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लोकतंत्र के स्तंभ: अपनी राजव्यवस्था की समझ परखें

लोकतंत्र के स्तंभ: अपनी राजव्यवस्था की समझ परखें

भारतीय लोकसेवा की तैयारी के शिखर पर पहुंचने के लिए, संविधान और राजव्यवस्था की गहरी समझ अत्यंत आवश्यक है। आज हम आपके लिए लाए हैं 25 चुनिंदा प्रश्न, जो न केवल आपकी वैचारिक स्पष्टता को परखेंगे, बल्कि आपके ज्ञान को और भी परिष्कृत करेंगे। आइए, इस दैनिक अभ्यास के माध्यम से अपनी तैयारी को नई दिशा दें!

भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: भारत के संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ और ‘अखंडता’ शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। यह संशोधन मिनी-कॉन्स्टिट्यूशन के रूप में भी जाना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के समाजवादी और पंथनिरपेक्ष चरित्र को मजबूत करना था। हालाँकि, भारतीय न्यायपालिका ने यह स्पष्ट किया है कि ये शब्द संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा नहीं हैं, बल्कि इसकी व्याख्या में सहायक हैं।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) पेश किया। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।

प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  3. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  4. किसी अपराध के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण (अनुच्छेद 20)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15, जो धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है, केवल भारतीय नागरिकों के लिए है। अनुच्छेद 14, 20, 21 और 22 विदेशियों सहित सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान कुछ मौलिक अधिकारों को विशेष रूप से भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित करता है, जैसे कि अनुच्छेद 15, 16 (लोक नियोजन में अवसर की समानता), 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि), 29 (अल्पसंख्यकों के हितों का संरक्षण) और 30 (शिक्षा संस्थानों की स्थापना और प्रशासन संबंधी अल्पसंख्यकों के अधिकार)।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सभी व्यक्तियों पर लागू होते हैं, जिनमें विदेशी भी शामिल हैं। अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण) भी सभी पर लागू होता है।

प्रश्न 3: राष्ट्रपति के क्षमादान की शक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. राष्ट्रपति किसी भी दंड को पूर्णतः क्षमा कर सकता है।
  2. राष्ट्रपति दंड के स्वरूप को बदल सकता है।
  3. राष्ट्रपति लघुकरण द्वारा दंड की अवधि को कम कर सकता है।
  4. राष्ट्रपति मृत्युदंड को भी क्षमा कर सकता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति के दंड को क्षमा, प्रविलंबन, विराम, परिहार या लघुकरण करने की शक्ति प्रदान करता है। इसमें मृत्युदंड को क्षमा करने की शक्ति भी शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति एक विवेकाधीन शक्ति है, लेकिन यह मनमानी नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में, जैसे कि ‘ज्ञान कौर बनाम पंजाब राज्य’, राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के प्रयोग की न्यायिक समीक्षा की है। सभी विकल्प (a, b, c, d) राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के दायरे को सही ढंग से दर्शाते हैं, क्योंकि राष्ट्रपति इन सभी तरीकों से दंड में परिवर्तन कर सकता है। इसलिए, प्रश्न के अनुसार, कौन सा अधिकार राष्ट्रपति के पास है, इसके सन्दर्भ में सभी सत्य हैं। यहाँ प्रश्न का आशय उन शक्तियों को सूचीबद्ध करना है जो अनुच्छेद 72 के अंतर्गत आती हैं, जिनमें मृत्युदंड को क्षमा करना भी शामिल है।
  • गलत विकल्प: यहाँ सभी कथन राष्ट्रपति की क्षमादान की शक्ति के दायरे को दर्शाते हैं। प्रश्न का उद्देश्य राष्ट्रपति की मृत्युदंड क्षमा करने की शक्ति पर प्रकाश डालना है, जो अन्य क्षमादानों से अधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है।

प्रश्न 4: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन संसद के दोनों सदनों को संबोधित कर सकता है?

  1. भारत का उपराष्ट्रपति
  2. भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
  3. भारत का नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  4. मुख्य निर्वाचन आयुक्त (Chief Election Commissioner)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन में या संसद की किसी संयुक्त बैठक में, बोलने का अधिकार है। हालाँकि, वह सदन में मतदान का अधिकार नहीं रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी, भारत सरकार का प्रमुख कानूनी सलाहकार होता है। संसद के किसी भी सत्र में भाग लेने और विचार व्यक्त करने का अधिकार उसे विधायी प्रक्रिया में भाग लेने में सक्षम बनाता है, भले ही वह सदन का सदस्य न हो।
  • गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, लेकिन वह लोकसभा को संबोधित नहीं कर सकता और न ही संयुक्त बैठक में भाषण देने का अधिकार रखता है (जब तक कि वह सभापति के तौर पर संबोधित न करे)। CAG और मुख्य निर्वाचन आयुक्त संसद के सत्रों को संबोधित नहीं कर सकते।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकने वाले रिट (Writ) का प्रकार नहीं है?

  1. हेबियस कॉर्पस (Habeas Corpus)
  2. मंदामस (Mandamus)
  3. प्रोहिबिशन (Prohibition)
  4. क्वो वारंटो (Quo Warranto)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रश्न में दिए गए चारों विकल्प (a, b, c, d) सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए जा सकने वाले रिट के प्रकार हैं। हेबियस कॉर्पस, मंदामस, प्रोहिबिशन, सर्टियोरारी (Certiorari) और क्वो वारंटो, ये पाँचों रिट सर्वोच्च न्यायालय (अनुच्छेद 32) और उच्च न्यायालयों (अनुच्छेद 226) द्वारा जारी की जा सकती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: प्रश्न में एक संभावित त्रुटि है, क्योंकि चारों विकल्प सही हैं। हालाँकि, यदि हमें एक चुनना हो, तो यह प्रश्न की मंशा को समझने पर निर्भर करेगा। सामान्यतः, इन सभी रिटों का प्रयोग मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए किया जाता है।
  • गलत विकल्प: सभी विकल्प सही हैं। संभवतः प्रश्न का आशय किसी भिन्न प्रकार के अधिकार से था या एक विकल्प को ‘सर्टियोरारी’ के बजाय ‘क्वो वारंटो’ के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान का कौन सा भाग राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है?

  1. भाग III
  2. भाग IV
  3. भाग V
  4. भाग VI

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य की नीति के निदेशक तत्वों (DPSP) का वर्णन करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये तत्व कल्याणकारी राज्य की स्थापना के लिए सरकार के लिए दिशानिर्देश प्रदान करते हैं। वे अदालतों द्वारा लागू योग्य नहीं हैं, लेकिन संविधान के अनुसार, देश के शासन में ये मूलभूत हैं।
  • गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग V संघ की कार्यपालिका, संसद और न्यायपालिका से संबंधित है, और भाग VI राज्यों की कार्यपालिका, विधानमंडलों और उच्च न्यायालयों से संबंधित है।

प्रश्न 7: भारतीय संघवाद (Federalism) की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता नहीं है?

  1. लिखित संविधान
  2. दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य)
  3. शक्तियों का विभाजन
  4. एकात्मक सरकार की प्रधानता

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संघवाद की विशेषताओं में लिखित संविधान (भाग XX), दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य), और शक्तियों का विभाजन (सातवीं अनुसूची) शामिल हैं। हालाँकि, भारतीय संघवाद को “एकात्मकता की ओर झुकाव” वाला मजबूत संघवाद (strong federalism with unitary bias) कहा जाता है, न कि एकात्मक सरकार की प्रधानता। एक पूर्ण एकात्मक सरकार में, केंद्र के पास सारी शक्ति होती है और राज्य या तो अस्तित्व में नहीं होते या केवल प्रशासनिक इकाइयां होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत एक “राज्यों का संघ” है (अनुच्छेद 1)। शक्तियों का विभाजन है, लेकिन केंद्र सरकार के पास राज्यों की तुलना में अधिक शक्तियाँ होती हैं, विशेषकर राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) भारतीय संघवाद की मुख्य विशेषताएँ हैं। विकल्प (d) भारतीय व्यवस्था का सही वर्णन नहीं करता, जहाँ संघवाद मौजूद है, भले ही उसमें एकात्मक झुकाव हो।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से किस निकाय का प्रमुख, भारत सरकार के एक मंत्री द्वारा या उसकी ओर से कार्य करता है?

  1. भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
  2. भारतीय राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW)
  3. भारतीय राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM)
  4. भारतीय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का अध्यक्ष या तो पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सुप्रीम कोर्ट) या पूर्व न्यायाधीश (सुप्रीम कोर्ट) या पूर्व मुख्य न्यायाधीश (उच्च न्यायालय) होता है, जो एक संवैधानिक पद नहीं है। अन्य आयोगों के अध्यक्ष भी विशिष्ट कानूनों के तहत नियुक्त होते हैं। किसी भी निकाय के प्रमुख को सरकार के मंत्री द्वारा नामित या नियुक्त किया जाता है, लेकिन वे उस मंत्री के अधीन या उसकी ओर से कार्य नहीं करते। यह प्रश्न थोड़ा भ्रामक है, क्योंकि “कार्य करता है” की व्याख्या पर निर्भर करेगा। यदि प्रश्न का अर्थ है कि कौन सा पद ‘मंत्री’ द्वारा या उसकी ओर से संभाला जाता है, तो इनमें से कोई नहीं। लेकिन यदि अर्थ है कि कौन सा पद ‘मंत्री’ के अनुमोदन या नियुक्ति से संबंधित है, तो सभी।
  • संदर्भ और विस्तार: NHRC एक सांविधिक निकाय है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है, जिसमें प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, राज्यसभा में विपक्ष के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं। आयोग एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करता है, न कि किसी मंत्री की ओर से।
  • गलत विकल्प: प्रश्न की भाषा थोड़ी अस्पष्ट है। सामान्यतः, ये सभी आयोग स्वतंत्र निकाय हैं और किसी मंत्री की ओर से कार्य नहीं करते।

प्रश्न 9: भारत में पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने वाला 73वां संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित किया गया?

  1. 1990
  2. 1991
  3. 1992
  4. 1993

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संशोधन अधिनियम, 1992 में पारित हुआ और 24 अप्रैल 1993 को लागू हुआ। इस संशोधन ने भारतीय संविधान में भाग IX जोड़ा, जो पंचायतों से संबंधित है, और 11वीं अनुसूची जोड़ी, जिसमें पंचायतों के 29 कार्यात्मक विषय सूचीबद्ध हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान करके उनके सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। इसने पंचायतों को स्व-शासन की इकाइयों के रूप में स्थापित किया।
  • गलत विकल्प: 1992 में पारित होने के बावजूद, यह 1993 में लागू हुआ। प्रश्न ‘पारित’ करने का वर्ष पूछता है, जो 1992 है। हालाँकि, अभ्यास के लिए, अक्सर लागू होने का वर्ष भी महत्वपूर्ण होता है। यदि प्रश्न ‘लागू’ पूछता, तो 1993 सही होता। प्रायः परीक्षाओं में इस वर्ष का अंतर महत्वपूर्ण होता है। यहाँ दिए गए विकल्पों में 1992 और 1993 दोनों हैं। 73वें संविधान संशोधन अधिनियम का पारित होना 1992 में हुआ था।

प्रश्न 10: आपातकाल के दौरान, मौलिक अधिकारों का निलंबन किस देश के संविधान से प्रेरित है?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. जर्मनी का वाइमर गणराज्य
  4. फ्रांस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में आपातकालीन उपबंध, विशेष रूप से मौलिक अधिकारों के निलंबन की व्यवस्था, जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान (Weimar Constitution of Germany) से प्रेरित है। भारतीय संविधान का भाग XVIII आपात उपबंधों से संबंधित है, जिसमें अनुच्छेद 352, 356 और 360 शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 358, राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान स्वतः ही अनुच्छेद 19 के तहत दिए गए कुछ मौलिक अधिकारों को निलंबित कर देता है, जबकि अनुच्छेद 359, राष्ट्रपति को किसी अन्य मौलिक अधिकार को निलंबित करने की शक्ति देता है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका का संविधान शक्तियों के पृथक्करण और न्यायिक समीक्षा के लिए जाना जाता है। कनाडा का संविधान एकात्मक झुकाव वाले संघवाद के लिए है। फ्रांस का संविधान गणतांत्रिक व्यवस्था और मानवाधिकारों के संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन से अनुच्छेद राष्ट्रपति की योग्यता से संबंधित हैं?

  1. अनुच्छेद 57
  2. अनुच्छेद 58
  3. अनुच्छेद 59
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 57, राष्ट्रपति के पुनः निर्वाचन की पात्रता से संबंधित है। अनुच्छेद 58, राष्ट्रपति निर्वाचन के लिए योग्यताएं निर्धारित करता है (भारत का नागरिक, 35 वर्ष की आयु, लोकसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता)। अनुच्छेद 59, राष्ट्रपति के पद के लिए शर्तें निर्धारित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये सभी अनुच्छेद राष्ट्रपति पद की योग्यता और पात्रता से सीधे संबंधित हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प केवल एक या दो अनुच्छेदों को शामिल करते हैं, जबकि सभी संबंधित अनुच्छेद प्रश्न का हिस्सा हैं।

प्रश्न 12: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) को निम्नलिखित में से किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  4. संघ लोक सेवा आयोग

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी की नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी, भारत सरकार का सर्वोच्च विधि अधिकारी होता है और राष्ट्रपति की इच्छा पर पद धारण करता है। वे सरकार को कानूनी मामलों पर सलाह देते हैं और भारत के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार रखते हैं।
  • गलत विकल्प: प्रधानमंत्री सरकार के प्रमुख होते हैं लेकिन नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायपालिका के प्रमुख होते हैं और नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल नहीं होते। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) सिविल सेवाओं के लिए चयन करता है।

प्रश्न 13: संसदीय विशेषाधिकार (Parliamentary Privileges) को परिभाषित करने वाला कौन सा अनुच्छेद है?

  1. अनुच्छेद 105
  2. अनुच्छेद 106
  3. अनुच्छेद 107
  4. अनुच्छेद 108

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105, संसद के सदनों तथा उनमें से प्रत्येक के सदस्यों की तथा समितियों की शक्तियों, विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं से संबंधित है।
  • संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने और सदस्यों को निर्भीक होकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए आवश्यक हैं। इसमें भाषण की स्वतंत्रता, कार्यवाही के प्रकाशन का अधिकार, और कुछ मामलों में गिरफ्तारी से छूट शामिल है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन भत्तों से संबंधित है। अनुच्छेद 107 विधेयकों के प्रस्थापन और पारित किए जाने के बारे में है। अनुच्छेद 108 कुछ दशाओं में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक से संबंधित है।

प्रश्न 14: किसी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति कौन करता है?

  1. संबंधित राज्य का राज्यपाल
  2. संबंधित राज्य का मुख्यमंत्री
  3. भारत के राष्ट्रपति
  4. भारत के मुख्य न्यायाधीश

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: किसी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 217 के तहत की जाती है। नियुक्ति के समय, राष्ट्रपति भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में राष्ट्रपति की भूमिका केंद्रीयकृत है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए है।
  • गलत विकल्प: राज्यपाल केवल परामर्श प्रक्रिया में शामिल होते हैं, नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं। मुख्यमंत्री और मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में सीधे तौर पर कोई भूमिका नहीं होती।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय भारत के समेकित निधि (Consolidated Fund of India) से व्यय को नियंत्रित करता है?

  1. नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG)
  2. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  3. वित्त आयोग (Finance Commission)
  4. नीति आयोग (NITI Aayog)

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत स्थापित किया गया है। CAG भारत सरकार और राज्य सरकारों के लेखाओं की लेखापरीक्षा करता है और अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति और राज्यपालों को सौंपता है, जो संसद और राज्य विधानमंडलों के समक्ष रखी जाती हैं। CAG सीधे व्यय को नियंत्रित नहीं करता, बल्कि व्यय के लेखा-जोखे की जांच करता है। प्रश्न की भाषा थोड़ी भ्रामक है। व्यय को नियंत्रित करने का अर्थ विधायी और कार्यकारी शक्ति से है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG का कार्य सरकार के व्यय की वैधता, मितव्ययिता और दक्षता की जांच करना है। यह वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: UPSC केवल नियुक्तियों से संबंधित है। वित्त आयोग राजस्व के वितरण की सिफारिश करता है। नीति आयोग, जिसका गठन 2015 में हुआ, एक थिंक टैंक है और इसका व्यय से सीधा नियंत्रण नहीं है। प्रश्न की शब्दावली को देखते हुए, ‘नियंत्रण’ का अर्थ ‘जांच’ या ‘ऑडिट’ से लेना उचित है।

प्रश्न 16: भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ का जनक किसे माना जाता है?

  1. लॉर्ड रिपन
  2. लॉर्ड कर्जन
  3. लॉर्ड विलियम बेंटिंक
  4. लॉर्ड डलहौजी

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: लॉर्ड रिपन को भारत में ‘स्थानीय स्वशासन’ का जनक माना जाता है। उन्होंने 1882 में स्थानीय स्वशासन पर एक प्रस्ताव जारी किया, जिसने ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों को अधिक अधिकार और स्वायत्तता प्रदान की।
  • संदर्भ और विस्तार: रिपन के प्रस्ताव ने भारतीय स्थानीय निकायों में निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका पर जोर दिया। यह भारत में विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  • गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन किया। लॉर्ड विलियम बेंटिंक को भारत में आधुनिकीकरण के लिए जाना जाता है। लॉर्ड डलहौजी ने व्यपगत का सिद्धांत (Doctrine of Lapse) लागू किया।

प्रश्न 17: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का अध्यक्ष कौन होता है?

  1. भारत के राष्ट्रपति
  2. भारत के प्रधानमंत्री
  3. नीति आयोग के उपाध्यक्ष
  4. केंद्रीय वित्त मंत्री

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) का पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है। NDC एक गैर-संवैधानिक निकाय है, जिसे 1952 में स्थापित किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC पंचवर्षीय योजनाओं के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा करती है। यह केंद्र और राज्यों के बीच सहयोग का एक मंच है।
  • गलत विकल्प: राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रप्रमुख होते हैं, सरकार के प्रमुख नहीं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष एक महत्वपूर्ण अधिकारी हैं, लेकिन NDC के अध्यक्ष नहीं। वित्त मंत्री परिषद के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्ष नहीं।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सी जोड़ी एक मौलिक अधिकार और संबंधित अनुच्छेद सही रूप से दर्शाती है?

  1. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार – अनुच्छेद 20
  2. शोषण के विरुद्ध अधिकार – अनुच्छेद 23
  3. धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार – अनुच्छेद 26
  4. सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार – अनुच्छेद 32

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद 23 और 24 में वर्णित है। अनुच्छेद 23 मानव के दुर्व्यापार और बेगार का प्रतिषेध करता है, जो शोषण के विरुद्ध अधिकार का एक प्रमुख पहलू है।
  • संदर्भ और विस्तार: अन्य विकल्प गलत हैं। जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 21 में है। धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद 25-28 में है। सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकार अनुच्छेद 29-30 में हैं। अनुच्छेद 32 संवैधानिक उपचारों का अधिकार है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c) और (d) में अनुच्छेद गलत जोड़े गए हैं।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने राज्यों में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष कर दिया था?

  1. 38वां संशोधन अधिनियम, 1975
  2. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  3. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  4. 56वां संशोधन अधिनियम, 1987

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने 42वें संशोधन द्वारा किए गए कुछ परिवर्तनों को पूर्ववत किया। इसने राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) की अवधि को छह महीने से बढ़ाकर एक वर्ष करने के प्रावधान को हटा दिया, जिससे यह फिर से छह महीने ही रहा। 38वें संशोधन, 1975 ने राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए बढ़ाने और इसे दो बार 6-6 महीने के लिए विस्तारित करने की अनुमति दी थी।
  • संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन का उद्देश्य आपातकालीन शक्तियों के दुरुपयोग को रोकना था। राष्ट्रपति शासन की अधिकतम अवधि 3 वर्ष निर्धारित है, जिसमें पहली 1 वर्ष की अवधि के लिए संसद का अनुमोदन आवश्यक है, और उसके बाद के प्रत्येक 6 महीने के लिए संसद के दोनों सदनों का अलग-अलग अनुमोदन आवश्यक होता है (अनुच्छेद 356(4))।
  • गलत विकल्प: 38वें संशोधन ने इसे 6 महीने से बढ़ाकर 12 महीने कर दिया था, जिसे 44वें संशोधन ने वापस 6 महीने कर दिया। 42वां संशोधन आपातकाल के दौरान अधिकारों के निलंबन को प्रभावित करता था। 56वां संशोधन गोवा को राज्य का दर्जा प्रदान करता था।

प्रश्न 20: मौलिक कर्तव्यों को भारतीय संविधान में कब शामिल किया गया?

  1. 1976 में 42वें संशोधन द्वारा
  2. 1978 में 44वें संशोधन द्वारा
  3. 1950 में मूल संविधान में
  4. 1960 में संशोधन द्वारा

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: मौलिक कर्तव्यों को 1976 में 42वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान के भाग IV-A में अनुच्छेद 51-A के तहत जोड़ा गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य नागरिकों के नैतिक दायित्वों को दर्शाते हैं, जैसे राष्ट्र ध्वज का सम्मान करना, स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों का पालन करना, संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना आदि।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने मौलिक अधिकारों से संबंधित कुछ बदलाव किए। मूल संविधान में मौलिक कर्तव्य शामिल नहीं थे।

प्रश्न 21: भारत का उपराष्ट्रपति, निम्नलिखित में से किस सदन का पदेन सभापति होता है?

  1. लोकसभा
  2. राज्यसभा
  3. विधान परिषद
  4. दोनों (a) और (c)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति होता है, जैसा कि अनुच्छेद 64 में प्रावधानित है।
  • संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति राज्यसभा की अध्यक्षता करता है और सदन के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करता है। वह सदन की कार्यवाही का संचालन करता है, महत्वपूर्ण घोषणाएं करता है और विधेयकों पर मतदान कराता है।
  • गलत विकल्प: लोकसभा का अध्यक्ष होता है। विधान परिषद का सभापति होता है, जो राज्य विधानमंडलों का हिस्सा है। उपराष्ट्रपति का राज्यसभा से सीधा संबंध है।

प्रश्न 22: राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता का निर्णय निम्नलिखित में से किसके द्वारा लिया जाता है?

  1. राज्यपाल, निर्वाचन आयोग की सलाह पर
  2. मुख्यमंत्री
  3. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
  4. राष्ट्रपति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता का निर्णय, दलबदल के आधार को छोड़कर (जो दसवीं अनुसूची के तहत सभापति/अध्यक्ष तय करते हैं), राज्यपाल द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत लिया जाता है, जो कि निर्वाचन आयोग की सलाह पर आधारित होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि विधायकों को संविधान के प्रावधानों का पालन करना चाहिए और वे किसी भी लाभ के पद पर न हों या संसद/विधानमंडल के अधिनियमों द्वारा अयोग्य न ठहराए जाएं।
  • गलत विकल्प: मुख्यमंत्री कार्यकारी प्रमुख हैं, नियुक्ति या निर्णय लेने वाले नहीं। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश या राष्ट्रपति इस मामले में सीधे निर्णय नहीं लेते, जब तक कि कोई विशिष्ट संवैधानिक मामला न हो।

प्रश्न 23: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को एक वैधानिक (Statutory) निकाय का दर्जा किस वर्ष प्रदान किया गया?

  1. 1964
  2. 1987
  3. 2003
  4. 2005

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को 2003 में संसद द्वारा पारित केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के माध्यम से एक वैधानिक निकाय का दर्जा प्रदान किया गया। इससे पहले, यह एक कार्यकारी आदेश द्वारा गठित एक गैर-सांविधिक निकाय था।
  • संदर्भ और विस्तार: CVC का मुख्य कार्य केंद्र सरकार के संगठनों में भ्रष्टाचार की रोकथाम करना और इस संबंध में जांच करना है।
  • गलत विकल्प: 1964 में CVC की स्थापना हुई थी, लेकिन वह एक कार्यकारी आदेश से बना था। 1987 और 2005 में ऐसे कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं हुए थे।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन भारत में ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) में शामिल है?

  1. कृषि
  2. पुलिस
  3. जन स्वास्थ्य
  4. रेलवे पुलिस

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची का वर्णन है। समवर्ती सूची में वे विषय शामिल हैं जिन पर केंद्र और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। ‘जन स्वास्थ्य’ (Public Health) समवर्ती सूची की प्रविष्टि 6 (Entry 6 of List III) में शामिल है।
  • संदर्भ और विस्तार: यदि किसी विषय पर केंद्र और राज्य के कानूनों में टकराव होता है, तो केंद्र सरकार का कानून मान्य होगा।
  • गलत विकल्प: कृषि राज्य सूची (सूची II, प्रविष्टि 14) का विषय है। पुलिस राज्य सूची (सूची II, प्रविष्टि 2) का विषय है। रेलवे पुलिस, रेलवे के साथ मिलकर (संघ सूची, प्रविष्टि 25) कार्य करती है।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य’ को परिभाषित करता है?

  1. अनुच्छेद 1
  2. अनुच्छेद 12
  3. अनुच्छेद 13
  4. अनुच्छेद 14

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। यह परिभाषा भाग III (मौलिक अधिकार) और भाग IV (राज्य की नीति के निदेशक तत्व) के प्रयोजनों के लिए महत्वपूर्ण है।
  • संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 12 के अनुसार, ‘राज्य’ में भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, तथा भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। इस परिभाषा में निजी संस्थाओं को भी शामिल किया जा सकता है यदि वे राज्य के नियंत्रण में कार्य करती हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का संघ’ बताता है। अनुच्छेद 13 विधि की परिभाषा देता है और मौलिक अधिकारों से असंगत विधियों को शून्य घोषित करता है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण से संबंधित है।

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