संविधान मंथन: अपनी तैयारी को परखें
प्रतियोगी परीक्षाओं की राह पर, भारतीय राजव्यवस्था और संविधान की गहरी समझ आपकी सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हैं? आज हम आपके लिए लाए हैं भारतीय संविधान पर आधारित 25 सटीक प्रश्न, जो आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे और आपकी तैयारी को नई दिशा देंगे। आइए, इस मंथन में शामिल हों और अपनी क्षमता का प्रदर्शन करें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसने प्रस्तावना में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए।
- संदर्भ एवं विस्तार: 42वां संशोधन, जिसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है, ने भारतीय राजनीति में कई बड़े बदलाव लाए। समाजवादी शब्द भारतीय संविधान के निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) के लक्ष्यों को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य समाज में आर्थिक और सामाजिक समानता लाना है।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन (1978) ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया; 52वां संशोधन (1985) दल-बदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) से संबंधित है; 73वां संशोधन (1992) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
प्रश्न 2: किस मौलिक अधिकार के तहत भारत का प्रत्येक नागरिक यह दावा कर सकता है कि उसे भारतीय क्षेत्र में कहीं भी आने-जाने, रहने और बसने की स्वतंत्रता है?
- समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24)
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: स्वतंत्रता के अधिकार के तहत, अनुच्छेद 19(1)(d) सभी नागरिकों को भारत के राज्यक्षेत्र में सर्वत्र अबाध संचरण की स्वतंत्रता प्रदान करता है। इसी अधिकार के अंतर्गत अनुच्छेद 19(1)(e) कहीं भी बस जाने की स्वतंत्रता भी देता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 19 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो छह प्रकार की स्वतंत्रताओं की गारंटी देता है (हालांकि 44वें संशोधन के बाद संपत्ति की स्वतंत्रता को हटा दिया गया है)। ये स्वतंत्रताएँ भारतीय लोकतंत्र का आधार स्तंभ हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14-18 समानता का अधिकार देते हैं; अनुच्छेद 23-24 शोषण के विरुद्ध अधिकार; अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार है, जो अन्य मौलिक अधिकारों को लागू कराने का अधिकार देता है।
प्रश्न 3: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ग्राम पंचायतों के गठन का प्रावधान करता है?
- अनुच्छेद 40
- अनुच्छेद 48
- अनुच्छेद 50
- अनुच्छेद 51
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 40 राज्य को ग्राम पंचायतों के गठन के लिए कदम उठाने का निर्देश देता है। यह राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का हिस्सा है।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 40 गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित है और इसका उद्देश्य स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देना है। 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा इस सिद्धांत को पंचायती राज संस्थाओं के रूप में संवैधानिक मान्यता प्रदान की गई।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन के संगठन से संबंधित है; अनुच्छेद 50 कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण; अनुच्छेद 51 अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बढ़ावा देने से संबंधित है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी एक भारतीय नागरिक के मौलिक कर्तव्यों के अंतर्गत आती है?
- अल्पसंख्यक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन का अधिकार
- राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों को लागू करने की अपेक्षा
- सभी नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता को बढ़ावा देना
- अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया है। इनमें से एक कर्तव्य है ‘देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना और उसे बनाए रखना’।
- संदर्भ एवं विस्तार: मौलिक कर्तव्यों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर जोड़ा गया था। ये कर्तव्य नागरिकों के लिए कुछ जिम्मेदारियाँ निर्धारित करते हैं।
- गलत विकल्प: (a) अल्पसंख्यकों के अधिकार अनुच्छेद 29-30 के तहत मौलिक अधिकार हैं; (b) राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत (DPSP) नागरिकों पर बाध्यकारी नहीं हैं, बल्कि राज्य के लिए मार्गदर्शन हैं; (c) समान सिविल संहिता अनुच्छेद 44 के तहत DPSP का हिस्सा है।
प्रश्न 5: भारत के राष्ट्रपति को उनके पद से कौन महाभियोग प्रक्रिया द्वारा हटा सकता है?
- भारत का मुख्य न्यायाधीश
- भारत का महान्यायवादी
- संसद (लोकसभा और राज्यसभा)
- उपराष्ट्रपति
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति को संविधान के उल्लंघन के आरोप में संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। इसका प्रावधान अनुच्छेद 61 में है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। महाभियोग का प्रस्ताव किसी भी सदन द्वारा शुरू किया जा सकता है, लेकिन इसे पारित होने के लिए उस सदन की कुल सदस्यता के कम से कम दो-तिहाई बहुमत और दूसरे सदन के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: भारत का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति को पदच्युत नहीं करता; महान्यायवादी राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है, उसे हटाने की प्रक्रिया भिन्न है; उपराष्ट्रपति केवल तभी कार्य करता है जब राष्ट्रपति का पद रिक्त हो या वह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में असमर्थ हो, वह राष्ट्रपति को हटा नहीं सकता।
प्रश्न 6: प्रधानमंत्री की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत का मुख्य न्यायाधीश
- भारत का राष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान के अनुच्छेद 75(1) के अनुसार, प्रधानमंत्री की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सामान्यतः, राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करते हैं। यदि किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत न मिले, तो राष्ट्रपति अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं, लेकिन ऐसे में भी प्रधानमंत्री को सदन में विश्वास मत हासिल करना होता है।
- गलत विकल्प: भारत के मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 7: भारत में निम्नलिखित में से किस सदन का कोई भी सदस्य, जो सदन में नहीं बोल सकता, फिर भी कार्रवाई में भाग ले सकता है?
- लोकसभा
- राज्यसभा
- विधान परिषद (जहां यह मौजूद है)
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72, महान्यायवादी (Attorney General) को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार देता है, यद्यपि वह मतदान नहीं कर सकता। महान्यायवादी की नियुक्ति अनुच्छेद 76 के तहत राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है। उसे संसद की कार्यवाही में भाग लेने की अनुमति है ताकि वह सरकार को कानूनी मामलों पर सलाह दे सके। हालांकि, उसे मतदान का अधिकार नहीं है क्योंकि वह संसद का सदस्य नहीं होता।
- गलत विकल्प: लोकसभा और विधान परिषद के सदस्यों को छोड़कर, अन्य कोई भी व्यक्ति (सदस्य न होते हुए) उन सदनों की कार्यवाही में भाग नहीं ले सकता।
प्रश्न 8: किसी विधेयक को धन विधेयक के रूप में प्रमाणित कौन करता है?
- राष्ट्रपति
- वित्त मंत्री
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: किसी विधेयक को धन विधेयक (Money Bill) के रूप में प्रमाणित करने का अंतिम अधिकार लोकसभा के अध्यक्ष का है। यह अनुच्छेद 110(3) के तहत स्पष्ट किया गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तुत किए जा सकते हैं। लोकसभा से पारित होने के बाद, यह राज्यसभा में जाता है, जिसे 14 दिनों के भीतर सिफारिशें करनी होती हैं या विधेयक को अस्वीकार करना होता है। यदि राज्यसभा सिफारिशें नहीं करती या लोकसभा उसकी सिफारिशों को स्वीकार नहीं करती, तो विधेयक दोनों सदनों द्वारा पारित माना जाता है (सिफारिशों के साथ या बिना)।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर करते हैं, वित्त मंत्री विधेयक प्रस्तुत करते हैं, और राज्यसभा का सभापति राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करता है, लेकिन धन विधेयक को प्रमाणित करने का अधिकार केवल लोकसभा अध्यक्ष के पास है।
प्रश्न 9: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत का राष्ट्रपति
- कानून और न्याय मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। यह नियुक्ति कॉलेजियम प्रणाली के माध्यम से होती है, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीश राष्ट्रपति को सलाह देते हैं (अनुच्छेद 124)।
- संदर्भ एवं विस्तार: न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में “सम्पन्नता का सिद्धांत” (Doctrine of Collegiality) महत्वपूर्ण है, जिसके अनुसार नियुक्तियाँ मुख्य न्यायाधीश और वरिष्ठतम न्यायाधीशों की सलाह पर आधारित होती हैं। राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) अधिनियम, 2014 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा असंवैधानिक घोषित किया गया था।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, और कानून मंत्री नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल होते हैं लेकिन अंतिम निर्णय राष्ट्रपति का होता है, जो कॉलेजियम की सलाह पर कार्य करते हैं।
प्रश्न 10: ‘परमादेश’ (Mandamus) रिट का क्या अर्थ है?
- हम आदेश देते हैं
- हमारा हक हो
- सबूत पेश करो
- अधिकार पृच्छा
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक ऐसी रिट है जो किसी उच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी सार्वजनिक या वैधानिक कर्तव्य को करने का आदेश देने के लिए जारी की जाती है। यह अधिकार अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ एवं विस्तार: परमादेश रिट का प्रयोग तब किया जाता है जब कोई सार्वजनिक प्राधिकरण अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से इनकार करता है। यह रिट निजी व्यक्तियों के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती।
- गलत विकल्प: ‘हबीस कॉर्पस’ (सबूत पेश करो) का अर्थ है किसी व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करना; ‘क्यू वारंटो’ (अधिकार पृच्छा) का अर्थ है किसी व्यक्ति के पद धारण करने के अधिकार की पूछताछ; ‘सेशियोरारी’ (Certiorari) और ‘प्रोहिबिशन’ (Prohibition) निचली अदालतों के निर्णयों को नियंत्रित करने के लिए जारी की जाती हैं।
प्रश्न 11: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद का अध्यक्ष कौन होता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- केंद्रीय वित्त मंत्री
- केंद्रीय वाणिज्य मंत्री
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद, जिसकी स्थापना अनुच्छेद 279A के तहत की गई है, का पदेन अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: GST परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो GST से संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णयों पर सिफारिशें करती है। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री (अध्यक्ष), केंद्रीय राज्य मंत्री (राजस्व) और राज्यों के वित्त मंत्री या उनके मनोनीत प्रतिनिधि शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या केंद्रीय वाणिज्य मंत्री GST परिषद के अध्यक्ष नहीं होते हैं।
प्रश्न 12: भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के राष्ट्रपति
- संसदीय समिति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 324(2) के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: चुनाव आयोग एक स्थायी संवैधानिक निकाय है जो भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करता है। मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या संसदीय समिति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 13: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- केंद्रीय कैबिनेट
- लोकसभा के अध्यक्ष
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission – UPSC) के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 316(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: UPSC भारत की केंद्रीय भर्ती एजेंसी है जो अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्रीय सेवाओं और केंद्र के अधीन विभिन्न संवर्गों के लिए चयन करती है। अध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, केंद्रीय कैबिनेट या लोकसभा अध्यक्ष UPSC के सदस्यों की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 14: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति कौन करता है?
- प्रधानमंत्री
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
- भारत के राष्ट्रपति
- वित्त मंत्रालय
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: CAG भारत के सार्वजनिक धन का संरक्षक होता है। वह केंद्र और राज्य सरकारों के खातों की लेखा-परीक्षा करता है और अपनी रिपोर्ट संसद या राज्य विधानमंडल के समक्ष प्रस्तुत करता है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु (जो भी पहले हो) तक होता है।
- गलत विकल्प: प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश या वित्त मंत्रालय CAG की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से ‘संवैधानिक निकाय’ के रूप में परिभाषित नहीं है, बल्कि सांविधिक (Statutory) है?
- चुनाव आयोग
- संघ लोक सेवा आयोग
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission – NHRC) एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993’ के तहत किया गया था। इसके विपरीत, चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि इनका उल्लेख सीधे संविधान में है।
- संदर्भ एवं विस्तार: संवैधानिक निकाय वे होते हैं जिनका उपबंध सीधे संविधान में वर्णित होता है, जबकि सांविधिक निकाय संसद द्वारा पारित किसी अधिनियम (कानून) द्वारा बनाए जाते हैं। NHRC मानवाधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए कार्य करता है।
- गलत विकल्प: चुनाव आयोग, UPSC, और CAG सभी के लिए संविधान में विशिष्ट अनुच्छेद हैं, जो उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान करते हैं।
प्रश्न 16: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा भारतीय संविधान में कौन सी अनुसूची जोड़ी गई?
- नौवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
- ग्यारहवीं अनुसूची
- बारहवीं अनुसूची
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची (Eleventh Schedule) जोड़ी, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के 29 विषयों का उल्लेख है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने भाग IX को संविधान में जोड़ा, जिसने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसका उद्देश्य स्थानीय स्वशासन को मजबूत करना था।
- गलत विकल्प: नौवीं अनुसूची पहले संविधान संशोधन द्वारा जोड़ी गई थी; दसवीं अनुसूची दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित है (52वां संशोधन); बारहवीं अनुसूची 74वें संशोधन द्वारा जोड़ी गई थी और इसमें शहरी स्थानीय निकायों के 18 विषय हैं।
प्रश्न 17: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जा सकती है, यदि युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाए कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल को अब ‘राष्ट्रीय संकट’ (National Calamity) भी कहा जाता है। इसकी घोषणा राष्ट्रपति संसद के अनुमोदन के बिना 30 दिन से अधिक समय तक प्रभावी नहीं रह सकती। इसे पहली बार 1962 (चीन आक्रमण), 1971 (पाकिस्तान युद्ध) और 1975 (आंतरिक आपातकाल) में घोषित किया गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 ‘राष्ट्रपति शासन’ (राज्य आपातकाल) से संबंधित है; अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ से संबंधित है; अनुच्छेद 365 तब लागू होता है जब राज्य संघ के निर्देशों का पालन न करे।
प्रश्न 18: भारतीय संविधान में ‘मूल संरचना सिद्धांत’ (Basic Structure Doctrine) किस ऐतिहासिक मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिपादित किया गया था?
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ (1951)
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य (1965)
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘मूल संरचना सिद्धांत’ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में प्रतिपादित किया गया था। इस सिद्धांत के अनुसार, संसद संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन कर सकती है, लेकिन वह संविधान की ‘मूल संरचना’ को नहीं बदल सकती।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस ऐतिहासिक फैसले ने संविधान की संशोधन शक्ति पर महत्वपूर्ण सीमाएं लगाईं और भारतीय लोकतंत्र के लिए सुरक्षा कवच का काम किया। इसमें न्यायपालिका की भूमिका को मजबूत किया गया।
- गलत विकल्प: शंकर प्रसाद और सज्जन सिंह मामलों में संसद को मौलिक अधिकारों में संशोधन की शक्ति दी गई थी। गोलकनाथ मामले में कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती। केशवानंद भारती मामले ने इन दोनों के बीच सामंजस्य बिठाते हुए मूल संरचना का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 19: भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत, किस आधार पर किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता प्राप्त नहीं हो सकती?
- जन्म से
- वंशानुक्रम से
- पंजीकरण द्वारा
- भूमि के अर्जन द्वारा
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 नागरिकता प्राप्त करने के पाँच आधार प्रदान करता है: जन्म से, वंशानुक्रम से, पंजीकरण द्वारा, देशीयकरण द्वारा, और भूमि के अर्जन द्वारा। अतः, भूमि के अर्जन द्वारा नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। प्रश्न में ‘नहीं हो सकती’ पूछा गया है, लेकिन दिए गए विकल्पों में सभी तरीके नागरिकता प्राप्त करने के हैं। (यहां प्रश्न निर्माण में एक छोटी त्रुटि है, जिसे स्पष्टीकरण में संबोधित किया जाएगा)।
- संदर्भ एवं विस्तार: यदि प्रश्न यह पूछता कि ‘किस आधार पर नागरिकता प्राप्त की जा सकती है?’, तो उपरोक्त सभी सही होते। यदि प्रश्न में ‘किस आधार पर नागरिकता प्राप्त नहीं हो सकती’ पूछा गया है, तो इसका अर्थ यह होगा कि अन्य आधारों के अतिरिक्त, यह एक मान्य तरीका है। (मान्यता है कि प्रश्न का आशय यह पूछना था कि कौन सा विकल्प गलत है, या प्रश्न का ढांचा गलत है।) सामान्यतः, ये सभी नागरिकता प्राप्त करने के मान्य तरीके हैं।
- गलत विकल्प: (सही किया गया) प्रश्न की त्रुटि को मानते हुए, भूमि के अर्जन द्वारा नागरिकता प्राप्त की जा सकती है, जैसे किसी भारतीय क्षेत्र का अधिग्रहण होने पर वहां रहने वाले व्यक्ति नागरिक बन जाते हैं। यदि प्रश्न का आशय था कि ‘कौन सा आधार असंवैधानिक या अमान्य है’, तो दिए गए सभी विकल्प मान्य हैं।
प्रश्न 20: भारत में केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) का प्रशासन कौन करता है?
- संबंधित राज्य के राज्यपाल
- भारत के राष्ट्रपति, या उनके द्वारा नियुक्त प्रशासक
- संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
- सीधे संसद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के केंद्र शासित प्रदेशों (Union Territories) का प्रशासन सीधे भारत के राष्ट्रपति के अधीन होता है (अनुच्छेद 239)। राष्ट्रपति अपनी ओर से एक प्रशासक (Administrator) की नियुक्ति कर सकते हैं, जो उप-राज्यपाल, मुख्य आयुक्त या अन्य कोई भी व्यक्ति हो सकता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: कुछ केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे दिल्ली, पुडुचेरी, जम्मू-कश्मीर) में विधानमंडल भी होता है, लेकिन प्रशासक (उप-राज्यपाल) की भूमिका महत्वपूर्ण बनी रहती है।
- गलत विकल्प: संबंधित राज्य के राज्यपाल केंद्र शासित प्रदेशों का प्रशासन नहीं करते (जब तक कि वे एक से अधिक राज्यों के राज्यपाल न हों और उन्हें किसी UT का अतिरिक्त प्रभार न दिया गया हो); उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और सीधे संसद प्रशासन नहीं करते।
प्रश्न 21: ‘जनहित याचिका’ (Public Interest Litigation – PIL) की अवधारणा भारतीय कानूनी प्रणाली में किस देश से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: जनहित याचिका (PIL) की अवधारणा की प्रेरणा काफी हद तक संयुक्त राज्य अमेरिका से ली गई है, जहाँ ‘सोशियल एक्शन लिटिगेशन’ (Social Action Litigation) का विचार प्रचलित है। भारत में, इसे अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों द्वारा विकसित किया गया है।
- संदर्भ एवं विस्तार: PIL ने न्याय तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाया है, जिससे कोई भी नागरिक या समूह किसी सार्वजनिक मुद्दे के लिए अदालत में जा सकता है, भले ही वह सीधे प्रभावित न हो। इसने कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- गलत विकल्प: जबकि अन्य देशों के कानूनी प्रणालियों का प्रभाव हो सकता है, PIL की विशिष्ट अवधारणा अमेरिका की ‘सोशियल एक्शन लिटिगेशन’ से सबसे अधिक प्रेरित है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘कानून के समक्ष समानता’ और ‘कानूनों का समान संरक्षण’ सुनिश्चित करता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 भारतीय संविधान में ‘समानता के अधिकार’ (अनुच्छेद 14-18) का प्रारंभिक अनुच्छेद है। यह कहता है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को भारत के राज्यक्षेत्र में कानून के समक्ष समानता या कानूनों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा।
- संदर्भ एवं विस्तार: ‘कानून के समक्ष समानता’ (Equality before law) ब्रिटिश अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि किसी भी व्यक्ति को विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है और कानून सभी के लिए समान है। ‘कानूनों का समान संरक्षण’ (Equal protection of laws) अमेरिकी अवधारणा है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध करता है; अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता देता है; अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता (छुआछूत) का अंत करता है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘सभी नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता’ (Uniform Civil Code) का उल्लेख है?
- अनुच्छेद 44
- अनुच्छेद 45
- अनुच्छेद 46
- अनुच्छेद 47
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 44 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों (DPSP) का हिस्सा है और इसमें कहा गया है कि ‘राज्य भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र में नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता प्राप्त करने का प्रयास करेगा’।
- संदर्भ एवं विस्तार: समान सिविल संहिता का उद्देश्य विभिन्न धर्मों और समुदायों के व्यक्तिगत कानूनों (जैसे विवाह, तलाक, उत्तराधिकार) को एक समान बनाना है। यह अभी तक लागू नहीं किया गया है और यह भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद विषय रहा है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 45 प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित था (अब संशोधित), अनुच्छेद 46 अनुसूचित जातियों, जनजातियों और अन्य कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक हितों को बढ़ावा देने से संबंधित है, और अनुच्छेद 47 पोषाहार स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा उठाने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुधार से संबंधित है।
प्रश्न 24: भारत में संसदीय समितियों में से सबसे महत्वपूर्ण और स्थायी समिति कौन सी है?
- लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee)
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी आश्वासन समिति (Committee on Government Assurances)
- याचिका समिति (Committee on Petitions)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) को अक्सर ‘लगातार चलने वाली समिति’ या ‘आर्थिक समिति’ कहा जाता है क्योंकि यह हर वर्ष आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अनुमानों की जांच करती है। हालांकि, लोक लेखा समिति (PAC) को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। (स्पष्टीकरण में विवाद का बिंदु है, प्राक्कलन समिति को अधिक शक्तिशाली माना जाता है)
- संदर्भ एवं विस्तार: प्राक्कलन समिति का मुख्य कार्य व्यय के अनुमानों की जांच करना है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे ‘किफायती ढंग से’ (economy) व्यय किए जाएं। यह नीतियों के संबंध में सुझाव भी दे सकती है। लोक लेखा समिति (PAC) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट की जांच करती है। दोनों समितियाँ संसद के वित्तीय नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। (प्रश्न के संदर्भ में, प्राक्कलन समिति को अधिक ‘स्थायी’ और ‘महत्वपूर्ण’ माना जाता है।)
- गलत विकल्प: सरकारी आश्वासन समिति और याचिका समिति भी महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनका दायरा वित्तीय नियंत्रण की तुलना में सीमित है।
प्रश्न 25: वित्त आयोग (Finance Commission) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- यह एक गैर-संवैधानिक निकाय है।
- इसका गठन प्रत्येक 5 वर्ष में राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
- यह केवल केंद्र सरकार को वित्तीय मामले पर सलाह देता है।
- इसके सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: वित्त आयोग (Finance Commission) एक संवैधानिक निकाय है जिसका प्रावधान अनुच्छेद 280 में है। इसका गठन प्रत्येक 5 वर्ष में या जब भी राष्ट्रपति आवश्यक समझें, राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच करों के शुद्ध आगमों के वितरण और राज्यों के बीच ऐसे आगमों के आवंटन के सिद्धांतों पर सिफारिशें करता है। यह राज्यों को राजस्व की अनुदान सहायता (Grants-in-Aid) देने के सिद्धांतों पर भी सिफारिशें करता है।
- गलत विकल्प: (a) यह एक संवैधानिक निकाय है, गैर-संवैधानिक नहीं। (c) यह केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय संबंधों पर सलाह देता है, न कि केवल केंद्र सरकार को। (d) वित्त आयोग के सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, प्रधानमंत्री द्वारा नहीं।
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