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गाजा पट्टी: इतिहास, संघर्ष और भविष्य – UPSC के लिए 360° कवरेज

गाजा पट्टी: इतिहास, संघर्ष और भविष्य – UPSC के लिए 360° कवरेज

चर्चा में क्यों? (Why in News?): “Gaza: The Tragedy of an Oppressed Nation” शीर्षक के संदर्भ में, गाजा पट्टी हाल के महीनों में एक गंभीर मानवीय संकट और निरंतर संघर्ष का केंद्र बनी हुई है। इजरायल और हमास के बीच चल रहा गतिरोध, जिसमें हजारों नागरिक हताहत हुए हैं और लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, ने वैश्विक ध्यान अपनी ओर खींचा है। यह विषय UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह GS पेपर I (इतिहास – विश्व इतिहास, प्रमुख घटनाएं), GS पेपर II (अंतर्राष्ट्रीय संबंध, अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं, भारत के हितों पर प्रभाव), GS पेपर III (आंतरिक सुरक्षा – क्षेत्रीय एवं वैश्विक सुरक्षा चुनौतियाँ) और GS पेपर IV (नीतिशास्त्र – युद्ध एवं संघर्ष के नैतिक आयाम, मानवीय संकट) से संबंधित है। यह न केवल एक भू-राजनीतिक मुद्दा है, बल्कि मानवाधिकारों, अंतर्राष्ट्रीय कानून और स्थायी शांति की तलाश से जुड़ा एक जटिल प्रकरण भी है।


गाजा: संघर्ष के विभिन्न आयामों का विस्तृत विश्लेषण

विषय का परिचय

गाजा पट्टी भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा सा लेकिन घना आबादी वाला क्षेत्र है। लगभग 365 वर्ग किलोमीटर (दिल्ली के एक छोटे से जिले के बराबर) में फैला यह क्षेत्र दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले स्थानों में से एक है, जहाँ 2 मिलियन से अधिक लोग निवास करते हैं। यह पश्चिम में भूमध्य सागर, पूर्व और उत्तर में इजरायल और दक्षिण-पश्चिम में मिस्र से घिरा हुआ है। ऐतिहासिक रूप से यह व्यापार मार्गों का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, लेकिन आधुनिक इतिहास में यह फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष के सबसे ज्वलंत प्रतीकों में से एक बन गया है। गाजा को अक्सर “खुली हवा वाली जेल” (open-air prison) के रूप में वर्णित किया जाता है, क्योंकि 2007 से इजरायल और मिस्र द्वारा लगाई गई कड़ी नाकेबंदी ने इसके निवासियों के लिए आवाजाही और वस्तुओं की आपूर्ति को अत्यधिक सीमित कर दिया है। यह स्थिति इसे मानवीय संकटों और आर्थिक तंगी का एक स्थायी अड्डा बनाए हुए है, जिससे यहां के लोग एक अनिश्चित भविष्य के साथ जी रहे हैं।

गाजा संघर्ष: प्रमुख प्रावधान और मुख्य बिंदु

गाजा की कहानी को समझने के लिए इसके जटिल ऐतिहासिक विकास और वर्तमान भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को गहराई से जानना आवश्यक है।

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: एक लंबी और दर्दनाक गाथा

    • ओटोमन साम्राज्य का शासन (16वीं सदी – 1917): सदियों तक गाजा ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा रहा। इस दौरान यह एक महत्वपूर्ण कृषि और व्यापारिक केंद्र बना रहा, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों के लोग सह-अस्तित्व में थे।
    • ब्रिटिश मैंडेट (1917-1948): प्रथम विश्व युद्ध के बाद, ओटोमन साम्राज्य के पतन के साथ, गाजा सहित फिलिस्तीन का क्षेत्र ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया, जिसे लीग ऑफ नेशंस द्वारा ‘मैंडेट’ दिया गया था। इसी अवधि में बालफोर घोषणा (1917) जारी की गई, जिसने फिलिस्तीन में यहूदियों के लिए एक ‘राष्ट्रीय घर’ की स्थापना का समर्थन किया, जिससे यहूदी आप्रवासन में वृद्धि हुई और अरब-यहूदी तनावों की नींव पड़ी।
    • 1948 का अरब-इजरायल युद्ध और ‘नक्बा’: 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने फिलिस्तीन को अरब और यहूदी राज्यों में विभाजित करने की योजना प्रस्तुत की, जिसे अरब देशों ने अस्वीकार कर दिया। 1948 में इजरायल की स्थापना की घोषणा के बाद, पहला अरब-इजरायल युद्ध छिड़ गया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप गाजा पट्टी मिस्र के नियंत्रण में आ गई, जबकि वेस्ट बैंक जॉर्डन के नियंत्रण में चला गया। इस युद्ध के दौरान लाखों फिलिस्तीनी अपने घरों से विस्थापित हुए, जिसे फिलिस्तीनियों द्वारा ‘नक्बा’ (विपदा) के रूप में जाना जाता है। गाजा पट्टी शरणार्थियों से भर गई, जिससे इसकी आबादी और गरीबी की समस्या और बढ़ गई।
    • 1967 का छह-दिवसीय युद्ध और इजरायली कब्ज़ा: 1967 में, इजरायल ने छह-दिवसीय युद्ध में मिस्र, सीरिया और जॉर्डन को हराया। इस युद्ध के परिणामस्वरूप इजरायल ने गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, पूर्वी यरुशलम, गोलन हाइट्स और सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। गाजा तब से इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्र के रूप में बना हुआ है, जिसे अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत ‘अधिकारित क्षेत्र’ (occupied territory) माना जाता है।
    • ओस्लो समझौते (1990 के दशक) और फिलिस्तीनी प्राधिकरण का गठन: 1990 के दशक में, इजरायल और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के बीच ऐतिहासिक ओस्लो समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इन समझौतों ने गाजा और वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में सीमित फिलिस्तीनी स्वशासन के लिए फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) का गठन किया। इसका उद्देश्य एक स्थायी शांति समझौते की दिशा में काम करना था, जिसमें एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना भी शामिल थी। हालांकि, ये समझौते इजरायल के कब्जे को समाप्त करने और फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना के अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त करने में विफल रहे।
    • इजरायल का एकतरफा अलगाव (2005): 2005 में, इजरायल ने गाजा पट्टी से अपनी सेना और सभी यहूदी बस्तियों को एकतरफा रूप से हटा लिया। इसे ‘अलगाव’ (Disengagement) के रूप में जाना जाता है। इजरायल ने कहा कि यह कदम उसकी सुरक्षा को मजबूत करेगा और संघर्ष को कम करेगा। हालांकि, उसने गाजा की सीमाओं, हवाई क्षेत्र और समुद्री तट पर अपना नियंत्रण बनाए रखा, जिससे गाजा अभी भी कब्जे में रहा।
    • हमास का उदय और सत्ता पर कब्ज़ा (2006-2007): 2006 में, फिलिस्तीनी संसदीय चुनावों में इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन (हमास) ने आश्चर्यजनक रूप से जीत हासिल की, जिसने तब तक गाजा में सक्रिय फिलिस्तीनी प्राधिकरण के भीतर प्रमुख दल, फतह को पीछे छोड़ दिया। हमास की जीत को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और इजरायल ने स्वीकार नहीं किया। 2007 में, हमास और फतह के बीच हिंसक संघर्ष छिड़ गया, जिसके परिणामस्वरूप हमास ने गाजा पट्टी पर पूर्ण नियंत्रण कर लिया, जबकि फतह ने वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण का नियंत्रण बनाए रखा। इस आंतरिक विभाजन ने फिलिस्तीनी राष्ट्रवाद को कमजोर कर दिया।
    • गाजा की घेराबंदी (Blockade): हमास द्वारा गाजा पर नियंत्रण के जवाब में, इजरायल और मिस्र ने गाजा पर एक व्यापक भूमि, वायु और समुद्री नाकेबंदी लगा दी। इजरायल का तर्क है कि यह नाकेबंदी उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है ताकि हमास को हथियार और अन्य दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं को गाजा में प्रवेश करने से रोका जा सके। इस नाकेबंदी ने गाजा की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया है और मानवीय संकट को गहरा दिया है, जिससे भोजन, पानी, दवा और निर्माण सामग्री सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है।
    • हालिया संघर्ष और मानवीय संकट: अक्टूबर 2023 में हमास के इजरायल पर अचानक हमले के बाद, इजरायल ने गाजा में बड़े पैमाने पर सैन्य अभियान शुरू किया। इस संघर्ष ने गाजा में एक अभूतपूर्व मानवीय तबाही मचाई है, जिसमें हजारों नागरिक हताहत हुए हैं, लाखों लोग विस्थापित हुए हैं और गाजा का अधिकांश बुनियादी ढाँचा नष्ट हो गया है। संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न मानवीय संगठनों ने इसे एक ‘मानवीय नरसंहार’ और ‘अकल्पनीय त्रासदी’ बताया है।
  • गाजा की वर्तमान स्थिति: एक मानवीय त्रासदी

    • जनसांख्यिकी और घनत्व: गाजा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है, जहाँ प्रति वर्ग किलोमीटर 5,500 से अधिक लोग रहते हैं। इसकी आबादी का एक बड़ा हिस्सा युवा है।
    • शासन: गाजा पट्टी पर वर्तमान में हमास का शासन है, जिसे इजरायल, अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है।
    • आर्थिक स्थिति: नाकेबंदी और बार-बार के संघर्षों के कारण गाजा की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। बेरोजगारी दर 50% से अधिक है (विशेषकर युवाओं में), और गरीबी व्यापक है। आवश्यक वस्तुओं का आयात और निर्यात अत्यधिक प्रतिबंधित है।
    • मानवीय स्थिति: गाजा में मानवीय संकट गंभीर है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लगभग 80% आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है। स्वच्छ पानी, बिजली, सीवेज सिस्टम, स्वास्थ्य सुविधाओं और खाद्य सुरक्षा की कमी गंभीर है। हाल के संघर्षों ने इस संकट को कई गुना बढ़ा दिया है।
    • सुरक्षा परिदृश्य: इजरायल और हमास के बीच लगातार सैन्य संघर्ष होते रहते हैं। इजरायल अपनी सुरक्षा के लिए हमास के रॉकेट हमलों और सुरंगों को एक गंभीर खतरा मानता है, जबकि हमास फिलिस्तीनी प्रतिरोध और कब्जे से मुक्ति का दावा करता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय कानून और गाजा: जटिलता और विवाद

    • कब्ज़े वाला क्षेत्र (Occupied Territory): अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, गाजा पट्टी को अभी भी इजरायली कब्जे वाला क्षेत्र माना जाता है, भले ही 2005 में इजरायल ने अपनी सेना और बस्तियों को हटा लिया हो। यह इस तथ्य पर आधारित है कि इजरायल गाजा की सीमाओं, हवाई क्षेत्र और समुद्री तट पर प्रभावी नियंत्रण रखता है।
    • चौथे जिनेवा कन्वेंशन का अनुप्रयोग: एक कब्जे वाली शक्ति के रूप में, इजरायल पर चौथे जिनेवा कन्वेंशन के तहत कुछ दायित्व लागू होते हैं, जिसमें कब्जे वाले क्षेत्र के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और उन्हें आवश्यक वस्तुएं प्रदान करने में मदद करना शामिल है। मानवाधिकार संगठनों का तर्क है कि गाजा की नाकेबंदी और सैन्य अभियानों में अक्सर इन दायित्वों का उल्लंघन होता है।
    • मानवीय कानून का उल्लंघन: हाल के संघर्षों में, अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) और मानवाधिकार संगठनों ने इजरायल और हमास दोनों पर युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों के संभावित उल्लंघन का आरोप लगाया है, जिसमें नागरिकों को लक्षित करना, बुनियादी ढांचे को नष्ट करना और मानवीय सहायता को बाधित करना शामिल है।
    • आत्मनिर्णय का अधिकार: फिलिस्तीनी लोगों के पास अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत आत्मनिर्णय का अधिकार है, जिसमें अपना स्वतंत्र राज्य स्थापित करने का अधिकार भी शामिल है। यह अधिकार फिलिस्तीनी संघर्ष के मूल में है।

गाजा संघर्ष के विभिन्न आयाम और हित

इजरायल का दृष्टिकोण/सुरक्षा चिंताएं

इजरायल के लिए गाजा से उत्पन्न होने वाले खतरे उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के केंद्र में हैं। हमास द्वारा इजरायल के शहरों पर रॉकेट हमले, घुसपैठ के लिए सुरंगों का निर्माण और इजरायली नागरिकों का अपहरण, इजरायल को यह विश्वास दिलाते हैं कि गाजा से उत्पन्न खतरों को निष्क्रिय करना उसकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। इजरायल गाजा की नाकेबंदी को इन खतरों से निपटने के लिए एक आवश्यक सुरक्षा उपाय मानता है, जिसका उद्देश्य हमास की सैन्य क्षमताओं को सीमित करना और उसे हथियार और विस्फोटक सामग्री प्राप्त करने से रोकना है।

फिलिस्तीनी दृष्टिकोण/आत्मनिर्णय का अधिकार

फिलिस्तीनियों के लिए, गाजा इजरायल के कब्जे और उसके परिणामस्वरूप होने वाली मानवीय त्रासदी का प्रतीक है। वे आत्मनिर्णय के अधिकार, अपने स्वयं के स्वतंत्र राज्य की स्थापना और 1948 और 1967 के युद्धों में विस्थापित हुए शरणार्थियों की वापसी के अधिकार पर जोर देते हैं। गाजा के निवासी, जो दशकों से गरीबी, बेरोजगारी और हिंसा का सामना कर रहे हैं, नाकेबंदी को एक सामूहिक दंड और उनके मूल मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हैं।

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का दृष्टिकोण

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, जिसमें संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और विभिन्न मानवाधिकार संगठन शामिल हैं, गाजा में मानवीय संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। अधिकांश देश दो-राज्य समाधान का समर्थन करते हैं, जिसमें इजरायल के साथ-साथ एक स्वतंत्र, व्यवहार्य फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय मानवीय सहायता प्रदान करने, युद्धविराम का आह्वान करने और संघर्ष के स्थायी समाधान खोजने के लिए राजनयिक प्रयासों में संलग्न है। हालांकि, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया अक्सर विभाजित होती है, विभिन्न देशों के अपने भू-राजनीतिक हित और प्राथमिकताएं होती हैं।

चुनौतियाँ और आगे की राह

गाजा संघर्ष के समाधान में कई जटिल चुनौतियां निहित हैं, जिनमें से प्रत्येक एक स्थायी शांति की राह में एक महत्वपूर्ण बाधा है।

  • इजरायल-फिलिस्तीनी विश्वास की कमी: दशकों के संघर्ष और हिंसा ने दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास पैदा कर दिया है। इजरायल हमास पर विश्वास नहीं करता, जिसे वह एक आतंकवादी संगठन मानता है, जबकि फिलिस्तीनी इजरायल के शांतिपूर्ण इरादों पर संदेह करते हैं।
  • आंतरिक फिलिस्तीनी विभाजन: हमास (गाजा में) और फतह (वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण) के बीच का विभाजन फिलिस्तीनी राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करता है और एक एकीकृत फिलिस्तीनी राज्य की संभावनाओं को जटिल बनाता है।
  • गाजा की घेराबंदी का मानवीय प्रभाव: निरंतर घेराबंदी ने गाजा को एक मानवीय संकट में धकेल दिया है, जिससे लाखों लोग गरीबी, बीमारी और आवश्यक सेवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। यह एक विस्फोटक स्थिति पैदा करता है जो संघर्ष को और भड़का सकती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की भूमिका की सीमाएं: यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय संघर्ष को हल करने का प्रयास करता है, इसकी प्रभावशीलता अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो शक्तियों, विभिन्न देशों के हितों और समाधानों के लिए सर्वसम्मति की कमी से बाधित होती है।
  • दो-राज्य समाधान की व्यवहार्यता: इजरायली बस्तियों के विस्तार, पूर्वी यरुशलम की स्थिति, शरणार्थियों के अधिकार और सुरक्षा चिंताओं जैसे मुद्दों के कारण दो-राज्य समाधान का मार्ग तेजी से मुश्किल लग रहा है।
  • क्षेत्रीय अस्थिरता: गाजा संघर्ष का पूरे मध्य पूर्व पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, जिससे क्षेत्रीय शक्तियों के बीच तनाव बढ़ सकता है और अस्थिरता फैल सकती है।

आगे की राह: इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक व्यापक और बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें निम्नलिखित शामिल होना चाहिए:

  1. तत्काल मानवीय सहायता और पुनर्निर्माण: गाजा में मानवीय सहायता का अप्रतिबंधित प्रवाह सुनिश्चित करना और युद्ध से तबाह हुए बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण करना सर्वोच्च प्राथमिकता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस प्रयास में एकजुट होना चाहिए।
  2. अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन: इजरायल और फिलिस्तीनी दोनों पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून और मानवाधिकार कानूनों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए। युद्ध अपराधों और मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित की जानी चाहिए।
  3. स्थायी घेराबंदी का अंत: गाजा पर इजरायल की घेराबंदी को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए, जिससे गाजा के लोगों को अपनी अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण करने और गरिमा के साथ जीवन जीने का अवसर मिल सके। इजरायल की वैध सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करते हुए एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जा सकता है।
  4. आंतरिक फिलिस्तीनी सुलह: हमास और फतह के बीच सुलह अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि एक मजबूत, एकीकृत फिलिस्तीनी नेतृत्व उभर सके जो शांति वार्ता में प्रभावी ढंग से भाग ले सके।
  5. इजरायल-फिलिस्तीनी वार्ता का पुनरुद्धार: एक स्थायी शांति के लिए इजरायल और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के बीच सीधे, सार्थक वार्ता को फिर से शुरू करना आवश्यक है। ये वार्ताएं दो-राज्य समाधान के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें 1967 की सीमाओं पर आधारित एक व्यवहार्य फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना शामिल हो, जिसकी राजधानी पूर्वी यरुशलम हो।
  6. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की एकजुटता और दबाव: संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और क्षेत्रीय शक्तियों को शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने और दोनों पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करने में एक एकजुट और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
  7. भारत की भूमिका: भारत, फिलिस्तीनी मुद्दे का ऐतिहासिक समर्थक रहा है और इजरायल के साथ भी अच्छे संबंध रखता है। भारत ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ और ‘वैश्विक दक्षिण’ के नेता के रूप में अपनी स्थिति का उपयोग करके शांति वार्ता में एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है, मानवीय सहायता प्रदान कर सकता है और दो-राज्य समाधान के लिए समर्थन जुटा सकता है। भारत को फिलिस्तीनी राज्य निर्माण क्षमताओं को मजबूत करने में भी योगदान देना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. गाजा पट्टी के भौगोलिक स्थिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

    1. यह भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित है।
    2. यह उत्तर में मिस्र और दक्षिण-पश्चिम में इजरायल से घिरा है।
    3. इसका क्षेत्रफल लगभग 365 वर्ग किलोमीटर है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल I और II
    • (c) केवल I और III
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: गाजा पट्टी उत्तर में इजरायल और दक्षिण-पश्चिम में मिस्र से घिरा है, न कि इसके विपरीत। कथन II गलत है। कथन I और III सही हैं।

  2. ‘नक्बा’ शब्द, जो अक्सर फिलिस्तीनी-इजरायली संघर्ष के संदर्भ में उपयोग किया जाता है, निम्नलिखित में से किससे संबंधित है?

    • (a) 1967 के छह-दिवसीय युद्ध में फिलिस्तीनियों की जीत।
    • (b) 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान फिलिस्तीनियों का बड़े पैमाने पर विस्थापन।
    • (c) ओस्लो समझौते के तहत फिलिस्तीनी प्राधिकरण का गठन।
    • (d) गाजा पट्टी से इजरायली सेना का एकतरफा अलगाव।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ‘नक्बा’ (Nakhba) अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ ‘विपदा’ या ‘तबाही’ होता है। यह 1948 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान और उसके बाद लाखों फिलिस्तीनियों के अपने घरों से विस्थापित होने और उनकी संपत्ति गंवाने की घटना को संदर्भित करता है।

  3. निम्नलिखित में से कौन-सा अंतर्राष्ट्रीय समझौता फिलिस्तीनी स्वशासन के लिए फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) के गठन से संबंधित है?

    • (a) कैंप डेविड समझौते
    • (b) ओस्लो समझौते
    • (c) रोड मैप फॉर पीस
    • (d) पेरिस प्रोटोकॉल

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: ओस्लो समझौते, 1990 के दशक में इजरायल और फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन (PLO) के बीच हुए, जिसके तहत फिलिस्तीनी प्राधिकरण (PA) का गठन किया गया था ताकि गाजा और वेस्ट बैंक के कुछ हिस्सों में फिलिस्तीनी स्वशासन की शुरुआत हो सके।

  4. गाजा पट्टी पर इजरायली नाकेबंदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

    1. नाकेबंदी 2007 में हमास द्वारा गाजा पर नियंत्रण करने के बाद लगाई गई थी।
    2. इजरायल का तर्क है कि यह नाकेबंदी उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक है।
    3. इस नाकेबंदी को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत एक मानव-विरोधी अपराध के रूप में सार्वभौमिक रूप से स्वीकार किया जाता है।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल I और II
    • (c) केवल II और III
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: गाजा पर नाकेबंदी हमास द्वारा 2007 में सत्ता पर नियंत्रण करने के बाद लगाई गई थी और इजरायल इसे अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक मानता है (कथन I और II सही)। हालांकि, यह नाकेबंदी विवादित है और कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा इसकी आलोचना की जाती है, लेकिन इसे ‘सार्वभौमिक रूप से स्वीकार्य मानव-विरोधी अपराध’ कहना गलत है, क्योंकि इजरायल इसे सुरक्षा उपाय के रूप में बचाव करता है (कथन III गलत)।

  5. निम्नलिखित में से कौन-सा संगठन वर्तमान में गाजा पट्टी पर शासन करता है और उसे कई देशों द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है?

    • (a) फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian Authority)
    • (b) फतह (Fatah)
    • (c) हमास (Hamas)
    • (d) फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (Palestinian Islamic Jihad)

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: हमास (Hamas) ने 2007 में फतह के साथ हुए संघर्ष के बाद गाजा पट्टी पर नियंत्रण कर लिया था और तब से वही वहां शासन कर रहा है। इजरायल, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ सहित कई देश हमास को आतंकवादी संगठन मानते हैं।

  6. अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, गाजा पट्टी को अक्सर किस श्रेणी में रखा जाता है, भले ही 2005 में इजरायल ने अपनी सेना और बस्तियों को हटा लिया हो?

    • (a) संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य
    • (b) अंतर्राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्र
    • (c) कब्जे वाला क्षेत्र (Occupied Territory)
    • (d) विवादित सीमा क्षेत्र

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत, गाजा पट्टी को अभी भी इजरायली कब्जे वाला क्षेत्र माना जाता है क्योंकि इजरायल इसकी सीमाओं, हवाई क्षेत्र और समुद्री तट पर प्रभावी नियंत्रण रखता है।

  7. चौथा जिनेवा कन्वेंशन, जिसका उल्लेख अक्सर गाजा संघर्ष के संदर्भ में किया जाता है, मुख्य रूप से किससे संबंधित है?

    • (a) युद्धबंदियों के अधिकार
    • (b) निशस्त्रीकरण संधि
    • (c) युद्ध के समय में नागरिकों का संरक्षण
    • (d) रासायनिक हथियारों का निषेध

    उत्तर: (c)

    व्याख्या: चौथा जिनेवा कन्वेंशन (1949) युद्ध के समय में नागरिकों के संरक्षण से संबंधित है, विशेष रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों में। यह कब्जे वाली शक्ति के दायित्वों को निर्धारित करता है।

  8. निम्नलिखित में से कौन-सा देश गाजा पट्टी के दक्षिण-पश्चिम में सीमा साझा करता है?

    • (a) जॉर्डन
    • (b) सीरिया
    • (c) लेबनान
    • (d) मिस्र

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: गाजा पट्टी दक्षिण-पश्चिम में मिस्र के साथ सीमा साझा करता है।

  9. भारत की विदेश नीति के संदर्भ में, फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत की पारंपरिक स्थिति क्या रही है?

    • (a) भारत ने हमेशा इजरायल के साथ अपने संबंधों के कारण फिलिस्तीनी मुद्दे से दूरी बनाए रखी है।
    • (b) भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय और स्वतंत्र राज्य के निर्माण का समर्थन किया है।
    • (c) भारत ने केवल इजरायल की सुरक्षा चिंताओं का समर्थन किया है।
    • (d) भारत ने इस मुद्दे पर कभी कोई सार्वजनिक रुख नहीं अपनाया है।

    उत्तर: (b)

    व्याख्या: भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय के अधिकार और 1967 की सीमाओं के भीतर पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी के साथ एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण का समर्थन किया है, जबकि इजरायल के साथ भी संबंध बनाए रखे हैं।

  10. हाल के संघर्षों के बाद गाजा पट्टी में उत्पन्न हुए मानवीय संकट के प्रमुख पहलू क्या हैं?

    1. स्वच्छ पानी और बिजली की गंभीर कमी।
    2. स्वास्थ्य सुविधाओं और खाद्य सुरक्षा का अत्यधिक बिगड़ना।
    3. अधिकांश आबादी का मानवीय सहायता पर निर्भर होना।

    उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

    • (a) केवल I
    • (b) केवल II
    • (c) केवल I और II
    • (d) I, II और III

    उत्तर: (d)

    व्याख्या: गाजा पट्टी में चल रहे संघर्षों और नाकेबंदी के कारण स्वच्छ पानी, बिजली, स्वास्थ्य सुविधाओं और खाद्य सुरक्षा की गंभीर कमी हो गई है, जिससे लगभग 80% आबादी मानवीय सहायता पर निर्भर है। सभी कथन सही हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. गाजा पट्टी में चल रहे मानवीय संकट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और भू-राजनीतिक कारकों का विस्तार से विश्लेषण कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत इजरायल और फिलिस्तीनी गुटों के दायित्वों पर भी प्रकाश डालिए।
  2. “गाजा पट्टी को अक्सर ‘खुली हवा वाली जेल’ के रूप में वर्णित किया जाता है।” इस कथन की समालोचनात्मक जांच कीजिए, इसमें निहित मानवीय, आर्थिक और सामाजिक आयामों पर चर्चा कीजिए। स्थायी शांति के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
  3. इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने में ‘दो-राज्य समाधान’ की चुनौतियों और व्यवहार्यता पर चर्चा कीजिए। इस संघर्ष को हल करने में भारत की क्या भूमिका हो सकती है?

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