एक्टर की रैली में 40 मौतें: धमकी, भगदड़ और CBI जांच की मांग – क्या आज हाईकोर्ट से मिलेगा न्याय?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में एक हाई-प्रोफाइल अभिनेता की चुनावी रैली के दौरान हुई भीषण भगदड़ में 40 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई। इस घटना ने न केवल देश को झकझोर कर रख दिया है, बल्कि इसने सुरक्षा व्यवस्था, राजनीतिक रैलियों के आयोजन के नियमों और सत्ता के गलियारों में व्याप्त दबावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इतना ही नहीं, पीड़ित परिवारों की ओर से इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच की अर्जी पर आज (सुनवाई की तारीख) उच्च न्यायालय में सुनवाई होनी है। इस बीच, आरोपी अभिनेता के घर को बम से उड़ाने की धमकी मिलने की खबर ने मामले की गंभीरता को और बढ़ा दिया है, जिससे यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा और कानून-व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है।
यह ब्लॉग पोस्ट इस बहुआयामी मुद्दे का गहराई से विश्लेषण करेगा, जिसमें इसके विभिन्न पहलुओं, निहितार्थों और UPSC परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया जाएगा। हम समझेंगे कि ऐसी घटनाएँ क्यों होती हैं, इनके पीछे कौन से कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, और न्याय की राह में क्या बाधाएँ आती हैं।
पृष्ठभूमि: एक अभिनेता की रैली और एक दुखद अंत (Background: An Actor’s Rally and a Tragic End)
यह मामला तब शुरू हुआ जब एक लोकप्रिय अभिनेता, जो राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल है, ने एक जनसभा को संबोधित किया। यह आयोजन हजारों लोगों को आकर्षित करने वाला था, जो अपने पसंदीदा स्टार को समर्थन देने के लिए उमड़ पड़े थे। हालांकि, जैसे-जैसे भीड़ बढ़ी, स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। आयोजकों द्वारा अपर्याप्त सुरक्षा इंतजाम, भीड़ प्रबंधन की खामियां, या शायद कोई अप्रत्याशित घटना, जैसे कि मंच से कोई बयान या अफरातफरी, ने भगदड़ मचा दी।
यह भगदड़ इतनी भीषण थी कि कई लोग कुचल गए, जिससे 40 लोगों की जान चली गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह घटना किसी भी चुनावी रैली या सार्वजनिक सभा के लिए एक भयावह चेतावनी है, जो साबित करती है कि कैसे उत्साह और उम्मीद पल भर में शोक और त्रासदी में बदल सकती है।
धमकी का साया: क्या यह सिर्फ एक संयोग है? (The Shadow of Threat: Is it Just a Coincidence?)
घटना की भयावहता को और बढ़ाते हुए, अभिनेता के घर को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। यह धमकी कई सवाल खड़े करती है:
- क्या यह धमकी घटना से सीधे तौर पर जुड़ी हुई है?
- क्या यह किसी कट्टरपंथी समूह या असंतुष्ट व्यक्ति का काम है?
- क्या यह जनता में डर पैदा करने या जांच को प्रभावित करने का एक प्रयास है?
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) या स्थानीय पुलिस जैसी एजेंसियां इस धमकी की गंभीरता से जांच कर रही हैं। इस तरह की धमकियाँ न केवल व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा हैं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक शांति के लिए भी एक गंभीर चिंता का विषय हैं।
न्याय की मांग: CBI जांच और हाईकोर्ट की भूमिका (The Demand for Justice: CBI Investigation and the Role of the High Court)
पीड़ितों के परिवारों के लिए, 40 जानें सिर्फ आँकड़े नहीं हैं; वे खोए हुए जीवन, अनगिनत सपने और अकल्पमान दुख हैं। वे इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं। उनकी प्राथमिक मांग है कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जैसी निष्पक्ष एजेंसी द्वारा की जाए।
CBI जांच की मांग क्यों?
- निष्पक्षता: अक्सर, स्थानीय पुलिस या राज्य सरकारें राजनीतिक दबावों के अधीन हो सकती हैं, जिससे निष्पक्ष जांच पर संदेह पैदा होता है। CBI एक स्वतंत्र केंद्रीय एजेंसी है जो आम तौर पर इन दबावों से मुक्त मानी जाती है।
- विशेषज्ञता: CBI के पास जटिल मामलों, बड़ी दुर्घटनाओं या संभावित आपराधिक षड्यंत्रों की जांच के लिए विशेषज्ञता और संसाधन होते हैं।
- विश्वास: जनता और पीड़ित परिवारों का केंद्रीय एजेंसी में अधिक विश्वास हो सकता है, खासकर जब मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो।
CBI जांच की मांग को लेकर मामला आज उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। उच्च न्यायालय किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है कि न्याय मिले। यह आज तय करेगा कि क्या CBI जांच का आदेश दिया जाएगा, या मामले में कोई अन्य निर्देश जारी किए जाएंगे।
विश्लेषण: घटना के पीछे के संभावित कारण (Analysis: Potential Causes Behind the Incident)
इस दुखद घटना के पीछे कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं, जिन्हें UPSC के दृष्टिकोण से समझना महत्वपूर्ण है:
1. अव्यवस्थित राजनीतिक रैलियां (Disorganized Political Rallies)
- अनियोजित भीड़ प्रबंधन: अक्सर रैलियों में आयोजकों द्वारा पर्याप्त भीड़ नियंत्रण की व्यवस्था नहीं की जाती है। बिना किसी स्पष्ट निकास मार्ग, बैरिकेडिंग या प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मियों के, भीड़ आसानी से बेकाबू हो सकती है।
- अति-सुरक्षा: कभी-कभी, आयोजक सुरक्षा को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं, जिससे भीड़ में अनावश्यक तनाव और अराजकता पैदा हो सकती है।
- अवैध प्रवेश: वीआईपी क्षेत्रों या मंच के पास अनधिकृत प्रवेश की कोशिशें भी भगदड़ का कारण बन सकती हैं।
2. अभिनेता की लोकप्रियता और जनता का उत्साह (Actor’s Popularity and Public Enthusiasm)
लोकप्रिय अभिनेताओं की रैलियों में भारी भीड़ इकट्ठा होना स्वाभाविक है। प्रशंसक अपने चहेते सितारों को देखने के लिए अत्यधिक उत्साहित होते हैं, और यह उत्साह कई बार तर्कसंगत व्यवहार पर हावी हो जाता है। आयोजकों को इस संभावना को पहले से भांप लेना चाहिए और तदनुसार तैयारी करनी चाहिए।
3. सुरक्षा चूक (Security Lapses)
राज्य पुलिस और स्थानीय प्रशासन की भूमिका यहाँ महत्वपूर्ण हो जाती है। क्या रैली के लिए पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात किए गए थे? क्या उनकी तैनाती रणनीतिक थी? क्या भीड़ की निगरानी के लिए कोई आधुनिक तकनीक (जैसे ड्रोन, CCTV) का उपयोग किया गया था?
“सुरक्षा सिर्फ कानून प्रवर्तन का मामला नहीं है; यह योजना, तैयारी और निरंतर निगरानी का एक जटिल तंत्र है।”
4. राजनीतिक दबाव और जवाबदेही (Political Pressure and Accountability)
यह भी संभव है कि रैली को आयोजित करने के लिए राजनीतिक दबाव रहा हो, जिससे सुरक्षा मानकों से समझौता किया गया हो। या, घटना के बाद, जिम्मेदारी तय करने में देरी या टालमटोल की जा सकती है, खासकर यदि जिम्मेदार व्यक्ति सत्ता से जुड़ा हो।
5. सूचना का प्रसार और सोशल मीडिया (Information Dissemination and Social Media)
अफवाहें या गलत सूचनाएं भी भीड़ में घबराहट पैदा कर सकती हैं, जिससे भगदड़ की स्थिति बिगड़ सकती है। सोशल मीडिया पर तुरंत प्रसारित होने वाली खबरें, चाहे वे कितनी भी सटीक न हों, जनसमूह की प्रतिक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं।
धमकी की जटिलता: राष्ट्रीय सुरक्षा का पहलू (Complexity of the Threat: The National Security Aspect)
अभिनेता के घर को बम से उड़ाने की धमकी मामले को एक राष्ट्रीय सुरक्षा मुद्दे के रूप में भी प्रस्तुत करती है। यह दर्शाता है कि:
- धमकी की प्रकृति: क्या यह एकLone Wolf attack (एकल हमलावर) का परिणाम है, या एक सुनियोजित आतंकवादी/गैंगस्टर गिरोह का काम?
- जांच की एजेंसियां: ऐसी धमकियों की जांच आमतौर पर NIA, IB, या राज्य ATS जैसी विशेष एजेंसियों द्वारा की जाती है।
- सार्वजनिक विश्वास: इस तरह की धमकियाँ जनता में भय और असुरक्षा की भावना पैदा करती हैं, जिससे सामाजिक ताना-बाना प्रभावित हो सकता है।
इस घटना को केवल एक दुर्घटना के रूप में नहीं देखा जा सकता; यह संभावित रूप से बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हो सकता है, खासकर जब इसमें धमकी का तत्व जुड़ जाता है।
UPSC परीक्षा के लिए प्रासंगिकता (Relevance for UPSC Exam)
यह घटना UPSC सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों के लिए अत्यधिक प्रासंगिक है:
1. प्रारंभिक परीक्षा (Prelims)
- सामान्य अध्ययन पेपर I (इतिहास, भूगोल, समाज): सामाजिक मुद्दे, सार्वजनिक जीवन में अभिनेताओं की भूमिका, भीड़ प्रबंधन की समस्याएं।
- सामान्य अध्ययन पेपर II (शासन, संविधान, राजव्यवस्था, सामाजिक न्याय): मौलिक अधिकार (जीवन का अधिकार), सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस सुधार, केंद्रीय और राज्य एजेंसियों की भूमिका (CBI, NIA), न्यायिक सक्रियता, सूचना का अधिकार।
- सामान्य अध्ययन पेपर III (अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, सुरक्षा): राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, कानून और व्यवस्था, आपदा प्रबंधन, सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका।
2. मुख्य परीक्षा (Mains)
- GS Paper I (Society): “सामाजिक घटनाओं के लिए भीड़ की गतिशीलता और प्रबंधन के मुद्दों का विश्लेषण करें।”
- GS Paper II (Governance): “भारत में राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक समारोहों के दौरान सुरक्षा प्रोटोकॉल में सुधार के लिए उपायों का सुझाव दें। सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने में सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका पर चर्चा करें।”
- GS Paper II (Polity): “CBI जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों की भूमिका और शक्तियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, विशेष रूप से उन मामलों में जहां राजनीतिक हस्तक्षेप का संदेह हो।”
- GS Paper III (Security): “सार्वजनिक रैलियों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग पर निबंध लिखें। भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उभरते खतरों (जैसे हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों को धमकी) से निपटने में सुरक्षा एजेंसियों के समक्ष चुनौतियों का विश्लेषण करें।”
3. व्यक्तित्व परीक्षण (Personality Test – Interview)
साक्षात्कार बोर्ड उम्मीदवार की विश्लेषण क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता, नैतिक मूल्यों और दबाव में शांत रहने की क्षमता का आकलन करेगा। उम्मीदवार से पूछा जा सकता है:
- “इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आप क्या व्यक्तिगत या पेशेवर कदम उठाएंगे?”
- “यदि आप एक जिला मजिस्ट्रेट होते, तो ऐसी रैली की अनुमति देने से पहले आप क्या सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करते?”
- “क्या आपको लगता है कि अभिनेताओं को राजनीतिक रैलियों में भाग लेना चाहिए? अपने तर्क दें।”
चुनौतियाँ और आगे की राह (Challenges and The Way Forward)
यह घटना कई गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है:
- कानूनी ढांचा: क्या मौजूदा कानून सार्वजनिक सभाओं के आयोजन के लिए पर्याप्त हैं? या उनमें संशोधन की आवश्यकता है?
- कार्यान्वयन: नियमों का कड़ाई से पालन करवाना एक बड़ी चुनौती है, खासकर जब सत्ताधारी दल या प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हों।
- जवाबदेही: यह सुनिश्चित करना कि उल्लंघन के लिए व्यक्तिगत और संस्थागत जवाबदेही तय हो।
- सुरक्षा बजट: सार्वजनिक कार्यक्रमों में सुरक्षा के लिए पर्याप्त धन आवंटित करना।
- जागरूकता: जनता को भीड़ प्रबंधन के महत्व और सुरक्षा दिशानिर्देशों का पालन करने के बारे में शिक्षित करना।
आगे की राह:
- कठोर सुरक्षा मानक: सभी राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक समारोहों के लिए अनिवार्य, मानकीकृत सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू किए जाने चाहिए।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: भीड़ नियंत्रण, निगरानी और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिए आधुनिक तकनीकों का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाना चाहिए।
- आयोजकों की जवाबदेही: रैली के आयोजकों को सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रत्यक्ष रूप से जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।
- स्वतंत्र जांच: ऐसी दुर्घटनाओं की हमेशा निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए, जिसमें CBI या समान एजेंसियों की भूमिका को बढ़ावा दिया जाए।
- कानूनी सुधार: सार्वजनिक सभाओं के संबंध में कानूनों को अद्यतन किया जाना चाहिए ताकि वे वर्तमान चुनौतियों का सामना कर सकें।
- नैतिकता और जिम्मेदारी: नेताओं और अभिनेताओं को अपनी रैलियों में भीड़ की सुरक्षा के प्रति अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion)
अभिनेता की रैली में 40 मौतों की दुखद घटना और उसके बाद मिली धमकी, भारतीय समाज और शासन प्रणाली के लिए एक कड़वी सच्चाई है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि कैसे लापरवाही, व्यवस्था की कमी और अत्यधिक उत्साह, एक पल में जीवन को समाप्त कर सकते हैं। उच्च न्यायालय में CBI जांच की मांग पर आज की सुनवाई न्याय की राह में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है।
यह केवल एक विशिष्ट घटना का मामला नहीं है, बल्कि उन व्यापक मुद्दों को इंगित करता है जो सार्वजनिक सुरक्षा, राजनीतिक व्यवहार और सरकारी जवाबदेही से जुड़े हैं। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, इस घटना का विश्लेषण सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा, शासन और न्याय प्रणाली की जटिलताओं को समझने का एक अवसर प्रदान करता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी कोई त्रासदी न हो, और न्याय का पहिया ईमानदारी से घूमता रहे, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
i) CBI की स्थापना भारत सरकार अधिनियम, 1935 के तहत की गई थी।
ii) CBI पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (BPR&D) के प्रशासनिक नियंत्रण में काम करती है।
iii) CBI भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत भ्रष्ट लोक सेवकों पर मुकदमा चला सकती है।
सही कथन चुनें:
a) केवल i
b) केवल ii और iii
c) केवल iii
d) i, ii और iii
उत्तर: c) केवल iii
व्याख्या: CBI की स्थापना 1941 में विशेष पुलिस स्थापना (SPE) के रूप में हुई थी, जिसे बाद में 1963 में CBI का नाम दिया गया। यह गृह मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में आती है, न कि BPR&D के। यह भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई करती है।
2. ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (Public Order) भारतीय संविधान की किस अनुसूची का विषय है?
a) संघ सूची
b) राज्य सूची
c) समवर्ती सूची
d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b) राज्य सूची
व्याख्या: ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ राज्य सूची की प्रविष्टि 1 में शामिल है, जिसका अर्थ है कि कानून बनाने की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है।
3. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
i) NIA की स्थापना राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत की गई थी।
ii) NIA केवल आतंकवादी अपराधों की जांच करती है।
iii) NIA का मुख्यालय नई दिल्ली में है और इसके क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
सही कथन चुनें:
a) केवल i
b) केवल i और iii
c) केवल ii और iii
d) i, ii और iii
उत्तर: b) केवल i और iii
व्याख्या: NIA अधिनियम, 2008 की धारा 6 के तहत NIA कुछ अन्य गंभीर अपराधों की भी जांच कर सकती है, न कि केवल आतंकवाद से संबंधित।
4. किसी राजनीतिक रैली में भीड़ प्रबंधन के लिए निम्नलिखित में से कौन सा उपाय सबसे प्रभावी है?
a) केवल पुलिस बल की तैनाती बढ़ाना
b) रैली स्थल के आसपास नो-फ्लाई जोन घोषित करना
c) स्पष्ट निकास योजना, पर्याप्त बैरिकेडिंग और प्रशिक्षित भीड़ नियंत्रक तैनात करना
d) रैली से पहले सभी सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर प्रतिबंध लगाना
उत्तर: c) स्पष्ट निकास योजना, पर्याप्त बैरिकेडिंग और प्रशिक्षित भीड़ नियंत्रक तैनात करना
व्याख्या: यह विकल्प सीधे तौर पर भीड़ को सुरक्षित रूप से प्रबंधित करने की व्यावहारिक रणनीतियों पर केंद्रित है।
5. ‘मौलिक अधिकार’ के संबंध में, भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा प्रदान करता है?
a) अनुच्छेद 14
b) अनुच्छेद 19
c) अनुच्छेद 20
d) अनुच्छेद 21
उत्तर: d) अनुच्छेद 21
व्याख्या: अनुच्छेद 21 कहता है कि “किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार ही उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा।”
6. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
i) राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 निवारक निरोध (preventive detention) से संबंधित है।
ii) निवारक निरोध के तहत किसी व्यक्ति को केवल सजा देने के उद्देश्य से हिरासत में लिया जा सकता है।
सही कथन चुनें:
a) केवल i
b) केवल ii
c) i और ii दोनों
d) न तो i और न ही ii
उत्तर: a) केवल i
व्याख्या: निवारक निरोध का उद्देश्य अपराध होने से रोकना है, न कि सजा देना।
7. ‘कानून और व्यवस्था’ (Law and Order) किस सूची का विषय है?
a) संघ सूची
b) राज्य सूची
c) समवर्ती सूची
d) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: b) राज्य सूची
व्याख्या: ‘कानून और व्यवस्था’ भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची की राज्य सूची (प्रविष्टि 1) का विषय है।
8. निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
i) भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 नागरिकों को अपने मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए सीधे सर्वोच्च न्यायालय जाने का अधिकार देता है।
ii) अनुच्छेद 226 सर्वोच्च न्यायालय को मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए रिट जारी करने की शक्ति देता है।
सही कथन चुनें:
a) केवल i
b) केवल ii
c) i और ii दोनों
d) न तो i और न ही ii
उत्तर: a) केवल i
व्याख्या: अनुच्छेद 226 उच्च न्यायालयों को रिट जारी करने की शक्ति देता है, न कि सर्वोच्च न्यायालय को।
9. ‘आपदा प्रबंधन’ (Disaster Management) की जिम्मेदारी भारत में मुख्य रूप से किसकी है?
a) केवल केंद्रीय सरकार
b) केवल राज्य सरकारें
c) केंद्रीय और राज्य सरकारों दोनों की, राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी के साथ
d) केवल स्थानीय निकाय
उत्तर: c) केंद्रीय और राज्य सरकारों दोनों की, राज्य की प्राथमिक जिम्मेदारी के साथ
व्याख्या: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत, राज्य सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है, जबकि केंद्र सरकार सहायता और समन्वय प्रदान करती है।
10. भारतीय दंड संहिता (IPC) के अनुसार, ‘गैर-इरादतन हत्या’ (Culpable Homicide not amounting to Murder) का प्रावधान किस धारा के अंतर्गत आता है?
a) धारा 299
b) धारा 300
c) धारा 304
d) धारा 302
उत्तर: a) धारा 299
व्याख्या: धारा 299 गैर-इरादतन हत्या को परिभाषित करती है, जबकि धारा 300 हत्या को परिभाषित करती है। धारा 304 गैर-इरादतन हत्या के लिए दंड से संबंधित है।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. राजनीतिक रैलियों और सार्वजनिक समारोहों के दौरान बड़े पैमाने पर जनहानि की घटनाओं को रोकने के लिए मौजूदा सुरक्षा प्रोटोकॉल में क्या कमियाँ हैं? इन कमियों को दूर करने और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए एक व्यापक रणनीति का प्रस्ताव करें, जिसमें प्रौद्योगिकी के उपयोग और हितधारकों की जवाबदेही जैसे पहलुओं पर प्रकाश डाला गया हो।
2. भारत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की भूमिका और शक्तियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें, विशेष रूप से उन मामलों में जहाँ राजनीतिक हस्तक्षेप या उच्च-स्तरीय व्यक्तियों की संलिप्तता का संदेह हो। निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए CBI की स्वायत्तता को बढ़ाने हेतु क्या कदम उठाए जाने चाहिए?
3. ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ (Public Order) बनाए रखने में राज्य सरकारों की भूमिका का विश्लेषण करें। हाल की घटनाओं के आलोक में, ‘सार्वजनिक व्यवस्था’ को बनाए रखने में आने वाली चुनौतियों और उन्हें प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए आवश्यक सुधारों पर चर्चा करें।
4. एक लोकप्रिय हस्ती की रैली में हुई भगदड़ की घटना को भारतीय सुरक्षा तंत्र की विफलता के रूप में देखा जा सकता है। इस घटना से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं (धमकी, सार्वजनिक भय, जांच की जटिलता) पर चर्चा करें और ऐसे खतरों से निपटने के लिए बहु-एजेंसी दृष्टिकोण की आवश्यकता पर प्रकाश डालें।
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