जयशंकर की बीजिंग यात्रा: भारत-चीन संबंधों का नया अध्याय? UPSC के लिए विश्लेषण
चर्चा में क्यों? (Why in News?): विदेश मंत्री एस. जयशंकर की हाल ही में बीजिंग यात्रा ने भारत-चीन संबंधों में नई गतिविधि पैदा की है। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने चीनी उपराष्ट्रपति से मुलाकात की और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता के लिए भारत के समर्थन को दोहराया। यह मुलाक़ात विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने और मौजूदा तनावों को कम करने के उद्देश्य से हुई थी।
यह घटनाक्रम इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत और चीन के बीच के संबंध जटिल और बहुआयामी हैं। सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन, और तकनीकी प्रतिस्पर्धा जैसे मुद्दे द्विपक्षीय संबंधों में लगातार तनाव का कारण बने हुए हैं। हालांकि, आर्थिक और रणनीतिक कारणों से दोनों देशों को संबंधों को स्थिर रखने की आवश्यकता है। जयशंकर की यात्रा इसी दिशा में एक कदम माना जा सकता है।
Table of Contents
- भारत-चीन संबंधों का सारांश (A Synopsis of India-China Relations)
- जयशंकर की यात्रा का महत्व (Significance of Jaishankar’s Visit)
- चुनौतियाँ और आगे का रास्ता (Challenges and the Way Forward)
- UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- मुख्य परीक्षा (Mains)
भारत-चीन संबंधों का सारांश (A Synopsis of India-China Relations)
भारत और चीन के बीच का रिश्ता सदियों पुराना है, लेकिन आधुनिक युग में यह विभिन्न चुनौतियों और अवसरों से जूझता रहा है। प्रारंभिक वर्षों में पंचशील सिद्धांतों पर आधारित मित्रतापूर्ण संबंधों का दावा किया गया था। हालांकि, 1962 का युद्ध और उसके बाद के वर्षों में सीमा विवाद ने संबंधों को खराब किया।
- सीमा विवाद (Border Dispute): यह द्विपक्षीय संबंधों का सबसे महत्वपूर्ण और जटिल पहलू है। दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर विवाद चल रहा है, जिससे तनाव और सैन्य तैनाती बढ़ती है। गलवान घाटी का संघर्ष इस विवाद की ताज़ा अभिव्यक्ति है।
- आर्थिक संबंध (Economic Ties): चीन भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है। हालांकि, व्यापार घाटा भारत के लिए चिंता का विषय है। चीन द्वारा भारतीय बाजार में सस्ती वस्तुओं का निर्यात भारतीय उद्योगों के लिए एक चुनौती है।
- रणनीतिक प्रतिस्पर्धा (Strategic Competition): चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति भारत के लिए एक रणनीतिक चुनौती है। दोनों देशों के बीच हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने की होड़ है।
- प्रौद्योगिकी प्रतिस्पर्धा (Technological Competition): दोनों देश 5जी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। यह प्रतिस्पर्धा दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा चिंताओं से जुड़ी हुई है।
जयशंकर की यात्रा का महत्व (Significance of Jaishankar’s Visit)
जयशंकर की बीजिंग यात्रा को भारत-चीन संबंधों को सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। यह यात्रा दोनों देशों के बीच वार्ता और संवाद को फिर से शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। SCO के लिए समर्थन व्यक्त करना द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने की दिशा में एक संकेत है।
“यह यात्रा सीमा विवाद जैसे जटिल मुद्दों पर बातचीत के लिए एक मंच प्रदान करती है। हालांकि, सफलता के लिए दोनो पक्षों की रचनात्मकता और समझौते की भावना महत्वपूर्ण होगी।”
इस यात्रा से निम्नलिखित लाभ प्राप्त हो सकते हैं:
- सीमा पर तनाव कम करना: वार्ता के माध्यम से सीमा पर सैन्य तैनाती को कम किया जा सकता है और विवादों का शांतिपूर्ण समाधान खोजा जा सकता है।
- व्यापार और आर्थिक सहयोग बढ़ाना: व्यापार असंतुलन को कम करने और नए आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कार्य योजना बनाई जा सकती है।
- रणनीतिक संवाद को बढ़ावा देना: आपसी विश्वास और पारस्परिक समझ को मजबूत करने के लिए सैन्य और रणनीतिक संवाद को नियमित किया जा सकता है।
- प्रौद्योगिकी सहयोग: प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देकर नवाचार और विकास को बढ़ाया जा सकता है।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता (Challenges and the Way Forward)
हालांकि, भारत-चीन संबंधों को सुधारने के रास्ते में कई चुनौतियाँ हैं:
- अविश्वास: गलवान घाटी के संघर्ष के बाद दोनों देशों के बीच अविश्वास का माहौल बना हुआ है। इस अविश्वास को दूर करने के लिए माहौल बनाने की जरूरत है।
- सीमा विवाद का समाधान: सीमा विवाद का समाधान एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है। दोनों देशों को एक व्यावहारिक और स्थायी समाधान खोजने के लिए रचनात्मकता और समझौते की भावना दिखानी होगी।
- चीन की बढ़ती शक्ति: चीन की बढ़ती आर्थिक और सैन्य शक्ति भारत के लिए एक चिंता का विषय है। भारत को अपनी रणनीतिक क्षमताओं को मजबूत करने की आवश्यकता है।
आगे का रास्ता निम्नलिखित कदमों पर केंद्रित होना चाहिए:
- नियमित संवाद और वार्ता: सीमा विवाद, व्यापार, और अन्य मुद्दों पर नियमित संवाद और वार्ता को जारी रखना महत्वपूर्ण है।
- विश्वास निर्माण उपाय: विश्वास निर्माण उपायों को बढ़ावा देने से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास बढ़ सकता है।
- बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग: SCO, BRICS, और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग को बढ़ावा देकर आपसी हितों को आगे बढ़ाया जा सकता है।
- रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना: भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. **किस देश के विदेश मंत्री ने हाल ही में चीन के उपराष्ट्रपति से मुलाकात की?**
a) अमेरिका b) रूस c) भारत d) जापान
**उत्तर: c) भारत**
2. **शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की अध्यक्षता किस देश ने हाल ही में ग्रहण की है?** (इस प्रश्न का उत्तर तत्कालीन स्थिति पर आधारित होगा।)
3. **वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) किस देशों के बीच विवाद का विषय है?**
a) भारत और पाकिस्तान b) भारत और चीन c) चीन और नेपाल d) पाकिस्तान और अफगानिस्तान
**उत्तर: b) भारत और चीन**
4. **पंचशील सिद्धांत किस वर्ष में अपनाए गए थे?** (इस प्रश्न का सटीक वर्ष आवश्यक है।)
5. **गलवान घाटी का संघर्ष किस वर्ष हुआ था?** (इस प्रश्न का सटीक वर्ष आवश्यक है।)
6. **निम्नलिखित में से कौन सा भारत और चीन के बीच के संबंधों का एक महत्वपूर्ण पहलू नहीं है?**
a) सीमा विवाद b) आर्थिक संबंध c) रणनीतिक प्रतिस्पर्धा d) संयुक्त सैन्य अभ्यास
**उत्तर: d) संयुक्त सैन्य अभ्यास**
7. **भारत-चीन संबंधों पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ता है?** (एक से अधिक उत्तर हो सकते हैं)
a) व्यापारिक संबंधों पर b) सुरक्षा चिंताओं पर c) प्रौद्योगिकी विकास पर d) क्षेत्रीय स्थिरता पर
8. **भारत-चीन सीमा विवाद के निपटारे के लिए किस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं?** (वार्ता, मध्यस्थता, इत्यादि)
9. **SCO के उद्देश्य क्या हैं?**
10. **भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों की प्रकृति क्या है?** (व्यापार घाटा, निर्भरता, इत्यादि)
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. भारत-चीन संबंधों के वर्तमान स्वरूप का विश्लेषण कीजिए। सीमा विवाद, आर्थिक संबंध, और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा कीजिए। क्या आपकी राय में जयशंकर की हालिया बीजिंग यात्रा से इन संबंधों में सुधार हो सकता है? अपने उत्तर का तर्क दीजिये।
2. भारत और चीन के बीच विश्वास निर्माण उपायों की क्या संभावना है? इन उपायों को कारगर बनाने के लिए कौन सी रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं?
3. भारत को चीन के साथ अपने संबंधों को कैसे संतुलित करना चाहिए? अपने उत्तर में रणनीतिक स्वायत्तता, आर्थिक सहयोग, और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे पहलुओं पर चर्चा कीजिए।