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समाजशास्त्र के शिखर पर: आज की 25 चुनौतियाँ

समाजशास्त्र के शिखर पर: आज की 25 चुनौतियाँ

अपनी समाजशास्त्रीय समझ को और पैना करने के लिए तैयार हो जाइए! पेश है समाजशास्त्र के मुख्य अवधारणाओं, विचारकों और सिद्धांतों पर आधारित एक और गहन अभ्यास सत्र। अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। आइए, आज के इस बौद्धिक मुकाबले में अपनी विशेषज्ञता साबित करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों को हल करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: “सामाजिक संरचना” की अवधारणा को किसने “सामाजिक संबंधों के ताने-बाने” के रूप में परिभाषित किया है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. ताल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: ताल्कोट पार्सन्स, एक प्रमुख संरचनात्मक-प्रकार्यवाद विचारक, ने सामाजिक संरचना को सामाजिक संबंधों के एक विशेष पैटर्न या “ताने-बाने” के रूप में देखा। उनके अनुसार, समाज विभिन्न परस्पर जुड़े हुए सामाजिक ढाँचों से बना है।
  • संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सामाजिक संरचना के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इसे सामाजिक क्रिया के लिए एक ढाँचा प्रदान करने वाले प्रतिमानों, भूमिकाओं और संस्थाओं के एक सेट के रूप में देखा।
  • अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और आर्थिक संरचना पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और सामूहिक चेतना पर जोर दिया, जबकि मैक्स वेबर ने शक्ति, अधिकार और सामाजिक क्रिया की व्याख्या पर बल दिया।

प्रश्न 2: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिकों में उत्पन्न होने वाली अलगाव (Alienation) की भावना का कौन सा पहलू उत्पादन के साधनों से उनके अलगाव से सीधे संबंधित नहीं है?

  1. उत्पाद से अलगाव
  2. उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव
  3. सहकर्मियों से अलगाव
  4. पूंजीपतियों से अलगाव

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मार्क्स ने चार मुख्य प्रकार के अलगाव का वर्णन किया: उत्पादन के उत्पाद से, उत्पादन की प्रक्रिया से, स्वयं की प्रजाति-प्रकृति (मानवता) से, और अन्य मनुष्यों (सहकर्मियों) से। पूंजीपतियों से अलगाव प्रत्यक्ष रूप से अलगाव के अनुभव के बजाय वर्ग संघर्ष का परिणाम है।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद पर नियंत्रण खो देते हैं, जो अब मालिक की संपत्ति बन जाता है। वे अक्सर मशीनों की तरह काम करते हैं, जिससे प्रक्रिया से अलगाव होता है। चूंकि वे प्रतिस्पर्धी माहौल में काम करते हैं, वे सहकर्मियों से भी अलग-थलग महसूस कर सकते हैं।
  • अincorrect विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) मार्क्स के अलगाव के सिद्धांतों के सीधे अंग हैं। (d) पूंजीपतियों से अलगाव एक परिणाम है, लेकिन यह स्वयं अलगाव का मूल अनुभव नहीं है जैसा कि मार्क्स ने अन्य तीन बिंदुओं में परिभाषित किया है।

प्रश्न 3: एमिल दुर्खीम ने समाज में सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए किस अवधारणा पर सबसे अधिक जोर दिया?

  1. सामाजिक विघटन (Social Disintegration)
  2. सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity)
  3. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  4. पूंजीवादी व्यवस्था (Capitalist System)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: एमिल दुर्खीम के लिए, सामाजिक एकजुटता वह गोंद है जो समाज को एक साथ बांधता है। उन्होंने इसे दो मुख्य रूपों में वर्गीकृत किया: यांत्रिक एकजुटता (सरल समाजों में) और कार्बनिक एकजुटता (जटिल समाजों में)।
  • संदर्भ और विस्तार: अपनी पुस्तक “द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी” में, दुर्खीम ने तर्क दिया कि जैसे-जैसे श्रम विभाजन बढ़ता है, समाज यांत्रिक एकजुटता से कार्बनिक एकजुटता की ओर बढ़ता है, जहाँ लोग अपनी विभिन्न विशिष्ट भूमिकाओं के माध्यम से एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं।
  • अincorrect विकल्प: सामाजिक विघटन वह है जिससे समाज पीड़ित हो सकता है, न कि व्यवस्था बनाए रखने वाली शक्ति। वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स की केंद्रीय अवधारणा है। पूंजीवादी व्यवस्था एक आर्थिक ढाँचा है, न कि सामाजिक व्यवस्था का मूल तत्व।

प्रश्न 4: मैक्स वेबर के अनुसार, “बुद्धिशीलता” (Rationalization) की प्रक्रिया का क्या अर्थ है?

  1. धार्मिक विश्वासों का प्रभुत्व
  2. पारंपरिक मूल्यों का बढ़ता महत्व
  3. कौशल, दक्षता और गणना पर आधारित निर्णय लेने का बढ़ता प्रभाव
  4. अंधविश्वासों और जादू का प्रभाव

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: मैक्स वेबर ने आधुनिक समाज की एक प्रमुख विशेषता के रूप में बुद्धिशीलता का वर्णन किया। इसका तात्पर्य है कि निर्णय लेने और सामाजिक संगठनों को तर्क, दक्षता, गणना और मानकीकृत प्रक्रियाओं द्वारा निर्देशित किया जाता है, बजाय कि परंपरा, भावना या जादू के।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने नौकरशाही (Bureaucracy) को बुद्धिशीलता का एक उत्कृष्ट उदाहरण माना, जहाँ नियम, पदानुक्रम और स्पष्ट भूमिकाएँ संगठन को कुशल बनाती हैं। उन्होंने इसे “लौह पिंजरे” (Iron Cage) के रूप में भी वर्णित किया, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सीमित कर सकता है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (d) बुद्धिशीलता की विपरीत दिशाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, या तो पूर्व-आधुनिक समाजों की विशेषताएं या ऐसी प्रवृत्तियाँ जो बुद्धिशीलता के प्रसार से कम होती हैं।

प्रश्न 5: “अभिजात्य वर्ग” (Elite Class) के सिद्धांत का विकास निम्न में से किस समाजशास्त्री से सबसे निकटता से जुड़ा हुआ है?

  1. C. Wright Mills
  2. Vilfredo Pareto
  3. Gaetano Mosca
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: विल्फ्रेडो पैरेटो, गैएटानो मोस्का और सी. राइट मिल्स तीनों ने अभिजात्य वर्ग के सिद्धांत के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे सभी मानते थे कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक छोटा, शक्तिशाली अभिजात्य वर्ग हमेशा मौजूद रहेगा जो सत्ता को नियंत्रित करेगा।
  • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने “अभिजात वर्ग का चक्रीय सिद्धांत” (Circulation of Elites) का प्रस्ताव रखा, जिसमें उन्होंने तर्क दिया कि अभिजात वर्ग बदलते रहते हैं। मोस्का ने “शासन करने वाले वर्ग” (Ruling Class) की सार्वभौमिकता का तर्क दिया। मिल्स ने अपनी पुस्तक “द पावर एलीट” में अमेरिकी समाज में कॉर्पोरेट, सैन्य और राजनीतिक अभिजात वर्ग के बीच साठगांठ का विश्लेषण किया।
  • अincorrect विकल्प: चूँकि तीनों विचारक अभिजात्य वर्ग सिद्धांत के विकास से जुड़े हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में असमानताएँ आवश्यक और कार्यात्मक होती हैं क्योंकि वे सबसे योग्य व्यक्तियों को महत्वपूर्ण पदों पर बने रहने के लिए प्रेरित करती हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory)
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  4. प्रत्यक्षवाद (Positivism)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रकार्यात्मक सिद्धांत, विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) का “कार्यात्मक सिद्धांत” (Functional Theory of Stratification) यह तर्क देता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए कार्यात्मक है। असमान पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा) सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए सबसे कुशल और प्रतिभाशाली व्यक्तियों को आकर्षित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि हर समाज में कुछ पद दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और उनके लिए विशेष प्रशिक्षण और कौशल की आवश्यकता होती है। इन पदों को भरने के लिए उचित प्रोत्साहन (उच्च पुरस्कार) आवश्यक हैं।
  • अincorrect विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (जैसे मार्क्स का) मानता है कि स्तरीकरण उत्पीड़न और शोषण का परिणाम है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत स्तर पर सामाजिक अंतःक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करता है। प्रत्यक्षवाद एक पद्धतिगत दृष्टिकोण है।

प्रश्न 7: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत “संसकृति” (Sanskritization) की अवधारणा क्या संदर्भित करती है?

  1. पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
  2. किसी निम्न जाति या जनजाति का उच्च जाति की प्रथाओं, रीति-रिवाजों और कर्मकांडों को अपनाकर उनकी स्थिति में सुधार करने का प्रयास
  3. औद्योगीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन
  4. शहरी जीवन शैली का ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: संसकृति, एम.एन. श्रीनिवास की एक प्रसिद्ध अवधारणा है, जो भारतीय संदर्भ में सामाजिक गतिशीलता की एक प्रक्रिया का वर्णन करती है। इसमें निम्न जातियाँ या समूह किसी उच्च, ‘द्विज’ जाति की जीवन शैली, अनुष्ठानों, परंपराओं और देवताओं को अपनाते हैं ताकि वे सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने इस अवधारणा को अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में पहली बार प्रस्तुत किया था। यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) पश्चिमीकरण (Westernization) का वर्णन करता है। (c) आधुनिकीकरण (Modernization) या औद्योगीकरण के प्रभावों से संबंधित है। (d) शहरीकरण (Urbanization) का पहलू है।

प्रश्न 8: परिवार संस्था के संदर्भ में, “समरक्तता” (Consanguinity) का क्या अर्थ है?

  1. विवाह से बने संबंध
  2. जन्म या वंशानुगत रक्त संबंध
  3. सांस्कृतिक समानता
  4. आर्थिक सहयोग

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समरक्तता (Consanguinity) का अर्थ है “एक ही रक्त का होना”, अर्थात उन व्यक्तियों के बीच संबंध जो प्रत्यक्ष वंशानुगत संबंध से जुड़े होते हैं, जैसे माता-पिता और बच्चे, या भाई-बहन। यह विवाह या कानूनी बंधन से नहीं, बल्कि जन्म से उत्पन्न होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में, समरक्तता को अक्सर ‘सगोत्रता’ (Kinship) के अध्ययन में, विशेष रूप से विवाह के नियमों (जैसे अंतर्विवाह या बहिर्विवाह) के संदर्भ में समझा जाता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) विवाह से बने संबंधों को ‘वैवाहिक संबंध’ (Affinity) कहते हैं। (c) और (d) परिवार में अन्य प्रकार के संबंधों या सहयोग का वर्णन करते हैं।

प्रश्न 9: आर. के. मर्टन (R. K. Merton) द्वारा प्रस्तुत “अवसरवादी” (Innovator) की श्रेणी, जिसे उन्होंने “अनुकूलन पैटर्न” (Modes of Adaptation) के तहत वर्णित किया है, किस सामाजिक संरचना से संबंधित है?

  1. अराजकता (Anomie)
  2. सामाजिक विघटन (Social Disintegration)
  3. वर्ग संघर्ष (Class Struggle)
  4. बुद्धिमान वर्ग (Elite Class)

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आर. के. मर्टन ने रॉबर्ट ई. पार्क के “अराजकता” (Anomie) की अवधारणा को पुनर्जीवित किया और इसे अपने “सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों के बीच विसंगति” के संदर्भ में विकसित किया। उनके चार अनुकूलन पैटर्न (नवाचार, अनुष्ठानवाद, पश्चगमन, विद्रोह) इसी अराजकता की स्थिति से उत्पन्न होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एक “अवसरवादी” (Innovator) वह व्यक्ति होता है जो समाज द्वारा निर्धारित लक्ष्यों (जैसे धन, सफलता) को स्वीकार करता है लेकिन उन्हें प्राप्त करने के लिए संस्थागत या वैध साधनों (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) का उपयोग नहीं करता है। इसके बजाय, वे अनैतिक या अवैध तरीकों (जैसे धोखाधड़ी, अपराध) का सहारा लेते हैं।
  • अincorrect विकल्प: सामाजिक विघटन एक व्यापक शब्द है। वर्ग संघर्ष मार्क्सवादी अवधारणा है। बुद्धिमान वर्ग अभिजात वर्ग से संबंधित है।

प्रश्न 10: सामाजिक अनुसंधान (Social Research) में, “प्रतिभागी अवलोकन” (Participant Observation) विधि के बारे में क्या सत्य है?

  1. शोधकर्ता केवल दूर से समूह का अवलोकन करता है।
  2. शोधकर्ता समूह के सदस्यों के साथ सक्रिय रूप से भाग लेता है और उनकी गतिविधियों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करता है।
  3. यह केवल मात्रात्मक डेटा एकत्र करने के लिए उपयोगी है।
  4. इसमें मुख्य रूप से सर्वेक्षण शामिल होते हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सहभागी अवलोकन एक गुणात्मक अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता स्वयं उस समूह या समुदाय का हिस्सा बन जाता है जिसका वह अध्ययन कर रहा है। वे केवल दर्शक नहीं होते, बल्कि दैनिक जीवन, गतिविधियों और अंतःक्रियाओं में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य समूह के दृष्टिकोण, व्यवहारों और संस्कृति की गहरी, आंतरिक समझ प्राप्त करना है। एमिल दुर्खीम ने आत्महत्या के अध्ययन में अनौपचारिक अवलोकन का उपयोग किया था, लेकिन पूर्ण सहभागी अवलोकन नृवंशविज्ञान (Ethnography) और मानव विज्ञान में अधिक आम है।
  • अincorrect विकल्प: (a) गैर-सहभागी अवलोकन (Non-participant Observation) का वर्णन करता है। (c) सहभागी अवलोकन मुख्य रूप से गुणात्मक डेटा के लिए उपयोगी है। (d) सर्वेक्षण एक अलग अनुसंधान विधि है।

प्रश्न 11: “जाति” (Caste) व्यवस्था को भारतीय समाज में एक “बंद स्तरीकरण प्रणाली” (Closed System of Stratification) क्यों माना जाता है?

  1. क्योंकि इसमें सामाजिक गतिशीलता की पूरी स्वतंत्रता है।
  2. क्योंकि किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है और इसमें परिवर्तन की संभावना नगण्य होती है।
  3. क्योंकि यह केवल आर्थिक स्थिति पर आधारित है।
  4. क्योंकि इसमें सभी जातियों के लिए समान अवसर उपलब्ध हैं।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: जाति व्यवस्था को एक बंद प्रणाली माना जाता है क्योंकि इसमें व्यक्ति की सामाजिक स्थिति, व्यवसाय, और विवाह आदि उसकी जाति से जन्म के साथ ही तय हो जाते हैं। व्यक्ति अपनी जाति से ऊपर उठकर उच्च जाति में शामिल नहीं हो सकता (यानी, ऊर्ध्वाधर गतिशीलता अत्यंत सीमित है)।
  • संदर्भ और विस्तार: यह जन्म-आधारित व्यवस्था है, जो विशुद्ध रूप से अर्जित या आकांक्षी स्थिति पर आधारित व्यवस्था (जैसे वर्ग) के विपरीत है। हालांकि, आधुनिकीकरण और शहरीकरण के साथ कुछ अनौपचारिक गतिशीलता देखी गई है।
  • अincorrect विकल्प: (a) और (d) बंद प्रणाली के विपरीत हैं। (c) जाति व्यवस्था केवल आर्थिक नहीं, बल्कि धार्मिक, सामाजिक और पदानुक्रमित पहलुओं पर भी आधारित है।

प्रश्न 12: “नियतिवाद” (Determinism) के सिद्धांत के अनुसार, सामाजिक संरचनाएं और प्रथाएं मुख्य रूप से किससे निर्धारित होती हैं?

  1. व्यक्तिगत इच्छाशक्ति और चुनाव
  2. सांस्कृतिक मूल्य और मान्यताएँ
  3. भौगोलिक और आर्थिक कारक
  4. प्रतीकात्मक अंतःक्रियाएँ

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: नियतिवाद, विशेष रूप से आर्थिक नियतिवाद (मार्क्सवाद में प्रमुख) या भौगोलिक नियतिवाद, यह मानता है कि समाज की संरचनाएं, संस्थाएं और घटनाएं मुख्य रूप से बाहरी, गैर-सामाजिक कारकों, जैसे अर्थव्यवस्था या भूगोल, द्वारा पूर्व-निर्धारित होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स का भौतिकवादी द्वंद्ववाद (Historical Materialism) एक प्रकार का आर्थिक नियतिवाद है, जहां उत्पादन की शक्तियों और संबंधों को समाज के बाकी हिस्सों (राजनीति, संस्कृति, धर्म) का निर्धारक माना जाता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह व्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देता है, जो नियतिवाद के विपरीत है। (b) सांस्कृतिक मूल्य भी प्रभावित करते हैं, लेकिन नियतिवाद बाहरी, गैर-लचीले कारकों पर अधिक केंद्रित होता है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तिगत और सूक्ष्म स्तर पर केंद्रित है।

प्रश्न 13: “सामाजिक संस्था” (Social Institution) का सबसे उपयुक्त उदाहरण कौन सा है?

  1. एक विशिष्ट व्यक्ति
  2. पड़ोस
  3. परिवार
  4. एक पुस्तक

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: परिवार एक प्रमुख सामाजिक संस्था है। सामाजिक संस्थाएँ वे स्थापित और स्थायी पैटर्न या तरीके हैं जिनके द्वारा समाज अपनी मौलिक आवश्यकताओं को पूरा करता है (जैसे प्रजनन, समाजीकरण, शिक्षा, शासन)।
  • संदर्भ और विस्तार: परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं। वे नियमों, मूल्यों और भूमिकाओं का एक समूह हैं जो सामाजिक व्यवहार को व्यवस्थित करते हैं।
  • अincorrect विकल्प: (a) एक व्यक्ति कोई संस्था नहीं है। (b) पड़ोस एक भौगोलिक या सामाजिक क्षेत्र हो सकता है, लेकिन स्वयं एक संरचित संस्था नहीं। (d) एक पुस्तक ज्ञान का स्रोत हो सकती है, लेकिन वह स्वयं एक संस्था नहीं है।

प्रश्न 14: “सामाजीकरण” (Socialization) की प्रक्रिया के संबंध में निम्न में से कौन सा कथन असत्य है?

  1. यह जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली जीवन भर की प्रक्रिया है।
  2. यह व्यक्ति को समाज के नियमों, मूल्यों और अपेक्षाओं को सीखने में मदद करती है।
  3. यह मुख्य रूप से अनौपचारिक होती है और इसमें परिवार, मित्र और मीडिया की भूमिका होती है।
  4. यह पूरी तरह से एक जैविक प्रक्रिया है जो व्यक्ति के जीन द्वारा निर्धारित होती है।

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजीकरण एक जैविक प्रक्रिया नहीं है; यह एक सामाजिक प्रक्रिया है। जबकि जैविक क्षमताएँ महत्वपूर्ण हो सकती हैं, जिस तरह से व्यक्ति समाजीकृत होता है वह पूरी तरह से उसके पर्यावरण, सांस्कृतिक और सामाजिक अनुभवों द्वारा निर्धारित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से व्यक्ति समाज का सदस्य बनता है, भाषा, कौशल, दृष्टिकोण और व्यवहार सीखता है जो उसके समाज में स्वीकार्य होते हैं। यह जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है, जो औपचारिक (जैसे स्कूल) और अनौपचारिक (जैसे परिवार, साथियों) एजेंटों के माध्यम से होती है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) सामाजीकरण की प्रक्रिया के बारे में सत्य कथन हैं।

प्रश्न 15: “संस्कृति” (Culture) को समाजशास्त्र में कैसे परिभाषित किया जाता है?

  1. केवल कला, संगीत और साहित्य का संग्रह।
  2. किसी समाज के सदस्यों द्वारा सीखा गया व्यवहार, ज्ञान, मान्यताएँ, मूल्य, रीति-रिवाज, कला और सभी अन्य उत्पाद।
  3. केवल भौतिक वस्तुएँ जैसे भवन और उपकरण।
  4. व्यक्तिगत अनुभव और भावनाएँ।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समाजशास्त्र में, संस्कृति में भौतिक (जैसे वास्तुकला, उपकरण) और अभौतिक (जैसे विचार, विश्वास, मूल्य, भाषा) दोनों तत्व शामिल होते हैं। यह सीखा जाता है, साझा किया जाता है, और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित होता है, और यह किसी समाज के सदस्यों के जीवन को आकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ई.बी. टाइलर की परिभाषा के अनुसार, “संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं जो मनुष्य समाज के सदस्य के रूप में प्राप्त करता है।”
  • अincorrect विकल्प: (a) संस्कृति का एक संकीर्ण, कला-केंद्रित दृष्टिकोण है। (c) केवल भौतिक संस्कृति पर जोर देता है। (d) व्यक्तिगत अनुभवों को महत्व देता है, लेकिन संस्कृति को एक साझा, सीखा हुआ पैटर्न के रूप में परिभाषित नहीं करता।

प्रश्न 16: “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) के दृष्टिकोण के अनुसार, मनुष्य अपने आसपास की दुनिया को कैसे समझते हैं?

  1. समाज द्वारा पहले से तय नियमों के अनुसार
  2. प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से अंतःक्रिया द्वारा निर्मित अर्थों के आधार पर
  3. व्यक्तिगत भावनाओं और इच्छाओं के अनुसार
  4. वस्तुनिष्ठ वास्तविकता के प्रत्यक्ष अवलोकन से

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जो जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) जैसे विचारकों से जुड़ा है, इस बात पर जोर देता है कि हम प्रतीकों (जैसे शब्द, चित्र, इशारे) के माध्यम से संवाद करते हैं। ये प्रतीक व्यक्ति द्वारा अपने और दूसरों के व्यवहार और आसपास की दुनिया के बारे में अर्थ बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, हमारा “स्व” (self) भी सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से विकसित होता है, जहाँ हम दूसरों की आँखों से खुद को देखते हैं (“looking-glass self” – चार्ल्स हॉर्टन कूली)।
  • अincorrect विकल्प: (a) यह संरचनात्मक-प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद के तत्वों को अधिक दर्शाता है। (c) यह व्यक्तिपरक अनुभव पर अत्यधिक जोर देता है, लेकिन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद अर्थ निर्माण की प्रक्रिया पर केंद्रित है। (d) प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद मानता है कि वास्तविकता वस्तुनिष्ठ नहीं बल्कि व्यक्तिपरक और सामाजिक रूप से निर्मित होती है।

प्रश्न 17: “सामुदायिक विकास” (Community Development) की अवधारणा का संबंध निम्न में से किस क्षेत्र से सबसे अधिक है?

  1. शहरी समाजशास्त्र
  2. ग्रामीण समाजशास्त्र
  3. नगरीय समाजशास्त्र (Urban Sociology)
  4. औद्योगिक समाजशास्त्र

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामुदायिक विकास की अवधारणा ऐतिहासिक रूप से और प्रमुखता से ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक और आर्थिक उत्थान के प्रयासों से जुड़ी रही है। इसमें अक्सर स्थानीय समुदायों की भागीदारी और सशक्तिकरण पर जोर दिया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे देशों में, पंचायती राज व्यवस्था और विभिन्न ग्रामीण विकास कार्यक्रम इसी ढांचे के तहत आते हैं।
  • अincorrect विकल्प: शहरी समाजशास्त्र शहरी क्षेत्रों के सामाजिक जीवन का अध्ययन करता है। नगरीय समाजशास्त्र (Urban Sociology) शब्द का प्रयोग अक्सर ग्रामीण समाजशास्त्र के साथ समानांतर रूप से या शहरीकरण के अध्ययन के लिए किया जाता है। औद्योगिक समाजशास्त्र उद्योग और कार्यस्थल के सामाजिक पहलुओं का अध्ययन करता है।

प्रश्न 18: “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया को अक्सर किस चीज़ से जोड़ा जाता है?

  1. परंपराओं का सुदृढ़ीकरण
  2. औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि
  3. सरल जीवन शैली का प्रसार
  4. गांवों में पारंपरिक शिल्पों का पुनरुद्धार

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आधुनिकीकरण एक व्यापक सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया है जिसमें आमतौर पर औद्योगीकरण (Industrialization), शहरीकरण (Urbanization), प्रौद्योगिकी का विकास, राष्ट्र-राज्यों का उदय, शिक्षा का प्रसार, और धर्मनिरपेक्षता (Secularization) में वृद्धि जैसी विशेषताएं शामिल होती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर पारंपरिक, कृषि-प्रधान समाजों से विकसित, औद्योगिक और तकनीकी रूप से उन्नत समाजों की ओर एक प्रवृत्ति के रूप में देखा जाता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) आधुनिकीकरण अक्सर परंपराओं को चुनौती देता है। (c) और (d) आधुनिकीकरण की दिशा के विपरीत प्रवृत्तियाँ हैं।

प्रश्न 19: “अकाल” (Famine) को सामाजिक समस्या के रूप में अध्ययन करते समय, समाजशास्त्री किस पर जोर देते हैं?

  1. केवल फसलों की विफलता
  2. भोजन वितरण की असमानता, सरकारी नीतियां, और सामाजिक-आर्थिक कारक
  3. जलवायु परिवर्तन का एकमात्र प्रभाव
  4. जनसंख्या वृद्धि का तात्कालिक परिणाम

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: समाजशास्त्री अकाल को केवल प्राकृतिक आपदा नहीं मानते, बल्कि इसे अक्सर सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारकों के जटिल जाल का परिणाम मानते हैं। इसमें भोजन का असमान वितरण, गरीबी, राजनीतिक कुप्रबंधन, अक्षम सरकारी नीतियां और सामाजिक असमानताएँ शामिल हो सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अमर्त्य सेन (Amartya Sen) ने अपने काम में तर्क दिया है कि अकाल अक्सर तब भी होते हैं जब पर्याप्त भोजन उपलब्ध होता है, यदि भोजन तक पहुँचने की लोगों की क्षमता (क्रय शक्ति, वितरण प्रणाली) विफल हो जाती है।
  • अincorrect विकल्प: (a), (c), और (d) अकालों के केवल एक या कुछ पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि समाजशास्त्रीय विश्लेषण अक्सर बहुआयामी होता है।

प्रश्न 20: “लैंगिक भूमिकाएँ” (Gender Roles) क्या हैं?

  1. जैविक रूप से निर्धारित शारीरिक विशेषताएँ।
  2. समाज द्वारा महिलाओं और पुरुषों से अपेक्षित व्यवहार, दृष्टिकोण और गतिविधियों के पैटर्न।
  3. केवल कार्यस्थल पर महिलाओं की भूमिकाएँ।
  4. परिवार में पितृसत्तात्मक अधिकार।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: लैंगिक भूमिकाएँ समाज द्वारा पुरुषों और महिलाओं से अपेक्षित व्यवहारों, जिम्मेदारियों और विशेषताओं के सांस्कृतिक रूप से निर्मित पैटर्न हैं। ये जैविक लिंग (sex) से भिन्न हैं और इन्हें सीखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री मानते हैं कि लैंगिक भूमिकाएँ सामाजिक निर्माण हैं जो समय, संस्कृति और समाज के अनुसार बदल सकती हैं। ये भूमिकाएँ समाजीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से सीखी जाती हैं।
  • अincorrect विकल्प: (a) जैविक लिंग (sex) का वर्णन करता है, न कि सामाजिक रूप से निर्मित लैंगिक भूमिकाओं का। (c) लैंगिक भूमिकाओं के एक संकीर्ण पहलू पर केंद्रित है। (d) पितृसत्ता एक सामाजिक व्यवस्था है, न कि लैंगिक भूमिका की परिभाषा।

प्रश्न 21: “शहरीकरण” (Urbanization) की प्रक्रिया से क्या तात्पर्य है?

  1. ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंख्या का बढ़ना।
  2. जनसंख्या का गांवों से शहरों की ओर प्रवास और शहरों में रहने वाले लोगों के अनुपात में वृद्धि।
  3. शहरी क्षेत्रों का सिकुड़ना।
  4. पारंपरिक शहरी जीवन शैली का प्रसार।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: शहरीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें शहरों की जनसंख्या बढ़ती है, या ऐसे लोग जो ग्रामीण पृष्ठभूमि से आकर शहरों में बसते हैं, उनकी संख्या में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप कुल जनसंख्या में शहरी निवासियों का प्रतिशत बढ़ जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर औद्योगीकरण, आर्थिक अवसरों की तलाश, और ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी जैसे कारकों से प्रेरित होता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) ग्रामीण जनसंख्या वृद्धि को दर्शाता है। (c) शहरीकरण के विपरीत है। (d) पारंपरिक शहरी जीवन शैली का प्रसार शहरीकरण का एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन यह प्रक्रिया की परिभाषा नहीं है।

प्रश्न 22: “संस्थागत भेदभाव” (Institutional Discrimination) का सबसे अच्छा उदाहरण कौन सा है?

  1. एक मालिक का किसी व्यक्ति को केवल उसकी जाति के कारण नौकरी पर न रखना।
  2. एक बैंक द्वारा किसी विशेष जातीय समूह के लोगों को ऋण देने से इनकार करना, भले ही उनकी आर्थिक स्थिति समान हो।
  3. एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति के प्रति पूर्वाग्रह रखना।
  4. किसी विशेष समुदाय के खिलाफ सार्वजनिक रूप से अपमानजनक टिप्पणी करना।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: संस्थागत भेदभाव उन नीतियों, प्रथाओं या नियमों में अंतर्निहित है जो अनजाने या जानबूझकर किसी विशेष समूह के खिलाफ पक्षपात करते हैं। विकल्प (b) एक संस्था (बैंक) द्वारा व्यवस्थित रूप से एक समूह के खिलाफ भेदभाव को दर्शाता है, भले ही व्यक्तिगत पूर्वाग्रह सीधे तौर पर स्पष्ट न हो।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत पूर्वाग्रह (Prejudice) से भिन्न है, जो व्यक्तिगत दृष्टिकोण है, और व्यक्तिगत भेदभाव (Individual Discrimination) से भी भिन्न है, जो एक व्यक्ति द्वारा दूसरे के प्रति किया जाने वाला कार्य है। संस्थागत भेदभाव समाज की संरचनाओं में निहित होता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) व्यक्तिगत भेदभाव का एक उदाहरण हो सकता है। (c) व्यक्तिगत पूर्वाग्रह का एक उदाहरण है। (d) व्यक्तिगत भेदभाव या घृणास्पद भाषण का उदाहरण हो सकता है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह संस्थागत हो।

प्रश्न 23: “उत्तर-आधुनिकता” (Postmodernity) की अवधारणा के अनुसार, आधुनिक समाज की किन विशेषताओं को चुनौती दी जाती है?

  1. धर्मनिरपेक्षता और तर्कवाद
  2. प्रगति, सार्वभौमिक सत्य और बड़े वृत्तांत (Grand Narratives)
  3. पूंजीवाद और औद्योगीकरण
  4. राष्ट्र-राज्यों का उदय

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: उत्तर-आधुनिकतावादी विचारक आधुनिकता के प्रमुख सिद्धांतों, जैसे कि प्रगति में अटूट विश्वास, सार्वभौमिक सत्य की खोज, और विज्ञान तथा तर्कवाद पर पूर्ण निर्भरता को चुनौती देते हैं। वे “बड़े वृत्तांतों” (जैसे मार्क्सवाद का इतिहास, प्रबोधन का विचार) को खारिज करते हैं और स्थानीय, व्यक्तिगत सत्यों पर जोर देते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उत्तर-आधुनिकतावाद अक्सर विखंडन, अनिश्चितता, और उपभोक्तावाद के प्रभुत्व वाले समाज का वर्णन करता है।
  • अincorrect विकल्प: (a) आधुनिकता की विशेषताएं हैं, जिन्हें उत्तर-आधुनिकतावादी अक्सर आलोचनात्मक दृष्टि से देखते हैं, लेकिन उन्हें पूरी तरह से चुनौती नहीं देते। (c) और (d) ये आधुनिकता के महत्वपूर्ण पहलू हैं, और उत्तर-आधुनिकतावादी इनकी आलोचना कर सकते हैं, लेकिन “बड़े वृत्तांतों” और “सार्वभौमिक सत्य” से इनकी चुनौती भिन्न है।

प्रश्न 24: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) का अर्थ है:

  1. व्यक्तियों या समूहों का सामाजिक स्थिति में परिवर्तन।
  2. एक समूह का दूसरे समूह के साथ विलय।
  3. सामाजिक नियमों का पालन करना।
  4. सामाजिक समस्याओं का समाधान।

उत्तर: (a)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: सामाजिक गतिशीलता से तात्पर्य व्यक्तियों या सामाजिक समूहों की एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाने की प्रक्रिया से है। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक गतिशीलता का अध्ययन किसी समाज में अवसर की समानता और सामाजिक संरचना की कठोरता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • अincorrect विकल्प: (b) यह विलय (merger) या समरूपीकरण (assimilation) का वर्णन करता है। (c) सामाजिक नियमों का पालन सामाजिक व्यवस्था (Social Order) का हिस्सा है। (d) सामाजिक समस्याओं का समाधान सामाजिक सुधार (Social Reform) या परिवर्तन (Social Change) से संबंधित हो सकता है।

प्रश्न 25: “आदिवासी समुदाय” (Tribal Communities) के अध्ययन में समाजशास्त्री मुख्य रूप से किन विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं?

  1. मुख्य रूप से उनके शहरीकरण के अनुभव पर।
  2. उनकी विशिष्ट सामाजिक-सांस्कृतिक प्रथाओं, भू-आधारित संबंध, और मुख्यधारा समाज के साथ उनके संबंध।
  3. केवल उनके राजनीतिक संगठन पर।
  4. उनके व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों पर।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सटीकता: आदिवासी समुदायों का अध्ययन करते समय, समाजशास्त्री अक्सर उनकी अनूठी संस्कृति, परंपराओं, भाषा, सामाजिक संरचना (जैसे नातेदारी, वंश), भूमि के साथ उनके घनिष्ठ संबंध (जो अक्सर उनकी पहचान का मूल होता है), और वे कैसे मुख्यधारा के समाज, राज्य और अर्थव्यवस्था के साथ बातचीत करते हैं, इन पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में, आदिवासी समुदायों को ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रखा गया है, और उनके अधिकारों, एकीकरण और विकास के मुद्दों का समाजशास्त्रीय अध्ययन महत्वपूर्ण है।
  • अincorrect विकल्प: (a) आदिवासी समुदाय मुख्य रूप से शहरी नहीं होते, हालांकि शहरीकरण एक प्रभाव हो सकता है। (c) राजनीतिक संगठन महत्वपूर्ण है, लेकिन यह एकमात्र ध्यान केंद्रित करने वाला क्षेत्र नहीं है। (d) व्यक्तिगत धार्मिक विश्वासों के बजाय, उनके सामूहिक धार्मिक और आध्यात्मिक प्रथाओं पर अधिक ध्यान दिया जाता है।

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