लोकतंत्र की परख: 25 प्रश्न, 100% स्पष्टीकरण
नमस्कार, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र की जटिलताओं और संविधान की बारीकियों को समझना आपकी सफलता की कुंजी है। क्या आप अपने संकल्पों को परखने और ज्ञान को पैना करने के लिए तैयार हैं? आइए, आज के इस विशेष प्रश्नोत्तरी सत्र में भारतीय राजव्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपनी समझ को चुनौती दें और प्रत्येक प्रश्न के गहन विश्लेषण से अपने अध्ययन को और सुदृढ़ करें!
भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया?
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 76वां संशोधन अधिनियम, 1992
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा लाया गया था और इसे ‘मिनी-संविधान’ भी कहा जाता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारत को एक कल्याणकारी राज्य के रूप में स्थापित करना था, जो सामाजिक और आर्थिक समानता को बढ़ावा दे। हालाँकि, सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों (जैसे एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ) में कहा है कि ये शब्द संविधान की मूल संरचना का हिस्सा हैं और प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर एक विधिक अधिकार बनाया। 52वां संशोधन अधिनियम, 1985 ने दल-बदल विरोधी प्रावधानों (10वीं अनुसूची) को जोड़ा। 76वां संशोधन अधिनियम, 1992 तमिलनाडु में आरक्षण की सीमा से संबंधित था।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘विधि के समक्ष समानता’ का प्रावधान है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 14 भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों के भाग III में वर्णित है और यह ‘विधि के समक्ष समानता’ (Equality before law) तथा ‘विधियों का समान संरक्षण’ (Equal protection of laws) का प्रावधान करता है। इसका अर्थ है कि कानून की दृष्टि में सभी व्यक्ति समान हैं और राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के सामने विशेष अधिकार नहीं देगा।
- संदर्भ एवं विस्तार: ‘विधि के समक्ष समानता’ की अवधारणा ब्रिटिश मूल की है, जो यह मानती है कि कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। ‘विधियों का समान संरक्षण’ अमेरिकी संविधान से प्रेरित है, जिसका अर्थ है कि समान परिस्थितियों में सभी व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार किया जाएगा। यह अनुच्छेद राज्य को मनमानी कार्रवाई से रोकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन राष्ट्रपति के विधायी शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है?
- संसद के सदनों को संबोधित करना
- अध्यादेश जारी करना
- विधेयक को पुनः विचार के लिए लौटाना
- उच्चतम न्यायालय से परामर्श लेना
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति की परामर्शदात्री शक्ति (Advisory Power) अनुच्छेद 143 के तहत आती है, जो उनकी विधायी या कार्यकारी शक्तियों के अंतर्गत नहीं, बल्कि एक विशेष न्यायिक-संवैधानिक शक्ति है। यह शक्ति उन्हें सार्वजनिक महत्व के कानूनी या तथ्यात्मक मामलों पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श करने की अनुमति देती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रपति अपनी विधायी शक्तियों का प्रयोग अनुच्छेद 86 (संसद को संबोधित करना), अनुच्छेद 123 (अध्यादेश जारी करना), और अनुच्छेद 111 (विधेयक पर अनुमति देना या रोकना/लौटाना) के तहत करते हैं। विधायी शक्तियों में विधेयकों पर वीटो, संसद का सत्रावसान, संयुक्त बैठक बुलाना आदि शामिल हैं।
- गलत विकल्प: (a) संसद को संबोधित करना (अनुच्छेद 86) विधायी शक्ति है। (b) अध्यादेश जारी करना (अनुच्छेद 123) विधायी शक्ति है। (c) विधेयक को पुनः विचार के लिए लौटाना (अनुच्छेद 111) भी एक विधायी शक्ति का हिस्सा है।
प्रश्न 4: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट की जांच कौन सी संसदीय समिति करती है?
- प्राक्कलन समिति
- लोक लेखा समिति
- सरकारी उपक्रम समिति
- विशेषाधिकार समिति
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट की जांच लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee – PAC) करती है, जिसका गठन अनुच्छेद 118 के तहत बनाया गया है। CAG की रिपोर्टें संसद के दोनों सदनों में प्रस्तुत की जाती हैं, जहाँ PAC उनकी विस्तृत जांच करती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: PAC का मुख्य कार्य भारत की संचित निधि से किए गए व्यय की जांच करना और यह सुनिश्चित करना है कि व्यय संबंधित विधियों के अनुरूप है। PAC का अध्यक्ष परम्परागत रूप से मुख्य विपक्षी दल का सदस्य होता है, जिससे समिति की निष्पक्षता बनी रहती है।
- गलत विकल्प: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) सरकारी व्यय में मितव्ययिता और संगठनात्मक सुधार के सुझाव देती है। सरकारी उपक्रम समिति (Committee on Public Undertakings) सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन की जांच करती है। विशेषाधिकार समिति (Committee of Privileges) सदस्यों के विशेषाधिकारों के हनन के मामलों की जांच करती है।
प्रश्न 5: किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रस्तावना संविधान का मूल ढाँचा है?
- शंकरी प्रसाद बनाम भारत संघ
- सज्जन सिंह बनाम राजस्थान राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए कहा कि संसद संविधान के किसी भी भाग में, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, संशोधन कर सकती है, लेकिन संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को नहीं बदल सकती। प्रस्तावना को संविधान के मूल ढांचे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना गया।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस निर्णय ने संसदीय संशोधन की शक्ति को सीमित किया और संविधान की सर्वोच्चता तथा अखंडता की रक्षा की। मूल ढांचे के सिद्धांत के तहत, प्रस्तावना में वर्णित संप्रभुता, समाजवाद, पंथनिरपेक्षता, लोकतंत्र, गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व, न्यायिक समीक्षा, एकल नागरिकता, संघवाद आदि को मूल ढांचे का हिस्सा माना गया है।
- गलत विकल्प: शंकरी प्रसाद (1951) और सज्जन सिंह (1965) मामलों में न्यायालय ने कहा था कि मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग में संशोधन संसद की शक्ति है। मेनका गांधी (1978) मामले ने अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की व्याख्या का विस्तार किया।
प्रश्न 6: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधान मंत्री
- लोकसभा के अध्यक्ष
- राज्यसभा के सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission – UPSC) के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जैसा कि अनुच्छेद 316 (1) में प्रावधानित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: UPSC एक संवैधानिक निकाय है जिसका कार्य संघ की सेवाओं के लिए भर्ती प्रक्रिया आयोजित करना और राष्ट्रपति द्वारा संदर्भित मामलों पर सरकार को सलाह देना है। राष्ट्रपति यूपीएससी के सदस्यों की सेवा की शर्तों को भी निर्धारित करते हैं। उन्हें राष्ट्रपति द्वारा ही हटाया भी जा सकता है, लेकिन निश्चित प्रक्रियाओं के तहत।
- गलत विकल्प: प्रधान मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति की नियुक्ति में सीधे तौर पर UPSC सदस्यों की नियुक्ति की शक्ति नहीं होती है। ये निकाय सरकार के कार्यकारी अंग हैं, जबकि UPSC एक स्वतंत्र संवैधानिक प्राधिकरण है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
- भेदभाव के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 15)
- कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है। इसी प्रकार, अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता), अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा करने की स्वतंत्रता आदि), अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और अनुच्छेद 30 (शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन अल्पसंख्यकों द्वारा) भी केवल भारतीय नागरिकों के लिए उपलब्ध हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) को उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।
- गलत विकल्प: (a) जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 21) सभी व्यक्तियों को प्राप्त है। (b) धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25) भी सभी व्यक्तियों को प्राप्त है। (d) कानून के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14) भी सभी व्यक्तियों को प्राप्त है।
प्रश्न 8: भारत में पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- विकेंद्रीकृत शासन
- ग्राम स्तर पर विकास
- जनता की भागीदारी बढ़ाना
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: पंचायती राज व्यवस्था की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय संविधान के भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243-O) और 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किया गया है। इसके मुख्य उद्देश्य हैं: विकेंद्रीकृत शासन, ग्राम स्तर पर विकास को बढ़ावा देना और स्थानीय शासन में जनता की भागीदारी बढ़ाना।
- संदर्भ एवं विस्तार: पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को स्थानीय स्वशासन की इकाइयाँ माना जाता है, जिन्हें वित्तीय, प्रशासनिक और न्यायिक शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं ताकि वे जमीनी स्तर पर विकास कार्य कर सकें और लोगों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल कर सकें।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए विकल्प पंचायती राज व्यवस्था के लक्ष्यों में शामिल हैं।
प्रश्न 9: ‘नीति निर्देशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?
- अमेरिका
- ब्रिटेन
- आयरलैंड
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के भाग IV में वर्णित नीति निर्देशक तत्व आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं। संविधान निर्माताओं ने आयरिश संविधान से इन तत्वों को लिया ताकि एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की जा सके।
- संदर्भ एवं विस्तार: नीति निर्देशक तत्व सामाजिक-आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए आवश्यक हैं। ये किसी न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं (अनुच्छेद 37), लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं और राज्य का यह कर्तव्य है कि वह कानून बनाते समय इनका ध्यान रखे।
- गलत विकल्प: अमेरिका से प्रस्तावना, मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन आदि प्रेरित हैं। ब्रिटेन से संसदीय प्रणाली, विधि का शासन, एकल नागरिकता आदि प्रेरित हैं। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र में निहित होना, संघ की ओर झुकाव वाली संघीय व्यवस्था आदि प्रेरित हैं।
प्रश्न 10: भारत में किस प्रकार की आपातकाल की घोषणा केवल राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर की जा सकती है?
- राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा अनुच्छेद 352 के तहत की जाती है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह (जिसे अब ‘सशस्त्र विद्रोह’ के रूप में संशोधित किया गया है, पहले ‘आंतरिक अशांति’ थी) के आधार पर की जा सकती है। राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) इसका एक मुख्य आधार है।
- संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल के तहत, संघ की कार्यकारी शक्ति का विस्तार राज्यों को निर्देश देने तक हो सकता है, मौलिक अधिकारों (अनुच्छेद 20 और 21 को छोड़कर) को निलंबित किया जा सकता है, और संसद को राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति मिल जाती है।
- गलत विकल्प: राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) अनुच्छेद 356 के तहत लगाया जाता है, जो राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता पर आधारित है। वित्तीय आपातकाल अनुच्छेद 360 के तहत लगाया जाता है, जब देश की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में हो। इन दोनों का आधार राष्ट्रीय सुरक्षा नहीं है।
प्रश्न 11: संसद का सदस्य न होते हुए भी, कौन सदन की कार्यवाही में भाग ले सकता है?
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General)
- भारत का महाधिवक्ता (Solicitor General)
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का महान्यायवादी (Attorney General for India) अनुच्छेद 76 के तहत नियुक्त किया जाता है और उसे संसद के किसी भी सदन में या किसी भी समिति में, जहाँ उसे सुना जाए, बोलने का अधिकार है, लेकिन वह मतदान का अधिकार नहीं रखता। वह संसद का सदस्य नहीं होता।
- संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है और संसद की कार्यवाही में भाग लेने का उसका अधिकार विधायी प्रक्रिया में महत्वपूर्ण योगदान देता है, हालांकि वह वोट नहीं कर सकता।
- गलत विकल्प: महाधिवक्ता (Solicitor General) भारत सरकार का दूसरा सबसे बड़ा कानूनी अधिकारी होता है, लेकिन उसे संसद की कार्यवाही में भाग लेने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। CAG और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी सरकारी अधिकारी हैं, लेकिन उन्हें संसद की कार्यवाही में भाग लेने का विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है।
प्रश्न 12: किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय महत्व के किसी भी प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकते हैं?
- अनुच्छेद 143
- अनुच्छेद 131
- अनुच्छेद 137
- अनुच्छेद 138
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 143 भारतीय संविधान में ‘परामर्शदात्री अधिकार क्षेत्र’ (Advisory Jurisdiction) का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, राष्ट्रपति राष्ट्रीय महत्व के किसी भी कानूनी या तथ्यात्मक मामले पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श मांग सकते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिया गया परामर्श राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं होता है, हालांकि न्यायालय परामर्श देने से मना नहीं कर सकता। यह राष्ट्रपति की एक विधायी या कार्यकारी शक्ति नहीं, बल्कि एक संवैधानिक विशेषाधिकार है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय के मूल अधिकार क्षेत्र (Original Jurisdiction) से संबंधित है। अनुच्छेद 137 सर्वोच्च न्यायालय को अपने निर्णयों या आदेशों की समीक्षा का अधिकार (Review Jurisdiction) देता है। अनुच्छेद 138 सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के बारे में सही नहीं है?
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसमें प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं।
- इसका उद्देश्य पंचवर्षीय योजनाओं के लिए अंतिम अनुमोदन प्रदान करना है।
- इसका गठन 1952 में किया गया था।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council – NDC) एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि एक कार्यकारी निकाय है जिसका गठन 6 अगस्त 1952 को भारत सरकार के प्रस्ताव द्वारा किया गया था। यह नीति निर्माण में राज्य सरकारों को शामिल करने का एक महत्वपूर्ण मंच है।
- संदर्भ एवं विस्तार: NDC का मुख्य कार्य राष्ट्रीय विकास और पंचवर्षीय योजनाओं पर विचार-विमर्श करना और उन्हें अंतिम अनुमोदन प्रदान करना है। इसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासक और NITI आयोग के सदस्य शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि NDC संवैधानिक नहीं, कार्यकारी निकाय है। (b), (c), और (d) कथन NDC के गठन, संरचना और उद्देश्य के बारे में सही हैं।
प्रश्न 14: भारतीय संविधान का कौन सा भाग ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ से संबंधित है?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (Directive Principles of State Policy) से संबंधित है।
- संदर्भ एवं विस्तार: ये तत्व सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए राज्य को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इन्हें सरकार के लिए एक ‘सलाहकार’ के रूप में देखा जाता है, जिसका पालन करना राज्य का कर्तव्य है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है। भाग VI राज्यों की कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका से संबंधित है।
प्रश्न 15: दल-बदल के आधार पर किसी सदन के सदस्य की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान संविधान की किस अनुसूची में हैं?
- सातवीं अनुसूची
- आठवीं अनुसूची
- नवीं अनुसूची
- दसवीं अनुसूची
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं संशोधन संदर्भ: दल-बदल के आधार पर संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित प्रावधान संविधान की दसवीं अनुसूची (Tenth Schedule) में दिए गए हैं। इसे 52वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1985 द्वारा संविधान में जोड़ा गया था।
- संदर्भ एवं विस्तार: दसवीं अनुसूची का उद्देश्य राजनीतिक दल-बदल को रोकना और विधायकों को दलबदल के आधार पर अयोग्य घोषित करने की प्रक्रिया निर्धारित करना है। इसमें पीठासीन अधिकारी (लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा सभापति) अयोग्यता का निर्णय करता है।
- गलत विकल्प: सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है। आठवीं अनुसूची मान्यता प्राप्त भाषाओं से संबंधित है। नौवीं अनुसूची कुछ अधिनियमों और विनियमों का भूतलक्षी प्रभाव से विधिमान्यकरण और अपवर्जन करती है।
प्रश्न 16: भारतीय संविधान में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- वंशानुगत शासक
- निर्वाचित शासक
- कानून का शासन
- सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (जैसे राष्ट्रपति) वंशानुगत नहीं होता, बल्कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए निर्वाचित होता है। भारत में, राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होते हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना में ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ शब्द भारत के स्वरूप को परिभाषित करते हैं। गणराज्य होने का मतलब है कि देश का सर्वोच्च पद किसी विशेष व्यक्ति या परिवार के लिए आरक्षित नहीं है।
- गलत विकल्प: (a) वंशानुगत शासक राजशाही का प्रतीक है, गणराज्य का नहीं। (c) कानून का शासन (Rule of Law) एक अलग सिद्धांत है, हालांकि गणराज्य में यह लागू होता है। (d) सभी नागरिकों को वोट देने का अधिकार (सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार) लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है, लेकिन सीधे तौर पर ‘गणराज्य’ शब्द की परिभाषा नहीं है, बल्कि गणराज्य का स्वरूप सुनिश्चित करता है।
प्रश्न 17: आपातकालीन उपबंधों का संबंध संविधान के किस भाग में है?
- भाग XIV
- भाग XV
- भाग XVIII
- भाग XX
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVIII (अनुच्छेद 352 से 360) आपात उपबंधों (Emergency Provisions) से संबंधित है, जिसमें राष्ट्रीय आपातकाल, राज्य आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) और वित्तीय आपातकाल शामिल हैं।
- संदर्भ एवं विस्तार: इन उपबंधों का उद्देश्य राज्य को असाधारण परिस्थितियों से निपटने में सक्षम बनाना है, जैसे कि युद्ध, बाहरी आक्रमण, आंतरिक अशांति, या वित्तीय संकट। हालांकि, इन उपबंधों के दुरुपयोग की संभावना के कारण, इन पर कई संशोधनों द्वारा सीमाएं लगाई गई हैं।
- गलत विकल्प: भाग XIV सेवाओं से संबंधित है। भाग XV चुनाव से संबंधित है। भाग XX संविधान संशोधन से संबंधित है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा पद भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत नहीं है?
- उपराष्ट्रपति
- महान्यायवादी
- महाधिवक्ता
- लोक लेखा समिति का अध्यक्ष
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: उप-राष्ट्रपति का पद अनुच्छेद 63 में, महान्यायवादी (Attorney General) का पद अनुच्छेद 76 में, और महाधिवक्ता (Advocate General) का पद अनुच्छेद 165 में संविधान द्वारा गारंटीकृत और परिभाषित पद हैं। लोक लेखा समिति (PAC) का अध्यक्ष एक संसदीय समिति का प्रमुख होता है, न कि संविधान द्वारा सृजित या परिभाषित कोई पद।
- संदर्भ एवं विस्तार: PAC का अध्यक्ष परंपरा के अनुसार लोकसभा में विपक्ष के नेता को बनाया जाता है, लेकिन यह नियुक्ति संसदीय परंपराओं पर आधारित है, न कि किसी संवैधानिक प्रावधान पर। PAC एक संसदीय समिति है, जो संसद की कार्यवाही और उसके व्यय की जांच करती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (c) संवैधानिक पद हैं। (d) PAC का अध्यक्ष संवैधानिक रूप से परिभाषित पद नहीं है।
प्रश्न 19: भारत के संविधान की ‘प्रस्तावना’ में कौन सा शब्द शामिल नहीं है?
- लोकतांत्रिक
- संप्रभु
- सामूहिक उत्तरदायित्व
- पंथनिरपेक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘लोकतांत्रिक’, ‘संप्रभु’ और ‘पंथनिरपेक्ष’ (secular) शब्द शामिल हैं। ‘सामूहिक उत्तरदायित्व’ (Collective Responsibility) मंत्रिपरिषद की व्यवस्था से संबंधित एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, जो अनुच्छेद 75(3) में वर्णित है, लेकिन यह प्रस्तावना में उल्लिखित नहीं है।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रस्तावना में शामिल प्रमुख शब्द हैं: संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक, गणराज्य, न्याय, स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व। ‘सामूहिक उत्तरदायित्व’ का अर्थ है कि मंत्रिपरिषद संसद (विशेषकर लोकसभा) के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी होती है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) प्रस्तावना में हैं। (c) प्रस्तावना में नहीं है।
प्रश्न 20: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) की अधिकतम अवधि कितनी हो सकती है?
- 1 वर्ष
- 2 वर्ष
- 3 वर्ष
- अनिश्चित काल तक
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 के तहत राज्य में राष्ट्रपति शासन की सामान्य अवधि 6 महीने होती है। इसे 6-6 महीने के अंतराल पर अधिकतम 3 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते संसद दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत (special majority) से इसका अनुमोदन करे। 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने प्रथम वर्ष के बाद राष्ट्रपति शासन के विस्तार के लिए अधिक कठोर शर्तें लगाईं।
- संदर्भ एवं विस्तार: प्रथम वर्ष के बाद, यदि राष्ट्रपति शासन का विस्तार करना हो, तो अनुच्छेद 356(4) के अनुसार, संसद को यह घोषित करना होगा कि राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता की स्थिति बनी हुई है। एक वर्ष से अधिक की अवधि के लिए राष्ट्रपति शासन केवल तभी लागू किया जा सकता है जब अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो और संसद इसे अनुमोदित करे।
- गलत विकल्प: 3 वर्ष अधिकतम अवधि है, जिसके बाद सामान्यतः चुनाव हो जाने चाहिए। इससे अधिक अवधि के लिए इसे केवल असाधारण परिस्थितियों में ही आगे बढ़ाया जा सकता है।
प्रश्न 21: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधान मंत्री
- सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
- कानून मंत्री
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General for India) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 76(1) के तहत की जाती है।
- संदर्भ एवं विस्तार: महान्यायवादी भारत सरकार का प्रमुख विधि अधिकारी होता है और उसे उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने की योग्यता रखनी चाहिए। वे राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करते हैं।
- गलत विकल्प: प्रधान मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या कानून मंत्री महान्यायवादी की नियुक्ति नहीं करते। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
प्रश्न 22: मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान में किस संशोधन द्वारा शामिल किया गया?
- 42वां संशोधन, 1976
- 44वां संशोधन, 1978
- 52वां संशोधन, 1985
- 61वां संशोधन, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद/संशोधन संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों (Fundamental Duties) को 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान के भाग IV-A (अनुच्छेद 51-A) में जोड़ा गया था। यह सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों पर आधारित था।
- संदर्भ एवं विस्तार: इन कर्तव्यों को नागरिकों के लिए एक आचार संहिता के रूप में देखा जाता है, जो राष्ट्र के प्रति उनके दायित्वों को रेखांकित करते हैं। ये कर्तव्य प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन ये नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करते हैं।
- गलत विकल्प: 44वां संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को संशोधित किया। 52वां संशोधन दल-बदल से संबंधित है। 61वां संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दी।
प्रश्न 23: राज्य का कार्यपालिका का प्रमुख कौन होता है?
- मुख्यमंत्री
- राज्यपाल
- प्रधानमंत्री
- विधानसभा का अध्यक्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 154 के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा। अतः, राज्यपाल राज्य का कार्यपालिका का प्रमुख होता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: यद्यपि राज्यपाल कार्यपालिका का औपचारिक प्रमुख होता है, वास्तविक कार्यकारी शक्तियाँ मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद में निहित होती हैं, जैसा कि अनुच्छेद 163 में प्रावधानित है। राज्यपाल की भूमिका मुख्य रूप से एक संवैधानिक प्रमुख की होती है, लेकिन कुछ मामलों में उसे विवेकाधिकार का प्रयोग करना पड़ता है।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री सरकार का प्रमुख होता है और वास्तविक कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग करता है। प्रधानमंत्री केंद्र सरकार का प्रमुख होता है। विधानसभा का अध्यक्ष सदन की कार्यवाही का संचालन करता है।
प्रश्न 24: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का अंत किया गया है?
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
- अनुच्छेद 18
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार भाग III में वर्णित है और यह ‘अस्पृश्यता’ का अंत करता है तथा किसी भी रूप में इसके आचरण को प्रतिबंधित करता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: इस अनुच्छेद के तहत, संसद ने अस्पृश्यता (अपराधों का निवारण) अधिनियम, 1955 पारित किया, जो अब नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955 कहलाता है। यह सामाजिक समानता सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण अनुच्छेद है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समता देता है। अनुच्छेद 18 उपाधियों का अंत करता है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन भारत के संविधान का संरक्षक माना जाता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के प्रधानमंत्री
- सर्वोच्च न्यायालय
- संसद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारत का सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court of India) संविधान का संरक्षक माना जाता है। यह अनुच्छेद 132, 133, 134 और विशेष रूप से अनुच्छेद 137 (न्यायिक पुनरीक्षण) के तहत संविधान की व्याख्या करने और उसकी रक्षा करने का अधिकार रखता है।
- संदर्भ एवं विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि विधायिका द्वारा बनाए गए कानून और कार्यपालिका द्वारा किए गए कार्य संविधान के अनुरूप हों। यह मौलिक अधिकारों का भी संरक्षक है और यदि कोई कानून संविधान का उल्लंघन करता है, तो उसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति राष्ट्र का प्रमुख है, लेकिन संविधान का संरक्षक नहीं। प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख है। संसद कानून बनाती है, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के पास उन कानूनों की संवैधानिक वैधता की जांच का अधिकार है, जिससे यह संविधान का अंतिम संरक्षक बनता है।
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