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आतंकवाद के खिलाफ जंग: उधमपुर मुठभेड़ में 1 जवान शहीद, जैश के 3 आतंकी ढेर; किश्तवाड़ में भी एनकाउंटर जारी – जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा पर गहन विश्लेषण

चर्चा में क्यों? (Why in News?):**
हाल ही में, जम्मू क्षेत्र के उधमपुर जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच हुई एक भीषण मुठभेड़ ने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक बार फिर से चिंता की लहर दौड़ा दी है। इस मुठभेड़ में जहाँ एक बहादुर जवान ने सर्वोच्च बलिदान दिया, वहीं जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के तीन आतंकवादियों के मारे जाने की खबर आई। इसके साथ ही, जम्मू के ही किश्तवाड़ जिले में भी आतंकवादियों के साथ एक अन्य एनकाउंटर जारी रहने की सूचना ने इस क्षेत्र में सुरक्षा की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यह घटनाक्रम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के निरंतर खतरे और उससे निपटने के लिए सुरक्षाबलों के अथक प्रयासों को रेखांकित करता है।

यह घटना केवल एक स्थानीय झड़प नहीं है, बल्कि इसके राष्ट्रीय सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की आंतरिक सुरक्षा नीतियों पर गहरे प्रभाव हैं। UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए, इस तरह की घटनाओं का विस्तृत विश्लेषण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा, आंतरिक सुरक्षा, आतंकवाद, जम्मू-कश्मीर की विशेष स्थिति, सुरक्षा बलों की भूमिका और भू-राजनीति जैसे जीएस-पेपर (GS Paper) के महत्वपूर्ण अनुभागों से जुड़ा हुआ है।

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य: एक उभरता संकट?

जम्मू-कश्मीर, अपनी भू-राजनीतिक संवेदनशीलता और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण, दशकों से आतंकवाद और अलगाववाद का सामना कर रहा है। हालिया घटनाएं, विशेष रूप से उधमपुर और किश्तवाड़ में हुई मुठभेड़ें, इस बात का संकेत देती हैं कि आतंकवादियों द्वारा अपनी गतिविधियों को बनाए रखने और फिर से सक्रिय होने के प्रयास जारी हैं।

“जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला एक बहुआयामी चुनौती है, जिसके लिए न केवल सैन्य शक्ति, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामाजिक सामंजस्य और आर्थिक विकास की भी आवश्यकता होती है।”

उधमपुर मुठभेड़: घटनाक्रम और विश्लेषण

क्या हुआ? (What Happened?):**
रिपोर्टों के अनुसार, उधमपुर जिले के एक विशिष्ट क्षेत्र में आतंकवादियों की मौजूदगी की गुप्त सूचना के आधार पर सुरक्षाबलों ने एक तलाशी अभियान शुरू किया। जैसे ही सुरक्षाबल आगे बढ़े, छिपे हुए आतंकवादियों ने उन पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों ने जवाबी कार्रवाई की, जिसके परिणामस्वरूप एक भीषण मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में, दुर्भाग्यवश, भारतीय सेना का एक जवान शहीद हो गया, जिसने देश की रक्षा में अपना प्राण न्यौछावर कर दिया। सुरक्षाबलों ने वीरता का परिचय देते हुए जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के तीन आतंकवादियों को मार गिराया। प्रारंभिक सूचना के अनुसार, ये आतंकवादी किसी बड़ी साजिश को अंजाम देने की फिराक में थे।

मुख्य बिंदु (Key Takeaways from Udhampur Encounter):**

  • बलिदान: एक जवान की शहादत देश के लिए एक अपूरणीय क्षति है। यह सुरक्षा बलों के अदम्य साहस और समर्पण का प्रतीक है।
  • आतंकवादी समूह: मारे गए आतंकवादी जैश-ए-मोहम्मद (JEM) से जुड़े थे, जो भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा है। यह पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों की निरंतर उपस्थिति को दर्शाता है।
  • योजना: आतंकवादियों की मौजूदगी और उनकी प्रारंभिक कार्रवाई से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि वे किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।
  • सुरक्षाबलों की कार्रवाई: त्वरित और प्रभावी कार्रवाई ने न केवल आतंकवादियों के मंसूबों को विफल किया, बल्कि एक संभावित बड़े नुकसान को भी रोका।

किश्तवाड़ में एनकाउंटर: एक चिंताजनक निरंतरता

क्या हो रहा है? (What is Happening?):**
उधमपुर की घटना के समानांतर, जम्मू के किश्तवाड़ जिले में भी आतंकवादियों और सुरक्षाबलों के बीच एक मुठभेड़ जारी रहने की खबर आई। किश्तवाड़, जो कभी आतंकवाद से बुरी तरह प्रभावित था, हाल के वर्षों में अपेक्षाकृत शांत था। हालाँकि, इस क्षेत्र में एक नए एनकाउंटर का होना यह दर्शाता है कि आतंकवादी समूहों ने इस क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति फिर से दर्ज कराने का प्रयास किया है।

किश्तवाड़ का महत्व (Significance of Kishtwar):**

  • रणनीतिक स्थिति: किश्तवाड़ की भौगोलिक स्थिति इसे संवेदनशील बनाती है।
  • पुनरुत्थान की चिंता: इस क्षेत्र में फिर से आतंकवाद का पुनरुत्थान स्थानीय आबादी और राष्ट्रीय सुरक्षा दोनों के लिए चिंता का विषय है।
  • सुरक्षा बलों का दबाव: लगातार मुठभेड़ों से सुरक्षा बलों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है और उन्हें कई मोर्चों पर एक साथ लड़ना पड़ता है।

आतंकवादी समूहों की कार्यप्रणाली और रणनीति

इस घटनाक्रम का विश्लेषण करते समय, हमें आतंकवादी समूहों की बदलती कार्यप्रणाली और रणनीतियों को समझना होगा। जैश-ए-मोहम्मद (JEM) जैसे समूह अपनी क्रूरता और भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले के लिए जाने जाते हैं।

JEM और उसकी भूमिका (JEM and its Role):**
जैश-ए-मोहम्मद, जिसकी स्थापना मौलाना मसूद अजहर ने की थी, लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक प्रतिद्वंद्वी समूह है। इसका मुख्य उद्देश्य भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य पर नियंत्रण हासिल करना और भारत को अस्थिर करना है। JEM के सदस्य अक्सर आत्मघाती हमलों और बड़े पैमाने पर विनाश के हमलों में शामिल रहे हैं। उधमपुर मुठभेड़ में JEM के आतंकवादियों की संलिप्तता भारत पर निरंतर बाहरी दबाव का एक प्रमाण है।

रणनीति में बदलाव (Shift in Tactics):
आतंकवादी समूह अब केवल एके-47 राइफलों से लैस नहीं होते। वे आधुनिक हथियारों, संचार उपकरणों और विस्फोटकों का उपयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे सोशल मीडिया का उपयोग प्रचार, भर्ती और हमलों के समन्वय के लिए भी करते हैं। पहाड़ी और दुर्गम इलाकों का लाभ उठाना उनकी एक प्रमुख रणनीति रही है, जिससे उनके खिलाफ अभियानों को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया जाता है।

“आतंकवादी अपनी रणनीतियों को लगातार बदलते रहते हैं, जिसके लिए सुरक्षा बलों को भी अपनी रणनीति को अनुकूलित करते रहना पड़ता है। यह एक निरंतर ‘कैट एंड माउस’ का खेल है।”

सुरक्षा बलों की भूमिका और चुनौतियाँ

भारतीय सुरक्षा बल, विशेष रूप से भारतीय सेना, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने में सबसे आगे हैं। वे न केवल सीमा पर चौकसी करते हैं, बल्कि आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सुरक्षा बलों के समक्ष चुनौतियाँ (Challenges Before Security Forces):**

  • कठिन भौगोलिक परिस्थितियाँ: जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी और जंगली इलाके आतंकवादियों को छिपने और अपनी गतिविधियों को संचालित करने के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करते हैं।
  • खुफिया विफलता का जोखिम: सूचनाओं में गैप या दुश्मन की चालाकी के कारण कई बार ऐसी मुठभेड़ें हो जाती हैं जहाँ आतंकवादी पहले से ही तैयार होते हैं।
  • आम नागरिकों की सुरक्षा: मुठभेड़ों के दौरान आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती होती है।
  • परिचालन संबंधी थकान: लगातार अभियानों और उच्च जोखिम वाली परिस्थितियों में काम करने से जवानों पर मानसिक और शारीरिक थकान का दबाव होता है।
  • आतंकवाद के वित्तपोषण को रोकना: आतंकवादियों तक धन की पहुंच को रोकना भी एक जटिल कार्य है, जिसमें वित्तीय खुफिया तंत्र की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
  • स्थानीय समर्थन का अभाव: हालांकि ज्यादातर लोग शांति चाहते हैं, फिर भी कुछ ऐसे तत्व हो सकते हैं जो आतंकवादियों को अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान करते हैं।

चुनौतियों का सामना कैसे करें? (How to Face Challenges?):**

  • खुफिया तंत्र को मजबूत करना: आधुनिक तकनीक और मानव खुफिया जानकारी का उपयोग करके बेहतर सूचना एकत्रण।
  • परिचालन क्षमता में वृद्धि: नवीनतम उपकरणों और प्रशिक्षण के साथ जवानों को सुसज्जित करना।
  • स्थानीय समुदायों के साथ संबंध: स्थानीय आबादी का विश्वास जीतना और उन्हें मुखबिर नेटवर्क का हिस्सा बनाना।
  • आतंकवाद-विरोधी कानून: कड़े कानून और उन्हें प्रभावी ढंग से लागू करना।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: आतंकवाद के वित्तपोषण और अन्य देशों में स्थित आतंकवादी समूहों के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।

UPSC के लिए प्रासंगिकता: राष्ट्रीय सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का पहलू

यह घटनाक्रम UPSC सिविल सेवा परीक्षा के निम्नलिखित महत्वपूर्ण अनुभागों से सीधे जुड़ा हुआ है:

1. राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security):

  • भारत की सुरक्षा को बाहरी और आंतरिक खतरों से बचाना।
  • सीमा प्रबंधन और आतंकवाद का मुकाबला।
  • रक्षा नीतियाँ और बल।
  • रणनीतिक हित और भू-राजनीति।

2. आंतरिक सुरक्षा (Internal Security):**

  • देश के भीतर विभिन्न प्रकार के सुरक्षा खतरे, जैसे आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिकता, नक्सलवाद।
  • सुरक्षा तंत्र और एजेंसियां (जैसे NIA, IB, RAW, CRPF, BSF)।
  • सुरक्षा से संबंधित कानून और नियम।
  • सीमा पार आतंकवाद।
  • साइबर सुरक्षा जैसे उभरते खतरे।

3. जम्मू-कश्मीर की स्थिति (Situation in Jammu & Kashmir):**

  • ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, अनुच्छेद 370 का निरस्त होना और उसके परिणाम।
  • अलगाववाद और आतंकवाद का इतिहास।
  • विकास और शासन से संबंधित मुद्दे।
  • मानवाधिकार और सुरक्षा।

4. अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations):**

  • पड़ोसी देशों के साथ संबंध (विशेष रूप से पाकिस्तान)।
  • आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई और भारत की भूमिका।
  • संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद का मुद्दा।

5. सामाजिक मुद्दे (Social Issues):**

  • आतंकवाद का सामाजिक-आर्थिक प्रभाव।
  • समाज में शांति और सद्भाव बनाए रखना।

आगे की राह: क्या होना चाहिए?

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का पूर्ण उन्मूलन एक लंबी और कठिन प्रक्रिया है। इसके लिए एक समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

1. सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ विकास:
सिर्फ सैन्य अभियानों से आतंकवाद समाप्त नहीं होगा। प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को विकास के अवसर, रोजगार और शिक्षा प्रदान करके उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना महत्वपूर्ण है।

2. राजनीतिक समाधान की ओर:
जम्मू-कश्मीर के लोगों की चिंताओं को समझना और एक स्थायी राजनीतिक समाधान की दिशा में प्रयास करना आवश्यक है, जिसमें लोकतांत्रिक प्रक्रियाएं शामिल हों।

3. पाकिस्तान पर दबाव:
भारत को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह ठहराना जारी रखना चाहिए।

4. प्रौद्योगिकी का उपयोग:
खुफिया जानकारी एकत्र करने, निगरानी और घुसपैठ को रोकने के लिए ड्रोन, AI और अन्य उन्नत तकनीकों का उपयोग बढ़ाना चाहिए।

5. जनजागरूकता:
आतंकवाद के दुष्परिणामों और इसके खिलाफ लड़ाई में नागरिकों की भूमिका के बारे में जनजागरूकता अभियान चलाना।

6. न्यायिक प्रक्रिया:
आतंकवादियों और उनके समर्थकों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करना, ताकि न्याय हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।

उधमपुर और किश्तवाड़ की घटनाएँ इस बात की याद दिलाती हैं कि भारत को अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्क रहने की आवश्यकता है। हमारे बहादुर सुरक्षा बल देश की रक्षा के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं, और उनका बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाना चाहिए।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

(यहाँ 10 MCQs, उनके उत्तर और व्याख्या प्रदान करें)

1. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा आतंकवादी समूह हालिया उधमपुर मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादियों से जुड़ा था?
(a) लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
(b) जैश-ए-मोहम्मद (JEM)
(c) हिजबुल मुजाहिदीन (HM)
(d) अल-कायदा (AQ)

उत्तर: (b) जैश-ए-मोहम्मद (JEM)

व्याख्या: समाचार के अनुसार, उधमपुर मुठभेड़ में जैश-ए-मोहम्मद (JEM) के तीन आतंकवादी मारे गए थे।

2. प्रश्न: उधमपुर और किश्तवाड़ में हालिया घटनाओं का सीधा संबंध किस राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा से है?
(a) पंजाब
(b) राजस्थान
(c) जम्मू और कश्मीर
(d) हिमाचल प्रदेश

उत्तर: (c) जम्मू और कश्मीर

व्याख्या: उधमपुर और किश्तवाड़ दोनों ही जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के जिले हैं, और ये घटनाएँ वहाँ की आंतरिक सुरक्षा से संबंधित हैं।

3. प्रश्न: सुरक्षाबलों द्वारा आतंकवादियों का मुकाबला करते समय निम्नलिखित में से कौन सी चुनौती एक प्रमुख भौगोलिक बाधा प्रस्तुत करती है?
(a) शुष्क रेगिस्तानी इलाके
(b) घने शहरी क्षेत्र
(c) पहाड़ी और जंगली इलाके
(d) तटीय क्षेत्र

उत्तर: (c) पहाड़ी और जंगली इलाके

व्याख्या: जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी और जंगली इलाके आतंकवादियों को छिपने और गतिविधियों को संचालित करने के लिए आदर्श वातावरण प्रदान करते हैं, जिससे सुरक्षाबलों के लिए अभियान चलाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

4. प्रश्न: जैश-ए-मोहम्मद (JEM) से संबंधित कौन सा कथन सही है?
1. इसकी स्थापना मौलाना मसूद अजहर ने की थी।
2. यह भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा है।
3. यह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का एक सहयोगी समूह है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a) केवल 1 और 2

व्याख्या: जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना मौलाना मसूद अजहर ने की थी और यह भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों में सक्रिय रहा है। यह लश्कर-ए-तैयबा का प्रतिद्वंद्वी है, सहयोगी नहीं।

5. प्रश्न: हालिया मुठभेड़ों के संदर्भ में, जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘समग्र दृष्टिकोण’ (holistic approach) का हिस्सा नहीं है?
(a) कड़े सैन्य अभियान
(b) स्थानीय समुदायों के साथ संवाद और विश्वास बहाली
(c) प्रभावित क्षेत्रों में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन
(d) आतंकवादी समूहों को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्रदान करना

उत्तर: (d) आतंकवादी समूहों को अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्रदान करना

व्याख्या: आतंकवादी समूहों को समर्थन देना एक समग्र दृष्टिकोण का हिस्सा नहीं है; बल्कि, यह आतंकवाद को बढ़ावा देना है। समग्र दृष्टिकोण में सैन्य कार्रवाई, विकास, और स्थानीय समुदायों के साथ जुड़ाव शामिल है।

6. प्रश्न: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में, “खुफिया विफलता का जोखिम” (risk of intelligence failure) से क्या तात्पर्य है?
(a) सुरक्षा बलों का हथियारों से लैस होना।
(b) दुश्मन की गतिविधियों या योजनाओं की समय पर और सटीक जानकारी प्राप्त करने में असमर्थता।
(c) सेना के आधुनिकीकरण की प्रक्रिया।
(d) राष्ट्रीय सुरक्षा पर होने वाले सार्वजनिक बहस।

उत्तर: (b) दुश्मन की गतिविधियों या योजनाओं की समय पर और सटीक जानकारी प्राप्त करने में असमर्थता।

व्याख्या: खुफिया विफलता का मतलब है कि सुरक्षा एजेंसियों को दुश्मन के इरादों, योजनाओं या गतिविधियों के बारे में पर्याप्त या सही जानकारी नहीं मिल पाती, जिससे अप्रत्याशित हमले हो सकते हैं।

7. प्रश्न: उधमपुर और किश्तवाड़ में हुई मुठभेड़ों को देखते हुए, निम्नलिखित में से किस अंतरराष्ट्रीय संगठन/संस्था को भारत अक्सर पाकिस्तान से आतंकवाद के समर्थन को रोकने के लिए कार्रवाई करने का आग्रह करता है?
(a) विश्व व्यापार संगठन (WTO)
(b) संयुक्त राष्ट्र (UN)
(c) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF)
(d) विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)

उत्तर: (b) संयुक्त राष्ट्र (UN)

व्याख्या: भारत लगातार संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जवाबदेह ठहराने और कार्रवाई करने का आग्रह करता रहा है।

8. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का मुकाबला करने के प्रयासों में ‘स्थानीय समुदायों के साथ संबंध’ (relations with local communities) क्यों महत्वपूर्ण माने जाते हैं?
1. यह सुरक्षाबलों को खुफिया जानकारी प्राप्त करने में मदद करता है।
2. यह आतंकवादियों के भर्ती नेटवर्क को बाधित करता है।
3. यह स्थानीय लोगों का विश्वास जीतकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ता है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d) 1, 2 और 3

व्याख्या: स्थानीय समुदायों के साथ अच्छे संबंध से खुफिया जानकारी मिलती है, आतंकवादियों के भर्ती प्रयासों को रोका जा सकता है, और लोगों को विकास व शांति की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

9. प्रश्न: हाल की घटनाओं के मद्देनजर, निम्नलिखित में से कौन सा भारतीय सुरक्षा बल मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए जिम्मेदार है?
(a) भारतीय वायु सेना (IAF)
(b) भारतीय नौसेना (Indian Navy)
(c) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) जैसे CRPF, BSF
(d) राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC)

उत्तर: (c) केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) जैसे CRPF, BSF

व्याख्या: जबकि सेना सीमा पर रक्षा और बड़े अभियानों में शामिल होती है, CRPF और BSF जैसी CAPFs जम्मू-कश्मीर में नियमित आंतरिक सुरक्षा, कानून व्यवस्था और आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।

10. प्रश्न: आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत द्वारा उपयोग की जाने वाली ‘रक्षा नीतियां’ (defense policies) में निम्नलिखित में से क्या शामिल हो सकता है?
(a) केवल कूटनीतिक उपाय
(b) केवल आर्थिक प्रतिबंध
(c) सैन्य क्षमता का निर्माण, सीमा प्रबंधन, और खुफिया तंत्र को मजबूत करना
(d) केवल अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

उत्तर: (c) सैन्य क्षमता का निर्माण, सीमा प्रबंधन, और खुफिया तंत्र को मजबूत करना

व्याख्या: रक्षा नीतियों में अक्सर सैन्य क्षमता का विकास, सीमा सुरक्षा, प्रभावी खुफिया जानकारी और पड़ोसी देशों के साथ कूटनीतिक प्रयास शामिल होते हैं।

मुख्य परीक्षा (Mains)

(यहाँ 3-4 मेन्स के प्रश्न प्रदान करें)

1. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुई उधमपुर और किश्तवाड़ मुठभेड़ों के संदर्भ में, भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के समक्ष आतंकवाद की निरंतर चुनौती का विस्तृत विश्लेषण कीजिए। इसमें आतंकवादी समूहों की वर्तमान कार्यप्रणाली, सुरक्षा बलों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ और इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक प्रभावी ‘समग्र दृष्टिकोण’ (holistic approach) की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द)

संकेत: JEM की भूमिका, घुसपैठ, तकनीकी उपयोग, भौगोलिक चुनौतियाँ, खुफिया तंत्र, विकास और राजनीतिक समाधान का उल्लेख करें।

2. प्रश्न: उधमपुर मुठभेड़ में एक जवान की शहादत और जैश-ए-मोहम्मद के तीन आतंकवादियों के मारे जाने की घटना को देखते हुए, भारत-पाकिस्तान संबंधों और सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर टिप्पणी कीजिए। भारत सरकार की ‘आक्रामक लेकिन संयमित’ (aggressive but restrained) कूटनीति की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करें। (200 शब्द)

संकेत: पाकिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद का इतिहास, भारत की प्रतिक्रियाएं (जैसे सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट), कूटनीतिक संबंध, और वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य पर प्रकाश डालें।

3. प्रश्न: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के पुनरुत्थान के संकेतों के बीच, सुरक्षाबलों के लिए ‘स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास और सहयोग’ (trust and cooperation with local communities) स्थापित करना क्यों महत्वपूर्ण है? इस विश्वास को बनाने और बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा उठाए जाने वाले कदमों और उनकी प्रभावशीलता का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। (200 शब्द)

संकेत: खुफिया जानकारी, सामाजिक सामंजस्य, विकास की भूमिका, सरकार की नीतियां, और आम नागरिक की सुरक्षा के महत्व पर ध्यान केंद्रित करें।

4. प्रश्न: उधमपुर और किश्तवाड़ में हालिया मुठभेड़ों का भारतीय आंतरिक सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा? इस संदर्भ में, भारत की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (NATGRID) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) जैसी एजेंसियों की भूमिका की प्रासंगिकता का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)

संकेत: बढ़ते आतंकवाद का प्रभाव, विभिन्न प्रकार की आंतरिक सुरक्षा चुनौतियाँ, NATGRID और NIA की भूमिका, उनके कार्यक्षेत्र और प्रभावशीलता पर चर्चा करें।

सफलता सिर्फ कड़ी मेहनत से नहीं, सही मार्गदर्शन से मिलती है। हमारे सभी विषयों के कम्पलीट नोट्स, G.K. बेसिक कोर्स, और करियर गाइडेंस बुक के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
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