कृत्रिम वर्षा: दिल्ली के प्रदूषण का समाधान या एक महँगा प्रयोग?
चर्चा में क्यों? (Why in News?): दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए, अगस्त-सितंबर 2024 में कृत्रिम वर्षा के पांच परीक्षण किए जाने हैं। महाराष्ट्र में इस तकनीक के सफल प्रयोग के बाद, यह पहल दिल्ली में प्रदूषण के स्तर को कम करने की उम्मीद में की जा रही है।
भारत के कई शहरों में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएँ और पर्यावरणीय क्षति हो रही है। दिल्ली, विशेष रूप से, हर साल सर्दियों के महीनों में घने स्मॉग से जूझता है। इस समस्या से निपटने के लिए, सरकार विभिन्न उपायों पर विचार कर रही है, जिनमें से एक है कृत्रिम वर्षा। लेकिन क्या यह समाधान वाकई कारगर होगा? आइए इस तकनीक और इसके संभावित प्रभावों का गहन विश्लेषण करते हैं।
Table of Contents
- कृत्रिम वर्षा: तकनीक और प्रक्रिया (Cloud Seeding: Technology and Process)
- महाराष्ट्र का केस स्टडी (Maharashtra Case Study):
- दिल्ली में कृत्रिम वर्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ (Delhi’s Cloud Seeding: Challenges and Possibilities)
- भविष्य की राह (The Way Forward)
- UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
- प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- मुख्य परीक्षा (Mains)
कृत्रिम वर्षा: तकनीक और प्रक्रिया (Cloud Seeding: Technology and Process)
कृत्रिम वर्षा, जिसे क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) भी कहा जाता है, एक मौसम संशोधन तकनीक है जिसमें बादलों में रसायनों का छिड़काव किया जाता है ताकि वर्षा को प्रेरित किया जा सके। यह प्रक्रिया मुख्यतः दो विधियों पर आधारित है:
- हाइड्रोस्कोपिक सीडिंग (Hygroscopic Seeding): इसमें सोडियम क्लोराइड जैसे हाइड्रोस्कोपिक कणों का उपयोग किया जाता है, जो हवा में नमी को आकर्षित करते हैं और बादलों में मौजूद छोटे पानी के कणों को बड़े कणों में बदलने में मदद करते हैं, जिससे वर्षा होती है।
- आइसोस्कोपिक सीडिंग (Iceonucleating Seeding): इसमें सिल्वर आयोडाइड या ड्राई आइस जैसे पदार्थों का उपयोग किया जाता है जो बादलों में बर्फ के क्रिस्टल के निर्माण को प्रेरित करते हैं। ये क्रिस्टल बड़े होकर बर्फ के टुकड़े या ओले बनते हैं, जो फिर वर्षा के रूप में नीचे गिरते हैं।
ये रसायन विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए विमानों या रॉकेटों के माध्यम से बादलों में छिड़के जाते हैं। तकनीक की सफलता कई कारकों पर निर्भर करती है, जैसे बादलों का प्रकार, तापमान, और नमी का स्तर।
महाराष्ट्र का केस स्टडी (Maharashtra Case Study):
महाराष्ट्र में कृत्रिम वर्षा के प्रयोग ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं, जहाँ 18% अधिक वर्षा दर्ज की गई है। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो इस तकनीक की क्षमता को प्रदर्शित करती है। हालाँकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि महाराष्ट्र में कृत्रिम वर्षा के प्रयोग के परिणामों को विभिन्न कारकों जैसे मौसम की प्राकृतिक परिवर्तनशीलता, भौगोलिक स्थिति आदि को ध्यान में रखते हुए विश्लेषण करना होगा। एक क्षेत्र में सफलता का अर्थ यह नहीं है कि यह हर जगह काम करेगा।
दिल्ली में कृत्रिम वर्षा: चुनौतियाँ और संभावनाएँ (Delhi’s Cloud Seeding: Challenges and Possibilities)
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक है, और कृत्रिम वर्षा से प्रदूषण को कम करने की उम्मीद की जा रही है। हालाँकि, इस पहल के अपने-अपने चुनौतियाँ हैं:
- मौसमी कारक: दिल्ली में वर्षा का मौसम सीमित होता है, और वर्षा को प्रेरित करने के लिए उपयुक्त मौसम की स्थिति हमेशा उपलब्ध नहीं होती।
- प्रदूषण का प्रकार: दिल्ली का प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों, औद्योगिक गतिविधियों और निर्माण कार्यों से उत्पन्न होने वाले कणों और गैसों से होता है। कृत्रिम वर्षा इन कणों को धुल सकती है, लेकिन गैसों को कम करने में कम प्रभावी हो सकती है।
- लागत प्रभावशीलता: कृत्रिम वर्षा एक महँगी तकनीक है, और इसके दीर्घकालिक आर्थिक व्यवहार्यता पर विचार करना होगा।
- पर्यावरणीय प्रभाव: कृत्रिम वर्षा में इस्तेमाल होने वाले रसायनों के पर्यावरण पर दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में चिंताएँ हैं।
इसके बावजूद, कृत्रिम वर्षा एक संभावित समाधान हो सकती है, विशेष रूप से जब यह अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों के साथ जोड़ा जाता है। यह एक अकेला समाधान नहीं है, बल्कि एक बहुआयामी रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
भविष्य की राह (The Way Forward)
दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के परीक्षणों का परिणाम इस तकनीक की प्रभावशीलता और व्यवहार्यता का निर्धारण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इन परीक्षणों के दौरान डेटा के संग्रह और विश्लेषण पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इसके अलावा, अन्य प्रदूषण नियंत्रण उपायों जैसे वाहन उत्सर्जन मानकों में सुधार, उद्योगों पर प्रदूषण नियंत्रण नियमों का कठोरता से पालन, और हरित क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
एक व्यापक, बहु-स्तरीय दृष्टिकोण जो कृत्रिम वर्षा को अन्य उपायों के साथ जोड़ता है, दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे प्रभावी रणनीति हो सकती है। हालाँकि, यह तकनीक चमत्कारिक समाधान नहीं है, और इसके सीमाओं और संभावित नकारात्मक प्रभावों को समझना आवश्यक है।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- कथन 1: कृत्रिम वर्षा में बादलों में रसायनों का छिड़काव करके वर्षा को प्रेरित किया जाता है। कथन 2: इस तकनीक में केवल हाइड्रोस्कोपिक सीडिंग विधि का उपयोग किया जाता है।
- केवल कथन 1 सही है।
- केवल कथन 2 सही है।
- दोनों कथन सही हैं।
- दोनों कथन गलत हैं।
उत्तर: A (कथन 2 गलत है, क्योंकि आइसोस्कोपिक सीडिंग विधि भी उपयोग में है।)
- महाराष्ट्र में कृत्रिम वर्षा के प्रयोग से कितना प्रतिशत अधिक वर्षा हुई?
- 5%
- 10%
- 18%
- 25%
उत्तर: C
- कृत्रिम वर्षा से प्रदूषण को कम करने में किस प्रकार की चुनौतियाँ हैं? (एक से अधिक उत्तर सही हो सकते हैं)
- मौसमी कारक
- प्रदूषण के प्रकार
- लागत प्रभावशीलता
- पर्यावरणीय प्रभाव
- सभी सही हैं
उत्तर: E
- कृत्रिम वर्षा में किस रसायन का उपयोग किया जा सकता है? (एक से अधिक उत्तर सही हो सकते हैं)
- सोडियम क्लोराइड
- सिल्वर आयोडाइड
- ड्राई आइस
- सभी सही हैं
उत्तर: D
- दिल्ली में कृत्रिम वर्षा के कितने परीक्षण किए जाने हैं?
- 2
- 3
- 5
- 10
- कृत्रिम वर्षा मुख्यतः किस सिद्धांत पर आधारित है?
- वायुमंडलीय दाब में बदलाव
- बादलों में संघनन का प्रेरण
- पवन वेग में वृद्धि
- तापमान में कमी
- निम्नलिखित में से कौन सा कृत्रिम वर्षा का एक संभावित नकारात्मक प्रभाव है?
- अत्यधिक वर्षा
- रसायनों का पर्यावरणीय प्रदूषण
- भूजल स्तर में वृद्धि
- कृषि उत्पादकता में सुधार
- कृत्रिम वर्षा का उपयोग मुख्यतः किस समस्या के समाधान के लिए किया जा रहा है?
- सूखा
- बाढ़
- प्रदूषण
- ओलावृष्टि
- कृत्रिम वर्षा की सफलता किस पर निर्भर करती है?(एक से अधिक सही हो सकते हैं)
- बादलों का प्रकार
- तापमान
- नमी का स्तर
- सभी सही हैं
- कौन सी तकनीक बादलों में बर्फ के क्रिस्टल के निर्माण को प्रेरित करती है?
- हाइड्रोस्कोपिक सीडिंग
- आइसोस्कोपिक सीडिंग
- न्यूक्लियेशन
- एडवेक्शन
उत्तर: C
उत्तर: B
उत्तर: B
उत्तर: C
उत्तर: D
उत्तर: B
मुख्य परीक्षा (Mains)
- दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम वर्षा के उपयोग की संभावनाओं और चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। क्या यह एक व्यापक समाधान है, या इसे अन्य उपायों के साथ पूरक माना जाना चाहिए? तर्क सहित उत्तर दीजिये।
- मौसम संशोधन तकनीकों, जैसे कृत्रिम वर्षा, के पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक प्रभावों की जांच करें। इन तकनीकों के नैतिक निहितार्थों पर चर्चा करें।
- कृत्रिम वर्षा की प्रभावशीलता को प्रभावित करने वाले कारकों का विश्लेषण करें और विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में इसकी व्यवहार्यता का मूल्यांकन करें।
- भारत में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार करें जिसमें तकनीकी समाधान, नीतिगत बदलाव और जन जागरूकता पर ध्यान दिया जाए। इसमें कृत्रिम वर्षा की भूमिका पर भी चर्चा करें।