समाजशास्त्र की गहरी समझ: आपकी दैनिक परीक्षा
तैयारी के मैदान में आपका स्वागत है, भविष्य के समाजशास्त्रियों! आज का क्विज़ आपके सामाजिक सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज की जटिलताओं की समझ को परखने के लिए डिज़ाइन किया गया है। अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जिसे उन्होंने समाज के व्यवहार और विचारों के बाहरी, बाध्यकारी तरीकों के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: एमिल दुर्खीम को ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इसे परिभाषित किया, यह बताते हुए कि ये ऐसे तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहर से थोपे जाते हैं और जिनका अस्तित्व व्यक्ति से स्वतंत्र होता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि समाजशास्त्र को अन्य विज्ञानों की तरह वस्तुनिष्ठ रूप से सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करना चाहिए। वे सामाजिक संरचनाओं (जैसे कानून, नैतिकता, विश्वास) को व्यक्तियों के सामूहिक चेतना का परिणाम मानते थे।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स संघर्ष और आर्थिक निर्धारणवाद पर ध्यान केंद्रित करते थे। मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) या व्याख्यात्मक समझ पर जोर दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद की वकालत की।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का संबंध किससे है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- उच्च जाति की प्रथाओं और परंपराओं को अपनाना
- वैज्ञानिक और तकनीकी विकास
- शहरी जीवन शैली का प्रसार
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: संस्किृतिकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में वर्णित किया है, वह प्रक्रिया है जिसमें निचली जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, जिसमें समाज की संरचनात्मक परिवर्तन के बजाय सांस्कृतिक तत्वों का हस्तांतरण होता है। यह भारतीय जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता का एक महत्वपूर्ण मार्ग रहा है।
- गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाने से संबंधित है। आधुनिकीकरण तकनीकी और संस्थागत परिवर्तन की एक व्यापक प्रक्रिया है। शहरीकरण शहरी जीवन शैली के प्रसार से जुड़ा है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) का आदर्श प्रकार (Ideal Type) निम्नलिखित में से किस विशेषता से सबसे अधिक पहचाना जाता है?
- अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत वफादारी
- स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम और नियम-आधारित संचालन
- लचीलापन और अप्रत्याशित निर्णय लेना
- व्यक्तिगत निर्णय पर आधारित कार्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को एक “आदर्श प्रकार” के रूप में वर्णित किया, जिसकी विशेषताएँ स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम, विशेषज्ञता, लिखित नियम और प्रक्रियाएं, अ-व्यक्तिगतता (impersonality) और योग्यता-आधारित चयन हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि यह विशेष प्रकार का संगठन आधुनिक समाजों में दक्षता और तर्कसंगतता लाने के लिए सबसे प्रभावी तरीका है। अ-व्यक्तिगतता का अर्थ है कि निर्णय व्यक्तिगत संबंधों के बजाय नियमों पर आधारित होने चाहिए।
- गलत विकल्प: अनौपचारिक संबंध और व्यक्तिगत वफादारी गैर-नौकरशाही या अधिक अनौपचारिक संगठनों की विशेषताएँ हैं। लचीलापन और अप्रत्याशित निर्णय लेना नौकरशाही की कठोर, नियम-आधारित प्रकृति के विपरीत है।
प्रश्न 4: आर.के. मर्टन द्वारा प्रतिपादित ‘अनुकूली विचलन’ (Anomic Adaptation) का क्या अर्थ है?
- सामाजिक मानदंडों के प्रति पूर्ण अनुरूपता
- व्यक्ति द्वारा सामाजिक रूप से स्वीकृत साधनों को अस्वीकार करना और सांस्कृतिक लक्ष्यों को भी अस्वीकार करना
- सांस्कृतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गैर-स्वीकृत साधनों का उपयोग करना
- सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार करना लेकिन सामाजिक रूप से स्वीकृत साधनों को बनाए रखना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: रॉबर्ट किंग मर्टन ने अमेरिकी समाज में ‘अनलेस’ (Anomie) का अध्ययन करते हुए सामाजिक परिवर्तन के पांच तरीके बताए। ‘अनुकूली विचलन’ (Innovation) वह स्थिति है जब व्यक्ति सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक रूप से अस्वीकृत साधनों का उपयोग करता है, या जब व्यक्ति सामाजिक लक्ष्यों और साधनों दोनों को अस्वीकार कर देता है (Rebellion)। यहाँ प्रश्न का विकल्प (b) ‘विद्रोह’ (Rebellion) या ‘अनलेस’ (Anomie) के व्यापक अर्थ को इंगित कर रहा है जहाँ व्यक्ति लक्ष्यों और साधनों दोनों को नकारता है। विशुद्ध रूप से ‘अनुकूली विचलन’ (Innovation) के लिए विकल्प (c) सही होता, लेकिन दिए गए विकल्पों में, (b) अनलेस की स्थिति को सबसे अच्छे से दर्शाता है जहाँ व्यक्ति स्वीकृत तरीकों से अलग हो जाता है। (यह मानते हुए कि प्रश्न ‘अनलेस’ की स्थिति को इंगित कर रहा है)।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन का मानना था कि समाज में सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन) और उन्हें प्राप्त करने के साधनों (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) के बीच एक विसंगति अनलेस को जन्म दे सकती है। ‘अनलेस’ (Anomie) वह स्थिति है जहाँ सामाजिक मानदंड कमजोर पड़ जाते हैं।
- गलत विकल्प: (a) अनुरूपता (Conformity) है। (c) नवोन्मेष (Innovation) है। (d) अनुष्ठानवाद (Ritualism) है।
प्रश्न 5: भारत में ‘पित्रवंशीय’ (Patrilineal) परिवार व्यवस्था का अर्थ क्या है?
- वंश पिता से पुत्री की ओर चलता है।
- वंश पिता से पुत्र की ओर चलता है।
- वंश माता से पुत्र या पुत्री की ओर चलता है।
- वंश माता से पुत्री की ओर चलता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पित्रवंशीय परिवार व्यवस्था में, वंशानुक्रम, संपत्ति का अधिकार और पिता का उपनाम पिता से पुत्र की ओर हस्तांतरित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में यह सबसे आम परिवार व्यवस्था है। परिवार के सदस्य पिता के परिवार से जुड़े होते हैं।
- गलत विकल्प: (a) और (d) मातृवंशीय (Matrilineal) व्यवस्था के हिस्से हैं। (c) भी मातृवंशीय या मातृस्थानीय (Matrilocal) व्यवस्था का संकेत देता है।
प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) का कौन सा सिद्धांत तर्क देता है कि समाज में असमानताएँ सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक और कार्यात्मक हैं?
- मार्क्सवादी सिद्धांत
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रकार्यात्मक सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रकार्यात्मक सिद्धांत (Functional Theory), विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis & Moore) द्वारा प्रस्तुत, मानता है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए आवश्यक है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों से भरता है। यह मानता है कि कुछ पद दूसरों की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण होते हैं और इसलिए उन्हें पूरा करने के लिए उच्च पुरस्कार (धन, प्रतिष्ठा) की आवश्यकता होती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण के अनुसार, असमानताएँ समाज को कुशलतापूर्वक कार्य करने में मदद करती हैं।
- गलत विकल्प: मार्क्सवादी और संघर्ष सिद्धांत असमानता को शोषण और शक्ति के संघर्ष के परिणाम के रूप में देखते हैं। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है।
प्रश्न 7: सिल्विया वालिस (Sylvia Walby) ने ‘पैट्रियार्की’ (Patriarchy) के अध्ययन में किस नई अवधारणा का प्रयोग किया?
- सार्वजनिक पैट्रियार्की
- निजी पैट्रियार्की
- प्रारूपिक पैट्रियार्की
- सार्वभौमिक पैट्रियार्की
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सिल्विया वालिस ने अपनी पुस्तक “Patriarchy Without Enchantment” में ‘प्रारूपिक पैट्रियार्की’ (Practicing Patriarchy) की अवधारणा का परिचय दिया। उन्होंने तर्क दिया कि पितृसत्ता केवल एक संरचना नहीं है, बल्कि वह व्यवहार भी है जो महिलाओं के नियंत्रण को बनाए रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: वालिस ने पितृसत्ता को एकल, सजातीय संरचना के बजाय विभिन्न सामाजिक संस्थानों में इसके व्यवहार के माध्यम से समझा।
- गलत विकल्प: ये शब्द वालिस के विश्लेषण का हिस्सा नहीं हैं।
प्रश्न 8: जातिगत व्यवस्था में ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या तात्पर्य है?
- अपनी जाति के बाहर विवाह करना
- अपनी जाति के भीतर विवाह करना
- अपनी गोत्र (Clan) के बाहर विवाह करना
- अपनी गोत्र (Clan) के भीतर विवाह करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अंतर्विवाह का अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी ही जाति या उप-जाति के भीतर विवाह करना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह भारतीय जाति व्यवस्था का एक प्रमुख नियम है जो जाति की सीमाओं को बनाए रखने में मदद करता है। इसके विपरीत, बहिर्विवाह (Exogamy) का अर्थ है कि विवाह अपनी गोत्र, गांव, या कुछ अन्य समूह से बाहर होना चाहिए।
- गलत विकल्प: (a) बहिर्विवाह (Exogamy) है। (c) और (d) गोत्र बहिर्विवाह (Clans Exogamy) से संबंधित हैं, जो अंतर्विवाह से अलग है।
प्रश्न 9: जॉर्ज हर्बर्ट मीड (George Herbert Mead) के अनुसार, ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएँ किससे संबंधित हैं?
- सामाजिक संरचना के तत्व
- आत्म (Self) के विकास की प्रक्रिया
- सामाजिक नियंत्रण के प्रकार
- सामूहिक चेतना के पहलू
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, एक प्रतीकात्मक अंतःक्रियावादी, ने आत्म (Self) के विकास की व्याख्या “मैं” (I) और “मुझे” (Me) के माध्यम से की। “मैं” आत्म का वह हिस्सा है जो तत्काल, अनियंत्रित प्रतिक्रियाओं को दर्शाता है, जबकि “मुझे” सामाजिक रूप से स्वीकृत व्यवहार और दूसरों की अपेक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड के अनुसार, आत्म का विकास सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होता है, जहां व्यक्ति दूसरों की भूमिकाओं को ग्रहण करना सीखता है (‘taking the role of the other’)।
- गलत विकल्प: ये अवधारणाएँ सामाजिक संरचना, नियंत्रण या सामूहिक चेतना से सीधे संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 10: समाजशास्त्र में ‘पॉजिटिविज्म’ (Positivism) का दृष्टिकोण क्या है?
- व्यक्तिपरक अर्थों और व्याख्याओं पर जोर देना
- सामाजिक घटनाओं को अनुभवजन्य (Empirical) अवलोकन और वैज्ञानिक विधि से समझना
- मानव समाजों के लिए धार्मिक सिद्धांतों को लागू करना
- साम्यवादी क्रांति के माध्यम से सामाजिक परिवर्तन लाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 11: भारत में ‘जनजातीय समुदायों’ (Tribal Communities) की एक प्रमुख समस्या निम्नलिखित में से कौन सी है?
- अति-औद्योगीकरण
- भूमि का विस्थापन और सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का क्षरण
- अत्यधिक शहरीकरण
- जनसंख्या वृद्धि का निम्न दर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में अधिकांश जनजातीय समुदायों के लिए विकास परियोजनाओं, खनन और वन नीतियों के कारण भूमि का विस्थापन और उनकी पारंपरिक सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान का क्षरण एक गंभीर समस्या रही है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके कारण उन्हें अपनी आजीविका, संस्कृति और सामाजिक संरचना से हाथ धोना पड़ता है, जिससे वे हाशिये पर चले जाते हैं।
- गलत विकल्प: अति-औद्योगीकरण और अत्यधिक शहरीकरण आम तौर पर गैर-जनजातीय आबादी को अधिक प्रभावित करते हैं, हालांकि जनजातीय लोग भी इसका हिस्सा बन सकते हैं। निम्न जनसंख्या वृद्धि दर जनजातियों की समस्या नहीं है, बल्कि कई बार उच्च विकास दर के बावजूद संसाधन की कमी एक समस्या होती है।
प्रश्न 12: ‘सामुदायिक संगठन’ (Community Organization) के समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण में, ‘गेमाइनशाफ्ट’ (Gemeinschaft) से क्या तात्पर्य है?
- व्यक्तिवाद और प्रतिस्पर्धा पर आधारित समाज
- अनाम और औपचारिक संबंधों वाला समाज
- घनिष्ठ, व्यक्तिगत और पारंपरिक संबंधों पर आधारित समाज
- पूंजीवादी उत्पादन का एक रूप
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फर्डिनेंड टोनीज (Ferdinand Tönnies) ने ‘गेमाइनशाफ्ट’ ( Gemeinschaft – समुदाय) और ‘गेसेलशाफ्ट’ ( Gesellschaft – समाज) की अवधारणाएँ दीं। गेमाइनशाफ्ट घनिष्ठ, व्यक्तिगत, भावनात्मक और पारंपरिक संबंधों वाले समाज को दर्शाता है, जो अक्सर छोटे, ग्रामीण समुदायों में पाए जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें परिवार, रिश्तेदारी और पड़ोस जैसे रिश्ते प्रमुख होते हैं, जहाँ सामाजिक नियंत्रण अनौपचारिक होता है।
- गलत विकल्प: (a) और (b) ‘गेसेलशाफ्ट’ (Gesellschaft) की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, जो आधुनिक, शहरी, व्यक्तिवादी और औपबंधिक संबंधों पर आधारित समाज है। (d) मार्क्सवादी अवधारणा है।
- सभी संस्कृतियों को एक ही मानक (Standard) से मापना चाहिए।
- एक संस्कृति को उसके अपने संदर्भ और मूल्यों के भीतर समझना चाहिए।
- एक संस्कृति दूसरी संस्कृति से श्रेष्ठ होती है।
- विभिन्न संस्कृतियाँ हमेशा संघर्ष में रहती हैं।
- सत्यता: सांस्कृतिक सापेक्षवाद यह मानता है कि किसी भी संस्कृति को उसके अपने सदस्यों के दृष्टिकोण और उसके सांस्कृतिक संदर्भ के भीतर ही समझा जाना चाहिए, न कि किसी बाहरी संस्कृति के मानकों के आधार पर।
- संदर्भ और विस्तार: यह नृजातीयता (Ethnocentrism) का विरोधी है, जहाँ व्यक्ति अपनी संस्कृति को दूसरों से श्रेष्ठ मानता है। यह सामाजिक नृविज्ञान (Social Anthropology) में एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है।
- गलत विकल्प: (a) नृजातीयता (Ethnocentrism) का परिणाम हो सकता है। (c) भी नृजातीयता को दर्शाता है। (d) संघर्ष सिद्धांत का एक संभावित पहलू है, न कि सांस्कृतिक सापेक्षवाद का।
- सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सदस्यों को प्रेरित करना
- आर्थिक संसाधनों का उत्पादन और वितरण करना
- सामाजिक संघर्षों का समाधान करना
- लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संसाधनों को जुटाना
- सत्यता: टैल्कॉट पारसन्स ने समाज को चार कार्यात्मक आवश्यकताओ (AGIL) में विभाजित किया। ‘अंगभूत’ (Latency) उप-प्रणाली का कार्य समाज में सदस्यों को प्रेरित करना और संघर्षों का प्रबंधन करके सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना है। यह सामाजिक व्यवस्था में संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
- संदर्भ और विस्तार: AGIL का अर्थ है अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और अंगभूत (Latency)।
- गलत विकल्प: (b) आर्थिक प्रणाली (Adaptation) से संबंधित है। (c) एकीकरण (Integration) से संबंधित है। (d) लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment) से संबंधित है।
- किसी परिवार का गाँव छोड़कर शहर में बसना
- किसी निम्न जाति का उच्च जाति की प्रथाओं को अपनाना
- किसी व्यक्ति का शिक्षा प्राप्त करके सरकारी नौकरी पाना
- किसी व्यक्ति का अपनी पुश्तैनी व्यवसाय छोड़कर दूसरा व्यवसाय अपनाना
- सत्यता: शिक्षा प्राप्त करके सरकारी नौकरी पाना, जो आमतौर पर सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाता है, भारतीय समाज में उद्धवगामी गतिशीलता का एक स्पष्ट उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: यह व्यक्तिगत स्तर पर आय, प्रतिष्ठा और शक्ति में वृद्धि को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: (a) यह केवल भौगोलिक गतिशीलता है। (b) यह सांस्कृतिक गतिशीलता (संस्किृतिकरण) है, न कि आवश्यक रूप से संरचनात्मक या आर्थिक गतिशीलता। (d) यह केवल व्यावसायिक गतिशीलता है, जो हमेशा उद्धवगामी नहीं होती।
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कॉलमैन
- रॉबर्ट पुटनम
- उपरोक्त सभी
- सत्यता: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स कॉलमैन (James Coleman) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) – इन सभी समाजशास्त्रियों ने सामाजिक पूंजी की अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, हालांकि उन्होंने इसे अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा है।
- संदर्भ और विस्तार: बॉर्डियू इसे सामाजिक संबंधों से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखते हैं, कॉलमैन इसे नेटवर्क और उनकी विश्वसनीयता के रूप में, और पुटनम इसे नागरिक जुड़ाव और विश्वास के स्तर के रूप में।
- गलत विकल्प: केवल एक व्यक्ति का चयन करना गलत होगा क्योंकि सभी ने इस क्षेत्र में योगदान दिया है।
- किसी एक धर्म को राष्ट्रीय धर्म घोषित करना
- सभी धर्मों को एक समान मानना और उनका सम्मान करना
- धार्मिक सहिष्णुता की कमी
- एक प्रमुख धर्म का प्रभुत्व
- सत्यता: सर्वधर्म समभाव का अर्थ है सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान और मान्यता। यह भारतीय समाज की एक प्रमुख विशेषता है जो धार्मिक सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सामंजस्य स्थापित करने में सहायक होता है।
- गलत विकल्प: (a) धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के विपरीत है। (c) और (d) सर्वधर्म समभाव के विरुद्ध हैं।
- व्यक्तिगत अलगाव
- साझा पहचान और आपसी विश्वास
- बाहरी हस्तक्षेप
- अनाम संबंध
- सत्यता: सामुदायिक भावना का निर्माण साझा पहचान, सामान्य लक्ष्यों, आपसी विश्वास और जुड़ाव की भावना से होता है। ये कारक लोगों को एक-दूसरे से जोड़ते हैं और समुदाय के प्रति अपनेपन की भावना को बढ़ावा देते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामुदायिक विकास और सामाजिक एकजुटता के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत अलगाव, बाहरी हस्तक्षेप और अनाम संबंध सामुदायिक भावना को कमजोर करते हैं।
- सांख्यिकीय डेटा का विश्लेषण
- एक विशेष संस्कृति या समुदाय का गहन, प्रत्यक्ष अवलोकन और विवरण
- सर्वेक्षण के माध्यम से बड़ी आबादी का अध्ययन
- मौजूदा साहित्य की समीक्षा
- सत्यता: एथनोग्राफी एक गुणात्मक (qualitative) अनुसंधान विधि है जिसमें शोधकर्ता किसी विशिष्ट सांस्कृतिक समूह या समुदाय में लंबे समय तक रहकर उनके व्यवहार, विश्वासों और सामाजिक संरचनाओं का गहन अवलोकन और अध्ययन करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य उस समूह की संस्कृति और सामाजिक जीवन का विस्तृत और सजीव विवरण प्रस्तुत करना होता है।
- गलत विकल्प: (a) मात्रात्मक (quantitative) अनुसंधान से संबंधित है। (c) सर्वेक्षण अनुसंधान है। (d) साहित्य समीक्षा है।
- पारिवारिक विरासत का हस्तांतरण
- वंशानुक्रम और बुढ़ापे की सुरक्षा
- आर्थिक श्रम का स्रोत
- उपरोक्त सभी
- सत्यता: भारतीय अविभाजित परिवार में पुत्र-चयन के कई कारण हैं। पुत्रों को अक्सर वंशानुक्रम, पिता के अंतिम संस्कार की रस्में संपन्न करने, परिवार का नाम आगे बढ़ाने और माता-पिता की वृद्धावस्था में देखभाल करने वाला माना जाता है। वे आर्थिक श्रम का एक महत्वपूर्ण स्रोत भी होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक दोनों कारणों से प्रेरित है।
- गलत विकल्प: सभी विकल्प पुत्र-चयन के महत्व को दर्शाते हैं।
- व्यक्ति या समूह का समाज में एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना
- समाज में विभिन्न स्तरों पर सामाजिक असमानता
- सामाजिक समूहों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान
- सामाजिक संस्थाओं का विकास
- सत्यता: सामाजिक गतिशीलता एक व्यक्ति या समूह के सामाजिक पदानुक्रम में ऊपर या नीचे जाने की प्रक्रिया को दर्शाती है। यह क्षैतिज (horizontal) या ऊर्ध्वाधर (vertical) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता में आय, शिक्षा, या व्यावसायिक स्थिति में वृद्धि या गिरावट शामिल है।
- गलत विकल्प: (b) सामाजिक स्तरीकरण का वर्णन है। (c) सांस्कृतिक आदान-प्रदान है। (d) सामाजिक परिवर्तन का एक पहलू है।
- जैविक कारणों से
- मनोवैज्ञानिक विकारों के कारण
- उन लोगों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से जो अपराध के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं
- सामाजिक संरचना में अवसरों की कमी के कारण
- सत्यता: एडविन सदरलैंड (Edwin Sutherland) द्वारा विकसित विभेदक साहचर्य सिद्धांत कहता है कि व्यक्ति अपराध करना सीखता है, जैसा कि वह अन्य व्यक्तियों के साथ, विशेष रूप से घनिष्ठ समूहों में, साहचर्य के माध्यम से सीखता है। यदि व्यक्ति अधिक बार और अधिक तीव्रता से अपराध के पक्ष में व्यक्त किए गए परिभाषाओं से साहचर्य करता है, तो उसके अपराधी बनने की संभावना अधिक होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक सीखने का सिद्धांत है जो बताता है कि अपराध व्यवहार को सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
- गलत विकल्प: (a) जैविक सिद्धांत हैं। (b) मनोवैज्ञानिक सिद्धांत हैं। (d) तनाव सिद्धांत (Strain Theory) से संबंधित है।
- पारिवारिक संरचना का विघटन और व्यक्तिगतता में वृद्धि
- पारंपरिक ग्रामीण जीवन शैली का सुदृढ़ीकरण
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
- धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि
- सत्यता: औद्योगीकरण ने शहरीकरण, प्रवास और नए प्रकार के रोजगार को बढ़ावा दिया है, जिससे पारंपरिक संयुक्त परिवारों का विघटन हुआ है और नाभिकीय परिवारों (nuclear families) की वृद्धि हुई है। इससे व्यक्तिगतता और स्वतंत्रता की भावना भी बढ़ी है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सामाजिक परिवर्तन की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसने भारतीय समाज की संरचना और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है।
- गलत विकल्प: यह पारंपरिक ग्रामीण जीवन शैली को कमजोर करता है, जाति व्यवस्था को पूरी तरह समाप्त नहीं करता, और धार्मिक सहिष्णुता में वृद्धि का कोई प्रत्यक्ष कारण नहीं है।
- वे केवल निष्क्रिय संबंध हैं।
- वे संसाधनों तक पहुँच और सहयोग के माध्यम के रूप में कार्य करते हैं।
- उनका कोई व्यावहारिक सामाजिक महत्व नहीं है।
- वे केवल व्यक्तिगत संबंधों पर आधारित होते हैं।
- सत्यता: सामाजिक पूंजी, चाहे बॉर्डियू, कॉलमैन या पुटनम के दृष्टिकोण से देखा जाए, सामाजिक नेटवर्क में निहित है। ये नेटवर्क व्यक्तियों को सूचना, समर्थन, अवसर और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करते हैं, जो उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एक मजबूत नेटवर्क वाले व्यक्ति के पास अधिक सामाजिक पूंजी होती है।
- गलत विकल्प: (a) और (c) गलत हैं क्योंकि नेटवर्क सक्रिय होते हैं और उनका महत्वपूर्ण महत्व है। (d) भी आंशिक रूप से गलत है क्योंकि वे न केवल व्यक्तिगत बल्कि संस्थागत संबंधों पर भी आधारित हो सकते हैं।
- जाति व्यवस्था को स्थिर रखना
- जाति के भीतर एकजुटता बढ़ाना और सामूहिक सौदेबाजी करना
- अंतर्विवाह को बढ़ावा देना
- जातिगत भेदभाव को बढ़ावा देना
- सत्यता: जाति महासंघ, जो अक्सर एक विशेष जाति के सदस्यों द्वारा बनाए जाते हैं, जाति के भीतर एकजुटता बढ़ाने, समान हितों को बढ़ावा देने और सामूहिक सौदेबाजी (जैसे राजनीतिक या आर्थिक लाभ के लिए) के लिए एक मंच प्रदान करते हैं। वे कभी-कभी जाति की स्थिति को सुधारने का प्रयास भी करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये संगठन आधुनिकीकरण और राजनीतिकरण के दौर में उभरे हैं, जिससे जाति एक महत्वपूर्ण राजनीतिक इकाई बन गई है।
- गलत विकल्प: जबकि वे कुछ हद तक जाति व्यवस्था को स्थिर रख सकते हैं, उनका मुख्य उद्देश्य अपनी जाति के सदस्यों की स्थिति को ऊपर उठाना या सुरक्षित करना होता है, न कि केवल व्यवस्था को स्थिर रखना। वे अंतर्विवाह को स्वाभाविक रूप से मानते हैं, लेकिन यह उनका प्राथमिक कार्य नहीं है। वे भेदभाव को बढ़ावा दे सकते हैं, लेकिन उनकी घोषित भूमिका अक्सर अपनी जाति का प्रतिनिधित्व करना और उसका उत्थान करना होता है।
प्रश्न 13: समाजशास्त्रीय अनुसंधान में ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का सिद्धांत क्या कहता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 14: पारसन्स (Parsons) के ‘संरचनात्मक प्रकार्यवाद’ (Structural Functionalism) में, ‘अंगभूत’ (Latency) उप-प्रणाली का कार्य क्या है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 15: भारतीय समाज में ‘उद्धर्वगामी गतिशीलता’ (Upward Mobility) का एक प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 16: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा किसने विकसित की?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 17: भारत में ‘धार्मिक बहुलवाद’ (Religious Pluralism) के संदर्भ में, ‘सर्वधर्म समभाव’ का क्या अर्थ है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 18: ‘सामुदायिक भावना’ (Sense of Community) के निर्माण में कौन सा कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 19: ‘एथनोग्राफी’ (Ethnography) समाजशास्त्र में किस प्रकार की अनुसंधान विधि है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 20: ‘अविभाजित परिवार’ (Joint Family) के भारतीय संदर्भ में, ‘पुत्र-चयन’ (Son Preference) का क्या महत्व है?
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 21: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का संबंध किससे है?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 22: ‘विभेदक साहचर्य सिद्धांत’ (Differential Association Theory) के अनुसार, अपराध व्यवहार कैसे सीखा जाता है?
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 23: भारत में ‘औद्योगीकरण’ (Industrialization) के कारण सामाजिक जीवन में क्या प्रमुख परिवर्तन आए हैं?
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 24: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) के संदर्भ में, ‘नेटवर्क’ (Networks) का क्या महत्व है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: ‘जातिगत गतिशीलता’ (Caste Mobility) के संबंध में ‘जाति महासंघ’ (Caste Federations) की भूमिका क्या रही है?
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण: