समाजशास्त्र की गहराई: आपकी दैनिक परीक्षा
तैयारी के इस महासागर में, आइए आज समाजशास्त्र की अपनी समझ की गहराई को परखें। यह दैनिक प्रश्नोत्तरी आपके मुख्य अवधारणाओं, प्रमुख विचारकों और सामाजिक सिद्धांतों पर पकड़ को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर है। तैयार हो जाइए, क्योंकि आज का यह सत्र आपकी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ को आधुनिक पश्चिमी समाज के विकास की एक केंद्रीय प्रक्रिया के रूप में पहचाना। उनके अनुसार, यह पारंपरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक सोच से हटकर, दक्षता, गणना और नियम-आधारित क्रियाओं पर आधारित सोच और व्यवहार का प्रसार है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी कृति ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ और ‘इकोनॉमी एंड सोसाइटी’ में इस अवधारणा को विस्तृत रूप से समझाया। उन्होंने तर्कसंगतता को नौकरशाही (Bureaucracy) और पूंजीवाद के उदय से जोड़ा।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, एमिल दुर्खीम सामाजिक एकजुटता और एनोमी जैसे विषयों पर, और जॉर्ज सिमेल सामाजिक अंतःक्रिया के रूपों पर। ये विचारक तर्कसंगतता को वेबर जितना केंद्रीय नहीं मानते।
प्रश्न 2: ‘अनमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक नियमों और मानदंडों के कमजोर पड़ने से उत्पन्न होती है, किस समाजशास्त्री द्वारा प्रस्तुत की गई थी?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्ते
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम ने ‘अनमी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक मानदंडों और मूल्यों की कमी या कमजोरी होती है, जिससे दिशाहीनता और अव्यवस्था की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तकों ‘द डिवीजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में इस अवधारणा को गहराई से समझाया। उन्होंने दिखाया कि कैसे अनमी आत्महत्या दर (विशेषकर ‘अनॉमिक आत्महत्या’) और सामाजिक अव्यवस्था से जुड़ी है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर तर्कसंगतता पर जोर देते हैं, कार्ल मार्क्स आर्थिक व्यवस्था और वर्ग संघर्ष पर, और ऑगस्ट कॉम्ते समाजशास्त्र के संस्थापक के रूप में सकारात्मकता (Positivism) के सिद्धांतकार थे।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) की एक मुख्य अवधारणा नहीं है?
- सामंजस्य (Equilibrium)
- सामाजिक संरचना (Social Structure)
- फंक्शन (Function) और डिस्फंक्शन (Dysfunction)
- कन्फ्लिक्ट (Conflict)
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: संरचनात्मक प्रकार्यवाद समाज को एक जटिल प्रणाली के रूप में देखता है जहाँ विभिन्न भाग (संरचनाएं) मिलकर एक एकीकृत पूरे (समाज) के रूप में कार्य करते हैं। यह सामंजस्य, संरचना और कार्यों (सकारात्मक या नकारात्मक) पर ध्यान केंद्रित करता है। कन्फ्लिक्ट (संघर्ष) हालांकि समाजशास्त्र का एक महत्वपूर्ण विषय है, यह मुख्य रूप से संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) से जुड़ा है, प्रकार्यवाद से नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख विचारकों में टैल्कोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन शामिल हैं। वे मानते हैं कि समाज में व्यवस्था और स्थिरता बनाए रखने वाले तत्व महत्वपूर्ण होते हैं।
- गलत विकल्प: सामंजस्य (Equilibrium) समाज में स्थिरता की स्थिति को संदर्भित करता है। सामाजिक संरचना समाज के सुव्यवस्थित पैटर्न को दर्शाती है। फंक्शन (Function) किसी संरचना का योगदान है, जबकि डिस्फंक्शन (Dysfunction) वह है जो सामाजिक व्यवस्था को बाधित करता है। ये सभी प्रकार्यवाद के लिए केंद्रीय हैं।
प्रश्न 4: मैकियावेली के ‘द प्रिंस’ में वर्णित ‘राजनैतिक शक्ति’ का सार किस सिद्धांत से मेल खाता है?
- वर्ग संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- सत्ता और प्रभुत्व का सिद्धांत
- अनमी का सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मैकियावेली ने ‘द प्रिंस’ में शासकों के लिए शक्ति प्राप्त करने और बनाए रखने की व्यावहारिक रणनीतियों का वर्णन किया। यह मुख्य रूप से सत्ता (Power) प्राप्त करने, उसे बनाए रखने और प्रभावी ढंग से उपयोग करने की कला पर केंद्रित है, जो ‘सत्ता और प्रभुत्व का सिद्धांत’ से सबसे निकटता से मेल खाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मैकियावेली को अक्सर यथार्थवादी राजनीतिक दर्शन का जनक माना जाता है। उनकी शिक्षाएँ तर्कसंगत शक्ति-राजनीति पर आधारित थीं, जहाँ नैतिक विचारों की तुलना में दक्षता और परिणाम अधिक महत्वपूर्ण थे।
- गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष सिद्धांत कार्ल मार्क्स से जुड़ा है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रिया पर केंद्रित है। अनमी का सिद्धांत एमिल दुर्खीम द्वारा विकसित किया गया है।
प्रश्न 5: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द किसके लिए प्रयुक्त होता है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- उच्च जातियों की प्रथाओं और अनुष्ठानों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- शहरी जीवन शैली का प्रसार
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ शब्द का प्रयोग भारतीय संदर्भ में उस प्रक्रिया के लिए किया जहाँ निम्न जाति या जनजाति के लोग उच्च जाति (विशेषकर ‘द्विजों’ – पवित्र माने जाने वाले) की प्रथाओं, अनुष्ठानों, विचारधाराओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊंचा उठाने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह सांस्कृतिक गतिशीलता (cultural mobility) का एक रूप है, जो संरचनात्मक गतिशीलता (structural mobility) से भिन्न है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण (Westernization) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना है। शहरी जीवन शैली का प्रसार शहरीकरण है। जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन सामाजिक सुधार का एक लक्ष्य हो सकता है, लेकिन संस्कृतिकरण उस प्रक्रिया का वर्णन नहीं करता।
प्रश्न 6: ‘सर्वहारा वर्ग’ (Proletariat) और ‘बुर्जुआ वर्ग’ (Bourgeoisie) की अवधारणाएँ किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत का मूल हैं?
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- सामाजिक विनिमय सिद्धांत (Social Exchange Theory)
- कार्यात्मकता (Functionalism)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज का विश्लेषण इन दो मुख्य वर्गों के बीच संघर्ष के आधार पर किया: सर्वहारा वर्ग (मजदूर वर्ग, जो केवल श्रम शक्ति बेचता है) और बुर्जुआ वर्ग (पूंजीपति वर्ग, जो उत्पादन के साधनों का मालिक है)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स के वर्ग संघर्ष सिद्धांत का केंद्र बिंदु है, जो उनके अनुसार समाज के विकास का मुख्य संचालक बल है। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि यह संघर्ष अंततः पूंजीवाद के पतन और साम्यवाद की स्थापना की ओर ले जाएगा।
- गलत विकल्प: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अर्थों और प्रतीकों के निर्माण पर केंद्रित है। सामाजिक विनिमय सिद्धांत सामाजिक संबंधों को लागत-लाभ विश्लेषण के रूप में देखता है। कार्यात्मकता (Functionalism) समाज को एकीकृत प्रणाली के रूप में देखती है।
प्रश्न 7: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का सबसे आम आधार क्या माना जाता है?
- व्यक्तिगत प्रतिभा
- सामाजिक वर्ग, आय, और धन
- जाति व्यवस्था (केवल)
- लिंग (केवल)
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण समाज में लोगों को उनकी शक्ति, विशेषाधिकार और प्रतिष्ठा के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है। जबकि जाति व्यवस्था (जैसे भारत में) और लिंग (जैसे पितृसत्तात्मक समाजों में) स्तरीकरण के महत्वपूर्ण रूप हैं, व्यापक अर्थों में सामाजिक वर्ग, आय और धन आधुनिक समाजों में स्तरीकरण के सबसे प्रमुख और बहुआयामी आधार माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के सिद्धांतों में मार्क्स का वर्ग-आधारित विश्लेषण, वेबर का वर्ग, दर्जा (Status) और शक्ति (Party) पर आधारित बहुआयामी दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत प्रतिभा कुछ हद तक गतिशीलता में भूमिका निभा सकती है, लेकिन यह प्रणालीगत स्तरीकरण का मुख्य आधार नहीं है। जाति व्यवस्था और लिंग महत्वपूर्ण हैं, लेकिन सामाजिक वर्ग, आय और धन अधिक व्यापक रूप से स्तरीकरण के विभिन्न पहलुओं को समाहित करते हैं।
प्रश्न 8: ‘प्रतिमानित विचलन’ (Paradigm Shift) की अवधारणा, जो वैज्ञानिक क्रांति के दौरान महत्वपूर्ण बदलावों को दर्शाती है, किस विद्वान से संबंधित है?
- इमाइल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- थॉमस कुह्न
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
प्रश्न 9: निम्नलिखित में से कौन सी ‘पारिवारिक संस्था’ (Family Institution) का एक प्रकार्यात्मक (Functional) दृष्टिकोण नहीं है?
- प्रजनन और बच्चों का समाजीकरण
- आर्थिक सहायता और सुरक्षा प्रदान करना
- सदस्यों को भावनात्मक समर्थन देना
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता को बढ़ावा देना
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: पारंपरिक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण से, परिवार के मुख्य कार्य प्रजनन, समाजीकरण, आर्थिक सहयोग, भावनात्मक सुरक्षा और सामाजिक पहचान प्रदान करना है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता को बढ़ावा देना, हालांकि आधुनिक समाजों में परिवार का एक संभावित पहलू हो सकता है, इसे शास्त्रीय प्रकार्यात्मक विश्लेषण में एक प्राथमिक या आवश्यक कार्य के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि कई बार परिवार संरचना के साथ विरोधाभासी भी हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रकार्यवादियों (जैसे पार्सन्स) ने परिवार को समाज की स्थिरता और निरंतरता के लिए एक अनिवार्य संस्था माना, जो समाज की बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करता है।
- गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प (a, b, c) परिवार के पारंपरिक प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण के तहत माने जाने वाले प्रमुख कार्यों को दर्शाते हैं।
प्रश्न 10: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- समाज की व्यापक संरचनाएँ और संस्थाएँ
- वर्ग संघर्ष और आर्थिक असमानता
- व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाएँ और अर्थों का निर्माण
- शक्ति का वितरण और प्रभुत्व
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख प्रस्तावक जॉर्ज हर्बर्ट मीड, हर्बर्ट ब्लूमर और चार्ल्स कूली हैं, इस बात पर जोर देता है कि कैसे व्यक्ति प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया करते हैं और इस अंतःक्रिया के माध्यम से सामाजिक वास्तविकता और स्वयं की भावना का निर्माण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को व्यक्तियों द्वारा निर्मित और पुन:निर्मित माने जाने वाली एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखता है, जहाँ साझा किए गए अर्थ सामाजिक जीवन को संचालित करते हैं। ‘स्वयं’ (Self) की अवधारणा, ‘अन्य’ (Other) की भूमिका और ‘समाज’ (Society) को प्रतीकों के आदान-प्रदान के उत्पाद के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: व्यापक संरचनाएँ मैक्रो-स्तरीय समाजशास्त्र (जैसे प्रकार्यवाद, संघर्ष सिद्धांत) का विषय हैं। वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स से जुड़ा है। शक्ति का वितरण संघर्ष सिद्धांत या वेबर के काम का हिस्सा है।
प्रश्न 11: भारतीय समाज में ‘उदारवाद’ (Liberalization) की प्रक्रिया का सामाजिक संरचना पर क्या प्रभाव पड़ा है?
- जातिगत पहचान का सुदृढ़ीकरण
- पारंपरिक संयुक्त परिवारों का विघटन और एकल परिवारों में वृद्धि
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास
- धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: 1991 के बाद भारत में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीतियों ने शहरीकरण, औद्योगीकरण और पश्चिमी जीवन शैली के प्रसार को बढ़ावा दिया। इससे परंपरागत संयुक्त परिवारों पर दबाव बढ़ा, क्योंकि युवा पीढ़ी बेहतर रोजगार और अवसरों के लिए शहरों की ओर पलायन करने लगी, जिससे एकल परिवारों की संख्या में वृद्धि हुई।
- संदर्भ और विस्तार: आर्थिक उदारीकरण ने रोजगार की प्रकृति, उपभोग पैटर्न और सामाजिक गतिशीलता को बदला, जिसने अंततः पारिवारिक संरचनाओं को भी प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: उदारीकरण ने कुछ हद तक जातिगत पहचान को कमजोर करने के बजाय, कभी-कभी उसे चुनावी राजनीति में मजबूत किया है (a)। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास उदारीकरण का सीधा और प्राथमिक परिणाम नहीं था (c)। धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि एक जटिल मुद्दा है जिस पर उदारीकरण का प्रभाव प्रत्यक्ष नहीं है (d)।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग से उत्पन्न होने वाले लाभों को संदर्भित करती है, किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: सामाजिक पूंजी की अवधारणा का विकास और विश्लेषण तीन प्रमुख समाजशास्त्रियों द्वारा किया गया है: पियरे बॉर्डियू (जो इसे संसाधन के रूप में देखते हैं), जेम्स कॉलमैन (जो इसे सामाजिक संरचनाओं के एक उत्पाद के रूप में देखते हैं) और रॉबर्ट पटनम (जो इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन से जोड़ते हैं)।
- संदर्भ और विस्तार: तीनों ने अपने-अपने तरीकों से समझाया है कि कैसे सामाजिक नेटवर्क, विश्वास, आपसी संबंधों और सामुदायिक भागीदारी से व्यक्तियों और समुदायों को लाभ मिल सकता है, जो अक्सर आर्थिक या सांस्कृतिक पूंजी से अलग होता है।
- गलत विकल्प: हालांकि तीनों ने इस क्षेत्र में योगदान दिया है, केवल एक को चुनना इस अवधारणा की बहुआयामी प्रकृति को नजरअंदाज करेगा।
प्रश्न 13: ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की मुख्य विशेषता क्या है?
- कृषि आधारित अर्थव्यवस्था
- भारी उद्योग और विनिर्माण का वर्चस्व
- ज्ञान, सूचना और सेवा क्षेत्र का प्रभुत्व
- शक्ति का विकेंद्रीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: डैनियल बेल जैसे समाजशास्त्रियों द्वारा लोकप्रिय की गई ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ की अवधारणा उस समाज का वर्णन करती है जो भारी उद्योग से हटकर ज्ञान-आधारित अर्थव्यवस्था, सूचना प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र पर अधिक निर्भर करता है। उत्पादन के बजाय सूचना और ज्ञान प्रमुख उत्पादक शक्तियाँ बन जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस समाज में, वैज्ञानिक अनुसंधान, नवाचार और उच्च शिक्षा का महत्व बढ़ता है, और निर्णय लेने की प्रक्रियाएँ अधिक जटिल हो जाती हैं।
- गलत विकल्प: कृषि आधारित अर्थव्यवस्था पूर्व-औद्योगिक समाज की विशेषता है (a)। भारी उद्योग औद्योगिक समाज की पहचान है (b)। शक्ति का विकेंद्रीकरण एक राजनीतिक या शासन से संबंधित पहलू है, न कि उत्तर-औद्योगिक समाज की मुख्य आर्थिक-सामाजिक विशेषता (d)।
प्रश्न 14: ‘संरक्षण’ (Conservation) और ‘परिवर्तन’ (Change) के बीच तनाव किस सामाजिक संस्था के विश्लेषण में अक्सर देखा जाता है?
- शिक्षा
- धर्म
- परिवार
- सभी उपरोक्त
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: लगभग हर सामाजिक संस्था में, यथास्थिति बनाए रखने (संरक्षण) और नई आवश्यकताओं या विचारधाराओं के अनुरूप अनुकूलन (परिवर्तन) के बीच एक अंतर्निहित तनाव होता है। शिक्षा पुरानी पीढ़ी के ज्ञान को नई पीढ़ी को हस्तांतरित करती है (संरक्षण) लेकिन समाज की बदलती जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम और विधियों को भी विकसित करती है (परिवर्तन)। धर्म परंपराओं और विश्वासों को बनाए रखता है (संरक्षण) लेकिन आधुनिक समाज में प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए व्याख्याओं और प्रथाओं को भी अनुकूलित कर सकता है (परिवर्तन)। परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी वंशानुगत मूल्यों को बनाए रखता है (संरक्षण) लेकिन बदलते सामाजिक मानदंडों (जैसे विवाह, भूमिकाएँ) के साथ स्वयं को बदलता भी है (परिवर्तन)।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्थायित्व और सामाजिक विकास दोनों ही किसी भी समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं, और संस्थाएँ इन दोनों प्रक्रियाओं में संतुलन बनाने का प्रयास करती हैं।
- गलत विकल्प: जबकि कुछ संस्थाओं में यह तनाव अधिक स्पष्ट हो सकता है, यह एक सर्वव्यापी सामाजिक घटना है।
प्रश्न 15: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों और मूल्यों की तुलना में प्रौद्योगिकी में तेजी से होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है, किस विद्वान से संबंधित है?
- ए.एल. क्रोबर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- राबर्ट रेडफील्ड
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: विलियम एफ. ओग्बर्न ने 1922 में अपनी पुस्तक ‘सोशियोलॉजी एंड सोशल रिसर्च’ में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। उनके अनुसार, भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) अक्सर अभौतिक संस्कृति (जैसे मान्यताएं, कानून, सामाजिक रीति-रिवाज) की तुलना में तेजी से बदलती है, जिससे समाज में असंतुलन और समायोजन की समस्याएं पैदा होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में तेजी से प्रगति हुई है, लेकिन चिकित्सा नैतिकता, गोपनीयता कानूनों और सामाजिक स्वीकार्यता जैसी अभौतिक सांस्कृतिक प्रतिक्रियाओं को इसके साथ तालमेल बिठाने में समय लगता है।
- गलत विकल्प: ए.एल. क्रोबर संस्कृति के अध्ययन के लिए जाने जाते हैं, राबर्ट रेडफील्ड लोक संस्कृति (Folk Culture) और शहरी संस्कृति (Urban Culture) के बीच अंतर के लिए, और रॉबर्ट मर्टन प्रकार्यवाद और सामाजिक संरचना के विश्लेषण के लिए।
प्रश्न 16: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘मात्रात्मक विधि’ (Quantitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- लोगों के अनुभवों और भावनाओं की गहराई से पड़ताल करना
- सामाजिक घटनाओं का संख्यात्मक डेटा के आधार पर विश्लेषण करना
- साक्षात्कार के माध्यम से जटिल सामाजिक अंतःक्रियाओं को समझना
- सांस्कृतिक अर्थों और प्रतीकों की व्याख्या करना
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मात्रात्मक विधि का प्राथमिक लक्ष्य सामाजिक घटनाओं को मापना, उनका वर्गीकरण करना और उनके बीच सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण संबंधों की पहचान करना है। इसमें सर्वेक्षण, प्रयोग और मौजूदा सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण शामिल हो सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विधि सामान्यीकरण (Generalization) पर जोर देती है और सिद्धांतों का परीक्षण करने या जनसंख्या के बारे में अनुमान लगाने के लिए बड़ी नमूना आकारों (Sample Sizes) का उपयोग करती है।
- गलत विकल्प: लोगों के अनुभवों और भावनाओं की पड़ताल गुणात्मक विधियों (जैसे गहन साक्षात्कार, नृवंशविज्ञान) का कार्य है (a, c)। सांस्कृतिक अर्थों और प्रतीकों की व्याख्या भी गुणात्मक विधि का हिस्सा है (d)।
प्रश्न 17: ‘जैव-शक्ति’ (Biopower) की अवधारणा, जो आधुनिक राज्यों द्वारा जनसंख्या के जीवन और स्वास्थ्य पर नियंत्रण स्थापित करने से संबंधित है, किस उत्तर-संरचनावादी (Post-structuralist) विचारक से जुड़ी है?
- जैक डेरिडा
- मिशेल फूको
- जीन बॉड्रिलार्ड
- जूडिथ बटलर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: मिशेल फूको ने ‘जैव-शक्ति’ (Biopower) की अवधारणा प्रस्तुत की, जिसमें उन्होंने समझाया कि कैसे आधुनिक राज्य चिकित्सा, स्वच्छता, जनसांख्यिकी और जन्म नियंत्रण जैसी तकनीकों का उपयोग करके अपनी आबादी के जीवन की प्रक्रियाओं (जैसे जन्म, मृत्यु, स्वास्थ्य, काम) को प्रबंधित और नियंत्रित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: फूको के अनुसार, जैव-शक्ति दो रूपों में कार्य करती है: शारीरिकता का अनुशासन (Discipline of the body) और जीवन की आबादी का विनियमन (Regulation of population)। यह शक्ति केवल दमनकारी नहीं है, बल्कि जीवन को बढ़ावा देने और प्रबंधित करने वाली भी है।
- गलत विकल्प: जैक डेरिडा विखंडन (Deconstruction) के लिए, जीन बॉड्रिलार्ड सिमुलेशन (Simulation) और हाइपररियलिटी (Hyperreality) के लिए, और जूडिथ बटलर लिंग (Gender) के निर्माण के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 18: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संदर्भ में ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?
- किसी व्यक्ति का अपनी जाति के बाहर विवाह करना
- किसी व्यक्ति का अपनी जाति के भीतर ही विवाह करना
- विभिन्न जातियों के बीच विवाह को बढ़ावा देना
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का अर्थ है कि व्यक्ति को अपने स्वयं के समूह (जैसे जाति, उपजाति, गोत्र) के भीतर ही विवाह करना चाहिए। भारतीय जाति व्यवस्था में, अंतर्विवाह एक प्रमुख नियम रहा है, जो जातियों की अलगाव और पदानुक्रम को बनाए रखने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह बहिर्विवाह (Exogamy) के विपरीत है, जो समूह के बाहर विवाह को अनिवार्य करता है (जैसे गोत्र बहिर्विवाह)। अंतर्विवाह जाति की शुद्धता और निरंतरता सुनिश्चित करता है।
- गलत विकल्प: अपनी जाति के बाहर विवाह करना बहिर्विवाह (Exogamy) या अंतर्जातीय विवाह (Inter-caste marriage) कहलाता है (a)। अन्य विकल्प (c, d) अंतर्विवाह के अर्थ से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 19: ‘सामुदायिक जीवन’ (Community Life) पर प्रारंभिक समाजशास्त्रीय अध्ययनों में ‘गेमाइनशाफ्ट’ (Gemeinschaft) और ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ किसने प्रस्तुत कीं?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- फर्डिनेंड टोनीज़
- चार्ल्स कूली
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: जर्मन समाजशास्त्री फर्डिनेंड टोनीज़ ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो अवधारणाओं को प्रस्तुत किया। गेमाइनशाफ्ट (सामुदायिक जीवन) घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों पर आधारित है, जो पारंपरिक ग्रामीण समुदायों में पाया जाता है। गेसेलशाफ्ट (सांस्कृतिक जीवन) अधिक अमूर्त, तर्कसंगत और स्वार्थी संबंधों पर आधारित है, जो आधुनिक शहरी समाजों में आम है।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ ने दिखाया कि कैसे औद्योगिकरण और शहरीकरण के कारण समाज गेमाइनशाफ्ट से गेसेलशाफ्ट की ओर बढ़ रहा है, जिससे सामाजिक संबंधों की प्रकृति में बदलाव आ रहा है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता (यांत्रिक और सावयवी) की बात की, वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही की, और कूली ने प्राथमिक समूह (Primary Group) की अवधारणा दी, जो गेमाइनशाफ्ट के समान है लेकिन टोनीज़ की यह विशिष्ट शब्दावली है।
प्रश्न 20: ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ (Differential Association Theory), जो बताता है कि आपराधिक व्यवहार सीखा जाता है, किस अपराधशास्त्री (Criminologist) से जुड़ा है?
- एमिल दुर्खीम
- एडविन सदरलैंड
- रॉबर्ट मर्टन
- ट्रैविस हिर्शी
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: एडविन सदरलैंड ने 1930 के दशक में ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ विकसित किया। इसके अनुसार, व्यक्ति आपराधिक व्यवहार अपने उन साथियों और समूहों के साथ साहचर्य (Association) के माध्यम से सीखते हैं जिनसे वे अंतःक्रिया करते हैं। यदि व्यक्ति ऐसे लोगों के साथ अधिक समय बिताता है जो अपराध को सकारात्मक रूप से देखते हैं और उसे करने के तरीके सिखाते हैं, तो वह स्वयं भी अपराधी बन सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत अपराध को व्यक्तिगत विकृति के बजाय एक सीखी हुई व्यवहारिक प्रतिक्रिया के रूप में देखता है, जो सामाजिक सीखने की प्रक्रियाओं पर केंद्रित है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने अपराध को सामाजिक व्यवस्था का एक सामान्य और कार्यात्मक तत्व माना। मर्टन ने ‘एनोमी’ और ‘युक्ति’ (Means) व ‘लक्ष्य’ (Ends) के बीच विसंगति से अपराध की व्याख्या की। हिर्शी ने ‘सामाजिक नियंत्रण सिद्धांत’ (Social Control Theory) प्रस्तुत किया।
प्रश्न 21: ‘निर्धनता का संस्कृति’ (Culture of Poverty) की अवधारणा, जो यह बताने का प्रयास करती है कि निर्धनता वंशानुगत क्यों बनी रहती है, किस समाजशास्त्री ने प्रस्तुत की?
- ऑस्कर लुईस
- कैरी होरकेमर
- थियोडोर एडोर्नो
- हरबर्ट मारक्यूज़
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: ऑस्कर लुईस, एक मानवशास्त्री, ने ‘निर्धनता की संस्कृति’ की अवधारणा को विकसित किया। उनका तर्क था कि लंबे समय तक अभाव और हाशिए पर रहने के कारण, गरीब लोग कुछ सामान्य व्यवहार पैटर्न, दृष्टिकोण और मूल्य विकसित करते हैं जो उन्हें गरीब बने रहने में योगदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लुईस ने मेक्सिको और प्यूर्टो रिको के अध्ययन के आधार पर कहा कि यह संस्कृति निर्धनता की पीढ़ियों तक निरंतरता सुनिश्चित करती है। यह अवधारणा विवादास्पद रही है क्योंकि आलोचकों का तर्क है कि यह व्यवस्थागत कारणों के बजाय गरीबों को दोष देती है।
- गलत विकल्प: होरकेमर, एडोर्नो और मारक्यूज़ फ्रैंकफर्ट स्कूल से जुड़े थे और उन्होंने आलोचनात्मक सिद्धांत (Critical Theory) के विकास में योगदान दिया, जो मुख्य रूप से पूंजीवाद और आधुनिकता के व्यापक मुद्दों से संबंधित था।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का कौन सा प्रकार व्यक्ति की जीवनकाल में होने वाले परिवर्तन को दर्शाता है, जैसे कि एक श्रमिक का प्रबंधक बनना?
- ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility)
- क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility)
- अंतःपीढ़ी गतिशीलता (Intragenerational Mobility)
- अंतरपीढ़ी गतिशीलता (Intergenerational Mobility)
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: अंतःपीढ़ी गतिशीलता (Intragenerational Mobility) का तात्पर्य एक ही व्यक्ति के जीवनकाल के दौरान उसकी सामाजिक स्थिति या वर्ग में होने वाले परिवर्तन से है। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति निम्न-आय वर्ग से शुरू करके अपने जीवन में उच्च-आय वर्ग में पहुँचता है, तो यह अंतःपीढ़ी गतिशीलता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्ति की अपनी उम्र में सामाजिक स्थिति के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (a) किसी भी दिशा में (ऊपर या नीचे) स्थिति में बदलाव है, लेकिन यह व्यक्ति के जीवनकाल में या पीढ़ियों के बीच हो सकता है। क्षैतिज गतिशीलता (b) समान स्तर पर स्थिति परिवर्तन है (जैसे एक नौकरी से दूसरी समान नौकरी में जाना)। अंतरपीढ़ी गतिशीलता (d) माता-पिता और उनकी संतानों के बीच सामाजिक स्थिति की तुलना करती है।
प्रश्न 23: ‘नियोजन’ (Planned Development) के प्रति भारत सरकार की नीतियों ने ग्रामीण समाज में क्या बदलाव लाने का प्रयास किया?
- कृषि की उत्पादकता में वृद्धि और ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार
- ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण को बढ़ावा देना
- पारंपरिक शिल्प कौशल का संरक्षण
- सामुदायिक स्वामित्व को हतोत्साहित करना
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: भारत में स्वतंत्रता के बाद की नियोजन की अवधारणा का मुख्य लक्ष्य देश का समग्र विकास था, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया। इसका उद्देश्य कृषि में नवाचारों (जैसे हरित क्रांति) को लागू करना, सिंचाई सुविधाओं का विस्तार करना, ग्रामीण बुनियादी ढांचे का विकास करना और इस प्रकार ग्रामीण आबादी के जीवन स्तर में सुधार करना था।
- संदर्भ और विस्तार: पंचवर्षीय योजनाओं ने ग्रामीण विद्युतीकरण, सड़क निर्माण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार जैसे कार्यक्रमों को प्राथमिकता दी।
- गलत विकल्प: जबकि कुछ कार्यक्रमों का अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकता है, ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण को सीधे बढ़ावा देना नियोजन का प्राथमिक लक्ष्य नहीं था (b)। पारंपरिक शिल्प कौशल का संरक्षण कुछ हद तक हुआ, लेकिन यह समग्र नियोजन का मुख्य केंद्र नहीं था (c)। नियोजन ने अक्सर सामुदायिक स्वामित्व के बजाय सहकारी या व्यक्तिगत स्वामित्व को बढ़ावा दिया (d)।
प्रश्न 24: ‘संरचनात्मक हिंसा’ (Structural Violence) की अवधारणा, जो यह बताती है कि सामाजिक संरचनाएँ ही लोगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं, किस विद्वान से जुड़ी है?
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- जोहान गैल्टुंग
- रॉबर्ट मर्टन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: नॉर्वेजियन समाजशास्त्री जोहान गैल्टुंग ने ‘संरचनात्मक हिंसा’ की अवधारणा को विकसित किया। उनका तर्क था कि हिंसा केवल प्रत्यक्ष शारीरिक चोट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सामाजिक संरचनाओं में भी निहित है जो लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की उनकी क्षमता को बाधित करती हैं, जिससे उन्हें नुकसान होता है, भले ही कोई स्पष्ट व्यक्ति या एजेंसी सीधे तौर पर जिम्मेदार न हो।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, गरीबी, भेदभावपूर्ण नीतियां, और संसाधनों का असमान वितरण संरचनात्मक हिंसा के रूप हैं। गैल्टुंग ने प्रत्यक्ष हिंसा (Direct Violence), संरचनात्मक हिंसा (Structural Violence) और सांस्कृतिक हिंसा (Cultural Violence) के बीच अंतर किया।
- गलत विकल्प: वेबर ने शक्ति और नौकरशाही का विश्लेषण किया, मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और शोषण का, और मर्टन ने सामाजिक संरचना और विचलन का। जबकि उनके काम में संरचनात्मक मुद्दों पर प्रकाश डाला गया, गैल्टुंग ने विशेष रूप से ‘संरचनात्मक हिंसा’ शब्द को परिभाषित और लोकप्रिय बनाया।
प्रश्न 25: ‘राष्ट्रवाद’ (Nationalism) का समाजशास्त्रीय विश्लेषण किन प्रमुख आयामों पर ध्यान केंद्रित करता है?
- केवल आर्थिक विकास
- सांस्कृतिक एकता, राजनीतिक पहचान और सामाजिक एकजुटता
- जनसंख्या का घनत्व
- प्रौद्योगिकी का स्तर
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सही होने का कारण: समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, राष्ट्रवाद केवल एक राजनीतिक या आर्थिक घटना नहीं है, बल्कि इसमें साझा संस्कृति, भाषा, इतिहास और मूल्यों के माध्यम से उत्पन्न होने वाली ‘सांस्कृतिक एकता’ शामिल है। यह एक ‘राजनीतिक पहचान’ का निर्माण करता है जो राज्य या राष्ट्र से जुड़ी होती है, और ‘सामाजिक एकजुटता’ को बढ़ावा देता है, लोगों को एक साझा राष्ट्रीय समुदाय के हिस्से के रूप में महसूस कराता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रवाद का अध्ययन अक्सर राष्ट्रीय पहचान के निर्माण, राज्य-समाज संबंधों, सामूहिक आख्यानों और राष्ट्र-राज्यों के उदय से जोड़ा जाता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रवाद का विश्लेषण केवल आर्थिक विकास (a) या जनसंख्या घनत्व (c) या प्रौद्योगिकी स्तर (d) तक सीमित नहीं है, हालांकि ये कारक अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
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