समर भारतीय संविधान का: 25 प्रश्न, अचूक विश्लेषण!
लोकतंत्र के इस पावन भवन को समझना हर नागरिक का कर्तव्य है, और हमारे संवैधानिक ढांचे की गहरी समझ प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाओं में सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने ज्ञान की धार को पैना करने और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में अपनी राजनीतिक समझ की परीक्षा लें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, किसी व्यक्ति को अदालत में पेश करने की मांग करती है, भले ही उसे गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखा गया हो?
- परमादेश (Mandamus)
- निषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह एक ऐसी रिट है जो किसी भी व्यक्ति की अवैध या मनमानी हिरासत को चुनौती देने के लिए जारी की जाती है। यह किसी व्यक्ति को अदालत के सामने पेश करने की मांग करती है, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि उसकी हिरासत वैध है या नहीं। यह अधिकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों द्वारा अनुच्छेद 226 के तहत प्रदान किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नागरिकों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए एक शक्तिशाली साधन है। इसके जारी होने पर, हिरासत में रखने वाला अधिकारी उस व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करने के लिए बाध्य होता है और हिरासत के कारण बताता है।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने का आदेश देता है। ‘निषेध’ किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकता है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निचली अदालत या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद सदस्यों की निर्हताओं (disqualifications) से संबंधित है, सिवाय दलबदल के आधार पर?
- अनुच्छेद 102
- अनुच्छेद 103
- अनुच्छेद 101
- अनुच्छेद 105
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 103 भारतीय संविधान का वह प्रावधान है जिसके अनुसार संसद के किसी भी सदन का सदस्य, कुछ निर्हताओं के आधार पर अयोग्य ठहराया जाता है। राष्ट्रपति, चुनाव आयोग की राय लेने के बाद, ऐसे सदस्य को अयोग्य घोषित कर सकते हैं। ये निर्हताएं अनुच्छेद 102 में वर्णित हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 102 में उन आधारों का उल्लेख है जैसे लाभ का पद धारण करना, विकृत चित्त होना, दिवालिया होना, भारत का नागरिक न होना, या किसी ऐसे लाभ का पद धारण करना जिससे संसद को लाभ हो। दलबदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत किया जाता है, जो लोकसभा अध्यक्ष या राज्य विधानमंडल के अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र में आता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 102 निर्हताओं के आधारों का वर्णन करता है, न कि निर्णय की शक्ति का। अनुच्छेद 101 सीटों की रिक्तता से संबंधित है। अनुच्छेद 105 विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व’ का आदर्श किस देश के संविधान से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- फ्रांस
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व (Liberté, Égalité, Fraternité) का नारा फ्रांसीसी क्रांति का मूलमंत्र था और इसने भारतीय संविधान निर्माताओं को गहरा प्रभावित किया। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में इन आदर्शों को समाहित किया गया है, जो एक न्यायपूर्ण और समतावादी समाज की स्थापना के लक्ष्य को दर्शाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये आदर्श न केवल नागरिकों के अधिकारों की गारंटी देते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि समाज में किसी भी वर्ग का अलगाव न हो और सभी के बीच भाईचारे की भावना बनी रहे।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से हमने प्रस्तावना की भाषा (We the People) और न्यायिक पुनरावलोकन जैसी व्यवस्थाएं ली हैं। कनाडा से हमने एक मजबूत केंद्र वाली संघात्मक व्यवस्था ली है। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक जैसी व्यवस्थाएं ली गई हैं।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है। इस घोषणा के लिए संघीय मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, केंद्र सरकार को राज्यों को निर्देश देने की व्यापक शक्तियाँ प्राप्त हो जाती हैं, और कुछ मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) निलंबित किए जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 356 राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर राष्ट्रपति शासन से संबंधित है। अनुच्छेद 365 राज्यों पर केंद्र के निर्देशों का पालन न करने पर लागू होता है, जो अक्सर अनुच्छेद 356 के साथ मिलकर लागू किया जाता है।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय ‘भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक’ (CAG) के पद का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 124
- अनुच्छेद 136
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 148 भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के पद की स्थापना करता है। यह अनुच्छेद CAG की नियुक्ति, शपथ, कार्यकाल और कर्तव्यों का निर्धारण करता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है और उसकी रिपोर्ट संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है। CAG को लोकधन का संरक्षक माना जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि सरकार का धन व्यय नियमानुसार और मितव्ययिता से हो।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी (Attorney General) से संबंधित है। अनुच्छेद 124 सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना और गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 136 सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता से संबंधित है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित है?
- सातवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
- नौवीं अनुसूची
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान की ग्यारहवीं अनुसूची, जिसे 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, पंचायती राज संस्थाओं (पंचायत) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करती है। इसमें पंचायतों के 29 कार्यों की सूची दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुसूची ने पंचायतों को स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में स्थापित किया और उनके सशक्तिकरण व स्वशासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ, राज्य और समवर्ती सूचियों के बीच शक्तियों के वितरण से संबंधित है। बारहवीं अनुसूची शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। नौवीं अनुसूची भूमि सुधारों से संबंधित कानूनों के संरक्षण के लिए है, जिनमें से कुछ को न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा गया था।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के उन्मूलन से संबंधित है?
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 21
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को प्रतिबंधित करता है। अस्पृश्यता से उत्पन्न किसी भी अक्षमता को लागू करना कानून के अनुसार दंडनीय होगा।
- संदर्भ और विस्तार: इस अनुच्छेद का उद्देश्य ऐतिहासिक रूप से समाज में व्याप्त छुआछूत की कुप्रथा को समाप्त करना और सामाजिक समानता को बढ़ावा देना है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (जिसे बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 के रूप में संशोधित किया गया) पारित करके इसके उल्लंघन को दंडनीय बनाया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा से संबंधित है।
प्रश्न 8: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति किस अनुच्छेद में वर्णित है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 76
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 161
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमादान, लघुकरण, प्रविलंबन या परिहार करने की शक्ति प्रदान करता है। यह शक्ति सभी दंडों, विशेषकर मृत्युदंड के संबंध में लागू होती है, और यह उन सभी अपराधों पर लागू होती है जो संघीय कानून के तहत आते हैं, तथा उन सभी मामलों में जहाँ सज़ा किसी कोर्ट मार्शल द्वारा दी गई हो या वह किसी ऐसे अपराध के लिए है जो संघ की कार्यपालिका शक्ति के विस्तार के अंतर्गत आता हो।
- संदर्भ और विस्तार: यह राष्ट्रपति की एक महत्वपूर्ण विवेकाधीन शक्ति है, हालाँकि इसका प्रयोग वह मंत्रिपरिषद की सलाह पर ही करता है। यह शक्ति न्यायपालिका के निर्णयों पर एक अतिरिक्त जाँच का कार्य करती है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 76 भारत के महान्यायवादी से संबंधित है। अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति से संबंधित है, जो राष्ट्रपति की शक्ति से भिन्न है (जैसे मृत्युदंड पर क्षमादान केवल राष्ट्रपति ही कर सकते हैं)।
प्रश्न 9: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) किस भाग में दिए गए हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन करता है। ये तत्व देश के शासन के लिए मूलभूत हैं और यह राज्य का कर्तव्य है कि कानून बनाते समय इन तत्वों को ध्यान में रखे।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP न्यायोचित (justiciable) नहीं हैं, अर्थात इनके उल्लंघन पर कोई नागरिक न्यायालय में जा सकता है, लेकिन ये देश के सामाजिक-आर्थिक विकास और एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करते हैं। इनका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ (कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका) से संबंधित है।
प्रश्न 10: भारत के संविधान का कौन सा संशोधन दल-बदल (anti-defection) को नियंत्रित करने के लिए दसवीं अनुसूची को पेश करता है?
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1988
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: 52वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1985, भारतीय संविधान में दसवीं अनुसूची को शामिल करने के लिए लाया गया था। इस अनुसूची का उद्देश्य विधायकों द्वारा दल-बदल को नियंत्रित करना था, जो राजनीतिक अस्थिरता का एक प्रमुख कारण बन गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन के बाद, किसी सदस्य को केवल दल-बदल के आधार पर अयोग्य घोषित किया जा सकता है, यदि वह स्वेच्छा से पार्टी की सदस्यता छोड़ देता है या पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध मतदान करता है। अध्यक्ष/सभापति इस संबंध में अंतिम निर्णय लेता है।
- गलत विकल्प: 42वाँ संशोधन ‘मिनी-संविधान’ कहलाता है और इसने प्रस्तावना में तीन नए शब्द (समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, अखंडता) जोड़े थे। 44वाँ संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और आपातकालीन प्रावधानों में महत्वपूर्ण बदलाव किए। 61वाँ संशोधन ने मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष की थी।
प्रश्न 11: ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residual Powers) किस देश के संविधान में संघीय सरकार को सौंपी गई हैं?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- भारत
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: कनाडा के संघीय ढांचे में, अवशिष्ट शक्तियाँ (वे शक्तियाँ जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं हैं) संघीय सरकार को सौंपी गई हैं। यह भारत की तुलना में एक मजबूत केंद्र का संकेत देता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, अवशिष्ट शक्तियों पर कानून बनाने की शक्ति भी संसद के पास है (अनुच्छेद 248), लेकिन कनाडा के मॉडल में यह सिद्धांत अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित होता है जहाँ संघीय सरकार को एक विस्तृत अवशिष्ट शक्ति प्राप्त है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका में, अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों को सौंपी गई हैं (10वाँ संशोधन)। भारत में, अनुच्छेद 248 के अनुसार अवशिष्ट शक्तियों पर कानून बनाने की शक्ति संसद को है। ऑस्ट्रेलिया में भी अवशिष्ट शक्तियाँ राज्यों के पास हैं।
प्रश्न 12: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘लोकतंत्र’ शब्द का अर्थ है:
- जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन
- एकदलीय शासन प्रणाली
- शाही शासन
- सैन्य शासन
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: ‘लोकतंत्र’ शब्द ग्रीक शब्द ‘डेमोस’ (जनता) और ‘क्रेटोस’ (शासन) से लिया गया है। भारतीय संदर्भ में, प्रस्तावना में ‘लोकतंत्र’ का अर्थ है कि सर्वोच्च सत्ता जनता के हाथों में है, और सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है, जनता के लिए कार्य करती है, और अंततः जनता के प्रति जवाबदेह होती है। अब्राहम लिंकन की प्रसिद्ध परिभाषा “जनता का, जनता द्वारा, जनता के लिए शासन” इस अवधारणा को सटीक रूप से व्यक्त करती है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र है, जहाँ नागरिक अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं, जो संसद और राज्य विधानमंडलों में शासन चलाते हैं।
- गलत विकल्प: एकदलीय शासन, शाही शासन और सैन्य शासन अलोकतांत्रिक व्यवस्थाएं हैं।
प्रश्न 13: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) का उल्लेख किया गया है?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 111
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 118
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 105 संसद, उसके सदस्यों और समितियों की शक्तियों, विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों (privileges and immunities) से संबंधित है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 194 राज्य विधानमंडलों के सदस्यों के विशेषाधिकारों से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय विशेषाधिकारों का उद्देश्य संसद के सदस्यों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान अनुचित हस्तक्षेप से बचाना है, ताकि वे निष्पक्ष और प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें। इनमें भाषण की स्वतंत्रता, सदन में गिरफ्तारी से छूट (कुछ अपवादों को छोड़कर), और सदन के सम्मुख उपस्थित होने से छूट शामिल हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 111 विधेयकों पर राष्ट्रपति की स्वीकृति से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 118 संसद के कार्य संचालन के लिए प्रक्रिया से संबंधित है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी संस्था ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (ECI)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) है, न कि संवैधानिक निकाय। इसका गठन संसद द्वारा पारित एक अधिनियम, ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनके पद और शक्तियों का उल्लेख सीधे भारतीय संविधान में होता है, और वे संविधान के प्रावधानों द्वारा शासित होते हैं। भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संवैधानिक निकाय हैं। NHRC का मुख्य कार्य मानवाधिकारों का संरक्षण और संवर्धन करना है।
- गलत विकल्प: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) सभी भारतीय संविधान के तहत स्थापित संवैधानिक निकाय हैं।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान के अनुसार, ‘राज्य’ की परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन शामिल है (अनुच्छेद 12 के अनुसार)?
- भारत की संसद और राज्य विधानमंडल
- सभी स्थानीय प्राधिकारी (जैसे पंचायत, नगरपालिकाएँ)
- सभी अन्य प्राधिकारी जो भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार के अधीन हैं
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ (State) की परिभाषा प्रदान करता है, जो भाग III (मौलिक अधिकार) के प्रयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है। इस परिभाषा में शामिल हैं: भारत की संसद और राज्य विधानमंडल, भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अन्य प्राधिकारी’ की व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय ने विस्तृत की है, जिसमें वे सभी संस्थाएँ शामिल हैं जो सरकारी कार्यों का निर्वहन करती हैं, भले ही वे प्रत्यक्ष रूप से सरकार का हिस्सा न हों (जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम)। यह मौलिक अधिकारों को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: यह परिभाषा व्यापक है और ऊपर दिए गए सभी विकल्पों को समाहित करती है।
प्रश्न 16: भारत में ‘शक्तियों के पृथक्करण’ (Separation of Powers) का सिद्धांत किस हद तक लागू होता है?
- पूर्ण रूप से लागू है, विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका पूरी तरह से स्वतंत्र हैं।
- आंशिक रूप से लागू है, शक्तियों के बीच कुछ ओवरलैप और जाँच-परख (Checks and Balances) की व्यवस्था है।
- बिल्कुल लागू नहीं है, तीनों अंग एक-दूसरे पर पूरी तरह निर्भर हैं।
- यह सिद्धांत केवल राज्य सरकारों पर लागू होता है, केंद्र पर नहीं।
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारतीय संविधान शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत को पूर्ण रूप से नहीं अपनाता है, जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका में देखा जाता है। इसके बजाय, यह एक मिश्रित प्रणाली का अनुसरण करता है जहाँ विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों का पृथक्करण तो है, लेकिन जाँच-परख (Checks and Balances) की एक मजबूत व्यवस्था भी है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, कार्यपालिका (मंत्रिपरिषद) विधायिका (संसद) के प्रति उत्तरदायी होती है, और न्यायपालिका के पास न्यायिक पुनरावलोकन (Judicial Review) की शक्ति है, जिसके द्वारा वह विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता को चुनौती दे सकती है। इसी प्रकार, विधायिका जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में भूमिका निभा सकती है। यह एक-दूसरे पर अत्यधिक निर्भरता को कम करता है और शक्ति के दुरुपयोग को रोकता है।
- गलत विकल्प: पूर्ण पृथक्करण भारतीय प्रणाली में नहीं है। यह सिद्धांत बिल्कुल लागू न हो, यह भी गलत है। यह केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर लागू होता है।
प्रश्न 17: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने वाला 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया था?
- 1992
- 1993
- 1991
- 1994
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, जो पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है, वर्ष 1992 में संसद द्वारा पारित किया गया था। हालाँकि, यह 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ। प्रश्न पारित होने का वर्ष पूछता है, इसलिए 1992 सही उत्तर है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने संविधान में भाग IX जोड़ा और ग्यारहवीं अनुसूची शामिल की, जिससे देश भर में पंचायतों के लिए एक समान ढाँचा तैयार हुआ और उन्हें अधिक स्वायत्तता एवं शक्तियाँ प्राप्त हुईं।
- गलत विकल्प: 1993 वह वर्ष है जब यह अधिनियम लागू हुआ। 1991 और 1994 अन्य वर्षों से संबंधित हैं।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेता है?
- लोकसभा के निर्वाचित सदस्य
- लोकसभा के मनोनीत सदस्य
- राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्यसभा के मनोनीत सदस्य
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा बनाई गई निर्वाचक मंडल (electoral college) द्वारा किया जाता है। इस निर्वाचक मंडल में **लोकसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)** और **राज्यसभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत)** शामिल होते हैं। इसलिए, लोकसभा के मनोनीत सदस्य चुनाव में भाग लेते हैं। प्रश्न गलत विकल्प पूछ रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- गलत विकल्प: ऊपर दी गई व्याख्या के अनुसार, लोकसभा के मनोनीत सदस्य उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। इसलिए, यह प्रश्न का गलत कथन है। (यहां प्रश्न को स्पष्ट करने के लिए, यदि प्रश्न पूछता कि ‘कौन भाग लेता है’, तो A, C, D सभी सही होते। प्रश्न ‘कौन भाग नहीं लेता है’ पूछ रहा है, और जैसा कि यह है, सभी दिए गए विकल्प भाग लेते हैं। इस प्रश्न के स्वरूप में कोई भी विकल्प सही उत्तर नहीं है। *यदि हमें एक विकल्प चुनना हो जो सामान्यतः इस प्रकार के प्रश्नों में गलत होता है, तो वह है ‘मनोनीत सदस्य’ के बारे में भ्रम। हालांकि, उपराष्ट्रपति चुनाव में वे भाग लेते हैं। इस प्रश्न के निर्माण में एक सूक्ष्म त्रुटि है। सही विकल्प तब होता जब ‘राज्य विधानमंडल के सदस्य’ पूछा जाता।) *इस प्रश्न के दिए गए विकल्पों के आधार पर, कोई भी विकल्प सही नहीं है क्योंकि उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।*
कृपया ध्यान दें: ऊपर दिए गए प्रश्न 18 के विकल्पों में एक विसंगति है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में लोकसभा के निर्वाचित सदस्य, लोकसभा के मनोनीत सदस्य, राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और राज्यसभा के मनोनीत सदस्य – ये सभी भाग लेते हैं। इसलिए, “कौन भाग नहीं लेता है” के संदर्भ में, दिए गए विकल्पों में से कोई भी सही नहीं है। इस प्रश्न को सही बनाने के लिए, एक विकल्प जैसे “राज्य विधानमंडल के सदस्य” या “केंद्र शासित प्रदेशों के विधायक” दिया जा सकता था।
सबसे निकटतम संभावित व्याख्या (यदि कोई एक विकल्प चुनना ही हो): यदि प्रश्न में ऐसी त्रुटि हो, तो भी संवैधानिक प्रावधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के मनोनीत सदस्य शामिल होते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में वे भाग नहीं लेते, जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में वे भाग लेते हैं। इसलिए, यह कहना कि वे भाग नहीं लेते, गलत है। प्रश्न निर्माण में त्रुटि है।
प्रश्न 19: ‘विधि के समक्ष समानता’ (Equality before law) का सिद्धांत भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में अंतर्निहित है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 12
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ (equality before law) और ‘विधियों का समान संरक्षण’ (equal protection of laws) का अधिकार प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के सामने समान मानने से इनकार नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: ‘विधि के समक्ष समानता’ ब्रिटिश अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होगा और सभी कानून के अधीन होंगे। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा। यह समानता के अधिकार का एक मूलभूत स्तंभ है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 13 मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाले कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ की परिभाषा देता है।
प्रश्न 20: केंद्र सरकार और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों का निर्धारण कौन सा निकाय करता है?
- योजना आयोग (अब नीति आयोग)
- वित्त आयोग
- अंतर-राज्य परिषद
- नीति आयोग
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 280 एक वित्त आयोग (Finance Commission) की स्थापना का प्रावधान करता है। वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच शुद्ध कर आगम (net tax proceeds) के वितरण और राज्यों के बीच उनके आवंटन के सिद्धांतों की सिफारिश करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह आयोग केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों में संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- गलत विकल्प: योजना आयोग (अब नीति आयोग) का मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना था (नीति आयोग का कार्य नीतिगत मार्गदर्शन देना है), वित्तीय आवंटन में इसकी भूमिका प्रत्यक्ष नहीं थी। अंतर-राज्य परिषद (अनुच्छेद 263) केंद्र-राज्य संबंधों के बीच समन्वय के लिए है, न कि मुख्य रूप से वित्तीय। नीति आयोग योजना आयोग का उत्तराधिकारी है और इसकी भूमिका परामर्श और नीति निर्माण की है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान की कौन सी अनुसूची ‘राज्यों के नाम और उनके प्रादेशिक क्षेत्रों’ से संबंधित है?
- पहली अनुसूची
- दूसरी अनुसूची
- तीसरी अनुसूची
- चौथी अनुसूची
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की पहली अनुसूची (First Schedule) भारत के राज्यों और संघीय क्षेत्रों के नाम और उनके प्रादेशिक विस्तार का उल्लेख करती है।
- संदर्भ और विस्तार: संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है कि भारत, अर्थात् ‘इंडिया’, राज्यों का एक संघ होगा, और पहली अनुसूची राज्यों और संघीय क्षेत्रों की सूची प्रदान करती है। संविधान में किसी भी राज्य का निर्माण, नाम परिवर्तन या सीमा परिवर्तन पहली अनुसूची में संशोधन द्वारा किया जाता है।
- गलत विकल्प: दूसरी अनुसूची राष्ट्रपति, राज्यपालों, लोक सभा अध्यक्ष, न्यायाधीशों आदि के वेतन-भत्ते से संबंधित है। तीसरी अनुसूची विभिन्न पदाधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ और प्रतिज्ञान (oaths and affirmations) से संबंधित है। चौथी अनुसूची राज्यसभा में राज्यों और संघीय क्षेत्रों के लिए सीटों के आवंटन से संबंधित है।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन ‘संसद के सत्र’ (Session of Parliament) के भाग नहीं माने जाते हैं?
- बजट सत्र
- मानसून सत्र
- शीतकालीन सत्र
- स्थगन (Adjournment)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारत में संसद के मुख्य रूप से तीन सत्र होते हैं: बजट सत्र (आमतौर पर फरवरी से मई तक), मानसून सत्र (आमतौर पर जुलाई से सितंबर तक), और शीतकालीन सत्र (आमतौर पर नवंबर से दिसंबर तक)। ‘स्थगन’ (Adjournment) सत्र का एक हिस्सा हो सकता है, लेकिन यह स्वयं एक पूर्ण सत्र का नाम नहीं है। स्थगन का अर्थ है किसी सत्र को कुछ समय के लिए (घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए) स्थगित करना।
- संदर्भ और विस्तार: सत्र की समाप्ति का अर्थ है एक पूर्ण सत्र का अंत, जबकि स्थगन केवल एक अस्थायी रोक है। सत्र की समाप्ति (prorogation) राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जबकि स्थगन अध्यक्ष/सभापति द्वारा।
- गलत विकल्प: बजट सत्र, मानसून सत्र और शीतकालीन सत्र संसद के तीन मुख्य सत्र हैं। स्थगन सत्र के भीतर एक अल्पकालिक रोक है, न कि अपने आप में एक सत्र।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के किस संशोधन अधिनियम द्वारा ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकार से हटाकर एक कानूनी अधिकार बनाया गया?
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1988
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा, संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 31) को मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और इसे संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (legal right) के रूप में सूचीबद्ध किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन जनता पार्टी सरकार के तहत किया गया था, जिसका उद्देश्य संपत्ति के अधिकार से जुड़ी कुछ जटिलताओं को दूर करना और सामाजिक-आर्थिक सुधारों को सुगम बनाना था। अब, इस अधिकार के उल्लंघन पर व्यक्ति सीधे सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय में जा सकता है, लेकिन यह मौलिक अधिकारों के तहत उपलब्ध उपचारों से भिन्न है।
- गलत विकल्प: 42वाँ संशोधन ‘मिनी-संविधान’ कहलाता है। 73वाँ संशोधन पंचायती राज से संबंधित है। 61वाँ संशोधन मतदान की आयु को 18 वर्ष करने से संबंधित है।
प्रश्न 24: भारत में ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) की शक्ति का आधार क्या है?
- केवल अनुच्छेद 13
- केवल अनुच्छेद 32 और 226
- संविधान का मूल ढाँचा (Basic Structure Doctrine)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: भारत में न्यायिक समीक्षा की शक्ति विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों और न्यायिक व्याख्याओं से उत्पन्न होती है। अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों से असंगत कानूनों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) क्रमशः मौलिक अधिकारों और अन्य कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति देते हैं, जिसमें न्यायिक समीक्षा भी निहित है। ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित ‘संविधान के मूल ढाँचे’ के सिद्धांत ने न्यायिक समीक्षा की शक्ति को और मजबूत किया है, जिससे संसद को संविधान के मूल ढाँचे को बदलने से रोका जा सके।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक समीक्षा न्यायपालिका को विधायिका द्वारा पारित कानूनों और कार्यपालिका द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का मूल्यांकन करने की शक्ति देती है। यह संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: केवल एक अनुच्छेद या सिद्धांत को न्यायिक समीक्षा का एकमात्र आधार मानना गलत है। यह एक बहुआयामी शक्ति है।
प्रश्न 25: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) का अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- वित्त मंत्री
- योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक कार्यकारी निकाय है, न कि संवैधानिक या सांविधिक। इसके अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: NDC की स्थापना 1952 में की गई थी, जिसका उद्देश्य पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण और कार्यान्वयन में केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना था। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के सदस्य, सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक शामिल होते हैं। यह पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देती है। (हालांकि नीति आयोग के गठन के बाद NDC की भूमिका कुछ हद तक बदल गई है, प्रधानमंत्री अभी भी इसके अध्यक्ष होते हैं।)
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति औपचारिक राष्ट्र प्रमुख होते हैं, सरकारी प्रमुख नहीं। वित्त मंत्री एक सदस्य हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष नहीं। योजना आयोग (अब नीति आयोग) के उपाध्यक्ष भी सदस्य हो सकते हैं, लेकिन वे अध्यक्ष नहीं होते।
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