संविधान मंथन: 25 प्रश्न, जो आपकी समझ को देंगे नई दिशा
साथियों, भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को समझना हर सिविल सेवा अभ्यार्थी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आज हम संविधान और राजव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर आधारित 25 चुनिंदा प्रश्नों के साथ आपकी वैचारिक स्पष्टता और ज्ञान की गहराई का परीक्षण करने के लिए हाज़िर हैं। आइए, इस ज्ञानवर्धक अभ्यास में गोता लगाएँ और अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद संसद को यह अधिकार देता है कि वह ‘राज्य’ शब्द को ऐसे अर्थों में प्रयोग कर सके जिनमें किसी विशेष उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्मित किसी भी निगम को भी शामिल किया जा सके?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: सही उत्तर अनुच्छेद 12 है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 में ‘राज्य’ की परिभाषा दी गई है, जिसमें भारत की सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधान-मंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के नियंत्रण के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं। उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों में स्पष्ट किया है कि ‘अन्य प्राधिकारी’ में वे सार्वजनिक निगम भी शामिल हो सकते हैं, जिन्हें भारत सरकार या राज्य सरकारों द्वारा अधिकार या शक्ति प्रदान की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: संसद कानून द्वारा ऐसे निगमों को भी ‘राज्य’ की परिभाषा के अंतर्गत ला सकती है, यदि वे किसी विशेष उद्देश्य के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्मित किए गए हों, जैसा कि अनुच्छेद 12 की व्याख्या में निहित है। यह प्रावधान मूलभूत अधिकारों के प्रवर्तन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये अधिकार राज्य के विरुद्ध लागू होते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 विधि की परिभाषा और उसे रद्द करने की शक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता की गारंटी देता है। अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है। इन अनुच्छेदों का ‘राज्य’ की परिभाषा से सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 2: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य और अस्पताल’ का उल्लेख किया गया है, जो राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों का हिस्सा हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग IV-A
- भाग V
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है, जिसमें अनुच्छेद 36 से 51 तक प्रावधान हैं। सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना राज्य का एक महत्वपूर्ण कर्तव्य माना गया है। अनुच्छेद 47 विशेष रूप से यह उपबंध करता है कि राज्य अपने लोगों के पोषाहार के स्तर और जीवन स्तर को ऊंचा करने तथा लोक स्वास्थ्य के सुधार को अपना प्राथमिक कर्तव्य मानेगा।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP संविधान निर्माताओं का उद्देश्य था कि ये तत्व देश के शासन के मूलभूत हों और कानून बनाते समय राज्य इन तत्वों को लागू करने का प्रयास करे। सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य के डायरेक्टिव प्रिंसिपल्स का एक प्रमुख हिस्सा है, जो एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है। भाग IV-A मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है। भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है। इन भागों में सीधे तौर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य के राज्य के कर्तव्य का उल्लेख नहीं है।
प्रश्न 3: भारत के राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- महाभियोग का आरोप किसी भी सदन द्वारा लगाया जा सकता है।
- महाभियोग प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कम से कम 10 दिन का पूर्व नोटिस आवश्यक है।
- यह एक अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया अनुच्छेद 61 में वर्णित है। इस प्रक्रिया के तहत, महाभियोग का आरोप संसद के किसी भी सदन (लोकसभा या राज्यसभा) द्वारा लगाया जा सकता है। प्रस्ताव पर विचार करने के लिए आरोप पत्र पर सदन के कुल सदस्यों के कम से कम एक-चौथाई सदस्यों के हस्ताक्षर होने चाहिए और कम से कम 14 दिन का पूर्व लिखित नोटिस दिया जाना चाहिए। इसके बाद, यदि आरोप पत्र सदन के कुल सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से पारित हो जाता है, तो दूसरे सदन में जांच के लिए भेजा जाता है। यदि दूसरा सदन भी दो-तिहाई बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है, तो राष्ट्रपति को पद से हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया राष्ट्रपति को मनमाने ढंग से हटाए जाने से बचाने के लिए एक अर्ध-न्यायिक (quasi-judicial) प्रकृति की होती है।
- संदर्भ और विस्तार: महाभियोग की प्रक्रिया, भले ही यह विधायिका द्वारा की जाती है, फिर भी यह राष्ट्रपति के विरुद्ध लगाए गए आरोपों की जांच और निर्णय लेने से संबंधित है, इसलिए इसे अर्ध-न्यायिक माना जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि पूर्व नोटिस 14 दिन का होता है, 10 दिन का नहीं। विकल्प (a) और (c) सही हैं, इसलिए (d) उपरोक्त सभी सही उत्तर है।
प्रश्न 4: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- CAG की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- CAG अपने पद से किसी भी समय राष्ट्रपति को संबोधित करके त्यागपत्र दे सकता है।
- CAG को केवल कदाचार के आधार पर ही हटाया जा सकता है।
- CAG भारत की संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 148 के तहत की जाती है। CAG को संसद के दोनों सदनों द्वारा महाभियोग की प्रक्रिया के समान आधारों (सिद्ध कदाचार या असमर्थता) पर हटाया जा सकता है।CAG का वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होते हैं, जिस पर मतदान नहीं होता। CAG राष्ट्रपति को संबोधित करके त्यागपत्र नहीं देता, बल्कि उसे संसद के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय वित्त प्रणाली का एक महत्वपूर्ण प्रहरी है, जो केंद्र और राज्यों के खातों का लेखा-परीक्षण करता है। इसकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए इसके वेतन और भत्ते संचित निधि पर भारित होते हैं और इसे केवल विशिष्ट आधारों पर ही हटाया जा सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि CAG राष्ट्रपति को संबोधित कर त्यागपत्र नहीं देता। विकल्प (c) गलत है क्योंकि CAG को कदाचार या असमर्थता के आधार पर हटाया जा सकता है, न कि केवल कदाचार के आधार पर। विकल्प (d) गलत है क्योंकि CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारित होता है, न कि वह स्वयं संचित निधि से वेतन प्राप्त करता है।
प्रश्न 5: किस संवैधानिक संशोधन अधिनियम ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?
- 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वां संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX को जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 243 से 243-O तक पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) के लिए प्रावधान हैं। इसने ग्यारहवीं अनुसूची को भी संविधान में जोड़ा, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को त्रि-स्तरीय (ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तर) ढांचा प्रदान करना, उन्हें संवैधानिक मान्यता देना, उनकी स्वायत्तता सुनिश्चित करना और उन्हें स्थानीय स्वशासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने के लिए सशक्त बनाना था।
- गलत विकल्प: 74वां संशोधन अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों (नगरपालिकाएं) से संबंधित है। 64वां और 65वां संशोधन अधिनियम भी पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन वे पारित नहीं हो सके थे, अंतिम रूप 73वें संशोधन को मिला।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है?
- विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
- धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
- जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान मौलिक अधिकारों को नागरिकों और सभी व्यक्तियों (नागरिकों सहित) के लिए अलग-अलग प्रदान करता है। केवल भारतीय नागरिकों को उपलब्ध मौलिक अधिकार अनुच्छेद 15, 16, 19, 20, 21, 22, 29, और 30 में वर्णित हैं। अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध) केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सभी व्यक्तियों (नागरिकों और विदेशियों दोनों) के लिए उपलब्ध हैं। अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) भी सभी व्यक्तियों पर लागू होता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 21, और 25 सभी व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं, न कि केवल भारतीय नागरिकों के लिए।
प्रश्न 7: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद उच्च न्यायालयों को कुछ विशेष रिट जारी करने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 226
- अनुच्छेद 136
- अनुच्छेद 132
- अनुच्छेद 32
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 226, संविधान का वह अनुच्छेद है जो उच्च न्यायालयों को भारत के क्षेत्र में, किसी भी व्यक्ति या प्राधिकारी (सरकारी या गैर-सरकारी) के संबंध में, मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए और “किसी अन्य विधिक अधिकार के प्रवर्तन के लिए” बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus), परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), अधिकार पृच्छा (Quo Warranto) और उत्प्रेषण (Certiorari) नामक रिट जारी करने की शक्ति देता है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय भी रिट जारी कर सकता है, लेकिन उच्च न्यायालय की शक्ति अधिक व्यापक है क्योंकि वह न केवल मौलिक अधिकारों बल्कि ‘किसी अन्य विधिक अधिकार’ के प्रवर्तन के लिए भी रिट जारी कर सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 136 सर्वोच्च न्यायालय की अपीलीय अधिकारिता से संबंधित है। अनुच्छेद 132 सर्वोच्च न्यायालय की संविधान के निर्वाचन से संबंधित अपीलीय अधिकारिता से संबंधित है। अनुच्छेद 32 सर्वोच्च न्यायालय को रिट जारी करने की शक्ति देता है, न कि उच्च न्यायालयों को।
प्रश्न 8: संविधान के किस संशोधन द्वारा ‘लोक उपाधियों’ (Titles) के अंत का प्रावधान किया गया है?
- पहला संशोधन
- सातवां संशोधन
- चौबीसवां संशोधन
- उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘लोक उपाधियों’ (Titles) का अंत भारतीय संविधान के अनुच्छेद 18 के तहत किया गया है। यह अनुच्छेद 1950 में संविधान लागू होने के समय से ही प्रभावी है, इसे किसी विशेष संशोधन द्वारा जोड़ा नहीं गया है। अनुच्छेद 18 (1) यह कहता है कि राज्य सेना या विद्या संबंधी विशिष्टता के सिवाय, कोई भी उपाधि प्रदान नहीं करेगा। अनुच्छेद 18 (2) यह भी उपबंध करता है कि कोई भी भारतीय नागरिक किसी विदेशी राज्य से कोई उपाधि स्वीकार नहीं करेगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान सामाजिक समानता को बढ़ावा देने और किसी भी प्रकार के विशेषाधिकार को समाप्त करने के उद्देश्य से लागू किया गया था।
- गलत विकल्प: पहला संशोधन कुछ राज्यों द्वारा उपाधियों के जारी रखने की अनुमति देता है, लेकिन यह ‘लोक उपाधियों’ को समाप्त नहीं करता। सातवां और चौबीसवां संशोधन अन्य विषयों से संबंधित हैं।
प्रश्न 9: संघीय प्रणाली की निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भारतीय संविधान में पाई जाती है?
- दोहरी सरकार (Dual Government)
- लिखित संविधान
- संविधान की सर्वोच्चता
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संघीय प्रणाली की प्रमुख विशेषताएं हैं: दोहरी सरकार (केंद्र और राज्य सरकारें), लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, शक्तियों का विभाजन (अनुच्छेद 246, सातवीं अनुसूची), स्वतंत्र न्यायपालिका, और द्विसदनीय विधायिका। भारतीय संविधान में ये सभी विशेषताएं पाई जाती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत की संघीय प्रणाली में, केंद्र और राज्यों के बीच शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है, लेकिन यह अमेरिकी मॉडल की तुलना में कुछ अधिक केंद्रीकृत है। संविधान सर्वोच्च है और सभी सरकारी अंग इसके अधीन कार्य करते हैं।
- गलत विकल्प: सभी दिए गए विकल्प संघीय प्रणाली की प्रमुख विशेषताओं को दर्शाते हैं, और ये सभी भारत में पाई जाती हैं।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान में ‘प्रस्तावना’ का क्या महत्व है?
- यह संविधान का स्रोत बताती है।
- यह संविधान के उद्देश्यों का वर्णन करती है।
- यह भारतीय संविधान को शक्ति प्रदान करती है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना, भारतीय संविधान की आत्मा कही जाती है। यह बताती है कि संविधान का अंतिम स्रोत भारत की जनता है। इसमें संविधान के मुख्य उद्देश्यों जैसे संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य की स्थापना, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुता का उल्लेख किया गया है। हालाँकि प्रस्तावना को सीधे तौर पर अदालतों में लागू नहीं किया जा सकता (जैसे मूल अधिकार), लेकिन यह संविधान के अर्थ को स्पष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- संदर्भ और विस्तार: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि प्रस्तावना संविधान का एक भाग है और इसके मूल ढांचे को संशोधित नहीं किया जा सकता। यह देश की शासन व्यवस्था के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत का कार्य करती है।
- गलत विकल्प: प्रस्तावना संविधान का स्रोत, उसके उद्देश्यों का वर्णन करने वाला मुख्य दस्तावेज और उसकी शक्ति का आधार है। इसलिए, सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी समिति पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन से संबंधित है?
- बलवंत राय मेहता समिति
- अशोक मेहता समिति
- जी. वी. के. राव समिति
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत में पंचायती राज के विकास में कई समितियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था की सिफारिश की, जो भारत में लागू की गई। अशोक मेहता समिति (1977) ने दो-स्तरीय व्यवस्था की सिफारिश की और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की भी वकालत की। जी. वी. के. राव समिति (1985) ने पंचायती राज को जिला स्तर पर मजबूत करने और नियमित चुनाव कराने पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: इन सभी समितियों की सिफारिशों ने पंचायती राज व्यवस्था के विकास और सुधार में योगदान दिया, और अंततः 73वें संशोधन के माध्यम से पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा मिला।
- गलत विकल्प: ये सभी समितियां पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन और सुधार से संबंधित हैं।
प्रश्न 12: आपातकालीन उपबंधों के तहत, राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं है?
- यह युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर घोषित किया जा सकता है।
- इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- एक बार अनुमोदित होने पर, यह छह महीने तक लागू रहता है।
- अनुमोदन के बाद, इसे किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा वापस लिया जा सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा ‘युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह’ के आधार पर की जा सकती है। राष्ट्रपति द्वारा ऐसी घोषणा की जा सकती है, लेकिन इसे संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने की अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है। एक बार अनुमोदित होने पर, यह छह महीने तक लागू रहता है, और इसे आगे जारी रखने के लिए पुनः संसद के अनुमोदन की आवश्यकता होती है। राष्ट्रपति इसे किसी भी समय वापस ले सकते हैं, जिसके लिए संसद के अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती।
- संदर्भ और विस्तार: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने “आंतरिक अशांति” को “सशस्त्र विद्रोह” से बदला और आपातकाल की घोषणा के अनुमोदन के लिए समय-सीमा को दो महीने से घटाकर एक महीना कर दिया।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) गलत है क्योंकि राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा ‘एक महीने’ के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए, न कि ‘दो महीने’ के भीतर। (44वें संशोधन के बाद)।
प्रश्न 13: किस अनुच्छेद के तहत, किसी भी सदन की किसी भी कार्यवाही की विधि या प्रक्रिया की ग्राह्यता (validity) पर किसी भी न्यायालय में, विशेषतः सर्वोच्च न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय में, प्रश्न नहीं उठाया जाएगा?
- अनुच्छेद 122
- अनुच्छेद 118
- अनुच्छेद 119
- अनुच्छेद 120
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 122 यह उपबंध करता है कि संसद के किसी भी सदन में की गई किसी भी कार्यवाही की विधि या प्रक्रिया की ग्राह्यता पर किसी भी न्यायालय में, विशेषतः उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में, प्रश्न नहीं उठाया जाएगा। इसका उद्देश्य संसद की स्वतंत्रता और विधायी प्रक्रिया की रक्षा करना है।
- संदर्भ और विस्तार: यह विशेषाधिकार (Privilege) संसदीय संप्रभुता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विधायिका को कार्यपालिका और न्यायपालिका के हस्तक्षेप से बचाता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 118 प्रक्रिया के नियम बनाने से, अनुच्छेद 119 संसद में वित्तीय विषयों से संबंधित चर्चाओं के लिए प्रक्रिया के बारे में है, और अनुच्छेद 120 संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा के बारे में है।
प्रश्न 14: भारतीय संसद के लिए निम्नलिखित में से कौन सी “कॉल अटेंशन नोटिस” (Call Attention Notice) के संबंध में सही है?
- यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक मंत्री को किसी अविलंबनीय लोक महत्व के मामले पर सदन में स्वतः ही वक्तव्य देने के लिए कहा जाता है।
- यह भारत में विकसित हुई एक अनूठी संसदीय युक्ति है।
- यह लोकसभा में नियम 197 के तहत और राज्यसभा में नियम 176 के तहत प्रयोग किया जाता है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कॉल अटेंशन नोटिस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक सदस्य, पीठासीन अधिकारी की अनुमति से, किसी मंत्री का ध्यान अविलंबनीय लोक महत्व के मामले पर ध्यान आकर्षित करता है और मंत्री से उस पर एक संक्षिप्त वक्तव्य देने का अनुरोध करता है। यह प्रक्रिया भारत में विकसित हुई एक अनूठी संसदीय युक्ति है, और इसका प्रयोग लोकसभा में नियम 197 के तहत तथा राज्यसभा में नियम 176 के तहत किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सदस्यों को मंत्रियों से सीधे जवाबदेही प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है, खासकर जब कोई मामला अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक हो।
- गलत विकल्प: कॉल अटेंशन नोटिस का उद्देश्य अविलंबनीय लोक महत्व के मामलों पर मंत्री से वक्तव्य लेना है, यह स्वयं ही वक्तव्य देने के लिए नहीं कहा जाता। यह भारत की अनूठी युक्ति है और लोकसभा व राज्यसभा दोनों में इसके नियम निर्धारित हैं। अतः सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से किस मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है?
- बेरूबारी संघ मामला
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला
- शंकर प्रसाद बनाम भारत संघ मामला
- ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य मामला
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य मामला (1973) भारतीय संवैधानिक इतिहास का एक मील का पत्थर है। इस मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक बड़ी पीठ ने यह ऐतिहासिक निर्णय दिया कि प्रस्तावना भारतीय संविधान का एक अभिन्न अंग है, न कि केवल उसके अर्थ को स्पष्ट करने वाला एक साधन।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संशोधन शक्ति को भी सीमित कर दिया, यह कहते हुए कि वह प्रस्तावना के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती। इससे पहले, बेरूबारी संघ मामले (1960) में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रस्तावना को संविधान का अंग नहीं माना था, जबकि शंकर प्रसाद मामले (1951) में न्यायालय ने माना था कि संसद मौलिक अधिकारों सहित संविधान के किसी भी भाग को संशोधित कर सकती है।
- गलत विकल्प: बेरूबारी संघ मामले में प्रस्तावना को अंग नहीं माना गया था। शंकर प्रसाद मामले में संशोधन शक्ति को स्वीकार किया गया था। ए. के. गोपालन मामला मौलिक अधिकारों से संबंधित था।
प्रश्न 16: भारत के उपराष्ट्रपति के पद के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के केवल निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है।
- उपराष्ट्रपति का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- उसके निर्वाचन से संबंधित सभी विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अनुच्छेद 66 के अनुसार, संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्यों (निर्वाचित और मनोनीत) से मिलकर बनने वाले एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है। वह राज्यसभा का पदेन सभापति होता है (अनुच्छेद 64)। उपराष्ट्रपति के निर्वाचन से संबंधित सभी विवादों की जांच और निर्णय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है (अनुच्छेद 71)। निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उपराष्ट्रपति की भूमिका मुख्यतः राज्यसभा के संचालन से संबंधित है, और वे राष्ट्रपति के न रहने पर उनके कर्तव्यों का निर्वहन भी करते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि निर्वाचक मंडल में मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं, केवल निर्वाचित सदस्य नहीं। विकल्प (b) और (c) सही हैं, और (d) में दिए गए सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में ‘समान कार्य के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 39(घ)
- अनुच्छेद 42
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 39(घ) राज्य के नीति-निर्देशक तत्वों का हिस्सा है और यह उपबंध करता है कि राज्य यह सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य करेगा कि स्त्री और पुरुष दोनों को समान कार्य के लिए समान वेतन मिले।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि यह एक नीति-निर्देशक तत्व है, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों (जैसे रणधीर सिंह बनाम भारत संघ) में इसे अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में विस्तारित किया है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों का समान संरक्षण प्रदान करता है। अनुच्छेद 15 विभेद का प्रतिषेध करता है। अनुच्छेद 42 काम की न्यायसंगत और मानवीय परिस्थितियों तथा मातृत्व सहायता का उपबंध करता है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के बारे में सही नहीं है?
- यह एक संवैधानिक निकाय है।
- इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था।
- इसका अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय का सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश होता है।
- यह किसी भी समय 3 वर्ष से कम कार्यकाल वाले सदस्य को नियुक्त कर सकता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक **सांवधिक (statutory)** निकाय है, न कि संवैधानिक। इसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। इसके अध्यक्ष के रूप में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या न्यायाधीश को नियुक्त किया जाता है। इसके अन्य सदस्य भी विशिष्ट योग्यताओं वाले होते हैं, और उनका कार्यकाल 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो, होता है।
- संदर्भ और विस्तार: NHRC मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करता है, जैसे कि जेलों का दौरा करना, शिकायतों की जांच करना, और सरकार को मानवाधिकारों के संबंध में सिफारिशें देना।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि NHRC एक सांवधिक (statutory) निकाय है, संवैधानिक नहीं। यह मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 द्वारा स्थापित किया गया है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति की अवधि 5 वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक होती है, न कि 3 वर्ष।
प्रश्न 19: किस संवैधानिक संशोधन ने दल-बदल के आधार पर अयोग्यता से संबंधित उपबंधों को जोड़ा?
- 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वां संशोधन अधिनियम, 1989
- 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
- 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 52वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम, 1985 ने भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची को जोड़ा, जिसे ‘दल-बदल विरोधी कानून’ भी कहा जाता है। यह अनुसूची संसद या राज्य विधानमंडलों के सदस्यों की दल-बदल के आधार पर अयोग्यता के प्रावधानों को निर्धारित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: इस कानून का उद्देश्य विधायकों को दलबदल से रोकना और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना था। दसवीं अनुसूची के तहत किसी सदस्य की अयोग्यता का निर्णय उस सदन का पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष या सभापति) करता है।
- गलत विकल्प: 61वां संशोधन वयस्क मताधिकार की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष करता है। 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 42वां संशोधन, मिनी-संविधान, कई महत्वपूर्ण बदलावों के लिए जाना जाता है, लेकिन दलबदल से सीधे तौर पर नहीं।
प्रश्न 20: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?
- उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
- वे किसी भी संसदीय समिति में भाग ले सकते हैं, लेकिन मतदान नहीं कर सकते।
- उन्हें वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि से दिए जाते हैं।
- वे निजी प्रैक्टिस करने के लिए स्वतंत्र हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) की नियुक्ति अनुच्छेद 76 के अनुसार भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वे भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं। महान्यायवादी को संसदीय कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है (अनुच्छेद 88), लेकिन वे न तो संसद के सदस्य होते हैं और न ही मतदान कर सकते हैं। महान्यायवादी को निजी प्रैक्टिस करने की अनुमति है, लेकिन कुछ प्रतिबंधों के साथ। उनका पारिश्रमिक राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किया जाता है और यह **भारत की संचित निधि पर भारित नहीं** होता है।
- संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी की भूमिका सरकार को कानूनी सलाह देना और भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करना है। वे किसी भी न्यायालय में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (c) गलत है क्योंकि महान्यायवादी का वेतन और भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित नहीं होते हैं, बल्कि राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित किए जाते हैं। वे निजी प्रैक्टिस के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन सरकार के हितों के विरुद्ध ऐसा नहीं कर सकते।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘राज्यों के लिए विशेष उपबंध’ (Special Provisions for Certain Classes) का उल्लेख है?
- भाग XVI
- भाग XVII
- भाग XVIII
- भाग XIX
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग XVI, अनुच्छेद 330 से 342 तक, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, आंग्ल-भारतीय समुदाय और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए विशेष उपबंधों से संबंधित है। उदाहरण के लिए, अनुच्छेद 330 लोकसभा में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह भाग कमजोर वर्गों के प्रतिनिधित्व और हितों की रक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया था।
- गलत विकल्प: भाग XVII राजभाषा से, भाग XVIII आपात उपबंधों से, और भाग XIX प्रकीर्ण (Miscellaneous) से संबंधित है।
प्रश्न 22: भारतीय संविधान के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए योग्य है, तो उसे ____ के रूप में नियुक्त किया जा सकता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का महान्यायवादी
- संसद
- उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 (सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश) और अनुच्छेद 217 (उच्च न्यायालय के न्यायाधीश) के अनुसार, न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। हालांकि, कॉलेजियम प्रणाली के तहत, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए मुख्य न्यायाधीश की राय राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी है, और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति को सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल और संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कॉलेजियम प्रणाली प्रक्रिया को प्रभावित करती है, अंतिम नियुक्ति प्राधिकारी राष्ट्रपति ही हैं।
- गलत विकल्प: महान्यायवादी, संसद या सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश सीधे तौर पर न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं करते हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी संसदीय समिति ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committee) की ‘यंगर सिस्टर’ (Younger Sister) कहलाती है?
- प्राक्कलन समिति (Estimates Committee)
- सरकारी आश्वासन समिति (Committee on Government Assurances)
- सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति (Committee on Public Undertakings)
- याचिका समिति (Committee on Petitions)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) और लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) संसद की दो स्थायी वित्तीय समितियां हैं। प्राक्कलन समिति को ‘लोक लेखा समिति’ की ‘यंग सिस्टर’ कहा जाता है क्योंकि यह लोक लेखा समिति के समान ही वित्तीय खातों की जांच करती है, लेकिन इसका कार्य सरकार की कुशलता और दक्षता पर अधिक केंद्रित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: प्राक्कलन समिति का मुख्य कार्य प्रशासन में मितव्ययिता, संगठन, दक्षता और नीति के प्रश्न पर सुझाव देना है। यह सुनिश्चित करती है कि संचित निधि से निकाले गए धन का व्यय कितना कुशल और उचित है।
- गलत विकल्प: सरकारी आश्वासन समिति, सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति और याचिका समिति अन्य महत्वपूर्ण संसदीय समितियां हैं, लेकिन उन्हें लोक लेखा समिति की ‘यंग सिस्टर’ नहीं कहा जाता।
प्रश्न 24: भारत में ‘न्यायिक सक्रियता’ (Judicial Activism) का जनक किसे माना जाता है?
- जस्टिस पी. एन. भगवती
- जस्टिस एम. सी. छागला
- जस्टिस वी. आर. कृष्ण अय्यर
- जस्टिस ए. एम. अ inputStream
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक सक्रियता की अवधारणा भारत में तब लोकप्रिय हुई जब न्यायपालिका ने जनहित याचिका (PIL) को स्वीकार किया और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय भूमिका निभाई। जस्टिस पी. एन. भगवती को भारत में न्यायिक सक्रियता और जनहित याचिका (PIL) का जनक माना जाता है। उन्होंने अनेक ऐतिहासिक निर्णयों में सक्रियता का परिचय दिया, जैसे कि मेनका गांधी मामले में जीवन के अधिकार की व्यापक व्याख्या।
- संदर्भ और विस्तार: न्यायिक सक्रियता का अर्थ है कि न्यायपालिका अपने संवैधानिक और कानूनी दायित्वों को पूरा करने के लिए अधिक सक्रिय भूमिका निभाती है, खासकर जब विधायिका या कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहती है।
- गलत विकल्प: जस्टिस एम. सी. छागला और जस्टिस वी. आर. कृष्ण अय्यर भी न्यायपालिका के महत्वपूर्ण सदस्य थे जिन्होंने सामाजिक न्याय के लिए योगदान दिया, लेकिन न्यायिक सक्रियता के जनक के रूप में जस्टिस पी. एन. भगवती का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। जस्टिस ए. एम. अ inputStream संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘संवैधानिक निकाय’ (Constitutional Body) है?
- नीति आयोग (NITI Aayog)
- राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council)
- चुनाव आयोग (Election Commission)
- केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324 एक संवैधानिक निकाय के रूप में भारत के चुनाव आयोग (Election Commission of India) की स्थापना करता है। चुनाव आयोग भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार है।
- संदर्भ और विस्तार: नीति आयोग एक गैर-संवैधानिक, कार्यकारी निकाय है जिसे 2015 में योजना आयोग के स्थान पर स्थापित किया गया था। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) भी एक कार्यकारी निकाय है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) एक सांवधिक (statutory) निकाय है, जिसका गठन पुलिस अधिनियम, 1861 के तहत हुआ है, और यह गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
- गलत विकल्प: नीति आयोग और राष्ट्रीय विकास परिषद कार्यकारी निकाय हैं, जबकि सीबीआई एक सांवधिक निकाय है। चुनाव आयोग एकमात्र संवैधानिक निकाय है जो दिए गए विकल्पों में है।