालकों या संभावित खरीदारों का एक मनोवैज्ञानिक डर है कि उनकी बैटरी चार्ज खत्म होने से पहले गंतव्य तक पहुंचने या चार्जिंग स्टेशन खोजने के लिए पर्याप्त रेंज नहीं होगी।
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भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने से होने वाले संभावित लाभों के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सबसे उपयुक्त है?
(a) यह मुख्य रूप से केवल शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को कम करेगा।
(b) यह आयातित कच्चे तेल पर भारत की निर्भरता को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।
(c) यह कार्बन उत्सर्जन को कम करके ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान देगा।
(d) यह केवल उच्च-आय वर्ग के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा।
उत्तर: (c)
व्याख्या:- विकल्प (c) सबसे उपयुक्त है। ईवी कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन शमन में मदद मिलती है, और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करके ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होता है। विकल्प (a) आंशिक रूप से सही है लेकिन पूर्ण नहीं; (b) अतिशयोक्तिपूर्ण है क्योंकि अन्य क्षेत्रों में भी तेल का उपयोग होता है; (d) रोजगार सभी स्तरों पर पैदा होंगे।
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टेस्ला मॉडल Y की एक प्रमुख विशेषता इसकी ‘पैनोरमिक ग्लास रूफ’ है। यह सुविधा मुख्य रूप से किस उद्देश्य को पूरा करती है?
(a) वाहन के वजन को कम करने के लिए।
(b) यात्रियों को बेहतर दृश्यता और केबिन को अधिक खुला महसूस कराने के लिए।
(c) सौर ऊर्जा का उपयोग करके बैटरी चार्ज करने के लिए।
(d) वाहन की एयरोडायनामिक दक्षता बढ़ाने के लिए।
उत्तर: (b)
व्याख्या:- पैनोरमिक ग्लास रूफ मुख्य रूप से यात्रियों को एक विशाल और खुलेपन का अनुभव प्रदान करती है, जिससे केबिन में अधिक प्राकृतिक प्रकाश आता है और बाहरी दृश्यों का बेहतर आनंद लिया जा सकता है। यह वाहन के सौंदर्य और अनुभव को बढ़ाता है।
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भारत में ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में ‘सार्वजनिक-निजी भागीदारी’ (PPP) क्यों महत्वपूर्ण है?
(a) यह पूरी तरह से सरकारी सब्सिडी पर निर्भरता को कम करता है।
(b) यह निजी क्षेत्र को नवाचार और दक्षता लाने में मदद करता है।
(c) यह त्वरित और बड़े पैमाने पर तैनाती सुनिश्चित करता है।
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर: (d)
व्याख्या:- सार्वजनिक-निजी भागीदारी सरकारी सब्सिडी पर निर्भरता कम करने, निजी क्षेत्र की नवाचार और दक्षता का लाभ उठाने, और चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की त्वरित और बड़े पैमाने पर तैनाती सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसलिए, उपरोक्त सभी कथन सही हैं।
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इलेक्ट्रिक वाहनों के संदर्भ में ‘वेल-टू-व्हील’ उत्सर्जन का क्या अर्थ है?
(a) केवल वाहन के चलने पर होने वाला उत्सर्जन।
(b) ईंधन के उत्पादन से लेकर वाहन द्वारा उसके उपभोग तक का कुल उत्सर्जन।
(c) बैटरी निर्माण से लेकर उसके निपटान तक का कुल उत्सर्जन।
(d) वाहन के निर्माण में उपयोग होने वाले कच्चे माल के उत्पादन से संबंधित उत्सर्जन।
उत्तर: (b)
व्याख्या:- ‘वेल-टू-व्हील’ उत्सर्जन एक समग्र माप है जिसमें ईंधन या बिजली के उत्पादन, परिवहन और वितरण से लेकर वाहन द्वारा उसके उपभोग तक का कुल उत्सर्जन शामिल होता है। यह सिर्फ ‘टेलपाइप’ उत्सर्जन से अधिक व्यापक होता है।
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भारत में ईवी अपनाने में मुख्य चुनौतियों में से एक ‘हाई इनिशियल कॉस्ट’ है। इस समस्या को हल करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा कदम सबसे प्रभावी हो सकता है?
(a) केवल प्रीमियम ईवी मॉडल को बढ़ावा देना।
(b) बैटरी लीजिंग मॉडल और बेहतर वित्तपोषण विकल्प प्रदान करना।
(c) आयातित ईवी पर कस्टम ड्यूटी में पूरी तरह से छूट देना।
(d) पेट्रोल/डीजल वाहनों पर सब्सिडी बढ़ाना।
उत्तर: (b)
व्याख्या:- बैटरी लीजिंग मॉडल (जहां बैटरी की लागत वाहन की खरीद लागत से अलग कर दी जाती है) और आकर्षक वित्तपोषण विकल्प ईवी को अधिक किफायती बना सकते हैं, जिससे उच्च प्रारंभिक लागत का बोझ कम होता है। अन्य विकल्प या तो अप्रभावी हैं या समस्या को हल नहीं करते।
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टेस्ला मॉडल Y के भारतीय शहरों में बुकिंग शुरू होने के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा शहर वर्तमान में इस सूची में शामिल नहीं है?
(a) मुंबई
(b) बेंगलुरु
(c) कोलकाता
(d) दिल्ली-एनसीआर
उत्तर: (c)
व्याख्या:- लेख में उल्लिखित शहरों में मुंबई, दिल्ली-एनसीआर, बेंगलुरु, अहमदाबाद और पुणे शामिल हैं। कोलकाता का उल्लेख नहीं किया गया है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
- “टेस्ला मॉडल Y का भारत में प्रवेश भारतीय इलेक्ट्रिक वाहन बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है।” टिप्पणी कीजिए। साथ ही, टेस्ला के लिए भारत में सफल होने की राह में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हो सकती हैं, विस्तार से विश्लेषण करें।
- भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल के संदर्भ में, इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण को बढ़ावा देने वाली नीतियों की आलोचनात्मक चर्चा करें। टेस्ला जैसी वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने और घरेलू विनिर्माण को सशक्त बनाने के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है?
- इलेक्ट्रिक वाहन ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए भारत के लक्ष्यों में कैसे योगदान करते हैं? इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में मौजूदा बाधाओं और आगे की राह पर प्रकाश डालें।
- भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को बड़े पैमाने पर अपनाने के लिए चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास क्यों महत्वपूर्ण है? इस संबंध में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की भूमिकाओं पर चर्चा करें और एक मजबूत चार्जिंग नेटवर्क बनाने के लिए आवश्यक कदमों का सुझाव दें।