ज्ञान की कसौटी: आज का ऐतिहासिक महा-मॉक टेस्ट!
इतिहास के गलियारों में एक बार फिर आपका स्वागत है! क्या आप प्राचीन सभ्यताओं की गहराइयों, मध्यकालीन साम्राज्यों की भव्यता, आधुनिक भारत के संघर्षों और विश्व के महत्वपूर्ण पड़ावों को याद रखने के लिए तैयार हैं? आज का यह 25-प्रश्नों का महा-मॉक टेस्ट आपकी ऐतिहासिक समझ की परीक्षा लेगा और आपको परीक्षा की राह पर एक कदम और आगे बढ़ाएगा। चलिए, समय की यात्रा शुरू करते हैं!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल ‘सिंधु का बाग’ (Monuments of the Indus) कहलाता था?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- लोथल
- धौलावीरा
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो, जिसका अर्थ ‘मृतकों का टीला’ है, सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण शहरों में से एक था। इसकी शानदार वास्तुकला, विशाल स्नानागार और सुनियोजित सड़कें इसे ‘सिंधु का बाग’ या ‘सिंधु का महा-स्थल’ बनाती थीं, जो उस समय की परिष्कृत शहरी नियोजन का प्रमाण है।
- संदर्भ और विस्तार: मोहनजोदड़ो वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नदी के तट पर स्थित था। इसकी खुदाई 1922 में आर. डी. बनर्जी द्वारा की गई थी। यहाँ से मिली सबसे प्रसिद्ध वस्तु ‘पशुपति महादेव’ की मुहर है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा पहला स्थल था जिसे खोजा गया था। लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था, और धौलावीरा अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए जाना जाता है।
प्रश्न 2: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: समुद्रगुप्त (लगभग 335-375 ई.) को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि उनके व्यापक सैन्य विजयों और साम्राज्य के विस्तार के कारण दी गई थी। उन्होंने लगभग संपूर्ण भारत को अपने अधीन कर लिया था और कई पड़ोसी राज्यों पर भी विजय प्राप्त की थी।
- संदर्भ और विस्तार: इस उपाधि का श्रेय इतिहासकार ए. एल. श्रीवास्तव को दिया जाता है। उनके दरबारी कवि हरिसेन द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति (इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख) में उनकी विजयों का विस्तृत वर्णन है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक था। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने अपने शासनकाल में गुप्त साम्राज्य को शिखर पर पहुँचाया और कला, साहित्य तथा विज्ञान को संरक्षण दिया। कुमारगुप्त ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नया कृषि विभाग स्थापित किया था?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- मोहम्मद बिन तुगलक
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहम्मद बिन तुगलक (शासनकाल 1325-1351 ई.) ने कृषि के विकास और विस्तार के उद्देश्य से ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ नामक एक नया कृषि विभाग स्थापित किया था। इसका उद्देश्य किसानों को सीधे सहायता देना और कृषि उत्पादन बढ़ाना था।
- संदर्भ और विस्तार: इस विभाग के माध्यम से, सुल्तान ने परती भूमि को खेती योग्य भूमि में बदलने के लिए योजनाएं चलाईं और किसानों को ऋण (सोनधर) भी प्रदान किए। हालांकि, उनकी अन्य नीतियों की तरह, यह भी पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने चालीसा (तुर्क-ए-चहलगानी) का गठन किया। बलबन ने राजत्व सिद्धांत पर जोर दिया और चालीसा को समाप्त किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।
प्रश्न 4: ‘अष्टप्रधान’ नामक आठ मंत्रियों की एक परिषद किस साम्राज्य में थी?
- मौर्य साम्राज्य
- गुप्त साम्राज्य
- चोल साम्राज्य
- मराठा साम्राज्य
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘अष्टप्रधान’ शिवाजी महाराज के शासनकाल में मराठा साम्राज्य में मंत्रियों की एक परिषद थी। इसमें आठ मंत्री होते थे जो राज्य के विभिन्न विभागों का प्रमुख होते थे।
- संदर्भ और विस्तार: इन आठ मंत्रियों में पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सचिव (गृह सचिव), सुमंत (विदेश मंत्री), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडितराव (धार्मिक मामलों के प्रमुख), न्यायाधीश (न्याय प्रमुख) और वाकया नवीस (गुप्तचर प्रमुख) शामिल थे। यह परिषद शिवाजी के कुशल प्रशासन का आधार थी।
- गलत विकल्प: मौर्य और गुप्त साम्राज्यों में भी मंत्री परिषदें थीं, लेकिन उन्हें ‘अष्टप्रधान’ नहीं कहा जाता था। चोल साम्राज्य का प्रशासन भी सुव्यवस्थित था, लेकिन ‘अष्टप्रधान’ की व्यवस्था मराठों की विशिष्टता थी।
प्रश्न 5: 1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश किसने दिया था?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड मिंटो द्वितीय
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1905 में बंगाल के विभाजन का आदेश तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने दिया था। उन्होंने तर्क दिया था कि बंगाल का प्रशासन चलाना कठिन हो रहा है और इसे प्रशासनिक सुविधा के लिए विभाजित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, विभाजन के पीछे ब्रिटिश सरकार का असली उद्देश्य ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का पालन करना और राष्ट्रवादी आंदोलन को कमजोर करना था। इस विभाजन ने भारतीयों के बीच तीव्र आक्रोश पैदा किया और स्वदेशी और बहिष्कार आंदोलन को जन्म दिया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड मिंटो द्वितीय ने 1909 में मॉर्ले-मिंटो सुधारों को लागू किया। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय थे और 1857 के विद्रोह के दौरान पद पर थे।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सी नदी हड़प्पा संस्कृति के पतन का एक संभावित कारण मानी जाती है?
- गंगा
- यमुना
- घग्गर-हकरा
- ब्रह्मपुत्र
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: घग्गर-हकरा नदी (जिसे सरस्वती नदी के रूप में भी पहचाना जाता है) के सूखने या मार्ग बदलने को सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के संभावित कारणों में से एक माना जाता है। यह सभ्यता बड़े पैमाने पर इस नदी प्रणाली पर निर्भर थी।
- संदर्भ और विस्तार: पुरातात्विक और जलवायु संबंधी अध्ययनों से पता चला है कि इस क्षेत्र की जलवायु में बदलाव आया, जिससे नदी का प्रवाह कम हो गया या वह सूख गई। जल की कमी और कृषि का विनाश इस महान सभ्यता के क्षरण का कारण बना होगा।
- गलत विकल्प: गंगा, यमुना और ब्रह्मपुत्र नदियाँ उस समय हड़प्पा सभ्यता के मुख्य भौगोलिक क्षेत्र से दूर थीं और इसके पतन में सीधा योगदान नहीं देतीं।
प्रश्न 7: ‘सौदागरों के राजकुमार’ के रूप में किसे जाना जाता है, जिसने भारत की यात्रा की और मार्को पोलो के यात्रा वृत्तांतों से प्रभावित किया?
- इब्न बतूता
- अल-बरुनी
- फाह्यान
- ह्वेन त्सांग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: इब्न बतूता, जो मोरक्को से थे, को अक्सर ‘सौदागरों के राजकुमार’ (Prince of Merchants) के रूप में जाना जाता है, हालाँकि यह उपाधि कम प्रचलित है। वह 14वीं शताब्दी में भारत आए थे और मुहम्मद बिन तुगलक के दरबार में काजी के पद पर रहे। उनके यात्रा वृत्तांत, ‘किताब-उल-रेहला’, तत्कालीन भारतीय समाज और संस्कृति की मूल्यवान जानकारी प्रदान करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इब्न बतूता की यात्राओं ने बाद के यात्रियों और खोजकर्ताओं को प्रेरित किया। मार्को पोलो, हालांकि इब्न बतूता से बहुत पहले (13वीं शताब्दी) भारत आए थे, उनके यात्रा वृत्तांतों ने भी यूरोप में भारत के प्रति रुचि जगाई थी। इब्न बतूता का वर्णन काफी विस्तृत और व्यावहारिक है।
- गलत विकल्प: अल-बरुनी 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवी के साथ भारत आए थे और ‘किताब-उल-हिंद’ लिखी। फाह्यान और ह्वेन त्सांग क्रमशः गुप्त और हर्षवर्धन काल में भारत आए चीनी यात्री थे।
प्रश्न 8: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘अमुक्तमाल्यादा’ नामक तेलुगु काव्य की रचना की?
- देवराय प्रथम
- कृष्ण देवराय
- अच्युत देवराय
- सदाशिव राय
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: कृष्ण देवराय (शासनकाल 1509-1529 ई.) विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे और उन्होंने तेलुगु साहित्य के स्वर्ण युग का नेतृत्व किया। उन्होंने स्वयं ‘अमुक्तमाल्यादा’ नामक एक महान कृति की रचना की, जो भगवान विष्णु के अवतार और श्रीविल्लिपुत्तूर की देवी गोदा देवी की कहानी पर आधारित है।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्ण देवराय स्वयं एक विद्वान और कवि थे। उनके दरबार में तेलुगु के आठ महान विद्वान (अष्टदिग्गज) रहते थे। ‘अमुक्तमाल्यादा’ को विजयनगर काल की सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृतियों में गिना जाता है।
- गलत विकल्प: अन्य विजयनगर शासकों ने भी साहित्य को संरक्षण दिया, लेकिन ‘अमुक्तमाल्यादा’ की रचना कृष्ण देवराय ने ही की थी।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?
- डलहौजी की लैप्स की नीति
- भारतीयों का ईसाईकरण
- एनफील्ड राइफलों में प्रयुक्त चर्बी युक्त कारतूस
- सती प्रथा का उन्मूलन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण नई एनफील्ड राइफलों में प्रयुक्त चर्बी युक्त कारतूस थे, जिनके बारे में अफवाह थी कि वे गाय और सूअर की चर्बी से बने होते हैं। यह कारतूसों को दांतों से खोलना पड़ता था, जिससे हिंदू और मुस्लिम सैनिकों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि, इस विद्रोह के पीछे कई दीर्घकालिक कारण थे, जैसे कि ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियां, व्यपगत की नीति, सामाजिक और धार्मिक हस्तक्षेप, आर्थिक शोषण और सेना में भारतीयों के साथ भेदभाव। तात्कालिक चिंगारी कारतूस ही थी, लेकिन असंतोष का लावा पहले से उबल रहा था।
- गलत विकल्प: डलहौजी की लैप्स की नीति और भारतीयों का ईसाईकरण जैसे मुद्दे विद्रोह के दीर्घकालिक कारणों में थे, लेकिन तात्कालिक कारण कारतूस थे। सती प्रथा का उन्मूलन ब्रिटिश सामाजिक सुधार का हिस्सा था, लेकिन यह प्रत्यक्ष रूप से विद्रोह का कारण नहीं बना।
प्रश्न 10: ‘दीन-ए-इलाही’ नामक एक नए धर्म की शुरुआत किस मुगल बादशाह ने की थी?
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
- औरंगजेब
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ की शुरुआत मुगल बादशाह अकबर ने 1582 ई. में की थी। यह एक ऐसा धार्मिक-दार्शनिक विचार था जो विभिन्न धर्मों के सिद्धांतों को मिलाकर बनाया गया था, जिसका उद्देश्य सभी धर्मों के अनुयायियों को एक सूत्र में पिरोना था।
- संदर्भ और विस्तार: दीन-ए-इलाही का अर्थ है ‘ईश्वर का धर्म’। इसमें हिंदू, इस्लाम, पारसी, ईसाई और अन्य धर्मों के विचारों का समन्वय था। अकबर स्वयं इसका मुखिया था और उसने अपने अनुयायियों को ‘मुरीद’ (शिष्य) के रूप में स्वीकार किया। यह अपने अनुयायियों के बीच सीमित रहा और इसे सफल धर्म के रूप में स्वीकार नहीं किया गया।
- गलत विकल्प: जहाँगीर ने कला और चित्रकला को बढ़ावा दिया। शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण करवाया। औरंगजेब ने इस्लामी रूढ़िवाद को बढ़ावा दिया और कई गैर-इस्लामी प्रथाओं पर रोक लगाई।
प्रश्न 11: पुनर्जागरण काल (Renaissance) का प्रारंभ किस यूरोपीय देश में हुआ?
- फ्रांस
- इंग्लैंड
- इटली
- स्पेन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: पुनर्जागरण काल (Renaissance) का प्रारंभ 14वीं शताब्दी में इटली में हुआ था। फ्लोरेंस, वेनिस और रोम जैसे शहर पुनर्जागरण कला, साहित्य और विज्ञान के प्रमुख केंद्र बने।
- संदर्भ और विस्तार: पुनर्जागरण का अर्थ है ‘पुनर्जन्म’। यह मध्ययुगीन काल के बाद यूरोपीय इतिहास का वह दौर था जब कला, साहित्य, दर्शन और विज्ञान में प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यताओं की शास्त्रीय परंपराओं का पुनरुद्धार हुआ। लियोनार्डो दा विंची, माइकल एंजेलो, राफेल जैसे महान कलाकार इसी युग के थे।
- गलत विकल्प: फ्रांस, इंग्लैंड और स्पेन में भी पुनर्जागरण का प्रभाव पड़ा, लेकिन इसका उद्गम और प्रारंभिक विकास इटली में ही हुआ था।
प्रश्न 12: ‘बाबरनामा’ किस भाषा में लिखा गया था?
- फारसी
- तुर्की (चगताई)
- अरबी
- उर्दू
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘बाबरनामा’ (जिसे ‘तुज़ुक-ए-बाबरी’ भी कहा जाता है) मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर की आत्मकथा है, जो मूल रूप से तुर्की (चगताई) भाषा में लिखी गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह बाबर के जीवन, उसकी विजयों, राजनीतिक विचारों और उस समय के भारत के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन का एक मूल्यवान ऐतिहासिक स्रोत है। बाद में, इसका फारसी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया गया।
- गलत विकल्प: मुगल दरबार की आधिकारिक भाषा फारसी थी, लेकिन बाबर ने अपनी आत्मकथा अपनी मातृभाषा में लिखी। अरबी और उर्दू उस समय उस रूप में प्रचलित नहीं थे।
प्रश्न 13: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- रक्त और लोह
- प्रत्येक को उसकी क्षमता के अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार
- अतीत को भूल जाओ
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का सबसे प्रसिद्ध नारा ‘लिबर्टे, एगैलिते, फ्रेटरनिते’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका अनुवाद ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ है। यह नारा क्रांति के आदर्शों और उद्देश्यों का सार प्रस्तुत करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इन आदर्शों ने न केवल फ्रांस, बल्कि पूरे विश्व में लोकतांत्रिक आंदोलनों को प्रेरित किया। स्वतंत्रता का अर्थ था व्यक्तिगत स्वतंत्रता और राजनीतिक दमन से मुक्ति। समानता का अर्थ था कानून के समक्ष सभी की बराबरी और विशेषाधिकारों का अंत। बंधुत्व का अर्थ था राष्ट्रीय एकता और नागरिकों के बीच भाईचारा।
- गलत विकल्प: ‘रक्त और लोह’ बिस्मार्क से जुड़ा है। तीसरा नारा साम्यवाद से संबंधित है, और चौथा कोई प्रमुख ऐतिहासिक नारा नहीं है।
प्रश्न 14: दक्षिण भारत में ‘द्रविड़ शैली’ में निर्मित मंदिरों के प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित में से कौन हैं?
- खजुराहो के मंदिर
- कोणार्क का सूर्य मंदिर
- मीनाक्षी मंदिर, मदुरै
- कांचीपुरम के कैलाशनाथ मंदिर
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मदुरै में स्थित मीनाक्षी मंदिर द्रविड़ शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। द्रविड़ शैली की पहचान ऊँचे गोपुरम (प्रवेश द्वार), विशाल प्रांगण, और पिरामिडनुमा शिखर वाली संरचनाओं से होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मीनाक्षी मंदिर, जिसका विस्तार पांड्य शासकों के समय हुआ, अपनी भव्यता, जटिल नक्काशी और रंगीन मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। कांचीपुरम के कैलाशनाथ मंदिर (पल्लव शासकों द्वारा निर्मित) भी द्रविड़ शैली की प्राचीनतम संरचनाओं में से हैं।
- गलत विकल्प: खजुराहो के मंदिर नागर शैली के हैं। कोणार्क का सूर्य मंदिर कलिंग शैली का एक प्रमुख उदाहरण है।
प्रश्न 15: 1929 में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के रूप में, जिन्ना ने ‘चौदह सूत्रीय कार्यक्रम’ कहाँ प्रस्तुत किया?
- दिल्ली
- लखनऊ
- कोलकाता
- बॉम्बे
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 1929 में, मोहम्मद अली जिन्ना ने, जो उस समय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष थे, मुस्लिम लीग के बॉम्बे अधिवेशन में अपने ‘चौदह सूत्रीय कार्यक्रम’ को प्रस्तुत किया था। यह कार्यक्रम साइमन कमीशन की रिपोर्ट के जवाब में और नेहरू रिपोर्ट के विरोध में था।
- संदर्भ और विस्तार: इस कार्यक्रम का उद्देश्य मुस्लिमों के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग करना था, जिसमें पृथक निर्वाचक मंडल, केंद्रीय विधानमंडल में मुस्लिम सीटों का आरक्षण, और संघीय ढांचे में राज्यों के अधिकारों की सुरक्षा शामिल थी।
- गलत विकल्प: जिन्ना ने यह कार्यक्रम बॉम्बे में प्रस्तुत किया था, न कि दिल्ली, लखनऊ या कोलकाता में।
प्रश्न 16: हड़प्पा सभ्यता के किस स्थल से ‘नृत्यरत बालिका’ की कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है?
- हड़प्पा
- मोहनजोदड़ो
- चन्हुदड़ो
- लोथल
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मोहनजोदड़ो से ‘नृत्यरत बालिका’ (Dancing Girl) की प्रसिद्ध कांस्य प्रतिमा प्राप्त हुई है। यह प्रतिमा हड़प्पा सभ्यता की कलात्मक और तकनीकी प्रगति को दर्शाती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह लगभग 4 इंच लंबी, अत्यंत सजीव और गतिशील मुद्रा वाली प्रतिमा है, जो उस काल के धातु ढलाई (lost-wax casting) की उन्नत तकनीक को प्रदर्शित करती है। यह प्रतिमा आज राष्ट्रीय संग्रहालय, नई दिल्ली में संग्रहित है।
- गलत विकल्प: हड़प्पा से ‘दाढ़ी वाला पुजारी’ की प्रतिमा मिली है। चन्हुदड़ो को मनके बनाने का कारखाना और हड़प्पा की संस्कृति का अग्रदूत माना जाता है। लोथल एक बंदरगाह शहर था।
प्रश्न 17: इल्तुतमिश के शासनकाल में, चालीसा (तुर्क-ए-चहलगानी) नामक 40 तुर्क सरदारों का एक गुट बनाया गया था। इस समूह का क्या उद्देश्य था?
- सुल्तान की रक्षा करना
- साम्राज्य की शांति व्यवस्था बनाए रखना
- सुल्तान को सलाह देना और प्रशासन में सहायता करना
- विद्रोहियों को दबाना
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: इल्तुतमिश ने 40 शक्तिशाली तुर्क सरदारों का एक समूह बनाया था, जिसे ‘चालीसा’ या ‘तुर्क-ए-चहलगानी’ के नाम से जाना जाता था। इस समूह का मुख्य उद्देश्य सुल्तान को प्रशासन चलाने में सलाह देना और उसकी सहायता करना था।
- संदर्भ और विस्तार: यह समूह शुरू में इल्तुतमिश की शक्ति को मजबूत करने और ताजिक (गैर-तुर्क) विरोधियों को नियंत्रित करने में सहायक था। हालाँकि, बाद में इसी समूह ने दिल्ली सल्तनत के कई सुल्तानों के पतन में भी भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: हालांकि इन सरदारों का प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से सुल्तान की रक्षा और शांति व्यवस्था बनाए रखने में भी होता था, लेकिन उनका प्राथमिक औपचारिक कार्य सलाह देना और प्रशासन में सहायता करना था। विद्रोहियों को दबाना भी उनका कार्य हो सकता था, लेकिन वह प्रशासनिक भूमिका का हिस्सा था।
प्रश्न 18: किस शासक ने ‘जागीरदारी प्रथा’ को समाप्त कर ‘मनसबदारी प्रथा’ को लागू किया, जिससे प्रशासन में अधिक व्यवस्था आई?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: मुगल बादशाह अकबर ने प्रशासनिक और सैन्य व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने के लिए ‘मनसबदारी प्रथा’ की शुरुआत की थी। इस प्रथा ने जागीरदारी प्रथा के कई दोषों को दूर किया, जिसमें मनसबदारों को जागीरों के स्थान पर वेतन दिया जाना शामिल था।
- संदर्भ और विस्तार: मनसबदारी प्रथा में, अधिकारियों को उनकी सेवा के आधार पर एक ‘मनसब’ (पद) प्रदान किया जाता था, जो उनकी सैन्य शक्ति (सवारों की संख्या) और वेतन निर्धारित करता था। यह एक केंद्रीकृत प्रणाली थी, जिसने साम्राज्य को मजबूत करने में मदद की।
- गलत विकल्प: हुमायूँ ने जागीरदारी प्रथा का ही कुछ हद तक प्रयोग किया। जहाँगीर और शाहजहाँ ने मनसबदारी प्रथा को जारी रखा और उसमें कुछ संशोधन किए, लेकिन इसकी शुरुआत अकबर ने की थी।
प्रश्न 19: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) में कौन सा प्रमुख देश शामिल नहीं था?
- ग्रेट ब्रिटेन
- फ्रांस
- रूस
- संयुक्त राज्य अमेरिका
उत्तर: (d)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध में, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) शुरू में तटस्थ रहा और 1917 में युद्ध में शामिल हुआ। इसलिए, युद्ध के अधिकांश भाग के दौरान यह मित्र राष्ट्रों का प्रमुख हिस्सा नहीं था, हालांकि बाद में इसकी भूमिका निर्णायक साबित हुई।
- संदर्भ और विस्तार: प्रथम विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) में मुख्य रूप से ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, इटली (1915 के बाद) और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल थे। धुरी राष्ट्रों (Central Powers) में जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी, ओटोमन साम्राज्य और बुल्गारिया शामिल थे।
- गलत विकल्प: ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस और रूस युद्ध के प्रारंभ से ही मित्र राष्ट्रों के प्रमुख सदस्य थे।
प्रश्न 20: निम्नलिखित में से कौन से समाज सुधारक ने ‘वेद समाज’ की स्थापना की थी?
- राजा राममोहन राय
- स्वामी दयानंद सरस्वती
- केशव चंद्र सेन और श्रीधर नायडू
- ज्योतिबा फुले
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘वेद समाज’ की स्थापना 1864 ई. में मद्रास (चेन्नई) में केशव चंद्र सेन और श्रीधर नायडू जैसे व्यक्तियों द्वारा की गई थी। यह एक ब्रह्म समाजी आंदोलन था जो एकेश्वरवाद के प्रचार और सामाजिक सुधारों पर केंद्रित था।
- संदर्भ और विस्तार: वेद समाज को ‘दक्षिण का ब्रह्म समाज’ भी कहा जाता है। इसका उद्देश्य वेदों के एकेश्वरवादी सिद्धांतों को बढ़ावा देना और जाति व्यवस्था, बाल विवाह आदि जैसी कुरीतियों का विरोध करना था।
- गलत विकल्प: राजा राममोहन राय ने ‘आत्मीय सभा’ और ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की। ज्योतिबा फुले ने ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की थी।
प्रश्न 21: चोल साम्राज्य का प्रसिद्ध नौसेना प्रमुख कौन था?
- राजराज प्रथम
- राजरजेंद्र चोल प्रथम
- करिकाल
- कुलतुंग प्रथम
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: चोल शासक राजराज प्रथम (शासनकाल 985-1014 ई.) ने एक अत्यंत शक्तिशाली नौसेना का निर्माण किया, जिसने चोलों को दक्षिण-पूर्व एशिया तक अपनी शक्ति का विस्तार करने में सक्षम बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: राजराज प्रथम ने श्रीलंकाई अभियानों में अपनी नौसेना का सफलतापूर्वक उपयोग किया और मालदीव पर भी नियंत्रण स्थापित किया। उसकी नौसेना व्यापार मार्गों की सुरक्षा और साम्राज्य के विस्तार में महत्वपूर्ण साबित हुई।
- गलत विकल्प: राजराजेंद्र चोल प्रथम ने अपने पिता की नौसैनिक परंपरा को जारी रखा और उत्तर भारत तक अभियान चलाया। करिकाल एक प्राचीन चोल शासक था जो अपनी नौसैनिक विजयों के लिए जाना जाता है। कुलतुंग प्रथम ने भी साम्राज्य का विस्तार किया। हालाँकि, राजराज प्रथम को शक्तिशाली नौसेना के निर्माण का श्रेय दिया जाता है।
प्रश्न 22: किस वायसराय के कार्यकाल में भारत में पहली बार ‘जनगणना’ (Census) हुई?
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड लिटन
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: भारत में पहली, अनौपचारिक जनगणना 1872 में लॉर्ड मेयो के कार्यकाल में हुई थी, लेकिन एक नियमित और व्यवस्थित जनगणना की शुरुआत 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड रिपन को ‘भारत के स्थानीय स्वशासन का जनक’ भी कहा जाता है। उन्होंने 1881 में एक वैज्ञानिक और व्यवस्थित जनगणना करवाई, जो उसके बाद हर दस साल में नियमित रूप से होती रही है।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डफरिन के समय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई। लॉर्ड कर्जन ने बंगाल का विभाजन किया। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट लागू किया।
प्रश्न 23: ‘सहायक संधि प्रणाली’ (Subsidiary Alliance) का जनक किसे माना जाता है?
- लॉर्ड कॉर्नवालिस
- सर जॉन शोर
- लॉर्ड वेलेस्ली
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
उत्तर: (c)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: ‘सहायक संधि प्रणाली’ को लागू करने और इसके माध्यम से ब्रिटिश प्रभाव को बढ़ाने का श्रेय लॉर्ड वेलेस्ली (भारत में गवर्नर-जनरल 1798-1805) को जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना भंग करनी पड़ती थी और ब्रिटिश सेना को अपने राज्य में रखना पड़ता था, जिसका खर्च वे स्वयं वहन करते थे। बदले में, ब्रिटिश उनकी रक्षा अन्य बाहरी आक्रमणों और आंतरिक विद्रोहों से करने का वादा करते थे। इसके माध्यम से वेलेजली ने कई भारतीय राज्यों को ब्रिटिश नियंत्रण में ले लिया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवालिस ने स्थायी बंदोबस्त लागू किया। सर जॉन शोर ने अहस्तक्षेप की नीति अपनाई। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का उन्मूलन किया।
प्रश्न 24: असहयोग आंदोलन (1920-22) के दौरान किस घटना के कारण महात्मा गांधी ने आंदोलन को अचानक स्थगित कर दिया?
- चौरी-चौरा की घटना
- जलियांवाला बाग हत्याकांड
- साइमन कमीशन का आगमन
- पूर्ण स्वराज की मांग
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: 5 फरवरी, 1922 को चौरी-चौरा (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) में हुई हिंसक घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को स्थगित कर दिया था। इस घटना में भीड़ ने एक पुलिस थाने में आग लगा दी थी, जिससे 22 पुलिसकर्मी मारे गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी अहिंसा के प्रबल समर्थक थे और इस हिंसा ने उन्हें बहुत आहत किया। उन्होंने महसूस किया कि जनता अभी भी पूरी तरह से अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाने के लिए तैयार नहीं है, इसलिए उन्होंने आंदोलन को वापस ले लिया। इस निर्णय से कांग्रेस के कई नेता, जैसे सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू, असहमत थे।
- गलत विकल्प: जलियांवाला बाग हत्याकांड 1919 में हुआ था और इसने असहयोग आंदोलन के लिए जमीन तैयार की थी। साइमन कमीशन 1928 में आया था। पूर्ण स्वराज की मांग 1929 के लाहौर अधिवेशन में की गई थी।
प्रश्न 25: किस इतिहासकार ने हड़प्पा सभ्यता को ‘सैंधव सभ्यता’ नाम दिया?
- सर जॉन मार्शल
- आर. डी. बनर्जी
- दयाराम साहनी
- डॉ. अमलानंद घोष
उत्तर: (a)
विस्तृत व्याख्या:
- सत्यता: सर जॉन मार्शल, जो भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के तत्कालीन महानिदेशक थे, ने 1924 में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खोजों की घोषणा की थी। उन्होंने ही इस सभ्यता को ‘सैंधव सभ्यता’ (Indus Civilization) नाम दिया, क्योंकि इसके प्रमुख स्थल सिंधु नदी के किनारे पाए गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: सर जॉन मार्शल के निर्देशन में ही हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई हुई थी, जिसने प्राचीन भारतीय इतिहास के कालक्रम को काफी पीछे धकेल दिया। यह नाम आज भी इस सभ्यता के लिए व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है।
- गलत विकल्प: आर. डी. बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खुदाई का नेतृत्व किया। दयाराम साहनी ने हड़प्पा की खुदाई का नेतृत्व किया। डॉ. अमलानंद घोष ने कालीबंगा और लोथल जैसे स्थलों पर महत्वपूर्ण कार्य किया।
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