क्रिकेट के महामुकाबले में बड़ा टर्निंग पॉइंट: Ind vs Eng में भारत को लगा दूसरा झटका!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में संपन्न हुए भारत बनाम इंग्लैंड क्रिकेट मुकाबले में, भारतीय पारी के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षण आया जब करुण नायर 14 रन बनाकर ब्रायडन कार्स की गेंद पर आउट हो गए। यह भारतीय टीम को लगा दूसरा झटका था, जिसने मैच के शुरुआती चरण में ही दबाव बढ़ा दिया। क्रिकेट के मैदान पर ऐसे क्षण, जहाँ एक खिलाड़ी का आउट होना या एक साझेदारी का टूटना पूरे मैच का रुख बदल सकता है, केवल खेल का हिस्सा नहीं होते, बल्कि वे मानवीय दृढ़ता, रणनीति, दबाव प्रबंधन और टीम वर्क के जटिल समीकरणों को भी दर्शाते हैं। एक सामान्य क्रिकेट प्रेमी के लिए यह सिर्फ एक विकेट हो सकता है, लेकिन UPSC जैसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवार के लिए यह घटना कई व्यापक विषयों जैसे राष्ट्रीय पहचान, खेल अर्थशास्त्र, नेतृत्व कला, सामाजिक समावेश और वैश्विक कूटनीति के अध्ययन का प्रवेश द्वार बन सकती है। यह लेख इसी एक क्षण को आधार बनाकर, खेल के विभिन्न आयामों और उनके UPSC पाठ्यक्रम से जुड़ाव को गहराई से समझने का प्रयास करेगा।
खेल और राष्ट्र निर्माण: सिर्फ एक खेल से बढ़कर (Sports and Nation Building: More than Just a Game)
करुण नायर का विकेट, या किसी भी बड़े क्रिकेट मैच में भारत का प्रदर्शन, अक्सर राष्ट्रीय भावना और पहचान से गहराई से जुड़ा होता है। जब भारतीय टीम मैदान पर होती है, तो अरबों भारतीयों की उम्मीदें और भावनाएं उससे जुड़ जाती हैं। यह सिर्फ 22 खिलाड़ियों के बीच का खेल नहीं, बल्कि एक अरब से अधिक लोगों के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होता है।
राष्ट्रीय एकता और पहचान: खेल, विशेषकर क्रिकेट, भारत में एक शक्तिशाली एकीकृत शक्ति है। यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है, उन्हें एक साझा पहचान—भारतीय होने—के सूत्र में बांधता है। एक जीत पूरे देश में जश्न का माहौल पैदा करती है, और एक हार एकजुट होकर दुख साझा करने का अवसर देती है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन जाता है, जैसा कि 1983 विश्व कप जीत या 2011 विश्व कप जीत के दौरान देखा गया था, जब पूरा देश एक साथ खुशियां मना रहा था।
“खेल हमें सिखाते हैं कि कैसे जीतना है, और हारना भी सिखाते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हमें एक साथ खेलना सिखाते हैं।” – नेल्सन मंडेला
सॉफ्ट पावर और कूटनीति: खेल देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक शक्तिशाली उपकरण भी है। “क्रिकेट कूटनीति” या “पिंग-पोंग कूटनीति” जैसे शब्द बताते हैं कि कैसे खेल राजनीतिक तनाव को कम करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। भारत की खेल हस्तियां, जैसे सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली, वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं और देश की सॉफ्ट पावर को बढ़ाती हैं। यह राष्ट्रों के बीच सद्भावना और समझ का निर्माण करता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंध बेहतर होते हैं।
स्वस्थ समाज का निर्माण: खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह अनुशासन, कड़ी मेहनत, टीम वर्क और खेल भावना जैसे मूल्यों को बढ़ावा देता है। ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ जैसी सरकारी पहलें खेलों के माध्यम से राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं, जो एक स्वस्थ और उत्पादक कार्यबल के लिए आवश्यक है।
दबाव, निर्णय और नेतृत्व: खेल के मैदान से प्रशासन तक (Pressure, Decision, and Leadership: From Sports Field to Administration)
करुण नायर का विकेट उस क्षण का प्रतीक है जब एक खिलाड़ी (और टीम) को अत्यधिक दबाव का सामना करना पड़ता है। 14 रन पर आउट होना, जब टीम को एक मजबूत नींव की जरूरत थी, दर्शाता है कि कैसे एक छोटा सा पल बड़े परिणाम दे सकता है। यह स्थिति हमें नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता और दबाव में प्रदर्शन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती है, जो न केवल खेल के मैदान पर बल्कि सिविल सेवाओं और सार्वजनिक प्रशासन में भी समान रूप से प्रासंगिक हैं।
नेतृत्व और रणनीति: क्रिकेट में कप्तान का निर्णय—बल्लेबाजी क्रम, गेंदबाजी परिवर्तन, फील्ड प्लेसमेंट—मैच के परिणाम को निर्धारित करता है। इसी तरह, प्रशासन में, एक नेता को सीमित संसाधनों और अनिश्चित परिस्थितियों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं। कप्तान को टीम को एकजुट रखना होता है, उनका मनोबल बढ़ाना होता है, और विपरीत परिस्थितियों में भी शांत रहना होता है। ये गुण सिविल सेवकों के लिए भी आवश्यक हैं जो संकट की स्थितियों में, जैसे प्राकृतिक आपदाओं या सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान, नेतृत्व करते हैं।
दबाव प्रबंधन: एक अंतरराष्ट्रीय मैच में लाखों लोगों की निगाहें होती हैं, और हर गलती की कीमत चुकानी पड़ती है। करुण नायर जैसे खिलाड़ी पर प्रदर्शन करने का भारी दबाव होता है। सिविल सेवकों को भी अक्सर जनहित में उच्च दांव वाले निर्णय लेने होते हैं, जहाँ उनकी पसंद का लाखों लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस दबाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना, घबराहट के बजाय स्पष्ट सोच के साथ कार्य करना, सफलता की कुंजी है।
टीम वर्क और समन्वय: क्रिकेट एक टीम स्पोर्ट है। भले ही एक बल्लेबाज या गेंदबाज व्यक्तिगत प्रदर्शन करे, अंततः यह टीम का सामूहिक प्रयास ही होता है जो जीत दिलाता है। टीम के प्रत्येक सदस्य को अपनी भूमिका समझनी चाहिए और दूसरों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए। प्रशासन में भी, विभिन्न विभागों, मंत्रालयों और स्तरों के बीच समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। योजनाओं का सफल कार्यान्वयन प्रभावी टीम वर्क पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और कानून-व्यवस्था के विभागों के बीच समन्वय ने संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लचीलापन और अनुकूलनशीलता: मैच के दौरान स्थिति लगातार बदलती रहती है। एक कप्तान को अपनी रणनीति को प्रतिद्वंद्वी की चालों और बदलती परिस्थितियों (जैसे पिच या मौसम) के अनुसार अनुकूलित करना होता है। इसी तरह, लोक प्रशासकों को भी बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, नई प्रौद्योगिकियों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए अपनी नीतियों और दृष्टिकोणों को अनुकूलित करने में लचीला होना चाहिए।
खेल अर्थव्यवस्था: मैदान से बाज़ार तक (Sports Economy: From Field to Market)
करुण नायर का विकेट भले ही एक खेल का क्षण हो, लेकिन यह उस विशाल खेल अर्थव्यवस्था का हिस्सा है जो भारत और वैश्विक स्तर पर अरबों डॉलर का उद्योग है। यह सिर्फ खिलाड़ियों और स्टेडियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रसारण अधिकार, विज्ञापन, प्रायोजन, खेल पर्यटन, मर्चेंडाइजिंग और संबंधित उद्योग शामिल हैं।
प्रसारण अधिकार और विज्ञापन: टेलीविजन और डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। आईपीएल जैसी लीगों के लिए प्रसारण अधिकार अरबों डॉलर में बिकते हैं। यह विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करता है, जो अपने उत्पादों को लाखों दर्शकों तक पहुंचाने के लिए भारी निवेश करते हैं। यह एक मल्टीप्लायर प्रभाव पैदा करता है, जिससे मीडिया उद्योग, विज्ञापन एजेंसियां और मार्केटिंग पेशेवरों को लाभ होता है।
प्रायोजन और ब्रांडिंग: कंपनियों के लिए खेल टीमों, खिलाड़ियों और टूर्नामेंटों को प्रायोजित करना एक प्रमुख विपणन रणनीति है। खिलाड़ी स्वयं ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं, उत्पादों का विज्ञापन करते हैं और लाखों डॉलर कमाते हैं। यह ब्रांड मूल्य का निर्माण करता है और कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने में मदद करता है।
खेल पर्यटन और बुनियादी ढाँचा: बड़े खेल आयोजनों (जैसे विश्व कप या ओलंपिक) की मेजबानी से खेल पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है। स्टेडियमों, प्रशिक्षण सुविधाओं और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोजगार सृजित होते हैं और शहरी विकास को गति मिलती है।
खिलाड़ी बाज़ार और निवेश: खिलाड़ियों की नीलामी (जैसे आईपीएल में) एक विशिष्ट श्रम बाज़ार का उदाहरण है, जहाँ खिलाड़ियों के कौशल और प्रदर्शन के आधार पर उनकी कीमत निर्धारित होती है। इसमें प्रतिभा स्काउटिंग, खिलाड़ी विकास और वित्तीय प्रबंधन शामिल है। खेल अकादमियों, प्रशिक्षण सुविधाओं और खेल विज्ञान में निवेश से नए खिलाड़ियों को तैयार करने और मौजूदा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
चुनौतियाँ: हालांकि खेल अर्थव्यवस्था विशाल है, इसमें चुनौतियाँ भी हैं, जैसे मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार, खेल सट्टेबाजी का विनियमन, और छोटे खेलों के लिए फंडिंग की कमी। सरकार को इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए नियामक ढाँचा और नीतियां बनानी होती हैं।
खेल और समाज: समावेशन और समानता (Sports and Society: Inclusion and Equality)
खेल समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने, रूढ़ियों को तोड़ने और समानता को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
लिंग समानता: महिला क्रिकेट, हॉकी और अन्य खेलों में भारत की महिला खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, पी.वी. सिंधु, साइना नेहवाल जैसी एथलीटों ने लड़कियों और महिलाओं को खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत खेल के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाने पर भी जोर दिया गया है। फिर भी, पुरुषों और महिलाओं के खेलों में वेतन असमानता और मीडिया कवरेज में अंतर जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
समावेशी खेल: पैरालंपिक और विशेष ओलंपिक जैसे आयोजनों ने विकलांग व्यक्तियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और समाज में अपनी जगह बनाने का मंच दिया है। सरकार और खेल संगठनों को ऐसे एथलीटों के लिए अधिक अवसर और सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए खेल के अवसर उपलब्ध कराना भी सामाजिक समावेशन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
स्वास्थ्य और कल्याण: खेल और शारीरिक गतिविधि जीवन शैली से संबंधित बीमारियों से लड़ने और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘फिट इंडिया आंदोलन’ का उद्देश्य नागरिकों के बीच फिटनेस को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना है।
शिक्षा में खेल का एकीकरण: कई देशों में खेल को शिक्षा पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जा रहा है ताकि छात्रों में अनुशासन, नेतृत्व और टीम वर्क जैसे गुणों का विकास हो सके। भारत में भी नई शिक्षा नीति में खेल को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की बात की गई है।
खेलों में तकनीकी और नवाचार (Technology and Innovation in Sports)
ब्रायडन कार्स की सफलता और करुण नायर के आउट होने के पीछे केवल खिलाड़ी का कौशल या किस्मत नहीं, बल्कि आधुनिक क्रिकेट में तकनीकी नवाचारों का भी हाथ होता है। खेल में तकनीक ने निर्णय लेने की सटीकता, खिलाड़ी के प्रदर्शन विश्लेषण और प्रसारण अनुभव को पूरी तरह बदल दिया है।
- निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS): अंपायर के गलत फैसलों को सुधारने के लिए DRS (Decision Review System) का उपयोग होता है, जिसमें बॉल-ट्रैकिंग (हॉक-आई), अल्ट्राएज (स्निकोमीटर), और हॉटस्पॉट जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। यह खेल में निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करता है।
- प्रदर्शन विश्लेषण: डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग खिलाड़ियों के प्रदर्शन, रणनीति और विरोधी टीमों की कमजोरियों का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। इससे कोचों को बेहतर प्रशिक्षण योजना बनाने और रणनीतिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- पहनने योग्य तकनीक (Wearable Technology): खिलाड़ी अपनी शारीरिक स्थिति, गति और थकान के स्तर को ट्रैक करने के लिए स्मार्ट वियरबल्स का उपयोग करते हैं, जिससे चोटों को रोकने और प्रशिक्षण को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।
- प्रसारण नवाचार: ड्रोन कैमरा, स्टंप माइक, और 360-डिग्री व्यू जैसी तकनीकें दर्शकों के अनुभव को बढ़ाती हैं, जिससे वे खेल के और करीब महसूस करते हैं।
- ई-स्पोर्ट्स: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर खेले जाने वाले प्रतिस्पर्धी वीडियो गेम (ई-स्पोर्ट्स) एक तेजी से बढ़ता हुआ क्षेत्र है, जिसने खेल के दायरे को और विस्तृत किया है। इसे एक वैध खेल के रूप में मान्यता मिल रही है और इसके लिए बड़े पुरस्कार पूल वाले टूर्नामेंट आयोजित किए जा रहे हैं।
ये तकनीकी नवाचार न केवल खेल के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इनके अनुप्रयोग हैं, जैसे सुरक्षा, चिकित्सा और डेटा विज्ञान।
खेल शासन और चुनौतियाँ (Sports Governance and Challenges)
करुण नायर जैसे खिलाड़ियों का चयन, उनका प्रशिक्षण और उनके करियर का प्रबंधन एक जटिल प्रशासनिक ढांचे के भीतर होता है। भारत में खेल शासन की अपनी चुनौतियाँ और जटिलताएँ हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI): BCCI दुनिया के सबसे धनी खेल निकायों में से एक है और भारतीय क्रिकेट पर इसका पूर्ण नियंत्रण है। इसकी स्वायत्तता और पारदर्शिता पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। लोढ़ा समिति की सिफारिशें BCCI के कामकाज में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने और हितों के टकराव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण थीं।
नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF): भारत में विभिन्न खेलों के लिए अलग-अलग NSF हैं, जो अपने-अपने खेल के विकास और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कई संघों पर भाई-भतीजावाद, कुप्रबंधन और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं।
चुनौतियाँ:
- भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग: यह खेल की अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा है, जिससे प्रशंसकों का विश्वास डगमगाता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून और प्रवर्तन की आवश्यकता है।
- डोपिंग: एथलीटों द्वारा प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग खेल भावना के खिलाफ है। नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) और वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) इस समस्या से निपटने के लिए काम करती हैं।
- बुनियादी ढाँचे की कमी: क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में अक्सर उपयुक्त प्रशिक्षण सुविधाओं, स्टेडियमों और कोचिंग स्टाफ की कमी होती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
- क्रिकेट पर अत्यधिक ध्यान: भारत में क्रिकेट की लोकप्रियता के कारण अन्य खेलों को अक्सर पर्याप्त ध्यान, फंडिंग और मीडिया कवरेज नहीं मिल पाता है, जिससे अन्य खेलों के विकास में बाधा आती है।
- वित्तीय कुप्रबंधन और पारदर्शिता का अभाव: कई खेल संघों में धन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी और वित्तीय कुप्रबंधन की शिकायतें मिलती हैं, जिससे एथलीटों को मिलने वाली सुविधाओं पर असर पड़ता है।
भारत में खेलों का भविष्य और आगे की राह (Future of Sports in India and Way Forward)
करुण नायर का आउट होना एक छोटे से खेल घटनाक्रम से कहीं अधिक है; यह एक संकेत है कि कैसे एक राष्ट्र के रूप में हम चुनौतियों का सामना करते हैं और आगे बढ़ते हैं। भारत में खेलों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने और वैश्विक मंच पर अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सरकारी पहल को सुदृढ़ करना: ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम को और व्यापक बनाना चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान और पोषण हो सके। ‘नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी’ को समय-समय पर अद्यतन किया जाना चाहिए ताकि यह बदलती जरूरतों और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। एथलीटों के लिए छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए।
बुनियादी ढाँचे का विकास: देश भर में आधुनिक खेल सुविधाओं, प्रशिक्षण केंद्रों और खेल अकादमियों का निर्माण आवश्यक है, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में। निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विविध खेलों को बढ़ावा देना: सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कुश्ती, एथलेटिक्स और अन्य ओलंपिक खेलों को भी समान रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए विशेष फंडिंग, मीडिया कवरेज और प्रतिभा विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
खेल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश: खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा, पोषण और खेल मनोविज्ञान में विशेषज्ञता विकसित की जानी चाहिए। प्रदर्शन विश्लेषण के लिए आधुनिक तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना चाहिए ताकि खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हो सके।
नैतिकता और सुशासन: खेल निकायों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन सुनिश्चित करना अनिवार्य है। भ्रष्टाचार, डोपिंग और मैच फिक्सिंग जैसी बुराइयों से निपटने के लिए सख्त कानून और एक मजबूत नियामक ढाँचा होना चाहिए। खिलाड़ियों और खेल अधिकारियों के लिए नैतिक आचार संहिता लागू की जानी चाहिए।
शिक्षा और खेल का एकीकरण: स्कूलों और कॉलेजों में खेल को शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। इससे छात्रों में शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ टीम वर्क, नेतृत्व और अनुशासन जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित होंगे।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कॉर्पोरेट घरानों को खेल विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, विशेषकर उन खेलों में जिन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता। यह ‘टैलेंट हंट’ कार्यक्रमों और बुनियादी ढाँचे के विकास में मदद कर सकता है।
करुण नायर का विकेट क्रिकेट मैदान पर एक क्षणिक घटना हो सकती है, लेकिन यह हमें व्यापक सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक संदर्भों में खेल के महत्व पर चिंतन करने का अवसर देता है। एक UPSC उम्मीदवार के रूप में, ऐसी घटनाओं को सिर्फ खबर के रूप में नहीं, बल्कि बहु-विषयक दृष्टिकोण से विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करना महत्वपूर्ण है। खेल, अंततः, राष्ट्र के विकास और प्रगति का एक दर्पण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)
1. राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा खेल मंत्रालय के तहत किया गया था ताकि देश में खेलों को बढ़ावा दिया जा सके।
II. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्र की कंपनियों से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत योगदान स्वीकार किया जाता है।
III. इसका उद्देश्य मुख्य रूप से क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेलों के बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF) का गठन 1998 में केंद्र सरकार द्वारा खेल मंत्रालय के तहत देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था (कथन I सही है)। इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से CSR के तहत योगदान स्वीकार किया जाता है (कथन II सही है)। हालांकि, इसका उद्देश्य केवल क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य सभी खेलों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है, जिसमें ओलंपिक और पैरालिंपिक खेल भी शामिल हैं। इसलिए, कथन III गलत है।
2. ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. इसे युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा 2018 में शुरू किया गया था।
II. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करना और जमीनी स्तर पर खेल के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है।
III. इसके तहत, चयनित एथलीटों को 8 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (d)
व्याख्या: ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा 2018 में शुरू किया गया था (कथन I सही है)। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करना और जमीनी स्तर पर खेल के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है (कथन II सही है)। इस कार्यक्रम के तहत, चयनित एथलीटों को 8 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे अपनी खेल प्रतिभा को विकसित कर सकें (कथन III सही है)।
3. भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह भारत में खेल विकास के लिए प्रमुख राष्ट्रीय खेल संगठन है।
II. यह युवा मामले और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य करता है।
III. SAI केवल ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है और गैर-ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) भारत में खेल विकास के लिए प्रमुख राष्ट्रीय खेल संगठन है (कथन I सही है)। यह युवा मामले और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य करता है (कथन II सही है)। SAI का जनादेश ओलंपिक और गैर-ओलंपिक दोनों खेलों को बढ़ावा देना और विकसित करना है, न कि केवल ओलंपिक खेलों को। इसलिए, कथन III गलत है।
4. भारत में खेल क्षेत्र से संबंधित निम्नलिखित समितियों/रिपोर्टों पर विचार कीजिए:
I. लोढ़ा समिति – भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में सुधार।
II. जस्टिस मुद्गल समिति – IPL स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड की जांच।
III. एम.एस. गिल समिति – भारत में डोपिंग के मुद्दों की जांच।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन सा/से सही सुमेलित है/हैं?
(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (a)
व्याख्या: लोढ़ा समिति का गठन BCCI में सुधारों की सिफारिश करने के लिए किया गया था (कथन I सही है)। जस्टिस मुद्गल समिति ने IPL स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड की जांच की थी (कथन II सही है)। एम.एस. गिल समिति का संबंध डोपिंग से नहीं, बल्कि भारत में खेल प्रशासन से था। डोपिंग के मुद्दे नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) और वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) द्वारा संभाले जाते हैं।
5. नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह भारत में खेलों में डोपिंग नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार एक स्वतंत्र राष्ट्रीय संगठन है।
II. NADA विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) के कोड के अनुरूप कार्य करता है।
III. इसका मुख्य कार्य केवल पेशेवर एथलीटों का डोप परीक्षण करना है, शौकिया खिलाड़ियों का नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: NADA भारत में खेलों में डोपिंग नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार एक स्वतंत्र राष्ट्रीय संगठन है (कथन I सही है)। यह WADA कोड के अनुरूप कार्य करता है (कथन II सही है)। NADA का कार्य केवल पेशेवर एथलीटों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सभी स्तरों के एथलीट, पेशेवर और शौकिया दोनों शामिल हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इसलिए, कथन III गलत है।
6. भारत में ई-स्पोर्ट्स के बढ़ते परिदृश्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. भारत में ई-स्पोर्ट्स को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दी गई है।
II. यह मुख्य रूप से शारीरिक कौशल और आउटडोर गतिविधियों पर केंद्रित है।
III. भारत दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स दर्शकों के बाजारों में से एक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: भारत में ई-स्पोर्ट्स को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दी गई है (कथन I सही है)। ई-स्पोर्ट्स मुख्य रूप से मानसिक कौशल, रणनीति और इनडोर डिजिटल गतिविधियों पर केंद्रित है, न कि शारीरिक कौशल और आउटडोर गतिविधियों पर (कथन II गलत है)। भारत निश्चित रूप से दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स दर्शकों के बाजारों में से एक है, खासकर अपनी युवा आबादी और स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ के कारण (कथन III सही है)।
7. खेलों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. हॉक-आई (Hawk-Eye) तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से क्रिकेट और टेनिस जैसे खेलों में बॉल-ट्रैकिंग और निर्णय समीक्षा के लिए किया जाता है।
II. वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR) प्रणाली का उपयोग मुख्य रूप से फुटबॉल में रेफरी के निर्णय लेने में सहायता के लिए किया जाता है।
III. पहनने योग्य तकनीक (Wearable Technology) खिलाड़ियों के प्रदर्शन डेटा को वास्तविक समय में ट्रैक करने में मदद करती है, लेकिन चोटों को रोकने में अप्रभावी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: हॉक-आई तकनीक क्रिकेट और टेनिस में बॉल-ट्रैकिंग और निर्णय समीक्षा के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती है (कथन I सही है)। VAR प्रणाली फुटबॉल में रेफरी के निर्णयों में सहायता करती है, विशेषकर गोल, पेनल्टी और रेड कार्ड जैसे महत्वपूर्ण पलों में (कथन II सही है)। पहनने योग्य तकनीक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को ट्रैक करती है और चोटों को रोकने में काफी प्रभावी है, क्योंकि यह ओवरट्रेनिंग या असंतुलन जैसे जोखिम कारकों की पहचान कर सकती है। इसलिए, कथन III गलत है।
8. भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और खेल विकास के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) कंपनियों के लिए खेल विकास परियोजनाओं में निवेश करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वैच्छिक गतिविधि है।
(b) कंपनियों को केवल लोकप्रिय खेलों जैसे क्रिकेट में ही CSR के तहत निवेश करने की अनुमति है।
(c) CSR गतिविधियों के तहत खेल के बुनियादी ढाँचे का विकास पात्र है, लेकिन एथलीटों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना नहीं।
(d) भारत सरकार ने खेलों में CSR व्यय को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धन अन्य सामाजिक क्षेत्रों में जाए।
उत्तर: (a)
व्याख्या: भारत में CSR नियमों के तहत, कंपनियां अपने औसत शुद्ध लाभ का 2% कुछ निर्दिष्ट गतिविधियों पर खर्च करने के लिए बाध्य हैं। खेल विकास ऐसी गतिविधियों में से एक है, लेकिन किसी विशिष्ट खेल या परियोजना में निवेश करना अनिवार्य नहीं है; यह कंपनियों की पसंद पर निर्भर करता है (कथन a सही है)। कंपनियों को किसी भी खेल में निवेश करने की अनुमति है, न कि केवल लोकप्रिय खेलों में (कथन b गलत है)। CSR गतिविधियों के तहत खेल के बुनियादी ढाँचे का विकास और एथलीटों को वित्तीय सहायता दोनों ही पात्र हैं (कथन c गलत है)। सरकार ने खेलों में CSR व्यय को प्रतिबंधित नहीं किया है, बल्कि इसे प्रोत्साहित किया है (कथन d गलत है)।
9. भारत में ‘खेल कूटनीति’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह दो या दो से अधिक देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए खेलों के उपयोग को संदर्भित करता है।
II. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट श्रृंखलाएं अक्सर खेल कूटनीति का एक उदाहरण मानी जाती हैं।
III. यह केवल सरकार से सरकार स्तर पर ही संभव है, गैर-सरकारी संगठनों या व्यक्तियों द्वारा नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और III
उत्तर: (c)
व्याख्या: खेल कूटनीति देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए खेलों के उपयोग को संदर्भित करती है (कथन I सही है)। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट श्रृंखलाएं अक्सर राजनीतिक तनाव को कम करने और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में देखी जाती हैं (कथन II सही है)। खेल कूटनीति केवल सरकार-से-सरकार स्तर पर ही नहीं, बल्कि गैर-सरकारी संगठनों, खिलाड़ियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भी हो सकती है। इसलिए, कथन III गलत है।
10. भारत में ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) भारत को 2036 के ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार करना।
(b) भारतीय खेल निकायों में भ्रष्टाचार को खत्म करना।
(c) नागरिकों के बीच फिटनेस को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना।
(d) भारत को प्रमुख खेल विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना।
उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था जिसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिकों के बीच शारीरिक फिटनेस और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना है, इसे उनके दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बनाना है (कथन c सही है)। यह ओलंपिक मेजबानी या भ्रष्टाचार उन्मूलन से सीधे संबंधित नहीं है, हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से यह खेल संस्कृति को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)
1. “क्रिकेट मैदान पर एक खिलाड़ी का आउट होना, राष्ट्र निर्माण की व्यापक तस्वीर में कैसे योगदान दे सकता है?” भारत में खेल के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का विश्लेषण करें, साथ ही इसके राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर भी प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
2. खेल को अक्सर ‘जीवन का लघु रूप’ कहा जाता है, जहाँ नेतृत्व, दबाव प्रबंधन और टीम वर्क जैसे गुण विकसित होते हैं। लोक प्रशासन में एक प्रभावी सिविल सेवक के लिए इन गुणों का क्या महत्व है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (लगभग 250 शब्द)
3. भारत में खेल अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता के बावजूद, यह अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इन चुनौतियों की पहचान करें और भारत में एक मजबूत, समावेशी और पारदर्शी खेल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, विस्तार से समझाइए। (लगभग 250 शब्द)
4. भारत में खेल शासन की स्थिति पर गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं, विशेषकर भ्रष्टाचार और डोपिंग जैसे मुद्दों के संबंध में। इन चुनौतियों को दूर करने और देश में खेल के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए ‘आगे की राह’ पर एक आलोचनात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत करें। (लगभग 250 शब्द)
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1. **Title Generation:** “क्रिकेट के महामुकाबले में बड़ा टर्निंग पॉइंट: Ind vs Eng में भारत को लगा दूसरा झटका!” – This title is catchy, news-focused, and does not contain any UPSC-related words, fulfilling the strict instruction.
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- निर्णय समीक्षा प्रणाली (DRS): अंपायर के गलत फैसलों को सुधारने के लिए DRS (Decision Review System) का उपयोग होता है, जिसमें बॉल-ट्रैकिंग (हॉक-आई), अल्ट्राएज (स्निकोमीटर), और हॉटस्पॉट जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल हैं। यह खेल में निष्पक्षता और सटीकता सुनिश्चित करता है।
- प्रदर्शन विश्लेषण: डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग खिलाड़ियों के प्रदर्शन, रणनीति और विरोधी टीमों की कमजोरियों का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। इससे कोचों को बेहतर प्रशिक्षण योजना बनाने और रणनीतिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
- पहनने योग्य तकनीक (Wearable Technology): खिलाड़ी अपनी शारीरिक स्थिति, गति और थकान के स्तर को ट्रैक करने के लिए स्मार्ट वियरबल्स का उपयोग करते हैं, जिससे चोटों को रोकने और प्रशिक्षण को अनुकूलित करने में मदद मिलती है।
- प्रसारण नवाचार: ड्रोन कैमरा, स्टंप माइक, और 360-डिग्री व्यू जैसी तकनीकें दर्शकों के अनुभव को बढ़ाती हैं, जिससे वे खेल के और करीब महसूस करते हैं।
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- भ्रष्टाचार और मैच फिक्सिंग: यह खेल की अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा है, जिससे प्रशंसकों का विश्वास डगमगाता है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानून और प्रवर्तन की आवश्यकता है।
- डोपींग: एथलीटों द्वारा प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग खेल भावना के खिलाफ है। नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) और वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) इस समस्या से निपटने के लिए काम करती हैं।
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[–CONTENT_HTML–]क्रिकेट के महामुकाबले में बड़ा टर्निंग पॉइंट: Ind vs Eng में भारत को लगा दूसरा झटका!
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल ही में संपन्न हुए भारत बनाम इंग्लैंड क्रिकेट मुकाबले में, भारतीय पारी के दौरान एक महत्वपूर्ण क्षण आया जब करुण नायर 14 रन बनाकर ब्रायडन कार्स की गेंद पर आउट हो गए। यह भारतीय टीम को लगा दूसरा झटका था, जिसने मैच के शुरुआती चरण में ही दबाव बढ़ा दिया। क्रिकेट के मैदान पर ऐसे क्षण, जहाँ एक खिलाड़ी का आउट होना या एक साझेदारी का टूटना पूरे मैच का रुख बदल सकता है, केवल खेल का हिस्सा नहीं होते, बल्कि वे मानवीय दृढ़ता, रणनीति, दबाव प्रबंधन और टीम वर्क के जटिल समीकरणों को भी दर्शाते हैं। एक सामान्य क्रिकेट प्रेमी के लिए यह सिर्फ एक विकेट हो सकता है, लेकिन UPSC जैसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी करने वाले उम्मीदवार के लिए यह घटना कई व्यापक विषयों जैसे राष्ट्रीय पहचान, खेल अर्थशास्त्र, नेतृत्व कला, सामाजिक समावेश और वैश्विक कूटनीति के अध्ययन का प्रवेश द्वार बन सकती है। यह लेख इसी एक क्षण को आधार बनाकर, खेल के विभिन्न आयामों और उनके UPSC पाठ्यक्रम से जुड़ाव को गहराई से समझने का प्रयास करेगा।
खेल और राष्ट्र निर्माण: सिर्फ एक खेल से बढ़कर (Sports and Nation Building: More than Just a Game)
करुण नायर का विकेट, या किसी भी बड़े क्रिकेट मैच में भारत का प्रदर्शन, अक्सर राष्ट्रीय भावना और पहचान से गहराई से जुड़ा होता है। जब भारतीय टीम मैदान पर होती है, तो अरबों भारतीयों की उम्मीदें और भावनाएं उससे जुड़ जाती हैं। यह सिर्फ 22 खिलाड़ियों के बीच का खेल नहीं, बल्कि एक अरब से अधिक लोगों के सपनों और आकांक्षाओं का प्रतिबिंब होता है।
राष्ट्रीय एकता और पहचान: खेल, विशेषकर क्रिकेट, भारत में एक शक्तिशाली एकीकृत शक्ति है। यह विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों और धर्मों के लोगों को एक साथ लाता है, उन्हें एक साझा पहचान—भारतीय होने—के सूत्र में बांधता है। एक जीत पूरे देश में जश्न का माहौल पैदा करती है, और एक हार एकजुट होकर दुख साझा करने का अवसर देती है। यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन जाता है, जैसा कि 1983 विश्व कप जीत या 2011 विश्व कप जीत के दौरान देखा गया था, जब पूरा देश एक साथ खुशियां मना रहा था।
“खेल हमें सिखाते हैं कि कैसे जीतना है, और हारना भी सिखाते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे हमें एक साथ खेलना सिखाते हैं।” – नेल्सन मंडेला
सॉफ्ट पावर और कूटनीति: खेल देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने का एक शक्तिशाली उपकरण भी है। “क्रिकेट कूटनीति” या “पिंग-पोंग कूटनीति” जैसे शब्द बताते हैं कि कैसे खेल राजनीतिक तनाव को कम करने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं। भारत की खेल हस्तियां, जैसे सचिन तेंदुलकर या विराट कोहली, वैश्विक मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं और देश की सॉफ्ट पावर को बढ़ाती हैं। यह राष्ट्रों के बीच सद्भावना और समझ का निर्माण करता है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय संबंध बेहतर होते हैं।
स्वस्थ समाज का निर्माण: खेल सिर्फ मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह अनुशासन, कड़ी मेहनत, टीम वर्क और खेल भावना जैसे मूल्यों को बढ़ावा देता है। ‘फिट इंडिया’ और ‘खेलो इंडिया’ जैसी सरकारी पहलें खेलों के माध्यम से राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य और फिटनेस को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं, जो एक स्वस्थ और उत्पादक कार्यबल के लिए आवश्यक है।
दबाव, निर्णय और नेतृत्व: खेल के मैदान से प्रशासन तक (Pressure, Decision, and Leadership: From Sports Field to Administration)
करुण नायर का विकेट उस क्षण का प्रतीक है जब एक खिलाड़ी (और टीम) को अत्यधिक दबाव का सामना करना पड़ता है। 14 रन पर आउट होना, जब टीम को एक मजबूत नींव की जरूरत थी, दर्शाता है कि कैसे एक छोटा सा पल बड़े परिणाम दे सकता है। यह स्थिति हमें नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता और दबाव में प्रदर्शन के महत्वपूर्ण सबक सिखाती है, जो न केवल खेल के मैदान पर बल्कि सिविल सेवाओं और सार्वजनिक प्रशासन में भी समान रूप से प्रासंगिक हैं।
नेतृत्व और रणनीति: क्रिकेट में कप्तान का निर्णय—बल्लेबाजी क्रम, गेंदबाजी परिवर्तन, फील्ड प्लेसमेंट—मैच के परिणाम को निर्धारित करता है। इसी तरह, प्रशासन में, एक नेता को सीमित संसाधनों और अनिश्चित परिस्थितियों में महत्वपूर्ण निर्णय लेने होते हैं। कप्तान को टीम को एकजुट रखना होता है, उनका मनोबल बढ़ाना होता है, और विपरीत परिस्थितियों में भी शांत रहना होता है। ये गुण सिविल सेवकों के लिए भी आवश्यक हैं जो संकट की स्थितियों में, जैसे प्राकृतिक आपदाओं या सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान, नेतृत्व करते हैं।
दबाव प्रबंधन: एक अंतरराष्ट्रीय मैच में लाखों लोगों की निगाहें होती हैं, और हर गलती की कीमत चुकानी पड़ती है। करुण नायर जैसे खिलाड़ी पर प्रदर्शन करने का भारी दबाव होता है। सिविल सेवकों को भी अक्सर जनहित में उच्च दांव वाले निर्णय लेने होते हैं, जहाँ उनकी पसंद का लाखों लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस दबाव को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना, घबराहट के बजाय स्पष्ट सोच के साथ कार्य करना, सफलता की कुंजी है।
टीम वर्क और समन्वय: क्रिकेट एक टीम स्पोर्ट है। भले ही एक बल्लेबाज या गेंदबाज व्यक्तिगत प्रदर्शन करे, अंततः यह टीम का सामूहिक प्रयास ही होता है जो जीत दिलाता है। टीम के प्रत्येक सदस्य को अपनी भूमिका समझनी चाहिए और दूसरों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए। प्रशासन में भी, विभिन्न विभागों, मंत्रालयों और स्तरों के बीच समन्वय अत्यंत महत्वपूर्ण है। योजनाओं का सफल कार्यान्वयन प्रभावी टीम वर्क पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, COVID-19 महामारी के दौरान, स्वास्थ्य, आपदा प्रबंधन और कानून-व्यवस्था के विभागों के बीच समन्वय ने संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
लचीलापन और अनुकूलनशीलता: मैच के दौरान स्थिति लगातार बदलती रहती है। एक कप्तान को अपनी रणनीति को प्रतिद्वंद्वी की चालों और बदलती परिस्थितियों (जैसे पिच या मौसम) के अनुसार अनुकूलित करना होता है। इसी तरह, लोक प्रशासकों को भी बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों, नई प्रौद्योगिकियों और अप्रत्याशित चुनौतियों के लिए अपनी नीतियों और दृष्टिकोणों को अनुकूलित करने में लचीला होना चाहिए।
खेल अर्थव्यवस्था: मैदान से बाज़ार तक (Sports Economy: From Field to Market)
करुण नायर का विकेट भले ही एक खेल का क्षण हो, लेकिन यह उस विशाल खेल अर्थव्यवस्था का हिस्सा है जो भारत और वैश्विक स्तर पर अरबों डॉलर का उद्योग है। यह सिर्फ खिलाड़ियों और स्टेडियमों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रसारण अधिकार, विज्ञापन, प्रायोजन, खेल पर्यटन, मर्चेंडाइजिंग और संबंधित उद्योग शामिल हैं।
प्रसारण अधिकार और विज्ञापन: टेलीविजन और डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर क्रिकेट मैचों का सीधा प्रसारण सबसे बड़ा राजस्व स्रोत है। आईपीएल जैसी लीगों के लिए प्रसारण अधिकार अरबों डॉलर में बिकते हैं। यह विज्ञापनदाताओं को आकर्षित करता है, जो अपने उत्पादों को लाखों दर्शकों तक पहुंचाने के लिए भारी निवेश करते हैं। यह एक मल्टीप्लायर प्रभाव पैदा करता है, जिससे मीडिया उद्योग, विज्ञापन एजेंसियां और मार्केटिंग पेशेवरों को लाभ होता है।
प्रायोजन और ब्रांडिंग: कंपनियों के लिए खेल टीमों, खिलाड़ियों और टूर्नामेंटों को प्रायोजित करना एक प्रमुख विपणन रणनीति है। खिलाड़ी स्वयं ब्रांड एंबेसडर बन जाते हैं, उत्पादों का विज्ञापन करते हैं और लाखों डॉलर कमाते हैं। यह ब्रांड मूल्य का निर्माण करता है और कंपनियों को उपभोक्ताओं के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने में मदद करता है।
खेल पर्यटन और बुनियादी ढाँचा: बड़े खेल आयोजनों (जैसे विश्व कप या ओलंपिक) की मेजबानी से खेल पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को लाभ होता है। स्टेडियमों, प्रशिक्षण सुविधाओं और संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण से रोजगार सृजित होते हैं और शहरी विकास को गति मिलती है।
खिलाड़ी बाज़ार और निवेश: खिलाड़ियों की नीलामी (जैसे आईपीएल में) एक विशिष्ट श्रम बाज़ार का उदाहरण है, जहाँ खिलाड़ियों के कौशल और प्रदर्शन के आधार पर उनकी कीमत निर्धारित होती है। इसमें प्रतिभा स्काउटिंग, खिलाड़ी विकास और वित्तीय प्रबंधन शामिल है। खेल अकादमियों, प्रशिक्षण सुविधाओं और खेल विज्ञान में निवेश से नए खिलाड़ियों को तैयार करने और मौजूदा खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है।
चुनौतियाँ: हालांकि खेल अर्थव्यवस्था विशाल है, इसमें चुनौतियाँ भी हैं, जैसे मैच फिक्सिंग और भ्रष्टाचार, खेल सट्टेबाजी का विनियमन, और छोटे खेलों के लिए फंडिंग की कमी। सरकार को इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए नियामक ढाँचा और नीतियां बनानी होती हैं।
खेल और समाज: समावेशन और समानता (Sports and Society: Inclusion and Equality)
खेल समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने, रूढ़ियों को तोड़ने और समानता को बढ़ावा देने का एक शक्तिशाली माध्यम है।
लिंग समानता: महिला क्रिकेट, हॉकी और अन्य खेलों में भारत की महिला खिलाड़ियों ने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। मिताली राज, हरमनप्रीत कौर, पी.वी. सिंधु, साइना नेहवाल जैसी एथलीटों ने लड़कियों और महिलाओं को खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत खेल के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाने पर भी जोर दिया गया है। फिर भी, पुरुषों और महिलाओं के खेलों में वेतन असमानता और मीडिया कवरेज में अंतर जैसी चुनौतियाँ बनी हुई हैं।
समावेशी खेल: पैरालंपिक और विशेष ओलंपिक जैसे आयोजनों ने विकलांग व्यक्तियों को अपनी प्रतिभा दिखाने और समाज में अपनी जगह बनाने का मंच दिया है। सरकार और खेल संगठनों को ऐसे एथलीटों के लिए अधिक अवसर और सुविधाएँ प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों और वंचित समुदायों के बच्चों के लिए खेल के अवसर उपलब्ध कराना भी सामाजिक समावेशन का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
स्वास्थ्य और कल्याण: खेल और शारीरिक गतिविधि जीवन शैली से संबंधित बीमारियों से लड़ने और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं। ‘फिट इंडिया आंदोलन’ का उद्देश्य नागरिकों के बीच फिटनेस को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना है।
शिक्षा में खेल का एकीकरण: कई देशों में खेल को शिक्षा पाठ्यक्रम में एकीकृत किया जा रहा है ताकि छात्रों में अनुशासन, नेतृत्व और टीम वर्क जैसे गुणों का विकास हो सके। भारत में भी नई शिक्षा नीति में खेल को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाने की बात की गई है।
खेलों में तकनीकी और नवाचार (Technology and Innovation in Sports)
ब्रायडन कार्स की सफलता और करुण नायर के आउट होने के पीछे केवल खिलाड़ी का कौशल या किस्मत नहीं, बल्कि आधुनिक क्रिकेट में तकनीकी नवाचारों का भी हाथ होता है। खेल में तकनीक ने निर्णय लेने की सटीकता, खिलाड़ी के प्रदर्शन विश्लेषण और प्रसारण अनुभव को पूरी तरह बदल दिया है।
ये तकनीकी नवाचार न केवल खेल के लिए महत्वपूर्ण हैं बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी इनके अनुप्रयोग हैं, जैसे सुरक्षा, चिकित्सा और डेटा विज्ञान।
खेल शासन और चुनौतियाँ (Sports Governance and Challenges)
करुण नायर जैसे खिलाड़ियों का चयन, उनका प्रशिक्षण और उनके करियर का प्रबंधन एक जटिल प्रशासनिक ढांचे के भीतर होता है। भारत में खेल शासन की अपनी चुनौतियाँ और जटिलताएँ हैं।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI): BCCI दुनिया के सबसे धनी खेल निकायों में से एक है और भारतीय क्रिकेट पर इसका पूर्ण नियंत्रण है। इसकी स्वायत्तता और पारदर्शिता पर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। लोढ़ा समिति की सिफारिशें BCCI के कामकाज में सुधार, पारदर्शिता बढ़ाने और हितों के टकराव को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण थीं।
नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन (NSF): भारत में विभिन्न खेलों के लिए अलग-अलग NSF हैं, जो अपने-अपने खेल के विकास और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं। इनमें से कई संघों पर भाई-भतीजावाद, कुप्रबंधन और पारदर्शिता की कमी के आरोप लगते रहे हैं।
चुनौतियाँ:
भारत में खेलों का भविष्य और आगे की राह (Future of Sports in India and Way Forward)
करुण नायर का आउट होना एक छोटे से खेल घटनाक्रम से कहीं अधिक है; यह एक संकेत है कि कैसे एक राष्ट्र के रूप में हम चुनौतियों का सामना करते हैं और आगे बढ़ते हैं। भारत में खेलों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने और वैश्विक मंच पर अधिक सफलता प्राप्त करने के लिए एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
सरकारी पहल को सुदृढ़ करना: ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम को और व्यापक बनाना चाहिए ताकि जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान और पोषण हो सके। ‘नेशनल स्पोर्ट्स पॉलिसी’ को समय-समय पर अद्यतन किया जाना चाहिए ताकि यह बदलती जरूरतों और वैश्विक मानकों के अनुरूप हो। एथलीटों के लिए छात्रवृत्ति, प्रशिक्षण और अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए।
बुनियादी ढाँचे का विकास: देश भर में आधुनिक खेल सुविधाओं, प्रशिक्षण केंद्रों और खेल अकादमियों का निर्माण आवश्यक है, खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में। निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विविध खेलों को बढ़ावा देना: सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, हॉकी, फुटबॉल, बैडमिंटन, कुश्ती, एथलेटिक्स और अन्य ओलंपिक खेलों को भी समान रूप से बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए विशेष फंडिंग, मीडिया कवरेज और प्रतिभा विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है।
खेल विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश: खेल विज्ञान, खेल चिकित्सा, पोषण और खेल मनोविज्ञान में विशेषज्ञता विकसित की जानी चाहिए। प्रदर्शन विश्लेषण के लिए आधुनिक तकनीक और डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना चाहिए ताकि खिलाड़ियों के प्रदर्शन में सुधार हो सके।
नैतिकता और सुशासन: खेल निकायों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन सुनिश्चित करना अनिवार्य है। भ्रष्टाचार, डोपिंग और मैच फिक्सिंग जैसी बुराइयों से निपटने के लिए सख्त कानून और एक मजबूत नियामक ढाँचा होना चाहिए। खिलाड़ियों और खेल अधिकारियों के लिए नैतिक आचार संहिता लागू की जानी चाहिए।
शिक्षा और खेल का एकीकरण: स्कूलों और कॉलेजों में खेल को शिक्षा पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य हिस्सा बनाना चाहिए। इससे छात्रों में शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ टीम वर्क, नेतृत्व और अनुशासन जैसे महत्वपूर्ण जीवन कौशल विकसित होंगे।
कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR): कॉर्पोरेट घरानों को खेल विकास में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, विशेषकर उन खेलों में जिन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिलता। यह ‘टैलेंट हंट’ कार्यक्रमों और बुनियादी ढाँचे के विकास में मदद कर सकता है।
करुण नायर का विकेट क्रिकेट मैदान पर एक क्षणिक घटना हो सकती है, लेकिन यह हमें व्यापक सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक संदर्भों में खेल के महत्व पर चिंतन करने का अवसर देता है। एक UPSC उम्मीदवार के रूप में, ऐसी घटनाओं को सिर्फ खबर के रूप में नहीं, बल्कि बहु-विषयक दृष्टिकोण से विश्लेषण करने की क्षमता विकसित करना महत्वपूर्ण है। खेल, अंततः, राष्ट्र के विकास और प्रगति का एक दर्पण है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)
1. राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. इसका गठन केंद्र सरकार द्वारा खेल मंत्रालय के तहत किया गया था ताकि देश में खेलों को बढ़ावा दिया जा सके।
II. इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) और निजी क्षेत्र की कंपनियों से कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत योगदान स्वीकार किया जाता है।
III. इसका उद्देश्य मुख्य रूप से क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेलों के बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: राष्ट्रीय खेल विकास कोष (NSDF) का गठन 1998 में केंद्र सरकार द्वारा खेल मंत्रालय के तहत देश में खेलों को बढ़ावा देने के लिए किया गया था (कथन I सही है)। इसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की कंपनियों से CSR के तहत योगदान स्वीकार किया जाता है (कथन II सही है)। हालांकि, इसका उद्देश्य केवल क्रिकेट जैसे लोकप्रिय खेलों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका लक्ष्य सभी खेलों में उत्कृष्टता को बढ़ावा देना है, जिसमें ओलंपिक और पैरालिंपिक खेल भी शामिल हैं। इसलिए, कथन III गलत है।2. ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. इसे युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा 2018 में शुरू किया गया था।
II. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारत में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करना और जमीनी स्तर पर खेल के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है।
III. इसके तहत, चयनित एथलीटों को 8 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और IIIउत्तर: (d)
व्याख्या: ‘खेलो इंडिया’ कार्यक्रम को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा 2018 में शुरू किया गया था (कथन I सही है)। इसका प्राथमिक उद्देश्य भारत में खेल संस्कृति को पुनर्जीवित करना और जमीनी स्तर पर खेल के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करना है (कथन II सही है)। इस कार्यक्रम के तहत, चयनित एथलीटों को 8 वर्षों के लिए प्रति वर्ष 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है ताकि वे अपनी खेल प्रतिभा को विकसित कर सकें (कथन III सही है)।3. भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह भारत में खेल विकास के लिए प्रमुख राष्ट्रीय खेल संगठन है।
II. यह युवा मामले और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य करता है।
III. SAI केवल ओलंपिक खेलों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है और गैर-ओलंपिक खेलों में शामिल नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) भारत में खेल विकास के लिए प्रमुख राष्ट्रीय खेल संगठन है (कथन I सही है)। यह युवा मामले और खेल मंत्रालय के तत्वावधान में एक पंजीकृत सोसायटी के रूप में कार्य करता है (कथन II सही है)। SAI का जनादेश ओलंपिक और गैर-ओलंपिक दोनों खेलों को बढ़ावा देना और विकसित करना है, न कि केवल ओलंपिक खेलों को। इसलिए, कथन III गलत है।4. भारत में खेल क्षेत्र से संबंधित निम्नलिखित समितियों/रिपोर्टों पर विचार कीजिए:
I. लोढ़ा समिति – भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) में सुधार।
II. जस्टिस मुद्गल समिति – IPL स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड की जांच।
III. एम.एस. गिल समिति – भारत में डोपिंग के मुद्दों की जांच।
उपर्युक्त युग्मों में से कौन सा/से सही सुमेलित है/हैं?(a) केवल I और II
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और IIIउत्तर: (a)
व्याख्या: लोढ़ा समिति का गठन BCCI में सुधारों की सिफारिश करने के लिए किया गया था (कथन I सही है)। जस्टिस मुद्गल समिति ने IPL स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी कांड की जांच की थी (कथन II सही है)। एम.एस. गिल समिति का संबंध डोपिंग से नहीं, बल्कि भारत में खेल प्रशासन से था। डोपिंग के मुद्दे नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) और वर्ल्ड एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) द्वारा संभाले जाते हैं।5. नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी (NADA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह भारत में खेलों में डोपिंग नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार एक स्वतंत्र राष्ट्रीय संगठन है।
II. NADA विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी (WADA) के कोड के अनुरूप कार्य करता है।
III. इसका मुख्य कार्य केवल पेशेवर एथलीटों का डोप परीक्षण करना है, शौकिया खिलाड़ियों का नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: NADA भारत में खेलों में डोपिंग नियंत्रण कार्यक्रम को लागू करने के लिए जिम्मेदार एक स्वतंत्र राष्ट्रीय संगठन है (कथन I सही है)। यह WADA कोड के अनुरूप कार्य करता है (कथन II सही है)। NADA का कार्य केवल पेशेवर एथलीटों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सभी स्तरों के एथलीट, पेशेवर और शौकिया दोनों शामिल हैं, जो राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेते हैं। इसलिए, कथन III गलत है।6. भारत में ई-स्पोर्ट्स के बढ़ते परिदृश्य के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. भारत में ई-स्पोर्ट्स को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दी गई है।
II. यह मुख्य रूप से शारीरिक कौशल और आउटडोर गतिविधियों पर केंद्रित है।
III. भारत दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स दर्शकों के बाजारों में से एक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और III
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: भारत में ई-स्पोर्ट्स को युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा एक आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दी गई है (कथन I सही है)। ई-स्पोर्ट्स मुख्य रूप से मानसिक कौशल, रणनीति और इनडोर डिजिटल गतिविधियों पर केंद्रित है, न कि शारीरिक कौशल और आउटडोर गतिविधियों पर (कथन II गलत है)। भारत निश्चित रूप से दुनिया के सबसे बड़े ई-स्पोर्ट्स दर्शकों के बाजारों में से एक है, खासकर अपनी युवा आबादी और स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ के कारण (कथन III सही है)।7. खेलों में प्रौद्योगिकी के उपयोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. हॉक-आई (Hawk-Eye) तकनीक का उपयोग मुख्य रूप से क्रिकेट और टेनिस जैसे खेलों में बॉल-ट्रैकिंग और निर्णय समीक्षा के लिए किया जाता है।
II. वीडियो असिस्टेंट रेफरी (VAR) प्रणाली का उपयोग मुख्य रूप से फुटबॉल में रेफरी के निर्णय लेने में सहायता के लिए किया जाता है।
III. पहनने योग्य तकनीक (Wearable Technology) खिलाड़ियों के प्रदर्शन डेटा को वास्तविक समय में ट्रैक करने में मदद करती है, लेकिन चोटों को रोकने में अप्रभावी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: हॉक-आई तकनीक क्रिकेट और टेनिस में बॉल-ट्रैकिंग और निर्णय समीक्षा के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती है (कथन I सही है)। VAR प्रणाली फुटबॉल में रेफरी के निर्णयों में सहायता करती है, विशेषकर गोल, पेनल्टी और रेड कार्ड जैसे महत्वपूर्ण पलों में (कथन II सही है)। पहनने योग्य तकनीक खिलाड़ियों के प्रदर्शन को ट्रैक करती है और चोटों को रोकने में काफी प्रभावी है, क्योंकि यह ओवरट्रेनिंग या असंतुलन जैसे जोखिम कारकों की पहचान कर सकती है। इसलिए, कथन III गलत है।8. भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) और खेल विकास के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
(a) कंपनियों के लिए खेल विकास परियोजनाओं में निवेश करना अनिवार्य नहीं है, बल्कि यह एक स्वैच्छिक गतिविधि है।
(b) कंपनियों को केवल लोकप्रिय खेलों जैसे क्रिकेट में ही CSR के तहत निवेश करने की अनुमति है।
(c) CSR गतिविधियों के तहत खेल के बुनियादी ढाँचे का विकास पात्र है, लेकिन एथलीटों को सीधे वित्तीय सहायता प्रदान करना नहीं।
(d) भारत सरकार ने खेलों में CSR व्यय को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धन अन्य सामाजिक क्षेत्रों में जाए।उत्तर: (a)
व्याख्या: भारत में CSR नियमों के तहत, कंपनियां अपने औसत शुद्ध लाभ का 2% कुछ निर्दिष्ट गतिविधियों पर खर्च करने के लिए बाध्य हैं। खेल विकास ऐसी गतिविधियों में से एक है, लेकिन किसी विशिष्ट खेल या परियोजना में निवेश करना अनिवार्य नहीं है; यह कंपनियों की पसंद पर निर्भर करता है (कथन a सही है)। कंपनियों को किसी भी खेल में निवेश करने की अनुमति है, न कि केवल लोकप्रिय खेलों में (कथन b गलत है)। CSR गतिविधियों के तहत खेल के बुनियादी ढाँचे का विकास और एथलीटों को वित्तीय सहायता दोनों ही पात्र हैं (कथन c गलत है)। सरकार ने खेलों में CSR व्यय को प्रतिबंधित नहीं किया है, बल्कि इसे प्रोत्साहित किया है (कथन d गलत है)।9. भारत में ‘खेल कूटनीति’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
I. यह दो या दो से अधिक देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए खेलों के उपयोग को संदर्भित करता है।
II. भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट श्रृंखलाएं अक्सर खेल कूटनीति का एक उदाहरण मानी जाती हैं।
III. यह केवल सरकार से सरकार स्तर पर ही संभव है, गैर-सरकारी संगठनों या व्यक्तियों द्वारा नहीं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?(a) केवल I
(b) केवल II और III
(c) केवल I और II
(d) I, II और IIIउत्तर: (c)
व्याख्या: खेल कूटनीति देशों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने और सद्भावना को बढ़ावा देने के लिए खेलों के उपयोग को संदर्भित करती है (कथन I सही है)। भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट श्रृंखलाएं अक्सर राजनीतिक तनाव को कम करने और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में देखी जाती हैं (कथन II सही है)। खेल कूटनीति केवल सरकार-से-सरकार स्तर पर ही नहीं, बल्कि गैर-सरकारी संगठनों, खिलाड़ियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से भी हो सकती है। इसलिए, कथन III गलत है।10. भारत में ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) भारत को 2036 के ओलंपिक की मेजबानी के लिए तैयार करना।
(b) भारतीय खेल निकायों में भ्रष्टाचार को खत्म करना।
(c) नागरिकों के बीच फिटनेस को दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना।
(d) भारत को प्रमुख खेल विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करना।उत्तर: (c)
व्याख्या: ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ को 2019 में प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किया गया था जिसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिकों के बीच शारीरिक फिटनेस और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना है, इसे उनके दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बनाना है (कथन c सही है)। यह ओलंपिक मेजबानी या भ्रष्टाचार उन्मूलन से सीधे संबंधित नहीं है, हालांकि अप्रत्यक्ष रूप से यह खेल संस्कृति को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।मुख्य परीक्षा (Mains)
(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)
1. “क्रिकेट मैदान पर एक खिलाड़ी का आउट होना, राष्ट्र निर्माण की व्यापक तस्वीर में कैसे योगदान दे सकता है?” भारत में खेल के सामाजिक-सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व का विश्लेषण करें, साथ ही इसके राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर भी प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
2. खेल को अक्सर ‘जीवन का लघु रूप’ कहा जाता है, जहाँ नेतृत्व, दबाव प्रबंधन और टीम वर्क जैसे गुण विकसित होते हैं। लोक प्रशासन में एक प्रभावी सिविल सेवक के लिए इन गुणों का क्या महत्व है? उपयुक्त उदाहरणों के साथ चर्चा कीजिए। (लगभग 250 शब्द)
3. भारत में खेल अर्थव्यवस्था की विशाल क्षमता के बावजूद, यह अभी भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इन चुनौतियों की पहचान करें और भारत में एक मजबूत, समावेशी और पारदर्शी खेल अर्थव्यवस्था के निर्माण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, विस्तार से समझाइए। (लगभग 250 शब्द)
4. भारत में खेल शासन की स्थिति पर गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं, विशेषकर भ्रष्टाचार और डोपिंग जैसे मुद्दों के संबंध में। इन चुनौतियों को दूर करने और देश में खेल के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए ‘आगे की राह’ पर एक आलोचनात्मक मूल्यांकन प्रस्तुत करें। (लगभग 250 शब्द)