इतिहास के समर में उतरें: आज की आपकी परीक्षा!
नमस्कार, भविष्य के इतिहास के महारथियों! क्या आप अपने ज्ञान को परखने के लिए तैयार हैं? आज हम इतिहास के विशाल सागर में एक रोमांचक गोता लगाने वाले हैं, जो सिंधु घाटी की प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक भारत के स्वतंत्रता संग्राम तक फैला हुआ है। ये 25 प्रश्न न केवल आपकी स्मरण शक्ति का परीक्षण करेंगे, बल्कि आपको घटनाओं के पीछे की गहरी समझ भी देंगे। तो, कलम उठाएँ और अतीत की इस यात्रा के लिए खुद को तैयार करें!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से एक विशाल सार्वजनिक स्नानगार (Great Bath) का साक्ष्य मिला है?
- लोथल
- मोहनजोदड़ो
- कालीबंगन
- धोलावीरा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मोहनजोदड़ो (सिंधी में ‘मृतकों का टीला’) से हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्रतिष्ठित ढाँचा, विशाल सार्वजनिक स्नानगार मिला है। यह ईंटों से निर्मित है और इसकी जलरोधन क्षमता प्रभावशाली है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशाल स्नानगार संभवतः धार्मिक अनुष्ठानों या सार्वजनिक समारोहों के लिए उपयोग किया जाता था। इसके किनारों पर सीढ़ियाँ थीं और इसे पानी से भरने और निकालने की कुशल व्यवस्था थी। मोहनजोदड़ो, सिंधु नदी के तट पर स्थित, सबसे बड़े हड़प्पाकालीन शहरों में से एक था।
- गलत विकल्प: लोथल एक प्रमुख बंदरगाह शहर था, कालीबंगन में जुते हुए खेत के प्रारंभिक साक्ष्य मिले हैं, और धोलावीरा एक जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है, लेकिन विशाल स्नानगार मोहनजोदड़ो की विशिष्ट विशेषता है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा शासक ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण करने वाले चंद्रगुप्त द्वितीय से जुड़ा है?
- बिंदुसार
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त प्रथम
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: चंद्रगुप्त द्वितीय, जिसे ‘विक्रमादित्य’ के नाम से भी जाना जाता है, गुप्त वंश का एक अत्यंत शक्तिशाली शासक था। हालांकि ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि कई शासकों ने धारण की, लेकिन यह चंद्रगुप्त द्वितीय से सबसे अधिक मजबूती से जुड़ी है, जिसने अपने शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार किया और कला व संस्कृति को संरक्षण दिया।
- संदर्भ और विस्तार: चंद्रगुप्त द्वितीय ने शकों पर विजय प्राप्त की थी, जिसके उपलक्ष्य में उसने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की। उसका दरबार विद्वानों और कलाकारों से सुशोभित था, जिनमें कालिदास प्रमुख थे।
- गलत विकल्प: बिन्दुसार अशोक के पिता थे। चंद्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश की स्थापना की और ‘महाराजाधिराज’ की उपाधि धारण की। कुमारगुप्त प्रथम, चंद्रगुप्त द्वितीय के पुत्र थे, जिन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 3: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
- बैल
- घोड़ा
- गाय
- भेड़
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ऋग्वेद में ‘अघन्य’ शब्द का प्रयोग ‘गाय’ के लिए किया गया है, जिसका अर्थ है ‘जिसे मारा न जा सके’।
- संदर्भ और विस्तार: वैदिक काल में गाय को अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता था। यह न केवल संपत्ति का प्रतीक थी, बल्कि जीवन निर्वाह का एक प्रमुख साधन भी थी। इसके महत्व को दर्शाने के लिए इसे ‘अघन्य’ कहा गया।
- गलत विकल्प: बैल, घोड़ा और भेड़ भी महत्वपूर्ण थे, लेकिन ‘अघन्य’ शब्द विशेष रूप से गाय के लिए ही प्रयुक्त होता था।
प्रश्न 4: दिल्ली सल्तनत के किस शासक ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (गुलाम विभाग) की स्थापना की थी?
- अलाउद्दीन खिलजी
- गयासुद्दीन तुगलक
- फिरोज शाह तुगलक
- बलबन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: फिरोज शाह तुगलक, जो तुगलक वंश का एक प्रमुख शासक था, ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ की स्थापना की थी। यह विभाग राज्य के गुलामों (बंदगान) के प्रबंधन और प्रशिक्षण के लिए था।
- संदर्भ और विस्तार: फिरोज शाह तुगलक ने अपने शासनकाल में बड़ी संख्या में गुलामों की भर्ती की और उन्हें विभिन्न सरकारी पदों पर नियुक्त किया। उसने एक कुशल प्रशासन व्यवस्था स्थापित करने का प्रयास किया, जिसमें यह विभाग एक महत्वपूर्ण कड़ी था। उसने सिंचाई सुविधाओं और लोक कल्याणकारी कार्यों पर भी ध्यान दिया।
- गलत विकल्प: अलाउद्दीन खिलजी ने ‘दीवान-ए-मुस्तखराज’ (बकाया लगान वसूलने वाला विभाग) की स्थापना की। बलबन ने ‘दीवान-ए-आरिज’ (सैन्य विभाग) का गठन किया। गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलक वंश की नींव रखी।
प्रश्न 5: 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा बंगाल के विभाजन का मुख्य कारण क्या बताया गया था?
- प्रशासनिक सुविधा
- स्वतंत्रता संग्राम को दबाना
- सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाना
- क्षेत्रीय विकास
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लॉर्ड कर्जन ने बंगाल के विभाजन का मुख्य कारण प्रशासनिक सुविधा को बताया था। उनका तर्क था कि इतना बड़ा प्रांत (बंगाल) एक लेफ्टिनेंट गवर्नर द्वारा प्रभावी ढंग से प्रशासित नहीं किया जा सकता।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि प्रशासनिक सुविधा को कारण बताया गया, लेकिन वास्तव में यह विभाजन भारतीय राष्ट्रवाद को कमजोर करने और ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को लागू करने का एक प्रयास था। इस विभाजन ने बंगाल में तीव्र राष्ट्रवाद को जन्म दिया और स्वदेशी आंदोलन का सूत्रपात हुआ।
- गलत विकल्प: स्वतंत्रता संग्राम को दबाना विभाजन का एक गुप्त उद्देश्य था, लेकिन सार्वजनिक रूप से नहीं बताया गया। सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाना विभाजन का परिणाम नहीं, बल्कि इसका एक विवादास्पद पहलू था (कुछ वर्गों का समर्थन प्राप्त करने का प्रयास)। क्षेत्रीय विकास विभाजन का घोषित या वास्तविक उद्देश्य नहीं था।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा कथन प्रथम विश्व युद्ध के संबंध में गलत है?
- यह 1914 से 1918 तक चला।
- इसके मुख्य गुट मित्र राष्ट्र और धुरी राष्ट्र थे।
- संयुक्त राज्य अमेरिका युद्ध के प्रारंभ से ही मित्र राष्ट्रों की ओर से लड़ा।
- इस युद्ध के परिणामस्वरूप राष्ट्र संघ (League of Nations) की स्थापना हुई।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में तटस्थ था और 1917 में मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में शामिल हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: युद्ध 1914 में शुरू हुआ और 1918 में समाप्त हुआ। मित्र राष्ट्रों में मुख्य रूप से ब्रिटेन, फ्रांस, रूस (बाद में बाहर हो गया) और बाद में अमेरिका शामिल थे। धुरी राष्ट्रों में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया प्रमुख थे। युद्ध के विनाशकारी परिणामों को देखते हुए भविष्य में ऐसे संघर्षों को रोकने के उद्देश्य से 1920 में राष्ट्र संघ की स्थापना की गई थी।
- गलत विकल्प: कथन (a), (b) और (d) प्रथम विश्व युद्ध के बारे में सही हैं। कथन (c) गलत है क्योंकि अमेरिका युद्ध के प्रारंभ से नहीं, बल्कि बाद में शामिल हुआ था।
प्रश्न 7: मौर्य साम्राज्य के किस शासक ने ‘सिल्हिक’ (Silika) नामक राजदूत को मेगस्थनीज के उत्तराधिकारी के रूप में यूनान भेजा था?
- चंद्रगुप्त मौर्य
- बिंदुसार
- अशोक
- बृहद्रथ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बिंदुसार, चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र और मौर्य शासक थे, जिन्होंने सीरियाई राजा एंटिओकस प्रथम से ‘सुरा’ (शराब), ‘मधुर’ (मीठी शराब) और ‘अंजीर’ (सूखे अंजीर) की मांग की थी। उन्होंने राजदूत ‘डाइमेकस’ (Daimachus) को भी भेजा था। मेगस्थनीज के उत्तराधिकारी के रूप में ‘सिल्हिक’ (या ‘डायोनिसियस’) को बिंदुसार ने ही भेजा था।
- संदर्भ और विस्तार: बिंदुसार का शासनकाल (लगभग 298-273 ईसा पूर्व) मौर्य साम्राज्य के विस्तार और कूटनीतिक संबंधों के लिए महत्वपूर्ण था। सीरिया के शासक एंटिओकस प्रथम के साथ उनके पत्र-व्यवहार का उल्लेख ग्रीक इतिहासकार प्लिनी ने किया है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त मौर्य ने स्वयं मेगस्थनीज को भेजा था। अशोक ने अपने धार्मिक मिशनों पर ध्यान केंद्रित किया, न कि इस प्रकार के कूटनीतिक आदान-प्रदान पर। बृहद्रथ मौर्य वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 8: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई थी?
- 1290 ईस्वी
- 1336 ईस्वी
- 1450 ईस्वी
- 1526 ईस्वी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर प्रथम और बुक्का प्रथम नामक दो भाइयों ने 1336 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: विजयनगर साम्राज्य दक्षिण भारत के दक्कन क्षेत्र में एक शक्तिशाली हिंदू साम्राज्य था, जिसने लगभग 200 वर्षों तक शासन किया। इसकी राजधानी हम्पी थी, जो आज यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह साम्राज्य अपनी कला, वास्तुकला, साहित्य और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए प्रसिद्ध था।
- गलत विकल्प: 1290 ईस्वी में खिलजी वंश की स्थापना हुई। 1450 ईस्वी तक विजयनगर स्थापित हो चुका था। 1526 ईस्वी में पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ और मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई।
प्रश्न 9: ‘रैयतवाड़ी बंदोबस्त’ के अंतर्गत भूमि का मालिकाना हक किसके पास होता था?
- जमींदार
- किसान (रैयत)
- ब्रिटिश सरकार
- बिचौलिए
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रैयतवाड़ी बंदोबस्त में, भूमि का मालिकाना हक सीधे किसानों (रैयत) के पास होता था, और वे सीधे ब्रिटिश सरकार को भू-राजस्व का भुगतान करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था ब्रिटिश भारत में लागू की गई थी, विशेषकर मद्रास, बॉम्बे, असम और कूर्ग के कुछ हिस्सों में। इसके प्रमुख प्रवर्तकों में थॉमस मुनरो और कैप्टन अलेक्जेंडर रीड थे। इसका उद्देश्य बिचौलियों (जमींदारों) को समाप्त करना और किसानों के हितों की रक्षा करना था, लेकिन व्यवहार में इसने अक्सर किसानों पर अत्यधिक कर का बोझ डाला।
- गलत विकल्प: जमींदार स्थायी बंदोबस्त (Permanent Settlement) का हिस्सा थे। ब्रिटिश सरकार कर वसूलती थी, लेकिन सीधे मालिकाना हक किसानों का था। बिचौलिए इस व्यवस्था में नहीं थे।
प्रश्न 10: कांग्रेस के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ की मांग को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया?
- 1929 लाहौर अधिवेशन
- 1931 कराची अधिवेशन
- 1937 फैजपुर अधिवेशन
- 1942 बंबई अधिवेशन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1929 का लाहौर अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी, कांग्रेस के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसी अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ (संपूर्ण स्वतंत्रता) के लक्ष्य को औपचारिक रूप से अपनाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन में कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से डोमिनियन स्टेटस (औपनिवेशिक स्वराज्य) की मांग छोड़ दी और पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की। 26 जनवरी 1930 को पहला स्वतंत्रता दिवस मनाने का भी निर्णय लिया गया।
- गलत विकल्प: 1931 का कराची अधिवेशन मौलिक अधिकारों और आर्थिक नीतियों पर केंद्रित था। 1937 का फैजपुर अधिवेशन एक गांव में आयोजित पहला कांग्रेस अधिवेशन था। 1942 का बंबई अधिवेशन भारत छोड़ो आंदोलन से संबंधित था।
प्रश्न 11: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?
- 1857
- 1885
- 1905
- 1920
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) की स्थापना 28 दिसंबर, 1885 को हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इसकी स्थापना का श्रेय ब्रिटिश सेवानिवृत्त अधिकारी ए.ओ. ह्यूम को जाता है। पहले अधिवेशन की अध्यक्षता व्योमेश चंद्र बनर्जी ने की थी और यह बॉम्बे (अब मुंबई) में आयोजित हुआ था। इसका प्रारंभिक उद्देश्य भारतीयों के लिए राजनीतिक अधिकारों की मांग करना और ब्रिटिश सरकार के साथ संवाद स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: 1857 विद्रोह का वर्ष है। 1905 में बंगाल विभाजन हुआ। 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ।
प्रश्न 12: ‘सहायक संधि’ (Subsidiary Alliance) की नीति किसने शुरू की थी?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सहायक संधि की नीति लॉर्ड वेलेस्ली, जो 1798 से 1805 तक भारत के गवर्नर-जनरल थे, द्वारा शुरू की गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय राज्यों को अपनी सेना भंग करनी पड़ती थी, ब्रिटिश सेना के रखरखाव के लिए भुगतान करना पड़ता था, और ब्रिटिश रेजीडेंट को अपनी राजधानी में रखना पड़ता था। इसके बदले में, ब्रिटिश सरकार उस राज्य की बाह्य आक्रमणों से रक्षा करने का वचन देती थी। इस नीति के माध्यम से ब्रिटिश शक्ति का विस्तार हुआ और भारतीय राज्य ब्रिटिश नियंत्रण में आ गए।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को समाप्त किया।
प्रश्न 13: सिंधु घाटी सभ्यता के किस स्थल से ‘घोड़े के अवशेष’ मिले हैं?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- सुरकोतड़ा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सिंधु घाटी सभ्यता के स्थल सुरकोतड़ा (गुजरात) से घोड़े के दंत अवशेष और कुछ अन्य हड्डियाँ मिली हैं, जो इस बात का संकेत देती हैं कि उस काल में घोड़े मौजूद थे।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि घोड़े का व्यापक उपयोग स्पष्ट नहीं है, सुरकोतड़ा से प्राप्त साक्ष्य महत्वपूर्ण हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो जैसे बड़े शहरों में घोड़े के प्रचुर मात्रा में साक्ष्य नहीं मिले हैं, जिससे इस विषय पर इतिहासकारों में बहस जारी है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल से घोड़े के बहुत स्पष्ट और बहुतायत में प्रमाण नहीं मिलते हैं, जैसा कि सुरकोतड़ा से मिले हैं।
प्रश्न 14: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ नामक ग्रंथ की रचना किसने की थी?
- जियाउद्दीन बरनी
- अमीर खुसरो
- इब्न बतूता
- मिन्हाज-उस-सिराज
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ नामक ग्रंथ की रचना जियाउद्दीन बरनी ने की थी। यह मध्यकालीन भारत के इतिहास, विशेष रूप से दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासनकाल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- संदर्भ और विस्तार: बरनी ने इस ग्रंथ में फिरोज शाह तुगलक के शासनकाल का विस्तृत वर्णन किया है, जिसमें उसकी नीतियों, सुधारों और प्रशासन की चर्चा है। यह ग्रंथ उस काल की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति को समझने में सहायक है।
- गलत विकल्प: अमीर खुसरो एक प्रसिद्ध कवि और संगीतकार थे जिन्होंने ‘तुगलकनामा’ जैसी रचनाएँ कीं। इब्न बतूता एक मोरक्को यात्री थे जिनकी यात्रा वृत्तांत (रेहला) भारत के बारे में जानकारी देता है। मिन्हाज-उस-सिराज ने ‘तबकात-ए-नासिरी’ की रचना की थी।
प्रश्न 15: महात्मा गांधी ने किस वर्ष ‘नमक सत्याग्रह’ (Dandi March) का नेतृत्व किया था?
- 1920
- 1930
- 1942
- 1947
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: महात्मा गांधी ने 1930 में नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया था, जिसकी शुरुआत 12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी तक 240 मील की यात्रा के साथ हुई थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक कानून को तोड़ना था, जो भारतीय नमक उत्पादन और वितरण पर एकाधिकार रखता था। 6 अप्रैल, 1930 को गांधीजी ने दांडी में नमक कानून तोड़ा, जिससे सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हुई। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था।
- गलत विकल्प: 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू हुआ। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ। 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली।
प्रश्न 16: इटली के एकीकरण (Risorgimento) का प्रमुख नेता कौन था?
- ओटो वॉन बिस्मार्क
- लुई सोलहवें
- गैरीबाल्डी
- नेपोलियन बोनापार्ट
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जियुसेप्पे गैरीबाल्डी (Giuseppe Garibaldi) इतालवी एकीकरण आंदोलन, जिसे रिसोर्जिमेंटो (Risorgimento) के नाम से जाना जाता है, का एक प्रमुख सैन्य और राजनीतिक नेता था।
- संदर्भ और विस्तार: गैरीबाल्डी ने ‘लाल शर्ट्स’ (Redshirts) के नाम से जानी जाने वाली अपनी सेना के साथ दक्षिणी इटली पर विजय प्राप्त की और उसे इटली के साम्राज्य में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। काउंट कैमिलो कैवूर (Count Camillo Cavour) को अक्सर एकीकरण का ‘दिमाग’ और विक्टर इमैनुएल द्वितीय को ‘राजा’ माना जाता है, जबकि गैरीबाल्डी को ‘तलवार’ कहा जाता है।
- गलत विकल्प: ओटो वॉन बिस्मार्क जर्मनी के एकीकरण के प्रमुख सूत्रधार थे। लुई सोलहवें फ्रांसीसी क्रांति के दौरान राजा थे। नेपोलियन बोनापार्ट ने यूरोप के बड़े हिस्से पर विजय प्राप्त की और पुनर्गठन किया, लेकिन इतालवी एकीकरण सीधे तौर पर उनका लक्ष्य नहीं था।
प्रश्न 17: संगम साहित्य किस दक्षिण भारतीय राजवंश के काल से संबंधित है?
- चोल
- चेर
- पांड्य
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संगम साहित्य, जो प्राचीन तमिल साहित्य का एक विशाल संग्रह है, चोल, चेर और पांड्य – इन तीनों प्रमुख दक्षिण भारतीय राजवंशों के काल (लगभग 300 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: संगम साहित्य इन राजवंशों के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन की अमूल्य जानकारी प्रदान करता है। इसमें प्रेम (अकम) और युद्ध/सार्वजनिक जीवन (पुरम) जैसे विषयों पर केंद्रित कविताएँ शामिल हैं। यह उस काल के समाज, रीति-रिवाजों और मान्यताओं का आईना है।
- गलत विकल्प: चूंकि संगम साहित्य तीनों राजवंशों के काल को कवर करता है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 18: ‘शेर-ए-पंजाब’ के नाम से कौन जाने जाते थे?
- भगत सिंह
- लाला लाजपत राय
- सरदार बल्लभभाई पटेल
- महात्मा गांधी
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: लाला लाजपत राय को ‘शेर-ए-पंजाब’ (Punjab ka Sher) के नाम से जाना जाता था।
- संदर्भ और विस्तार: वह एक प्रमुख राष्ट्रवादी नेता, लेखक और वकील थे, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने सक्रिय योगदान के लिए जाने जाते थे। उन्होंने साइमन कमीशन के बहिष्कार के दौरान हुए लाठीचार्ज में अपनी जान गंवाई थी।
- गलत विकल्प: भगत सिंह एक महान क्रांतिकारी थे। सरदार बल्लभभाई पटेल को ‘लौह पुरुष’ कहा जाता है। महात्मा गांधी ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।
प्रश्न 19: हड़प्पा संस्कृति के निर्माता कौन थे, इसके बारे में विभिन्न मत हैं। किस विद्वान ने इस संस्कृति के निर्माताओं को ‘आर्य’ माना है?
- एम. व्हीलर
- आर. डी. बनर्जी
- डॉ. एल. पी. तेस्सीटोरी
- डेल्स और के. डी. वाजपेयी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: डॉ. एल. पी. तेस्सीटोरी (Dr. L. P. Tessitori) एकमात्र ऐसे विद्वान थे जिन्होंने हड़प्पा संस्कृति के निर्माताओं को ‘आर्य’ माना।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, यह मत व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। अधिकांश पुरातत्वविदों और इतिहासकारों का मानना है कि हड़प्पा संस्कृति के निर्माता द्रविड़ या पूर्व-वैदिक लोग थे, न कि बाद में आने वाले आर्य। तेस्सीटोरी ने इस संस्कृति के अभिलेखों को भी पढ़ने का असफल प्रयास किया था।
- गलत विकल्प: एम. व्हीलर ने हड़प्पा को ‘इंद्र’ का शहर कहा था और आर्य आक्रमण सिद्धांत का समर्थन किया, लेकिन निर्माता आर्य नहीं माने। आर. डी. बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खुदाई की थी और द्रविड़ संबंध का संकेत दिया। डेल्स और के. डी. वाजपेयी जैसे विद्वानों ने भी विभिन्न मत प्रस्तुत किए, लेकिन निर्माता के रूप में आर्यों को तेस्सीटोरी ने ही माना।
प्रश्न 20: ‘पानीपत का दूसरा युद्ध’ किनके बीच लड़ा गया था?
- बाबर और इब्राहिम लोदी
- अकबर और हेमू
- अकबर और राणा प्रताप
- शिवाजी और अफजल खान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पानीपत का दूसरा युद्ध 5 नवंबर, 1556 को मुगल सम्राट अकबर और अफगानों के शासक हेमू (हेमचंद्र विक्रमादित्य) के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में अकबर की विजय हुई और इसने मुगल साम्राज्य की स्थापना को मजबूती प्रदान की। हेमू दिल्ली का अंतिम हिंदू शासक बनना चाहता था और उसने कई प्रदेशों पर विजय प्राप्त की थी, लेकिन पानीपत की लड़ाई में उसकी पराजय हुई।
- गलत विकल्प: पानीपत का पहला युद्ध (1526) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था। अकबर और राणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा गया था। शिवाजी और अफजल खान के बीच प्रतापगढ़ का युद्ध हुआ था।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाली समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?
- जवाहरलाल नेहरू
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद
- डॉ. बी. आर. अंबेडकर
- सरदार बल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
- संदर्भ और विस्तार: डॉ. अंबेडकर को भारतीय संविधान का मुख्य वास्तुकार माना जाता है। मसौदा समिति ने भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसमें उन्होंने गहन शोध और विचार-विमर्श के बाद एक विस्तृत और व्यापक संविधान तैयार किया।
- गलत विकल्प: जवाहरलाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे और उन्होंने उद्देश्य प्रस्ताव (Objective Resolution) पेश किया था। डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष और बाद में भारत के पहले राष्ट्रपति बने। सरदार बल्लभभाई पटेल ने रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 22: ‘गीत गोविंद’ का रचयिता कौन है?
- कबीर
- तुलसीदास
- जयदेव
- सूरदास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: ‘गीत गोविंद’ की रचना 12वीं शताब्दी के संस्कृत कवि जयदेव ने की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक महाकाव्य कविता है जो भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का वर्णन करती है। यह वैष्णव संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है और भारतीय शास्त्रीय संगीत तथा नृत्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है। जयदेव, बंगाल के शासक लक्ष्मण सेन के राजदरबार से जुड़े थे।
- गलत विकल्प: कबीर 15वीं सदी के संत कवि थे। तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। सूरदास 16वीं सदी के भक्त कवि थे जिन्होंने ‘सूरसागर’ लिखा।
प्रश्न 23: भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के संदर्भ में ‘सन्यासी विद्रोह’ का उल्लेख किस पुस्तक में मिलता है?
- आनंदमठ
- डिस्कवरी ऑफ इंडिया
- माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ
- The Indian Struggle
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के प्रसिद्ध उपन्यास ‘आनंदमठ’ में 18वीं शताब्दी के अंत में हुए सन्यासी विद्रोह का उल्लेख है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विद्रोह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक प्रारंभिक कृषक विद्रोह था, जिसमें भगवा वस्त्र पहने संन्यासियों ने भाग लिया था। ‘आनंदमठ’ भारतीय राष्ट्रवाद के विकास में एक महत्वपूर्ण साहित्यिक कृति मानी जाती है और इसी से भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ लिया गया है।
- गलत विकल्प: ‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ जवाहरलाल नेहरू द्वारा लिखी गई थी। ‘माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रुथ’ महात्मा गांधी की आत्मकथा है। ‘The Indian Struggle’ सुभाष चंद्र बोस द्वारा लिखी गई थी।
प्रश्न 24: निम्नलिखित में से किस क्रांति को ‘जनता की क्रांति’ या ‘महान सर्वहारा क्रांति’ के रूप में जाना जाता है?
- फ्रांसीसी क्रांति (1789)
- रूसी क्रांति (1917)
- औद्योगिक क्रांति
- अमेरिकी क्रांति (1776)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1917 की रूसी क्रांति को ‘जनता की क्रांति’ या ‘महान सर्वहारा क्रांति’ के रूप में जाना जाता है, क्योंकि इसने रूस में ज़ारशाही को समाप्त कर साम्यवादी (कम्युनिस्ट) शासन की स्थापना की, जिसका नेतृत्व सर्वहारा वर्ग (श्रमिक वर्ग) ने किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति के परिणामस्वरूप सोवियत संघ का गठन हुआ और इसने 20वीं सदी के वैश्विक इतिहास को गहराई से प्रभावित किया। इसके प्रमुख नेता व्लादिमीर लेनिन थे।
- गलत विकल्प: फ्रांसीसी क्रांति ने सामंतवाद और राजशाही को चुनौती दी। औद्योगिक क्रांति ने उत्पादन के तरीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाए। अमेरिकी क्रांति ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की। ये सभी महत्वपूर्ण क्रांतियाँ थीं, लेकिन ‘सर्वहारा क्रांति’ का विशिष्ट संदर्भ रूसी क्रांति से जुड़ा है।
प्रश्न 25: वर्ष 1857 के विद्रोह के तत्काल बाद ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक क्या था?
- ईस्ट इंडिया कंपनी को समाप्त कर भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन के अधीन ले लिया गया।
- भारतीयों को सेना में उच्च पदों पर नियुक्त किया गया।
- भारत में संसदीय प्रणाली की शुरुआत की गई।
- देशी रियासतों का पूर्ण विलय कर लिया गया।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया और भारत का शासन सीधे ब्रिटिश क्राउन (महारानी विक्टोरिया) के अधीन ले लिया। यह 1858 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिनियम ने भारत में कंपनी के शासन को समाप्त कर दिया, गवर्नर-जनरल का पद बदलकर वायसराय कर दिया गया, और भारत सचिव (Secretary of State for India) के पद का सृजन किया गया, जो ब्रिटिश संसद के प्रति जवाबदेह होता था। इस बदलाव का उद्देश्य भविष्य में ऐसे विद्रोहों को रोकना और बेहतर शासन स्थापित करना था।
- गलत विकल्प: विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों को सेना में उच्च पदों पर नियुक्त करने के बजाय, ब्रिटिश सैनिकों का अनुपात बढ़ाया और भारतीयों को संवेदनशील पदों से दूर रखा। संसदीय प्रणाली की शुरुआत बहुत बाद में हुई। देशी रियासतों का पूर्ण विलय नीति विद्रोह के बाद भी जारी रही, लेकिन यह एक ऐसा कदम नहीं था जो विद्रोह के ‘तत्काल बाद’ उठाया गया मुख्य संवैधानिक बदलाव हो।
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