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समय यात्रा का रोमांच: आज के इतिहास क्विज़ में अपनी पकड़ मजबूत करें!

समय यात्रा का रोमांच: आज के इतिहास क्विज़ में अपनी पकड़ मजबूत करें!

क्या आप इतिहास के रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार हैं? आज का हमारा दैनिक अभ्यास सत्र आपको प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक युग के निर्णायक मोड़ों तक एक रोमांचक यात्रा पर ले जाएगा। अपनी सूझबूझ का परीक्षण करें और इतिहास के धागों को सुलझाने के अपने कौशल को निखारें!

इतिहास अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: सिंधु घाटी सभ्यता का कौन सा स्थल वर्तमान पाकिस्तान में स्थित नहीं है?

  1. हड़प्पा
  2. मोहनजोदड़ो
  3. लोथल
  4. चन्हूदड़ो

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: लोथल, सिंधु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख पुरातात्विक स्थल है, जो गुजरात, भारत में स्थित है। यह भोगवा नदी के किनारे बसा था और एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, हड़प्पा (पंजाब, पाकिस्तान), मोहनजोदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) और चन्हूदड़ो (सिंध, पाकिस्तान) वर्तमान पाकिस्तान में स्थित महत्वपूर्ण हड़प्पा स्थल हैं। लोथल अपने गोदी (डॉकयार्ड) के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।
  • गलत विकल्प: अन्य तीनों स्थल (हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो) सिंधु नदी के जल निकासी तंत्र का हिस्सा थे और पाकिस्तान में स्थित हैं, जिससे लोथल एकमात्र भारतीय स्थल बनता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘स्थायी बंदोबस्त’ (Permanent Settlement) के बारे में सत्य नहीं है?

  1. इसे लॉर्ड कॉर्नवॉलिस द्वारा लागू किया गया था।
  2. इसका उद्देश्य जमींदारों को भूमि का मालिक बनाना था।
  3. भूमि का लगान निश्चित कर दिया गया था, जिसे बदला नहीं जा सकता था।
  4. यह बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लागू किया गया था।

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: यह कथन कि भूमि का लगान निश्चित कर दिया गया था जिसे बदला नहीं जा सकता था, स्थायी बंदोबस्त के बारे में पूरी तरह सत्य नहीं है। जबकि एक हद तक लगान तय किया गया था, उसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा समय-समय पर समीक्षा या परिवर्तन के अधीन रखा जा सकता था, खासकर यदि जमींदार कर का भुगतान करने में विफल रहता। यह अक्सर जमींदारों के लिए अनुचित था।
  • संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कॉर्नवॉलिस ने 1793 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा में स्थायी बंदोबस्त लागू किया था। इसने जमींदारों को भूमि का मालिक (वस्तुकृत मालिक) माना और उनसे किसानों से कर वसूलने की उम्मीद की। इसका मुख्य उद्देश्य कंपनी के लिए राजस्व का एक स्थिर और निश्चित स्रोत सुनिश्चित करना था।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) स्थायी बंदोबस्त के बारे में सत्य हैं। लॉर्ड कॉर्नवॉलिस ने इसे लागू किया, जमींदारों को मालिक बनाया, और यह मुख्य रूप से बंगाल, बिहार और उड़ीसा में लागू हुआ।

प्रश्न 3: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘बाजार नियंत्रण’ (Market Control) प्रणाली लागू की थी?

  1. इल्तुतमिश
  2. बलबन
  3. अलाउद्दीन खिलजी
  4. मोहम्मद बिन तुगलक

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अलाउद्दीन खिलजी (शासनकाल: 1296-1316) ने अपने साम्राज्य में महंगाई को नियंत्रित करने और सेना के लिए वस्तुओं की स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एक व्यापक बाजार नियंत्रण प्रणाली लागू की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस प्रणाली के तहत, उसने विभिन्न वस्तुओं (अनाज, कपड़े, घोड़ों आदि) के लिए अधिकतम कीमतें निर्धारित कीं। उसने इस प्रणाली की निगरानी के लिए ‘दीवान-ए-रियासत’ (बाजार अधीक्षक) और ‘शहना-ए- मंडी’ (बाजार अधिकारी) जैसे अधिकारियों की नियुक्ति की। इसका उद्देश्य जनता को राहत देना और सैन्य अभियानों के लिए आवश्यक वस्तुओं की सुलभता सुनिश्चित करना था।
  • गलत विकल्प: इल्तुतमिश (1211-1236) दिल्ली सल्तनत का संस्थापक था, बलबन (1266-1287) ने राजत्व सिद्धांत और मंगोल आक्रमणों से सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया, और मोहम्मद बिन तुगलक (1325-1351) अपनी महत्वाकांक्षी लेकिन अव्यवहारिक परियोजनाओं के लिए जाने जाते हैं। किसी ने भी अलाउद्दीन खिलजी की तरह विस्तृत बाजार नियंत्रण लागू नहीं किया।

प्रश्न 4: फ्रांस की क्रांति (1789) का एक महत्वपूर्ण नारा क्या था?

  1. रक्त और लोहा
  2. स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
  3. एक राष्ट्र, एक नेता, एक लक्ष्य
  4. सभी के लिए रोटी

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: “स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व” (Liberté, égalité, fraternité) फ्रांसीसी क्रांति का केंद्रीय आदर्श और प्रसिद्ध नारा था, जिसने क्रांति को दिशा दी और बाद में दुनिया भर में लोकतांत्रिक आंदोलनों को प्रेरित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नारा क्रांति के तीन प्रमुख सिद्धांतों को दर्शाता है: नागरिकों के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता, कानून के समक्ष सभी की समानता, और सभी नागरिकों के बीच एकता और सहयोग की भावना। यह नारा आज भी फ्रांसीसी गणराज्य का आदर्श वाक्य है।
  • गलत विकल्प: “रक्त और लोहा” बिस्मार्क से जुड़ा है। “एक राष्ट्र, एक नेता, एक लक्ष्य” अक्सर अधिनायकवादी शासनों (जैसे नाज़ी जर्मनी) से जुड़ा है। “सभी के लिए रोटी” एक सामाजिक मांग हो सकती है, लेकिन यह क्रांति का मुख्य दार्शनिक नारा नहीं था।

प्रश्न 5: सम्राट अशोक के किस शिलालेख में कलिंग युद्ध का उल्लेख मिलता है, जिसके बाद उन्होंने युद्ध त्याग दिया था?

  1. पहला शिलालेख
  2. सातवाँ शिलालेख
  3. तेरहवाँ शिलालेख
  4. चौदहवाँ शिलालेख

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: अशोक का तेरहवाँ शिलालेख कलिंग युद्ध (ईसा पूर्व 261) का सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक विवरण प्रदान करता है। इस युद्ध के बाद हुए विनाश और पीड़ा से व्यथित होकर अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया और ‘धम्म विजय’ का मार्ग चुना।
  • संदर्भ और विस्तार: इस शिलालेख में युद्ध के भयावह परिणाम और अशोक के पश्चाताप का विशद वर्णन है। यह अशोक के व्यक्तिगत परिवर्तन और उसके शासन की नीति में आए मूलभूत बदलाव का प्रमाण है। उसके अन्य शिलालेख उसके धम्म प्रचार और प्रशासनिक नीतियों पर प्रकाश डालते हैं।
  • गलत विकल्प: पहले शिलालेख में पशु बलि पर रोक और सार्वजनिक समारोहों के बारे में है। सातवाँ शिलालेख विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता की बात करता है। चौदहवाँ शिलालेख में धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न अनुष्ठानों का उल्लेख है।

प्रश्न 6: 19वीं सदी में भारतीय समाज में सती प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले समाज सुधारक कौन थे?

  1. ईश्वर चंद्र विद्यासागर
  2. ज्योतिबा फुले
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. राजा राम मोहन राय

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: राजा राम मोहन राय (1772-1833) 19वीं सदी के सबसे प्रमुख समाज सुधारकों में से एक थे। उन्होंने सती प्रथा के विरुद्ध जोरदार अभियान चलाया और अंततः 1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिंक के शासनकाल में इसके उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संदर्भ और विस्तार: राजा राम मोहन राय ने वेदांत के सिद्धांतों और ईसाई धर्म की नैतिकता का हवाला देते हुए सती प्रथा को अनैतिक और अतार्किक बताया। उन्होंने ‘ब्रह्म समाज’ की स्थापना की, जिसने सामाजिक सुधारों और पश्चिमी शिक्षा के प्रसार को बढ़ावा दिया।
  • गलत विकल्प: ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया। ज्योतिबा फुले ने दलितों और महिलाओं की शिक्षा के लिए काम किया। स्वामी दयानंद सरस्वती ने ‘आर्य समाज’ की स्थापना की और वेदों की ओर लौटो का नारा दिया, साथ ही मूर्ति पूजा का विरोध किया।

प्रश्न 7: मुगल सम्राट अकबर द्वारा ‘दीन-ए-इलाही’ की घोषणा कब की गई थी?

  1. 1570 ईस्वी
  2. 1582 ईस्वी
  3. 1589 ईस्वी
  4. 1605 ईस्वी

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) नामक एक सर्वधर्म समन्वयकारी धर्म की घोषणा की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अकबर की सभी प्रमुख धर्मों के मूल सिद्धांतों को मिलाकर एक सार्वभौमिक धर्म बनाने की एक महत्वाकांक्षी कोशिश थी, जिसका उद्देश्य साम्राज्य में धार्मिक सहिष्णुता और एकता को बढ़ावा देना था। हालांकि, यह धर्म अधिक लोकप्रिय नहीं हुआ और केवल कुछ ही लोगों ने इसे अपनाया, जिनमें बीरबल भी शामिल थे।
  • गलत विकल्प: 1570 ईस्वी में अकबर ने फतेहपुर सीकरी की स्थापना की। 1589 ईस्वी में उसके बेटे सलीम (जहाँगीर) का जन्म हुआ। 1605 ईस्वी में अकबर की मृत्यु हुई।

प्रश्न 8: “जमीन, जमीन और केवल जमीन” (Land, Land, and only Land) – यह प्रसिद्ध कथन किस रूसी क्रांति के नेता से जुड़ा है?

  1. लियोन ट्रॉट्स्की
  2. जोसेफ स्टालिन
  3. व्लादिमीर लेनिन
  4. निकिता ख्रुश्चेव

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: व्लादिमीर लेनिन, बोल्शेविक क्रांति के प्रमुख नेता, ने किसानों की एक मुख्य मांग को संबोधित करते हुए अक्सर “जमीन, जमीन और केवल जमीन” का नारा दिया था। यह नारा क्रांति के दौरान किसानों को एकजुट करने में सहायक सिद्ध हुआ।
  • संदर्भ और विस्तार: 1917 की रूसी क्रांति के दौरान, किसानों की भूमि सुधार की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करना एक महत्वपूर्ण राजनीतिक उद्देश्य था। लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविकों ने किसानों को भूमि वितरित करने का वादा किया, जिसने उन्हें क्रांति का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया।
  • गलत विकल्प: लियोन ट्रॉट्स्की लेनिन के प्रमुख सहयोगी थे और लाल सेना के संस्थापक थे। जोसेफ स्टालिन लेनिन के उत्तराधिकारी बने और पंचवर्षीय योजनाएं लागू कीं। निकिता ख्रुश्चेव बाद में सोवियत संघ के नेता बने।

प्रश्न 9: ऋग्वैदिक काल में ‘गायत्री मंत्र’ किस देवता को समर्पित है?

  1. इंद्र
  2. वरुण
  3. सोम
  4. सूर्य (सावित्री)

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ऋग्वेद में उल्लिखित गायत्री मंत्र (जिन्हें ‘सावित्री मंत्र’ भी कहा जाता है) सूर्य देवता के एक रूप, ‘सावित्री’ को समर्पित है। यह मंत्र ऋग्वेद के तीसरे मंडल में पाया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: गायत्री मंत्र को वेदों का सबसे पवित्र और शक्तिशाली मंत्र माना जाता है। इसका पाठ शारीरिक और आध्यात्मिक प्रकाश प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह मंत्र ज्ञान और बुद्धि के दाता के रूप में सूर्य की महिमा का बखान करता है।
  • गलत विकल्प: इंद्र ऋग्वैदिक काल के प्रमुख देवता थे, जिन्हें वर्षा और वज्र का देवता माना जाता था। वरुण जल और नैतिकता के देवता थे। सोम एक पौधा और उससे बनी मदिरा का देवता था।

प्रश्न 10: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वह अधिवेशन कौन सा था, जिसमें गरम दल और नरम दल के बीच मतभेद इतने बढ़ गए कि कांग्रेस का विभाजन हो गया?

  1. बनारस अधिवेशन (1905)
  2. कलकत्ता अधिवेशन (1906)
  3. सूरत अधिवेशन (1907)
  4. लाहौर अधिवेशन (1909)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: 1907 का सूरत अधिवेशन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ था, क्योंकि इसी अधिवेशन में कांग्रेस का औपचारिक रूप से गरम दल और नरम दल में विभाजन हो गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: विभाजन का मुख्य कारण स्वदेशी आंदोलन के नेतृत्व और उसकी भविष्य की रणनीति को लेकर दोनों गुटों के बीच गहरे मतभेद थे। गरम दल (जैसे बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल) अधिक आक्रामक नीतियों की वकालत कर रहे थे, जबकि नरम दल (जैसे दादाभाई नौरोजी, गोखले) संवैधानिक तरीकों पर जोर दे रहे थे।
  • गलत विकल्प: बनारस अधिवेशन (1905) में गोखले अध्यक्ष थे और स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया गया था। कलकत्ता अधिवेशन (1906) में दादाभाई नौरोजी अध्यक्ष थे और स्वराज का नारा दिया गया, लेकिन विभाजन टल गया था। लाहौर अधिवेशन (1909) में भारत सरकार अधिनियम (मॉर्ले-मिंटो सुधार) पारित हुआ था।

प्रश्न 11: विजयनगर साम्राज्य के किस महान शासक को ‘आंध्र भोज’ की उपाधि से जाना जाता था?

  1. देवराय प्रथम
  2. देवराय द्वितीय
  3. कृष्ण देव राय
  4. राम राय

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विजयनगर साम्राज्य के सबसे प्रतापी शासकों में से एक, कृष्ण देव राय (शासनकाल: 1509-1530) को ‘आंध्र भोज’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: कृष्ण देव राय साहित्य, कला और वास्तुकला के महान संरक्षक थे। उन्होंने तेलुगु साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और स्वयं एक विद्वान कवि थे। ‘आंध्र भोज’ उपाधि उन्हें साहित्य और कला में उनके योगदान के कारण दी गई थी, जो प्राचीन राजा भोज की तरह विद्वत्ता का प्रतीक था।
  • गलत विकल्प: देवराय प्रथम और देवराय द्वितीय भी महत्वपूर्ण शासक थे, लेकिन कृष्ण देव राय की विद्वत्ता और संरक्षकता अद्वितीय थी। राम राय विजयनगर के अंतिम प्रमुख शासकों में से एक थे, जिनके समय में राक्षसी तंगड़ी का युद्ध हुआ।

प्रश्न 12: प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के तात्कालिक कारण के रूप में किस घटना को जाना जाता है?

  1. ऑस्ट्रिया-हंगरी के आर्कड्यूक फ्रांस फर्डिनेंड की हत्या
  2. जर्मनी का बेल्जियम पर आक्रमण
  3. सर्बियाई राष्ट्रवाद का उदय
  4. जर्मनी द्वारा फ्रांस पर युद्ध की घोषणा

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ऑस्ट्रिया-हंगरी के सिंहासन के उत्तराधिकारी आर्कड्यूक फ्रांस फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की 28 जून, 1914 को साराजेवो (बोस्निया) में एक सर्बियाई राष्ट्रवादी द्वारा हत्या, प्रथम विश्व युद्ध का तात्कालिक कारण बनी।
  • संदर्भ और विस्तार: इस हत्या ने आस्ट्रिया-हंगरी को सर्बिया पर युद्ध की घोषणा करने के लिए उकसाया। इसके बाद, जटिल गठबंधन प्रणालियों (जैसे ट्रिपल एंटेंटे और ट्रिपल एलायंस) के कारण, यूरोप की प्रमुख शक्तियां एक के बाद एक युद्ध में शामिल हो गईं, जिससे यह एक वैश्विक संघर्ष बन गया।
  • गलत विकल्प: जर्मनी का बेल्जियम पर आक्रमण (अगस्त 1914) युद्ध का एक महत्वपूर्ण चरण था, लेकिन तात्कालिक कारण नहीं। सर्बियाई राष्ट्रवाद एक दीर्घकालिक कारण था। जर्मनी द्वारा फ्रांस पर युद्ध की घोषणा (अगस्त 1914) भी श्रृंखला की एक कड़ी थी, जो आर्कड्यूक की हत्या के बाद शुरू हुई।

प्रश्न 13: किस भारतीय साम्राज्य को ‘स्वर्ण युग’ (Golden Age) के रूप में जाना जाता है, जब कला, विज्ञान और साहित्य का अत्यधिक विकास हुआ?

  1. मौर्य साम्राज्य
  2. गुप्त साम्राज्य
  3. चोल साम्राज्य
  4. कनिष्क का साम्राज्य

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: गुप्त साम्राज्य (लगभग 320-550 ईस्वी) को अक्सर भारत का ‘स्वर्ण युग’ कहा जाता है, क्योंकि इस दौरान कला, साहित्य, विज्ञान, गणित और खगोल विज्ञान में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
  • संदर्भ और विस्तार: इस काल में कालिदास जैसे महान कवियों, आर्यभट्ट जैसे खगोलविदों और गणितज्ञों, और विष्णु शर्मा जैसे साहित्यकारों ने अपना योगदान दिया। गुप्त काल में अजंता की गुफाओं की चित्रकला और महरौली स्तंभलेख जैसे महत्वपूर्ण निर्माण हुए।
  • गलत विकल्प: मौर्य साम्राज्य (ईसा पूर्व चौथी से दूसरी शताब्दी) अपने प्रशासनिक व्यवस्था और अशोक के धम्म के लिए जाना जाता है। चोल साम्राज्य (9वीं से 12वीं शताब्दी) अपनी नौसैनिक शक्ति और स्थापत्य कला (जैसे तंजावुर का बृहदेश्वर मंदिर) के लिए प्रसिद्ध था। कनिष्क का साम्राज्य (कुषाण) गांधार कला और बौद्ध धर्म के विकास से जुड़ा है।

प्रश्न 14: महात्मा गांधी द्वारा 12 मार्च, 1930 को दांडी मार्च की शुरुआत किस आंदोलन के हिस्से के रूप में की गई थी?

  1. असहयोग आंदोलन
  2. सविनय अवज्ञा आंदोलन
  3. भारत छोड़ो आंदोलन
  4. रौलट सत्याग्रह

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: दांडी मार्च, जिसे नमक सत्याग्रह के नाम से भी जाना जाता है, सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) का एक प्रमुख हिस्सा था, जिसकी शुरुआत महात्मा गांधी ने 12 मार्च, 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से दांडी तक नमक कानून तोड़ने के लिए की थी।
  • संदर्भ और विस्तार: गांधीजी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा लगाए गए नमक पर एकाधिकार और कर का विरोध करते हुए 240 मील की यात्रा पैदल तय की। 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुंचकर उन्होंने समुद्र तट पर नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा। इस घटना ने पूरे देश में सविनय अवज्ञा आंदोलन को गति प्रदान की।
  • गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन (1920-22) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) अन्य महत्वपूर्ण गांधीवादी आंदोलन थे। रौलट सत्याग्रह (1919) ब्रिटिश सरकार के दमनकारी रौलट एक्ट के विरोध में था।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख संत थे, जिन्होंने निर्गुण ब्रह्म की उपासना पर जोर दिया?

  1. चैतन्य महाप्रभु
  2. सूरदास
  3. कबीर
  4. मीराबाई

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: संत कबीर (15वीं शताब्दी) भक्ति आंदोलन के सबसे प्रभावशाली संत थे, जिन्होंने ईश्वर के निर्गुण (रूपरहित) स्वरूप की उपासना पर बल दिया। उन्होंने मूर्ति पूजा, कर्मकांड और धार्मिक आडंबरों का कड़ा विरोध किया।
  • संदर्भ और विस्तार: कबीर की शिक्षाएं हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच लोकप्रिय हुईं। उन्होंने अपनी साखियों (दोहों) और पदों के माध्यम से प्रेम, एकता और सामाजिक समानता का संदेश दिया। उन्होंने ‘रमैनी’, ‘सबद’ और ‘साखी’ नामक रचनाएं कीं।
  • गलत विकल्प: चैतन्य महाप्रभु (बंगाल) ने सगुण कृष्ण भक्ति पर जोर दिया। सूरदास ने भी सगुण कृष्ण भक्ति का गान किया। मीराबाई, जो कृष्ण की भक्त थीं, निर्गुण ब्रह्म के बजाय सगुण रूप की उपासक थीं।

प्रश्न 16: 18वीं सदी में ब्रिटेन में हुई औद्योगिक क्रांति का प्रमुख उत्पाद क्या था?

  1. लोहे का अत्यधिक उत्पादन
  2. भाप इंजन का विकास
  3. सूती वस्त्रों का मशीनीकरण
  4. रेलवे का आविष्कार

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: 18वीं सदी की औद्योगिक क्रांति में सूती वस्त्रों के मशीनीकरण (Mechanization of Cotton Textiles) का अत्यधिक महत्व था। यह वह क्षेत्र था जिसने बड़े पैमाने पर उत्पादन और कारखानों की स्थापना को संभव बनाया।
  • संदर्भ और विस्तार: जेम्स हरग्रीव्स की स्पिनिंग जेनी, रिचर्ड आर्कराइट की वॉटर फ्रेम और सैमुअल क्रॉम्प्टन की म्यूल जैसी मशीनों के आविष्कार ने सूत कातने की प्रक्रिया को क्रांतिकारी रूप से बदल दिया। इसके बाद एडमंड कार्टराइट के पावर लूम ने बुनाई को भी मशीनीकृत कर दिया। इन नवाचारों ने वस्त्र उद्योग को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाया।
  • गलत विकल्प: लोहे का उत्पादन बढ़ा, लेकिन वह मुख्य रूप से नई मशीनरी और निर्माण के लिए था। भाप इंजन (जेम्स वाट द्वारा सुधारा गया) भी एक महत्वपूर्ण आविष्कार था, जो मशीनों को चलाने में सहायक था, लेकिन वस्त्र उत्पादन इसका प्रत्यक्ष और प्रमुख उत्पाद नहीं था। रेलवे का आविष्कार 19वीं सदी की शुरुआत में हुआ, जो औद्योगिक क्रांति का परिणाम था, न कि उसका प्रमुख उत्पाद।

प्रश्न 17: बौद्ध धर्म की ‘चार आर्य सत्य’ (Four Noble Truths) में क्या शामिल नहीं है?

  1. दुःख है
  2. दुःख का कारण तृष्णा है
  3. दुःख का निवारण संभव नहीं है
  4. दुःख निवारण का मार्ग है (अष्टांगिक मार्ग)

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: बौद्ध धर्म की चार आर्य सत्यों में से एक है “दुःख निवारण संभव है” (निरोध सत्य), न कि “दुःख का निवारण संभव नहीं है”।
  • संदर्भ और विस्तार: चार आर्य सत्य इस प्रकार हैं: 1. दुःख (जीवन में कष्ट है), 2. दुःख का कारण (तृष्णा या वासना), 3. दुःख का निरोध (दुःख का अंत संभव है, जिसे निर्वाण कहते हैं), और 4. दुःख निरोध का मार्ग (अष्टांगिक मार्ग)।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्यों का सही प्रतिनिधित्व करते हैं। विकल्प (c) इस सिद्धांत के विपरीत है कि दुःख का अंत (निर्वाण) संभव है।

प्रश्न 18: सहायक संधि (Subsidiary Alliance) प्रणाली को किस ब्रिटिश गवर्नर-जनरल ने पेश किया था?

  1. लॉर्ड कॉर्नवॉलिस
  2. लॉर्ड डलहौजी
  3. लॉर्ड वेलेस्ली
  4. लॉर्ड विलियम बेंटिंक

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: लॉर्ड वेलेस्ली, जिन्होंने 1798 से 1805 तक भारत में गवर्नर-जनरल के रूप में कार्य किया, ने सहायक संधि प्रणाली को पेश किया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संधि के तहत, भारतीय शासकों को अपनी सेना भंग करनी पड़ती थी और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना को बनाए रखने का खर्च उठाना पड़ता था। इसके बदले में, कंपनी शासक को बाहरी खतरों से सुरक्षा प्रदान करती थी। यह संधि भारतीय राज्यों को ब्रिटिश नियंत्रण में लाने का एक प्रभावी तरीका बन गई। हैदराबाद के निजाम इस संधि को स्वीकार करने वाले पहले शासक थे।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कॉर्नवॉलिस स्थायी बंदोबस्त के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत के सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा का उन्मूलन किया था।

प्रश्न 19: शेर शाह सूरी ने अपने शासनकाल में किस प्रशासनिक सुधार के लिए प्रसिद्धि पाई?

  1. मनसबदारी प्रथा का विस्तार
  2. ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ की स्थापना
  3. ‘रुपया’ नामक सिक्का जारी करना और सड़क-ए-आज़म का निर्माण
  4. ‘इक्ता’ प्रणाली का पुनर्गठन

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: शेरशाह सूरी (शासनकाल: 1540-1545) ने व्यापार और संचार को बढ़ावा देने के लिए ‘रुपया’ नामक चांदी का सिक्का जारी किया और एक विशाल सड़क, ‘सड़क-ए-आज़म’ (जो आज ग्रैंड ट्रंक रोड का हिस्सा है), का निर्माण कराया।
  • संदर्भ और विस्तार: शेरशाह सूरी प्रशासन में अपनी कुशलता के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने भूमि सुधार, भू-राजस्व प्रणाली और न्याय प्रशासन में भी महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने अपने साम्राज्य को चार प्रांतों और फिर सरकारों, परगनों और गांवों में विभाजित किया था।
  • गलत विकल्प: मनसबदारी प्रथा मुगलों, विशेषकर अकबर, द्वारा विकसित की गई थी। ‘दीवान-ए-अमीर कोही’ मोहम्मद बिन तुगलक द्वारा कृषि को बढ़ावा देने के लिए स्थापित विभाग था। ‘इक्ता’ प्रणाली दिल्ली सल्तनत में प्रचलित थी।

प्रश्न 20: पुनर्जागरण (Renaissance) काल की प्रमुख विशेषता क्या थी?

  1. धार्मिक कट्टरता का प्रसार
  2. सामंतवाद का सुदृढ़ीकरण
  3. मानववाद (Humanism) का उदय
  4. साम्राज्यवादी विस्तार पर जोर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: पुनर्जागरण काल (लगभग 14वीं से 16वीं शताब्दी) की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता ‘मानववाद’ (Humanism) का उदय था। इसने मध्ययुगीन धर्म-केंद्रित दृष्टिकोण से हटकर मानव की क्षमताओं, बुद्धि और इस दुनिया के महत्व पर ध्यान केंद्रित किया।
  • संदर्भ और विस्तार: मानववादियों ने प्राचीन यूनानी और रोमन साहित्य, दर्शन और कला का अध्ययन किया और उन्हें पुनर्जीवित किया। उन्होंने व्यक्ति की गरिमा, तर्क और व्यक्तिगत उपलब्धि को महत्व दिया। इस काल में कला, विज्ञान, साहित्य और अन्वेषण में उल्लेखनीय प्रगति हुई।
  • गलत विकल्प: पुनर्जागरण काल में धार्मिक कट्टरता कम हुई और अधिक सहिष्णुता आई। सामंतवाद कमजोर पड़ा। जबकि अन्वेषण हुआ, साम्राज्यवादी विस्तार पुनर्जागरण के बाद की अवधि (विशेषकर 17वीं-18वीं शताब्दी) में अधिक प्रमुख हुआ।

प्रश्न 21: प्राचीन तमिल साहित्य के ‘संगम साहित्य’ का मुख्य विषय क्या था?

  1. केवल धार्मिक ग्रंथ
  2. प्रेम, युद्ध और सामाजिक जीवन
  3. विदेशी व्यापार का वर्णन
  4. आर्यों का दक्षिण भारत में आगमन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: संगम साहित्य, जो ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी से ईस्वी तीसरी शताब्दी तक के काल में रचा गया, मुख्य रूप से प्रेम (अकम) और युद्ध (पुरम) के विषयों पर केंद्रित था। इसमें तत्कालीन तमिल समाज, संस्कृति, रीति-रिवाजों और जीवन शैली का विस्तृत वर्णन भी मिलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह साहित्य तीन संगमों (विद्वानों की सभाओं) के संरक्षण में रचा गया था। इसमें ‘तोल्काप्पियम’ (व्याकरण), ‘एट्टुत्तोगई’ (आठ संग्रह) और ‘पट्टुपट्टू’ (दस इदि) जैसे प्रमुख ग्रंथ शामिल हैं। यह प्राचीन दक्षिण भारत के इतिहास और संस्कृति को समझने का एक अमूल्य स्रोत है।
  • गलत विकल्प: संगम साहित्य में धार्मिक ग्रंथ भी हैं, लेकिन वे प्रमुख या एकमात्र विषय नहीं थे। इसमें विदेशी व्यापार का भी उल्लेख है, लेकिन यह भी मुख्य विषय नहीं था। आर्यों के दक्षिण भारत आगमन का प्रत्यक्ष वर्णन इसमें नहीं मिलता, बल्कि उस समय की स्थानीय संस्कृति का चित्रण है।

प्रश्न 22: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण क्या था?

  1. डलहौजी की व्यपगत नीति
  2. ईसाई धर्म के प्रसार का भय
  3. चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग
  4. भारतीयों को सेना में कम वेतन देना

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: 1857 के विद्रोह का तात्कालिक कारण नई एनफील्ड राइफलों में चर्बी लगे कारतूसों का प्रयोग था, जिनके बारे में यह अफवाह फैली थी कि वे गाय और सूअर की चर्बी से बने होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सैनिकों (विशेषकर मंगल पांडे) ने इन कारतूसों को मुंह से खोलने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह उनकी धार्मिक भावनाओं के विरुद्ध था। इस घटना ने ब्रिटिश शासन के प्रति लंबे समय से पनप रहे असंतोष को हवा दी और विद्रोह की चिंगारी सुलगा दी।
  • गलत विकल्प: डलहौजी की व्यपगत नीति, ईसाई धर्म के प्रसार का भय, और सेना में भेदभाव जैसे कारक विद्रोह के दीर्घकालिक कारण थे, लेकिन चर्बी लगे कारतूसों ने विद्रोह को तत्काल भड़काया।

प्रश्न 23: मराठा शासक शिवाजी के प्रशासनिक व्यवस्था में ‘अष्टप्रधान’ का क्या अर्थ था?

  1. आठ प्रमुख देवता
  2. आठ क्षेत्रीय प्रशासक
  3. आठ मंत्रियों की एक परिषद
  4. आठ प्रकार के कर

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: शिवाजी महाराज ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए आठ प्रमुख मंत्रियों की एक परिषद का गठन किया था, जिसे ‘अष्टप्रधान’ कहा जाता था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस परिषद में पेशवा (प्रधान मंत्री), अमात्य (वित्त मंत्री), सुमंत (विदेश मंत्री), सचिव (राजकीय पत्र व्यवहार), पंडित राव (धार्मिक मामले), सेनापति (सेना प्रमुख), पंडित (न्यायाधीश) और प्रतिनिधि (राजकीय कार्य) जैसे पद शामिल थे। यह व्यवस्था मराठा साम्राज्य के कुशल शासन का आधार बनी।
  • गलत विकल्प: अष्टप्रधान देवताओं, क्षेत्रीय प्रशासकों या करों से संबंधित नहीं था, बल्कि यह आठ मंत्रियों की एक कार्यकारी परिषद थी।

प्रश्न 24: शीत युद्ध (Cold War) के दौर की एक प्रमुख विशेषता क्या थी?

  1. सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष
  2. एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था का वर्चस्व
  3. दो महाशक्तियों (संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ) के बीच वैचारिक और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
  4. सभी देशों की एक-दूसरे के साथ पूर्ण आर्थिक निर्भरता

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: शीत युद्ध (लगभग 1947-1991) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगी पश्चिमी देशों तथा सोवियत संघ और उसके सहयोगी पूर्वी ब्लॉक देशों के बीच एक वैचारिक, राजनीतिक और आर्थिक प्रतिद्वंद्विता थी, जिसे प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष में बदलने से रोका गया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दौर में दोनों महाशक्तियां हथियारों की होड़ में लगी रहीं, proxy wars (प्रतिनिधि युद्ध) लड़ी गईं, और जासूसी एवं प्रचार अभियान चलाए गए। मुख्य रूप से पूंजीवाद और साम्यवाद के बीच यह संघर्ष दुनिया को दो गुटों में बांटने वाली एक ध्रुवीय विश्व व्यवस्था का अग्रदूत था, लेकिन स्वयं एकध्रुवीय नहीं था।
  • गलत विकल्प: प्रत्यक्ष सैन्य संघर्ष (एक पूर्ण युद्ध) शीत युद्ध की विशेषता नहीं थी, बल्कि दोनों पक्ष एक-दूसरे के सीधे टकराव से बचते थे। यह एक ‘शीत’ युद्ध था। यह एकध्रुवीय नहीं, बल्कि द्विध्रुवीय (Bipolar) व्यवस्था थी। आर्थिक निर्भरता थी, लेकिन ‘पूर्ण’ निर्भरता नहीं और यह प्रतिद्वंद्विता का एक पहलू था, न कि मुख्य विशेषता।

प्रश्न 25: भारत के विभाजन (1947) की योजना का मसौदा किस ब्रिटिश अधिकारी ने तैयार किया था?

  1. लॉर्ड कर्ज़न
  2. लॉर्ड लिनलिथगो
  3. लॉर्ड वेवेल
  4. लॉर्ड माउंटबेटन

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारत के विभाजन की अंतिम योजना, जिसे ‘माउंटबेटन योजना’ के नाम से भी जाना जाता है, तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा तैयार की गई थी।
  • संदर्भ और विस्तार: 3 जून, 1947 को प्रस्तुत इस योजना ने भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन को भारत और पाकिस्तान नामक दो स्वतंत्र डोमिनियन में अंतिम रूप दिया। लॉर्ड माउंटबेटन ने इस योजना को कांग्रेस और मुस्लिम लीग दोनों के नेताओं के साथ बातचीत करके अंतिम रूप दिया था, जिससे ब्रिटिश शासन की शीघ्र समाप्ति सुनिश्चित हो सके।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्ज़न (1905 में बंगाल का विभाजन), लॉर्ड लिनलिथगो (भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वायसराय), और लॉर्ड वेवेल (वेवेल योजना के प्रस्तावक) ने भारत की स्वतंत्रता और विभाजन से जुड़े अन्य चरणों में भूमिका निभाई, लेकिन विभाजन की अंतिम योजना माउंटबेटन की थी।

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