समाजशास्त्र पर पकड़ मज़बूत करें: आज का महा-क्विज़!
आइए, समाजशास्त्र की दुनिया में आज फिर एक बार गोता लगाएं! अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें, विश्लेषणात्मक कौशल को निखारें और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें। यह दैनिक अभ्यास सत्र आपकी समाजशास्त्रीय यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगा।
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की, जिसे उन्होंने बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से उत्पन्न माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमील दुर्खीम
- अगस्त कॉम्टे
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमील दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया। उनके अनुसार, सामाजिक तथ्य व्यक्ति के बाहर मौजूद होते हैं, उस पर एक बाहरी बाध्यता डालते हैं, और सामूहिक चेतना का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया। उन्होंने समाजशास्त्र को अन्य विज्ञानों के समकक्ष लाने के लिए इसे एक वस्तुनिष्ठ अध्ययन का आधार माना।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य ध्यान वर्ग संघर्ष पर था। मैक्स वेबर ने ‘अर्थपूर्ण क्रिया’ (Meaningful Action) और ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) पर जोर दिया। अगस्त कॉम्टे को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘सामाजिक स्थैतिकी’ और ‘गतििकी’ का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय अवधारणा ‘अति-अनुकूलन’ (Over-Socialization) से संबंधित है, जिसमें व्यक्ति समाज द्वारा निर्धारित भूमिकाओं और अपेक्षाओं का अत्यधिक पालन करने लगता है?
- अलगाव (Alienation)
- विसंगति (Anomie)
- भूमिका-अतिभार (Role Overload)
- सामाजिक व्यवहारवाद (Social Behaviorism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विसंगति (Anomie) वह स्थिति है जहाँ समाज के मानक और मूल्य व्यक्ति के लिए अर्थहीन या भ्रमित करने वाले हो जाते हैं, जिससे अत्यधिक सामाजिकता (over-socialization) या सामाजिक नियंत्रण की कमी हो सकती है, जहाँ व्यक्ति समाज के नियमों का अनजाने में अत्यधिक पालन करता है या पूरी तरह से उनका उल्लंघन करता है। यह अति-अनुकूलन के कारण उत्पन्न सामाजिक विघटन की स्थिति का भी संकेत दे सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: एमिल दुर्खीम ने ‘विसंगति’ (Anomie) की अवधारणा का उपयोग सामाजिक विघटन और व्यक्तिगत हताशा की स्थिति का वर्णन करने के लिए किया, खासकर जब समाज के नियम स्पष्ट नहीं होते या तेजी से बदल रहे होते हैं।
- गलत विकल्प: ‘अलगाव’ (Alienation) मार्क्स द्वारा प्रस्तुत एक अवधारणा है जो उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव को दर्शाती है। ‘भूमिका-अतिभार’ (Role Overload) व्यक्तिगत स्तर पर होता है जहाँ व्यक्ति पर कई भूमिकाओं को निभाने का दबाव होता है। ‘सामाजिक व्यवहारवाद’ (Social Behaviorism) समाजशास्त्र का एक विशिष्ट दृष्टिकोण नहीं है, बल्कि मनोविज्ञान से संबंधित है।
प्रश्न 3: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज के अध्ययन में ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसका तात्पर्य क्या है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना।
- उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को निम्न जातियों द्वारा अपनाना।
- आधुनिक शिक्षा और प्रौद्योगिकी को स्वीकार करना।
- शहरी जीवन शैली को अपनाना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृतिकरण (Sanskritization) वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जाति या जनजाति के व्यक्ति या समूह उच्च, प्रायः द्विजातीय, जातियों के रीति-रिवाजों, कर्मकांडों, देवताओं और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत किया। यह भारत में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण साधन रहा है।
- गलत विकल्प: ‘पश्चिमी संस्कृति को अपनाना’ पश्चिमीकरण (Westernization) है। ‘आधुनिक शिक्षा और प्रौद्योगिकी को स्वीकार करना’ आधुनिकीकरण (Modernization) का हिस्सा है। ‘शहरी जीवन शैली को अपनाना’ शहरीकरण (Urbanization) से जुड़ा है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी पुस्तक कार्ल मार्क्स द्वारा लिखी गई है, जिसमें उन्होंने पूंजीवाद के विश्लेषण और वर्ग संघर्ष के सिद्धांत को प्रस्तुत किया?
- The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism
- The Elementary Forms of Religious Life
- Das Kapital (पूँजी)
- The Structure of Social Action
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘दास काpitale’ (Das Kapital) कार्ल मार्क्स की सबसे महत्वपूर्ण कृति है, जिसमें उन्होंने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली, अतिरिक्त मूल्य (surplus value), और पूंजीपति वर्ग तथा सर्वहारा वर्ग के बीच संघर्ष का गहन विश्लेषण किया है।
- संदर्भ और विस्तार: इस पुस्तक ने मार्क्सवादी विचारधारा की नींव रखी और दुनिया भर के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक आंदोलनों को प्रभावित किया।
- गलत विकल्प: ‘The Protestant Ethic and the Spirit of Capitalism’ मैक्स वेबर की है। ‘The Elementary Forms of Religious Life’ एमील दुर्खीम की है। ‘The Structure of Social Action’ टैल्कॉट पार्सन्स की है।
प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, ‘सत्ता’ (Power) और ‘प्रभुत्व’ (Authority) के तीन आदर्श प्रकार कौन से हैं?
- आर्थिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक
- पारंपरिक, करिश्माई, कानूनी-तर्कसंगत
- जाति, वर्ग, लिंग
- पवित्र, लौकिक, धर्मनिरपेक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने प्रभुत्व (Authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए हैं: पारंपरिक प्रभुत्व (जो परंपराओं और स्थापित नियमों पर आधारित है), करिश्माई प्रभुत्व (जो नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों पर आधारित है), और कानूनी-तर्कसंगत प्रभुत्व (जो नियमों, कानूनों और पद की वैधता पर आधारित है)।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने यह विश्लेषण आधुनिक समाजों में सत्ता के उदय को समझने के लिए किया था, जहाँ कानूनी-तर्कसंगत प्रभुत्व धीरे-धीरे प्रमुख हो गया।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प समाजशास्त्र के अन्य महत्वपूर्ण वर्गीकरणों से संबंधित हो सकते हैं, लेकिन वेबर के सत्ता के प्रकारों से सीधे नहीं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा रॉबर्ट किंग मर्टन द्वारा ‘विदर’ (Manifest) और ‘अव्यक्त’ (Latent) कार्यों के बीच अंतर करने के लिए प्रस्तुत की गई थी?
- सामाजिक विघटन
- सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
- सामाजिक संरचना और प्रकार्य (Social Structure and Function)
- सबलीकरण (Empowerment)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट किंग मर्टन ने सामाजिक संरचना और प्रकार्य (Social Structure and Function) के अपने विश्लेषण में ‘विदर’ (Manifest) और ‘अव्यक्त’ (Latent) कार्यों का भेद किया। विदर कार्य किसी सामाजिक संस्था या व्यवहार के प्रत्यक्ष और इच्छित परिणाम होते हैं, जबकि अव्यक्त कार्य अप्रत्यक्ष और अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने यह भी तर्क दिया कि अव्यक्त कार्य अक्सर सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो कभी-कभी विदर कार्यों से अधिक महत्वपूर्ण हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: ‘सामाजिक विघटन’ दुर्खीम से जुड़ा है। ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) विलियम ओगबर्न की अवधारणा है। ‘सबलीकरण’ (Empowerment) एक समकालीन सामाजिक-राजनीतिक अवधारणा है।
प्रश्न 7: जॉर्ज हर्बर्ट मीड का ‘सामाजिक व्यवहारवाद’ (Social Behaviorism) किस पर जोर देता है, विशेष रूप से ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) के विकास के संदर्भ में?
- सामाजिक संस्थाओं का महत्व
- आत्म (Self) का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से
- मानसिक संरचनाओं का महत्व
- जैविक नियतिवाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड का सामाजिक व्यवहारवाद इस विचार पर केंद्रित है कि व्यक्ति का आत्म (Self) सामाजिक अंतःक्रिया (social interaction) के माध्यम से विकसित होता है। उन्होंने ‘मैं’ (I) को आत्म का तत्काल, प्रतिक्रियात्मक और रचनात्मक पहलू माना, जबकि ‘मुझे’ (Me) को समाज द्वारा आंतरिक किए गए दृष्टिकोणों, नियमों और अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व माना।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, बच्चे ‘खेल’ (Play) और ‘खेल-कूद’ (Game) के चरणों से गुजरते हुए समाज के ‘महत्वपूर्ण अन्य’ (Significant Others) और फिर ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोण को अपनाना सीखते हैं, जिससे उनके ‘मुझे’ का निर्माण होता है।
- गलत विकल्प: यह दृष्टिकोण सामाजिक संस्थाओं, मानसिक संरचनाओं या जैविक नियतिवाद के बजाय आत्म के सामाजिक निर्माण पर जोर देता है।
प्रश्न 8: चार्ल्स कूली ने ‘आरसी दर्पण आत्म’ (Looking-Glass Self) की अवधारणा प्रस्तुत की। इसके अनुसार, हमारा आत्म-बोध (Sense of Self) कैसे बनता है?
- दूसरों के विचारों और प्रतिक्रियाओं से स्वतंत्र रूप से।
- अपने आंतरिक विचारों और भावनाओं के आधार पर।
- दूसरों की नज़रों में हम कैसे दिखते हैं, इसके आधार पर।
- कठोर सामाजिक नियमों के पालन से।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: चार्ल्स कूली के ‘आरसी दर्पण आत्म’ (Looking-Glass Self) सिद्धांत के अनुसार, हमारा आत्म-बोध तीन चरणों में बनता है: 1) हम कल्पना करते हैं कि हम दूसरों की नज़रों में कैसे दिखते हैं, 2) हम कल्पना करते हैं कि वे हमारे बारे में क्या निर्णय लेते हैं, और 3) हम इन निर्णयों के आधार पर स्वयं के बारे में भावनाएं (जैसे गर्व या निराशा) विकसित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा इस बात पर प्रकाश डालती है कि सामाजिक अंतःक्रियाएँ व्यक्ति के आत्म-विकास में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- गलत विकल्प: यह अवधारणा सामाजिक अंतःक्रिया और दूसरों की धारणाओं पर अत्यधिक निर्भरता को दर्शाती है, न कि स्वतंत्रता या केवल आंतरिक विचारों पर।
प्रश्न 9: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस दृष्टिकोण के अनुसार, समाज में असमानताएँ इसलिए मौजूद हैं क्योंकि वे समाज के सुचारू संचालन के लिए आवश्यक हैं और सबसे योग्य व्यक्तियों को सबसे महत्वपूर्ण पदों पर आसीन होने के लिए प्रोत्साहित करती हैं?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- प्रकार्यात्मकता (Functionalism)
- उत्तर-आधुनिकतावाद (Postmodernism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 10: ‘वर्ग-संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणा, उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व के आधार पर समाज को बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक) में विभाजित करने का विचार, किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत का केंद्रीय तत्व है?
- प्रकार्यात्मकता
- संरचनात्मक मार्क्सवाद
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- सामाजिक उदारीकरण (Social Liberalism)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 11: ‘ज्ञान का समाजशास्त्र’ (Sociology of Knowledge) के क्षेत्र में, कार्ल मैनहाइम (Karl Mannheim) ने ‘अस्तित्वगत प्रभाव’ (Existential Determination) का विचार प्रस्तुत किया। इसका क्या अर्थ है?
- ज्ञान पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति से उत्पन्न होता है।
- व्यक्ति का सामाजिक और ऐतिहासिक संदर्भ उसके ज्ञान और दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित करता है।
- ज्ञान केवल व्यक्तिगत अनुभव से प्राप्त होता है।
- ज्ञान जन्मजात होता है और अनुवांशिकी द्वारा निर्धारित होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 12: भारतीय समाज में ‘अछूत’ (Untouchables) शब्द के स्थान पर ‘दलित’ (Dalit) शब्द का प्रयोग क्यों अधिक प्रासंगिक माना जाता है?
- यह केवल एक नया नाम है, जिसका कोई सामाजिक महत्व नहीं है।
- यह शब्द प्रतिरोध, आत्म-सम्मान और सामाजिक न्याय की मांग को व्यक्त करता है।
- यह पारंपरिक जाति व्यवस्था को और मजबूत करता है।
- यह भारतीय संविधान में वर्णित एक विशिष्ट जाति को संदर्भित करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 13: शहरी समाजशास्त्र (Urban Sociology) में, ‘पड़ोस’ (Neighborhood) की अवधारणा को अक्सर ‘समुदाय’ (Community) के संदर्भ में समझा जाता है। निम्नलिखित में से कौन सा तत्व एक शहरी पड़ोस को ‘समुदाय’ की श्रेणी में लाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है?
- भौतिक निकटता
- सांस्कृतिक एकरूपता
- सामाजिक संबंध और साझा पहचान
- उच्च जनसंख्या घनत्व
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 14: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक नेटवर्क, आपसी विश्वास और सहयोग से उत्पन्न लाभ, किस समाजशास्त्रीय विचार से सबसे अधिक जुड़ी है?
- पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu)
- रॉबर्ट पटनम (Robert Putnam)
- जेम्स कॉलमैन (James Coleman)
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था (Social Institution) परिवार, विवाह और नातेदारी (Kinship) से संबंधित है?
- राजनीतिक संस्था
- आर्थिक संस्था
- धार्मिक संस्था
- विवाह और परिवार संस्था
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 16: भारतीय समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, ‘पोटलाच’ (Potlatch) जैसी प्रथाओं (जैसे कुछ जनजातियों में उपहारों का विशाल दान या विनाश) का अध्ययन किस सामाजिक प्रक्रिया को समझने में सहायक हो सकता है?
- औद्योगीकरण
- पूंजीवादी संचय
- पारस्परिक आदान-प्रदान (Reciprocity) और सामाजिक प्रतिष्ठा
- शहरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 17: समाजशास्त्रीय अनुसंधान (Sociological Research) में, ‘गुणात्मक अनुसंधान’ (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
- संख्याओं और सांख्यिकी का विश्लेषण करना।
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभवों और संदर्भ को गहराई से समझना।
- बड़े पैमाने पर सामान्यीकरण (Generalization) करना।
- कारक-परिणाम संबंधों (Cause-and-effect relationships) को सटीक रूप से मापना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 18: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रस्तावक कौन थे, जिन्होंने दावा किया कि समाज हमेशा एक छोटे, शक्तिशाली अल्पसंख्यक (अभिजन) द्वारा शासित होता है?
- जी.एच. मीड
- विलफ्रेडो पैरेटो (Vilfredo Pareto) और गाएतानो मोस्का (Gaetano Mosca)
- हर्बर्ट स्पेंसर (Herbert Spencer)
- सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 19: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो बताती है कि भौतिक संस्कृति (Material Culture) अभौतिक संस्कृति (Non-Material Culture) की तुलना में तेजी से बदलती है, किसने प्रस्तुत की?
- एमील दुर्खीम
- विलियम ओगबर्न (William Ogburn)
- एमिल दुर्खीम
- अल्बर्ट बंडुरा (Albert Bandura)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 20: भारतीय समाज में, ‘विवाह’ (Marriage) को अक्सर एक ‘धार्मिक संस्कार’ (Religious Sacrament) के रूप में क्यों देखा जाता है, न कि केवल एक सामाजिक अनुबंध (Social Contract)?
- क्योंकि यह केवल दो व्यक्तियों के बीच एक समझौता है।
- क्योंकि इसे जन्म-जन्मांतर का बंधन माना जाता है और इसमें कई धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते हैं।
- क्योंकि यह पश्चिमी संस्कृति से प्रेरित है।
- क्योंकि इसमें आर्थिक लेन-देन मुख्य होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 21: ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) के परिप्रेक्ष्य से, समाज को विभिन्न भागों (जैसे संस्थाओं) से बना एक जटिल तंत्र (Complex Organism) माना जाता है, जो एक साथ मिलकर कार्य करते हैं। निम्नलिखित में से कौन एक प्रमुख संरचनात्मक प्रकार्यवादी विचारक नहीं है?
- टैल्कॉट पार्सन्स (Talcott Parsons)
- रॉबर्ट किंग मर्टन (Robert K. Merton)
- डेविड इ. एपस्टीन (David E. Apter)
- एमिल दुर्खीम (Emile Durkheim)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 22: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के अनुसार, समाज का निर्माण मुख्य रूप से कैसे होता है?
- बड़े पैमाने पर सामाजिक संरचनाओं और संस्थानों द्वारा।
- व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म स्तर पर होने वाली अंतःक्रियाओं और साझा प्रतीकों के माध्यम से।
- आर्थिक शक्तियों और वर्ग संघर्ष द्वारा।
- सरकारी नीतियों और कानूनों द्वारा।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 23: भारतीय समाज में, ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के अध्ययन में ‘वर्चस्वपूर्ण जाति’ (Dominant Caste) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो ग्राम स्तर पर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक शक्ति का केंद्र होती है?
- डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
- एम.एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- योगेन्द्र सिंह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: ‘नारीवाद’ (Feminism) के समाजशास्त्रीय सिद्धांतों में, ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- समाज में महिलाओं द्वारा पुरुषों का वर्चस्व।
- एक सामाजिक व्यवस्था जिसमें पुरुष प्रमुख भूमिकाएँ निभाते हैं और महिलाओं पर हावी होते हैं।
- सभी सामाजिक संस्थाओं का महिलाओं द्वारा नियंत्रण।
- पुरुषों और महिलाओं के बीच पूर्ण समानता।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: समाजशास्त्र में ‘सामाजीकरण’ (Socialization) की प्रक्रिया का सबसे महत्वपूर्ण कार्य क्या है?
- केवल व्यक्तिगत ज्ञान को बढ़ाना।
- व्यक्ति को समाज के मानदंडों, मूल्यों, विश्वासों और व्यवहार के तरीकों को सिखाना ताकि वह समाज का एक कार्यात्मक सदस्य बन सके।
- समाज के इतिहास को संरक्षित करना।
- नई तकनीकों का आविष्कार करना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
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