संविधान के सारथी बनें: आज का 25-प्रश्नों वाला महा-अभ्यास!
साथियों, भारत के जीवंत लोकतंत्र की नींव हमारे संविधान में निहित है। क्या आप इस संवैधानिक ढांचे की अपनी समझ का परीक्षण करने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं भारतीय राजव्यवस्था और संविधान पर आधारित 25 गहन प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और आपकी परीक्षा की तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। आइए, संवैधानिक ज्ञान की इस रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपने ज्ञान का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत भारतीय संसद को नए राज्यों का गठन करने या उनके क्षेत्रों, सीमाओं या मौजूदा राज्यों के नामों में परिवर्तन करने की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 1
- अनुच्छेद 3
- अनुच्छेद 4
- अनुच्छेद 11
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 भारतीय संसद को यह अधिकार देता है कि वह किसी राज्य में से उसका क्षेत्र अलग करके अथवा दो या अधिक राज्यों या उनके भागों को मिलाकर या किसी राज्य के क्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्यों का निर्माण कर सकेगी। यह किसी भी राज्य का क्षेत्र बढ़ा या घटा सकती है, या उसके नाम में परिवर्तन कर सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए राष्ट्रपति की पूर्व सिफारिश आवश्यक है, और संबंधित राज्य विधानमंडल को अपनी राय व्यक्त करने के लिए एक निश्चित समय-सीमा के भीतर सूचित किया जाता है। हालांकि, संसद इस राय से बंधा नहीं है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है, जबकि अनुच्छेद 4 यह व्यवस्था करता है कि ऐसे परिवर्तन प्रथम और चतुर्थ अनुसूची के संशोधन सहित होंगे और उन्हें सामान्य विधायी प्रक्रिया के तहत किया जा सकता है। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता से संबंधित विधि बनाने की शक्ति देता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत के “राज्यों के संघ” का वर्णन करता है। अनुच्छेद 4 बताता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत बनाए गए कानून संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माने जाएंगे। अनुच्छेद 11 नागरिकता के अधिकारों से संबंधित है, न कि राज्यों के पुनर्गठन से।
प्रश्न 2: भारत में ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ किस अनुच्छेद में वर्णित है, जिसे डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहा है?
- अनुच्छेद 19
- अनुच्छेद 21
- अनुच्छेद 32
- अनुच्छेद 226
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 ‘संवैधानिक उपचारों का अधिकार’ प्रदान करता है। यह नागरिकों को उनके मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32(2)) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) में जाने का अधिकार देता है। डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने इसे संविधान का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अनुच्छेद बताया था, जिसे वह ‘संविधान का हृदय और आत्मा’ कहते थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह अनुच्छेद पांच प्रकार की रिट (हेवियस कॉर्पस, मैंडमस, प्रोहिबिशन, सर्टिओररी और को वारंटो) जारी करने की शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को देता है। ये रिटें मौलिक अधिकारों के उल्लंघन की स्थिति में व्यक्ति को राहत प्रदान करती हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 19 वाक्य, अभिव्यक्ति, शांतिपूर्ण सभा, संघ बनाने, आवागमन, निवास और व्यवसाय की स्वतंत्रता से संबंधित है। अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है। अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है, लेकिन संवैधानिक उपचारों का अधिकार का मूल अनुच्छेद 32 है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी भाषा ‘आठवीं अनुसूची’ में शामिल नहीं है, जो भारत की आधिकारिक भाषाओं को सूचीबद्ध करती है?
- कश्मीरी
- डोगरी
- राजस्थानी
- बोडो
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुसूची संदर्भ: भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाओं को सूचीबद्ध किया गया है। राजस्थानी भाषा इन 22 भाषाओं में शामिल नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: मूल रूप से, आठवीं अनुसूची में 14 भाषाएँ थीं। बाद में, सिंधी (21वां संशोधन), कोंकणी, मणिपुरी और नेपाली (71वां संशोधन), और संथाली, मैथिली, बोडो और डोगरी (92वां संशोधन) को जोड़ा गया। कश्मीरी, डोगरी और बोडो आठवीं अनुसूची में शामिल हैं।
- गलत विकल्प: कश्मीरी, डोगरी और बोडो संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त भाषाएँ हैं और आठवीं अनुसूची का हिस्सा हैं। राजस्थानी, हालांकि भारत में व्यापक रूप से बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है, अभी तक आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं की गई है।
प्रश्न 4: भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है?
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के उपराष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 56(1)(a) के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित करके देगा।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के त्यागपत्र के बारे में तत्काल लोकसभा अध्यक्ष को सूचित करेगा। यह प्रक्रिया राष्ट्रपति के पद खाली होने की स्थिति को सुनिश्चित करती है।
- गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह का संचालन करते हैं, न कि त्यागपत्र प्राप्त करते हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति के प्रमुख सलाहकार होते हैं, लेकिन त्यागपत्र का प्राप्तकर्ता नहीं। लोकसभा अध्यक्ष संसद के निचले सदन के प्रमुख होते हैं, लेकिन राष्ट्रपति के त्यागपत्र के प्राप्तकर्ता नहीं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘प्रस्तावना’ के संबंध में सत्य नहीं है?
- यह संविधान का एक अंग है, लेकिन विधायिका का हिस्सा नहीं है।
- इसमें ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ जैसे शब्द 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे।
- यह मौलिक अधिकारों का स्रोत है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने केशवानंद भारती मामले (1973) में प्रस्तावना को संविधान का ‘मूल ढांचा’ (Basic Structure) माना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: प्रस्तावना संविधान का एक ‘अंग’ है (जैसा कि केशवानंद भारती मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा माना गया है), और इसमें 42वें संशोधन द्वारा महत्वपूर्ण शब्द जोड़े गए। साथ ही, केशवानंद भारती मामले ने प्रस्तावना को ‘मूल ढांचे’ का हिस्सा घोषित किया। हालांकि, प्रस्तावना स्वयं मौलिक अधिकारों का ‘स्रोत’ नहीं है; मौलिक अधिकार संविधान के भाग III में वर्णित हैं। प्रस्तावना उनका आधार और व्याख्या का मार्गदर्शन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना संविधान के उद्देश्यों, आदर्शों और लक्ष्यों को दर्शाती है। यह संविधान निर्माताओं की मंशा को समझने में मदद करती है। ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 1976 में 42वें संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) प्रस्तावना के संबंध में सत्य हैं। विकल्प (c) गलत है क्योंकि प्रस्तावना मौलिक अधिकारों का स्रोत नहीं है, बल्कि यह उन अधिकारों के औचित्य और व्याप्ति को समझने में सहायक है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्वों’ (DPSP) की प्रेरणा किस देश के संविधान से ली गई है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- कनाडा
- आयरलैंड
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और स्रोत: भारतीय संविधान के भाग IV में उल्लिखित राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) की प्रेरणा आयरलैंड के संविधान से ली गई है।
- संदर्भ और विस्तार: आयरलैंड के संविधान ने अपने नीति निदेशक तत्वों को स्पेनिश संविधान से प्रभावित होकर अपनाया था, जो आगे चलकर भारत के संविधान निर्माताओं के लिए प्रेरणा बने। DPSP का उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना करना है, जो कल्याणकारी राज्य के गठन में सहायक होते हैं।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से मौलिक अधिकार, कनाडा से संघात्मक व्यवस्था और अवशिष्ट शक्तियां, तथा ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया गया है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है?
- अनुच्छेद 72
- अनुच्छेद 123
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 161
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में क्षमा, दंडादेश का लघुकरण, प्रविलंबन या परिहार करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति केवल उन अपराधों पर लागू होती है जो संघ के कार्यपालिका अधिकार के अंतर्गत आते हैं, या सैन्य न्यायालय द्वारा दिए गए दंड, या मृत्युदंड के मामले में। राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायिक शक्ति नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक विशेषाधिकार है। यह राज्यपाल की क्षमादान शक्ति (अनुच्छेद 161) से भिन्न है, जो राज्य के विधि के अधीन अपराधों पर लागू होती है और मृत्युदंड को क्षमा करने की शक्ति इसमें शामिल नहीं है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 143 राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति देता है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल को क्षमादान की शक्ति देता है।
प्रश्न 8: भारत में ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) के संबंध में कौन सा कथन असत्य है?
- यह एक स्थायी वित्तीय समिति है।
- इसके सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- यह भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट की जांच करती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और विवरण: लोक लेखा समिति (PAC) एक स्थायी वित्तीय समिति है। इसके 22 सदस्य होते हैं – 15 लोकसभा से और 7 राज्यसभा से। सदस्यों का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा **नहीं** होता है, बल्कि साधारण बहुमत से होता है। समिति का अध्यक्ष लोकसभा अध्यक्ष द्वारा नियुक्त किया जाता है (परंपरागत रूप से विपक्षी दल से)। यह CAG की रिपोर्ट की जांच करती है।
- संदर्भ और विस्तार: PAC का मुख्य कार्य भारत की संचित निधि से किए गए व्यय की प्रामाणिकता की जांच करना और यह सुनिश्चित करना कि व्यय नियमानुसार हुआ है। CAG की रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाती है, और PAC उसकी विस्तार से जांच करती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) असत्य है क्योंकि सदस्यों का चुनाव एकल संक्रमणीय मत द्वारा नहीं, बल्कि साधारण बहुमत से होता है। अन्य सभी कथन सत्य हैं।
प्रश्न 9: ‘धन विधेयक’ (Money Bill) की परिभाषा भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में दी गई है?
- अनुच्छेद 109
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 117
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों को परिभाषित करता है। इसमें ऐसे विधेयकों के बारे में प्रावधान हैं जो मुख्य रूप से करों के अधिरोपण, उन्मूलन, छूट, परिवर्तन या विनियमन से संबंधित होते हैं; या सरकार द्वारा उधार लिए जाने वाले धन से; या भारत की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा से।
- संदर्भ और विस्तार: किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा अध्यक्ष का होता है। धन विधेयकों को राज्यसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है और राज्यसभा के पास उन्हें अस्वीकार करने या संशोधित करने की शक्ति नहीं होती; वे अधिकतम 14 दिनों तक इसे रोक सकते हैं। अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के संबंध में विशेष प्रक्रियाओं का वर्णन करता है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 117 वित्तीय विधेयकों के संबंध में विशेष प्रावधानों का वर्णन करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 109 धन विधेयकों के पारित होने की प्रक्रिया से संबंधित है। अनुच्छेद 112 बजट से संबंधित है। अनुच्छेद 117 वित्तीय विधेयकों से संबंधित है, जो धन विधेयकों से व्यापक है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान की ‘प्रस्तावना’ में ‘न्याय’ का उल्लेख निम्नलिखित में से किन रूपों में किया गया है?
- सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक
- कानूनी, सामाजिक और राजनीतिक
- सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक
- राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और पाठ्य संदर्भ: भारत की संविधान की प्रस्तावना सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने की बात करती है।
- संदर्भ और विस्तार: ये न्याय के रूप भारतीय गणराज्य की आकांक्षाओं को दर्शाते हैं। सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का समान अधिकार प्राप्त हो। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और संसाधनों के वितरण में समानता स्थापित करना, ताकि गरीबी और अमीरी के बीच की खाई को कम किया जा सके।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना में ‘धार्मिक’ न्याय का प्रत्यक्ष उल्लेख नहीं है, हालांकि पंथनिरपेक्षता (secularism) के सिद्धांत के तहत सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार सुनिश्चित किया जाता है। ‘कानूनी’ न्याय का उल्लेख भी सीधे तौर पर नहीं है, लेकिन यह सामाजिक और राजनीतिक न्याय का एक अंतर्निहित हिस्सा है।
प्रश्न 11: यदि किसी राज्य विधानमंडल में कोई सदस्य लगातार कितने दिनों तक सदन की अनुमति के बिना अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है?
- 30 दिन
- 45 दिन
- 60 दिन
- 90 दिन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान के अनुच्छेद 190(4) के अनुसार, यदि कोई सदस्य सदन की अनुमति के बिना 60 दिनों की अवधि के लिए बैठकों से अनुपस्थित रहता है, तो उसकी सीट रिक्त घोषित की जा सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नियम सुनिश्चित करता है कि सदस्य अपने विधायी कर्तव्यों के प्रति जवाबदेह रहें। यह अवधि दो अलग-अलग अवधियों में भी हो सकती है, जिसमें दो सत्रों के बीच 60 दिनों से अधिक का अंतराल न हो।
- गलत विकल्प: 30, 45 और 90 दिनों की अवधि इस नियम के तहत नहीं आती है। 60 दिनों की निरंतर अनुपस्थिति के बाद ही सदस्यता समाप्त करने की कार्रवाई हो सकती है, बशर्ते कि सदस्य ने सदन से अनुमति न ली हो।
प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक संशोधन ‘पंचायती राज संस्थाओं’ को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 86वां संशोधन अधिनियम, 2002
- 97वां संशोधन अधिनियम, 2011
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संशोधन संदर्भ: 73वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992, भारतीय संविधान में एक नया भाग IX और एक नई अनुसूची, 11वीं अनुसूची, जोड़कर पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने देश भर में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया, जिसमें ग्राम पंचायत, मध्यवर्ती पंचायत (पंचायत समिति) और जिला पंचायत शामिल हैं। इसने PRIs को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए 29 विषय भी सौंपे।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाता है। 97वां संशोधन सहकारी समितियों से संबंधित है।
प्रश्न 13: भारत के राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु कितनी होनी चाहिए?
- 25 वर्ष
- 30 वर्ष
- 35 वर्ष
- 40 वर्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 58(1)(b) के अनुसार, भारत का नागरिक जो 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो, राष्ट्रपति के पद के लिए योग्य होगा।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति पद के लिए अन्य योग्यताओं में भारत का नागरिक होना, लोकसभा का सदस्य चुने जाने योग्य होना और लाभ के किसी पद पर न होना शामिल है।
- गलत विकल्प: 25 वर्ष की आयु लोकसभा या राज्य विधानमंडल के सदस्य के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 84 और 173)। 30 वर्ष राज्यसभा या राज्य विधान परिषद के सदस्य के लिए न्यूनतम आयु है (अनुच्छेद 84 और 173)। 35 वर्ष राष्ट्रपति और राज्यपाल के लिए न्यूनतम आयु है। 40 वर्ष किसी विशेष पद के लिए न्यूनतम निर्धारित आयु नहीं है।
प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी लोक अधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्यों को निभाने के लिए मजबूर करने हेतु जारी की जाती है?
- हेवियस कॉर्पस
- मैंडमस (परमादेश)
- सर्टिओररी
- प्रोहिबिशन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और रिट का अर्थ: मैंडमस (परमादेश) एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह रिट किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक अधिकारी को उसका सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य निभाने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट केवल सार्वजनिक निकायों या अधिकारियों के विरुद्ध जारी की जा सकती है, न कि निजी व्यक्तियों के विरुद्ध। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोक सेवक अपने कर्तव्यों का पालन करें और जनता के अधिकारों की रक्षा हो।
- गलत विकल्प: हेवियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) अवैध निरोध से मुक्ति के लिए है। सर्टिओररी (उत्प्रेषण) किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। प्रोहिबिशन (प्रतिषेध) किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 15: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष कौन बन सकता है?
- भारत का सेवानिवृत्त राष्ट्रपति
- भारत का सेवानिवृत्त उपराष्ट्रपति
- भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
- कोई भी सेवानिवृत्त न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय का
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अधिनियम संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, 1993 के संरक्षण अधिनियम की धारा 2(1)(d) के अनुसार, आयोग का अध्यक्ष वह व्यक्ति होता है जो भारत का मुख्य न्यायाधीश रहा हो।
- संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है। अध्यक्ष का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष या 70 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, होता है।
- गलत विकल्प: सेवानिवृत्त राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति, या किसी अन्य सेवानिवृत्त न्यायाधीश (जब तक कि वे मुख्य न्यायाधीश न रहे हों) स्वतः अध्यक्ष बनने के योग्य नहीं होते। केवल भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश ही अध्यक्ष बनने के लिए पात्र होते हैं।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) के विषयों से संबंधित है?
- रक्षा, विदेशी मामले
- रेलवे, बैंकिंग
- शिक्षा, वन
- लोक व्यवस्था, पुलिस
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुसूची संदर्भ: संविधान की सातवीं अनुसूची में तीन सूचियां हैं: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। समवर्ती सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। ‘शिक्षा’ और ‘वन’ समवर्ती सूची के अंतर्गत आते हैं (अनुच्छेद 246)।
- संदर्भ और विस्तार: यदि संघ सूची और राज्य सूची के बीच किसी विषय पर टकराव होता है, तो संघ सूची प्रभावी होती है। यदि समवर्ती सूची और राज्य सूची के बीच टकराव होता है, तो समवर्ती सूची प्रभावी होती है। हालांकि, यदि राज्य द्वारा बनाया गया कानून संघ द्वारा बनाए गए कानून के विपरीत है, तो संघ का कानून प्रभावी होगा, जब तक कि राज्य विधानमंडल ने राष्ट्रपति की स्वीकृति प्राप्त न कर ली हो और उस पर कार्य कर रहा हो।
- गलत विकल्प: रक्षा और विदेशी मामले (a) संघ सूची में हैं। रेलवे और बैंकिंग (b) भी संघ सूची में हैं। लोक व्यवस्था और पुलिस (d) राज्य सूची के विषय हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संसद का सत्रावसान (Prorogation) कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- लोकसभा अध्यक्ष
- राष्ट्रपति
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85(2)(a) के अनुसार, राष्ट्रपति किसी भी समय संसद के किसी भी सदन का सत्रावसान कर सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सत्रावसान का अर्थ है कि सदन की बैठकें स्थगित की जाती हैं और सत्र समाप्त हो जाता है। यह स्थगन (Adjournment) से भिन्न है, जो सदन की कार्यवाही को थोड़े समय के लिए रोकती है और सत्र जारी रहता है। राष्ट्रपति यह कार्य प्रधानमंत्री की सलाह पर करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री केवल सलाह दे सकते हैं। लोकसभा अध्यक्ष केवल बैठक को स्थगन कर सकते हैं। राज्यसभा का सभापति भी केवल बैठक को स्थगन कर सकते हैं। सत्रावसान का औपचारिक अधिकार राष्ट्रपति के पास है।
प्रश्न 18: ‘सर्वोच्च न्यायालय’ के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा **किससे** सलाह लेने के बाद की जाती है?
- प्रधानमंत्री से
- संसद के दोनों सदनों से
- भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और अन्य न्यायाधीशों (यदि आवश्यक हो) से
- किसी भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद/निर्णय संदर्भ: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली (Collegium System) के तहत होती है, जिसकी व्याख्या सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों, विशेषकर ‘द्वितीय न्यायाधीश मामला’ (1993) और ‘तृतीय न्यायाधीश मामला’ (1998) में की गई है। राष्ट्रपति, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) से परामर्श करने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।CJı की अनुपस्थिति में, या जहाँ CJı के पद रिक्त होने के कारण उनके कृत्य करने में असमर्थता हो, वहाँ राष्ट्रपति सीजेआई की सहायता के लिए नियुक्त किये गए किसी अन्य न्यायाधीश से परामर्श करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: 2014 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम पारित किया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक करार दिया, जिससे कॉलेजियम प्रणाली पुनः स्थापित हो गई।
- गलत विकल्प: केवल प्रधानमंत्री से सलाह लेना पर्याप्त नहीं है। संसद के दोनों सदनों से सलाह लेने का कोई प्रावधान नहीं है। किसी भी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से सलाह लेना आवश्यक नहीं है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के मामले में CJı और सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीशों से परामर्श होता है।
प्रश्न 19: भारत में ‘आपातकालीन प्रावधान’ (Emergency Provisions) संविधान के किस भाग में दिए गए हैं?
- भाग XIV
- भाग XV
- भाग XVI
- भाग XVIII
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और भाग संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVIII आपातकालीन प्रावधानों (अनुच्छेद 352, 356, और 360) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: ये प्रावधान भारत को राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में), राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) या वित्तीय आपातकाल की स्थिति में कार्य करने की शक्ति देते हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और सामान्य कामकाज सुनिश्चित करना है।
- गलत विकल्प: भाग XIV संघ और राज्यों के अधीन सेवाओं से संबंधित है। भाग XV निर्वाचन (Elections) से संबंधित है। भाग XVI कुछ वर्गों से संबंधित विशेष प्रावधानों से संबंधित है।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘मौलिक कर्तव्यों’ (Fundamental Duties) के संबंध में असत्य है?
- इनका समावेश 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा किया गया था।
- ये केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होते हैं।
- इनका उल्लंघन करने पर कानूनी दंड का प्रावधान है।
- इनका उद्देश्य नागरिकों को देश के प्रति उनके कर्तव्यों की याद दिलाना है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और स्रोत: मौलिक कर्तव्यों को 1976 में 42वें संशोधन द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत जोड़ा गया था। ये केवल भारतीय नागरिकों पर लागू होते हैं। इनका उद्देश्य नागरिकों को देश के प्रति उनके कर्तव्यों का बोध कराना है।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्यों का उल्लंघन करने पर कोई सीधा कानूनी दंड **नहीं** है। हालांकि, कुछ कर्तव्यों के पालन को सुनिश्चित करने के लिए संसद कानून बना सकती है (जैसे राष्ट्र ध्वज का अनादर न करना)। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये कर्तव्य नैतिक दायित्व हैं, न कि न्यायोचित (justiciable) अधिकार।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) असत्य है क्योंकि मौलिक कर्तव्यों के उल्लंघन के लिए कोई प्रत्यक्ष कानूनी दंड नहीं है। अन्य सभी विकल्प मौलिक कर्तव्यों के संबंध में सत्य हैं।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘बंधुता’ (Fraternity) शब्द का क्या अर्थ है?
- आपसी भाईचारा और सौहार्द
- समान अवसर
- कानून के समक्ष समानता
- धर्म की स्वतंत्रता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और पाठ्य संदर्भ: प्रस्तावना में ‘बंधुता’ शब्द का प्रयोग व्यक्तियों के बीच आपसी भाईचारे, सौहार्द और एकजुटता की भावना को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: बंधुता को बढ़ावा देना व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता तथा अखंडता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है। यह शब्द सामाजिक और नैतिक मूल्यों पर बल देता है।
- गलत विकल्प: समान अवसर (b) समानता के सिद्धांत का हिस्सा है। कानून के समक्ष समानता (c) और धर्म की स्वतंत्रता (d) भी संविधान के मौलिक अधिकार हैं, लेकिन बंधुता का मुख्य अर्थ आपसी भाईचारा और सौहार्द है।
प्रश्न 22: भारत के राष्ट्रपति को महाभियोग (Impeachment) द्वारा हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 56
- अनुच्छेद 61
- अनुच्छेद 74
- अनुच्छेद 112
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 61 भारतीय राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया का विस्तृत वर्णन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग राष्ट्रपति पर ‘संविधान का उल्लंघन’ के आरोप में चलाया जा सकता है। यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है जो संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) में शुरू की जा सकती है। प्रस्ताव को उस सदन की कुल सदस्यता के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए और सदन की कुल सदस्यता के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों के बहुमत से पारित होना चाहिए। यदि एक सदन प्रस्ताव पारित कर देता है, तो दूसरा सदन आरोपों की जांच करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 56 राष्ट्रपति के कार्यकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 74 राष्ट्रपति को सहायता और सलाह के लिए मंत्रिपरिषद से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी समिति ‘संसदीय समिति’ नहीं है?
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
- विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges)
- नीति आयोग (NITI Aayog)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और प्रकृति: प्राक्कलन समिति, लोक लेखा समिति और विशेषाधिकार समिति भारतीय संसद की महत्वपूर्ण स्थायी समितियां हैं। नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक **संवैधानिक निकाय नहीं** है, बल्कि यह 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग (Planning Commission) के स्थान पर स्थापित एक कार्यकारी प्रस्ताव (executive resolution) द्वारा गठित एक गैर-संवैधानिक, गैर-कानूनी, सलाहकार निकाय है।
- संदर्भ और विस्तार: संसदीय समितियां संसद की कार्यप्रणाली को सुगम बनाती हैं, विधायी कार्यों में सहायता करती हैं और कार्यपालिका पर नियंत्रण रखती हैं। नीति आयोग का मुख्य कार्य भारत के लिए नीति निर्माण में सरकार को रणनीतिक और तकनीकी सलाह प्रदान करना है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) संसदीय समितियां हैं। विकल्प (d) नीति आयोग एक सरकारी निकाय है, लेकिन संसदीय समिति नहीं।
प्रश्न 24: भारत में ‘सांप्रदायिक निर्वाचन’ (Communal Electorate) की शुरुआत किस अधिनियम द्वारा हुई?
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1861
- भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 (मार्ले-मिंटो सुधार)
- भारत सरकार अधिनियम, 1919 (मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार)
- भारत सरकार अधिनियम, 1935
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और ऐतिहासिक संदर्भ: भारतीय परिषद अधिनियम, 1909, जिसे मार्ले-मिंटो सुधार के नाम से भी जाना जाता है, ने भारत में पहली बार सांप्रदायिक निर्वाचन (मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मंडल) की शुरुआत की।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम का उद्देश्य भारतीय राष्ट्रवाद को विभाजित करना था। इस अधिनियम ने मुस्लिम समुदाय के लिए उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर अलग निर्वाचक मंडल की व्यवस्था की, जिसमें केवल मुसलमान ही मुस्लिम मतदाताओं के लिए वोट दे सकते थे। इसने आगे चलकर भारत के विभाजन की नींव रखी।
- गलत विकल्प: 1861 का अधिनियम भारतीयों को विधान परिषदों में शामिल करने की दिशा में पहला कदम था। 1919 का अधिनियम द्वैध शासन (Dyarchy) की शुरुआत की और सांप्रदायिक निर्वाचन का विस्तार किया (जैसे सिख, भारतीय ईसाई, आंग्ल-भारतीय)। 1935 का अधिनियम संघीय ढांचे की स्थापना और प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की शुरुआत करता है।
प्रश्न 25: भारतीय संविधान के अनुसार, ‘सरकार’ (Government) का अर्थ क्या है?
- केवल संसद
- केवल मंत्रिपरिषद
- राष्ट्रपति, संसद और देश के सभी न्यायालय
- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और व्यापक परिभाषा: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘सरकार’ (Government) का अर्थ भारत सरकार (कार्यपालिका और विधायिका) और संसद, राज्य सरकार (कार्यपालिका और विधायिका) और राज्य विधानमंडल, और ‘सभी स्थानीय प्राधिकारी या अन्य प्राधिकारी’ (Local authorities or other authorities) से है, जो भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन हैं। व्यापक अर्थ में, सरकार में देश की शासन व्यवस्था चलाने वाले तीनों अंग शामिल हैं: कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि अनुच्छेद 12 में ‘सरकार’ की परिभाषा विशेषकर मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के संदर्भ में स्थानीय या अन्य प्राधिकारियों को शामिल करने के लिए दी गई है, व्यापक राजनीतिक सिद्धांत के अनुसार, सरकार के तीन अंग होते हैं। मौलिक अधिकारों के संदर्भ में, ‘राज्य’ की परिभाषा में कार्यपालिका और विधायिका (संघ और राज्य स्तर पर) शामिल हैं, और सर्वोच्च न्यायालय ने न्यायपालिका को भी ‘राज्य’ का हिस्सा माना है जब वह प्रशासनिक क्षमता में कार्य करता है।
- गलत विकल्प: केवल संसद (a) सरकार का एक अंग है, पूर्ण रूप नहीं। केवल मंत्रिपरिषद (b) सरकार की कार्यपालिका का हिस्सा है, पूर्ण नहीं। राष्ट्रपति, संसद और न्यायालय (c) सरकार के विभिन्न पहलुओं को दर्शाते हैं, लेकिन ‘सरकार’ का सबसे व्यापक अर्थ तीनों अंगों के समावेश से है।
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