समाजशास्त्र की धार: रोज़ाना महा-अभ्यास
स्वागत है, समाजशास्त्र के भावी दिग्गजों! क्या आप अपनी वैचारिक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार हैं? हर दिन की तरह, आज भी हम आपके लिए लाए हैं समाजशास्त्र के गहन अध्ययन पर आधारित 25 चुने हुए प्रश्न. यह केवल एक अभ्यास नहीं, बल्कि आपकी तैयारी को धार देने का एक अनूठा अवसर है. आइए, अपने ज्ञान की परीक्षा लें और समाजशास्त्र की दुनिया में और गहराई से उतरें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन का मुख्य विषय माना?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- ताल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: इमाइल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम” (The Rules of Sociological Method) में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को परिभाषित किया। उन्होंने इसे व्यक्ति के बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक उत्पत्ति वाले व्यवहार के तरीके के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, समाजशास्त्र का मुख्य उद्देश्य इन सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना है, जैसे कि वे वस्तुएं हों। यह अवधारणा उनके प्रत्यक्षवादी (positivist) दृष्टिकोण का आधार है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर केंद्रित थे, मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) और नौकरशाही पर काम किया, जबकि ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था और संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (structural-functionalism) का सिद्धांत विकसित किया।
प्रश्न 2: ‘आदर्श प्रारूप’ (Ideal Type) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से जुड़ी है, जिसका उपयोग वह सामाजिक घटनाओं के विश्लेषण के लिए एक वैचारिक उपकरण के रूप में करते थे?
- अगस्त कॉम्पटे
- हरबर्ट स्पेंसर
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने ‘आदर्श प्रारूप’ को एक विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में प्रस्तुत किया। यह किसी विशेष सामाजिक घटना के स्पष्ट, अतिरंजित और तार्किक रूप से सुसंगत चित्रण को दर्शाता है, जिसका उपयोग वास्तविक दुनिया की जटिलताओं को समझने के लिए किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही, पूंजीवाद और प्रभुत्व (domination) के आदर्श प्रारूप विकसित किए। यह वास्तविक दुनिया का दर्पण नहीं है, बल्कि उसके अध्ययन के लिए एक मार्गदर्शक है।
- गलत विकल्प: अगस्त कॉम्पटे ने समाजशास्त्र को एक विज्ञान के रूप में स्थापित करने का प्रयास किया (प्रत्यक्षवाद), हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के सिद्धांत (social Darwinism) दिए, और जॉर्ज सिमेल ने सूक्ष्म समाजशास्त्र (micro-sociology) और सामाजिक अंतःक्रियाओं का अध्ययन किया।
प्रश्न 3: निम्न में से कौन सा कथन ‘अलगाव’ (Alienation) की मार्क्सवादी अवधारणा से सबसे अच्छी तरह मेल खाता है?
- समाज में व्यक्ति की स्वतंत्रता का अभाव।
- उत्पादन की प्रक्रिया में व्यक्ति का अपनी ही मानवीय सार (human essence) से विमुख हो जाना।
- पारंपरिक समाज में व्यक्तियों का अनुभव।
- आधुनिकता के कारण सामाजिक विघटन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी व्यवस्था में श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, श्रम की प्रक्रिया, अपनी प्रजाति-सार (species-being) और अन्य मनुष्यों से अलग-थलग महसूस करता है। यह उत्पादन के साधनों पर स्वामित्व न होने और श्रम के वस्तुकरण (commodification) का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने ‘आर्थिक और दार्शनिक पांडुलिपियाँ, 1844’ (Economic and Philosophic Manuscripts of 1844) में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया है।
- गलत विकल्प: (a) स्वतंत्रता का अभाव एक व्यापक अवधारणा है, लेकिन मार्क्सवादी अलगाव विशिष्ट है। (c) अलगाव मार्क्स के अनुसार पूंजीवादी व्यवस्था का उत्पाद है, पारंपरिक समाज की विशेषता नहीं। (d) सामाजिक विघटन दुर्खीम की ‘एनोमी’ से अधिक संबंधित है।
प्रश्न 4: ‘अनुकूलन’ (Adaptation), ‘लक्ष्य प्राप्ति’ (Goal Attainment), ‘एकीकरण’ (Integration), और ‘निहितार्थ’ (Latency) (AGIL) प्रतिमान किस समाजशास्त्री द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जो सामाजिक व्यवस्था की व्याख्या करता है?
- रॉबर्ट मर्टन
- ताल्कोट पार्सन्स
- किंग्सले डेविस
- विलियम एफ. ऑग्बन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के विश्लेषण के लिए ‘AGIL’ प्रतिमान (Structure and Dynamics of Theory in Sociology) विकसित किया। यह बताता है कि किसी भी सामाजिक व्यवस्था को जीवित रहने और कार्य करने के लिए इन चार कार्यात्मक आवश्यकताओं को पूरा करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: A – अनुकूलन (पर्यावरण से निपटना), G – लक्ष्य प्राप्ति (समूह के उद्देश्यों को निर्धारित करना और प्राप्त करना), I – एकीकरण (सामाजिक व्यवस्था के विभिन्न भागों को एक साथ बांधना), L – निहितार्थ (सांस्कृतिक मूल्यों और भावनात्मक तनावों को बनाए रखना)।
- गलत विकल्प: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्य (functions) के मध्यवर्ती सिद्धांत (middle-range theory) विकसित किए, जिसमें ‘प्रकट’ (manifest) और ‘अप्रकट’ (latent) प्रकार्य शामिल हैं। किंग्सले डेविस और विलियक एफ. ऑग्बन ने भी प्रकार्यात्मक सिद्धांतों में योगदान दिया, लेकिन AGIL प्रतिमान पार्सन्स का विशिष्ट है।
प्रश्न 5: ‘कम्युनिटी’ ( Gemeinschaft) और ‘सोसाइटी’ (Gesellschaft) की अवधारणाएँ, जो पारंपरिक और आधुनिक समाजों के बीच अंतर करती हैं, किस समाजशास्त्री से संबंधित हैं?
- जॉर्ज सिमेल
- फर्डिनेंड टोनीज़
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: फर्डिनेंड टोनीज़ ने अपनी पुस्तक ‘Gemeinschaft und Gesellschaft’ (1887) में इन दो प्रकार की सामाजिक व्यवस्थाओं का वर्णन किया। ‘Gemeinschaft’ (सामुदायिक संबंध) घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों को दर्शाता है, जबकि ‘Gesellschaft’ (सामाजSिक संबंध) औपचारिक, अवैयक्तिक और साधन-साध्य संबंधों को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: टोनीज़ ने यह अंतर पारंपरिक, ग्रामीण समुदायों (Gemeinschaft) और आधुनिक, शहरी, औद्योगिक समाजों (Gesellschaft) के बीच सामाजिक संगठन में बदलाव को समझाने के लिए किया।
- गलत विकल्प: जॉर्ज सिमेल ने महानगरीय जीवन (metropolitan life) और मुद्रा अर्थव्यवस्था (money economy) का अध्ययन किया। मैक्स वेबर ने आदर्श प्रारूप और नौकरशाही का विश्लेषण किया। एमिल दुर्खीम ने यांत्रिक और ऐकिक एकजुटता (mechanical and organic solidarity) की बात की।
प्रश्न 6: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा, जो बताती है कि समाज के गैर-भौतिक तत्व (जैसे मूल्य, मानदंड) भौतिक तत्वों (जैसे प्रौद्योगिकी) की तुलना में धीमी गति से बदलते हैं, किसने प्रस्तुत की?
- विलियम एफ. ऑग्बन
- एमिल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: विलियम एफ. ऑग्बन ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा को विकसित किया। उनका मानना था कि समाज में प्रौद्योगिकी और भौतिक संस्कृति का विकास अक्सर गैर-भौतिक संस्कृति, जैसे कि सामाजिक संस्थाएं, मानदंड और मूल्य, की तुलना में बहुत तेज होता है, जिससे सामाजिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ऑग्बन ने इसे सामाजिक परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण व्याख्या के रूप में प्रस्तुत किया, विशेषकर औद्योगिक और तकनीकी समाजों के संदर्भ में।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया, मार्क्स ने आर्थिक निर्धारणवाद पर, और वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता पर।
प्रश्न 7: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) का अर्थ क्या है?
- समाज में व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध।
- समाज में संसाधनों (धन, शक्ति, प्रतिष्ठा) के आधार पर लोगों का पदानुक्रमित (hierarchical) वर्गीकरण।
- सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का समूह।
- सामाजिक संस्थाओं का विकास।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण समाज में असमानता की एक व्यवस्थित प्रणाली है, जहाँ लोगों को उनकी सामाजिक स्थिति, धन, शक्ति, प्रतिष्ठा, शिक्षा, या अन्य सामाजिक गुणों के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में विभाजित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सार्वभौमिक सामाजिक घटना है जो विभिन्न रूपों (जैसे जाति, वर्ग, लिंग) में प्रकट होती है और समाज के सदस्यों के अवसरों और जीवन शैली को प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत संबंध सामाजिक अंतःक्रिया का हिस्सा हैं। (c) यह संस्कृति से संबंधित है। (d) यह सामाजिक संरचना का एक पहलू है, लेकिन स्तरीकरण का सीधा अर्थ नहीं है।
प्रश्न 8: “समाज के बिना व्यक्ति, या व्यक्ति के बिना समाज, दोनों ही अकल्पनीय हैं,” यह कथन किस समाजशास्त्री के विचारों से निकटता से जुड़ा है?
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- जी.एच. मीड
- अल्बर्ट बंडुरा
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: इमाइल दुर्खीम समाजशास्त्रीय द्वंद्ववाद (sociological dualism) के एक समर्थक थे, जिनका मानना था कि समाज व्यक्तियों का एक समुच्चय मात्र नहीं है, बल्कि इसकी अपनी विशिष्ट वास्तविकता है (समाजशास्त्रीय तथ्य)। साथ ही, व्यक्ति सामाजिक व्यवस्था में ही अपनी पहचान बनाते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज व्यक्ति के लिए आवश्यक है और व्यक्ति समाज के लिए।
- संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘समाज का विभाजन’ (The Division of Labour in Society) में, उन्होंने यह बताया कि कैसे समाज सामाजिक एकजुटता (social solidarity) के माध्यम से व्यक्तियों को एक साथ बांधता है।
- गलत विकल्प: मैक्स वेबर ने व्यक्ति के अर्थों पर जोर दिया, जी.एच. मीड ने ‘स्व’ (self) और प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (symbolic interactionism) का सिद्धांत दिया, और अल्बर्ट बंडुरा सामाजिक शिक्षण सिद्धांत (social learning theory) से जुड़े हैं।
प्रश्न 9: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का दृष्टिकोण मुख्य रूप से किस पर केंद्रित है?
- बड़े पैमाने की सामाजिक संरचनाओं और संस्थाओं का विश्लेषण।
- सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए व्यक्तियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रतीकों और अंतःक्रियाओं का अध्ययन।
- आर्थिक उत्पादन और वर्ग संघर्ष का विश्लेषण।
- सामाजिक समस्याओं को दूर करने के लिए सरकारी नीतियों का मूल्यांकन।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसके प्रमुख विचारकों में जी.एच. मीड, हरबर्ट ब्लूमर और अर्ल्विंग गोफमैन शामिल हैं, इस बात पर जोर देता है कि मनुष्य अपने सामाजिक परिवेश को प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से समझता है और अपनी अंतःक्रियाओं को इन प्रतीकों की साझा समझ के आधार पर संरचित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सूक्ष्म-स्तरीय (micro-level) विश्लेषण पर केंद्रित है, यह देखने के लिए कि व्यक्ति कैसे अर्थ बनाते हैं और सामाजिक वास्तविकता को अपनी दैनिक बातचीत के माध्यम से कैसे बनाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह वृहद-स्तरीय (macro-level) सिद्धांतों (जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता) पर केंद्रित है। (c) यह मार्क्सवाद का केंद्रीय विषय है। (d) यह नीति विश्लेषण (policy analysis) का एक रूप है।
प्रश्न 10: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) के संदर्भ में, ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का तात्पर्य क्या है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों पर लगाए गए व्यावसायिक प्रतिबंध।
- निम्न जातियों को सार्वजनिक पूजा स्थलों या कुओं का उपयोग करने से रोकना।
- एक जाति द्वारा दूसरी जाति के सदस्यों के साथ विवाह करना।
- जाति व्यवस्था से बाहर के लोगों का समूह।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: अस्पृश्यता, जिसे ‘अछूत’ (Dalit) समुदायों को प्रभावित करने वाली प्रथा के रूप में जाना जाता है, में ऐतिहासिक रूप से उन समूहों को सामाजिक, धार्मिक और भौतिक जीवन से बहिष्कृत करना शामिल था। इसमें सार्वजनिक स्थानों, मंदिरों, और यहां तक कि सामान्य कुओं का उपयोग करने से रोकना शामिल था।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण का एक चरम रूप रहा है, जो ‘शुद्धता’ और ‘अपवित्रता’ की धार्मिक अवधारणाओं पर आधारित है। भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया है और इसे दंडनीय अपराध घोषित किया है।
- गलत विकल्प: (a) यह जातिगत व्यावसायिक प्रतिबंधों का हिस्सा हो सकता है, लेकिन अस्पृश्यता का पूर्ण अर्थ नहीं। (c) यह अंतरजातीय विवाह (inter-caste marriage) से संबंधित है। (d) यह जाति व्यवस्था से बाहर के समूह (जैसे आदिवासी) का वर्णन कर सकता है, लेकिन अस्पृश्यता विशिष्ट है।
प्रश्न 11: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण।
- उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर निम्न जातियों द्वारा सामाजिक स्थिति में सुधार का प्रयास।
- आधुनिक प्रौद्योगिकी और जीवन शैली को अपनाना।
- शहरीकरण के कारण पारंपरिक मूल्यों का क्षरण।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतीकरण’ की अवधारणा को पेश किया, जो एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निम्न जाति या जनजाति के लोग किसी उच्च, ‘द्विजा’ (twice-born) जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाते हैं ताकि वे जाति पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा पहली बार उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ (1952) में प्रस्तावित की गई थी। यह सामाजिक गतिशीलता (social mobility) का एक रूप है।
- गलत विकल्प: (a) यह ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) की अवधारणा है। (c) यह ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) का एक पहलू है। (d) यह ‘शहरीकरण’ (Urbanization) के संभावित परिणामों में से एक हो सकता है।
प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का सिद्धांत, जो व्यक्तिगत और सामूहिक सफलता में सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और आपसी सहयोग के महत्व पर जोर देता है, मुख्य रूप से किससे जुड़ा है?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमन
- रॉबर्ट पुटनम
- ये सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को कई समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है। पियरे बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों से उत्पन्न होने वाले संसाधनों के रूप में देखा। जेम्स कोलमन ने इसे सामाजिक संरचनाओं (नेटवर्क, मानदंड, विश्वास) के रूप में परिभाषित किया जो व्यक्तियों को अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। रॉबर्ट पुटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव (civic engagement) और सामुदायिक जीवन के संदर्भ में महत्वपूर्ण माना।
- संदर्भ और विस्तार: ये तीनों विचारक सामाजिक पूंजी के महत्व को इस बात पर जोर देते हुए बताते हैं कि कैसे ये अमूर्त संसाधन (नेटवर्क, विश्वास) व्यक्तियों और समाजों के लिए लाभप्रद हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए यह विकल्प सही है।
प्रश्न 13: ‘भूमंडलीकरण’ (Globalization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, ‘सांस्कृतिक समरूपीकरण’ (Cultural Homogenization) का क्या अर्थ है?
- विभिन्न संस्कृतियों का एक-दूसरे से मेल खाना और साझा तत्वों का विकास।
- स्थानीय संस्कृतियों का गायब होना और वैश्विक (मुख्यतः पश्चिमी) संस्कृति का प्रभुत्व।
- सांस्कृतिक पहचानों का मजबूत होना।
- सांस्कृतिक आदान-प्रदान में वृद्धि।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सांस्कृतिक समरूपीकरण, भूमंडलीकरण के एक विवादास्पद परिणाम के रूप में, यह विचार है कि वैश्विक प्रसार (विशेषकर मीडिया, उपभोक्तावाद और कॉर्पोरेट संस्कृति के माध्यम से) विभिन्न स्थानीय संस्कृतियों को मिटा रहा है और उन्हें एक समान, वैश्विक संस्कृति (अक्सर अमेरिकी या पश्चिमी संस्कृति) से बदल रहा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह चिंता का विषय है कि इससे सांस्कृतिक विविधता का नुकसान हो सकता है।
- गलत विकल्प: (a) सांस्कृतिक समरूपीकरण से भिन्न है, जो अधिक मिश्रण को दर्शाता है। (c) यह सांस्कृतिक भिन्नता (cultural divergence) या सांस्कृतिक पुनरुद्धार (cultural revival) की ओर इशारा कर सकता है। (d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान (cultural diffusion) एक व्यापक शब्द है जो समरूपीकरण से भिन्न हो सकता है।
प्रश्न 14: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- समाज के सदस्यों के बीच सामाजिक अंतःक्रिया।
- एक व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना।
- समाज में सामाजिक मानदंडों का पालन।
- समूहों के बीच सामाजिक संघर्ष।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक गतिशीलता लोगों के सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे जाने या एक सामाजिक वर्ग से दूसरे में जाने की प्रक्रिया को संदर्भित करती है। इसमें ऊर्ध्वाधर (vertical) और क्षैतिज (horizontal) गतिशीलता दोनों शामिल हो सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में स्थिति में वास्तविक वृद्धि या गिरावट शामिल होती है (जैसे, गरीब से अमीर बनना)। क्षैतिज गतिशीलता में एक ही सामाजिक स्तर पर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना शामिल है (जैसे, शिक्षक से प्रधानाध्यापक बनना, यदि दोनों का सामाजिक स्तर समान माना जाए)।
- गलत विकल्प: (a) सामाजिक अंतःक्रिया एक प्रक्रिया है, लेकिन गतिशीलता नहीं। (c) यह सामाजिक नियंत्रण (social control) से संबंधित है। (d) यह सामाजिक परिवर्तन का एक कारण या परिणाम हो सकता है, लेकिन स्वयं गतिशीलता नहीं।
प्रश्न 15: ‘कुल समूह’ (Total Institution) की अवधारणा, जो ऐसे संस्थानों का वर्णन करती है जहाँ व्यक्ति दुनिया से अलग हो जाते हैं और एक नियंत्रित, अनुष्ठानिक जीवन जीते हैं (जैसे जेल, मठ, सैन्य बैरक), किसने विकसित की?
- जी.एच. मीड
- हरबर्ट ब्लूमर
- अर्ल्विंग गोफमैन
- ताल्कोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: अर्ल्विंग गोफमैन ने अपनी पुस्तक ‘Asylums’ (1961) में ‘कुल समूह’ की अवधारणा प्रस्तुत की। ये ऐसे स्थान होते हैं जहाँ लोग समाज से अलगाव में, एक ही समय में, एक ही अधिकारी के अधीन, एक जैसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए लंबे समय तक रहते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गोफमैन ने इन संस्थानों में व्यक्तियों की पहचान के क्षरण और पुनर्निर्माण की प्रक्रियाओं का विश्लेषण किया।
- गलत विकल्प: जी.एच. मीड और हरबर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख विचारक हैं। ताल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था पर काम किया।
प्रश्न 16: ‘कृषि समाज’ (Agrarian Society) की तुलना में ‘औद्योगिक समाज’ (Industrial Society) की मुख्य विशेषता क्या है?
- आर्थिक आधार मुख्य रूप से भूमि और कृषि पर आधारित होता है।
- उत्पादन मुख्य रूप से मशीनों और कारखानों पर आधारित होता है, जिससे बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है।
- परिवार और समुदाय के संबंध घनिष्ठ और व्यक्तिगत होते हैं।
- सामाजिक संरचना अधिक स्थिर और पदानुक्रमित होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: औद्योगिक समाज की परिभाषित विशेषता उत्पादन के तरीकों में बदलाव है। जहाँ कृषि समाज भूमि पर निर्भर करता है, वहीं औद्योगिक समाज मशीनों, कारखानों और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके बड़े पैमाने पर वस्तुओं का उत्पादन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके परिणामस्वरूप, सामाजिक संरचना, परिवार, काम और जीवन शैली में बड़े परिवर्तन होते हैं, जैसे कि शहरीकरण, वर्ग संरचना का उदय, और अवैयक्तिक संबंध।
- गलत विकल्प: (a) यह कृषि समाज की विशेषता है। (c) यह पारंपरिक या सामुदायिक समाजों (Gemeinschaft) की विशेषता है, न कि औद्योगिक समाजों (Gesellschaft) की। (d) औद्योगिक समाजों में सामाजिक संरचना अधिक परिवर्तनशील और गतिशील होती है।
प्रश्न 17: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में ‘विश्वसनीयता’ (Reliability) का क्या अर्थ है?
- शोध की गई अवधारणाओं का वास्तविक दुनिया को सटीक रूप से मापना।
- यह सुनिश्चित करना कि शोध के परिणाम सुसंगत (consistent) और दोहराए जाने योग्य (repeatable) हों।
- शोध में उपयोग की गई विधियों की वैधता (validity)।
- शोधकर्ता के व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों का अभाव।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक अनुसंधान में विश्वसनीयता का अर्थ है कि यदि एक ही शोध को समान परिस्थितियों में दोहराया जाए, तो समान परिणाम प्राप्त होने की संभावना है। यह मापन की स्थिरता (stability) से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, यदि कोई प्रश्नावली विश्वसनीय है, तो अलग-अलग समय पर या अलग-अलग उत्तरदाताओं द्वारा उत्तर देने पर भी वह समान या बहुत समान परिणाम उत्पन्न करेगी।
- गलत विकल्प: (a) यह ‘वैधता’ (Validity) से संबंधित है। (c) वैधता (validity) मापती है कि शोध कितनी अच्छी तरह वही मापता है जो उसे मापना चाहिए। (d) यह ‘निष्पक्षता’ (objectivity) से संबंधित है।
प्रश्न 18: किस समाजशास्त्री ने ‘प्रकट प्रकार्य’ (Manifest Functions) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (Latent Functions) के बीच अंतर किया, यह समझाने के लिए कि सामाजिक संस्थाएं कैसे काम करती हैं?
- इमाइल दुर्खीम
- कार्ल मार्क्स
- रॉबर्ट मर्टन
- मैक्स वेबर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन ने प्रकार्यात्मकता (functionalism) के सिद्धांत को परिष्कृत करते हुए ‘प्रकट प्रकार्य’ (किसी संस्था का इच्छित और पहचाना गया उद्देश्य) और ‘अप्रकट प्रकार्य’ (अनपेक्षित और अक्सर अनजाने में होने वाले परिणाम) के बीच अंतर किया।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने ‘मध्यवर्ती सिद्धांत’ (middle-range theory) पर भी जोर दिया, जो अत्यधिक अमूर्त सिद्धांतों और अनुभवजन्य अध्ययनों के बीच एक सेतु का काम करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने समाजशास्त्रीय तथ्यों और सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। मार्क्स ने वर्ग संघर्ष को केंद्रीय माना। वेबर ने नौकरशाही और तर्कसंगतता का अध्ययन किया।
प्रश्न 19: ‘उदारवादी नारीवाद’ (Liberal Feminism) का मुख्य ध्यान किस पर होता है?
- पूंजीवाद और पितृसत्तात्मक व्यवस्था के उन्मूलन पर।
- महिलाओं के अधिकारों को प्राप्त करने के लिए मौजूदा राजनीतिक और कानूनी प्रणालियों के भीतर काम करना।
- महिलाओं को सामूहिक कार्रवाई और क्रांति के लिए संगठित करना।
- mujeres के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से निर्मित लिंग भूमिकाओं को चुनौती देना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: उदारवादी नारीवाद मानता है कि महिलाओं के उत्पीड़न का मुख्य कारण राजनीतिक और कानूनी प्रणालियों में उनकी असमानता है। इसलिए, यह समानता प्राप्त करने के लिए कानून, शिक्षा और नीतिगत सुधारों पर ध्यान केंद्रित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और समानता के सिद्धांतों का समर्थन करता है और मानता है कि मौजूदा व्यवस्था के भीतर सुधार संभव हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह मार्क्सवादी या कट्टरपंथी नारीवाद (radical feminism) की विशेषता हो सकती है। (c) यह सामाजिक आंदोलनों से जुड़ा है, लेकिन उदारवादी नारीवाद का प्राथमिक ध्यान राजनीतिक सुधार पर है। (d) यह लिंग भूमिकाओं को चुनौती देता है, लेकिन मुख्य रूप से कानूनी और राजनीतिक दायरे में।
प्रश्न 20: भारतीय समाज के संदर्भ में, ‘राष्ट्रवाद’ (Nationalism) के उदय ने किस प्रकार सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित किया?
- इसने विभिन्न धार्मिक और जातीय समूहों के बीच अलगाव को बढ़ाया।
- इसने विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों को एक साझा राष्ट्रीय पहचान के तहत एकजुट करने का प्रयास किया।
- इसने पारंपरिक जाति व्यवस्था को और मजबूत किया।
- इसने पश्चिमी संस्कृति को पूरी तरह से अपनाने को बढ़ावा दिया।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भारतीय राष्ट्रवाद के उदय ने, विशेष रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरोध में, विभिन्न क्षेत्रीय, भाषाई और धार्मिक पहचानों को एक साझा “भारतीय” पहचान के विचार के तहत एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसने स्वतंत्रता आंदोलन को गति दी।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रवाद ने स्वतंत्रता के बाद भी राष्ट्रीय एकीकरण (national integration) और राज्य निर्माण (state building) में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- गलत विकल्प: (a) जबकि विभाजन (partition) जैसी घटनाएं हुईं, राष्ट्रवाद का प्राथमिक लक्ष्य एकीकरण था। (c) राष्ट्रवाद ने कई बार जातिगत पहचानों को चुनौती दी या उन्हें राष्ट्रीय एकता के लिए अधीनस्थ किया। (d) इसने पश्चिमी संस्कृति के प्रभाव को स्वीकार किया, लेकिन पूरी तरह अपनाने के बजाय भारतीय संदर्भ में उसका मिश्रण या विरोध भी किया।
प्रश्न 21: ‘आत्म-बोध’ (Self-Awareness) और ‘दूसरों की भूमिका लेना’ (Taking the Role of the Other) किस समाजशास्त्रीय सिद्धांत के मुख्य घटक हैं, जो बताते हैं कि व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से अपने ‘स्व’ (Self) का विकास कैसे करते हैं?
- संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
- सामाजिक विनिमय सिद्धांत
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: जी.एच. मीड (George Herbert Mead) के प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है। व्यक्ति दूसरों की भूमिकाओं को लेने (जैसे, ‘mimicry’, ‘play’, ‘game’ चरणों में) और समाज द्वारा लगाए गए प्रतीकों (भाषा) को आत्मसात करके अपने ‘स्व’ का विकास करते हैं। आत्म-बोध इसी प्रक्रिया का परिणाम है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के काम ने समाजशास्त्र में व्यक्ति की सक्रिय भूमिका को समझने में क्रांति ला दी।
- गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता सामाजिक व्यवस्था और मैक्रो-स्तरों पर केंद्रित है। (b) संघर्ष सिद्धांत शक्ति और प्रभुत्व पर जोर देता है। (d) सामाजिक विनिमय सिद्धांत लागत-लाभ विश्लेषण पर आधारित है।
प्रश्न 22: ‘ग्रामीण समुदाय’ (Rural Community) को अक्सर ‘समुदाय’ (Gemeinschaft) के करीब क्यों माना जाता है?
- क्योंकि उनमें उच्च स्तर की औपचारिकता और अवैयक्तिक संबंध होते हैं।
- क्योंकि उनमें घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध, मजबूत सामाजिक बंधन और साझा मूल्य होते हैं।
- क्योंकि उनकी अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से औद्योगिकीकरण पर आधारित होती है।
- क्योंकि उनमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अत्यधिक जोर दिया जाता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: फर्डिनेंड टोनीज़ की ‘Gemeinschaft’ (सामुदायिक संबंध) की अवधारणा घनिष्ठता, आपसी निर्भरता, और मजबूत सामाजिक बंधनों द्वारा चिह्नित पारंपरिक समुदायों का वर्णन करती है। ग्रामीण समुदाय, अपनी कम आबादी, प्रत्यक्ष संपर्क और साझा जीवन शैली के कारण, अक्सर इन विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, ‘Gesellschaft’ (सामाजिक संबंध) आधुनिक, शहरी समाजों की विशेषता है जो अधिक अवैयक्तिक और साधन-साध्य होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) यह ‘Gesellschaft’ की विशेषता है। (c) यह औद्योगिक समाजों की विशेषता है। (d) यह आधुनिकता की एक विशेषता हो सकती है, लेकिन यह ग्रामीण समुदायों की प्राथमिक विशेषता नहीं है।
प्रश्न 23: ‘बहुसंस्कृतिवाद’ (Multiculturalism) का दृष्टिकोण क्या वकालत करता है?
- सभी आप्रवासी समूहों को मेजबान देश की संस्कृति में पूरी तरह से एकीकृत होना चाहिए।
- विभिन्न सांस्कृतिक समूहों को अपनी पहचान, परंपराओं और भाषाओं को बनाए रखने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, साथ ही मुख्यधारा समाज का हिस्सा भी बनना चाहिए।
- सांस्कृतिक विविधता समाज के लिए हानिकारक है और इसे कम किया जाना चाहिए।
- केवल एक प्रमुख संस्कृति को समाज में प्रमुखता मिलनी चाहिए।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: बहुसंस्कृतिवाद यह विचार है कि एक समाज में विभिन्न जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक समूहों को अपनी विशिष्ट पहचान बनाए रखने और सह-अस्तित्व में रहने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह सांस्कृतिक विविधीकरण (cultural pluralism) को प्रोत्साहित करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण इस धारणा पर आधारित है कि सांस्कृतिक विविधता समाज को समृद्ध करती है और विभिन्न समूहों के बीच सहिष्णुता और सम्मान को बढ़ावा देना चाहिए।
- गलत विकल्प: (a) यह ‘आत्मसात्करण’ (Assimilation) की नीति है। (c) और (d) ये बहुसंस्कृतिवाद के विपरीत विचार हैं।
प्रश्न 24: ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ (Differential Association Theory) आपराधिक व्यवहार की व्याख्या कैसे करता है?
- अपराध व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक विकारों का परिणाम है।
- अपराध व्यक्तियों द्वारा उन लोगों के साथ साहचर्य (association) और अंतःक्रिया (interaction) के माध्यम से सीखा जाता है जो अपराध के पक्ष में दृष्टिकोण रखते हैं।
- अपराध सामाजिक संरचनाओं में असमानता और संसाधनों की कमी का परिणाम है।
- अपराध बड़े पैमाने पर मीडिया के हिंसक चित्रण से प्रेरित होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) द्वारा विकसित विभेदक साहचर्य सिद्धांत बताता है कि अपराध एक सीखा हुआ व्यवहार है। व्यक्ति अपराध करना उन लोगों से सीखते हैं जिनके साथ वे निकट संपर्क में आते हैं, खासकर अपने प्राथमिक समूहों (जैसे परिवार, मित्र) में, जहाँ वे अपराध के पक्ष में नियमों और दृष्टिकोणों को ग्रहण करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत यह स्पष्ट करता है कि क्यों कुछ व्यक्ति आपराधिक व्यवहार में संलग्न होते हैं जबकि अन्य नहीं, भले ही वे समान सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों में रहते हों।
- गलत विकल्प: (a) यह मनोवैज्ञानिक सिद्धांतों से संबंधित है। (c) यह उपसंस्कृति (subcultural) या संरचनात्मक (structural) सिद्धांतों की ओर इशारा करता है। (d) यह मीडिया के प्रभाव पर केंद्रित है।
प्रश्न 25: ‘संस्था’ (Institution) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?
- व्यक्तियों का एक समूह जो एक साझा उद्देश्य के लिए एक साथ आता है।
- सामाजिक रूप से स्वीकृत और स्थापित पैटर्न, मानदंड और भूमिकाएं जो समाज के महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करती हैं (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म)।
- किसी विशेष क्षेत्र में सभी सांस्कृतिक गतिविधियों का योग।
- समाज के सदस्यों के बीच अनौपचारिक सामाजिक संबंध।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: समाजशास्त्र में, एक संस्था को समाज के प्रमुख क्षेत्रों (जैसे विवाह, शिक्षा, अर्थव्यवस्था, सरकार, धर्म) को व्यवस्थित करने वाले अपेक्षाकृत स्थिर, सामाजिक रूप से स्वीकृत व्यवहार पैटर्न, भूमिकाओं और मानदंडों के एक समूह के रूप में परिभाषित किया जाता है। ये समाज के कामकाज और स्थिरता के लिए आवश्यक हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, ‘परिवार’ संस्था विवाह, वंशानुक्रम, बाल-पालन और देखभाल जैसे संबंधों और भूमिकाओं का एक संरचित तरीका प्रदान करती है।
- गलत विकल्प: (a) यह एक ‘संगठन’ (organization) या ‘समूह’ (group) की परिभाषा हो सकती है, न कि संस्था की। (c) यह ‘संस्कृति’ (culture) का एक हिस्सा हो सकता है। (d) यह ‘सामाजिक संबंध’ (social relations) या ‘समुदाय’ (community) का वर्णन करता है।
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