INS विक्रांत का जलवा: पाक में डर की लहरें? PM मोदी की नौसेना संग दिवाली और रणनीतिक मायने
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने INS विक्रांत पर नौसेना के जवानों के साथ दिवाली मनाकर देश का ध्यान रक्षा क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की ओर खींचा। इस अवसर पर, उन्होंने INS विक्रांत की क्षमताओं और भारतीय नौसेना के बढ़ते सामर्थ्य पर जोर दिया, जिससे पाकिस्तान में ‘डर की लहरें’ उठने की बात कही गई। यह घटना न केवल सामरिक महत्व रखती है, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, आत्मनिर्भरता और क्षेत्रीय सुरक्षा के व्यापक संदर्भ में भी प्रासंगिक है। यह ब्लॉग पोस्ट UPSC उम्मीदवारों के लिए INS विक्रांत, भारतीय नौसेना की भूमिका, नौसैनिक शक्ति के महत्व और इस घटना से जुड़े भू-राजनीतिक निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करेगा।
INS विक्रांत: भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत (INS Vikrant: India’s First Indigenous Aircraft Carrier)**
INS विक्रांत, जिसका अर्थ है “जो पार जाता है” या “जो विजय प्राप्त करता है”, सिर्फ एक नौसैनिक जहाज नहीं है, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग क्षमता, आत्मनिर्भरता और रक्षा में आत्मनिर्भरता (Atmanirbhar Bharat) की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। इसे कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है, जो इसे दुनिया के सबसे बड़े और सबसे जटिल जहाजों में से एक बनाता है।
- निर्माण की कहानी: INS विक्रांत का निर्माण एक जटिल और लंबी प्रक्रिया थी, जिसमें हजारों इंजीनियरों, तकनीशियनों और श्रमिकों का अथक प्रयास शामिल था। यह परियोजना भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को प्रदर्शित करती है, जो पहले आयात पर बहुत अधिक निर्भर थी।
- क्षमताएं: यह एक पूर्ण-विकसित ‘फ्लोटिंग एयरबेस’ है, जो लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और अन्य उन्नत नौसैनिक प्लेटफार्मों को ले जाने और संचालित करने में सक्षम है। इसकी मुख्य क्षमताओं में शामिल हैं:
- विमान संचालन: यह MiG-29K, HAL Tejas (नौसेना संस्करण), और कामोव Ka-31 जैसे विभिन्न प्रकार के विमानों को ले जा सकता है। शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (STOBAR) प्रणाली का उपयोग करके, यह विमानों को छोटे रनवे से उड़ान भरने और सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करता है।
- आयुध और सेंसर: इसमें विभिन्न प्रकार के मिसाइल सिस्टम, तोपें और आधुनिक रडार तथा सोनार सिस्टम लगे हैं, जो इसे दुश्मन के खतरों का पता लगाने और उनसे निपटने में सक्षम बनाते हैं।
- रक्षात्मक प्रणालियाँ: यह मिसाइल हमलों से बचने के लिए उन्नत चकमा देने वाली प्रणालियों (decoys) और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW) प्रणालियों से लैस है।
- विस्थापन: लगभग 40,000 टन के विस्थापन के साथ, यह भारतीय नौसेना का अब तक का सबसे बड़ा जहाज है।
- स्वदेशीकरण: इसके निर्माण में 76% से अधिक सामग्री और उपकरण स्वदेशी स्रोतों से प्राप्त किए गए हैं, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल का एक शानदार उदाहरण है।
- सामरिक महत्व: INS विक्रांत भारतीय नौसेना की शक्ति को कई गुना बढ़ा देता है। यह भारतीय महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region – IOR) में भारत की नौसैनिक उपस्थिति और शक्ति प्रक्षेपण (power projection) क्षमता को मजबूत करता है।
‘पाक में डर की लहरें’: भू-राजनीतिक परिप्रेक्ष्य (‘Waves of Fear in Pak’: Geopolitical Perspective)**
प्रधानमंत्री मोदी की INS विक्रांत पर दिवाली मनाने की घटना और उसके साथ आया बयान, कि इसने ‘पाकिस्तान में डर की लहरें’ पैदा की हैं, विशुद्ध रूप से एक भू-राजनीतिक संदेश है। यह पाकिस्तान और क्षेत्र के अन्य देशों को भारत की बढ़ती सैन्य ताकत, विशेष रूप से नौसैनिक शक्ति का स्पष्ट संकेत है।
- समुद्री प्रभुत्व की दौड़: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह वैश्विक व्यापार मार्गों का एक प्रमुख केंद्र है और यहां समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना भारत के राष्ट्रीय हित में है। भारत का मानना है कि क्षेत्र में उसकी नौसैनिक उपस्थिति शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
- पाकिस्तान का दृष्टिकोण: पाकिस्तान, जिसका भारत के साथ एक लंबा और जटिल इतिहास रहा है, किसी भी प्रकार की भारतीय सैन्य श्रेष्ठता को स्वाभाविक रूप से खतरे के रूप में देखता है। INS विक्रांत की तैनाती और उसकी क्षमताएं निश्चित रूप से पाकिस्तान की रक्षा योजनाकारों के लिए चिंता का विषय होंगी। भारत की नौसैनिक क्षमता में वृद्धि का मतलब है कि वह अब केवल अपनी सीमाओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अपनी समुद्री पहुंच का विस्तार भी कर सकता है।
- चीनी प्रभाव का प्रतिकार: चीन की हिंद महासागर में बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक कारक है। INS विक्रांत की तैनाती को चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के एक प्रयास के रूप में भी देखा जा सकता है। भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि क्षेत्र में उसकी रणनीतिक स्वायत्तता बनी रहे।
- “लहरें” का अर्थ: ‘डर की लहरें’ का मतलब केवल सैन्य भय नहीं है, बल्कि यह एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी है। यह दर्शाता है कि भारत की रक्षा क्षमता इतनी उन्नत हो गई है कि वह अपने पड़ोसियों को मनोवैज्ञानिक रूप से भी प्रभावित कर सकता है। यह भारत की बढ़ती कूटनीतिक और सैन्य शक्ति का प्रतीक है।
भारतीय नौसेना: भारत की समुद्री सुरक्षा का प्रहरी (Indian Navy: Sentinel of India’s Maritime Security)**
भारतीय नौसेना भारत की त्रि-सेवा रक्षा बल का एक अभिन्न अंग है। यह न केवल देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा करती है, बल्कि राष्ट्रीय हितों को भी बढ़ावा देती है।
- मुख्य भूमिकाएँ:
- रक्षा: समुद्री सीमाओं की रक्षा, तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा, और समुद्री डकैती (piracy) तथा तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों को रोकना।
- शक्ति प्रक्षेपण: आवश्यकता पड़ने पर, भारतीय नौसेना दूर के क्षेत्रों में अपनी सैन्य शक्ति को तैनात कर सकती है, जो कूटनीति में एक महत्वपूर्ण औजार है।
- मानवीय सहायता और आपदा राहत (HADR): प्राकृतिक आपदाओं के समय, नौसेना अक्सर राहत सामग्री पहुंचाने और फंसे हुए लोगों को निकालने में अग्रणी भूमिका निभाती है।
- सामरिक निवारण (Strategic Deterrence): नौसैनिक क्षमता, विशेष रूप से परमाणु-सक्षम पनडुब्बियों का एक बेड़ा, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण निवारक शक्ति है।
- आधुनिकीकरण: पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय नौसेना ने आधुनिकीकरण पर भारी जोर दिया है। इसमें उन्नत युद्धपोतों, पनडुब्बियों, विमानों और अन्य प्लेटफार्मों की खरीद और स्वदेशी विकास शामिल है। INS विक्रांत इसी आधुनिकीकरण का सबसे प्रमुख उदाहरण है।
- ‘सागर’ (SAGAR) पहल: भारतीय नौसेना ‘सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्र में सभी की भागीदारी’ (Security and Growth for All in the Region – SAGAR) के सिद्धांत के तहत कार्य करती है। यह इस क्षेत्र के देशों के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने का एक प्रयास है।
आत्मनिर्भरता की यात्रा: ‘मेक इन इंडिया’ और रक्षा (The Journey of Self-Reliance: ‘Make in India’ and Defence)**
INS विक्रांत का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक असाधारण सफलता है। इसने रक्षा निर्माण क्षेत्र में भारत की क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
“आत्मनिर्भरता का अर्थ केवल आयात कम करना नहीं है, बल्कि ऐसी क्षमताएं विकसित करना है जो हमें वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना सकें।”
- ‘मेक इन इंडिया’ का प्रभाव: INS विक्रांत के निर्माण से जुड़े 76% से अधिक स्वदेशी घटक न केवल लागत कम करते हैं, बल्कि देश में रोजगार सृजन, कौशल विकास और तकनीकी नवाचार को भी बढ़ावा देते हैं। यह उन छोटी और मध्यम आकार की उद्यमों (MSMEs) को भी अवसर प्रदान करता है जो रक्षा आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनती हैं।
- निर्यात की संभावनाएँ: एक बार जब भारत अपनी रक्षा निर्माण क्षमताओं को और मजबूत कर लेता है, तो वह उन्नत जहाजों और प्रणालियों का निर्यात भी कर सकता है, जिससे देश के लिए विदेशी मुद्रा अर्जित होगी।
- तकनीकी हस्तांतरण और सहयोग: जबकि भारत आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, यह अभी भी महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों के लिए अन्य देशों के साथ सहयोग करता है। यह सहयोग भारत को नवीनतम तकनीकों तक पहुंचने और अपनी क्षमताओं को और बेहतर बनाने में मदद करता है।
INS विक्रांत से जुड़े फायदे और नुकसान (Advantages and Disadvantages Associated with INS Vikrant)**
हर बड़ी सैन्य परियोजना की तरह, INS विक्रांत के भी अपने फायदे और नुकसान हैं:
फायदे (Advantages):
- सशक्त शक्ति प्रक्षेपण: यह भारत को हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे अपनी शक्ति को प्रभावी ढंग से प्रदर्शित करने की क्षमता देता है।
- क्षेत्रीय सुरक्षा में वृद्धि: एक मजबूत नौसेना क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करती है, जो भारत के आर्थिक और रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है।
- आत्मनिर्भरता का प्रतीक: यह भारत की तकनीकी और औद्योगिक शक्ति का प्रमाण है, जो ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देता है।
- दुश्मन के लिए निवारक: इसकी उपस्थिति दुश्मन देशों को भारत के खिलाफ आक्रामक कार्रवाई करने से हतोत्साहित कर सकती है।
- बहु-भूमिका क्षमता: यह हवाई श्रेष्ठता, पनडुब्बी रोधी युद्ध, ज़मीनी हमले और समुद्री निगरानी सहित विभिन्न प्रकार के मिशनों का समर्थन कर सकता है।
नुकसान/चुनौतियाँ (Disadvantages/Challenges):
- उच्च परिचालन लागत: विमानवाहक पोत का संचालन, रखरखाव और चालक दल को प्रशिक्षित करना अत्यंत महंगा होता है।
- रखरखाव की जटिलता: जटिल प्रणालियों के लिए विशेषीकृत रखरखाव और प्रशिक्षित कर्मियों की आवश्यकता होती है।
- लक्ष्य का खतरा: यह दुश्मन के लिए एक उच्च-मूल्य वाला लक्ष्य है, जो हमले का शिकार हो सकता है।
- संसाधन की आवश्यकता: विमानवाहक पोत को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए अन्य जहाजों (जैसे विध्वंसक, फ्रिगेट, पनडुब्बियां) के एक पूरे बेड़े की आवश्यकता होती है, जो स्वयं महंगा है।
- पर्यावरणीय प्रभाव: बड़े जहाजों का संचालन पर्यावरणीय प्रभाव डाल सकता है, खासकर अगर ईंधन का रिसाव हो।
भविष्य की राह: भारतीय नौसेना का भविष्य (The Way Forward: Future of the Indian Navy)**
INS विक्रांत का कमीशनिंग भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण की यात्रा में सिर्फ एक कदम है। भविष्य में, नौसेना को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और कई अवसरों का लाभ उठाना होगा:
- बेड़े का विस्तार: नौसेना को अपने बेड़े का विस्तार जारी रखना होगा, जिसमें अधिक विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां, और उन्नत सतह युद्धपोत शामिल हैं।
- नौसैनिक विमानन का विकास: स्वदेशी लड़ाकू विमानों (जैसे HAL TEDBF – Twin Engine Deck Based Fighter) और हेलीकॉप्टरों का विकास महत्वपूर्ण है।
- साइबर सुरक्षा: नौसैनिक प्रणालियों की साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि आधुनिक युद्ध में साइबर डोमेन का महत्व बढ़ रहा है।
- ड्रोन और स्वायत्त प्रणाली: भविष्य में ड्रोन और स्वायत्त नौसैनिक प्रणालियों का उपयोग बढ़ेगा, और नौसेना को इन तकनीकों को एकीकृत करना होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: भारत को मित्र देशों के साथ समुद्री सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना जारी रखना होगा, विशेष रूप से हिंद महासागर क्षेत्र में।
- मानव संसाधन विकास: उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण और विशेषज्ञता के साथ नौसैनिकों की एक कुशल टीम तैयार करना सर्वोपरि है।
निष्कर्ष (Conclusion):
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा INS विक्रांत पर नौसेना के साथ दिवाली मनाना एक प्रतीकात्मक कार्य था, जो भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताओं और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को रेखांकित करता है। INS विक्रांत केवल एक जहाज नहीं है, बल्कि भारत की इंजीनियरिंग कौशल, रणनीतिक सोच और समुद्री क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने की महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। ‘पाकिस्तान में डर की लहरें’ जैसी टिप्पणियां भले ही कुछ हद तक बयानबाजी हों, लेकिन वे भारत की नौसैनिक शक्ति में वृद्धि के भू-राजनीतिक प्रभाव को दर्शाती हैं। UPSC उम्मीदवारों के लिए, इस घटना को न केवल एक खबर के रूप में देखना महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता की यात्रा और हिंद महासागर क्षेत्र की भू-राजनीति के व्यापक संदर्भ में समझना आवश्यक है। INS विक्रांत भारत की समुद्री महत्वाकांक्षाओं का एक प्रमुख स्तंभ है, जो देश को 21वीं सदी में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेगा।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
- प्रश्न: INS विक्रांत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
1. यह भारत का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमानवाहक पोत है।
2. यह शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (STOBAR) प्रणाली से लैस है।
3. इसके निर्माण में 76% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
उपरोक्त में से कौन से कथन सही हैं?
a) केवल 1 और 2
b) केवल 2 और 3
c) केवल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: d) 1, 2 और 3
व्याख्या: तीनों कथन INS विक्रांत के बारे में सही हैं। यह भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत है, STOBAR प्रणाली का उपयोग करता है, और इसके निर्माण में स्वदेशी सामग्री का उच्च प्रतिशत है। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा विमान INS विक्रांत पर संचालित होने की क्षमता रखता है?
1. HAL Tejas (नौसेना संस्करण)
2. MiG-29K
3. राफेल (नौसेना संस्करण)
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनें:
a) केवल 1 और 2
b) केवल 2 और 3
c) केवल 1 और 3
d) 1, 2 और 3
उत्तर: a) केवल 1 और 2
व्याख्या: INS विक्रांत HAL Tejas (नौसेना संस्करण) और MiG-29K जैसे विमानों को संचालित कर सकता है। राफेल का नौसेना संस्करण अभी विकास के अधीन है और वर्तमान में INS विक्रांत पर संचालित नहीं होता है। - प्रश्न: ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल का एक प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सी रक्षा परियोजना है?
a) ब्रह्मोस मिसाइल
b)INS विक्रांत
c) सुखोई-30 MKI
d) स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां
उत्तर: b) INS विक्रांत
व्याख्या: INS विक्रांत का निर्माण भारत की आत्मनिर्भरता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, क्योंकि इसे बड़े पैमाने पर स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित किया गया है। अन्य विकल्प भी महत्वपूर्ण स्वदेशी परियोजनाएं हैं, लेकिन INS विक्रांत अपने पैमाने और जटिलता के कारण विशेष रूप से आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। - प्रश्न: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की नौसैनिक उपस्थिति का प्राथमिक उद्देश्य निम्नलिखित में से कौन सा है?
a) चीन के बढ़ते प्रभाव को पूरी तरह से रोकना।
b) क्षेत्रीय व्यापार मार्गों की सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना।
c) अन्य देशों को सैन्य सहायता प्रदान करना।
d) केवल अपनी समुद्री सीमाओं की रक्षा करना।
उत्तर: b) क्षेत्रीय व्यापार मार्गों की सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करना।
व्याख्या: भारत की नौसैनिक उपस्थिति का मुख्य उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखना है, जिसमें प्रमुख व्यापार मार्गों की सुरक्षा शामिल है। - प्रश्न: विमानवाहक पोत (Aircraft Carrier) के संचालन से संबंधित निम्नलिखित में से कौन सी एक प्रमुख चुनौती है?
a) कम चालक दल की आवश्यकता
b) अपेक्षाकृत कम परिचालन लागत
c) जटिल रखरखाव और उच्च परिचालन व्यय
d) दुश्मन के लिए कम जोखिम
उत्तर: c) जटिल रखरखाव और उच्च परिचालन व्यय
व्याख्या: विमानवाहक पोत का संचालन, रखरखाव और चालक दल को प्रशिक्षित करना अत्यंत महंगा और जटिल होता है। - प्रश्न: ‘सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्र में सभी की भागीदारी’ (SAGAR) पहल किस देश की समुद्री नीति का हिस्सा है?
a) संयुक्त राज्य अमेरिका
b) चीन
c) भारत
d) रूस
उत्तर: c) भारत
व्याख्या: SAGAR पहल भारत की समुद्री सुरक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण घटक है, जिसका उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के साथ सहयोग को बढ़ावा देना है। - प्रश्न: शॉर्ट टेक-ऑफ बट अरेस्टेड रिकवरी (STOBAR) प्रणाली का प्राथमिक कार्य क्या है?
a) पनडुब्बियों को पानी के भीतर से लॉन्च करना।
b) विमानों को छोटे रनवे से उड़ान भरने और सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करना।
c) नौसेना के जहाजों पर मिसाइलों को सक्रिय करना।
d) नौसेना के संचार प्रणालियों को सुरक्षित करना।
उत्तर: b) विमानों को छोटे रनवे से उड़ान भरने और सुरक्षित रूप से उतरने में मदद करना।
व्याख्या: STOBAR प्रणाली विमानवाहक पोत पर विमानों के संचालन के लिए आवश्यक है, खासकर जब टेक-ऑफ के लिए लंबा रनवे उपलब्ध न हो। - प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा शहर INS विक्रांत का निर्माण स्थल है?
a) मुंबई
b) विशाखापत्तनम
c) कोचीन
d) गोवा
उत्तर: c) कोचीन
व्याख्या: INS विक्रांत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (CSL) द्वारा किया गया है। - प्रश्न: ‘पावर प्रोजेक्शन’ (Power Projection) का अर्थ क्या है?
a) अपनी सीमाओं की रक्षा करना।
b) दूर के क्षेत्रों में अपनी सैन्य शक्ति को तैनात करने और उपयोग करने की क्षमता।
c) केवल कूटनीतिक प्रभाव का उपयोग करना।
d) केवल नौसैनिक अभ्यास करना।
उत्तर: b) दूर के क्षेत्रों में अपनी सैन्य शक्ति को तैनात करने और उपयोग करने की क्षमता।
व्याख्या: पावर प्रोजेक्शन किसी देश की अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए भौगोलिक रूप से दूर के स्थानों पर अपनी सैन्य शक्ति को तैनात करने और संचालित करने की क्षमता को संदर्भित करता है। - प्रश्न: भारतीय नौसेना के प्रमुख स्वदेशी लड़ाकू विमानों में से एक जिसे INS विक्रांत पर संचालित करने के लिए विकसित किया जा रहा है, वह है:
a) मिग-29K
b) HAL तेजास (नौसेना संस्करण)
c) HAL TEDBF (Twin Engine Deck Based Fighter)
d) सुखोई-30 MKI
उत्तर: c) HAL TEDBF (Twin Engine Deck Based Fighter)
व्याख्या: HAL TEDBF एक भविष्य का भारतीय नौसेना का स्वदेशी लड़ाकू विमान है जिसे INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोतों पर संचालन के लिए विकसित किया जा रहा है। HAL Tejas (नौसेना संस्करण) भी संचालित होता है। MiG-29K रूस से प्राप्त किया गया है।मुख्य परीक्षा (Mains)
- प्रश्न: INS विक्रांत के निर्माण और कमीशनिंग के संदर्भ में, भारत की ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल और रक्षा आधुनिकीकरण की दिशा में इसके महत्व का विश्लेषण करें। इस परियोजना से जुड़ी प्रमुख चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करें। (250 शब्द)
- प्रश्न: हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) में भारत की नौसैनिक शक्ति में वृद्धि, विशेष रूप से INS विक्रांत जैसे विमानवाहक पोतों की तैनाती, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ भारत के भू-राजनीतिक संबंधों को कैसे प्रभावित करती है? क्षेत्रीय सुरक्षा पर इसके निहितार्थों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (250 शब्द)
- प्रश्न: भारतीय नौसेना की भूमिका और क्षमताओं का वर्णन करें। INS विक्रांत जैसे आधुनिक प्लेटफार्मों को शामिल करने से इसकी शक्ति प्रक्षेपण (Power Projection) क्षमता और समुद्री सुरक्षा में कैसे वृद्धि हुई है? (150 शब्द)
- प्रश्न: “INS विक्रांत का जलवा: पाक में डर की लहरें?” – इस कथन का विश्लेषण करते हुए, समझाएं कि कैसे एक सैन्य क्षमता का प्रदर्शन मनोवैज्ञानिक और कूटनीतिक प्रभाव भी डाल सकता है। रक्षा आधुनिकीकरण में इस तरह के ‘प्रदर्शन’ के लाभ और जोखिम क्या हैं? (250 शब्द)
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