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समाजशास्त्र मंथन: अपनी अवधारणाओं को परखें!

समाजशास्त्र मंथन: अपनी अवधारणाओं को परखें!

प्रतियोगिता परीक्षाओं के समर्पित परीक्षार्थियों, आज के समाजशास्त्र मंथन में आपका स्वागत है! क्या आप अपने समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई को मापने के लिए तैयार हैं? यह दैनिक अभ्यास सत्र आपके सिद्धांतों की स्पष्टता, विचारकों की समझ और भारतीय समाज के जटिल ताने-बाने की पकड़ को और मजबूत करने का एक बेहतरीन अवसर है। आइए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘वेरस्टेहेन’ (Verstehen) की अवधारणा को किसने प्रतिपादित किया, जो समाजशास्त्र में व्यक्तिनिष्ठ अर्थों को समझने पर बल देती है?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘वेरस्टेहेन’ की अवधारणा को प्रतिपादित किया, जिसका अर्थ है ‘समझना’। यह समाजशास्त्र में व्यक्तिपरक अर्थों, प्रेरणाओं और विश्वासों को समझने की एक पद्धति है जो सामाजिक क्रियाओं के पीछे होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर के अनुसार, समाजशास्त्री को केवल बाहरी व्यवहार का अवलोकन नहीं करना चाहिए, बल्कि उस सामाजिक क्रिया में संलग्न व्यक्ति के दृष्टिकोण से उसके अर्थ को समझना चाहिए। यह उनकी व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology) का मूल है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स मुख्य रूप से वर्ग संघर्ष और ऐतिहासिक भौतिकवाद पर केंद्रित थे। एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ (Anomie) और सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity) जैसी अवधारणाएँ दीं। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) विकसित किया।

प्रश्न 2: एमएन श्रीनिवास द्वारा दी गई ‘संस्कृतीकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का संबंध किससे है?

  1. पश्चिमीकरण की प्रक्रिया
  2. निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों के रीति-रिवाजों को अपनाना
  3. शहरीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन
  4. आधुनिकीकरण का प्रसार

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संस्कृतीकरण, जैसा कि एमएन श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में परिभाषित किया है, वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा निम्न जातियों या जनजातियाँ उच्च, अक्सर द्विजातीय, जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों, कर्मकांडों और जीवन शैली को अपनाती हैं ताकि सामाजिक पदानुक्रम में अपनी स्थिति को ऊपर उठा सकें।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह एक प्रकार की सांस्कृतिक गतिशीलता है, न कि संरचनात्मक गतिशीलता। यह भारतीय समाज में सामाजिक स्तरीकरण और गतिशीलता को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण अवधारणा है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमीकरण पश्चिमी देशों की जीवन शैली, संस्कृति और मूल्यों को अपनाने से संबंधित है। शहरीकरण ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या के स्थानांतरण और उससे उत्पन्न सामाजिक परिवर्तनों से जुड़ा है। आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है जो प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था और संस्थानों में परिवर्तन से संबंधित है।

प्रश्न 3: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में असमानताएँ आवश्यक हैं और यह समाज के सुचारू रूप से कार्य करने के लिए महत्वपूर्ण हैं?

  1. संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
  2. प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
  3. प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
  4. उत्तर-आधुनिकतावाद (Post-modernism)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: प्रकार्यवादी सिद्धांत, विशेष रूप से डेविस और मूर (Davis and Moore) जैसे विद्वानों द्वारा विकसित ‘डेविस-मूर थीसिस’, तर्क देती है कि सामाजिक स्तरीकरण समाज के लिए एक आवश्यक और कार्यात्मक व्यवस्था है। इसके अनुसार, समाज में सबसे महत्वपूर्ण पदों को भरने के लिए, उन पदों के लिए विशेष योग्यता और प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, और इन योग्यता को प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को पर्याप्त पुरस्कार (जैसे धन, प्रतिष्ठा, शक्ति) मिलना चाहिए। असमान वितरण इस प्रेरणा को सुनिश्चित करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि स्तरीकरण समाज के अस्तित्व और उसके सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण है।
  • गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (जैसे मार्क्सवाद) मानता है कि असमानताएँ शक्ति और नियंत्रण के संघर्ष का परिणाम हैं और समाज के लिए हानिकारक हैं। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच अर्थों और अंतःक्रियाओं पर केंद्रित है, न कि व्यापक संरचनात्मक असमानताओं पर। उत्तर-आधुनिकतावाद सामाजिक संरचनाओं को खंडित और अस्थिर मानता है।

प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था परिवार का प्राथमिक कार्य नहीं है?

  1. प्रजनन
  2. यौन संतुष्टि
  3. शिक्षा
  4. आर्थिक उत्पादन

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: यद्यपि ऐतिहासिक रूप से परिवार आर्थिक उत्पादन की एक इकाई रहा है, आधुनिक समाजों में, विशेष रूप से औद्योगिक समाजों में, आर्थिक उत्पादन का प्राथमिक कार्य परिवार के बजाय अन्य संस्थाओं (जैसे कारखाने, निगम, सेवा क्षेत्र) में स्थानांतरित हो गया है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परिवार के प्राथमिक कार्यों में आमतौर पर प्रजनन (नए सदस्यों का उत्पादन), यौन नियंत्रण (यौन संबंधों को विनियमित करना), समाजीकरण (बच्चों को समाज के मूल्यों और मानदंडों को सिखाना) और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना शामिल है।
  • गलत विकल्प: प्रजनन, यौन संतुष्टि और समाजीकरण (जो अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा से जुड़ा है) परिवार के पारंपरिक और महत्वपूर्ण कार्य माने जाते हैं।

प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था का आधार क्या है?

  1. व्यक्तिगत स्वार्थ
  2. शक्ति का केंद्रीकरण
  3. साझा मूल्य और सामाजिक एकजुटता
  4. बाजार अर्थव्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक व्यवस्था (Social Order) मुख्य रूप से साझा मूल्यों, विश्वासों और भावनाओं की एकता, जिसे वे ‘सामूहिक चेतना’ (Collective Consciousness) कहते हैं, और समाज के सदस्यों के बीच परस्पर निर्भरता, जिसे ‘सामाजिक एकजुटता’ (Social Solidarity) कहते हैं, पर आधारित होती है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में यांत्रिक एकजुटता (Mechanical Solidarity) और कार्बनिक एकजुटता (Organic Solidarity) के बीच अंतर किया। पहले आदिम समाजों में सामान्यता से, और दूसरे आधुनिक समाजों में विशेषज्ञता और परस्पर निर्भरता से उत्पन्न होती है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत स्वार्थ टकराव पैदा कर सकता है। शक्ति का केंद्रीकरण कभी-कभी व्यवस्था बनाए रख सकता है, लेकिन दुर्खीम के अनुसार यह सामाजिक व्यवस्था का स्थायी आधार नहीं है। बाजार अर्थव्यवस्था परस्पर निर्भरता बढ़ा सकती है, लेकिन यह अकेले सामाजिक व्यवस्था की गारंटी नहीं देती।

प्रश्न 6: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या अनुपस्थिति की स्थिति को दर्शाती है, किस समाजशास्त्री से जुड़ी है?

  1. ऑगस्ट कॉम्ते
  2. हरबर्ट स्पेंसर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टोल्कॉट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को विकसित किया, जो एक ऐसी स्थिति का वर्णन करती है जहाँ समाज के सदस्यों के लिए कोई स्पष्ट या प्रभावी सामाजिक नियम या मानक मौजूद नहीं होते हैं। यह व्यक्ति में दिशाहीनता, अलगाव और समाज से जुड़ाव की कमी की भावना पैदा करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘Suicide’ में एनोमी को आत्महत्या के एक कारण के रूप में विस्तार से समझाया है, खासकर तब जब तीव्र सामाजिक परिवर्तन (जैसे आर्थिक मंदी या उछाल) होते हैं।
  • गलत विकल्प: ऑगस्ट कॉम्ते को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है और उन्होंने ‘सकारात्मकता’ (Positivism) का सिद्धांत दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद (Social Darwinism) का विचार दिया। टोल्कॉट पार्सन्स प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रतिपादकों में से एक हैं जिन्होंने सामाजिक व्यवस्था पर काम किया।

प्रश्न 7: भारतीय समाज में, ‘जजमानी प्रणाली’ (Jajmani System) का संबंध मुख्य रूप से किससे है?

  1. जाति आधारित श्रम विभाजन और सेवा विनिमय
  2. कृषि सुधार की योजनाएँ
  3. भूमि स्वामित्व के पैटर्न
  4. ग्रामीण ऋणग्रस्तता

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जजमानी प्रणाली एक पारंपरिक भारतीय सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था है जो जाति पर आधारित श्रम विभाजन और सेवाओं के पारस्परिक विनिमय पर टिकी है। इसमें उच्च जातियों के ‘जजमान’ (Patron) निम्न जातियों के ‘कामिन’ (Client) से सेवाएँ प्राप्त करते हैं और बदले में उन्हें नकद या वस्तु के रूप में भुगतान करते हैं, अक्सर वार्षिक आधार पर।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह व्यवस्था मुख्य रूप से ग्रामीण भारत में पाई जाती रही है और इसने सामाजिक और आर्थिक संबंधों को विनियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • गलत विकल्प: यह सीधे तौर पर कृषि सुधार, भूमि स्वामित्व के पैटर्न या ऋणग्रस्तता से संबंधित नहीं है, हालांकि इन पर इसका प्रभाव पड़ सकता है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी भारत में सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए ‘आधुनिकीकरण सिद्धांत’ (Modernization Theory) के प्रमुख तत्वों में से एक है?

  1. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण
  2. पश्चिमीकरण और औद्योगीकरण
  3. जाति व्यवस्था का और अधिक कठोर होना
  4. धार्मिक अनुष्ठानों पर अधिक जोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आधुनिकीकरण सिद्धांत, जो अक्सर पश्चिमी समाजों के अनुभव से प्रेरित होता है, मानता है कि समाज ‘पारंपरिक’ अवस्था से ‘आधुनिक’ अवस्था की ओर बढ़ता है। इस संक्रमण के प्रमुख तत्वों में पश्चिमीकरण (पश्चिमी जीवन शैली, मूल्यों और संस्थानों को अपनाना) और औद्योगीकरण (विनिर्माण और प्रौद्योगिकी का विकास) शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत यह भी मानता है कि आधुनिकीकरण के साथ शहरीकरण, लोकतंत्रीकरण और धर्मनिरपेक्षीकरण जैसी प्रक्रियाएँ भी जुड़ी होती हैं।
  • गलत विकल्प: पारंपरिक संरचनाओं का सुदृढ़ीकरण या जाति व्यवस्था का कठोर होना आधुनिकीकरण के विपरीत दिशा में जाने वाली प्रक्रियाएँ मानी जाती हैं। धार्मिक अनुष्ठानों पर अधिक जोर भी पारंपरिकता का संकेत है।

प्रश्न 9: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी समाज में उत्पादन के साधनों का स्वामित्व किसके पास होता है?

  1. बुर्जुआ (Bourgeoisie)
  2. सर्वहारा (Proletariat)
  3. पूंजीपति और श्रमिक दोनों
  4. राज्य

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी समाज को दो मुख्य वर्गों में विभाजित किया: बुर्जुआ, जो उत्पादन के साधनों (जैसे कारखाने, भूमि, मशीनरी) के मालिक होते हैं, और सर्वहारा, जो केवल अपनी श्रम शक्ति बेचकर जीवित रहते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: मार्क्स का मानना था कि बुर्जुआ वर्ग सर्वहारा वर्ग का शोषण करके अपने लाभ को अधिकतम करता है, जिससे वर्ग संघर्ष उत्पन्न होता है।
  • गलत विकल्प: सर्वहारा वर्ग उत्पादन के साधनों का मालिक नहीं होता, बल्कि अपनी श्रम शक्ति बेचता है। पूंजीपति और श्रमिक दोनों का स्वामित्व मार्क्सवादी विश्लेषण में स्वीकार्य नहीं है। राज्य, मार्क्स के अनुसार, बुर्जुआ वर्ग के हितों की रक्षा का एक उपकरण मात्र है।

प्रश्न 10: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग को संदर्भित करती है, किस समाजशास्त्री से मुख्य रूप से जुड़ी है?

  1. पियरे बॉर्डियू
  2. जेम्स कोलमन
  3. रॉबर्ट पुटनम
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमन और रॉबर्ट पुटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित और लोकप्रिय बनाया है, प्रत्येक ने अपने स्वयं के विशिष्ट दृष्टिकोण और अनुप्रयोगों के साथ। बॉर्डियू ने इसे ‘सांस्कृतिक पूंजी’ और ‘आर्थिक पूंजी’ के साथ जोड़ा, कोलमन ने इसे शैक्षिक प्राप्ति और सामाजिक गतिशीलता के संदर्भ में देखा, और पुटनम ने इसे नागरिक समाज और लोकतंत्र के संदर्भ में।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सामाजिक पूंजी व्यक्तियों या समूहों के बीच संबंधों के माध्यम से प्राप्त लाभों को संदर्भित करती है।
  • गलत विकल्प: चूंकि तीनों विद्वानों ने इस अवधारणा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सी भारत में ‘आदिवासी समाजों’ (Tribal Societies) की विशेषता नहीं है?

  1. सामूहिक स्वामित्व की भावना
  2. पृथक सांस्कृतिक पहचान
  3. एक विस्तृत, पदानुक्रमित जाति व्यवस्था
  4. प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जबकि आदिवासी समाजों की अपनी अनूठी सांस्कृतिक पहचान, प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध और अक्सर सामूहिक स्वामित्व की भावना होती है, एक विस्तृत, पदानुक्रमित जाति व्यवस्था उनकी पारंपरिक संरचना का हिस्सा नहीं है। जाति व्यवस्था मुख्य रूप से गैर-आदिवासी, विशेष रूप से हिंदू समाज की विशेषता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: आदिवासी समुदाय अक्सर अपनी भाषाओं, रीति-रिवाजों और सामाजिक संरचनाओं के साथ गैर-आदिवासी या ‘मुख्यधारा’ के समाज से अलग होते हैं।
  • गलत विकल्प: सामूहिक स्वामित्व, पृथक सांस्कृतिक पहचान और प्रकृति के साथ घनिष्ठ संबंध आमतौर पर आदिवासी समाजों की पहचानी जाने वाली विशेषताएँ हैं।

  • प्रश्न 12: जॉर्ज हर्बर्ट मीड के अनुसार, ‘स्व’ (Self) का विकास किस प्रक्रिया के माध्यम से होता है?

    1. केवल आनुवंशिकी से
    2. दूसरों के साथ अंतःक्रिया और अनुकरण से
    3. केवल जैविक परिपक्वता से
    4. जन्मजात सहज प्रवृत्तियों से

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के संस्थापक, ने तर्क दिया कि ‘स्व’ (Self) एक सामाजिक उत्पाद है जो जन्मजात नहीं होता। इसका विकास सामाजिक अंतःक्रियाओं, विशेष रूप से भाषा और प्रतीकों के उपयोग के माध्यम से होता है। व्यक्ति दूसरों के दृष्टिकोण को आत्मसात करके, जैसे कि ‘महत्वपूर्ण अन्य’ (Significant Other) और ‘सामान्यीकृत अन्य’ (Generalized Other) के दृष्टिकोणों को अपनाकर ‘स्व’ का निर्माण करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया मुख्य रूप से बचपन में होती है और इसमें ‘खेल’ (Play) और ‘खेल’ (Game) के चरण शामिल होते हैं।
    • गलत विकल्प: आनुवंशिकी, जैविक परिपक्वता या सहज प्रवृत्तियाँ ‘स्व’ के विकास को प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन मीड के अनुसार ये प्रत्यक्ष कारक नहीं हैं; सामाजिक अंतःक्रिया प्राथमिक है।

    प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी ‘सबल्टरन अध्ययन’ (Subaltern Studies) के क्षेत्र से जुड़े विद्वान हैं?

    1. ई.पी. थॉम्पसन
    2. गयत्री चक्रवर्ती स्पिवाक
    3. पियरे बॉर्डियू
    4. क्लिफर्ड गिएर्ट्ज़

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: गयत्री चक्रवर्ती स्पिवाक, भारतीय दार्शनिक और साहित्यकार, ‘सबल्टरन अध्ययन’ के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानी जाती हैं। सबल्टरन अध्ययन उपनिवेशवाद, शक्ति संबंधों और हाशिए पर पड़े या निम्न वर्ग के लोगों (सबल्टरन) के इतिहास और अनुभव पर केंद्रित है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: स्पिवाक का काम उत्तर-औपनिवेशिक सिद्धांत (Post-colonial Theory) और स्त्रीवाद (Feminism) से भी जुड़ा है।
    • गलत विकल्प: ई.पी. थॉम्पसन ‘लोगों का इतिहास’ (History from Below) के लिए जाने जाते हैं। पियरे बॉर्डियू ने सामाजिक पूंजी और बुर्दियू कैपिटल पर काम किया। क्लिफर्ड गिएर्ट्ज़ एक मानवविज्ञानी थे जो प्रतीकात्मक मानव विज्ञान (Symbolic Anthropology) के लिए जाने जाते थे।

    प्रश्न 14: टोल्कॉट पार्सन्स के ‘एजीएल’ (AGIL) पैराडाइम में ‘ए’ (A) का क्या अर्थ है?

    1. अनुकूलन (Adaptation)
    2. लक्ष्य प्राप्ति (Goal Attainment)
    3. एकीकरण (Integration)
    4. व्यवस्था का रखरखाव (Latency)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: टोल्कॉट पार्सन्स ने सामाजिक प्रणालियों के विश्लेषण के लिए ‘एजीएल’ (AGIL) पैराडाइम विकसित किया। इसमें ‘A’ का अर्थ ‘Adaptation’ (अनुकूलन) है, जो किसी भी प्रणाली के लिए अपने पर्यावरण के अनुकूल होने और जीवित रहने की क्षमता को संदर्भित करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ‘G’ का अर्थ ‘Goal Attainment’ (लक्ष्य प्राप्ति) है, जो समाज के लक्ष्यों को परिभाषित करने और प्राप्त करने की क्षमता है। ‘I’ का अर्थ ‘Integration’ (एकीकरण) है, जो प्रणाली के विभिन्न भागों के बीच समन्वय और सामंजस्य से संबंधित है। ‘L’ का अर्थ ‘Latency’ (व्यवस्था का रखरखाव/छुपा हुआ) है, जो प्रणाली के लिए सामाजिक पैटर्न को बनाए रखने और तनाव को प्रबंधित करने की क्षमता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प पैराडाइम के अन्य घटकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    प्रश्न 15: भारत में, ‘हरिजन’ (Harijan) शब्द किसके द्वारा गढ़ा गया था?

    1. महात्मा ज्योतिबा फुले
    2. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर
    3. महात्मा गांधी
    4. स्वामी विवेकानंद

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘हरिजन’ शब्द, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर के लोग’, भारत में अछूतों या दलितों के लिए महात्मा गांधी द्वारा गढ़ा गया था। उन्होंने इस शब्द का प्रयोग उन्हें सम्मानजनक और मानवीय तरीके से संदर्भित करने के लिए किया था, क्योंकि वे मानते थे कि ये लोग ईश्वर के प्रिय हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: गांधीजी ने अस्पृश्यता (Untouchability) के उन्मूलन के लिए व्यापक अभियान चलाया था।
    • गलत विकल्प: महात्मा ज्योतिबा फुले ने सत्यशोधक समाज की स्थापना की और दलितों के अधिकारों के लिए काम किया। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर स्वयं एक दलित नेता थे और उन्होंने दलितों के लिए संवैधानिक अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वामी विवेकानंद ने आध्यात्मिक सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया।

    प्रश्न 16: रॉबर्ट मर्टन के अनुसार, ‘अवसरवादिता’ (Opportunity) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

    1. समाज द्वारा स्वीकार्य साधन और लक्ष्य
    2. समाज द्वारा अस्वीकार्य साधन और लक्ष्य
    3. समाज द्वारा स्वीकार्य साधन और अस्वीकार्य लक्ष्य
    4. समाज द्वारा अस्वीकार्य साधन और स्वीकार्य लक्ष्य

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: रॉबर्ट मर्टन ने ‘समेकित विचलन सिद्धांत’ (Strain Theory of Anomie) में ‘अवसरवादिता’ (Opportunity) या ‘आकांक्षा’ (Conformity) को उन स्थितियों के रूप में परिभाषित किया जहाँ व्यक्ति सामाजिक रूप से स्वीकृत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सामाजिक रूप से स्वीकृत साधनों का उपयोग करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: मर्टन ने विचलन के पांच तरीकों का वर्णन किया: आकांक्षा (Conformity), नवाचार (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद (Retreatism) और विद्रोह (Rebellion)। यहाँ ‘अवसरवादिता’ का अर्थ साधनों और लक्ष्यों दोनों की स्वीकृति से है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प नवाचार, अनुष्ठानवाद, पलायनवाद और विद्रोह जैसी विचलन की विभिन्न प्रतिक्रियाओं का वर्णन करते हैं।

    प्रश्न 17: ‘अभिजन सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में कौन शामिल हैं?

    1. कार्ल मार्क्स
    2. मैक्स वेबर
    3. गाएतनो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो, रॉबर्ट मिचेल्स
    4. एमिल दुर्खीम

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: गाएतनो मोस्का, विल्फ्रेडो परेटो और रॉबर्ट मिचेल्स को अभिजन सिद्धांत के प्रमुख प्रतिपादकों के रूप में जाना जाता है। उनका मानना था कि सभी समाजों में, चाहे वे कितने भी लोकतांत्रिक क्यों न हों, एक अल्पसंख्यक अभिजन वर्ग शासन करता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: मोस्का ने ‘शासक वर्ग’ (Ruling Class) की बात की, परेटो ने ‘अभिजन के संचलन’ (Circulation of Elites) पर जोर दिया, और मिचेल्स ने ‘लघुगणन के लौह नियम’ (Iron Law of Oligarchy) का प्रतिपादन किया, जिसके अनुसार हर संगठन अंततः कुछ लोगों द्वारा शासित होता है।
    • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स वर्ग संघर्ष पर, मैक्स वेबर शक्ति और नौकरशाही पर, और एमिल दुर्खीम सामाजिक एकजुटता पर केंद्रित थे।

    प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन ‘परिवार’ (Family) के एक ‘आधुनिक’ (Modern) रूप की विशेषता को दर्शाता है?

    1. संयुक्त परिवार प्रणाली का प्रभुत्व
    2. विस्तारित नातेदारी संबंधों पर जोर
    3. नाभिकीय परिवार (Nuclear Family) का उदय
    4. बहुविवाह प्रथा का प्रचलन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: आधुनिक समाजों की एक प्रमुख विशेषता नाभिकीय परिवार (माता-पिता और उनके अविवाहित बच्चे) का उदय और प्रभुत्व है। पारंपरिक रूप से, संयुक्त परिवार (जहाँ कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं) या विस्तारित परिवार अधिक सामान्य थे।
    • संदर्भ एवं विस्तार: औद्योगीकरण, शहरीकरण, व्यक्तिवाद में वृद्धि और महिलाओं की बढ़ती आर्थिक स्वतंत्रता ने परिवार के आकार और संरचना में परिवर्तन को प्रेरित किया है।
    • गलत विकल्प: संयुक्त परिवार प्रणाली, विस्तारित नातेदारी और बहुविवाह पारंपरिक या गैर-पश्चिमी समाजों की विशेषताएँ हैं, न कि आधुनिक समाजों की।

    प्रश्न 19: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य केंद्रीय विचार क्या हैं?

    1. समाज का अध्ययन बड़े पैमाने पर संरचनाओं और संस्थानों के रूप में
    2. व्यक्तिगत अनुभवों और सामाजिक अंतःक्रियाओं में अर्थों का निर्माण
    3. समाज का अस्तित्व व्यक्तियों के बाहर एक ‘वास्तविकता’ के रूप में
    4. सत्ता, प्रभुत्व और शोषण के संघर्ष

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद इस विचार पर आधारित है कि समाज व्यक्तियों के बीच प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के उपयोग के माध्यम से होने वाली अंतःक्रियाओं से बनता है। लोग अपनी अंतःक्रियाओं के माध्यम से अर्थ बनाते हैं और उन्हें समझते हैं, और ये अर्थ उनके व्यवहार को निर्देशित करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह सिद्धांत व्यक्ति के स्तर पर सामाजिक जीवन के निर्माण और व्याख्या पर जोर देता है।
    • गलत विकल्प: (a) संरचनात्मक प्रकार्यवाद या मार्क्सवाद की ओर इशारा करता है। (c) प्रत्यक्षवाद (Positivism) या वस्तुनिष्ठता (Objectivism) के विचारों से मेल खाता है। (d) संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory) का एक केंद्रीय विषय है।

    प्रश्न 20: भारत में ‘जाति व्यवस्था’ (Caste System) की उत्पत्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत नहीं है?

    1. ईश्वरीय उत्पत्ति का सिद्धांत (Divine Origin Theory)
    2. व्यावसायिक सिद्धांत (Occupational Theory)
    3. आर्यों का आक्रमण सिद्धांत (Aryan Invasion Theory)
    4. जातिगत संबंध का सिद्धांत (Caste Relation Theory)

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: ‘जातिगत संबंध का सिद्धांत’ (Caste Relation Theory) जाति व्यवस्था की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाला कोई स्थापित सिद्धांत नहीं है। अन्य विकल्प जाति व्यवस्था की उत्पत्ति के संबंध में प्रमुख सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: ईश्वरीय उत्पत्ति का सिद्धांत (पुरूष सूक्त पर आधारित) कहता है कि वर्ण (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) ब्रह्मा के शरीर के विभिन्न अंगों से उत्पन्न हुए। व्यावसायिक सिद्धांत मानता है कि व्यवसाय के आधार पर विभाजन ही अंततः जाति व्यवस्था में विकसित हुआ। आर्यों के आक्रमण सिद्धांत के अनुसार, आर्यों ने स्थानीय आबादी पर प्रभुत्व स्थापित कर वर्ण व्यवस्था लागू की।
    • गलत विकल्प: ये सिद्धांत जाति व्यवस्था की उत्पत्ति को समझाने के लिए प्रस्तुत किए गए हैं।

    प्रश्न 21: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया का अर्थ क्या है?

    1. सभी समाजों का नास्तिक हो जाना
    2. सार्वजनिक जीवन में धर्म की घटती प्रासंगिकता और प्रभाव
    3. धार्मिक संस्थानों का मजबूत होना
    4. पारंपरिक धार्मिक अनुष्ठानों को बनाए रखना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: धर्मनिरपेक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें धर्म का सार्वजनिक क्षेत्र, राजनीति, शिक्षा, नैतिकता और व्यक्तिगत जीवन पर प्रभाव कम हो जाता है। धर्म व्यक्तिगत विश्वास या निजी जीवन का मामला बनकर रह जाता है, न कि सार्वजनिक या संस्थागत शक्ति का स्रोत।
    • संदर्भ एवं विस्तार: यह हमेशा नास्तिकता की ओर नहीं ले जाता, बल्कि समाज में धर्म की भूमिका और महत्व को कम करता है।
    • गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि धर्मनिरपेक्षीकरण का अर्थ नास्तिकता नहीं है। (c) और (d) धर्मनिरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विपरीत हैं।

    प्रश्न 22: मैक्स वेबर के अनुसार, नौकरशाही (Bureaucracy) की आदर्श-प्रारूप (Ideal-Type) की विशेषता क्या नहीं है?

    1. स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम
    2. लिखित नियमों और प्रक्रियाओं पर आधारित
    3. व्यक्तिगत संबंध और भावनाएं
    4. विशेषज्ञता और योग्यता के आधार पर नियुक्ति

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने नौकरशाही को दक्षता और तर्कसंगतता के लिए एक आदर्श-प्रारूप के रूप में प्रस्तुत किया। इसकी विशेषताओं में एक स्पष्ट अधिकार पदानुक्रम, नियमों और विनियमों का एक कठोर ढाँचा, विशेषज्ञता और योग्यता के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति, और अवैयक्तिक संबंध शामिल हैं। व्यक्तिगत संबंध और भावनाएँ नौकरशाही के अवैयक्तिक चरित्र के विपरीत हैं।
    • संदर्भ एवं विस्तार: वेबर का मानना था कि नौकरशाही आधुनिक समाज में तर्कसंगतता और पूंजीवाद के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) वेबर की आदर्श-प्रारूप नौकरशाही की प्रमुख विशेषताएँ हैं।

    प्रश्न 23: भारत में, ‘संयुक्त परिवार’ (Joint Family) की संरचना को सबसे अधिक चुनौती किस कारक से मिली है?

    1. पारंपरिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण
    2. महिलाओं की शिक्षा और रोजगार में वृद्धि
    3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास
    4. भूमि सुधारों का कार्यान्वयन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: महिलाओं की शिक्षा और रोजगार में वृद्धि ने संयुक्त परिवार की संरचना को महत्वपूर्ण रूप से चुनौती दी है। यह महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करता है, उन्हें अपने निर्णय लेने की शक्ति देता है, और उन्हें पारंपरिक पारिवारिक व्यवस्था से बाहर निकलने या उसमें बदलाव लाने के लिए सशक्त बनाता है। इससे अक्सर नाभिकीय परिवारों का उदय होता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: आधुनिक समाज में व्यक्तिवाद का उदय और काम की तलाश में शहरों की ओर प्रवास भी संयुक्त परिवार को प्रभावित करने वाले कारक हैं।
    • गलत विकल्प: पारंपरिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण संयुक्त परिवार का समर्थन करता है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था का विकास और भूमि सुधार संयुक्त परिवार को सीधे तौर पर कमजोर नहीं करते, बल्कि आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन के व्यापक रुझान इसे प्रभावित करते हैं।

    प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) से आप क्या समझते हैं?

    1. समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक स्थिति से दूसरी स्थिति में जाना
    2. समाज में व्यक्तियों का एक ही स्थान पर स्थिर रहना
    3. समाज में केवल ऊर्ध्वाधर (ऊपर की ओर) गति
    4. समाज में केवल क्षैतिज (स्थान परिवर्तन) गति

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है समाज में व्यक्तियों या समूहों का एक सामाजिक स्तर, स्थिति या समूह से दूसरे में स्थानांतरण। यह ऊर्ध्वाधर (ऊपर या नीचे की ओर) या क्षैतिज (समान स्तर पर लेकिन भिन्न स्थिति में) हो सकता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: इसमें आय, शिक्षा, व्यवसाय, या सामाजिक प्रतिष्ठा में परिवर्तन शामिल हो सकता है।
    • गलत विकल्प: (b) गतिशीलता का अभाव है। (c) केवल ऊर्ध्वाधर गतिशीलता के एक हिस्से को दर्शाता है। (d) केवल क्षैतिज गतिशीलता को दर्शाता है।

    प्रश्न 25: भारत में, ‘आधुनिकता’ (Modernity) की अवधारणा को अक्सर किस प्रक्रिया से जोड़ा जाता है?

    1. पारंपरिकता का संरक्षण
    2. पश्चिमीकरण और तर्कसंगतता का प्रसार
    3. स्थानीय संस्कृतियों का अलगाव
    4. धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व बढ़ना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सही उत्तर: भारत में, आधुनिकता की प्रक्रिया को अक्सर पश्चिमीकरण (पश्चिमी विचारों, संस्थानों और जीवन शैली को अपनाना) और तर्कसंगतता (जैसे वैज्ञानिक सोच, नौकरशाही, और धर्मनिरपेक्षीकरण) के प्रसार से जोड़ा जाता है। यह पारंपरिक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संरचनाओं में परिवर्तन लाता है।
    • संदर्भ एवं विस्तार: हालाँकि, भारतीय आधुनिकता की अपनी विशिष्टताएँ हैं और यह केवल पश्चिमीकरण की नकल नहीं है, बल्कि स्थानीय संदर्भों के साथ इसका अंतर्संबंध है।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) आधुनिकता के बजाय पारंपरिकता या उसके विपरीत प्रवृत्तियों का संकेत देते हैं।

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