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संवैधानिक महारथी: अपनी पॉलिटी समझ परखें

संवैधानिक महारथी: अपनी पॉलिटी समझ परखें

नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारत के जीवंत लोकतांत्रिक ढांचे की गहरी समझ ही आपके प्रशासनिक कौशल की नींव रखती है। क्या आप अपने संवैधानिक ज्ञान की धार को तेज करने और अवधारणात्मक स्पष्टता को परखने के लिए तैयार हैं? आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी में गोता लगाएँ और देखें कि आप इस लोकतंत्र के आधार स्तंभों को कितनी मजबूती से समझते हैं!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. राज्य का प्रमुख वंशानुगत नहीं होगा।
  2. सरकार की शक्ति जनता में निहित होगी।
  3. भारत एक एकात्मक राज्य होगा।
  4. सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होंगे।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (यानी राष्ट्रपति) प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाएगा, न कि वंशानुगत आधार पर। भारत में राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा चुने जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रस्तावना के ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतान्त्रिक गणराज्य’ वाक्यांश का हिस्सा है। यह भारत को राजशाही वाले देशों से अलग करता है।
  • गलत विकल्प: (b) ‘सरकार की शक्ति जनता में निहित होगी’ यह ‘लोकतान्त्रिक’ (Democratic) शब्द का अर्थ है। (c) भारत एकात्मक नहीं, बल्कि अर्ध-संघीय (संघीय) राज्य है। (d) ‘सभी नागरिकों को समान अधिकार’ यह मौलिक अधिकारों (Article 14) और प्रस्तावना में ‘सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय’ के आदर्शों से संबंधित है।

प्रश्न 2: संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘कानून के समक्ष समानता’ और ‘कानूनों का समान संरक्षण’ प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 स्पष्ट रूप से कहता है कि “राज्य किसी भी व्यक्ति को भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर कानून के समक्ष समानता से या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।” ‘कानून के समक्ष समानता’ ब्रिटिश मूल का है, जबकि ‘कानूनों का समान संरक्षण’ अमेरिकी मूल का है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकार भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और गैर-नागरिकों) को प्राप्त है। यह मनमानी विधियों के खिलाफ एक सुरक्षा प्रदान करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता प्रदान करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान के किस भाग में राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का उल्लेख है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन करता है। ये तत्व आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व न्यायोचित (Justiciable) नहीं हैं, अर्थात् इनके उल्लंघन पर कोई कानूनी उपचार उपलब्ध नहीं है, परंतु ये देश के शासन के मूलभूत सिद्धांत हैं और कानून बनाते समय राज्य को इनका ध्यान रखना चाहिए।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से संबंधित है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया है?

  1. वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानवतावाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना।
  2. सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को बढ़ावा देना।
  3. पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना तथा वनों एवं वन्यजीवों की रक्षा करना।
  4. बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा प्रदान करना।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्य (Fundamental Duties) संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत सूचीबद्ध हैं। इनमें से पर्यावरण संरक्षण से संबंधित कर्तव्य (51-A(g)) मूल 10 कर्तव्यों में शामिल था, जिसे 2002 में 86वें संविधान संशोधन द्वारा बच्चों की शिक्षा से संबंधित मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21-A) के साथ जोड़ा गया था। विकल्प (c) सीधे तौर पर 51-A(g) का वर्णन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: 42वें संविधान संशोधन, 1976 द्वारा मूल रूप से 10 मौलिक कर्तव्य जोड़े गए थे। 86वें संविधान संशोधन, 2002 द्वारा 11वां मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
  • गलत विकल्प: (a) यह 51-A(h) है। (b) यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों (अनुच्छेद 44) का हिस्सा है, मौलिक कर्तव्य नहीं। (d) यह 51-A(k) है, जो 86वें संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया था।

प्रश्न 5: भारत के राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति का उल्लेख संविधान के किस अनुच्छेद में है?

  1. अनुच्छेद 72
  2. अनुच्छेद 112
  3. अनुच्छेद 123
  4. अनुच्छेद 161

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 भारत के राष्ट्रपति को कुछ अपराधों में दोषसिद्ध ठहराए गए व्यक्तियों के लिए दंड को क्षमा, प्रविलंबन, विराम, परिहार या लघुकरण करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति संघ के कानून के विरुद्ध किए गए अपराधों, सेना न्यायालयों द्वारा दिए गए दंडों और मृत्युदंड के मामलों में लागू होती है। राज्यपाल की क्षमादान शक्ति अनुच्छेद 161 में है, जो राष्ट्रपति की शक्ति से कुछ भिन्न है (जैसे मृत्युदंड को क्षमा करने की शक्ति राज्यपाल को नहीं है)।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 123 अध्यादेश प्रख्यापित करने की राष्ट्रपति की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 161 राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से संबंधित है।

प्रश्न 6: संघ की कार्यपालिका शक्ति किसमें निहित होती है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. संघ की मंत्रिपरिषद
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 53(1) के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, वास्तविक शक्तियां प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद द्वारा प्रयोग की जाती हैं, जो राष्ट्रपति को उनके कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता और सलाह देती है (अनुच्छेद 74)। इसलिए, राष्ट्रपति नाममात्र के प्रमुख हैं, जबकि प्रधानमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद वास्तविक कार्यकारी अधिकार रखते हैं, लेकिन संवैधानिक रूप से संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। ‘उपरोक्त सभी’ इसलिए गलत है क्योंकि शक्ति का निहित होना (vesting) राष्ट्रपति में है, हालांकि प्रयोग मंत्रिपरिषद द्वारा होता है।

प्रश्न 7: संघ की मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से किसके प्रति उत्तरदायी होती है?

  1. राष्ट्रपति
  2. प्रधानमंत्री
  3. लोकसभा
  4. राज्यसभा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 75(3) के अनुसार, मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होगी।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर देती है, तो पूरे मंत्रिपरिषद को इस्तीफा देना पड़ता है, भले ही वह अविश्वास प्रस्ताव किसी विशेष मंत्री के खिलाफ न हो। यह संसदीय सरकार का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति नाममात्र के प्रमुख हैं और मंत्रिपरिषद उनकी सलाह पर कार्य करती है, परंतु वे सामूहिक उत्तरदायित्व का मंच नहीं हैं। प्रधानमंत्री मंत्रिपरिषद के प्रमुख होते हैं, परंतु वे स्वयं लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होते हैं। राज्यसभा में भी मंत्री बैठ सकते हैं और जवाब दे सकते हैं, लेकिन सामूहिक उत्तरदायित्व का सिद्धांत केवल लोकसभा पर लागू होता है।

प्रश्न 8: किसी विधेयक पर गतिरोध की स्थिति में, भारतीय संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाने की शक्ति किसके पास है?

  1. लोकसभा का अध्यक्ष
  2. प्रधानमंत्री
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. राज्यसभा का सभापति

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 108 के तहत, भारत के राष्ट्रपति के पास लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक बुलाने की शक्ति है।
  • संदर्भ और विस्तार: संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं। इसका उपयोग आमतौर पर धन विधेयक (Money Bills) और संविधान संशोधन विधेयकों (Constitutional Amendment Bills) पर नहीं होता है। संयुक्त बैठक का उद्देश्य किसी विधेयक पर दोनों सदनों के बीच मतभेद को दूर करना है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा अध्यक्ष बैठक की अध्यक्षता करते हैं, बुलाते नहीं। प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख हैं और संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करते। राज्यसभा का सभापति (जो उपराष्ट्रपति होते हैं) भी संयुक्त बैठक बुलाने या उसकी अध्यक्षता करने के लिए अधिकृत नहीं हैं।

प्रश्न 9: भारतीय संसद में ‘प्रश्नकाल’ (Question Hour) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह आमतौर पर प्रत्येक संसदीय बैठक के पहले घंटे में होता है।
  2. इसमें पूछे गए प्रश्नों के उत्तर मौखिक या लिखित हो सकते हैं।
  3. यह संसदीय कार्यवाही का एक अनौपचारिक हिस्सा है।
  4. अध्यक्ष (Speaker) प्रश्नकाल को स्थगित या समाप्त कर सकते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रश्नकाल’ (Question Hour) संसदीय नियमों और प्रक्रियाओं के तहत एक स्थापित व्यवस्था है, जो प्रत्येक संसदीय बैठक के पहले घंटे (आमतौर पर 11 बजे से 12 बजे तक) में आयोजित की जाती है। (संविधान में सीधे उल्लेखित नहीं, बल्कि रूल्स ऑफ प्रोसीजर में)।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रश्नकाल के दौरान, संसद सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछते हैं। प्रश्नों के उत्तर मौखिक (जब तारांकित प्रश्न पूछा जाता है) या लिखित (जब अतारांकित प्रश्न पूछा जाता है) हो सकते हैं। प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक औपचारिक और अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा है। अध्यक्ष (Speaker) या सभापति (Chairman) प्रश्नकाल को स्थगित या समाप्त कर सकते हैं, लेकिन यह कथन (a) की तुलना में कम मुख्य विशेषता है।
  • गलत विकल्प: (b) उत्तर मौखिक या लिखित हो सकते हैं, लेकिन यह मुख्य रूप से ‘प्रश्नकाल’ की पहचान नहीं है। (c) यह एक औपचारिक हिस्सा है, अनौपचारिक नहीं। (d) हालांकि अध्यक्ष कर सकते हैं, लेकिन यह प्रश्नकाल का सबसे महत्वपूर्ण या परिभाषित पहलू नहीं है, जबकि पहले घंटे में होना इसकी मुख्य पहचान है।

प्रश्न 10: राज्य विधानमंडल में, अध्यक्ष (Speaker) के पद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. वह सदन का कार्य संचालन करता है।
  2. वह विधेयक की धन विधेयक (Money Bill) के रूप में प्रमाणित करता है।
  3. वह दलबदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता पर निर्णय लेता है।
  4. वह राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: विधानसभा अध्यक्ष (Speaker) सदन का प्रमुख होता है और उसका कार्य संचालन करता है (विधान के नियम)। वह विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित करता है (अनुच्छेद 199)। वह दलबदल के आधार पर सदस्यों की अयोग्यता पर निर्णय लेता है (संविधान की 10वीं अनुसूची)।
  • संदर्भ और विस्तार: अध्यक्ष का पद बहुत महत्वपूर्ण है और वह सदन की कार्यवाही निष्पक्ष रूप से संचालित करता है। अध्यक्ष का निर्वाचन सदन के सदस्यों द्वारा किया जाता है और वह सदन के बहुमत के विश्वास पर्यंत पद पर बना रहता है, न कि राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत। राज्यपाल केवल कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में हस्तक्षेप कर सकता है, लेकिन प्रसाद पर्यंत (pleasure of the President) धारण करना राष्ट्रपति या राज्यपाल के कुछ निश्चित संवैधानिक पदों के लिए लागू होता है, अध्यक्ष के लिए नहीं।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (c) सभी सही हैं। (d) अध्यक्ष राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण नहीं करता है; वह सदन के बहुमत के विश्वास पर निर्भर करता है।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान में ‘न्यायिक पुनरीक्षण’ (Judicial Review) की शक्ति का स्रोत क्या है?

  1. केवल अनुच्छेद 13
  2. अनुच्छेद 32 और 226
  3. संविधान की प्रस्तावना
  4. संवैधानिक परंपराएं और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति, यानी संसद या राज्य विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों की संवैधानिकता की समीक्षा करने और उन्हें असंवैधानिक घोषित करने की सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों की शक्ति, संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है। यह शक्ति अनुच्छेद 13 (मौलिक अधिकारों से असंगत कानूनों को शून्य घोषित करना) और अन्य अनुच्छेदों (जैसे 32, 226) से व्युत्पन्न होती है, लेकिन इसका वास्तविक आधार संवैधानिक परंपराएं और सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) जैसे महत्वपूर्ण निर्णयों ने न्यायिक पुनरीक्षण को संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ का हिस्सा घोषित किया। अनुच्छेद 13 मौलिक अधिकारों के असंगत कानूनों को शून्य घोषित करता है, जो न्यायिक पुनरीक्षण का एक महत्वपूर्ण आधार है।
  • गलत विकल्प: (a) अनुच्छेद 13 एक महत्वपूर्ण आधार है, लेकिन एकमात्र स्रोत नहीं। (b) ये अनुच्छेद रिट जारी करने की शक्ति देते हैं, जो न्यायिक पुनरीक्षण का एक तरीका है, लेकिन स्वयं शक्ति का पूर्ण स्रोत नहीं। (c) प्रस्तावना आदर्शों को व्यक्त करती है, न कि शक्ति को।

प्रश्न 12: सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में ‘कॉलेजियम प्रणाली’ का क्या अर्थ है?

  1. यह राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक स्थायी समिति है।
  2. यह सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समूह द्वारा अपनी नियुक्ति की प्रक्रिया का निर्धारण है।
  3. यह राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) का एक पूर्ववर्ती था।
  4. यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और विधि मंत्री द्वारा नियंत्रित एक प्रक्रिया है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कॉलेजियम प्रणाली सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण की एक प्रक्रिया है, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) और सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों का एक समूह (कॉलेजियम) न्यायाधीशों के चयन और नियुक्ति के लिए भारत के राष्ट्रपति को सिफारिशें करता है। (यह सीधे संविधान में नहीं है, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों से विकसित हुई है)।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली को ‘द्वितीय न्यायाधीश मामले’ (1993) और ‘तृतीय न्यायाधीश मामले’ (1998) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित किया गया था। इसका उद्देश्य न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करना था। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 को कॉलेजियम प्रणाली की जगह लाने का प्रयास किया गया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया।
  • गलत विकल्प: (a) यह राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त स्थायी समिति नहीं है। (c) NJAC इसका पूर्ववर्ती नहीं, बल्कि एक प्रतिस्थापन (replacement) प्रयास था जिसे रद्द कर दिया गया। (d) यह राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और विधि मंत्री द्वारा नियंत्रित नहीं है; इसमें न्यायपालिका का प्रमुख योगदान होता है।

प्रश्न 13: भारत में संघीय प्रणाली के तहत, संघ सूची (Union List) में कितने विषय थे जब संविधान लागू हुआ था?

  1. 97
  2. 100
  3. 66
  4. 47

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सातवीं अनुसूची, अनुच्छेद 246 के तहत, शक्तियों का वितरण संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में किया गया है। जब संविधान लागू हुआ था, तब संघ सूची में 97 विषय थे।
  • संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, संघ सूची में 100 विषय हैं (कुछ नए विषय जोड़े गए हैं या संशोधित किए गए हैं)। राज्य सूची में मूल रूप से 66 विषय थे, लेकिन अब 61 हैं। समवर्ती सूची में मूल रूप से 47 विषय थे, और अब 52 हैं।
  • गलत विकल्प: (b) यह वर्तमान संघ सूची की संख्या है। (c) यह राज्य सूची की मूल संख्या थी। (d) यह समवर्ती सूची की मूल संख्या थी।

प्रश्न 14: केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सा निकाय राष्ट्रपति द्वारा प्रत्येक पांच साल में या आवश्यकतानुसार पहले गठित किया जाता है?

  1. वित्त आयोग (Finance Commission)
  2. नीति आयोग (NITI Aayog)
  3. अंतर-राज्य परिषद (Inter-State Council)
  4. क्षेत्रीय परिषद (Zonal Council)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 280 राष्ट्रपति को प्रत्येक पांच वर्ष में या उससे पहले एक वित्त आयोग का गठन करने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के वितरण और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के आवंटन के सिद्धांतों पर सिफारिशें करता है। यह अनुदान सहायता के सिद्धांतों को भी बताता है।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग (NITI Aayog) एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक थिंक टैंक है, संवैधानिक निकाय नहीं। अंतर-राज्य परिषद (अनुच्छेद 263) राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर विचार-विमर्श के लिए गठित की जाती है। क्षेत्रीय परिषदें (जो एक वैधानिक निकाय हैं) राज्यों के बीच समन्वय के लिए गठित की जाती हैं।

प्रश्न 15: भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को सुनिश्चित करने के लिए कौन सी संस्था जिम्मेदार है?

  1. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  2. भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
  3. चुनाव आयोग (Election Commission of India)
  4. राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का चुनाव आयोग (ECI) एक स्थायी संवैधानिक निकाय है, जिसकी स्थापना अनुच्छेद 324 के तहत की गई थी। इसका मुख्य कार्य भारत में संसद, राज्य विधानसभाओं, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए चुनावों का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: ECI एक त्रि-सदस्यीय निकाय है, जिसमें एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि चुनाव स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी हों।
  • गलत विकल्प: UPSC संघ लोक सेवाओं की भर्ती से संबंधित है। CAG सार्वजनिक वित्त का संरक्षक है। NCST अनुसूचित जनजातियों के अधिकारों की रक्षा और संवर्धन के लिए है।

प्रश्न 16: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. प्रधानमंत्री
  2. लोकसभा अध्यक्ष
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. भारत के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि अनुच्छेद 316(1) में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जो अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं के लिए भर्ती की प्रक्रिया संचालित करता है। अध्यक्ष और सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है, और वे सामान्यतः 6 वर्ष की अवधि के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक, जो भी पहले हो, पद धारण करते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या मुख्य न्यायाधीश सीधे तौर पर UPSC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति नहीं करते हैं।

प्रश्न 17: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत किसी राज्य में विधान परिषद का गठन या विघटन किया जा सकता है?

  1. अनुच्छेद 169
  2. अनुच्छेद 170
  3. अनुच्छेद 171
  4. अनुच्छेद 172

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 169 किसी राज्य में विधान परिषद के उत्सादन (विघटन) या उसके सृजन (गठन) के संबंध में प्रावधान करता है। यह कार्य संसद द्वारा एक कानून के माध्यम से किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: विधान परिषद का गठन या विघटन उस राज्य की विधानसभा द्वारा ऐसे संकल्प पारित करने पर ही संसद कर सकती है, जिसमें उस विधानसभा के कुल सदस्यों के बहुमत का समर्थन हो और उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन हो।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 170 विधान सभाओं के गठन से संबंधित है। अनुच्छेद 171 विधान परिषदों की संरचना से संबंधित है। अनुच्छेद 172 राज्यों में विधानमंडलों की अवधि से संबंधित है।

प्रश्न 18: भारत में, पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला संविधान संशोधन अधिनियम कौन सा है?

  1. 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 86वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2002
  4. 91वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2003

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और संविधान में भाग IX जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, जिला परिषद) की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया और पंचायतों को स्व-शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए आवश्यक शक्तियां और अधिकार प्रदान किए।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) से संबंधित है। 86वां संशोधन शिक्षा के अधिकार (अनुच्छेद 21-A) और मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। 91वां संशोधन मंत्रिपरिषद के आकार को सीमित करने से संबंधित है।

प्रश्न 19: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) की प्रकृति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. यह एक वैधानिक निकाय है।
  3. यह एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक सलाहकार निकाय है।
  4. यह एक अंतर-राज्यीय निकाय है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) एक **वैधानिक निकाय** है। इसका गठन मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 (Protection of Human Rights Act, 1993) के प्रावधानों के तहत किया गया था, न कि सीधे संविधान के किसी अनुच्छेद द्वारा।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC मानव अधिकारों का संरक्षक है। इसके पास सिविल न्यायालय की शक्तियां हैं और यह विभिन्न प्रकार के मानव अधिकार उल्लंघनों की जांच कर सकता है।
  • गलत विकल्प: (a) संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उल्लेख सीधे संविधान में होता है (जैसे चुनाव आयोग, UPSC)। (c) यह एक सलाहकार निकाय तो है, लेकिन कार्यकारी आदेश से नहीं, बल्कि अधिनियम से गठित हुआ है। (d) यह अंतर-राज्यीय निकाय नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है।

प्रश्न 20: नीति आयोग (NITI Aayog) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. इसका उद्देश्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना है।
  3. यह भारत सरकार के लिए एक नीति थिंक टैंक के रूप में कार्य करता है।
  4. इसके पदेन अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक **संवैधानिक निकाय नहीं है**। यह 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग (Planning Commission) के स्थान पर एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग का उद्देश्य सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना, राज्यों को एक साथ लाना और केंद्र-राज्य दोनों के लिए रणनीतिक और दीर्घकालिक नीतिगत दिशा प्रदान करना है। भारत के प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह असत्य है क्योंकि यह संवैधानिक नहीं, बल्कि कार्यकारी निकाय है। (b), (c), और (d) सत्य कथन हैं।

प्रश्न 21: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की उद्घोषणा राष्ट्रपति द्वारा कितने समय के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए?

  1. एक माह
  2. दो माह
  3. तीन माह
  4. छह माह

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा को राष्ट्रपति द्वारा जारी किए जाने के **दो माह** के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि उद्घोषणा एक माह के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित हो जाती है, तो आपातकाल छह महीने तक लागू रह सकता है। प्रत्येक अनुमोदन के बाद, यह छह महीने तक लागू रहता है। यदि अनुमोदन नहीं मिलता है, तो उद्घोषणा स्वतः समाप्त हो जाती है। 44वें संशोधन ने इस अवधि को एक माह से घटाकर दो माह कर दिया था।
  • गलत विकल्प: (a) एक माह की अवधि 44वें संशोधन से पहले लागू थी। (c) और (d) गलत समय-सीमाएं हैं।

प्रश्न 22: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा कितने समय के लिए बिना संसद के अनुमोदन के लागू रह सकती है?

  1. एक माह
  2. दो माह
  3. छह माह
  4. अनिश्चित काल तक

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल की उद्घोषणा, यदि संसद के दोनों सदनों का सत्र चल रहा हो, तो उस सत्र की समाप्ति से दो महीने की अवधि के भीतर संसद के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होनी चाहिए। यदि उद्घोषणा जारी करते समय संसद का सत्र नहीं चल रहा है, तो यह **एक माह** के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित हो जाती है, तो वित्तीय आपातकाल अनिश्चित काल तक जारी रह सकता है, जब तक कि राष्ट्रपति इसे वापस न ले लें। महत्वपूर्ण बात यह है कि यह “बिना संसद के अनुमोदन के” एक माह तक वैध रह सकता है, यदि यह जारी करते समय सत्र न चल रहा हो।
  • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) इस विशिष्ट संदर्भ (बिना सत्र में अनुमोदन के) के लिए सही नहीं हैं।

प्रश्न 23: किस संविधान संशोधन अधिनियम ने प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को जोड़ा?

  1. 42वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा, प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द जोड़े गए थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के दौरान किया गया था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। ‘पंथनिरपेक्ष’ शब्द भारतीय राज्य के धर्म-निरपेक्ष चरित्र को बल देता है, और ‘अखंडता’ राष्ट्र की एकता को संदर्भित करती है।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाने और आपातकालीन प्रावधानों में बदलाव से संबंधित है। 52वां संशोधन दलबदल विरोधी कानून से संबंधित है। 61वां संशोधन मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करने से संबंधित है।

प्रश्न 24: ‘केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य’ (1973) मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का मुख्य निष्कर्ष क्या था?

  1. संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती।
  2. संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती।
  3. संविधान की प्रस्तावना को संशोधित नहीं किया जा सकता।
  4. राष्ट्रपति को आपातकाल की घोषणा करने का पूर्ण अधिकार है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि संसद संविधान के किसी भी उपबंध में संशोधन कर सकती है, लेकिन यह संशोधन संविधान की ‘आधारभूत संरचना’ को संशोधित या नष्ट नहीं करना चाहिए। इस सिद्धांत को ‘आधारभूत संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) के रूप में जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को सीमित कर दिया, जबकि अनुच्छेद 368 के तहत दी गई शक्तियों को भी मान्यता दी। आधारभूत संरचना में न्यायपालिका की स्वतंत्रता, मौलिक अधिकारों का संरक्षण, संघीय प्रणाली, धर्मनिरपेक्षता आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: (a) यह गोलकनाथ मामले (1967) का निर्णय था जिसे केशवानंद मामले में आंशिक रूप से पलट दिया गया था। (c) प्रस्तावना को भी आधारभूत संरचना का हिस्सा माना गया है, इसलिए इसमें संशोधन की सीमाएं हैं। (d) यह आपातकाल घोषणा से संबंधित नहीं है।

प्रश्न 25: संविधान सभा की प्रारूपण समिति (Drafting Committee) के अध्यक्ष कौन थे?

  1. डॉ. राजेंद्र प्रसाद
  2. जवाहरलाल नेहरू
  3. सरदार वल्लभभाई पटेल
  4. डॉ. बी. आर. अम्बेडकर

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान सभा की 7 सदस्यीय प्रारूपण समिति के अध्यक्ष डॉ. बी. आर. अम्बेडकर थे। इस समिति को संविधान का मसौदा तैयार करने का महत्वपूर्ण कार्य सौंपा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रारूपण समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था। डॉ. अम्बेडकर ने संविधान के निर्माण में एक केंद्रीय भूमिका निभाई और उन्हें ‘संविधान का जनक’ भी कहा जाता है।
  • गलत विकल्प: डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। जवाहरलाल नेहरू संघ संविधान समिति के अध्यक्ष थे। सरदार वल्लभभाई पटेल प्रांतीय संविधान समिति और मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों और जनजातीय क्षेत्रों पर सलाहकार समिति के अध्यक्ष थे।

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