ऐतिहासिक ज्ञान की अग्निपरीक्षा!
क्या आप इतिहास के अनमोल पन्नों को खंगालने के लिए तैयार हैं? यह वह क्षण है जब आप अपनी ऐतिहासिक समझ को परखेंगे और अपनी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी को एक नई ऊँचाई देंगे। आइए, समय के जाल में गोता लगाएँ और आज के इन 25 चुनौतीपूर्ण प्रश्नों के साथ ज्ञान की अग्निपरीक्षा पार करें!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस सिंधु घाटी सभ्यता स्थल से एक विशाल स्नानागार (Great Bath) के अवशेष प्राप्त हुए हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- कालीबंगा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो (सिंधी भाषा में ‘मृतकों का टीला’) सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख स्थल है, जहाँ से एक विशाल, सुनियोजित सार्वजनिक स्नानागार (Great Bath) के साक्ष्य मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह स्नानागार ईंटों से निर्मित था और इसका उपयोग धार्मिक या सामाजिक अनुष्ठानों के लिए किया जाता होगा। इसका डिज़ाइन उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का प्रमाण है, जिसमें जल रिसाव को रोकने के लिए जिप्सम मोर्टार का उपयोग किया गया था। मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला सिंधु सभ्यता स्थल था जिसे खोजा गया, लोथल एक गोदी (dockyard) के लिए प्रसिद्ध है, और कालीबंगा जुते हुए खेत के प्रमाण के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 2: “महाभाष्य” के लेखक कौन हैं, जो संस्कृत व्याकरण पर एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है?
- पाणिनि
- कात्यायन
- पतंजलि
- वररुचि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: “महाभाष्य” की रचना पतंजलि ने की थी। यह व्याकरण की कृति पाणिनी की “अष्टाध्यायी” पर एक विस्तृत टीका और भाष्य है।
- संदर्भ और विस्तार: पतंजलि, जो एक महान दार्शनिक और योग गुरु भी थे, ने इस कृति में पाणिनी के व्याकरणिक नियमों की व्याख्या की है और कात्यायन के वार्तिकों पर भी टिप्पणी की है। महाभाष्य न केवल व्याकरण का ग्रंथ है, बल्कि तत्कालीन सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन की झलक भी प्रस्तुत करता है।
- गलत विकल्प: पाणिनि ने “अष्टाध्यायी” की रचना की, जो संस्कृत व्याकरण का मूल ग्रंथ है। कात्यायन ने “वार्तिक” लिखे थे। वररुचि एक अन्य प्राचीन विद्वान थे।
प्रश्न 3: सम्राट अशोक के किस शिलालेख में पहली बार कलिंग युद्ध के प्रत्यक्ष उल्लेख के साथ-साथ युद्ध की भयानकता और उसके बाद अशोक के पश्चाताप का वर्णन है?
- शिलालेख 1
- शिलालेख 8
- शिलालेख 13
- शिलालेख 14
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अशोक के 13वें प्रमुख शिलालेख में कलिंग युद्ध (लगभग 261 ईसा पूर्व) का विस्तृत वर्णन मिलता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में अशोक ने कलिंग पर विजय के बाद हुई जनहानि और पीड़ा का मार्मिक वर्णन किया है। इसी युद्ध के भीषण परिणाम को देखकर अशोक ने पश्चाताप व्यक्त किया और भविष्य में अहिंसा, धर्म और शांति का मार्ग अपनाने का संकल्प लिया। यह घटना अशोक के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
- गलत विकल्प: अन्य शिलालेखों में धर्म, दान, प्रजा के प्रति अशोक के उत्तरदायित्व आदि जैसे विभिन्न विषयों पर प्रकाश डाला गया है, लेकिन कलिंग युद्ध का प्रत्यक्ष और विस्तृत वर्णन 13वें शिलालेख में ही है।
प्रश्न 4: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने “दीवान-ए-अमीर कोही” नामक एक नए कृषि विभाग की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मुहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुहम्मद बिन तुगलक (1325-1351 ईस्वी) ने कृषि के विकास और विस्तार के उद्देश्य से “दीवान-ए-अमीर कोही” नामक एक नए कृषि विभाग की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग का मुख्य कार्य भूमि का सर्वेक्षण करना, किसानों को बीज, उपकरण और ऋण प्रदान करना, और प्रतिभूमि (uncultivated land) को खेती के अंतर्गत लाना था। इसका उद्देश्य राज्य की आय बढ़ाना और किसानों की स्थिति सुधारना था। हालाँकि, यह विभाग अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में पूरी तरह सफल नहीं रहा।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने सल्तनत की नींव रखी, बलबन ने राजत्व सिद्धांत पर जोर दिया, और अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की।
प्रश्न 5: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक को “आंध्र पितामह” कहा जाता है?
- बुक्का प्रथम
- देवराय प्रथम
- कृष्ण देवराय
- सदाशिव राय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासक कृष्ण देवराय (1509-1529 ईस्वी) को “आंध्र पितामह” की उपाधि से विभूषित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्ण देवराय स्वयं एक विद्वान कवि थे और उन्होंने तेलुगु भाषा में ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक एक महाकाव्य की रचना की। उनकी शासनकाल को विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उन्होंने साहित्य, कला और वास्तुकला को बहुत संरक्षण दिया। ‘आंध्र पितामह’ उपाधि उनकी तेलुगु साहित्य के प्रति महान देन को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: बुक्का प्रथम ने हरिहर प्रथम के साथ मिलकर विजयनगर की स्थापना की थी। देवराय प्रथम ने विदेशी यात्रियों का स्वागत किया, और सदाशिव राय के शासनकाल में तालीकोटा का युद्ध हुआ।
प्रश्न 6: 1857 के विद्रोह को ‘प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ की संज्ञा किसने दी?
- सर जॉन लॉरेंस
- टी.आर. होम्स
- कार्ल मार्क्स
- वि.डी. सावरकर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विनायक दामोदर सावरकर (वी.डी. सावरकर) ने अपनी पुस्तक ‘The Indian War of Independence, 1857’ में 1857 के विद्रोह को सुनियोजित ‘प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम’ कहा था।
- संदर्भ और विस्तार: सावरकर ने इस विद्रोह को मात्र एक सैनिक विद्रोह मानने से इनकार किया और इसे भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया पहला संगठित राष्ट्रीय आंदोलन बताया। उन्होंने इस विद्रोह के कारणों, घटनाओं और परिणामों का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: सर जॉन लॉरेंस और टी.आर. होम्स जैसे इतिहासकारों ने इसे केवल एक सिपाही विद्रोह माना। कार्ल मार्क्स ने भी इस विद्रोह पर लिखा था, लेकिन सावरकर की तरह इसे ‘प्रथम स्वतंत्रता संग्राम’ की संज्ञा नहीं दी।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- गांधी-इरविन समझौता 1931 में हुआ था।
- गांधी-इरविन समझौता सविनय अवज्ञा आंदोलन के संदर्भ में हुआ था।
- गांधी-इरविन समझौते के तहत, कांग्रेस ने गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पर सहमति व्यक्त की।
- उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: तीनों ही कथन सत्य हैं।
- संदर्भ और विस्तार:
- (a) गांधी-इरविन समझौता 5 मार्च 1931 को महात्मा गांधी और तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच संपन्न हुआ था।
- (b) यह समझौता सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने के बदले किया गया था, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने आंदोलनकारियों पर से दमनकारी नीतियां वापस लेने और कुछ मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया था।
- (c) इस समझौते के परिणामस्वरूप, कांग्रेस ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (लंदन में) में भाग लिया, जिसमें गांधीजी ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था।
- गलत विकल्प: चूँकि सभी अलग-अलग कथन सत्य हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी कथन सत्य हैं’ सबसे सटीक उत्तर है।
प्रश्न 8: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ (श्रेणी) का प्रमुख कार्य क्या था?
- केवल उत्पादन पर नियंत्रण
- केवल मूल्य निर्धारण
- उत्पादन, मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता नियंत्रण और व्यापार को विनियमित करना
- राजनीतिक सत्ता को नियंत्रित करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्राचीन भारत में व्यापारियों और कारीगरों के गिल्ड (जिन्हें ‘श्रेणी’ या ‘निगम’ भी कहा जाता था) उत्पादन, मूल्य निर्धारण, गुणवत्ता नियंत्रण और व्यापार को विनियमित करने जैसे व्यापक कार्य करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: ये गिल्ड अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करते थे, नियम बनाते थे, अपने सदस्यों के बीच विवादों का निपटारा करते थे, और उनके उत्पादों की गुणवत्ता और मूल्य सुनिश्चित करते थे। वे अक्सर स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करते थे और उन्हें कुछ न्यायिक अधिकार भी प्राप्त थे।
- गलत विकल्प: गिल्ड का कार्य केवल उत्पादन या मूल्य निर्धारण तक सीमित नहीं था, और वे सीधे तौर पर राजनीतिक सत्ता को नियंत्रित नहीं करते थे, यद्यपि वे अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक और सामाजिक प्रभाव डालते थे।
प्रश्न 9: दिल्ली सल्तनत में ‘इक्ता’ प्रणाली का क्या अर्थ था?
- भूमि का दान
- सैनिकों को वेतन के बदले भूमि का आवंटन
- राजस्व का संग्रहण
- धार्मिक अनुदान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘इक्ता’ प्रणाली दिल्ली सल्तनत में एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और वित्तीय व्यवस्था थी, जिसमें सुल्तानों द्वारा अपने अधिकारियों (इक्तादारों) को वेतन के बदले राजस्व वसूली के अधिकार के साथ भूमि का आवंटन किया जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इक्तादार अपने इक्ता (जागीर) से राजस्व वसूल करते थे, जिसमें से एक हिस्सा वे सुल्तान को देते थे और शेष अपने सैनिक खर्चों, प्रशासन और व्यक्तिगत निर्वाह के लिए रखते थे। यह प्रणाली केंद्रीय नियंत्रण और क्षेत्रीय प्रशासन को बनाए रखने में सहायक थी।
- गलत विकल्प: जबकि राजस्व संग्रहण इसका एक परिणाम था, इक्ता का मूल अर्थ वेतन के बदले भूमि का अधिकार था। यह केवल भूमि दान या धार्मिक अनुदान नहीं था।
प्रश्न 10: शेरशाह सूरी के बचपन का नाम क्या था?
- जलाल खान
- फरीद खान
- बहलोल खान
- खिजर खान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शेरशाह सूरी के बचपन का नाम फरीद खान था।
- संदर्भ और विस्तार: फरीद खान को यह उपाधि एक शेर को अकेले मारने के कारण जौनपुर के एक अफगान शासक मुहम्मद बहार खान लोहानी ने दी थी। बाद में, वह शेरशाह सूरी के नाम से प्रसिद्ध हुआ और उसने हुमायूं को हराकर दिल्ली की गद्दी पर अधिकार किया।
- गलत विकल्प: जलाल खान, बहलोल खान और खिजर खान अन्य शासकों या महत्वपूर्ण व्यक्तियों के नाम थे।
प्रश्न 11: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
- 1885
- 1905
- 1919
- 1947
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना स्कॉटिश सेवानिवृत्त आई.सी.एस. अधिकारी ए.ओ. ह्यूम ने की थी। पहला अधिवेशन बंबई (अब मुंबई) में व्योमेश चंद्र बनर्जी की अध्यक्षता में हुआ था। इसका प्रारंभिक उद्देश्य भारतीयों को राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करना और ब्रिटिश सरकार व भारतीयों के बीच एक सेतु का काम करना था।
- गलत विकल्प: 1905 स्वदेशी आंदोलन का वर्ष है, 1919 जलियांवाला बाग हत्याकांड का वर्ष है, और 1947 भारत की स्वतंत्रता का वर्ष है।
प्रश्न 12: किस यूरोपीय शक्ति ने भारत में पहला ‘फोर्ट’ (किला) बनाया?
- ब्रिटिश
- डच
- फ्रांसीसी
- पुर्तगाली
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पुर्तगालियों ने भारत में पहला यूरोपीय किला बनाया था।
- संदर्भ और विस्तार: पुर्तगाली वायसराय डोम फ्रांसिस्को डी अल्मेडा ने 1505-1509 ईस्वी के बीच कोचीन (अब कोच्चि) में ‘सेंट एंजेलो फोर्ट’ (St. Angelo Fort) का निर्माण करवाया था। यह किला उनकी नौसैनिक शक्ति को मजबूत करने और व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए बनाया गया था।
- गलत विकल्प: ब्रिटिश, डच और फ्रांसीसी बाद में भारत आए और उन्होंने भी किले बनाए, लेकिन पहला यूरोपीय किला पुर्तगालियों ने स्थापित किया था।
प्रश्न 13: ऋग्वेद में ‘अघ्न्य’ शब्द किसके लिए प्रयोग किया गया है?
- गाय
- बैल
- घोड़ा
- बकरी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऋग्वेद में ‘अघ्न्य’ शब्द गाय के लिए प्रयोग किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: ‘अघ्न्य’ का अर्थ है ‘जो वध योग्य न हो’ या ‘जिसे मारा न जा सके’। ऋग्वेद में गाय को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना गया है। यह आर्थिक रूप से भी महत्वपूर्ण थी (दूध, घी, आदि के लिए) और इसे ‘धन’ का प्रतीक भी समझा जाता था। इसलिए, गाय का वध वर्जित था।
- गलत विकल्प: बैल, घोड़ा और बकरी अन्य महत्वपूर्ण पशु थे, लेकिन ‘अघ्न्य’ विशेष रूप से गाय के लिए प्रयुक्त होता था।
प्रश्न 14: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
- कृष्ण देव राय
- हरिहर और बुक्का
- देव राय द्वितीय
- सदाशिव राय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह साम्राज्य 1336 ईस्वी में स्थापित हुआ था। हरिहर प्रथम इसके पहले शासक थे, जबकि बुक्का प्रथम ने साम्राज्य का विस्तार किया और तुंगभद्रा नदी के तट पर एक नई राजधानी की स्थापना की। इस राजवंश को संगम राजवंश के नाम से जाना जाता है।
- गलत विकल्प: कृष्ण देव राय विजयनगर के सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे, लेकिन उन्होंने साम्राज्य की स्थापना नहीं की। देव राय द्वितीय और सदाशिव राय भी बाद के शासक थे।
प्रश्न 15: प्रथम गोलमेज सम्मेलन (1930-1931) में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भाग नहीं लिया था। इसका मुख्य कारण क्या था?
- सम्मेलन का बहिष्कार करने का निर्णय
- सविनय अवज्ञा आंदोलन का चरम पर होना
- सरकार द्वारा कांग्रेस की मांगों को स्वीकार न करना
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रथम गोलमेज सम्मेलन के समय सविनय अवज्ञा आंदोलन अपने चरम पर था, और कांग्रेस ने इस आंदोलन के कारण सम्मेलन का बहिष्कार किया।
- संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार के साथ बराबरी के स्तर पर बातचीत की मांग की थी, लेकिन सविनय अवज्ञा आंदोलन को जारी रखते हुए सम्मेलन में भाग लेना उसे संभव नहीं लगा। बाद में, गांधी-इरविन समझौते के बाद ही कांग्रेस ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- गलत विकल्प: कांग्रेस ने सम्मेलन का बहिष्कार करने का ‘निर्णय’ आंदोलन की स्थिति के कारण लिया। सरकार द्वारा मांगों को स्वीकार न करना भी एक कारण था, लेकिन आंदोलन का जारी रहना प्राथमिक कारण था।
प्रश्न 16: भारत में “स्थायी बंदोबस्त” (Permanent Settlement) व्यवस्था किसने लागू की थी?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने 1793 ईस्वी में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में ‘स्थायी बंदोबस्त’ व्यवस्था लागू की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस व्यवस्था के तहत, जमींदारों को भूमि का मालिक माना गया और उन्हें भू-राजस्व का एक निश्चित हिस्सा सरकार को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी बनाया गया। यह राशि स्थायी थी, जो समय के साथ नहीं बदलती थी। इस व्यवस्था का उद्देश्य राजस्व में स्थिरता लाना और ब्रिटिश शासन के लिए एक वफादार वर्ग (जमींदार) तैयार करना था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन विभाजन के लिए जाने जाते हैं, डलहौजी विलय की नीतियों के लिए, और वेलेस्ली सहायक संधि के लिए।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सा बौद्ध धर्म का ‘त्रिरत्न’ नहीं है?
- बुद्ध
- धर्म
- संघ
- कर्म
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बौद्ध धर्म के त्रिरत्न (तीन रत्न) बुद्ध (ज्ञान प्राप्त व्यक्ति), धर्म (बुद्ध की शिक्षाएँ) और संघ (बौद्ध भिक्षुओं और ननों का समुदाय) हैं। ‘कर्म’ बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, लेकिन इसे त्रिरत्न में शामिल नहीं किया जाता।
- संदर्भ और विस्तार: बौद्ध धर्म में शरण लेना त्रिरत्न में विश्वास व्यक्त करना कहलाता है। कर्म सिद्धांत बताता है कि व्यक्ति अपने कर्मों के अनुसार फल भोगता है।
- गलत विकल्प: बुद्ध, धर्म और संघ तीनों बौद्ध धर्म के त्रिरत्न हैं।
प्रश्न 18: “तबाकात-ए-नासिरी” का लेखक कौन है?
- जियाउद्दीन बरनी
- अमीर खुसरो
- मिन्हाज-उस-सिराज
- इब्न बतूता
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: “तबाकात-ए-नासिरी” नामक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ के लेखक मिन्हाज-उस-सिराज थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ 1260 ईस्वी में पूरा हुआ था और इसमें पैगंबर मुहम्मद के समय से लेकर 1260 ईस्वी तक के इतिहास का वर्णन है। यह विशेष रूप से दिल्ली सल्तनत के प्रारंभिक काल (गुलाम वंश) के इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसका नाम तत्कालीन दिल्ली के सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद के नाम पर रखा गया था।
- गलत विकल्प: जियाउद्दीन बरनी ने “तारीख-ए-फिरोजशाही” लिखी, अमीर खुसरो ने कई प्रसिद्ध रचनाएँ कीं, और इब्न बतूता ने “रेहला” लिखी।
प्रश्न 19: किस मुगल बादशाह ने ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नया धर्म चलाने का प्रयास किया?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक सर्वधर्म समन्वयवादी विचारधारा को प्रस्तुत किया, जिसे प्रायः एक नए धर्म के रूप में वर्णित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही का उद्देश्य विभिन्न धर्मों के मूल सिद्धांतों को मिलाकर एक ऐसा मार्ग प्रस्तुत करना था जो सभी के लिए स्वीकार्य हो। इसमें ईश्वर की एकता, सभी के प्रति सद्भावना और सामाजिक समानता जैसे विचार शामिल थे। हालाँकि, यह जनसमूह द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया और यह एक असफल प्रयास साबित हुआ।
- गलत विकल्प: हुमायूँ, जहाँगीर और शाहजहाँ ने इस तरह का कोई धर्म नहीं चलाया।
प्रश्न 20: भारत के किस वायसराय के कार्यकाल में ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ (Declaration of Independence) की गई थी, जिसने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड मिंटो
- लॉर्ड लिनलिथगो
- लॉर्ड माउंटबेटन
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय थे, जिनके कार्यकाल के दौरान भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और स्वतंत्रता की घोषणा की गई।
- संदर्भ और विस्तार: 15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के साथ ही ब्रिटिश शासन समाप्त हो गया। लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत के विभाजन और स्वतंत्रता की प्रक्रिया का नेतृत्व किया। ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ का तात्पर्य भारत का एक स्वतंत्र राष्ट्र बनना था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (बंगाल विभाजन), लॉर्ड मिंटो (मार्ले-मिंटो सुधार), और लॉर्ड लिनलिथगो (भारत छोड़ो आंदोलन) जैसे अन्य वायसरॉय के कार्यकाल में ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
प्रश्न 21: किस वैदिक देवता को ‘युद्ध का देवता’ माना जाता था?
- सोम
- वरुण
- इंद्र
- अग्नि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ऋग्वैदिक काल में इंद्र को युद्ध, वर्षा और वज्र का देवता माना जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: इंद्र को वैदिक आर्यों का प्रमुख देवता माना गया और ऋग्वेद में उनके स्तोत्रों की संख्या सर्वाधिक है। उन्हें ‘पुरंदर’ (किले को तोड़ने वाला) भी कहा गया है। उन्हें युद्धों में विजय दिलाने वाला और असुरों का संहार करने वाला माना जाता था।
- गलत विकल्प: वरुण जल और नैतिक व्यवस्था के देवता थे, अग्नि देवताओं और मनुष्यों के बीच मध्यस्थ थे, और सोम एक महत्वपूर्ण पेय और देवता थे।
प्रश्न 22: ‘सती प्रथा’ को समाप्त करने में किस समाज सुधारक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई?
- राजा राम मोहन राय
- ईश्वर चंद्र विद्यासागर
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- स्वामी विवेकानंद
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: राजा राम मोहन राय को सती प्रथा के उन्मूलन के लिए किए गए प्रयासों के लिए सर्वाधिक श्रेय दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: राजा राम मोहन राय ने अत्यंत दृढ़ता से सती प्रथा का विरोध किया और 1829 ईस्वी में लॉर्ड विलियम बेंटिंक के सहयोग से इसे गैरकानूनी घोषित करवाया (Regulation XVII of 1829)। उन्होंने यह सिद्ध करने का प्रयास किया कि यह प्रथा प्राचीन धर्मग्रंथों के अनुसार मान्य नहीं है।
- गलत विकल्प: ईश्वर चंद्र विद्यासागर विधवा पुनर्विवाह के प्रबल समर्थक थे। स्वामी दयानंद सरस्वती और स्वामी विवेकानंद ने भी सामाजिक सुधारों में योगदान दिया, लेकिन सती प्रथा के उन्मूलन में राजा राम मोहन राय का योगदान अग्रणी था।
प्रश्न 23: प्रथम विश्व युद्ध कब समाप्त हुआ?
- 1914
- 1916
- 1918
- 1919
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध 28 जुलाई 1914 को शुरू हुआ था। मित्र राष्ट्रों (Allies) और केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) के बीच लड़े गए इस युद्ध में भारी जनहानि हुई। युद्ध का अंत जर्मनी द्वारा बिना शर्त आत्मसमर्पण के साथ हुआ, जिसके परिणामस्वरूप वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) हुई, जिसने युद्ध की औपचारिक समाप्ति की।
- गलत विकल्प: 1914 युद्ध का आरंभ वर्ष है, 1916 मध्यकाल है, और 1919 वर्साय की संधि का वर्ष है, जो युद्ध समाप्ति के बाद हुई।
प्रश्न 24: तालीकोटा का युद्ध (Battle of Talikota) किस वर्ष लड़ा गया था?
- 1526
- 1565
- 1576
- 1600
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: तालीकोटा का युद्ध 1565 ईस्वी में लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में दक्कन की सल्तनतों (बीजापुर, गोलकुंडा, अहमदनगर और बीदर) के संयुक्त मोर्चे ने विजयनगर साम्राज्य की सेनाओं को निर्णायक रूप से पराजित किया। इस हार के कारण विजयनगर साम्राज्य का पतन प्रारंभ हो गया। यह भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण लड़ाई मानी जाती है।
- गलत विकल्प: 1526 पानीपत का प्रथम युद्ध था, 1576 हल्दीघाटी का युद्ध था, और 1600 ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना का वर्ष है।
प्रश्न 25: महात्मा गांधी द्वारा ‘डांडी मार्च’ कहाँ से शुरू किया गया था?
- साबरमती आश्रम
- यर्वदा जेल
- वर्धा
- दिल्ली
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: महात्मा गांधी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के पास स्थित साबरमती आश्रम से डांडी मार्च (नमक सत्याग्रह) की शुरुआत की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह मार्च 24 दिनों तक चला और 6 अप्रैल 1930 को डांडी (गुजरात के तट पर स्थित एक गाँव) में नमक कानून तोड़कर सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुभारंभ किया गया। इस मार्च का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कर का विरोध करना था, जो आम जनता के लिए एक अत्यंत आवश्यक वस्तु पर अन्यायपूर्ण कर था।
- गलत विकल्प: यर्वदा जेल में गांधीजी को बाद में कैद किया गया था। वर्धा भी गांधीजी से जुड़ा एक स्थान है, लेकिन डांडी मार्च साबरमती से शुरू हुआ था। दिल्ली इस यात्रा का प्रारंभ स्थल नहीं था।
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