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लोक साहित्य 

लोक साहित्य 

 

लोक साहित्य:

लोक साहित्य वह साहित्य है जो आम जनता के बीच, उनके अनुभवों, सांस्कृतिक धरोहर और जीवन शैली को व्यक्त करता है। यह साहित्य पारंपरिक रूप से मौखिक रूप में होता है और इसे जनता द्वारा गाया, सुनाया या सुनाया जाता है। लोक साहित्य में वह सारी विधाएँ शामिल होती हैं जो समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन से जुड़ी होती हैं।

लोक साहित्य की विशेषताएँ:

  1. मौखिक परंपरा: लोक साहित्य मुख्य रूप से मौखिक परंपरा पर आधारित होता है। यह पीढ़ी दर पीढ़ी गाया, सुनाया और प्रसारित किया जाता है।
  2. सामान्य जन जीवन: इसमें सामान्य जनों की भावनाओं, इच्छाओं, संघर्षों और अनुभवों का चित्रण होता है। यह आम जनता के जीवन से जुड़ा होता है।
  3. सरल भाषा: लोक साहित्य की भाषा सरल और सजीव होती है, जिसे हर वर्ग का व्यक्ति आसानी से समझ सकता है।
  4. सांस्कृतिक धरोहर: लोक साहित्य समाज की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा होता है और विभिन्न संस्कृतियों, जातियों और समुदायों की पहचान प्रस्तुत करता है।
  5. काव्यात्मक रूप: लोक साहित्य में कविता, गीत, गजल, और छंद आदि काव्यात्मक रूप में होते हैं।
  6. रचनात्मकता: यह साहित्य रचनात्मक और भावनात्मक दृष्टिकोण से भरपूर होता है।
  7. सामाजिक मूल्य: लोक साहित्य में समाजिक मूल्यों, संस्कारों और आदर्शों का प्रसार किया जाता है।
  8. स्थानीयता: यह साहित्य विभिन्न क्षेत्रीय और लोकभाषाओं में रचित होता है, जो हर स्थान की विशिष्टता को दर्शाता है।
  9. श्रोताओं और पाठकों से जुड़ा: लोक साहित्य श्रोताओं और पाठकों से जुड़ा हुआ होता है, क्योंकि इसे किसी खास सामाजिक या सांस्कृतिक संदर्भ में प्रस्तुत किया जाता है।
  10. कला रूप: लोक साहित्य को नृत्य, गीत, संगीत, नाटक आदि विभिन्न कला रूपों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।

लोक साहित्य के प्रमुख प्रकार:

  1. कविता: लोक कविताओं में आम तौर पर प्रेम, वीरता, भक्ति, या सामाजिक समस्याओं को लेकर गेय रचनाएँ होती हैं।
    • उदाहरण: फाग, झूला, बिरहा आदि।
  2. गीत: लोक गीतों में सामाजिक और सांस्कृतिक पहलुओं का चित्रण होता है।
    • उदाहरण: संतवाणी, भजन, लोक गीत
  3. कहानियाँ: लोक कथाएँ, जो ज़्यादातर फोल्कलोर पर आधारित होती हैं, समाज के धार्मिक, ऐतिहासिक और नैतिक पहलुओं को दर्शाती हैं।
    • उदाहरण: किस्से, कहानियाँ, प्राचीन कथाएँ
  4. नाटक और नृत्य: लोक नाटक और नृत्य पारंपरिक रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक घटनाओं की व्याख्या करते हैं।
    • उदाहरण: रामलीला, रासलीला, नट नृत्य आदि।
  5. प्रवचन और उपदेश: यह एक प्रकार का लोक साहित्य है जिसमें धार्मिक, सामाजिक और नैतिक शिक्षा दी जाती है।
    • उदाहरण: कवि समेलन, कथा वाचन

लोक साहित्य का महत्व:

  1. संस्कार और परंपरा का संरक्षण: लोक साहित्य संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  2. सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता: लोक साहित्य लोगों को उनके सामाजिक और सांस्कृतिक इतिहास से जोड़ता है।
  3. सामाजिक समस्याओं पर ध्यान आकर्षण: लोक साहित्य में आम जीवन की समस्याओं को उजागर किया जाता है, जैसे गरीबी, भेदभाव, और अन्याय।
  4. भाषाई विविधता: लोक साहित्य विभिन्न भाषाओं और बोलियों में रचित होता है, जो भाषाई विविधता को बढ़ावा देता है।
  5. समाज के बीच एकता: यह साहित्य समाज के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और सामूहिकता का प्रचार करता है।

लोक साहित्य में कुछ प्रमुख रचनाकार:

  1. तुलसीदास – उन्होंने रामचरितमानस जैसी महान काव्य रचना की।
  2. कबीर – अपनी भक्ति और सामाजिक चिंताओं के लिए प्रसिद्ध हैं।
  3. मीरा बाई – भक्ति कवि जो अपनी रचनाओं के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त करती थीं।
  4. सूरदास – भक्ति काव्य के महान कवि, जो श्री कृष्ण की लीलाओं का वर्णन करते थे।
  5. लक्ष्मीधर – लोक साहित्य के अन्य महत्वपूर्ण कवि, जिनकी काव्य रचनाएँ जनसाधारण के बीच प्रचलित थीं।

लोक साहित्य के प्रभाव:

  1. शिक्षा पर प्रभाव: लोक साहित्य ने समाज में शिक्षा की प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाया।
  2. सांस्कृतिक एकता: लोक साहित्य ने विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच सांस्कृतिक एकता की भावना को बढ़ावा दिया।
  3. राजनीतिक जागरूकता: कई लोक कविताएँ और गीत राजनीतिक जागरूकता फैलाने का कार्य करती थीं।
  4. मनोरंजन: लोक साहित्य का महत्वपूर्ण पहलू इसका मनोरंजन और सामाजिक सन्देश देना भी था।

लोक साहित्य न केवल साहित्यिक दृष्टिकोण से बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह समाज के हर वर्ग को जोड़ने और उनकी पहचान को बनाए रखने का एक शक्तिशाली साधन है।

 

  1. लोक साहित्य क्या है?
    • लोक साहित्य वह साहित्य है जो सामान्य जनों के जीवन, संस्कृति, विश्वास, और परंपराओं को दर्शाता है।
    • यह मौखिक रूप में प्रकट होता है, जिसे पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाया और गाया जाता है।
    • लोक साहित्य के उदाहरण: लोक गीत, लोक कथाएँ, लोक नृत्य, आदि।
    • इसे समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा रचा और अनुभव किया जाता है।
    • लोक साहित्य में किसी एक लेखक का योगदान नहीं होता, यह सामूहिक रचना होती है।
    • यह समाज की जीवंतता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करता है।
    • लोक साहित्य ने समाज के आदर्शों और मान्यताओं को जन-जन तक पहुँचाया।
    • इसमें कल्पना और वास्तविकता का मिश्रण होता है।
    • लोक साहित्य समाज के दर्द और खुशियों का चित्रण करता है।
    • यह समाज की मानसिकता और सोच को समझने में मदद करता है।
  2. लोक साहित्य के प्रकार क्या हैं?
    • लोक गीत: यह गीत मुख्य रूप से आम जन के जीवन, परंपराओं, और त्यौहारों को दर्शाते हैं।
    • लोक कथाएँ: यह कथा रूप में समाज के विभिन्न पात्रों और घटनाओं को प्रस्तुत करती हैं।
    • लोक नृत्य: यह नृत्य समाज की खुशियों और उत्सवों का हिस्सा होते हैं।
    • लोक संगीत: यह संगीत आम जनता के सांस्कृतिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
    • लोक नाटक: यह नाटक समाज की समस्याओं और सुख-दुख को मंच पर प्रस्तुत करता है।
    • लोक भाषाएँ: विभिन्न क्षेत्रों की बोलचाल की भाषाएँ भी लोक साहित्य के अंग हैं।
    • लोक रचनाएँ: ये विभिन्न कला रूपों और शैलियों के माध्यम से व्यक्त की जाती हैं।
  3. लोक साहित्य का महत्व क्या है?
    • लोक साहित्य समाज के इतिहास और संस्कृति का परिचायक होता है।
    • यह समाज के नैतिक मूल्यों और आदर्शों को संरक्षण प्रदान करता है।
    • लोक साहित्य में समाज की असल ज़िन्दगी के चित्रण होते हैं।
    • यह भाषा और साहित्य की सरलता को दर्शाता है।
    • यह जनमानस की आवाज़ को साहित्य रूप में व्यक्त करता है।
    • लोक साहित्य से हम समाज की समस्याओं और उनके हलों को समझ सकते हैं।
    • यह समाज में चेतना और जागरूकता का प्रसार करता है।
    • यह सांस्कृतिक विविधता और एकता को सुदृढ़ करता है।
    • लोक साहित्य के माध्यम से पारंपरिक ज्ञान और अनुभवों को युवा पीढ़ी तक पहुँचाया जाता है।
    • यह समाज की संप्रेषण क्षमता को बढ़ाता है।
  4. लोक साहित्य और शास्त्रीय साहित्य में अंतर क्या है?
    • लोक साहित्य जन सामान्य द्वारा रचित होता है जबकि शास्त्रीय साहित्य विद्वानों और शिक्षित वर्ग द्वारा।
    • लोक साहित्य मौखिक रूप में होता है, शास्त्रीय साहित्य लिखित रूप में।
    • लोक साहित्य में सरल और सहज भाषा का प्रयोग होता है, शास्त्रीय साहित्य में कठिन और जटिल भाषा।
    • लोक साहित्य में अधिकतर सामूहिक दृष्टिकोण होता है, शास्त्रीय साहित्य में व्यक्तिगत दृष्टिकोण।
    • लोक साहित्य समाज के सामूहिक अनुभवों को दर्शाता है, शास्त्रीय साहित्य एकल अनुभवों का चित्रण करता है।
    • लोक साहित्य में तात्कालिक जीवन की घटनाएँ अधिक होती हैं, शास्त्रीय साहित्य में दार्शनिक और साहित्यिक विचार।
  5. लोक गीतों की विशेषताएँ क्या हैं?
    • लोक गीत सरल, बोधगम्य और जन-सामान्य की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • इन गीतों में प्राकृतिक दृश्यों और समाज के रीतियों का वर्णन किया जाता है।
    • लोक गीतों में अक्सर प्रेम, त्याग, और दुख की गहराई होती है।
    • ये गीत आम जन के जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कार्य, त्यौहार, और कर्म से जुड़े होते हैं।
    • लोक गीतों में गेयता होती है, जिससे वे आसानी से गाए जा सकते हैं।
    • लोक गीत समाज की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा होते हैं।
    • इन गीतों का संदेश व्यापक और सार्वभौमिक होता है।
    • लोक गीतों में सरल और सूक्ष्म रूप में भावनाएँ व्यक्त होती हैं।
    • ये गीत वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत किए जाते हैं।
    • लोक गीतों का रूप समय-समय पर परिवर्तित होता रहता है, लेकिन इसका मूल संदेश बरकरार रहता है।
  6. लोक कथाएँ क्या होती हैं?
    • लोक कथाएँ समाज के विश्वासों, आदर्शों और परंपराओं का आदान-प्रदान करती हैं।
    • ये कथाएँ सामान्य जन के जीवन की घटनाओं को कहानियों के रूप में प्रस्तुत करती हैं।
    • लोक कथाएँ मनुष्य के नैतिक और जीवन से जुड़े प्रश्नों पर आधारित होती हैं।
    • इनमें चमत्कारी तत्वों का समावेश होता है।
    • ये कथाएँ आमतौर पर शिक्षा देने वाली होती हैं।
    • लोक कथाओं में सांस्कृतिक प्रतीकों और रीति-रिवाजों का इस्तेमाल किया जाता है।
    • इन कथाओं में स्थानीय पात्र होते हैं।
    • लोक कथाएँ अक्सर हास्य, रोमांच, और नैतिकता से जुड़ी होती हैं।
    • इन्हें सामूहिक रूप से सुनाया जाता है।
    • लोक कथाएँ पीढ़ी दर पीढ़ी संवाद के रूप में चलती हैं।
  7. लोक साहित्य का योगदान भारतीय समाज में कैसे हुआ?
    • लोक साहित्य ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित किया।
    • यह समाज के विभिन्न वर्गों को जोड़ने का काम करता है।
    • लोक साहित्य के माध्यम से भारतीय समाज की विविधता को समझा जा सकता है।
    • यह साहित्य भारतीय सामाजिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक गतिविधियों का जीवंत दस्तावेज है।
    • लोक साहित्य ने समाज की चेतना को जागृत किया और उसे दिशा दी।
    • यह साहित्य भारतीय समाज में आदर्शों और नैतिकता के प्रचार में सहायक रहा।
    • लोक साहित्य ने भारतीय नायक और नायिकाओं के आदर्शों को प्रचारित किया।
    • यह साहित्य ग्राम्य जीवन की सच्चाइयों और संघर्षों को उजागर करता है।
    • लोक साहित्य ने हमारे लोक जीवन और उनके संघर्षों को महिमामंडित किया।
    • यह भारतीय जनजीवन की सरलता और सच्चाई को चित्रित करता है।
  8. लोक साहित्य में किन-किन भाषाओं का योगदान है?
    • हिन्दी, पंजाबी, बंगाली, तमिल, मराठी, कन्नड़, गुजराती, उड़ीया जैसी भाषाओं में लोक साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका है।
    • हर क्षेत्र की लोक भाषा ने अपने-अपने ढंग से लोक साहित्य का योगदान दिया है।
    • लोक साहित्य में संस्कृत, प्राकृत और अपभ्रंश का भी योगदान रहा है।
    • लोक साहित्य विभिन्न भाषाओं की सांस्कृतिक और सामाजिक विविधताओं को दर्शाता है।
    • इन भाषाओं के लोक गीत और कथाएँ भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण हिस्से बने हैं।
    • लोक साहित्य में भोजपुरी और मैथिली जैसी भाषाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है।
    • इन भाषाओं में लोक साहित्य के रूप में जनजीवन और संघर्षों को व्यक्त किया गया है।
    • भारतीय लोक साहित्य में विविध भाषाओं और बोलियों का मिश्रण होता है।
    • लोक भाषाओं में काव्यशास्त्र, संगीत और नृत्य का भी योगदान है।
    • इन भाषाओं के लोक साहित्य ने भारतीय साहित्य को समृद्ध किया।
  9. लोक साहित्य और शहरी साहित्य में अंतर क्या है?
    • लोक साहित्य ग्रामीण जीवन और समस्याओं को दर्शाता है, जबकि शहरी साहित्य शहरी जीवन के संदर्भ में लिखा जाता है।
    • लोक साहित्य में अधिकतर अव्यक्त भावनाएँ होती हैं, शहरी साहित्य में सामाजिक और मानसिक परतें होती हैं।
    • लोक साहित्य सामान्य जन की आवाज़ है, शहरी साहित्य विशिष्ट वर्ग के जीवन को प्रस्तुत करता है।
    • लोक साहित्य अधिकतर मौखिक होता है, शहरी साहित्य लिखित होता है।
    • लोक साहित्य की भाषा सरल और बोधगम्य होती है, शहरी साहित्य में बौद्धिकता होती है।
  10. लोक साहित्य में किस प्रकार की कहानियाँ प्रचलित हैं?
    • कथा नायक-नायिका की कहानियाँ: जैसे प्रेम कथा, वीरता की कहानियाँ।
    • नैतिक शिक्षा देने वाली कहानियाँ: जैसे पंचतंत्र की कहानियाँ।
    • लोक देवता की कहानियाँ: जैसे देवी-देवताओं की कथाएँ।
    • चमत्कारी और कल्पनाशील कहानियाँ: जैसे परी कथा, जादू की कहानियाँ।
    • समाज के दुख और संघर्ष को दर्शाने वाली कहानियाँ:

लोक साहित्य (Lok Sahitya) पर 20 प्रश्न और उत्तर

1. लोक साहित्य क्या है?
लोक साहित्य उस साहित्य को कहा जाता है, जो समाज के सामान्य जनों द्वारा मौखिक रूप से रचित और परंपरा के माध्यम से संप्रेषित होता है। यह साहित्य किसी भी विशिष्ट वर्ग या शिक्षित समाज तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन, संस्कृति, और परंपराओं को व्यक्त करता है।

2. लोक साहित्य का महत्व क्या है?
लोक साहित्य का महत्व बहुत अधिक है क्योंकि यह समाज की जड़ों को पहचानने में मदद करता है। यह जनजीवन, संस्कृति, भाषा, और रीति-रिवाजों को व्यक्त करता है, और लोक के विचारों, भावनाओं और आकांक्षाओं को अभिव्यक्त करता है।

3. लोक साहित्य की विशेषताएँ क्या हैं?

  1. यह मौखिक होता है।
  2. यह जनजीवन और सामाजिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
  3. सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया जाता है।
  4. लोक गीत, कहानियाँ, काव्य, और मिथक इसमें शामिल होते हैं।
  5. यह साहित्य जनसाधारण में प्रसार और लोकप्रियता प्राप्त करता है।

4. लोक साहित्य के प्रकार क्या हैं?

  1. लोक गाथाएँ
  2. लोक गीत
  3. लोक कविताएँ
  4. लोक कथाएँ (किंवदंतियाँ)
  5. लोक नृत्य और संगीत
  6. लोक नाटक
  7. लोक कहानियाँ और फोकल फिक्शन

5. लोक साहित्य का ऐतिहासिक महत्व क्या है?
लोक साहित्य का ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह समाज के प्राचीन जीवन, परंपराओं और विश्वासों को संरक्षित करता है। इसके माध्यम से हम अतीत के समाज के विचारों और संस्कृतियों को जान सकते हैं।

6. लोक साहित्य में भाषा का महत्व क्या है?
लोक साहित्य में प्रयोग होने वाली भाषा सामान्य जनता की बोल-चाल की भाषा होती है। यह भाषा अधिक सरल, सहज और आम जनता की समझ में आने वाली होती है, जो समाज के विविध वर्गों को जोड़ने में मदद करती है।

7. लोक साहित्य और शास्त्र साहित्य में अंतर क्या है?

  1. लोक साहित्य मौखिक होता है, जबकि शास्त्र साहित्य लिखित होता है।
  2. लोक साहित्य जनजीवन से संबंधित होता है, जबकि शास्त्र साहित्य प्रबुद्ध वर्गों का साहित्य होता है।
  3. लोक साहित्य सरल और सामान्य भाषा में होता है, जबकि शास्त्र साहित्य जटिल और शास्त्रीय भाषा में होता है।

8. लोक गीतों की विशेषताएँ क्या हैं?

  1. ये गीत अधिकतर सहज और सरल होते हैं।
  2. ये गीत आम जनजीवन से जुड़े होते हैं।
  3. इन गीतों में प्रेम, बिच्छड़न, त्यौहार, और प्रकृति के बारे में भावनाएँ व्यक्त होती हैं।
  4. ये गीत विभिन्न सामाजिक आयोजनों, जैसे शादी, जन्म, और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान गाए जाते हैं।

9. लोक साहित्य में प्रेम की अवधारणा कैसे व्यक्त होती है?
लोक साहित्य में प्रेम की अवधारणा विभिन्न रूपों में व्यक्त होती है। यह प्रेम देवताओं के प्रति श्रद्धा, पति-पत्नी के बीच प्रेम, या मां-बच्चे के बीच का प्रेम हो सकता है। लोक गीतों, गाथाओं और कथाओं के माध्यम से यह प्रेम भावना व्यक्त की जाती है।

10. लोक साहित्य में प्रकृति का चित्रण कैसे होता है?
लोक साहित्य में प्रकृति का चित्रण बहुत खूबसूरती से किया गया है। इसमें पहाड़, नदियाँ, खेत-खलिहान, पेड़-पौधे, और पशु-पक्षी सभी का चित्रण होता है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है।

11. लोक नृत्य और लोक संगीत का लोक साहित्य में क्या स्थान है?
लोक नृत्य और लोक संगीत लोक साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं। ये नृत्य और संगीत न केवल मनोरंजन का साधन होते हैं, बल्कि वे समाज के रीति-रिवाजों, परंपराओं और सांस्कृतिक पहचान को व्यक्त करते हैं।

12. लोक कथाएँ क्या हैं?
लोक कथाएँ वह कथाएँ होती हैं, जो प्राचीन समय से समाज में प्रचलित रही हैं। ये कहानियाँ पारंपरिक ज्ञान, नैतिकता और जीवन के विभिन्न पहलुओं को व्यक्त करती हैं। इनमें देवताओं, योद्धाओं, नायक-नायिकाओं की कहानियाँ शामिल होती हैं।

13. लोक साहित्य का सांस्कृतिक महत्व क्या है?
लोक साहित्य समाज की सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और उसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाने का कार्य करता है। यह समाज के रीति-रिवाजों, विश्वासों, और संस्कृति की पहचान है, जो समाज के विकास और परिवर्तन को दर्शाता है।

14. लोक साहित्य का समाज पर प्रभाव क्या है?
लोक साहित्य समाज की सोच और दृष्टिकोण को प्रभावित करता है। यह समाज में जागरूकता, समानता और एकता की भावना पैदा करता है। साथ ही, यह सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर प्रकाश डालता है।

15. भारतीय लोक साहित्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?

  1. यह भारतीय समाज की विविधता को दर्शाता है।
  2. इसमें विभिन्न धर्मों, जातियों और भाषाओं की झलक मिलती है।
  3. भारतीय लोक साहित्य में धार्मिकता, त्यौहारों और पौराणिक कथाओं का महत्वपूर्ण स्थान है।
  4. इसमें ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन दोनों का चित्रण होता है।

16. लोक साहित्य में कहानी की भूमिका क्या है?
कहानियाँ लोक साहित्य में सबसे प्रमुख विधा हैं। ये कथाएँ समाज के मूल्यों, नैतिकता और संस्कृति को प्रसारित करती हैं। इसके माध्यम से समाज में शिक्षा और जागरूकता का संचार होता है।

17. लोक साहित्य के प्रमुख लेखक कौन हैं?
लोक साहित्य का कोई एक लेखक नहीं होता, क्योंकि यह मौखिक परंपरा पर आधारित होता है। हालांकि, कई प्रसिद्ध लोक साहित्यकारों ने भारतीय लोक साहित्य को संकलित और संरक्षित किया, जैसे कि कंबन, सूरदास, और तुलसीदास।

18. लोक साहित्य की संरचना कैसी होती है?
लोक साहित्य की संरचना बहुत सरल होती है। इसमें कथानक, पात्र, और संवाद आम जीवन से जुड़ी होती हैं। इसके पात्र सामान्य जनता के होते हैं, और ये जीवन की सरलता और सच्चाई को व्यक्त करते हैं।

19. लोक साहित्य में हास्य का क्या महत्व है?
लोक साहित्य में हास्य का महत्वपूर्ण स्थान है। हास्य का प्रयोग समाज की कठिनाइयों को हल्के-फुल्के अंदाज में प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। यह समाज के जीवन की नीरसता को दूर करने का कार्य करता है।

20. लोक साहित्य के संरक्षण की आवश्यकता क्यों है?
लोक साहित्य का संरक्षण आवश्यक है, क्योंकि यह हमारे सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। इसके बिना हम अपनी जड़ों से जुड़ी जानकारी और परंपराओं को खो सकते हैं। इसके संरक्षण से हम भविष्य की पीढ़ी को अपने पूर्वजों की सांस्कृतिक धरोहर से परिचित करा सकते हैं।

 

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