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उत्तराखंड आपदा: केदारनाथ, बदरीनाथ यात्रा पर संकट, क्या है समाधान?

उत्तराखंड आपदा: केदारनाथ, बदरीनाथ यात्रा पर संकट, क्या है समाधान?

चर्चा में क्यों? (Why in News?): हाल ही में उत्तराखंड में भारी वर्षा और भूस्खलन के कारण ऋषिकेश-बदरीनाथ राजमार्ग बाधित हो गया है, जिससे केदारनाथ की यात्रा कुछ समय के लिए रोक दी गई है और यमुनोत्री राजमार्ग भी बंद है। यह घटना उत्तराखंड की पर्वतीय अर्थव्यवस्था और पर्यावरणीय चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, जो UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

उत्तराखंड, देवभूमि के नाम से जाना जाने वाला राज्य, अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। चार धाम यात्रा – बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री – लाखों तीर्थयात्रियों को हर साल आकर्षित करती है। लेकिन, इस प्राकृतिक सुंदरता के साथ ही कई चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं, खासकर मौसमी बदलावों और भूगर्भीय अस्थिरता के रूप में। हाल ही की घटनाएँ इन चुनौतियों को और स्पष्ट करती हैं।

बाढ़ और भूस्खलन: कारण और प्रभाव

उत्तराखंड में भारी वर्षा और भूस्खलन कई कारकों का परिणाम हैं:

  • अत्यधिक वर्षा: मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा पहाड़ी ढलानों पर मिट्टी का कटाव बढ़ाती है, जिससे भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। जलधाराएँ तेज हो जाती हैं और बाढ़ का कारण बनती हैं।
  • अनुचित शहरीकरण और निर्माण: पहाड़ी क्षेत्रों में अनियंत्रित निर्माण और शहरीकरण से प्राकृतिक जल निकासी प्रणाली बाधित होती है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है।
  • वन कटाई: वनों की कटाई से मिट्टी का कटाव बढ़ता है और भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है। पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण अत्यधिक वर्षा और अचानक बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है।

इन कारकों के परिणामस्वरूप:

  • यात्रा में व्यवधान: राजमार्गों का क्षतिग्रस्त होना तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों की आवाजाही को बाधित करता है।
  • आर्थिक नुकसान: पर्यटन पर निर्भर अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान होता है। होटल, रेस्टोरेंट और अन्य व्यवसाय प्रभावित होते हैं।
  • मानवीय संकट: भूस्खलन और बाढ़ से जान-माल का नुकसान हो सकता है और लोगों को विस्थापित होना पड़ सकता है।
  • पर्यावरणीय क्षति: प्राकृतिक संसाधन क्षतिग्रस्त होते हैं और जैव विविधता को खतरा होता है।

सरकार की प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ

उत्तराखंड सरकार ने राहत और बचाव कार्य शुरू किया है, जिसमें राजमार्गों की मरम्मत और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करना शामिल है। लेकिन, कई चुनौतियाँ हैं:

  • पहाड़ी इलाकों में पहुँच: दुर्गम पहाड़ी इलाकों में राहत सामग्री पहुँचाना एक बड़ी चुनौती है।
  • संसाधनों की कमी: पर्याप्त संसाधनों और उपकरणों की कमी राहत और बचाव कार्यों को प्रभावित करती है।
  • लॉजिस्टिक चुनौतियाँ: भूस्खलन और बाढ़ के बाद राजमार्गों और पुलों को नुकसान पहुंचने से लॉजिस्टिक्स में बाधा आती है।
  • दीर्घकालिक समाधान: अल्पकालिक राहत के अलावा, दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता है, जैसे कि सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करना।

भविष्य की राह: दीर्घकालिक समाधान

उत्तराखंड में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है:

  • सतत पर्वतीय विकास: पर्यावरण के अनुकूल विकास योजनाओं को अपनाना और अनियंत्रित निर्माण पर रोक लगाना।
  • वन संरक्षण: वनों की कटाई को रोकना और वनीकरण को बढ़ावा देना।
  • जल निकासी प्रणाली का सुधार: जल निकासी प्रणाली को मजबूत करना और बाढ़ नियंत्रण उपायों को लागू करना।
  • जलवायु परिवर्तन अनुकूलन: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए उपाय करना।
  • प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: प्राकृतिक आपदाओं के बारे में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना।
  • समुदाय-आधारित आपदा प्रबंधन: स्थानीय समुदायों को आपदा प्रबंधन में शामिल करना।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व को बनाए रखते हुए, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण ही दीर्घकालिक समाधान है। केवल अल्पकालिक उपायों से समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

1. **कथन 1:** उत्तराखंड में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन मुख्यतः अत्यधिक वर्षा के कारण हुई है।
**कथन 2:** वन कटाई और अनियंत्रित निर्माण से भी बाढ़ और भूस्खलन की संभावना बढ़ जाती है।
a) केवल कथन 1 सही है।
b) केवल कथन 2 सही है।
c) दोनों कथन सही हैं।
d) दोनों कथन गलत हैं।
**(उत्तर: c)**

2. उत्तराखंड में चार धाम यात्रा किसके लिए जानी जाती है?
a) प्राकृतिक सुंदरता
b) धार्मिक स्थल
c) दोनों a और b
d) इनमें से कोई नहीं
**(उत्तर: c)**

3. उत्तराखंड में हाल ही में हुए भूस्खलन से किस यात्रा पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है?
a) गंगोत्री
b) यमुनोत्री
c) केदारनाथ
d) बद्रीनाथ
**(उत्तर: c)**

4. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए कौन सा कारक सबसे महत्वपूर्ण है?
a) समुदाय की भागीदारी
b) तकनीकी साधन
c) सरकारी नीतियाँ
d) उपरोक्त सभी
**(उत्तर: d)**

5. उत्तराखंड में भूस्खलन को रोकने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी होगा?
a) वनीकरण
b) अत्यधिक निर्माण पर रोक
c) जल निकासी प्रणाली में सुधार
d) उपरोक्त सभी
**(उत्तर: d)**

6. उत्तराखंड में हालिया बाढ़ और भूस्खलन से किस क्षेत्र को सबसे अधिक नुकसान हुआ है?
a) कृषि
b) पर्यटन
c) उद्योग
d) बुनियादी ढांचा
**(उत्तर: b)**

7. निम्नलिखित में से कौन सा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव नहीं है?
a) अत्यधिक वर्षा
b) बढ़ता तापमान
c) समुद्र का स्तर बढ़ना
d) वन्यजीवों में वृद्धि
**(उत्तर: d)**

8. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए कौन सी तकनीक का उपयोग किया जाता है?
a) उपग्रह इमेजरी
b) मौसम पूर्वानुमान
c) प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
d) उपरोक्त सभी
**(उत्तर: d)**

9. उत्तराखंड सरकार ने हालिया आपदा के जवाब में क्या कदम उठाए हैं?
a) बचाव कार्य
b) राहत वितरण
c) पुनर्निर्माण कार्य
d) उपरोक्त सभी
**(उत्तर: d)**

10. उत्तराखंड में सतत विकास के लिए किस पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए?
a) पर्यावरण संरक्षण
b) आर्थिक विकास
c) सामाजिक न्याय
d) उपरोक्त सभी
**(उत्तर: d)**

मुख्य परीक्षा (Mains)

1. उत्तराखंड में हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन से उत्पन्न चुनौतियों का आकलन करें और उनके समाधान के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करें।

2. उत्तराखंड में सतत पर्वतीय विकास की अवधारणा पर चर्चा करें और इस क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिरता और आर्थिक विकास के बीच संतुलन कैसे स्थापित किया जा सकता है, इस पर प्रकाश डालें।

3. उत्तराखंड में आपदा प्रबंधन के लिए समुदाय-आधारित दृष्टिकोण की भूमिका पर चर्चा करें और इसके प्रभावशीलता को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दें।

4. जलवायु परिवर्तन उत्तराखंड जैसी संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्रों पर कैसे प्रभाव डाल रहा है? इस चुनौती से निपटने के लिए प्रभावी रणनीतियाँ क्या हो सकती हैं?

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