कालचक्र के प्रश्न: 25 बहुविकल्पीय प्रश्न, आपकी तैयारी को देंगे नई दिशा!
इतिहास के गलियारों में आज फिर एक रोमांचक सफर! क्या आप अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आज का यह महामॉक टेस्ट आपको प्राचीन भारत के रहस्यों से लेकर आधुनिक भारत के संघर्षों और विश्व के महत्वपूर्ण मोड़ों तक ले जाएगा। अपने पेन और नोटबुक तैयार रखें, क्योंकि हर प्रश्न आपकी समझ को गहरा करेगा और हर उत्तर आपको सफलता के करीब लाएगा!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सिंधु घाटी सभ्यता के संदर्भ में असत्य है?
- यह एक शहरी सभ्यता थी जिसमें सुनियोजित नगर और जल निकासी व्यवस्था थी।
- इस सभ्यता के लोग कांसे का उपयोग जानते थे, लेकिन लोहे का ज्ञान नहीं था।
- मेसोपोटामिया के साथ इसके व्यापारिक संबंध के पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं।
- इस सभ्यता में मातृदेवी की पूजा का प्रचलन नहीं था।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: उपरोक्त कथनों में से कथन (d) असत्य है। सिंधु घाटी सभ्यता में मातृदेवी की पूजा का व्यापक प्रचलन था, जिसके प्रमाण अनेक मुहरों और मूर्तियों से मिलते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: सिंधु घाटी सभ्यता (लगभग 2500-1900 ईसा पूर्व) अपनी उन्नत शहरी योजना, मोहनजोदड़ो और हड़प्पा जैसे सुनियोजित शहरों, सड़कों के जाल, पक्की ईंटों के मकानों और प्रभावी जल निकासी प्रणालियों के लिए जानी जाती है। यह एक कांस्य युगीन सभ्यता थी, जहाँ लोग कांसे के औजारों और हथियारों का प्रयोग करते थे, लेकिन लोहे का ज्ञान उन्हें नहीं था। मेसोपोटामिया (जैसे सुमेर, अक्काद) के साथ व्यापार के पुरातात्विक साक्ष्य, जैसे कि सिन्धु लिपि वाली मुहरों का मेसोपोटामियाई स्थलों पर मिलना, इस बात की पुष्टि करते हैं।
- असत्य विकल्प: विकल्प (d) गलत है क्योंकि मातृदेवी पूजा इस सभ्यता का एक प्रमुख धार्मिक पहलू था, न कि अनुपस्थित।
प्रश्न 2: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ या ‘श्रेणी’ का उल्लेख किस संदर्भ में मिलता है?
- केवल सैनिकों के समूह के लिए
- केवल व्यापारियों और कारीगरों के व्यावसायिक संघों के लिए
- केवल पुरोहितों के धार्मिक समूहों के लिए
- केवल राज्यों के प्रशासकों के लिए
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्राचीन भारत में ‘गिल्ड’ या ‘श्रेणी’ का उल्लेख मुख्य रूप से व्यापारियों और कारीगरों के व्यावसायिक संघों के लिए किया जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: ये श्रेणियाँ न केवल अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करती थीं, बल्कि व्यावसायिक नैतिकता, प्रशिक्षण, मूल्य निर्धारण और गुणवत्ता नियंत्रण भी सुनिश्चित करती थीं। जातक कथाओं और अन्य साहित्यिक स्रोतों में इनके विस्तृत उल्लेख मिलते हैं। श्रेणियाँ अपने नियमों और कानूनों का पालन करवाती थीं और कुछ मामलों में न्यायिक शक्तियों का भी प्रयोग करती थीं।
- असत्य विकल्प: सैनिकों, पुरोहितों या प्रशासकों के लिए ‘श्रेणी’ शब्द का प्रयोग उस रूप में नहीं होता था जैसा कि व्यावसायिक संघों के लिए होता था।
प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक पृथक विभाग की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- फिरोज शाह तुगलक
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फिरोज शाह तुगलक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक पृथक विभाग की स्थापना की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह विभाग दासों (बंदगान) के कल्याण और प्रबंधन के लिए स्थापित किया गया था। फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल में दासों की संख्या बहुत अधिक हो गई थी, और उन्हें विभिन्न सरकारी कार्यों में लगाया जाता था। इस विभाग का उद्देश्य दासों को प्रशिक्षित करना, उनके लिए आवास की व्यवस्था करना और उनकी देखभाल करना था। यह उसकी जनकल्याणकारी नीतियों का हिस्सा माना जाता है।
- असत्य विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चिहलगानी) की स्थापना की थी। बलबन ने शाही शक्ति को सुदृढ़ करने पर जोर दिया। अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (बकाया लगान की वसूली) जैसे विभाग स्थापित किए।
प्रश्न 4: ‘सल्तनत काल’ में ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ को किसने लागू किया था?
- मुहम्मद बिन तुगलक
- सिकंदर लोदी
- अलाउद्दीन खिलजी
- बलबन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी ने सल्तनत काल में एक प्रभावी ‘बाजार नियंत्रण प्रणाली’ लागू की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मुख्य उद्देश्य सेना के लिए सैनिकों की भर्ती और उनकी आपूर्ति को सस्ता बनाए रखना था, ताकि वे कम वेतन में भी अपना जीवन यापन कर सकें। अलाउद्दीन ने अनाज, कपड़े, गुलाम, घोड़े और अन्य आवश्यक वस्तुओं के मूल्य निश्चित कर दिए थे। उसने ‘शहना-ए- मंडी’ जैसे अधिकारियों की नियुक्ति की थी जो बाजार पर कड़ी निगरानी रखते थे। कीमतें न मानने वाले व्यापारियों को कठोर दंड दिया जाता था।
- असत्य विकल्प: मुहम्मद बिन तुगलक ने सांकेतिक मुद्रा चलाई थी। सिकंदर लोदी ने भूमि मापन के लिए ‘गज़-ए-सिकन्दरी’ का प्रयोग किया। बलबन ने अपनी शक्ति को केंद्रीकृत करने पर ध्यान दिया।
प्रश्न 5: मुग़ल सम्राट जहाँगीर के शासनकाल में निम्नलिखित में से कौन सा यूरोपीय यात्री भारत आया था?
- टॉमस रो
- पेट्रुस मैंड्स
- जॉन हॉकिंस
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: टॉमस रो, पेट्रुस मैंड्स और जॉन हॉकिंस, तीनों यूरोपीय यात्री जहाँगीर के शासनकाल में भारत आए थे।
- संदर्भ और विस्तार: सर टॉमस रो 1615 ई. में जहांगीर के दरबार में एक राजदूत के रूप में आया था और उसने सूरत में व्यापारिक कोठियाँ स्थापित करने की अनुमति प्राप्त की। जॉन हॉकिंस (या हॉकिन्स) 1608 ई. में जहांगीर से मिलने आगरा आया था और उसने भी व्यापारिक रियायतें प्राप्त करने का प्रयास किया। पेट्रुस मैंड्स एक डच यात्री था जो 1605-1610 ई. के दौरान भारत में था और उसने जहांगीर के दरबार का भी दौरा किया था।
- असत्य विकल्प: चूँकि तीनों यात्री जहांगीर के शासनकाल में आए थे, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 6: ‘अष्टप्रधान’ का गठन किस मराठा शासक ने किया था?
- शिवाजी महाराज
- संभाजी
- बाजीराव प्रथम
- बालाजी विश्वनाथ
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शिवाजी महाराज ने अपने प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान में आठ मंत्री थे: पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (शाही पत्र व्यवहार), सुमंत (विदेश मंत्री), पंडित राव (धर्माध्यक्ष), मंत्री (गृह मंत्रालय), सेनापति (सेना प्रमुख) और न्यायाधीश (न्याय प्रमुख)। यह परिषद शिवाजी को शासन चलाने में सहायता करती थी और उनके राज्य की प्रशासनिक, सैन्य और वित्तीय व्यवस्था को सुदृढ़ करती थी।
- असत्य विकल्प: संभाजी, बाजीराव प्रथम और बालाजी विश्वनाथ भी महत्वपूर्ण मराठा शासक थे, लेकिन अष्टप्रधान का मूल गठन शिवाजी ने ही किया था।
प्रश्न 7: 1857 के विद्रोह के संदर्भ में, कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व किसने किया था?
- रानी लक्ष्मीबाई
- बेगम हजरत महल
- तात्या टोपे
- नाना साहेब
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह में कानपुर से विद्रोह का नेतृत्व नाना साहेब ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहेब ने अंग्रेजों द्वारा पेंशन बंद कर दिए जाने के कारण विद्रोह में भाग लिया। उन्होंने कानपुर पर अधिकार कर लिया और स्वयं को पेशवा घोषित कर दिया। तात्या टोपे उनके एक महत्वपूर्ण सेनापति थे जिन्होंने बाद में झांसी और अन्य स्थानों पर भी विद्रोह का नेतृत्व किया।
- असत्य विकल्प: रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी से, बेगम हजरत महल ने लखनऊ से, और तात्या टोपे ने कई क्षेत्रों में, विशेषकर ग्वालियर में नेतृत्व किया।
प्रश्न 8: ‘सन्यासी विद्रोह’ का उल्लेख किस उपन्यास में किया गया है?
- आनंदमठ
- गोरा
- देवदास
- पाथेर पांचाली
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुए ‘सन्यासी विद्रोह’ का उल्लेख किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: सन्यासी विद्रोह, जो 1763 से 1800 तक चला, बंगाल में हुआ था। यह विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के दमनकारी आर्थिक नीतियों, तीर्थयात्रियों पर लगाए गए प्रतिबंधों और धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप के विरोध में था। आनंदमठ में वन्दे मातरम् गीत भी शामिल है।
- असत्य विकल्प: ‘गोरा’ रविंद्रनाथ टैगोर का उपन्यास है, ‘देवदास’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का, और ‘पाथेर पांचाली’ बिभूतिभूषण बंदोपाध्याय का।
प्रश्न 9: भारत के विभाजन के समय ब्रिटिश भारत का वायसराय कौन था?
- लॉर्ड लिनलिथगो
- लॉर्ड वेवेल
- लॉर्ड माउंटबेटन
- लॉर्ड एटली
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत के विभाजन (1947) के समय भारत के वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन थे।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड माउंटबेटन को 1947 में भारत भेजा गया था ताकि वे भारत को सत्ता हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को पूरा कर सकें। उन्होंने ही 3 जून 1947 की योजना प्रस्तुत की, जिसमें भारत और पाकिस्तान के विभाजन का प्रस्ताव था। वे भारत के अंतिम वायसराय थे।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड लिनलिथगो भारत छोड़ो आंदोलन के समय वायसराय थे। लॉर्ड वेवेल ने वेवेल योजना प्रस्तुत की थी। लॉर्ड एटली ब्रिटेन के प्रधान मंत्री थे, जो भारत की स्वतंत्रता के निर्णय से जुड़े थे, न कि वायसराय थे।
प्रश्न 10: ‘आर्य समाज’ की स्थापना किसने की थी?
- स्वामी विवेकानंद
- राजा राममोहन राय
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- महात्मा ज्योतिबा फुले
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘आर्य समाज’ की स्थापना स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: स्वामी दयानंद सरस्वती ने 1875 ई. में बम्बई में आर्य समाज की स्थापना की। इसका मुख्य उद्देश्य वेदों के सार्वभौमिक सत्य को पुनः स्थापित करना, पाखंड, मूर्तिपूजा और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का खंडन करना तथा ‘वेदों की ओर लौटो’ का नारा देना था। आर्य समाज ने शिक्षा और सामाजिक सुधारों पर भी जोर दिया।
- असत्य विकल्प: स्वामी विवेकानंद ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। राजा राममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना की। महात्मा ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा एक नवपाषाणिक स्थल है जहाँ से गर्त आवास (Pit dwellings) के प्रमाण मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- बुर्जहोम
- कालीबंगा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बुर्जहोम (जम्मू और कश्मीर) एक नवपाषाणिक स्थल है जहाँ से गर्त आवास (भूमि के नीचे बने घर) के पुरातात्विक प्रमाण मिले हैं।
- संदर्भ और विस्तार: बुर्जहोम नवपाषाण काल (लगभग 2500-1500 ईसा पूर्व) के निवासियों की जीवनशैली को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ के लोग जमीन में गड्ढे खोदकर उसमें रहते थे, जिसके ऊपर वे लकड़ी और घास-फूस की छत बनाते थे। इसके अतिरिक्त, यहाँ पालतू कुत्तों के साथ मालिकों को दफनाने के प्रमाण भी मिले हैं, जो एक अनूठी प्रथा थी।
- असत्य विकल्प: हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सिंधु घाटी सभ्यता (कांस्य युग) के प्रमुख शहर हैं जहाँ पक्की ईंटों के मकान थे। कालीबंगा भी सिंधु घाटी सभ्यता का स्थल है जहाँ जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।
प्रश्न 12: ‘अकाल तख्त’ का निर्माण किसने करवाया था?
- गुरु हरगोबिंद
- गुरु तेग बहादुर
- गुरु गोविंद सिंह
- गुरु नानक देव
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अकाल तख्त’ का निर्माण सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद ने करवाया था।
- संदर्भ और विस्तार: अकाल तख्त (ईश्वर का सिंहासन) अमृतसर में हरिमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के सामने स्थित है। गुरु हरगोबिंद ने इस तख्त का निर्माण 1606 ई. में करवाया था। यह सिखों के लिए आध्यात्मिक और अस्थायी दोनों तरह के मामलों पर निर्णय लेने का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। उन्होंने सिखों को सैन्य प्रशिक्षण लेने और हथियार रखने के लिए भी प्रोत्साहित किया, क्योंकि उन्होंने मुगलों के धार्मिक उत्पीड़न का अनुभव किया था।
- असत्य विकल्प: गुरु तेग बहादुर नौवें गुरु थे, गुरु गोविंद सिंह दसवें गुरु थे जिन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की, और गुरु नानक देव पहले गुरु थे।
प्रश्न 13: फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कब हुई थी?
- 1600 ई.
- 1602 ई.
- 1620 ई.
- 1664 ई.
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनी (Compagnie des Indes Orientales) की स्थापना 1664 ई. में हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस कंपनी की स्थापना फ्रांस के राजा लुई चौदहवें के मंत्री जीन-बैप्टिस्ट कोल्बर्ट के संरक्षण में हुई थी। इसका उद्देश्य भारत और अन्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार करना और फ्रांसीसी साम्राज्य का विस्तार करना था। हालाँकि, कंपनी को ब्रिटिश और डच कंपनियों की तरह व्यापक सफलता नहीं मिली।
- असत्य विकल्प: 1600 ई. में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी, और 1602 ई. में डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई थी। 1620 ई. किसी प्रमुख यूरोपीय ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना का वर्ष नहीं है।
प्रश्न 14: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक कौन है?
- अमीर खुसरो
- ज़ियाउद्दीन बरनी
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ का लेखक जियाउद्दीन बरनी है।
- संदर्भ और विस्तार: जियाउद्दीन बरनी एक प्रमुख इतिहासकार थे जिन्होंने मुहम्मद बिन तुगलक और फिरोजशाह तुगलक के शासनकाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है। उनकी कृति ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ दिल्ली सल्तनत, विशेष रूप से तुगलक वंश के इतिहास को समझने का एक अमूल्य स्रोत है। यह पुस्तक सुल्तानों की नीतियों, प्रशासन और सामाजिक-आर्थिक जीवन का विस्तृत वर्णन करती है।
- असत्य विकल्प: अमीर खुसरो ने ‘तुगलकनामा’, ‘खजाइन-उल-फुतूह’ जैसी रचनाएं कीं। इब्न बतूता मोरक्को का यात्री था जिसने ‘रेहला’ लिखी। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ लिखी, जो इल्तुतमिश तक के इतिहास का विवरण देती है।
प्रश्न 15: भारत में पहला वायसराय कौन था?
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह के बाद, 1858 में भारत सरकार अधिनियम द्वारा गवर्नर-जनरल के पद को वायसराय के पद में बदल दिया गया, और लॉर्ड कैनिंग भारत के पहले वायसराय बने।
- संदर्भ और विस्तार: 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश क्राउन ने भारत का शासन सीधे अपने हाथों में ले लिया, और कंपनी का शासन समाप्त हो गया। इसी के साथ, भारत के गवर्नर-जनरल को वायसराय का पद भी दे दिया गया, जो सीधे ब्रिटिश ताज का प्रतिनिधि होता था। लॉर्ड कैनिंग 1856 से 1862 तक गवर्नर-जनरल और वायसराय रहे।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं और वे विद्रोह से पहले के गवर्नर-जनरल थे। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया था। लॉर्ड कर्जन बंगाल के विभाजन के लिए जाने जाते हैं।
प्रश्न 16: प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों (Central Powers) में कौन सा प्रमुख देश शामिल नहीं था?
- जर्मनी
- ऑस्ट्रिया-हंगरी
- ऑटोमन साम्राज्य
- रूस
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रूस प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों का सदस्य नहीं था; बल्कि, यह मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) का एक प्रमुख सदस्य था।
- संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में मुख्य रूप से दो गुट थे: केंद्रीय शक्तियाँ (जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ऑटोमन साम्राज्य, बुल्गारिया) और मित्र राष्ट्र (फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, इटली, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि)। रूस 1917 में बोल्शेविक क्रांति के बाद युद्ध से बाहर हो गया था।
- असत्य विकल्प: जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और ऑटोमन साम्राज्य प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों के प्रमुख सदस्य थे। रूस मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ रहा था।
प्रश्न 17: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना किसने की थी?
- महात्मा गांधी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
- लाला लाजपत राय
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ की स्थापना गोपाल कृष्ण गोखले ने 1905 ई. में पुणे में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संस्था का उद्देश्य भारत में राष्ट्रीय शिक्षा का प्रसार करना, भारतीयों के बीच स्वार्थी भावना को प्रोत्साहित करना, और सार्वजनिक सेवाओं के माध्यम से राष्ट्र की सेवा करना था। गोखले, जो महात्मा गांधी के राजनीतिक गुरु माने जाते हैं, इस संस्था के माध्यम से सामाजिक और राजनीतिक सुधारों को बढ़ावा देना चाहते थे।
- असत्य विकल्प: महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आश्रम (बाद में साबरमती आश्रम) की स्थापना की। बाल गंगाधर तिलक ने ‘गेलोर का मराठा’ और ‘केसरी’ समाचार पत्र निकाले। लाला लाजपत राय पंजाब केसरी के नाम से जाने जाते थे और उन्होंने ‘सर्वेंट्स ऑफ पीपल सोसाइटी’ की स्थापना की थी, जो कि ‘सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी’ से थोड़ी अलग संस्था थी।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से किस चोल शासक ने ‘गंगईकोंड चोलपुरम’ नामक नई राजधानी बसाई थी?
- राजराज प्रथम
- राजेंद्र चोल प्रथम
- कुलोत्तुंग प्रथम
- परान्तक प्रथम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: राजेंद्र चोल प्रथम ने ‘गंगईकोंड चोलपुरम’ नामक एक नई राजधानी बसाई थी।
- संदर्भ और विस्तार: राजेंद्र चोल प्रथम (1014-1044 ई.) चोल साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे। उन्होंने उत्तर भारत तक सैन्य अभियान चलाया और गंगा नदी तक विजय प्राप्त की। इस विजय की स्मृति में उन्होंने ‘गंगईकोंड चोलपुरम’ (गंगा के विजेता का शहर) नामक एक नई राजधानी का निर्माण करवाया और वहां एक भव्य शिव मंदिर भी बनवाया।
- असत्य विकल्प: राजराज प्रथम ने तंजौर में बृहदेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। कुलोत्तुंग प्रथम और परान्तक प्रथम भी चोल शासक थे, लेकिन गंगईकोंड चोलपुरम का संबंध राजेंद्र चोल प्रथम से है।
प्रश्न 19: ‘तस्दीक’ नामक एक प्रक्रिया, जो राजस्व निर्धारण से संबंधित थी, किस मध्यकालीन साम्राज्य से जुड़ी है?
- खिलजी वंश
- सैयद वंश
- मुगल साम्राज्य
- लोदी वंश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘तस्दीक’ नामक प्रक्रिया, जो राजस्व निर्धारण (विशेषकर भूमि राजस्व) से संबंधित थी, मुगल साम्राज्य से जुड़ी है।
- संदर्भ और विस्तार: तस्दीक एक प्रकार का राजस्व निर्धारण या मापन होता था। मुगल काल में, विशेष रूप से अकबर के शासनकाल के बाद, भूमि के सर्वेक्षण और राजस्व निर्धारण की प्रक्रियाओं में सुधार किए गए। ‘तस्दीक’ का उपयोग भूमि की उत्पादकता और संभावित राजस्व का आकलन करने के लिए किया जाता था, जो कि शाही खजाने के लिए महत्वपूर्ण था। यह प्रक्रिया भू-राजस्व की मनमानी दरों को रोकने और एक निश्चित प्रणाली स्थापित करने का प्रयास थी।
- असत्य विकल्प: दिल्ली सल्तनत के शासकों (खिलजी, सैयद, लोदी) ने भी राजस्व व्यवस्था लागू की थी, लेकिन ‘तस्दीक’ शब्द विशेष रूप से मुगल शब्दावली का हिस्सा है।
प्रश्न 20: किस गवर्नर-जनरल ने ‘ठगी प्रथा’ का दमन किया था?
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
- लॉर्ड एल्गिन प्रथम
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने अपने शासनकाल (1828-1835) के दौरान ‘ठगी प्रथा’ का सफलतापूर्वक दमन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: ठगी एक संगठित आपराधिक गिरोह था जो पूरे भारत में यात्रा करके यात्रियों को लूटता और मार डालता था। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने कैप्टन विलियम स्लीमैन को इस प्रथा के दमन का कार्य सौंपा। स्लीमैन ने बड़ी कुशलता से ठगों के गिरोहों को पकड़ा और उनके नेटवर्क को तोड़ा, जिससे भारत में यात्रा करना काफी सुरक्षित हो गया।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड डलहौजी के समय में व्यपगत का सिद्धांत और रेलवे का विस्तार हुआ। लॉर्ड कैनिंग पहले वायसराय थे। लॉर्ड एल्गिन प्रथम भी बाद के वायसराय थे।
प्रश्न 21: ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ का गठन किसने किया था, जिसने बाद में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का रूप लिया?
- महात्मा गांधी
- सरदार वल्लभभाई पटेल
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर
- जवाहरलाल नेहरू
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने 1936 ई. में ‘इंडिपेंडेंट लेबर पार्टी’ (ILP) का गठन किया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह पार्टी मुख्य रूप से किसानों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एक राजनीतिक पार्टी थी। डॉ. अंबेडकर इस पार्टी के माध्यम से दलितों और अन्य उत्पीड़ित वर्गों के हितों का प्रतिनिधित्व करते थे। बाद में, इस पार्टी का नाम बदलकर ऑल इंडिया शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन और फिर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया किया गया।
- असत्य विकल्प: महात्मा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रमुख नेता थे। सरदार पटेल ने कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
प्रश्न 22: ‘अकबरनामा’ का दूसरा खंड किस नाम से जाना जाता है?
- तारीख-ए-अकबरी
- दीवान-ए-अकबरी
- अकबरनामा का दूसरा खंड
- ‘आईन-ए-अकबरी’
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अकबरनामा’ के तीन खंड हैं, और इसका दूसरा खंड ‘आईन-ए-अकबरी’ के नाम से भी जाना जाता है। वास्तव में, ‘आईन-ए-अकबरी’ को अकबरनामा का तीसरा खंड मानना अधिक सटीक है, और इसे अबुल फजल द्वारा लिखी गई अकबरनामा की परिपूर्णता माना जाता है। हालांकि, कई बार इसे अकबरनामा के साथ मिलाकर संदर्भित किया जाता है। (स्पष्टीकरण में बारीकी: यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक है, लेकिन सामान्य परीक्षा संदर्भों में ‘आईन-ए-अकबरी’ को अकबर के शासनकाल का विस्तृत वृत्तांत माना जाता है और इसे अक्सर अकबरनामा के विस्तारित रूप या अगले भाग के रूप में देखा जाता है। यदि प्रश्न केवल ‘अकबरनामा’ का दूसरा खंड पूछता है, तो वह अकबर के जीवन की घटनाओं का कालानुक्रमिक विवरण है। लेकिन ‘आईन-ए-अकबरी’ को भी अक्सर ‘अकबरनामा’ का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है जो प्रशासन, अर्थव्यवस्था आदि का वर्णन करता है। दिए गए विकल्पों में, ‘आईन-ए-अकबरी’ ही सबसे उपयुक्त उत्तर है जो अकबर के शासनकाल के विस्तृत विवरण से संबंधित है।)
- संदर्भ और विस्तार: ‘अकबरनामा’ अबुल फजल द्वारा लिखा गया अकबर के जीवन और शासन का विस्तृत इतिहास है। यह तीन खंडों में विभाजित है। पहला खंड अकबर के पूर्वजों का वर्णन करता है। दूसरा खंड (या तीसरा, जैसा कि कुछ विद्वान मानते हैं) अकबर के शासनकाल की घटनाओं का कालानुक्रमिक विवरण देता है। ‘आईन-ए-अकबरी’ (जिसका अर्थ है ‘अकबर का नियम/विधान’) को अक्सर अकबरनामा का तीसरा खंड माना जाता है (कुल तीन खंडों में), जो अकबर के साम्राज्य के प्रशासन, अर्थव्यवस्था, राजस्व, सेना, न्याय प्रणाली, संस्कृति और भूगोल का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। यह एक प्रकार का प्रशासनिक और सांख्यिकीय विश्वकोश है।
- असत्य विकल्प: ‘तारीख-ए-अकबरी’ या ‘दीवान-ए-अकबरी’ जैसे नाम प्रचलित नहीं हैं। ‘अकबरनामा का दूसरा खंड’ भी अधूरा है यदि ‘आईन-ए-अकबरी’ विकल्प में है।
प्रश्न 23: किस वायसराय के कार्यकाल में प्रसिद्ध ‘खुदाई खिदमतगार’ आंदोलन शुरू हुआ?
- लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
- लॉर्ड लिनलिथगो
- लॉर्ड विलिंगडन
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘खुदाई खिदमतगार’ आंदोलन लॉर्ड विलिंगडन के वायसराय काल (1931-1936) के दौरान शुरू हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: खान अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) द्वारा स्थापित ‘खुदाई खिदमतगार’ (ईश्वर के सेवक) एक अहिंसक आंदोलन था जो मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (वर्तमान पाकिस्तान का हिस्सा) में सक्रिय था। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक महत्वपूर्ण राष्ट्रवादी शक्ति बना। 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान पेशावर में इसके सदस्यों पर गोलीबारी की गई थी, जो एक महत्वपूर्ण घटना थी।
- असत्य विकल्प: लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय 1910-1916 तक थे। लॉर्ड लिनलिथगो 1936-1944 तक थे (भारत छोड़ो आंदोलन के समय)। लॉर्ड चेम्सफोर्ड 1916-1921 तक थे (रोलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड के समय)।
प्रश्न 24: ‘पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक’ किसे माना जाता है?
- वास्को डी गामा
- फ्रांसिस्को डी अलमीडा
- अल्फांसो डी अल्बुकर्क
- नीनो डी कुन्हा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अल्फांसो डी अल्बुकर्क को पुर्तगाली शक्ति का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: वास्को डी गामा 1498 में भारत आया और समुद्री मार्ग खोजा, लेकिन वह एक अन्वेषक था। फ्रांसिस्को डी अलमीडा भारत में पहला पुर्तगाली गवर्नर था, जिसने ‘ब्लू वॉटर पॉलिसी’ (शांत जल नीति) अपनाई। अल्बुकर्क, जो 1509-1515 तक गवर्नर रहा, ने पुर्तगाली साम्राज्य की नौसैनिक और सैन्य शक्ति को मजबूत किया। उसने 1510 में गोवा पर कब्जा किया, जो पुर्तगालियों का एक महत्वपूर्ण गढ़ बना। उसने स्थानीय राजकुमारियों से पुर्तगाली सैनिकों के विवाह को प्रोत्साहित किया, जिससे भारत में पुर्तगाली प्रभाव स्थायी हुआ।
- असत्य विकल्प: वास्को डी गामा ने मार्ग खोजा, अलमीडा पहला गवर्नर था, और नीनो डी कुन्हा बाद के गवर्नर थे जिन्होंने दमन पर नियंत्रण किया। अल्बुकर्क वह व्यक्ति था जिसने पुर्तगाली शक्ति की नींव रखी।
प्रश्न 25: अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम (American War of Independence) का तात्कालिक कारण क्या था?
- पेरिस की संधि
- बोस्टन टी पार्टी
- स्टाम्प एक्ट
- सात साल का युद्ध
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘बोस्टन टी पार्टी’ (1773) अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम का एक तात्कालिक और महत्वपूर्ण कारण बनी।
- संदर्भ और विस्तार: ब्रिटिश सरकार ने अमेरिकी उपनिवेशों पर चाय के व्यापार पर एकाधिकार और कर लगाने के लिए ‘टी एक्ट’ पारित किया था। इसके विरोध में, 1773 में, बोस्टन बंदरगाह पर कुछ उपनिवेशवादियों ने, रेड इंडियंस का वेश धारण कर, ब्रिटिश जहाजों से चाय के बक्सों को समुद्र में फेंक दिया। इस घटना ने उपनिवेशों और ब्रिटिश सरकार के बीच संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया, और यह सीधे तौर पर स्वतंत्रता संग्राम की ओर ले जाने वाली घटनाओं की एक श्रृंखला में से एक थी।
- असत्य विकल्प: पेरिस की संधि (1783) ने युद्ध समाप्त किया। स्टाम्प एक्ट (1765) और ‘नो टैक्सेशन विदाउट रिप्रेजेंटेशन’ का नारा स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती कारणों में से थे, लेकिन बोस्टन टी पार्टी एक अधिक तात्कालिक ट्रिगर थी। सात साल का युद्ध (French and Indian War) उपनिवेशों पर ब्रिटिश ऋण का कारण बना, जिसने अप्रत्यक्ष रूप से करों को बढ़ाया।
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