समाजशास्त्र के ग्यारहवें महारथी: आज की आपकी चयन परीक्षा
नमस्कार, भावी समाजशास्त्री! आपके ज्ञान की गहराई को परखने और आपकी विश्लेषणात्मक क्षमता को निखारने के लिए हाजिर है आज का विशेष समाजशास्त्र क्विज। इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से हम समाजशास्त्र के मूल सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज के परिदृश्यों पर आपकी पकड़ का परीक्षण करेंगे। तो, अपनी कलम उठाएं और इस बौद्धिक यात्रा पर निकल पड़ें!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सत्यापन’ (Verstehen) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की, जो समाजशास्त्रियों के लिए उनके द्वारा अध्ययन किए जा रहे व्यक्तियों के व्यक्तिपरक अर्थों को समझने की आवश्यकता पर बल देती है?
- कार्ल मार्क्स
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मैक्स वेबर ने ‘सत्यापन’ (Verstehen) की अवधारणा प्रस्तुत की। यह समाजशास्त्रीय पद्धति का एक केंद्रीय सिद्धांत है, जो सामाजिक क्रियाओं के पीछे के व्यक्तिपरक अर्थों और इरादों को समझने पर जोर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि समाजशास्त्र केवल बाहरी सामाजिक तथ्यों का अध्ययन नहीं है, बल्कि उन अर्थों का भी अध्ययन है जिन्हें लोग अपनी क्रियाओं से जोड़ते हैं। यह व्याख्यात्मक समाजशास्त्र का आधार है, जैसा कि उनकी कृति ‘अर्थव्यवस्था और समाज’ में वर्णित है।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जबकि एमिल दुर्खीम सामाजिक तथ्यों के बाह्य और वस्तुनिष्ठ अध्ययन पर जोर देते हैं (जैसे ‘सामूहिक चेतना’)। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के जनक हैं, जो सामाजिक अंतःक्रियाओं में प्रतीकों के महत्व पर बल देता है, लेकिन ‘सत्यापन’ वेबर की विशिष्ट अवधारणा है।
प्रश्न 2: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ी गई ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा किस प्रक्रिया का वर्णन करती है?
- पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- तकनीकी विकास के माध्यम से आधुनिकीकरण
- निम्न जाति या जनजाति द्वारा उच्च जाति के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाना
- शहरी जीवन शैली का अनुकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: संस्कृतीकरण, जैसा कि एम.एन. श्रीनिवास ने परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निचली जातियाँ या जनजातियाँ उच्च जातियों की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास ने यह अवधारणा अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रस्तुत की थी। यह मुख्य रूप से सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता का।
- अincorrect विकल्प: ‘पश्चिमीकरण’ पश्चिमी देशों की संस्कृति को अपनाना है। ‘आधुनिकीकरण’ व्यापक है और इसमें तकनीकी, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन शामिल हैं। ‘शहरीकरण’ शहरी जीवन शैली को अपनाने से संबंधित है।
प्रश्न 3: सामाजिक संरचना (Social Structure) के संबंध में कौन सा कथन सत्य है?
- यह केवल व्यक्तियों के बीच संबंधों का गतिशील प्रवाह है।
- यह समाज के विभिन्न भागों के बीच अपेक्षाकृत स्थिर प्रतिमानों और संबंधों का एक सेट है।
- यह हमेशा परिवर्तनशील और अस्थिर होती है।
- यह केवल सांस्कृतिक मूल्यों और मानदंडों से बनी होती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: सामाजिक संरचना समाज के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तियों, समूहों और संस्थाओं के बीच अपेक्षाकृत स्थायी और व्यवस्थित संबंधों और प्रतिमानों (patterns) को संदर्भित करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्र का एक मूलभूत सिद्धांत है, जिसे दुर्खीम, पार्सन्स और स्ट्रॉसन जैसे विचारकों ने विकसित किया है। यह समाज को एक इकाई के रूप में समझने में मदद करती है, जिसमें विभिन्न घटक एक-दूसरे से जुड़े होते हैं।
- अincorrect विकल्प: यह केवल गतिशील प्रवाह नहीं है; इसमें स्थिरता और पैटर्न भी शामिल हैं। यह हमेशा परिवर्तनशील और अस्थिर नहीं होती; इसमें एक निश्चित स्थिरता होती है। यह केवल सांस्कृतिक मूल्यों से नहीं, बल्कि भूमिकाओं, संस्थाओं और सामाजिक पदानुक्रमों से भी बनती है।
प्रश्न 4: दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?
- जब सामाजिक मानदंड अत्यंत कठोर और अपरिवर्तनीय हो जाते हैं।
- जब व्यक्ति अपनी सामाजिक भूमिकाओं से संतुष्ट होता है।
- जब सामाजिक नियम और मानक कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
- जब समाज में अत्यधिक नियमन और नियंत्रण होता है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जहाँ सामाजिक नियम (norms) या तो अनुपस्थित हैं, या कमजोर हो गए हैं, या परस्पर विरोधी हैं। इससे व्यक्ति में अनिश्चितता, अलगाव और नैतिक दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने ‘आत्महत्या’ (Suicide) और ‘समाज में श्रम विभाजन’ (The Division of Labour in Society) जैसी अपनी कृतियों में इस अवधारणा पर विस्तार से चर्चा की है। एनोमी को अक्सर सामाजिक अव्यवस्था या तीव्र सामाजिक परिवर्तन के समय देखा जाता है।
- अincorrect विकल्प: अत्यंत कठोर नियम ‘निरंकुशता’ (coercion) से संबंधित हो सकते हैं, एनोमी से नहीं। भूमिकाओं से संतुष्टि एनोमी के विपरीत है। अत्यधिक नियमन ‘अति-नियमन’ (over-regulation) की स्थिति है, जो एनोमी का कारण नहीं है।
प्रश्न 5: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में ‘अलगाव’ (Alienation) के मुख्य कारण क्या हैं?
- उत्पादन के साधनों का व्यक्तिगत स्वामित्व
- उत्पादित वस्तु से अलगाव, उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार (species-essence) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव
- समाज में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा
- सरकारी हस्तक्षेप का अभाव
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स ने ‘अलगाव’ (Alienation) की चार मुख्य अभिव्यक्तियों की पहचान की, जो पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिक अनुभव करता है: (1) उत्पाद से अलगाव (worker doesn’t own what they produce), (2) उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव (worker has no control over the process), (3) स्वयं की प्रजाति-सार से अलगाव (alienation from one’s human potential), और (4) अन्य मनुष्यों से अलगाव (competition over cooperation)।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा मार्क्स की प्रारंभिक कृतियों, विशेष रूप से ‘इकॉनॉमिक एंड फिलॉसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में महत्वपूर्ण है। यह पूंजीवाद के अमानवीयकरण पर एक महत्वपूर्ण आलोचना है।
- अincorrect विकल्प: उत्पादन के साधनों का निजी स्वामित्व अलगाव का कारण है, लेकिन यह अलगाव की पूर्ण व्याख्या नहीं है। अत्यधिक प्रतिस्पर्धा अलगाव का एक परिणाम हो सकती है, लेकिन मुख्य कारण नहीं। सरकारी हस्तक्षेप का अभाव या उपस्थिति का अलगाव से सीधा और जटिल संबंध है, लेकिन ऊपर वर्णित चार बिंदु अधिक मौलिक हैं।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की कौन सी विशेषता इसे अन्य सामाजिक स्तरीकरण प्रणालियों से अलग करती है?
- आर्थिक असमानता
- जन्म पर आधारित सदस्यता और प्रतिबंधात्मक अंतर्विवाह
- सामाजिक गतिशीलता की उच्च दर
- व्यावसायिक स्वतंत्रता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जाति व्यवस्था की सबसे विशिष्ट विशेषता यह है कि सदस्यता जन्म पर आधारित होती है, और इसके साथ ही अंतर्विवाह (endogamy) के कठोर नियम जुड़े होते हैं, जिसका अर्थ है कि व्यक्ति को अपनी जाति के भीतर ही विवाह करना होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह जन्म-आधारित पदानुक्रम विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक संपर्क, भोजन, और व्यवसाय पर भी प्रतिबंध लगाता है। यह जाति को एक बंद स्तरीकरण प्रणाली (closed system of stratification) बनाता है।
- अincorrect विकल्प: आर्थिक असमानता कई स्तरीकरण प्रणालियों में पाई जाती है। जाति व्यवस्था में सामाजिक गतिशीलता बहुत सीमित होती है, जो इसे अन्य प्रणालियों से अलग करती है। व्यावसायिक स्वतंत्रता भी सीमित होती है।
प्रश्न 7: जी.एच. मीड के ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का केंद्रीय विचार क्या है?
- सामाजिक संरचनाएं समाज की मुख्य संचालक शक्ति हैं।
- व्यक्ति समाज में अर्थों और प्रतीकों के माध्यम से अंतःक्रिया करते हैं, और इसी प्रक्रिया में ‘स्व’ (Self) और समाज का निर्माण होता है।
- सब कुछ सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता पर निर्भर करता है।
- बलपूर्वक शक्ति संबंधों से समाज संचालित होता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद, जिसे जी.एच. मीड द्वारा विकसित किया गया, इस विचार पर आधारित है कि मनुष्य वस्तुओं, घटनाओं और अन्य व्यक्तियों के प्रति अपने व्यवहार को उन प्रतीकों के आधार पर निर्देशित करते हैं जिन्हें वे आपस में साझा करते हैं। ‘स्व’ (Self) का विकास भी सामाजिक अंतःक्रियाओं, विशेष रूप से ‘गेम स्टेज’ और ‘प्ले स्टेज’ में भूमिका ग्रहण करके होता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक माइक्रो-लेवल समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण है जो रोजमर्रा की बातचीत और अर्थ-निर्माण पर केंद्रित है। मीड की मृत्यु के बाद उनके छात्रों द्वारा उनके विचारों को प्रकाशित किया गया।
- अincorrect विकल्प: (a) संरचनात्मक कार्यात्मकता (functionalism) या संरचनावाद (structuralism) का पक्ष लेता है। (c) भी कार्यात्मकता से संबंधित है। (d) संघर्ष सिद्धांत (conflict theory) का सुझाव देता है।
प्रश्न 8: सामाजिक अनुसंधान में ‘प्रक्षेपण तकनीक’ (Projective Techniques) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- मात्रात्मक डेटा एकत्र करना
- उत्तरदाताओं की अनजाने या अव्यक्त (latent) भावनाओं, दृष्टिकोणों और प्रेरणाओं को उजागर करना
- समाज की बाहरी संरचनाओं का मापन करना
- सामाजिक मानदंडों का प्रत्यक्ष अवलोकन करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: प्रक्षेपण तकनीकें, जैसे कि स्याही-धब्बा परीक्षण (inkblot test) या प्रासंगिक बोध परीक्षण (Thematic Apperception Test), उत्तरदाताओं को अस्पष्ट उत्तेजनाओं (ambiguous stimuli) पर प्रतिक्रिया करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। इस प्रतिक्रिया के माध्यम से, शोधकर्ता उत्तरदाताओं की अव्यक्त (latent) भावनाओं, इच्छाओं, संघर्षों और दृष्टिकोणों को समझने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: ये तकनीकें मुख्य रूप से मनोविज्ञान में उपयोग की जाती हैं, लेकिन सामाजिक अनुसंधान में भी व्यक्ति के गहरे मनोवैज्ञानिक आयामों को समझने के लिए इनका प्रयोग किया जा सकता है, खासकर गुणात्मक (qualitative) अनुसंधान में।
- अincorrect विकल्प: ये तकनीकें मुख्य रूप से गुणात्मक होती हैं, मात्रात्मक नहीं। ये बाह्य संरचनाओं के बजाय आंतरिक अनुभवों पर केंद्रित होती हैं। ये प्रत्यक्ष अवलोकन से भिन्न हैं क्योंकि ये अप्रत्यक्ष रूप से जानकारी प्राप्त करती हैं।
प्रश्न 9: भारत में ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Communities) के संदर्भ में कौन सा शब्द उनके मुख्य आधार के रूप में वनों और प्राकृतिक संसाधनों पर उनकी निर्भरता को दर्शाता है?
- कृषि
- पशुपालन
- वन-आधारित अर्थव्यवस्था
- शहरीकरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कई पारंपरिक आदिवासी समुदायों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से वन-आधारित रही है। वे भोजन, आश्रय, ईंधन और औषधियों के लिए जंगलों और उनके संसाधनों पर अत्यधिक निर्भर करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह निर्भरता अक्सर उनकी सांस्कृतिक पहचान, सामाजिक संगठन और जीवन शैली का केंद्रीय तत्व होती है। वनों के क्षरण और विस्थापन का इन समुदायों पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
- अincorrect विकल्प: कृषि और पशुपालन महत्वपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन ‘वन-आधारित’ उनकी विशिष्ट निर्भरता को सबसे अच्छी तरह बताता है। शहरीकरण उनके पारंपरिक जीवन शैली के विपरीत है।
प्रश्न 10: पार्सन्स का ‘सामाजिक व्यवस्था सिद्धांत’ (Social System Theory) किस मुख्य समस्या का समाधान करने का प्रयास करता है?
- व्यक्तिगत मनोवैज्ञानिक संघर्ष
- समाज के भीतर व्यवस्था और स्थिरता कैसे बनाए रखी जाती है
- वर्ग संघर्ष और क्रांति
- व्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: तालकोट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था सिद्धांत (जिसे अक्सर संरचनात्मक कार्यात्मकता के रूप में वर्गीकृत किया जाता है) विकसित किया, जिसका मुख्य सरोकार यह समझाना है कि समाज में व्यवस्था, स्थिरता और एकता कैसे बनी रहती है, भले ही उसमें विभिन्न सामाजिक संस्थाएँ और समूह हों।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए चार प्रमुख कार्यात्मक आवश्यकताएं (AGIL) होती हैं: अनुकूलन (Adaptation), लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment), एकीकरण (Integration), और अव्यवस्था सहिष्णुता/छुपे हुए पैटर्न (Latency/Pattern Maintenance)।
- अincorrect विकल्प: (a) मनोविश्लेषण या व्यक्तिगत मनोविज्ञान का क्षेत्र है। (c) कार्ल मार्क्स जैसे संघर्ष सिद्धांतकारों का मुख्य सरोकार है। (d) व्यक्तिगत स्वतंत्रता एक परिणाम हो सकती है, लेकिन पार्सन्स का मुख्य प्रश्न व्यवस्था का निर्माण और रखरखाव है।
प्रश्न 11: किस समाजशास्त्री ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा प्रस्तुत की?
- रॉबर्ट ई. पार्क
- विलियम एफ. ओगबर्न
- सी. राइट मिल्स
- हर्बर्ट ब्लूमर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: विलियम एफ. ओगबर्न ने ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक या ‘सामग्री’ (material) पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) गैर-भौतिक या ‘अभौतिक’ (non-material) पहलू (जैसे सामाजिक मानदंड, कानून, नैतिकता) की तुलना में तेजी से बदलते हैं, जिससे एक प्रकार का सामाजिक और सांस्कृतिक असंतुलन पैदा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और सोशल मीडिया का तेजी से विकास हुआ, लेकिन इन्हें नियंत्रित करने वाले कानून और सामाजिक मानदंड अभी भी विकसित हो रहे हैं।
- अincorrect विकल्प: रॉबर्ट ई. पार्क शहरी समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण थे। सी. राइट मिल्स ने ‘समाजशास्त्रीय कल्पना’ (Sociological Imagination) की अवधारणा दी। हर्बर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े हैं।
प्रश्न 12: भारत में ‘ग्रामीण समाज’ (Rural Society) के अध्ययन में ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का क्या महत्व है?
- यह भूमि के स्वामित्व को नियंत्रित करती है।
- यह पारंपरिक रूप से विभिन्न जातियों के बीच पारस्परिक सेवा और वस्तु विनिमय (barter) के एक सामाजिक-आर्थिक संबंध को दर्शाती है।
- यह केवल विवाह संबंधों को विनियमित करती है।
- यह राजनीतिक शक्ति के वितरण का वर्णन करती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: जजमानी प्रणाली भारत के ग्रामीण समुदायों में एक पारंपरिक व्यवस्था है जहाँ एक जाति (जजमान) दूसरी जाति (सेवक/कारीगर) को सेवाएं प्रदान करने के बदले में उन्हें जीवन भर या वंशानुगत रूप से भरण-पोषण (अक्सर अनाज के रूप में) प्रदान करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक जटिल सामाजिक-आर्थिक संबंध है जो जाति, श्रम विभाजन और पारस्परिक निर्भरता पर आधारित है। यह पारंपरिक ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मुख्य आधार थी।
- अincorrect विकल्प: यह मुख्य रूप से भूमि स्वामित्व के बजाय सेवाओं के आदान-प्रदान से संबंधित है। यह विवाह संबंधों को सीधे तौर पर विनियमित नहीं करती, बल्कि सामाजिक-आर्थिक संबंधों को नियंत्रित करती है। इसका राजनीतिक शक्ति से भी सीधा संबंध नहीं है, बल्कि सामाजिक पदानुक्रम से है।
प्रश्न 13: किस प्रकार का सामाजिक परिवर्तन व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में ऊपर की ओर गति को दर्शाता है?
- विखंडन (Disintegration)
- आधुनिकीकरण (Modernization)
- सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
- एनोमी (Anomie)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण वह व्यापक प्रक्रिया है जिसमें पारंपरिक समाजों का औद्योगिक, शहरी और प्रौद्योगिकी-संचालित समाजों में परिवर्तन होता है। इस प्रक्रिया में अक्सर व्यक्तियों और समूहों के लिए सामाजिक गतिशीलता (विशेष रूप से ऊपर की ओर) के नए अवसर पैदा होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: आधुनिकीकरण शिक्षा, आर्थिक विकास और शहरीकरण से जुड़ा है, जो लोगों को बेहतर जीवन स्तर और सामाजिक स्थिति प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- अincorrect विकल्प: विखंडन अलगाव या विघटन को दर्शाता है। सांस्कृतिक विलंब और एनोमी सामाजिक असंतुलन या अव्यवस्था से संबंधित हैं, जो आवश्यक रूप से ऊपर की ओर गति नहीं दर्शाते।
प्रश्न 14: ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) शब्द का क्या अर्थ है?
- सभी लिंगों की समान शक्ति
- समाज में पुरुषों का प्रभुत्व और महिलाओं पर उनका नियंत्रण
- महिलाओं का समाज में प्रभुत्व
- सभी सामाजिक संस्थाओं का मातृवंशीय (matrilineal) होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: पितृसत्ता एक सामाजिक प्रणाली को संदर्भित करती है जिसमें पुरुष, विशेष रूप से वृद्ध पुरुष, प्रमुख शक्ति रखते हैं और राजनीतिक नेतृत्व, नैतिक अधिकार, सामाजिक विशेषाधिकार और संपत्ति के नियंत्रण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। यह महिलाओं पर पुरुषों के प्रभुत्व की व्यवस्था है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक लिंग (gender) के अध्ययन में मौलिक है और बताती है कि कैसे सत्ता, अधिकार और विशेषाधिकार अक्सर लिंग के आधार पर वितरित होते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) लिंग समानता है। (c) मातृसत्ता (Matriarchy) का वर्णन है। (d) मातृवंशीयता (Matrilineality) वंशानुक्रम को संदर्भित करती है, न कि सीधे प्रभुत्व को।
प्रश्न 15: रॉबर्ट मर्टन के ‘मध्य-श्रेणी के सिद्धांत’ (Middle-Range Theories) का उद्देश्य क्या है?
- एक व्यापक, एकीकृत समाजशास्त्रीय सिद्धांत विकसित करना
- सूक्ष्म-स्तरीय सामाजिक अंतःक्रियाओं का गहन विश्लेषण करना
- विशिष्ट, प्रेक्षणीय (observable) सामाजिक घटनाओं या व्यवहारों के बारे में सिद्धांत विकसित करना
- राजनीतिक सत्ता की संरचनाओं की व्याख्या करना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट मर्टन ने ‘मध्य-श्रेणी के सिद्धांत’ पर जोर दिया, जिनका उद्देश्य न तो अत्यधिक सामान्य (जैसे पार्सन्स केGrand Theory) और न ही केवल विशिष्ट अवलोकन (जैसे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद) हैं, बल्कि ऐसे सिद्धांत हैं जो प्रेक्षणीय सामाजिक घटनाओं के एक विशिष्ट समूह की व्याख्या कर सकें।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, ‘एनोमी’ का सिद्धांत या ‘सापेक्ष वंचन’ (relative deprivation) का सिद्धांत मध्य-श्रेणी के सिद्धांत हैं। मर्टन का मानना था कि ये सिद्धांत प्रत्यक्ष अनुसंधान और अनुभवजन्य डेटा से अधिक निकटता से जुड़े होते हैं।
- अincorrect विकल्प: (a) ग्रैंड थ्योरी का उद्देश्य है। (b) माइक्रो-समाजशास्त्रियों का फोकस हो सकता है। (d) सत्ता संरचनाओं का विश्लेषण बड़े सिद्धांत का हिस्सा हो सकता है, लेकिन मध्य-श्रेणी के सिद्धांत अधिक विशिष्ट होते हैं।
प्रश्न 16: सामाजिक परिवर्तन के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक क्या है?
- सहयोग और सामंजस्य
- सामाजिक मानदंडों का पालन
- विभिन्न समूहों के बीच शक्ति, संसाधनों और मूल्यों के लिए प्रतिस्पर्धा और संघर्ष
- तकनीकी नवाचार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: कार्ल मार्क्स और अन्य संघर्ष सिद्धांतकारों का मानना है कि समाज स्थायी संघर्ष की स्थिति में है, जो विभिन्न हित वाले समूहों (जैसे वर्ग, नस्ल, लिंग) के बीच संसाधनों, शक्ति और सामाजिक स्थिति के लिए प्रतिस्पर्धा से उत्पन्न होता है। यह संघर्ष ही सामाजिक परिवर्तन का मुख्य इंजन है।
- संदर्भ और विस्तार: संघर्ष सिद्धांत समाज को विभिन्न हितों वाले समूहों के बीच शक्ति संतुलन के रूप में देखता है, न कि पार्सन्स की तरह सामंजस्य और स्थिरता पर आधारित व्यवस्था के रूप में।
- अincorrect विकल्प: (a) और (b) कार्यात्मकता (functionalism) के मुख्य विचार हैं। (d) तकनीकी नवाचार परिवर्तन का एक कारण हो सकता है, लेकिन संघर्ष सिद्धांत संघर्ष को प्राथमिक चालक मानता है।
प्रश्न 17: किस समाजशास्त्री ने ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा दी, जिसे बाहरी, बाध्यकारी और सामूहिक चेतना से उत्पन्न माना जाता है?
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- अगस्ट कॉम्टे
- ई. बी. टायलर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा को परिभाषित किया, जो ‘चीजों की तरह’ (as things) मानी जानी चाहिए। ये व्यक्तियों के बाहर मौजूद होते हैं, उन पर एक बाहरी दबाव डालते हैं, और समाज की सामूहिक चेतना से उत्पन्न होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, समाजशास्त्र का विषय सामाजिक तथ्य हैं। उदाहरणों में कानून, नैतिकता, रीति-रिवाज, सामाजिक नियम और धार्मिक विश्वास शामिल हैं। वे व्यक्तिगत चेतना से स्वतंत्र होते हैं।
- अincorrect विकल्प: मैक्स वेबर व्यक्तिपरक अर्थों पर जोर देते हैं। अगस्ट कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक पिता माने जाते हैं, जिन्होंने ‘सकारात्मकता’ (positivism) की वकालत की, लेकिन ‘सामाजिक तथ्य’ दुर्खीम की विशिष्ट अवधारणा है। ई.बी. टायलर एक मानवविज्ञानी थे।
प्रश्न 18: भारत में ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण तत्व नहीं रहा है?
- औद्योगीकरण
- शहरीकरण
- धर्मनिरपेक्षता (Secularization)
- जाति व्यवस्था का सुदृढ़ीकरण
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया आमतौर पर पारंपरिक संस्थाओं, जैसे कि जाति व्यवस्था, को कमजोर करती है, न कि उन्हें सुदृढ़ करती है। औद्योगीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता (अर्थात, धर्म का सार्वजनिक जीवन में प्रभाव कम होना) सभी आधुनिकीकरण के प्रमुख संकेतक माने जाते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: हालांकि भारत में आधुनिकीकरण के प्रभाव जटिल रहे हैं और जाति व्यवस्था कुछ नए रूपों में कायम भी रही है, फिर भी यह कहना गलत होगा कि आधुनिकीकरण ने जाति को सुदृढ़ किया है; बल्कि, इसने इसके पारंपरिक स्वरूप को चुनौती दी है।
- अincorrect विकल्प: (a), (b), और (c) सभी आधुनिकीकरण के प्रमुख तत्व हैं।
प्रश्न 19: ‘भूमिका संघर्ष’ (Role Conflict) कब उत्पन्न होता है?
- जब कोई व्यक्ति एक ही समय में कई भूमिकाएँ निभाता है, और उन भूमिकाओं की अपेक्षाएँ परस्पर विरोधी होती हैं।
- जब किसी व्यक्ति की एक ही भूमिका की अपेक्षाएँ स्पष्ट नहीं होती हैं।
- जब व्यक्ति अपनी सामाजिक स्थिति से असंतुष्ट होता है।
- जब समाज में व्यवस्था का अभाव होता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: भूमिका संघर्ष तब उत्पन्न होता है जब एक व्यक्ति को एक साथ कई भूमिकाएँ निभानी होती हैं, और इन विभिन्न भूमिकाओं की माँगें या अपेक्षाएँ एक-दूसरे के साथ असंगत या विरोधी होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, एक कामकाजी माँ के लिए ‘माँ’ की भूमिका (घर पर बच्चों की देखभाल) और ‘कर्मचारी’ की भूमिका (कार्यालय में काम करना) के बीच संघर्ष हो सकता है।
- अincorrect विकल्प: (b) ‘भूमिका अस्पष्टता’ (Role Ambiguity) से संबंधित है। (c) सामाजिक असंतोष से संबंधित है। (d) एनोमी या सामाजिक अव्यवस्था से संबंधित हो सकता है।
प्रश्न 20: किस समाजशास्त्री ने ‘परोपकारिता’ (altruism) को आत्महत्या के एक प्रकार के रूप में पहचाना, जहाँ व्यक्ति अपने समूह के प्रति अत्यधिक निष्ठा के कारण आत्महत्या कर लेता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘आत्महत्या’ (Suicide) में चार प्रकार की आत्महत्याओं का वर्णन किया: अहंतावादी (egoistic), परोपकारी (altruistic), एनोमिक (anomic), और भाग्यवादी (fatalistic)। परोपकारी आत्महत्या तब होती है जब व्यक्ति समाज से अत्यधिक एकीकृत होता है और समाज के लिए अपने जीवन का बलिदान कर देता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर सैन्य समाजों, या उन समाजों में देखा जाता है जहाँ समूह की पहचान बहुत मजबूत होती है। जैसे, सैनिक का देश के लिए लड़ते हुए मरना।
- अincorrect विकल्प: कार्ल मार्क्स और मैक्स वेबर के आत्महत्या पर विशिष्ट सिद्धांत हैं, लेकिन परोपकारी आत्महत्या की श्रेणी दुर्खीम द्वारा दी गई है। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक अंतःक्रियाओं और समाज के रूपों का अध्ययन किया।
प्रश्न 21: ‘अवशिष्ट मूल्य’ (Residual Values) की अवधारणा, जो अक्सर पारंपरिक या पूर्व-औद्योगिक समाजों में पाई जाती है, का संबंध किससे है?
- पूंजीवादी उत्पादन के तरीके
- समाज के उन मूल्यों और मानदंडों से जो आधुनिकता और तर्कसंगतता से प्रभावित नहीं हुए हैं
- विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता और स्वायत्तता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: अवशिष्ट मूल्य वे सांस्कृतिक मूल्य, विश्वास और मानदंड हैं जो समाज के पश्चिमीकरण, औद्योगीकरण या तर्कसंगतता की ओर बढ़ते प्रभाव के बावजूद बने रहते हैं। ये अक्सर धार्मिक, पारंपरिक या आध्यात्मिक जड़ों से जुड़े होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे समाज में, जहाँ आधुनिकीकरण हो रहा है, कई ऐसे अवशिष्ट मूल्य आज भी मौजूद हैं जो आधुनिक जीवन शैली के साथ सह-अस्तित्व में हैं, जैसे कि कुछ पारिवारिक कर्तव्य या अनुष्ठान।
- अincorrect विकल्प: (a), (c), और (d) आधुनिक या पूंजीवादी समाजों के लक्षण हैं, जबकि अवशिष्ट मूल्य पारंपरिक समाजों की विरासत हैं या आधुनिक समाजों में भी बने रहते हैं।
प्रश्न 22: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के ‘कार्यात्मक सिद्धांत’ (Functional Theory) के अनुसार, असमानता क्यों आवश्यक है?
- क्योंकि यह समाज में वर्ग संघर्ष को समाप्त करती है।
- क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि समाज में सबसे महत्वपूर्ण पदों को सबसे योग्य व्यक्तियों द्वारा भरा जाए, जो अक्सर उच्च पुरस्कारों (वेतन, प्रतिष्ठा) से प्रेरित होते हैं।
- क्योंकि यह समाज को अधिक एकजुट बनाती है।
- क्योंकि यह सभी के लिए समान अवसर प्रदान करती है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: डेविस और मूर जैसे कार्यात्मकतावादी समाजशास्त्रियों का तर्क है कि सामाजिक स्तरीकरण (असमानता) समाज के लिए कार्यात्मक है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि समाज में सबसे महत्वपूर्ण और आवश्यक पदों को उन लोगों द्वारा भरा जाए जो सबसे अधिक योग्य हैं। इन पदों को आकर्षक बनाने के लिए, उन्हें उच्च पुरस्कारों (धन, प्रतिष्ठा, शक्ति) से जोड़ा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत समाज को एक जैविक जीव के रूप में देखता है जहाँ प्रत्येक अंग का एक कार्य होता है, और स्तरीकरण इस सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि सभी कार्य कुशलतापूर्वक किए जाएं।
- अincorrect विकल्प: (a) कार्यात्मकता वर्ग संघर्ष को समाप्त करने के बजाय व्यवस्था को बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करती है। (c) जबकि कुछ एकीकरण हो सकता है, सिद्धांत का मुख्य तर्क प्रेरणा और पद भरने का है। (d) कार्यात्मकता अक्सर असमानता को आवश्यक मानती है, न कि सभी के लिए समान अवसर को।
प्रश्न 23: किस समाजशास्त्री ने ‘संस्कृति का सांस्कृतिक रूपांतरण’ (Cultural Conversion of Culture) की प्रक्रिया का वर्णन किया, जहाँ एक संस्कृति दूसरी संस्कृति के तत्वों को अवशोषित कर लेती है?
- इमाईल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- एल्बियन स्मॉल
- रॉबर्ट ई. पार्क
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: रॉबर्ट ई. पार्क, शिकागो स्कूल ऑफ सोशियोलॉजी के एक प्रमुख व्यक्ति, ने सामाजिक संपर्क, आत्मसात्करण (assimilation), और विभिन्न सांस्कृतिक समूहों के बीच सांस्कृतिक रूपांतरण की प्रक्रियाओं का अध्ययन किया। उन्होंने समाज में सांस्कृतिक तत्वों के मिश्रण और अवशोषण पर जोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: पार्क ने आप्रवासन (immigration) और शहरीकरण के संदर्भ में इन प्रक्रियाओं का विशेष रूप से अध्ययन किया, जहाँ विभिन्न संस्कृतियों का सामना होता है और वे एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं।
- अincorrect विकल्प: दुर्खीम सामाजिक तथ्यों और सामूहिकता पर केंद्रित थे। वेबर व्यक्तिपरक अर्थों पर थे। एल्बियन स्मॉल एक प्रारंभिक समाजशास्त्री थे जिन्होंने सामाजिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया, लेकिन पार्क की सांस्कृतिक रूपांतरण की चर्चा अधिक केंद्रित थी।
प्रश्न 24: समाजशास्त्र में ‘मानव पूँजी’ (Human Capital) की अवधारणा का क्या अर्थ है?
- मानव शरीर की जैविक क्षमता
- किसी व्यक्ति के ज्ञान, कौशल, अनुभव और स्वास्थ्य का योग, जो उसकी उत्पादकता को बढ़ाता है
- श्रमिकों का संघटित होना
- मानव संसाधन विकास की सरकारी नीतियाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: मानव पूँजी उन सभी अदृश्य और अमूर्त गुणों को संदर्भित करती है जो किसी व्यक्ति के पास होती हैं और जो उसे आर्थिक उत्पादन में योगदान करने में सक्षम बनाती हैं। इसमें शिक्षा, प्रशिक्षण, अनुभव, स्वास्थ्य, और यहां तक कि विश्वास और प्रेरणा भी शामिल हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र में महत्वपूर्ण है, खासकर श्रम बाजार, आय असमानता और आर्थिक विकास के विश्लेषण में। शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश को मानव पूंजी में निवेश माना जाता है।
- अincorrect विकल्प: (a) जैविक क्षमता, (c) श्रमिकों का संघटन, और (d) सरकारी नीतियाँ मानव पूंजी के कारक या परिणाम हो सकते हैं, लेकिन अवधारणा स्वयं व्यक्ति के गुणों का योग है।
प्रश्न 25: ‘विभेदीक भिन्नता’ (Differential Association) का सिद्धांत, जो अपराध के समाजशास्त्रीय अध्ययनों में महत्वपूर्ण है, किसने प्रस्तुत किया?
- रॉबर्ट ई. पार्क
- एडविन सदरलैंड
- ट्रैविस हिरशी
- क्लिफोर्ड शॉ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता: एडविन सदरलैंड ने ‘विभेदीक भिन्नता’ का सिद्धांत प्रस्तुत किया। इसके अनुसार, व्यक्ति अपराध करना तब सीखता है जब वह दूसरों के साथ, विशेष रूप से घनिष्ठ व्यक्तिगत समूहों में, उन परिभाषाओं के प्रति विभेदित रूप से जुड़ता है जो कानून के उल्लंघन का पक्षधर हैं या विरोध करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत बताता है कि अपराध एक सीखा हुआ व्यवहार है जो सामाजिक संपर्क के माध्यम से प्राप्त होता है। जो लोग अपराध के पक्षधर दृष्टिकोण के संपर्क में अधिक आते हैं, उनके अपराधी बनने की संभावना अधिक होती है।
- अincorrect विकल्प: (a) शहरी समाजशास्त्र से संबंधित थे। (c) ‘नियंत्रण सिद्धांत’ (Control Theory) से जुड़े हैं। (d) क्लिफोर्ड शॉ शिकागो स्कूल के एक अन्य प्रमुख सदस्य थे जिन्होंने सदरलैंड के साथ मिलकर अपराध पर काम किया, लेकिन विभेदित भिन्नता सिद्धांत मुख्य रूप से सदरलैंड से जुड़ा है।