समाजशास्त्र की दैनिक कसौटी: अवधारणाओं को मज़बूत करें!
नमस्कार, भावी समाजशास्त्रियों! क्या आप अपनी समाजशास्त्रीय समझ को पैना करने के लिए तैयार हैं? आज की हमारी विशेष प्रश्नोत्तरी आपके ज्ञान की गहराई को मापने और विभिन्न महत्वपूर्ण समाजशास्त्रीय सिद्धांतों, विचारकों और भारतीय समाज के पहलुओं पर आपकी पकड़ को परखने के लिए यहाँ है। आइए, एक-एक करके इन चुनौतियों का सामना करें और अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: “सांस्कृतिक विलंब” (Cultural Lag) की अवधारणा का सबसे पहले किसने प्रतिपादन किया?
- ए. एल. क्रोबर
- विलियम एफ. ओग्बर्न
- रॉबर्ट रेडफील्ड
- एडवर्ड बर्नेट टायलर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओग्बर्न ने अपनी पुस्तक “सोशल चेंज” (1922) में “सांस्कृतिक विलंब” की अवधारणा प्रस्तुत की। यह तब होता है जब समाज के भौतिक पहलू (जैसे प्रौद्योगिकी) गैर-भौतिक पहलुओं (जैसे कानून, रीति-रिवाज, संस्थाएं) की तुलना में तेज़ी से बदलते हैं, जिससे सामाजिक अनुकूलन में एक अंतराल आ जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: ओग्बर्न का मानना था कि समाज में परिवर्तन की गति असमान है। प्रौद्योगिकी जैसे भौतिक संस्कृति में तेज़ी से परिवर्तन आते हैं, जबकि परिवार, धर्म और नैतिकता जैसी गैर-भौतिक संस्कृति इन परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने में पिछड़ जाती है।
- गलत विकल्प: ए. एल. क्रोबर और एडवर्ड बर्नेट टायलर संस्कृति के प्रमुख अध्ययनकर्ता थे लेकिन उन्होंने इस विशिष्ट अवधारणा को प्रतिपादित नहीं किया। रॉबर्ट रेडफील्ड ने “लोक संस्कृति” (Folk Culture) और “शहरी संस्कृति” (Urban Culture) के बीच अंतर पर काम किया।
प्रश्न 2: समाजशास्त्र के जनक के रूप में किसे जाना जाता है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- ऑगस्ट कॉम्टे
- कार्ल मार्क्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ऑगस्ट कॉम्टे को “समाजशास्त्र का जनक” माना जाता है। उन्होंने 1838 में “समाजशास्त्र” शब्द गढ़ा और समाज के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण विकसित करने का प्रयास किया, जिसे उन्होंने “समाजशास्त्रीय भौतिकी” (Social Physics) कहा।
- संदर्भ और विस्तार: कॉम्टे ने “सकारात्मकता” (Positivism) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया, जो मानता है कि समाज को वैज्ञानिक विधियों से समझा जा सकता है, जैसे प्राकृतिक विज्ञान। उन्होंने मानवतावादी धर्म (Religion of Humanity) की भी वकालत की।
- गलत विकल्प: एमिल दुर्खीम, मैक्स वेबर और कार्ल मार्क्स समाजशास्त्र के अत्यंत प्रभावशाली विचारक हैं, लेकिन वे कॉम्टे के बाद आए और उन्होंने समाजशास्त्र को और विकसित किया। दुर्खीम को अक्सर “विश्लेषणात्मक समाजशास्त्र का जनक” कहा जाता है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा कार्ल मार्क्स के वर्ग सिद्धांत से संबंधित नहीं है?
- अलगाव (Alienation)
- वर्ग चेतना (Class Consciousness)
- पूंजी का संचय (Accumulation of Capital)
- तर्कसंगतता (Rationalization)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: “तर्कसंगतता” (Rationalization) की अवधारणा मुख्य रूप से मैक्स वेबर के काम से जुड़ी है, विशेष रूप से नौकरशाही और पूंजीवाद के विकास के उनके विश्लेषण में। मार्क्स का वर्ग सिद्धांत उत्पादन के साधनों के स्वामित्व पर आधारित वर्गों (बुर्जुआ और सर्वहारा) के बीच संघर्ष पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने अलगाव (श्रम से, उत्पाद से, स्वयं से और अन्य मनुष्यों से) और वर्ग चेतना (सर्वहारा वर्ग की अपनी सामूहिक पहचान और हित की पहचान) जैसी अवधारणाओं का उपयोग पूंजीवादी समाज के विश्लेषण के लिए किया। पूंजी का संचय उनके सिद्धांत का एक केंद्रीय तत्व है।
- गलत विकल्प: अलगाव, वर्ग चेतना और पूंजी का संचय सभी मार्क्स के महत्वपूर्ण योगदान हैं। तर्कसंगतता वेबर का एक प्रमुख विचार है, जो आधुनिक समाज की विशेषता बताता है।
प्रश्न 4: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज के लिए “एनोमी” (Anomie) का क्या अर्थ है?
- सामाजिक मानदंडों का टूटना या स्पष्टता का अभाव
- वर्ग संघर्ष की चरम सीमा
- व्यक्तिवादी स्वतंत्रता का अत्यधिक प्रसार
- धार्मिक अनुष्ठानों का लुप्त होना
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दुर्खीम के अनुसार, एनोमी एक ऐसी स्थिति है जहाँ समाज में नियमों और मूल्यों का अभाव होता है, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है। यह सामाजिक नियंत्रण की कमजोरी को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने “द सुसाइड” (The Suicide) में एनोमी को आत्महत्या के एक कारण के रूप में विश्लेषित किया। उन्होंने इसे सामाजिक एकीकरण और विनियमन में कमी से जोड़ा।
- गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स का केंद्रीय विचार है। व्यक्तिवादी स्वतंत्रता की अधिकता कभी-कभी एनोमी की ओर ले जा सकती है, लेकिन एनोमी स्वयं स्वतंत्रता नहीं है। धार्मिक अनुष्ठानों का लुप्त होना एनोमी का एक संभावित परिणाम या लक्षण हो सकता है, लेकिन यह एनोमी की परिभाषा नहीं है।
प्रश्न 5: मैक्स वेबर ने शक्ति (Power) को कैसे परिभाषित किया?
- किसी व्यक्ति की इच्छा को दूसरों की इच्छा के विरुद्ध भी लागू करने की क्षमता।
- सामाजिक समूहों के बीच संबंध
- आर्थिक संसाधनों का वितरण
- विशिष्ट भूमिकाओं का निर्वहन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने शक्ति (Power) को “सामाजिक संबंध में किसी कर्ता (actor) की अपनी इच्छा को लागू करने की क्षमता, विरोध के बावजूद” के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने प्रभुत्व (Domination) को भी परिभाषित किया, जो संस्थागत या वैध शक्ति है।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने शक्ति और प्रभुत्व के तीन आदर्श प्रकार बताए: पारंपरिक, करिश्माई और कानूनी-तर्कसंगत। यह परिभाषा उनके राजनीतिक समाजशास्त्र के विश्लेषण का आधार है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक संबंधों, आर्थिक वितरण या भूमिकाओं के बारे में हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर वेबर की शक्ति की विशिष्ट परिभाषा से मेल नहीं खाते, जो प्रतिरोध पर काबू पाने की क्षमता पर जोर देती है।
प्रश्न 6: भारतीय समाज में “संसकृति” (Sanskritization) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?
- जी. एस. घुरिये
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- ए. आर. देसाई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एम. एन. श्रीनिवास ने 1950 के दशक में अपनी पुस्तक “Religion and Society Among the Coorgs of South India” में “संसकृति” (Sanskritization) की अवधारणा पेश की। इसका अर्थ है कि निम्न जातियां या जनजातियाँ उच्च जातियों (विशेषकर द्विज जातियों) की जीवन शैली, रीति-रिवाजों, पूजा पद्धतियों और विचारों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति सुधारने का प्रयास करती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास के अनुसार, संसकृति एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, लेकिन यह संरचनात्मक गतिशीलता नहीं है। यह भारतीय जाति व्यवस्था में सामाजिक परिवर्तन को समझने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
- गलत विकल्प: जी. एस. घुरिये ने जाति और जनजातियों पर महत्वपूर्ण काम किया, इरावती कर्वे ने नातेदारी और परिवार पर, और ए. आर. देसाई ने समाजवाद और कृषक आंदोलनों पर। ये सभी महत्वपूर्ण समाजशास्त्री हैं, लेकिन संसकृति की अवधारणा श्रीनिवास से जुड़ी है।
प्रश्न 7: किस समाजशास्त्री ने “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” (Symbolic Interactionism) का दृष्टिकोण विकसित किया?
- टैल्कॉट पार्सन्स
- सी. राइट मिल्स
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- एर्विंग गोफमैन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक विचारकों में से एक माना जाता है। हालांकि उन्होंने स्वयं “प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद” शब्द का प्रयोग नहीं किया, उनके विचारों ने इस परिप्रेक्ष्य की नींव रखी। उन्होंने आत्म (Self), समाज और भाषा के विकास में प्रतीकों (जैसे भाषा और हावभाव) की भूमिका पर ज़ोर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का कार्य, विशेष रूप से उनकी मरणोपरांत प्रकाशित पुस्तक “माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी” (Mind, Self and Society), इस बात पर प्रकाश डालता है कि व्यक्ति समाज में दूसरों के साथ अंतःक्रिया के माध्यम से स्वयं को और दुनिया को कैसे समझते हैं।
- गलत विकल्प: टैल्कॉट पार्सन्स संरचनात्मक प्रकार्यवाद से जुड़े हैं। सी. राइट मिल्स ने “समाजशास्त्रीय कल्पना” (Sociological Imagination) का विचार दिया। एर्विंग गोफमैन प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से प्रभावित थे और उन्होंने “नाटकशास्त्र” (Dramaturgy) का सिद्धांत दिया, लेकिन मीड को इसका मुख्य संस्थापक माना जाता है।
प्रश्न 8: पारसन्स के AGIL प्रतिमान में ‘I’ का क्या अर्थ है?
- Integration (एकीकरण)
- Goal Attainment (लक्ष्य प्राप्ति)
- Adaptation (अनुकूलन)
- Latency (सुप्तता/व्यवस्था संरक्षण)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक व्यवस्था के चार आवश्यक कार्यों (Subsystems) का वर्णन करने के लिए AGIL प्रतिमान विकसित किया। A का अर्थ है Adaptation (अनुकूलन), G का Goal Attainment (लक्ष्य प्राप्ति), I का Integration (एकीकरण) और L का Latency (व्यवस्था संरक्षण/सुप्तता)। प्रश्न में ‘I’ का अर्थ Integration (एकीकरण) है, जबकि ‘L’ का अर्थ Latency (सुप्तता) है। यहाँ प्रश्न में गलती हुई है, सही उत्तर L होना चाहिए। (स्पष्टीकरण के लिए, यहाँ हम ‘L’ को मानेंगे)
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, किसी भी सामाजिक व्यवस्था को कार्यशील बने रहने के लिए इन चार कार्यों को पूरा करना होता है। L (Latency) का अर्थ है कि व्यवस्था को अपने सदस्यों को आंतरिक तनावों को कम करके और प्रेरणाओं को बनाए रखकर व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
- गलत विकल्प: A, G, और I क्रमशः अनुकूलन, लक्ष्य प्राप्ति और एकीकरण के लिए खड़े हैं। यदि प्रश्न में ‘I’ का अर्थ Integration (एकीकरण) पूछा गया है, तो यह सही उत्तर होगा। (मान लेते हैं कि प्रश्न का आशय L था, तो अन्य विकल्प गलत हैं)।
प्रश्न 9: भारतीय समाज में “कल्याणकारी राज्य” (Welfare State) की अवधारणा के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?
- यह केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित है।
- यह नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए राज्य की सक्रिय भागीदारी पर ज़ोर देता है।
- यह राज्य को न्यूनतम हस्तक्षेप करने वाली इकाई के रूप में देखता है।
- यह केवल धनवानों के हित की रक्षा करता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कल्याणकारी राज्य वह है जहाँ राज्य अपने नागरिकों के सामाजिक और आर्थिक कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय भूमिका निभाता है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार, सामाजिक सुरक्षा आदि जैसी सेवाएं प्रदान करना शामिल है।
- संदर्भ और विस्तार: भारत का संविधान भी प्रस्तावना में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय के साथ-साथ सामाजिक सुरक्षा और कल्याण पर ज़ोर देता है, जो कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप है।
- गलत विकल्प: कल्याणकारी राज्य केवल आर्थिक विकास पर केंद्रित नहीं होता, बल्कि सामाजिक कल्याण भी देखता है। यह न्यूनतम हस्तक्षेप के बजाय सक्रिय भागीदारी पर ज़ोर देता है। यह किसी विशेष वर्ग के बजाय सभी नागरिकों के कल्याण की बात करता है।
प्रश्न 10: दुर्खीम के अनुसार, “सामाजिक तथ्य” (Social Facts) क्या हैं?
- व्यक्तिगत विचार और भावनाएँ
- समाज द्वारा थोपी गई बाहरी बाध्यताएं
- समाज के भीतर व्यक्ति की चेतना
- केवल वे प्रथाएं जो सुखद हों
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “समाजशास्त्रीय विधि के नियम” (The Rules of Sociological Method) में सामाजिक तथ्यों को परिभाषित किया है। ये ऐसे विचार, भावनाएं और कार्य करने के तरीके हैं जो व्यक्ति पर बाहर से थोपे जाते हैं और जिनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है, भले ही हम उनका विरोध करें।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक तथ्य किसी व्यक्ति के अकेले के प्रयासों से नहीं बल्कि सामाजिक विधियों से उत्पन्न होते हैं। जैसे, कानून, नैतिकता, विश्वास, रीति-रिवाज, फैशन आदि सामाजिक तथ्य हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत विचार और भावनाएं सामाजिक तथ्य नहीं हैं, वे व्यक्ति की निजी दुनिया का हिस्सा हैं। समाज के भीतर व्यक्ति की चेतना भी सामाजिक तथ्य की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। सुखद प्रथाएं या व्यक्तिगत चेतना सामाजिक तथ्यों की बाध्यकारी और बाह्य प्रकृति को नहीं दर्शातीं।
प्रश्न 11: भारतीय जाति व्यवस्था में “जाति पंचायत” (Caste Panchayat) की क्या भूमिका है?
- राष्ट्रीय स्तर पर कानूनों का निर्माण
- किसी विशेष जाति के सदस्यों के आचरण को नियंत्रित करना
- सभी जातियों के बीच समन्वय स्थापित करना
- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को सुगम बनाना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जाति पंचायत किसी विशेष जाति या उप-जाति के भीतर एक पारंपरिक निकाय है जो अपने सदस्यों के सामाजिक आचरण, विवाह संबंधी नियमों, परंपराओं और कभी-कभी विवादों को नियंत्रित करने का काम करती है। इसका अधिकार क्षेत्र उस विशेष जाति तक सीमित होता है।
- संदर्भ और विस्तार: जाति पंचायतें अक्सर दंड (जैसे बहिष्कार) का उपयोग करके अपने नियमों को लागू करती हैं। ये संस्थाएं भारतीय ग्रामीण समाज और जाति संरचना की गतिशीलता को समझने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: जाति पंचायतें राष्ट्रीय कानूनों का निर्माण नहीं करतीं, न ही वे सभी जातियों के बीच समन्वय स्थापित करती हैं, और उनका ध्यान अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर नहीं होता।
प्रश्न 12: “सामाजिक स्तरीकरण” (Social Stratification) का सबसे अच्छा वर्णन क्या है?
- व्यक्तियों और समूहों के बीच समानता
- समाज में धन का समान वितरण
- समाज में असमानता को स्तरों या परतों में व्यवस्थित करना
- सांस्कृतिक प्रथाओं का एक सेट
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को उनकी आय, संपत्ति, शक्ति, शिक्षा, व्यवसाय, जाति, लिंग आदि जैसे विभिन्न सामाजिक चरों के आधार पर पदानुक्रमित स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रमुख स्तरीकरण प्रणालियों में दासता, जाति, एस्टेट और वर्ग शामिल हैं। समाजशास्त्री यह अध्ययन करते हैं कि यह स्तरीकरण समाज में संसाधनों और अवसरों के वितरण को कैसे प्रभावित करता है।
- गलत विकल्प: समानता, समान वितरण या सांस्कृतिक प्रथाएं सामाजिक स्तरीकरण की परिभाषा नहीं हैं, बल्कि इसके परिणाम या इसके विपरीत स्थितियाँ हो सकती हैं।
प्रश्न 13: किस समाजशास्त्री ने “अराजकता” (Anomie) को सामाजिक व्यवस्था के विघटन से जोड़ा, जब व्यक्ति के लक्ष्य समाज द्वारा निर्धारित मानदंडों और मूल्यों से अलग हो जाते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने “एनोमी” की अवधारणा को विकसित किया, विशेष रूप से आत्महत्या के अपने विश्लेषण में। उनके अनुसार, जब सामाजिक नियम कमज़ोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, तो व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मार्गदर्शन की कमी महसूस करता है, जिससे एनोमी की स्थिति उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम का मानना था कि सामाजिक एकता (social solidarity) को बनाए रखने के लिए साझा मूल्यों और मानदंडों की आवश्यकता होती है। जब ये बिखर जाते हैं, तो व्यक्ति का समाज से अलगाव बढ़ जाता है।
- गलत विकल्प: मार्क्स का ध्यान वर्ग संघर्ष पर था, वेबर का तर्कसंगतता और नौकरशाही पर, और हर्बर्ट स्पेंसर का विकासवाद और सामाजिक डार्विनवाद पर। एनोमी दुर्खीम का विशिष्ट योगदान है।
प्रश्न 14: “संस्कृति” (Culture) की समाजशास्त्रीय परिभाषा में निम्नलिखित में से कौन सा तत्व शामिल नहीं है?
- मानदंड (Norms)
- प्रतीक (Symbols)
- मूल्य (Values)
- जन्मजात शारीरिक लक्षण (Innate Biological Traits)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: समाजशास्त्र में संस्कृति से तात्पर्य मानव व्यवहार के सीखे हुए और साझा पैटर्न से है, जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और व्यक्ति के समाज के सदस्य के रूप में अर्जित अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं। जन्मजात शारीरिक लक्षण (जैसे त्वचा का रंग या ऊंचाई) जैविक हैं, सांस्कृतिक नहीं।
- संदर्भ और विस्तार: संस्कृति ही हमें समाज में कार्य करने के लिए आवश्यक ज्ञान और कौशल सिखाती है। मानदंड, प्रतीक और मूल्य संस्कृति के केंद्रीय तत्व हैं।
- गलत विकल्प: मानदंड, प्रतीक और मूल्य सभी संस्कृति के महत्वपूर्ण घटक हैं। जन्मजात शारीरिक लक्षण प्रकृति (nature) से संबंधित हैं, न कि संवर्धित (nurture) या सांस्कृतिक सीख से।
प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सी एक “प्राथमिक संस्था” (Primary Institution) नहीं मानी जाती है?
- परिवार
- राज्य
- शिक्षा
- धर्म
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आमतौर पर, परिवार, शिक्षा, धर्म और अर्थव्यवस्था को प्राथमिक या मौलिक सामाजिक संस्थाएं माना जाता है क्योंकि वे समाज के मूलभूत कार्यों को सीधे पूरा करती हैं। राज्य, हालांकि महत्वपूर्ण है, अक्सर एक द्वितीयक या व्युत्पन्न संस्था के रूप में देखा जाता है, जो अक्सर इन प्राथमिक संस्थाओं के कामकाज से उत्पन्न या प्रभावित होता है। हालांकि, कुछ समाजशास्त्री राज्य को भी एक प्राथमिक संस्था मानते हैं। (यह प्रश्न थोड़ा विवादास्पद हो सकता है, लेकिन सामान्य वर्गीकरण में राज्य को अन्य चार से अलग रखा जाता है।)
- संदर्भ और विस्तार: प्राथमिक संस्थाएं व्यक्ति के समाजीकरण और समाज की निरंतरता के लिए आवश्यक हैं।
- गलत विकल्प: परिवार, शिक्षा और धर्म व्यक्ति के समाजीकरण और मूल्यों के प्रसारण में सीधे तौर पर शामिल होते हैं, इसलिए उन्हें प्राथमिक माना जाता है। राज्य एक व्यापक राजनीतिक और प्रशासनिक संरचना है।
प्रश्न 16: मर्. डब्लू. ई. बी. डु बोइस ने “The Souls of Black Folk” (1903) में किस महत्वपूर्ण अवधारणा का वर्णन किया?
- श्वेत विशेषाधिकार (White Privilege)
- दोहरा चेतना (Double Consciousness)
- वर्ग चेतना (Class Consciousness)
- सामाजिक पूंजी (Social Capital)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: डब्ल्यू. ई. बी. डु बोइस ने “दोहरा चेतना” (Double Consciousness) की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो अफ्रीकी अमेरिकियों द्वारा अपने आप को दो विरोधी दृष्टियों से देखने का अनुभव है: एक अपनी स्वयं की पहचान से और दूसरी अमेरिकी समाज की श्वेत-प्रधान दृष्टि से।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा अमेरिका में नस्लवाद और अफ्रीकी अमेरिकियों के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक अनुभव को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि कैसे समाज में हाशिए पर पड़े समूह अपनी पहचान को बहुसंख्यक समाज की अपेक्षाओं और पूर्वाग्रहों के जवाब में आकार देते हैं।
- गलत विकल्प: श्वेत विशेषाधिकार बाद की अवधारणा है। वर्ग चेतना मार्क्स से संबंधित है। सामाजिक पूंजी बाद के समाजशास्त्रियों (जैसे बूर्दियू, पुटनम) द्वारा विकसित की गई है।
प्रश्न 17: “सामाजिक गतिशीलता” (Social Mobility) से क्या तात्पर्य है?
- समाज में व्यक्तियों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना (Migration)
- समाज में शिक्षा स्तर का बढ़ना
- किसी व्यक्ति या समूह का एक सामाजिक स्थिति से दूसरी सामाजिक स्थिति में जाना
- राजनीतिक सत्ता का हस्तांतरण
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति या समूह एक सामाजिक स्तर से दूसरे स्तर पर जाते हैं। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे) या क्षैतिज (समान स्तर पर) हो सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, गरीबी से अमीरी में जाना ऊर्ध्वाधर गतिशीलता है, जबकि एक नौकरी से समान स्तर की दूसरी नौकरी में जाना क्षैतिज गतिशीलता है। यह किसी समाज की गतिशीलता को मापता है।
- गलत विकल्प: केवल भौतिक स्थान बदलना (Migration), शिक्षा का बढ़ना (जो गतिशीलता का एक कारण हो सकता है), या राजनीतिक सत्ता का हस्तांतरण, सामाजिक गतिशीलता की पूर्ण परिभाषा नहीं देते।
प्रश्न 18: भारत में “ग्रामीण-शहरी निरंतरता” (Rural-Urban Continuum) की अवधारणा क्या दर्शाती है?
- ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियों के बीच एक स्पष्ट विभाजन
- ग्रामीण और शहरी जीवन के बीच एक स्पेक्ट्रम या निरंतरता, जहाँ दोनों के तत्व मिश्रित होते हैं
- ग्रामीण क्षेत्रों का तेज़ी से शहरीकरण
- शहरी क्षेत्रों का ग्रामीणकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: यह अवधारणा दर्शाती है कि ग्रामीण और शहरी जीवन शैलियाँ दो अलग-थलग श्रेणियां नहीं हैं, बल्कि एक स्पेक्ट्रम पर स्थित हैं, जहाँ दोनों के बीच मध्यवर्ती क्षेत्र या मिश्रित विशेषताएं पाई जाती हैं। लोग और संस्थाएं दोनों शैलियों से प्रभावित हो सकती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह विचार रॉबर्ट रेडफील्ड जैसे मानवशास्त्रियों से जुड़ा है, जिन्होंने अक्सर ग्रामीण समुदायों को “लोक समाज” (Folk Society) के रूप में और शहरी समुदायों को “महानगर” (Great Tradition) के रूप में वर्गीकृत किया, लेकिन बाद के अध्ययनों ने इस निरंतरता पर जोर दिया।
- गलत विकल्प: यह अवधारणा स्पष्ट विभाजन, केवल ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण, या शहरी क्षेत्रों के ग्रामीणकरण पर जोर नहीं देती, बल्कि उनके बीच मिश्रण और अंतर्संबंध पर प्रकाश डालती है।
प्रश्न 19: आर. के. मर्टन द्वारा प्रस्तावित “अनुकूलन” (Adaptations) के प्रकारों में कौन सा एक नहीं है?
- Conformity (अनुरूपता)
- Innovation (नवाचार)
- Ritualism (अनुष्ठानवाद)
- Rebellion (विद्रोह)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: रॉबर्ट के. मर्टन ने “एनोमी” की अपनी व्याख्या में, अमेरिकी समाज के संदर्भ में “सांस्कृतिक लक्ष्यों” (Cultural Goals) और “संस्थागत साधनों” (Institutional Means) के बीच विसंगति से उत्पन्न पांच प्रकार के व्यक्तिगत अनुकूलन का वर्णन किया: अनुरूपता (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion)। प्रश्न में विद्रोह (Rebellion) को मर्टन के चार अनुकूलनों में शामिल किया गया है। यहाँ प्रश्न का विकल्प गलत है, या तो हमें एक विकल्प चुनना है जो इन पांचों में से नहीं है। यदि हम इन चार को देखें, तो सभी मर्टन द्वारा दिए गए हैं। (स्पष्टीकरण के लिए, मानते हैं कि एक अतिरिक्त गलत विकल्प दिया जाना था।)
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने विशेष रूप से एनोमी को एक सामाजिक स्थिति के रूप में देखा जहाँ सांस्कृतिक रूप से निर्धारित लक्ष्य और सामाजिक रूप से स्वीकृत साधन बेमेल हो जाते हैं।
- गलत विकल्प: अनुरूपता, नवाचार, अनुष्ठानवाद और विद्रोह सभी मर्टन द्वारा परिभाषित व्यक्तिगत अनुकूलन के प्रकार हैं। (मान लेते हैं कि कोई पांचवा विकल्प होता जो गलत होता, जैसे ‘आज्ञाकारिता’ या ‘अनुकरण’)।
प्रश्न 20: “सामाजिक पूंजी” (Social Capital) की अवधारणा किससे सबसे अधिक निकटता से जुड़ी है?
- व्यक्तिगत धन और संपत्ति
- समाज में सामाजिक संबंधों, नेटवर्क और विश्वास का मूल्य
- राज्य द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं
- सरकारी नीतियाँ और कानून
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी से तात्पर्य उन सामाजिक नेटवर्क, भरोसे, आपसी सहयोग और सामाजिक संबंधों से है जो किसी व्यक्ति या समूह को लाभ पहुंचाते हैं। यह व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करने वाले संसाधनों के रूप में कार्य करता है।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बूर्दियू, जेम्स कोलमैन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे मानते हैं कि अच्छे सामाजिक संबंध उत्पादक हो सकते हैं।
- गलत विकल्प: व्यक्तिगत धन (मानव पूंजी), राज्य की सेवाएं, या सरकारी नीतियाँ सीधे तौर पर सामाजिक पूंजी की परिभाषा में नहीं आतीं, बल्कि वे अन्य प्रकार की पूंजी या सामाजिक व्यवस्था के तत्व हैं।
प्रश्न 21: भारतीय समाज में “आधुनिकीकरण” (Modernization) की प्रक्रिया का सबसे अच्छा वर्णन कौन सा कथन करता है?
- केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
- समाज में औद्योगिक, वैज्ञानिक, तर्कसंगत और धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का प्रसार
- ग्रामीण क्षेत्रों का तेज़ी से शहरीकरण
- जाति व्यवस्था का मजबूत होना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक व्यापक प्रक्रिया है जिसमें समाज का औद्योगिकरण, शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण, शिक्षा का प्रसार, तर्कसंगतता और धर्मनिरपेक्षता जैसे पश्चिमी या पश्चिमीकृत समाजों की विशेषताओं की ओर बदलाव शामिल है। यह केवल पश्चिमी संस्कृति को कॉपी करना नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास, वाई. सिंह जैसे भारतीय समाजशास्त्रियों ने भारतीय समाज में आधुनिकीकरण की प्रक्रिया और उसके विभिन्न आयामों का अध्ययन किया है।
- गलत विकल्प: यह केवल पश्चिमी संस्कृति को अपनाने से कहीं अधिक है। यद्यपि यह ग्रामीण क्षेत्रों के शहरीकरण से जुड़ा हो सकता है, यह उस तक सीमित नहीं है, और यह अक्सर पारंपरिक संस्थाओं (जैसे जाति) को चुनौती देता है, न कि उन्हें मजबूत करता है।
प्रश्न 22: “नौकरशाही” (Bureaucracy) की अवधारणा के अनुसार, वेबर के आदर्श प्रारूप (Ideal Type) में निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता नहीं पाई जाती है?
- स्पष्ट अधिकार क्षेत्र (Clear Division of Labor)
- पदानुक्रमित पदसोपान (Hierarchical Structure)
- आधिकारिक नियम और प्रक्रियाएँ (Formal Rules and Procedures)
- भावनात्मक संबंध (Emotional Relationships)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को एक तर्कसंगत-कानूनी (rational-legal) प्राधिकार के रूप में परिभाषित किया। इसके आदर्श प्रारूप में स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, पदानुक्रम, लिखित नियम, विशेषज्ञता, योग्यता पर आधारित नियुक्ति और अवैयक्तिक संबंध (impersonal relations) शामिल हैं। भावनात्मक संबंध नौकरशाही के अवैयक्तिक और तर्कसंगत स्वरूप के विपरीत हैं।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही आधुनिक समाजों में दक्षता और अनुमानितता (predictability) का सबसे कुशल तरीका है, लेकिन यह व्यक्ति को अलगाव की ओर भी ले जा सकती है।
- गलत विकल्प: स्पष्ट अधिकार क्षेत्र, पदानुक्रम और आधिकारिक नियम वेबर के नौकरशाही के आदर्श प्रारूप की प्रमुख विशेषताएं हैं। भावनात्मक संबंध इस आदर्श मॉडल में फिट नहीं बैठते।
प्रश्न 23: सामाजिक अनुसंधान में “गुणात्मक अनुसंधान” (Qualitative Research) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- विशाल संख्यात्मक डेटा का विश्लेषण करना
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, व्याख्याओं और अनुभवों को समझना
- चरों के बीच कारण-कार्य संबंध स्थापित करना
- सामान्यता (Generalization) प्राप्त करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: गुणात्मक अनुसंधान का मुख्य उद्देश्य मानव व्यवहार, सामाजिक घटनाओं और विभिन्न दृष्टिकोणों को गहराई से समझना है। यह “क्यों” और “कैसे” जैसे सवालों पर ध्यान केंद्रित करता है, व्यक्तियों के अनुभवों, अर्थों और संदर्भों की पड़ताल करता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसके तरीकों में साक्षात्कार, फोकस समूह, अवलोकन और केस स्टडी शामिल हैं। यह अक्सर जटिल सामाजिक मुद्दों की गहरी समझ प्रदान करता है।
- गलत विकल्प: संख्यात्मक डेटा विश्लेषण मात्रात्मक अनुसंधान का मुख्य है। कारण-कार्य संबंध और सामान्यीकरण भी अक्सर मात्रात्मक अनुसंधान के लक्ष्य होते हैं, हालांकि गुणात्मक अनुसंधान भी कुछ सिद्धांत उत्पन्न कर सकता है।
प्रश्न 24: भारतीय समाज में “धर्मनिरपेक्षता” (Secularism) की अवधारणा निम्नलिखित में से किस सिद्धांत को समाहित करती है?
- सभी नागरिकों को एक ही धर्म का पालन करना चाहिए।
- राज्य किसी विशेष धर्म का पक्ष नहीं लेगा और सभी धर्मों के प्रति तटस्थ रहेगा।
- धर्म को सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए।
- केवल एक धर्म को ही राज्य की आधिकारिक मान्यता प्राप्त होगी।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: भारतीय धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि राज्य सभी धर्मों को समान सम्मान देगा और किसी भी धर्म को विशेष संरक्षण या पक्षपात नहीं करेगा। इसका उद्देश्य विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच सह-अस्तित्व और सद्भाव को बढ़ावा देना है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है। इसका मतलब यह नहीं है कि धर्म सार्वजनिक जीवन से बाहर हो जाए, बल्कि यह कि राज्य निष्पक्ष रहे।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) और (d) धार्मिक असमानता को बढ़ावा देते हैं, और विकल्प (c) भारतीय धर्मनिरपेक्षता के अर्थ से मेल नहीं खाता, जहाँ धर्म का एक महत्वपूर्ण सामाजिक और व्यक्तिगत स्थान है।
प्रश्न 25: “सामाजिक नियंत्रण” (Social Control) से आपका क्या तात्पर्य है?
- समाज के सदस्यों पर व्यवस्था बनाए रखने के लिए लागू किए जाने वाले नियम और दबाव
- व्यक्तियों का एक-दूसरे से बातचीत करना
- सामाजिक समस्याओं का समाधान
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दमन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक नियंत्रण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के सदस्य स्थापित सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और नियमों का पालन करते हैं। इसमें औपचारिक (जैसे कानून, पुलिस) और अनौपचारिक (जैसे सामाजिक दबाव, शिक्षा, सार्वजनिक राय) दोनों प्रकार के तंत्र शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका मुख्य उद्देश्य समाज में व्यवस्था, स्थिरता और अनुमानितता बनाए रखना है, और सामाजिक विचलन (social deviance) को कम करना है।
- गलत विकल्प: व्यक्तियों का आपस में बातचीत करना, सामाजिक समस्याओं का समाधान, या व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दमन (जो सामाजिक नियंत्रण का एक संभावित नकारात्मक परिणाम हो सकता है) सामाजिक नियंत्रण की मुख्य परिभाषा नहीं हैं।