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भारतीय राजव्यवस्था: दैनिक बौद्धिक अग्निपरीक्षा

भारतीय राजव्यवस्था: दैनिक बौद्धिक अग्निपरीक्षा

स्वागत है, भविष्य के प्रशासकों! भारतीय लोकतंत्र के ताने-बाने को समझने की आपकी यात्रा में आज का दिन एक और महत्वपूर्ण पड़ाव है। भारतीय राजव्यवस्था के गहन और जटिल पहलुओं पर अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें। ये 25 प्रश्न आपको संवैधानिक प्रावधानों, ऐतिहासिक फैसलों और शासन की बारीकियों में गहराई तक ले जाएंगे। क्या आप इस दैनिक बौद्धिक अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हैं?

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़े गए?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘धर्मनिरपेक्ष’, और ‘अखंडता’ शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गए। इस संशोधन ने प्रस्तावना को एक नया आयाम दिया, जिससे यह भारतीय गणराज्य के समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक स्वरूप को और अधिक स्पष्ट रूप से व्यक्त कर सके।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन इंदिरा गांधी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था और इसे ‘लघु संविधान’ भी कहा जाता है क्योंकि इसने संविधान के कई हिस्सों में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना और सभी नागरिकों के लिए धार्मिक सहिष्णुता और समानता सुनिश्चित करना था।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन, 1978 ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया और कुछ अन्य महत्वपूर्ण बदलाव किए। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से संबंधित है (दसवीं अनुसूची)। 73वां संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘हबीयस कॉर्पस’ (Habeas Corpus) याचिका के अंतर्गत नहीं आता है?

  1. व्यक्ति की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार
  2. अवैध हिरासत से मुक्ति का अधिकार
  3. मनमानी गिरफ्तारी से सुरक्षा का अधिकार
  4. किसी लोक पदाधिकारी द्वारा अपने कर्तव्य का पालन न करने पर उसे बाध्य करने का अधिकार

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘हबीयस कॉर्पस’ (Habeas Corpus) का शाब्दिक अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह एक परमादेश (mandamus) है जिसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को अवैध हिरासत से मुक्त कराना है। यह अनुच्छेद 32 (सर्वोच्च न्यायालय) और अनुच्छेद 226 (उच्च न्यायालय) के तहत नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण रिट है। यह व्यक्ति की स्वतंत्रता और अवैध गिरफ्तारी से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट तब जारी की जाती है जब किसी व्यक्ति को गैरकानूनी तरीके से बंदी बनाया गया हो। इसका मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करना और हिरासत की वैधता की जांच करवाना है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सीधे तौर पर हबीयस कॉर्पस के दायरे में आते हैं। विकल्प (d) ‘परमादेश’ (Mandamus) रिट से संबंधित है, जिसका उद्देश्य किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने का आदेश देना है।

प्रश्न 3: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक राज्य का अनिवार्य तत्व नहीं है?

  1. जनसंख्या
  2. सरकार
  3. एक निश्चित भूभाग
  4. पहचान योग्य राष्ट्रीयता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के आवश्यक तत्वों में जनसंख्या, एक निश्चित भूभाग, सरकार और संप्रभुता (Sovereignty) शामिल हैं। भारतीय संविधान में, विशेष रूप से संघ और राज्यों के गठन से संबंधित अनुच्छेदों (जैसे अनुच्छेद 1) में, राज्य की अवधारणा निहित है। संप्रभुता का अर्थ है कि राज्य अपने आंतरिक और बाह्य मामलों में स्वतंत्र है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन तत्वों को अंतरराष्ट्रीय कानून और राजनीतिक सिद्धांत में राज्य की परिभाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है। भारत में, हालांकि ‘राष्ट्रीयता’ एक महत्वपूर्ण पहलू है, यह राज्य की कानूनी या संस्थागत परिभाषा का एक अनिवार्य तत्व नहीं माना जाता है।
  • गलत विकल्प: जनसंख्या, सरकार और एक निश्चित भूभाग राज्य के मूलभूत तत्व हैं। राष्ट्रीयता, हालांकि राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, राज्य के लिए एक आवश्यक कानूनी तत्व नहीं मानी जाती है, खासकर जब हम राज्य को एक राजनीतिक इकाई के रूप में परिभाषित करते हैं।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान की मूल संरचना’ (Basic Structure) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?

  1. गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य (1967)
  2. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973)
  3. मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978)
  4. एस.आर. बोम्मई बनाम भारत संघ (1994)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से यह निर्णय दिया कि संसद के पास संविधान के किसी भी हिस्से को संशोधित करने की शक्ति है, लेकिन वे ‘संविधान की मूल संरचना’ को नहीं बदल सकते। संविधान के अनुच्छेद 368 (संविधान संशोधन की शक्ति) की व्याख्या करते हुए यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, संविधान के कुछ मौलिक पहलू ऐसे हैं जो उसके चरित्र को परिभाषित करते हैं और जिन्हें संशोधित नहीं किया जा सकता। इनमें संविधान की सर्वोच्चता, लोकतांत्रिक गणराज्य का स्वरूप, धर्मनिरपेक्षता, शक्तियों का पृथक्करण, न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: गोलकनाथ मामले में यह कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती। मेनका गांधी मामले ने अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के दायरे का विस्तार किया। एस.आर. बोम्मई मामले ने अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) के तहत राष्ट्रपति की शक्ति के दुरुपयोग को सीमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 5: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. CAG को पद से हटाना सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान है।
  3. CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148(1) के तहत की जाती है। CAG को अनुच्छेद 148(1) और 124(4) में निहित प्रक्रिया के अनुसार, जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने की प्रक्रिया है, हटाया जा सकता है। CAG के वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, जैसा कि अनुच्छेद 148(3) में वर्णित है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के खातों का ऑडिट करता है और संसद के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करता है। यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक धन का व्यय नियमों और प्राधिकारों के अनुसार हो रहा है।
  • गलत विकल्प: सभी कथन CAG के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 6: पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान किस अनुच्छेद में किया गया है?

  1. अनुच्छेद 243D
  2. अनुच्छेद 243E
  3. अनुच्छेद 243F
  4. अनुच्छेद 243G

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243D (पंचायतों में आरक्षण) में पंचायती राज संस्थाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। प्रत्येक पंचायत में, सभी स्तरों पर, सीटों का कम से कम एक-तिहाई आरक्षण महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा जोड़ा गया था, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसका उद्देश्य स्थानीय शासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाना और लैंगिक समानता को बढ़ावा देना है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 243E पंचायतों की अवधि, पुनर्गठन आदि से संबंधित है। अनुच्छेद 243F पंचायतों के सदस्यों की अयोग्यता से संबंधित है। अनुच्छेद 243G पंचायतों की शक्तियों, प्राधिकारों और उत्तरदायित्वों से संबंधित है।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सा कथन राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के संबंध में सही नहीं है?

  1. राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सजा को क्षमा कर सकते हैं।
  3. राष्ट्रपति सभी मामलों में बिना शर्त क्षमा प्रदान कर सकते हैं।
  4. राष्ट्रपति सजा की प्रकृति को बदल सकते हैं (जैसे मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलना)।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्राप्त है, जिसमें वे मृत्युदंड को क्षमा कर सकते हैं, सैन्य न्यायालयों द्वारा दी गई सजा को क्षमा कर सकते हैं, और किसी भी अपराध के लिए दी गई सजा को कम कर सकते हैं, बदल सकते हैं, या विलंब कर सकते हैं। हालाँकि, राष्ट्रपति अपने विवेक से कार्य नहीं करते, बल्कि मंत्रिपरिषद की सलाह पर (अनुच्छेद 74) कार्य करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: क्षमादान की शक्ति न्यायपालिका के निर्णय को ओवरराइड करने के लिए नहीं है, बल्कि मानवीय आधार पर या विशेष परिस्थितियों में राहत प्रदान करने के लिए है। राष्ट्रपति किसी भी मामले में ‘बिना शर्त’ क्षमा प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं; यह उनके विवेक पर निर्भर करता है, लेकिन सामान्यतः मंत्रिपरिषद की सलाह पर।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b) और (d) राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के सही पहलू हैं। राष्ट्रपति किसी भी मामले में बिना शर्त क्षमा प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं, और यह विकल्प गलत है क्योंकि यह पूरी तरह से ‘बिना शर्त’ की बात करता है, जबकि राष्ट्रपति को अपने विवेक से या मंत्रिपरिषद की सलाह से यह निर्णय लेना होता है।

प्रश्न 8: भारत के उपराष्ट्रपति के पद के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. वे राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।
  2. वे भारत के राष्ट्रपति के पदच्युति (impeachment) की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं।
  3. उनका चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की पदच्युति (impeachment) की कार्यवाही में भाग ले सकते हैं, लेकिन वे स्वयं उस प्रक्रिया में शामिल नहीं होते जिसमें राष्ट्रपति को हटाया जाता है (क्योंकि वे लोकसभा के सदस्य नहीं होते)।
  • संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति का पद एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, हालांकि उनके पास राष्ट्रपति की तरह कार्यकारी शक्तियां नहीं होतीं। राज्यसभा के सभापति के रूप में, वे उच्च सदन के कामकाज को संचालित करते हैं।
  • गलत विकल्प: सभी कथन उपराष्ट्रपति के पद के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ के सिद्धांत को प्रतिष्ठापित किया गया है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 39(घ)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) में अनुच्छेद 39(घ) के तहत वर्णित है। यह सुनिश्चित करने का राज्य का प्रयास है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि यह अनुच्छेद 39(घ) में एक नीति निदेशक तत्व के रूप में शामिल है, सर्वोच्च न्यायालय ने इसे अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में भी व्याख्यायित किया है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की बात करता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता की बात करता है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से किस स्थिति में संसद द्वारा राजद्रोह (Sedition) पर कानून बनाने की शक्ति को चुनौती दी जा सकती है?

  1. यह नागरिकों के भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता हो।
  2. यह राज्य के नीति निदेशक तत्वों के विरुद्ध हो।
  3. यह मौलिक कर्तव्यों के प्रतिकूल हो।
  4. यह संघवाद के सिद्धांत को कमजोर करता हो।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19(1)(a) सभी नागरिकों को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है। अनुच्छेद 19(2) इस स्वतंत्रता पर ‘उचित प्रतिबंध’ (reasonable restrictions) लगाने की अनुमति देता है, जैसे कि राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, लोक व्यवस्था, मानहानि, या अपराध के लिए उकसाना। राजद्रोह पर कानून, यदि अत्यधिक व्यापक हो और उचित प्रतिबंध की सीमा को पार कर जाए, तो उसे अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत चुनौती दी जा सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: राजद्रोह (Sedition) को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A में परिभाषित किया गया है। हालांकि, इसकी व्याख्या और अनुप्रयोग भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ संतुलन में होना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में इस कानून की व्याख्या करते हुए कहा है कि केवल सरकार की आलोचना राजद्रोह नहीं है, बल्कि हिंसा को उकसाना या व्यवस्था को बिगाड़ने का इरादा होना चाहिए।
  • गलत विकल्प: राजद्रोह पर कानून DPSP (अनुच्छेद 37-51), मौलिक कर्तव्यों (भाग IV-A), या संघवाद (भाग XI) के सीधे तौर पर विपरीत नहीं है, जब तक कि वह उचित प्रतिबंधों के दायरे में रहे। मुख्य चुनौती भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(a)) के उल्लंघन से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 11: ‘धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार’ किस अनुच्छेद में निहित है?

  1. अनुच्छेद 14-18
  2. अनुच्छेद 19-22
  3. अनुच्छेद 23-24
  4. अनुच्छेद 25-28

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग III (मौलिक अधिकार) के तहत, अनुच्छेद 25 से 28 तक धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है। अनुच्छेद 25 सभी व्यक्तियों को अंतःकरण की स्वतंत्रता और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण करने और प्रचार करने का अधिकार देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन अनुच्छेदों में सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, स्वास्थ्य और अन्य मौलिक अधिकारों के अधीन रहते हुए, विभिन्न धार्मिक प्रथाओं, संस्थानों की स्थापना और रखरखाव, धार्मिक विषयों के प्रबंधन, और धार्मिक आयोजनों से प्राप्त आय पर करों से छूट जैसे अधिकार शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14-18 समानता का अधिकार, अनुच्छेद 19-22 स्वतंत्रता का अधिकार, और अनुच्छेद 23-24 शोषण के विरुद्ध अधिकार से संबंधित हैं।

प्रश्न 12: भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र किसे संबोधित करता है?

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  2. भारत के उपराष्ट्रपति
  3. लोकसभा अध्यक्ष
  4. राज्यसभा के सभापति

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 56(1)(क) के अनुसार, भारत का राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को संबोधित करके देता है। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना यथाशीघ्र लोक सभा के अध्यक्ष को देगा।
  • संदर्भ और विस्तार: यह एक महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रक्रिया है जो राष्ट्रपति के पद की रिक्ति से संबंधित है। उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति के अनुपस्थिति में उनके कार्यों का निर्वहन करता है, इसलिए राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को ही देना होता है।
  • गलत विकल्प: मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति का कार्यकाल समाप्त होने पर शपथ दिलाते हैं, त्यागपत्र स्वीकार नहीं करते। लोकसभा अध्यक्ष भी राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना प्राप्त करते हैं, लेकिन उन्हें संबोधित नहीं करते। राज्यसभा के सभापति वही व्यक्ति होते हैं जो उपराष्ट्रपति होते हैं, लेकिन त्यागपत्र सीधे तौर पर ‘भारत के उपराष्ट्रपति’ के पद को संबोधित किया जाता है, न कि राज्यसभा के सभापति के रूप में।

प्रश्न 13: भारतीय संसद का कौन सा सदन ‘स्थायी सदन’ कहलाता है?

  1. लोकसभा
  2. राज्यसभा
  3. दोनों, लोकसभा और राज्यसभा
  4. संसद का कोई भी सदन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संसद के दो सदन हैं: लोकसभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States)। राज्यसभा को ‘स्थायी सदन’ कहा जाता है क्योंकि इसे संविधान द्वारा भंग नहीं किया जा सकता है। इसके सदस्य 6 साल के लिए चुने जाते हैं, और प्रत्येक दो साल में एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकसभा एक ‘अस्थायी सदन’ है जिसे राष्ट्रपति अनुच्छेद 85 के तहत भंग कर सकते हैं। राज्यसभा की निरंतरता भारतीय संघवाद और विधायी प्रक्रिया में स्थिरता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा एक अस्थायी सदन है। संसद का कोई भी सदन इस संदर्भ में सही नहीं है क्योंकि केवल राज्यसभा स्थायी है।

प्रश्न 14: निम्नलिखित में से कौन सी रिट जारी करके सर्वोच्च न्यायालय किसी व्यक्ति को ऐसा कार्य करने से रोक सकता है जो विधि के अनुसार उसे नहीं करना चाहिए?

  1. हबीयस कॉर्पस
  2. परमादेश
  3. प्रतिषेध
  4. उत्प्रेषण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘प्रतिषेध’ (Prohibition) रिट एक उच्च न्यायालय द्वारा निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण को किसी विशेष मामले में कार्यवाही करने से रोकने के लिए जारी की जाती है, जब वह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो। यह रिट इसलिए जारी की जाती है ताकि निम्न न्यायालय या अधिकरण अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण न करें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट मुख्य रूप से न्यायिक या अर्ध-न्यायिक प्राधिकरणों के खिलाफ जारी की जाती है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्राधिकरण अपने अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के भीतर ही कार्य करें।
  • गलत विकल्प: हबीयस कॉर्पस अवैध हिरासत से मुक्ति के लिए है। परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को उसका कर्तव्य निभाने के लिए बाध्य करता है। उत्प्रेषण (Certiorari) किसी निम्न न्यायालय या न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है, जब वह उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर हो या उसमें कोई कानूनी त्रुटि हो। प्रतिषेध कार्यवाही को होने से रोकने के लिए है, जबकि उत्प्रेषण कार्यवाही होने के बाद उसे रद्द करने के लिए है।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) नहीं है?

  1. भारत का चुनाव आयोग
  2. संघ लोक सेवा आयोग
  3. नीति आयोग
  4. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) सभी भारतीय संविधान द्वारा स्थापित ‘संवैधानिक निकाय’ हैं, अर्थात इनके गठन और कार्यों का उल्लेख सीधे संविधान में किया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग (National Institution for Transforming India) एक कार्यकारी आदेश द्वारा 1 जनवरी 2015 को योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। यह एक ‘गैर-संवैधानिक’ (non-constitutional) या ‘संवैधानिक नहीं’ (unconstitutional) निकाय है; इसे अनुच्छेद 12 के तहत ‘राज्य’ की परिभाषा में शामिल किया गया है, लेकिन यह सीधे संविधान द्वारा स्थापित नहीं है। यह एक थिंक-टैंक और नीति सलाहकार के रूप में कार्य करता है।
  • गलत विकल्प: चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और CAG (अनुच्छेद 148) सभी संवैधानिक निकाय हैं। नीति आयोग संवैधानिक निकाय नहीं है।

प्रश्न 16: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के अध्यक्ष के रूप में कौन नियुक्त हो सकता है?

  1. भारत का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश
  2. भारत का सेवानिवृत्त न्यायाधीश
  3. कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति
  4. केवल वर्तमान में सेवारत उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग अधिनियम, 1993 के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष के रूप में भारत के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है। यदि ऐसा कोई व्यक्ति उपलब्ध नहीं है, तो सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त न्यायाधीश भी अध्यक्ष नियुक्त हो सकता है।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC एक सांविधिक निकाय (statutory body) है, जिसका गठन मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए किया गया है। अध्यक्ष का पद अत्यंत महत्वपूर्ण होता है और इसके लिए उच्च न्यायिक अनुभव आवश्यक माना जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (b) भी संभव है, लेकिन (a) सबसे प्रमुख और सामान्य नियुक्ति है। विकल्प (c) बहुत व्यापक है और विशिष्टता की कमी है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि अध्यक्ष सेवानिवृत्त व्यक्ति ही हो सकता है, सेवारत नहीं।

प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन सी आपातकालीन स्थिति भारतीय संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत घोषित की जाती है?

  1. राष्ट्रीय आपातकाल
  2. राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता
  3. वित्तीय आपातकाल
  4. युद्ध या बाहरी आक्रमण के कारण आपातकाल

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 360 ‘वित्तीय आपातकाल’ (Financial Emergency) से संबंधित है। राष्ट्रपति ऐसी घोषणा कर सकते हैं यदि वे संतुष्ट हों कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें भारत या उसके किसी भाग की वित्तीय स्थिरता या साख खतरे में है।
  • संदर्भ और विस्तार: अब तक, भारत में कभी भी वित्तीय आपातकाल घोषित नहीं किया गया है। इसके लागू होने पर, राष्ट्रपति राज्य सरकारों के वित्तीय उपबंधों को निलंबित कर सकते हैं, कर्मचारियों के वेतन में कटौती कर सकते हैं, और सभी धन विधेयकों को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए आरक्षित कर सकते हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल अनुच्छेद 352 के तहत, राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता (राष्ट्रपति शासन) अनुच्छेद 356 के तहत, और युद्ध या बाहरी आक्रमण के कारण आपातकाल अनुच्छेद 352 के तहत घोषित किए जाते हैं।

प्रश्न 18: अनुच्छेद 20 के अनुसार, ‘अपराध के लिए दोषसिद्धि’ के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा संरक्षण उपलब्ध है?

  1. किसी व्यक्ति को केवल वही सजा दी जा सकती है जो उस समय के कानून के अनुसार लागू हो।
  2. किसी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा नहीं चलाया जा सकता।
  3. किसी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 20 ‘अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण’ प्रदान करता है। इसमें तीन मुख्य संरक्षण शामिल हैं:
    1. Ex post facto law: किसी व्यक्ति को उस समय के कानून के अनुसार ही सजा मिलेगी जो अपराध करते समय लागू था (अनुच्छेद 20(1))।
    2. Double Jeopardy: किसी व्यक्ति पर एक ही अपराध के लिए एक से अधिक बार मुकदमा नहीं चलाया जाएगा और न ही एक से अधिक बार दंडित किया जाएगा (अनुच्छेद 20(2))।
    3. Self-incrimination: किसी व्यक्ति को अपने विरुद्ध गवाही देने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा (अनुच्छेद 20(3))।
  • संदर्भ और विस्तार: ये संरक्षण भारतीय नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिए उपलब्ध हैं और न्याय के सिद्धांतों को सुनिश्चित करते हैं।
  • गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन अनुच्छेद 20 के तहत उपलब्ध संरक्षण के सही पहलू हैं।

प्रश्न 19: संविधान के 74वें संशोधन अधिनियम, 1992 का संबंध किससे है?

  1. पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा
  2. नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा
  3. शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाना
  4. दल-बदल विरोधी कानून

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 74वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX-A जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243P से 243ZQ तक नगरपालिकाओं (Urban Local Bodies) से संबंधित प्रावधान हैं। इसने नगरपालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य शहरी स्थानीय स्व-शासन को मजबूत करना और उन्हें अधिक प्रभावी बनाना है। यह भारत में शहरी क्षेत्रों में स्थानीय स्व-शासन की संस्थाओं जैसे नगर निगम, नगर परिषद और अधिसूचित क्षेत्र समितियों को शामिल करता है।
  • गलत विकल्प: 73वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित है। शिक्षा का अधिकार 86वें संशोधन (अनुच्छेद 21A) से संबंधित है। दल-बदल विरोधी कानून 52वें संशोधन से संबंधित है।

प्रश्न 20: भारतीय संविधान के निम्नलिखित में से कौन सा भाग ‘राज्यों के नीति निदेशक तत्व’ (Directive Principles of State Policy) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग IV-A
  4. भाग V

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक शामिल हैं, ‘राज्यों के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) से संबंधित है। ये तत्व राज्य को शासन के मार्गदर्शन के लिए निर्देश देते हैं, जिनका उद्देश्य एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: DPSP भारतीय संविधान की एक अनूठी विशेषता है, जिसे आयरलैंड के संविधान से प्रेरित होकर अपनाया गया है। ये तत्व न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय (enforceable) नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य इनका उपयोग करेगा।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है।

प्रश्न 21: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘स्वतंत्रता के अधिकार’ (Right to Freedom) के अंतर्गत आता है?

  1. विधि के समक्ष समानता
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
  3. धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता
  4. आजीविका का अधिकार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: स्वतंत्रता के अधिकार में मुख्य रूप से अनुच्छेद 19 से 22 शामिल हैं। अनुच्छेद 21 ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा’ (Protection of Life and Personal Liberty) का अधिकार देता है, जो स्वतंत्रता के अधिकार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • संदर्भ और विस्तार: सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 की व्याख्या बहुत व्यापक रूप से की है, जिसमें गरिमापूर्ण जीवन, आजीविका का अधिकार, निजता का अधिकार, स्वास्थ्य का अधिकार आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: विधि के समक्ष समानता अनुच्छेद 14 में है (समानता का अधिकार)। धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता अनुच्छेद 25 में है (धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार)। आजीविका का अधिकार अनुच्छेद 21 की व्याख्या का हिस्सा है, लेकिन प्रश्न ‘स्वतंत्रता के अधिकार’ के प्रमुख अनुच्छेद के बारे में पूछ रहा है, और अनुच्छेद 21 सबसे सटीक उत्तर है।

प्रश्न 22: संघवाद (Federalism) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारत के संघवाद के लिए उपयुक्त नहीं है?

  1. दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य)
  2. लिखित संविधान
  3. शक्तियों का स्पष्ट विभाजन
  4. एकल नागरिकता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघवाद की प्रमुख विशेषताओं में दोहरी सरकार, एक लिखित संविधान, शक्तियों का स्पष्ट विभाजन (जैसे कि अनुसूची VII), और एक सर्वोच्च न्यायालय शामिल हैं। भारत में, संविधान के अनुच्छेद 1 के तहत, भारत को ‘राज्यों का एक संघ’ कहा गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि भारत एक संघीय ढांचा अपनाता है, लेकिन इसमें कुछ एकात्मक विशेषताएं भी हैं, जैसे कि मजबूत केंद्र, एकल नागरिकता, एकल न्यायपालिका, अखिल भारतीय सेवाएं आदि। ‘एकल नागरिकता’ (Single Citizenship) एक एकात्मक विशेषता है, न कि संघवाद की। एक शुद्ध संघवाद में, आमतौर पर दोहरी नागरिकता (संघ और राज्य) पाई जाती है।
  • गलत विकल्प: दोहरी सरकार, लिखित संविधान और शक्तियों का विभाजन संघवाद की प्रमुख विशेषताएं हैं। एकल नागरिकता भारत के संघवाद की एकात्मक प्रकृति को दर्शाती है, इसलिए यह संघवाद की विशिष्ट विशेषता नहीं है।

प्रश्न 23: भारत में ‘संवैधानिक संशोधन’ की प्रक्रिया किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. दक्षिण अफ्रीका
  4. जर्मनी

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में संविधान संशोधन की प्रक्रिया, विशेष रूप से विशेष बहुमत (special majority) की आवश्यकता, दक्षिण अफ्रीका के संविधान से प्रेरित है। यह प्रक्रिया अनुच्छेद 368 में वर्णित है।
  • संदर्भ और विस्तार: संविधान संशोधन के तीन तरीके हैं: साधारण बहुमत, विशेष बहुमत, और विशेष बहुमत के साथ-साथ कम से कम आधे राज्यों के विधानमंडलों द्वारा अनुसमर्थन (ratification)। ये सभी भारत के संघीय ढांचे और संविधान की सर्वोच्चता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: अमेरिका से एकल नागरिकता और न्यायिक समीक्षा ली गई है। कनाडा से संघ की प्रकृति (मजबूत केंद्र) और अवशिष्ट शक्तियों का प्रावधान लिया गया है। जर्मनी से आपातकालीन उपबंध लिए गए हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा प्रस्ताव केवल सरकार के खिलाफ पेश किया जा सकता है?

  1. विश्वास प्रस्ताव
  2. अविश्वास प्रस्ताव
  3. धnahi प्रस्ताव
  4. निननदन प्रस्ताव

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘अविश्वास प्रस्ताव’ (No Confidence Motion) केवल लोकसभा में प्रधानमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद के खिलाफ पेश किया जा सकता है। यदि यह प्रस्ताव पारित हो जाता है, तो सरकार को इस्तीफा देना पड़ता है। यह अनुच्छेद 75(3) के सिद्धांत पर आधारित है कि मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है।
  • संदर्भ और विस्तार: अविश्वास प्रस्ताव को लोकसभा के नियमों के तहत प्रक्रिया के अनुसार पेश किया जाता है। इसके लिए कम से कम 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है।
  • गलत विकल्प: विश्वास प्रस्ताव (Confidence Motion) तब पेश किया जाता है जब सरकार को विश्वास हो कि उसके पास बहुमत है, या जब राष्ट्रपति द्वारा मांगा जाए। धnahi प्रस्ताव (Cut Motion) और निंदन प्रस्ताव (Censure Motion) भी सरकार या मंत्री के कार्यों की आलोचना के लिए पेश किए जाते हैं, लेकिन अविश्वास प्रस्ताव एकमात्र ऐसा प्रस्ताव है जिसका परिणाम सरकार का गिरना हो सकता है।

प्रश्न 25: भारत में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) को परिभाषित करने का अधिकार किसके पास है?

  1. राष्ट्रपति
  2. सर्वोच्च न्यायालय
  3. संसद
  4. संवैधानिक न्यायालय

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 105 के अनुसार, संसद के प्रत्येक सदन को, उसके सदस्यों को और समितियों को ऐसे विशेषाधिकार प्राप्त होंगे जो वे अनुच्छेद 194 के तहत राज्य विधानमंडलों के लिए निर्धारित विशेषाधिकारों के अनुरूप, समय-समय पर, अधिनियम द्वारा परिभाषित करें। हालांकि, जब तक संसद द्वारा ऐसा कोई अधिनियम पारित नहीं किया जाता, तब तक वे विशेषाधिकार जो विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट, 1950 के अनुसार प्राप्त थे, लागू रहेंगे।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद के सदस्यों को बिना किसी डर के काम करने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करते हैं ताकि वे सदन के प्रति और राष्ट्रीय हित में प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें। इनमें भाषण की स्वतंत्रता, गवाही से छूट आदि शामिल हैं।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति या संवैधानिक न्यायालय (जो एक आम पद है) के पास सीधे तौर पर विशेषाधिकारों को परिभाषित करने का अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय उनकी व्याख्या कर सकता है यदि कोई विवाद उठता है, लेकिन मूल परिभाषा का अधिकार संसद के पास है।

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