मजाड़ा गांव की दिवाली: उत्तराखंड आपदा के बाद आशा की किरण, सीएम धामी की पहल और मीडिया की भूमिका
चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने एक हृदयस्पर्शी दृश्य प्रस्तुत किया। उन्होंने मजाड़ा गांव के उन लोगों के साथ दिवाली मनाई, जिन्होंने हाल ही में हुई एक विनाशकारी आपदा में अपना सब कुछ खो दिया था। यह घटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो गई क्योंकि ‘अमर उजाला’ जैसे प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों ने पहले ही इस सुदूर गांव की पीड़ा और वहां के लोगों की निराशाजनक स्थिति को प्रमुखता से उजागर किया था। मुख्यमंत्री का यह कदम न केवल आपदा पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त करने का एक मानवीय प्रयास था, बल्कि इसने सरकारी संवेदनशीलता, मीडिया की भूमिका और आपदा प्रबंधन की जटिलताओं पर भी प्रकाश डाला। यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए कई आयामों को समझने का एक उत्कृष्ट अवसर प्रस्तुत करती है, जिसमें आपदा प्रबंधन, सामाजिक न्याय, शासन की प्रभावशीलता और मीडिया की जिम्मेदारी शामिल है।
पृष्ठभूमि: आपदा का कहर और मजाड़ा की व्यथा (Background: The Wrath of Disaster and Majada’s Plight)
यह घटना उत्तराखंड में हुई हालिया आपदाओं के संदर्भ में हुई, जहाँ प्राकृतिक प्रकोपों ने अनेक जान-माल की हानि पहुँचाई और कई बस्तियों को उजाड़ दिया। मजाड़ा गांव, अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति और शायद सुदूरता के कारण, आपदा के प्रभाव से बुरी तरह प्रभावित हुआ। घरों का ढहना, बुनियादी ढाँचे का विनाश, आजीविका का छिन जाना – ये वे भयावह वास्तविकताएं थीं जिनका सामना मजाड़ा के लोगों को करना पड़ा। ऐसे समय में, जब समाज सामान्य रूप से त्योहारों की खुशियों में डूबा होता है, इन पीड़ितों के लिए जीवन का हर दिन एक संघर्ष था।
आपदा का प्रभाव (Impact of Disaster):
- भौतिक क्षति: घरों, सड़कों, पुलों और अन्य आवश्यक बुनियादी ढाँचों का विनाश।
- आर्थिक क्षति: कृषि भूमि का नष्ट होना, पशुधन की हानि, आजीविका के साधनों का छिन जाना।
- सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव: विस्थापन, परिवारों का टूटना, सदमा, भय और अनिश्चितता की भावना।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ: स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता की कमी से बीमारियों का खतरा।
ऐसे विकट हालात में, जब किसी समुदाय का मनोबल पूरी तरह टूट चुका हो, तब एक छोटा सा मानवीय स्पर्श भी बड़ी उम्मीद जगा सकता है। मजाड़ा के लोगों के लिए, जिनकी दिवाली अंधेरे और मायूसी में बीतनी चाहिए थी, मुख्यमंत्री की उपस्थिति एक अप्रत्याशित, फिर भी प्रतीकात्मक, आशा की किरण बनकर आई।
मुख्यमंत्री का दिवाली मिलन: एक प्रतीकात्मक कदम (CM’s Diwali Meet: A Symbolic Gesture)
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का मजाड़ा गांव जाना और वहां के आपदा पीड़ितों के साथ दिवाली मनाना एक अत्यंत महत्वपूर्ण और बहुआयामी घटना है। इसे केवल एक राजनीतिक स्टंट के रूप में खारिज नहीं किया जा सकता, बल्कि इसके गहरे निहितार्थों को समझना आवश्यक है।
यह कदम क्यों महत्वपूर्ण था?
- सहानुभूति और समर्थन का प्रदर्शन: यह कदम पीड़ितों को यह संदेश देता है कि वे अकेले नहीं हैं, और सरकार उनके दुख में भागीदार है।
- नैतिक समर्थन: मुश्किल घड़ी में लोगों का मनोबल बढ़ाना, उन्हें भविष्य के लिए लड़ने की प्रेरणा देना।
- पुनर्वास की प्रतिबद्धता का संकेत: यह दिखाता है कि सरकार उनकी दुर्दशा से अवगत है और पुनर्वास के प्रयासों में लगी है।
- जनता से जुड़ाव: यह मुख्यमंत्री को सीधे जनता से जुड़ने और उनकी समस्याओं को जमीनी स्तर पर समझने का अवसर देता है।
“आपदा में उजड़े मजाड़ा के लोगों संग मनाई सीएम धामी ने दिवाली” – यह शीर्षक स्वयं एक शक्तिशाली प्रतीक है। यह दिखाता है कि कैसे त्योहारों के अवसर पर भी, जब खुशियाँ मनाई जाती हैं, सरकार उन लोगों को नहीं भूलती जो सबसे कठिन परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। यह मानवीय गरिमा और सामाजिक एकजुटता का एक ज्वलंत उदाहरण है।
‘अमर उजाला’ की भूमिका: मीडिया की संवेदनशीलता और शक्ति (The Role of ‘Amar Ujala’: Media’s Sensitivity and Power)
इस पूरी कहानी का एक और महत्वपूर्ण पहलू ‘अमर उजाला’ जैसे मीडिया संस्थान का योगदान है। समाचारों में उल्लिखित है कि “अमर उजाला ने उठाई थी गांव की पीड़ा”। यह वाक्य मीडिया की उस महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है जो वह समाज में हाशिए पर पड़े या उपेक्षित समुदायों की आवाज बनने में निभाता है।
मीडिया की भूमिका के आयाम:
- जागरूकता फैलाना: ‘अमर उजाला’ ने मजाड़ा गांव की दुर्दशा को पाठकों और आम जनता तक पहुँचाया, जिससे उनकी पीड़ा पर राष्ट्रीय ध्यान गया।
- जनता को सूचित करना: मीडिया सरकार और जनता के बीच एक सेतु का काम करता है, उन्हें महत्वपूर्ण मुद्दों से अवगत कराता है।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना: जब मीडिया किसी समस्या को उठाता है, तो यह संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई करने और समाधान खोजने का दबाव डालता है।
- नीतिगत बदलावों को प्रेरित करना: मीडिया कवरेज से उत्पन्न जनमत और दबाव अक्सर सरकारों को नीतियों में सुधार करने या नई नीतियाँ बनाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
- मानवीय कहानियों को सामने लाना: आपदाओं के दौर में, मीडिया केवल आंकड़ों को नहीं, बल्कि उन मानवीय त्रासदियों को भी सामने लाता है जो इन आंकड़ों के पीछे छिपी होती हैं।
जैसे एक डॉक्टर बीमारी का निदान करता है, वैसे ही एक जिम्मेदार मीडिया समाज की समस्याओं का निदान करता है और उनके समाधान की दिशा में एक उत्प्रेरक का काम करता है। ‘अमर उजाला’ का मजाड़ा की पीड़ा को उजागर करना, उन गुमनाम पीड़ितों के लिए एक ‘वॉयस’ प्रदान करना था, जिनकी आवाज शायद सत्ता के गलियारों तक पहुँच ही नहीं पाती।
आपदा प्रबंधन और पुनर्वास: एक जटिल प्रक्रिया (Disaster Management and Rehabilitation: A Complex Process)
मजाड़ा जैसी घटनाओं से हमें आपदा प्रबंधन की तैयारियों और पुनर्वास की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है। एक प्रभावी आपदा प्रबंधन प्रणाली में निम्नलिखित घटक शामिल होते हैं:
आपदा प्रबंधन के चरण:
- निवारण (Prevention): आपदाओं को होने से रोकना या उनके प्रभाव को कम करना। (जैसे, भूकंपरोधी निर्माण, बाढ़ नियंत्रण)।
- शमन (Mitigation): आपदाओं के संभावित नुकसान को कम करने के उपाय। (जैसे, जोखिम वाले क्षेत्रों में निर्माण पर रोक)।
- तैयारी (Preparedness): आपदा के लिए योजना बनाना, संसाधन जुटाना और प्रशिक्षण देना। (जैसे, मॉक ड्रिल, आपदा किट)।
- प्रतिक्रिया (Response): आपदा के तुरंत बाद बचाव और राहत कार्य। (जैसे, बचाव दल, चिकित्सा सहायता)।
- पुनर्प्राप्ति (Recovery): सामान्य स्थिति की ओर लौटना, जिसमें पुनर्निर्माण और पुनर्वास शामिल है। (जैसे, आवास, आजीविका बहाली)।
मजाड़ा की कहानी विशेष रूप से ‘पुनर्प्राप्ति’ और ‘पुनर्वास’ चरणों की चुनौतियों को दर्शाती है। केवल दिवाली मना लेना पर्याप्त नहीं है; उन लोगों के लिए स्थायी समाधान प्रदान करना महत्वपूर्ण है जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया है।
पुनर्वास की प्रमुख चुनौतियाँ:
- वित्तीय बाधाएँ: पुनर्निर्माण और आजीविका बहाली के लिए बड़े पैमाने पर धन की आवश्यकता होती है।
- लॉजिस्टिक्स और योजना: दूरदराज के इलाकों तक सहायता पहुँचाना और प्रभावी पुनर्वास योजनाएँ बनाना।
- स्थायी समाधान: केवल तात्कालिक राहत पर्याप्त नहीं है; दीर्घकालिक आजीविका और आवास सुनिश्चित करना।
- लोगों की भागीदारी: पुनर्वास योजनाओं में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना, ताकि वे अपनी आवश्यकताओं के अनुसार समाधान विकसित कर सकें।
- पर्यावरणीय कारक: पुनर्निर्माण करते समय पर्यावरणीय स्थिरता का ध्यान रखना, विशेषकर पहाड़ी इलाकों में।
मुख्यमंत्री का दौरा इस प्रक्रिया को गति देने और यह सुनिश्चित करने का एक प्रयास हो सकता है कि मजाड़ा के लोगों को न केवल तात्कालिक राहत मिले, बल्कि वे एक बार फिर आत्मनिर्भर और स्थिर जीवन जी सकें।
शासन, मीडिया और नागरिक समाज: एक सहजीवी संबंध (Governance, Media, and Civil Society: A Symbiotic Relationship)
मजाड़ा की घटना शासन, मीडिया और नागरिक समाज के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध को उजागर करती है।
शासन (Governance): सरकार की भूमिका केवल संकट प्रबंधन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें प्रभावित समुदायों के लिए प्रभावी नीतियाँ बनाना, संसाधनों का आवंटन करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि विकास प्रक्रिया समावेशी और न्यायसंगत हो। मुख्यमंत्री का दौरा इस बात का संकेत है कि सरकार अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से ले रही है।
मीडिया (Media): जैसा कि ‘अमर उजाला’ के उदाहरण से स्पष्ट है, मीडिया समाज का ‘वॉचडॉग’ और ‘वॉयस’ होता है। यह महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, सरकारों को जवाबदेह ठहराता है, और जनता को मुद्दों से जोड़ता है।
नागरिक समाज (Civil Society): गैर-सरकारी संगठन (NGOs), सामुदायिक समूह और आम नागरिक भी पुनर्वास और सहायता कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे सरकार और पीड़ितों के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि सहायता सही लोगों तक पहुँचे।
यह त्रिकोणीय संबंध:
“जब शासन, मीडिया और नागरिक समाज मिलकर काम करते हैं, तो वे किसी भी सामाजिक या पर्यावरणीय चुनौती का सामना करने के लिए एक शक्तिशाली गठबंधन बनाते हैं।”
मजाड़ा के मामले में, ‘अमर उजाला’ ने मुद्दे को उठाया, सरकार ने संवेदनशीलता दिखाई, और उम्मीद है कि नागरिक समाज भी आगे बढ़कर सहायता प्रदान करेगा। यह एक सकारात्मक सहजीवी संबंध का उदाहरण है जो आपदाओं के बाद पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आगे की राह: टिकाऊ पुनर्वास और लचीलापन (The Way Forward: Sustainable Rehabilitation and Resilience)
मजाड़ा गांव की दिवाली की कहानी सिर्फ एक खबर नहीं है, बल्कि यह भविष्य के लिए एक सीख है। यह हमें याद दिलाता है कि आपदाएँ जीवन का हिस्सा हो सकती हैं, लेकिन हम उनसे सीखकर और अधिक लचीले बन सकते हैं।
भविष्य के लिए कदम:
- आपदा-प्रवण क्षेत्रों का बेहतर मानचित्रण और प्रबंधन: जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करना और वहां स्थायी निर्माण सुनिश्चित करना।
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करना: लोगों को समय पर चेतावनी देकर जान-माल के नुकसान को कम करना।
- सामुदायिक-आधारित आपदा प्रबंधन: स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित करना और उन्हें अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने के लिए सशक्त बनाना।
- लचीले पुनर्वास मॉडल: ऐसे पुनर्वास कार्यक्रम डिजाइन करना जो न केवल तत्काल आवश्यकताएं पूरी करें, बल्कि स्थायी आजीविका और सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करें।
- जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशीलता: जलवायु परिवर्तन से प्रेरित आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति को देखते हुए, अनुकूलन और शमन रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना।
मुख्यमंत्री का मजाड़ा में दिवाली मनाना उस लंबी यात्रा का पहला कदम हो सकता है। असली परीक्षा यह है कि क्या सरकार और समाज यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि मजाड़ा के लोग न केवल अगले साल दिवाली मना सकें, बल्कि एक सुरक्षित, स्थिर और समृद्ध जीवन भी जी सकें। ‘अमर उजाला’ जैसे मीडिया संस्थानों का निरंतर ध्यान और सक्रिय नागरिक समाज की भागीदारी यह सुनिश्चित करने में मदद करेगी कि यह यात्रा सफल हो।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तराखंड के मजाड़ा गांव में आपदा पीड़ितों के साथ मुख्यमंत्री धामी की दिवाली का अवसर, ‘अमर उजाला’ द्वारा उजागर की गई पीड़ा का परिणाम, एक महत्वपूर्ण सामाजिक और शासन संबंधी घटना है। यह हमें मानवीय भावना, मीडिया की शक्ति और प्रभावी आपदा प्रबंधन की आवश्यकता की याद दिलाता है। जहाँ एक ओर यह घटना सरकारी संवेदनशीलता का एक प्रतीक है, वहीं दूसरी ओर यह इस बात का भी प्रमाण है कि कैसे समाचारों में उठाई गई एक आवाज़ नीतिगत कार्रवाई को प्रेरित कर सकती है। UPSC उम्मीदवारों के लिए, यह घटना आपदा प्रबंधन, सामाजिक न्याय, सरकारी जवाबदेही और मीडिया के महत्वपूर्ण योगदान जैसे कई विषयों पर विचार करने का एक अवसर प्रदान करती है। असली सफलता इस बात में निहित होगी कि मजाड़ा के लोगों के लिए एक स्थायी पुनर्वास और एक सुरक्षित भविष्य कैसे सुनिश्चित किया जाता है, जो केवल उत्सवों में नहीं, बल्कि हर दिन खुशहाल हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. **निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:**
(A) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का प्रावधान करता है।
(B) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिए नोडल एजेंसी है।
(C) ‘मीठी क्रांति’ (Sweet Revolution) शहद उत्पादन से संबंधित है।
(D) ‘आपदा मित्र’ योजना का उद्देश्य आपदाओं के दौरान स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करना है।
**सही कथनों का चयन करें:**
(a) A, B और D
(b) A, C और D
(c) B, C और D
(d) A, B, C और D
**उत्तर:** (d) A, B, C और D
**व्याख्या:**
(A) अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता है, जो आपदा के पीड़ितों के लिए भी प्रासंगिक है।
(B) NDMA भारत में आपदा प्रबंधन के लिए केंद्रीय स्तर पर सर्वोच्च निकाय है।
(C) मीठी क्रांति शहद और मधुमक्खी पालन के उत्पादन को बढ़ावा देने से संबंधित है।
(D) ‘आपदा मित्र’ भारत सरकार की एक पहल है जो समुदायों में स्वयंसेवकों को आपदा प्रतिक्रिया के लिए प्रशिक्षित करती है।
2. **उत्तराखंड में हालिया आपदाओं के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा कारण सबसे अधिक संभावित है?**
(a) अत्यधिक शहरीकरण
(b) अनियोजित निर्माण और वनों की कटाई
(c) औद्योगिक प्रदूषण
(d) भूगर्भीय स्थिरता
**उत्तर:** (b) अनियोजित निर्माण और वनों की कटाई
**व्याख्या:** पहाड़ी क्षेत्रों में अनियोजित निर्माण, ढलानों पर अतिक्रमण और वनों की कटाई भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाओं के जोखिम को बढ़ाती है।
3. **निम्नलिखित में से कौन सा मीडिया का ‘चौथा स्तंभ’ (Fourth Estate) के रूप में जाना जाता है?**
(a) न्यायपालिका
(b) कार्यपालिका
(c) विधायिका
(d) प्रेस/मीडिया
**उत्तर:** (d) प्रेस/मीडिया
**व्याख्या:** मीडिया को अक्सर ‘चौथा स्तंभ’ कहा जाता है क्योंकि यह सरकार की अन्य तीन शाखाओं (विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका) के अलावा एक महत्वपूर्ण नियामक और सूचना प्रदाता की भूमिका निभाता है।
4. **आपदा प्रबंधन के ‘पुनर्प्राप्ति’ (Recovery) चरण में निम्नलिखित में से क्या शामिल हो सकता है?**
(a) तात्कालिक बचाव कार्य
(b) आश्रय और भोजन की व्यवस्था
(c) आजीविका की बहाली और पुनर्निर्माण
(d) प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का उन्नयन
**उत्तर:** (c) आजीविका की बहाली और पुनर्निर्माण
**व्याख्या:** पुनर्प्राप्ति चरण में आपदा से हुए नुकसान से उबरना, सामान्य जीवन को फिर से शुरू करना, आजीविका के साधन बहाल करना और क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे का पुनर्निर्माण शामिल है।
5. **’संवैधानिक लोकतंत्र’ (Constitutional Democracy) के संदर्भ में, ‘जवाबदेही’ (Accountability) का सबसे अच्छा अर्थ क्या है?**
(a) केवल नागरिकों की सरकार के प्रति जिम्मेदारी
(b) सरकार की जनता के प्रति जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व
(c) राजनीतिक दलों की अपने वादों को पूरा करने की बाध्यता
(d) नौकरशाही की दक्षता
**उत्तर:** (b) सरकार की जनता के प्रति जिम्मेदारी और उत्तरदायित्व
**व्याख्या:** संवैधानिक लोकतंत्र में, सरकारें जनता द्वारा चुनी जाती हैं और उन्हें जनता के प्रति जवाबदेह होना पड़ता है, जिसका अर्थ है कि उन्हें अपने कार्यों और निर्णयों के लिए स्पष्टीकरण देना होता है।
6. **’सतत विकास लक्ष्य’ (Sustainable Development Goals – SDGs) का उद्देश्य क्या है?**
(a) केवल आर्थिक विकास हासिल करना
(b) गरीबी उन्मूलन, समानता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना
(c) विकसित देशों को सहायता प्रदान करना
(d) अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ाना
**उत्तर:** (b) गरीबी उन्मूलन, समानता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना
**व्याख्या:** SDGs एक सार्वभौमिक आह्वान है जो सभी देशों को गरीबी को समाप्त करने, पृथ्वी की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कार्य करने का आग्रह करता है कि 2030 तक सभी लोग शांति और समृद्धि का आनंद लें।
7. **’जन भागीदारी’ (Public Participation) का सिद्धांत किस सरकारी अवधारणा से गहराई से जुड़ा है?**
(a) केंद्रीकृत शासन
(b) नौकरशाही
(c) विकेन्द्रीकृत शासन और सहभागी लोकतंत्र
(d) तानाशाही
**उत्तर:** (c) विकेन्द्रीकृत शासन और सहभागी लोकतंत्र
**व्याख्या:** जन भागीदारी सहभागी लोकतंत्र और विकेन्द्रीकृत शासन का एक मुख्य स्तंभ है, जो निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी को बढ़ावा देता है।
8. **’संवेदनशील शासन’ (Sensitive Governance) का क्या अर्थ है?**
(a) केवल कठोर नियमों का पालन
(b) जनता की समस्याओं और चिंताओं के प्रति जागरूकता और प्रतिक्रिया
(c) सरकारी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना
(d) तेज निर्णय लेना, भले ही वे लोकहित में न हों
**उत्तर:** (b) जनता की समस्याओं और चिंताओं के प्रति जागरूकता और प्रतिक्रिया
**व्याख्या:** संवेदनशील शासन का अर्थ है कि सरकार जनता की जरूरतों, चिंताओं और भावनाओं को समझती है और तदनुसार कार्य करती है।
9. **’आपदा प्रतिक्रिया’ (Disaster Response) के संदर्भ में, ‘लचीलापन’ (Resilience) का अर्थ है:**
(a) आपदा से होने वाले नुकसान की पूरी तरह से रोकथाम
(b) आपदा से उबरने और अनुकूलित होने की क्षमता
(c) केवल प्रारंभिक बचाव कार्य
(d) बाहरी सहायता पर पूर्ण निर्भरता
**उत्तर:** (b) आपदा से उबरने और अनुकूलित होने की क्षमता
**व्याख्या:** लचीलापन किसी समुदाय या प्रणाली की आपदा से होने वाले झटकों को अवशोषित करने, अनुकूलित होने और जल्दी से सामान्य स्थिति या बेहतर स्थिति में लौटने की क्षमता है।
10. **’सामुदायिक-आधारित आपदा प्रबंधन’ (Community-Based Disaster Management) का मुख्य लाभ क्या है?**
(a) यह सरकारी एजेंसियों पर बोझ कम करता है।
(b) यह स्थानीय ज्ञान और संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करता है।
(c) यह केवल बड़े शहरों के लिए उपयुक्त है।
(d) इसमें बाहरी विशेषज्ञों की आवश्यकता नहीं होती।
**उत्तर:** (b) यह स्थानीय ज्ञान और संसाधनों का प्रभावी ढंग से उपयोग करता है।
**व्याख्या:** समुदाय-आधारित दृष्टिकोण स्थानीय लोगों की समझ, संसाधनों और सामाजिक नेटवर्क का उपयोग करता है, जिससे प्रतिक्रिया अधिक प्रासंगिक, प्रभावी और टिकाऊ बनती है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. “उत्तराखंड में मजाड़ा गांव की घटना, जहाँ मुख्यमंत्री ने आपदा पीड़ितों के साथ दिवाली मनाई, सिर्फ एक प्रतीकात्मक gesto से कहीं बढ़कर है। यह भारतीय शासन व्यवस्था में मीडिया की भूमिका, आपदा प्रबंधन की चुनौतियों और पुनर्वास के महत्व को उजागर करती है। इन आयामों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें।”
(Critically analyze the incident in Majada village, Uttarakhand, where the Chief Minister celebrated Diwali with disaster victims, arguing that it signifies more than just a symbolic gesture. It highlights the role of media, the challenges of disaster management, and the importance of rehabilitation in the Indian governance system.)
2. “आपदा के बाद पुनर्वास एक दीर्घकालिक और बहुआयामी प्रक्रिया है। मजाड़ा जैसे समुदायों के लिए स्थायी पुनर्वास सुनिश्चित करने में वित्तीय, लॉजिस्टिक, सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियाँ क्या हैं, और इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार और नागरिक समाज द्वारा क्या कदम उठाए जाने चाहिए?”
(Rehabilitation post-disaster is a long-term and multi-faceted process. What are the financial, logistical, social, and environmental challenges in ensuring sustainable rehabilitation for communities like Majada, and what steps should be taken by the government and civil society to overcome these challenges?)
3. “मीडिया को अक्सर ‘चौथा स्तंभ’ कहा जाता है। मजाड़ा गांव की पीड़ा को उजागर करने में ‘अमर उजाला’ की भूमिका का उदाहरण देते हुए, आपदाओं के दौरान और बाद में समाज में सूचना के प्रसार, जन जागरूकता बढ़ाने और सरकारी जवाबदेही सुनिश्चित करने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका का विवेचन करें।”
(Media is often referred to as the ‘Fourth Estate’. Citing the role of ‘Amar Ujala’ in highlighting the plight of Majada village, discuss the crucial role of media in disseminating information, raising public awareness, and ensuring governmental accountability in society during and after disasters.)
4. “आपदा प्रबंधन के चार चरणों (निवारण, शमन, तैयारी, प्रतिक्रिया, पुनर्प्राप्ति) के संदर्भ में, उत्तराखंड में भविष्य की आपदाओं के प्रति लचीलापन (resilience) बनाने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण क्या होना चाहिए, जिसमें सामुदायिक भागीदारी और जलवायु परिवर्तन के अनुकूलन को एकीकृत किया जाए?”
(In the context of the four phases of disaster management (prevention, mitigation, preparedness, response, recovery), what should be a holistic approach to build resilience against future disasters in Uttarakhand, integrating community participation and climate change adaptation?)
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