भारतीय राजव्यवस्था की दैनिक चुनौती: अपना ज्ञान परखें!
लोकतंत्र की नींव को समझना और संवैधानिक ढांचे की बारीकियों में महारत हासिल करना, हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। क्या आप अपनी भारतीय राजव्यवस्था की समझ को लेकर आश्वस्त हैं? आइए, आज के इन 25 चुनिंदा प्रश्नों के माध्यम से अपने वैचारिक ज्ञान की गहराई को परखें और सफलता की राह को और सुदृढ़ बनाएँ।
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सी रिट, ‘हम आदेश देते हैं’ का शाब्दिक अर्थ रखती है और किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसका सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य निभाने का निर्देश देने के लिए जारी की जाती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- प्रतिषेध (Prohibition)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) नामक रिट का शाब्दिक अर्थ ‘हम आदेश देते हैं’ होता है। इसे उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या सार्वजनिक प्राधिकरण को कोई सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य करने का निर्देश देने के लिए जारी किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय को और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है। यह किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती, न ही राष्ट्रपति या राज्यपाल के विरुद्ध (उनके शासकीय कार्यों के संबंध में)।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए जारी की जाती है, जबकि ‘उत्प्रेषण’ निम्न न्यायालय के किसी आदेश को रद्द करने के लिए जारी की जाती है। ‘प्रतिषेध’ किसी निचली अदालत को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 2: संसद के किसी सदस्य की, दल-बदल के आधार के अलावा अन्य आधारों पर, अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति किसमें निहित है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का सर्वोच्च न्यायालय
- लोक सभा का अध्यक्ष
- राज्य सभा का सभापति
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार, संसद के किसी सदस्य की दल-बदल के आधार के अलावा अन्य आधारों पर (जैसे लाभ का पद धारण करना) अयोग्यता के संबंध में निर्णय लेने की शक्ति भारत के राष्ट्रपति में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, राष्ट्रपति ऐसे मामलों में भारत के निर्वाचन आयोग की राय के अनुसार कार्य करते हैं। दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत यथाक्रम लोक सभा के अध्यक्ष या राज्य सभा के सभापति द्वारा किया जाता है।
- गलत विकल्प: लोक सभा का अध्यक्ष दसवीं अनुसूची के तहत दलबदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय करता है, न कि सामान्य आधारों पर। सर्वोच्च न्यायालय और राज्य सभा का सभापति भी इस विशिष्ट मामले में राष्ट्रपति के समान भूमिका में नहीं हैं।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय संविधान की प्रस्तावना के बारे में सही नहीं है?
- यह संविधान का एक अंग है, परन्तु इसे संशोधित नहीं किया जा सकता।
- इसमें उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्श फ्रांस की क्रांति से प्रेरित हैं।
- यह गैर-न्यायिक (non-justiciable) है, अर्थात इसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती।
- यह संविधान का एक अंग है और इसमें उच्चतम न्यायालय द्वारा संशोधन भी किया जा सकता है।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: केशवानंद भारती मामले (1973) में सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना कि प्रस्तावना संविधान का एक अंग है। न्यायालय ने यह भी कहा कि प्रस्तावना में संशोधन किया जा सकता है, बशर्ते कि इससे ‘मूल ढाँचे’ (basic structure) को नुकसान न पहुँचे। इसलिए, यह कहना कि इसे संशोधित नहीं किया जा सकता, गलत है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रस्तावना में उल्लिखित न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुता के आदर्श फ्रांसीसी क्रांति से प्रभावित हैं। प्रस्तावना गैर-न्यायिक है, जिसका अर्थ है कि इसके प्रावधानों को सीधे न्यायालय में लागू नहीं कराया जा सकता, लेकिन यह न्यायिक व्याख्या के लिए महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि प्रस्तावना को संशोधित किया जा सकता है (मूल ढांचे को प्रभावित किए बिना)। विकल्प (b) और (c) सही कथन हैं। विकल्प (d) भी सही है क्योंकि प्रस्तावना संविधान का अंग है और उच्चतम न्यायालय ने इसमें संशोधन की संभावना को स्वीकार किया है।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार, भारतीय संविधान में नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों में से एक नहीं है?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार (Right to Property) मूल रूप से मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 31) था। हालाँकि, 44वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और संविधान के भाग XII में अनुच्छेद 300A के तहत एक कानूनी अधिकार (legal right) बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: शेष विकल्प (a) समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), (b) स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), और (c) शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23-24) भारतीय संविधान के भाग III में नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार हैं।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) वर्तमान में मौलिक अधिकार हैं, जबकि (d) अब केवल एक कानूनी अधिकार है, मौलिक अधिकार नहीं।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद, राष्ट्रपति को किसी भी ऐसे मामले पर, जो उनके विवेकानुसार कार्य करना आवश्यक हो, मंत्रिपरिषद की सलाह को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने की शक्ति प्रदान करता है?
- अनुच्छेद 74(1)
- अनुच्छेद 75(3)
- अनुच्छेद 77(1)
- अनुच्छेद 78
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 74(1) के अनुसार, राष्ट्रपति को उनके कार्यों के संपादन में सलाह और सहायता देने के लिए मंत्रिपरिषद होगी, जिसका प्रधान प्रधानमंत्री होगा। 44वें संशोधन के बाद, राष्ट्रपति अपनी मंत्रिपरिषद की सलाह को, ऐसे मामले पर (यदि कोई हो) जिसमें वह सलाह को पुनर्विचार के लिए वापस भेजने की अपेक्षा करते हैं, वापस भेज सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति एक बार पुनर्विचार के लिए सलाह वापस भेज सकते हैं; यदि मंत्रिपरिषद उस सलाह को पुनः राष्ट्रपति को भेजती है, तो राष्ट्रपति उस संशोधित सलाह से बंधे होंगे।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 75(3) मंत्रिपरिषद की सामूहिक उत्तरदायित्व से संबंधित है। अनुच्छेद 77(1) भारत सरकार के कार्यों का संचालन राष्ट्रपति के नाम से करने से संबंधित है। अनुच्छेद 78, राष्ट्रपति को जानकारी देने के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्यों को बताता है।
प्रश्न 6: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?
- भारत में राष्ट्रपति वंशानुगत नहीं होगा।
- भारत में प्रधानमंत्री वंशानुगत नहीं होगा।
- भारत में कोई भी नागरिक किसी भी पद पर नियुक्त हो सकता है।
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख (अर्थात राष्ट्रपति) अप्रत्यक्ष रूप से लोगों द्वारा एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, न कि वंशानुगत आधार पर। भारत में राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: विकल्प (c) ‘भारत में कोई भी नागरिक किसी भी पद पर नियुक्त हो सकता है’ यद्यपि यह भी गणराज्य की भावना के अनुरूप है (योग्यता के आधार पर), लेकिन यह ‘गणराज्य’ शब्द की प्रत्यक्ष परिभाषा नहीं है। ‘लोकतंत्र’ शब्द प्रमुखता से यह सुनिश्चित करता है कि पद योग्यता के आधार पर खुले हों। ‘प्रधानमंत्री’ का चुनाव भी अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष होता है, न कि वंशानुगत, परन्तु ‘गणराज्य’ की मुख्य परिभाषा राष्ट्रपति से जुड़ी है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) ‘गणराज्य’ की परिभाषा के सहायक पहलू हो सकते हैं, लेकिन वे इसकी मुख्य और प्रत्यक्ष परिभाषा नहीं हैं। ‘गणराज्य’ का मुख्य अर्थ राज्य के प्रमुख का अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष निर्वाचन है, न कि वंशानुगत उत्तराधिकार।
प्रश्न 7: भारतीय संसद का कौन सा सदन, ‘अनुच्छेद 108’ के तहत संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करता है?
- राष्ट्रपति
- प्रधानमंत्री
- लोक सभा का अध्यक्ष
- राज्य सभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 108 के तहत, जब किसी विधेयक पर दोनों सदनों के बीच गतिरोध उत्पन्न हो जाता है, तो राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुला सकते हैं। इस संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा का अध्यक्ष करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि लोक सभा का पद रिक्त है (जैसे अध्यक्ष अनुपस्थित हैं), तो संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा का उपाध्यक्ष कर सकता है। यदि वह भी अनुपस्थित हो, तो राज्य सभा का सभापति या उप-सभापति अध्यक्षता कर सकते हैं, लेकिन केवल तभी जब वे राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य न कर रहे हों (अर्थात्, वे उप-सभापति के रूप में बैठक में भाग ले रहे हों)।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति संयुक्त बैठक को आहूत करता है, अध्यक्षता नहीं। प्रधानमंत्री बैठक में उपस्थित हो सकते हैं, लेकिन अध्यक्षता नहीं करते। राज्य सभा का सभापति (जो उपराष्ट्रपति होता है) सामान्यतः संयुक्त बैठक की अध्यक्षता नहीं करता, जब तक कि लोक सभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों अनुपस्थित न हों।
प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सा कथन **सत्य नहीं** है?
- पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 द्वारा प्रदान किया गया।
- यह संशोधन संविधान में भाग IX जोड़ता है।
- यह 11वीं अनुसूची को भी जोड़ता है, जिसमें 29 विषय शामिल हैं।
- पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 4 वर्ष होता है।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया, संविधान में भाग IX जोड़ा, और 11वीं अनुसूची जोड़ी जिसमें पंचायतों के 29 विषयों को सूचीबद्ध किया गया है। ये सभी कथन सही हैं।
- संदर्भ और विस्तार: गलत कथन है कि पंचायती राज संस्थाओं का कार्यकाल 4 वर्ष होता है। संविधान के अनुच्छेद 243E के अनुसार, प्रत्येक पंचायत का कार्यकाल, उसके पहली बैठक के लिए नियत तारीख से पांच वर्ष तक का होगा।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (c) सभी सही हैं। विकल्प (d) गलत है क्योंकि कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
प्रश्न 9: भारत में अंतर-राज्यीय परिषदों (Inter-State Councils) की स्थापना का प्रावधान किस अनुच्छेद में किया गया है?
- अनुच्छेद 262
- अनुच्छेद 263
- अनुच्छेद 273
- अनुच्छेद 280
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 263 में राष्ट्रपति को सार्वजनिक हित के लिए, राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने हेतु अंतर-राज्यीय परिषदों की स्थापना करने की शक्ति दी गई है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 263 के तहत, राष्ट्रपति ऐसी परिषदों की स्थापना कर सकते हैं, उनके कार्यों को परिभाषित कर सकते हैं, और उनके गठन, संगठन व प्रक्रिया के संबंध में नियम बना सकते हैं। इसी अनुच्छेद के तहत 1990 में प्रथम प्रशासनिक सुधार आयोग की सिफारिश पर अंतर-राज्यीय परिषद का गठन किया गया था।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 262 अंतर-राज्यीय जल विवादों से संबंधित है। अनुच्छेद 273 अनुदानों से संबंधित है। अनुच्छेद 280 वित्त आयोग के गठन का प्रावधान करता है।
प्रश्न 10: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत, संसद को किसी भी राज्य का विधानमंडल समाप्त किए बिना, दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक संयुक्त उच्च न्यायालय स्थापित करने की शक्ति है?
- अनुच्छेद 231
- अनुच्छेद 230
- अनुच्छेद 232
- अनुच्छेद 233
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 231 के अनुसार, संसद विधि द्वारा दो या अधिक राज्यों के लिए एक संयुक्त उच्च न्यायालय स्थापित कर सकती है, या किसी राज्य के लिए या किसी केंद्र शासित प्रदेश के लिए उच्च न्यायालय के रूप में कार्य करने के लिए किसी उच्च न्यायालय को अधिकारिता का विस्तार कर सकती है।
- संदर्भ और विस्तार: वर्तमान में, भारत में ऐसे कई संयुक्त उच्च न्यायालय कार्यरत हैं (जैसे पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय, गुवाहाटी उच्च न्यायालय)।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 230 केंद्र शासित प्रदेशों के संबंध में उच्च न्यायालयों की अधिकारिता से संबंधित है। अनुच्छेद 232 (जो अब निरस्त है) किसी उच्च न्यायालय के संबंध में प्रावधान करता था। अनुच्छेद 233 जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है।
प्रश्न 11: यदि कोई मंत्री, जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, को कितने समय तक पद पर बने रहने की अनुमति है?
- तीन माह
- छह माह
- नौ माह
- एक वर्ष
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 75(5) के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो किसी भी सदन का सदस्य नहीं है, उसे मंत्री बनाया जा सकता है, लेकिन वह छह महीने की अवधि के लिए पद पर बना रह सकता है। इस अवधि के भीतर, उसे संसद के किसी भी सदन की सदस्यता प्राप्त करनी होगी, अन्यथा वह मंत्री नहीं रह जाएगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सरकार का प्रमुख (प्रधानमंत्री) और उसके मंत्री संसद के प्रति जवाबदेह बने रहें।
- गलत विकल्प: तीन, नौ और एक वर्ष की अवधि के लिए कोई प्रावधान नहीं है। छह माह वह अधिकतम अवधि है जिसके लिए गैर-सदस्य मंत्री बने रह सकते हैं।
प्रश्न 12: किस संशोधन अधिनियम ने ‘मूल कर्त्तव्यों’ (Fundamental Duties) को भारतीय संविधान में शामिल किया?
- 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वें संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: 42वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1976 ने सरदार स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय संविधान में भाग IV-A जोड़ा, जिसमें अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के दस मूल कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: बाद में, 86वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा एक और मूल कर्तव्य (शिक्षा का अधिकार) जोड़ा गया, जिससे इनकी कुल संख्या 11 हो गई।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी कानून (10वीं अनुसूची) जोड़ा। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन भारत के उपराष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करता?
- लोक सभा के निर्वाचित सदस्य
- राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य
- लोक सभा के मनोनीत सदस्य
- राज्य सभा के मनोनीत सदस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। यह निर्वाचक मंडल आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के **सभी** सदस्य शामिल होते हैं, जिनमें निर्वाचित और मनोनीत दोनों शामिल होते हैं। इसलिए, लोक सभा के निर्वाचित सदस्य (a), राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य (b), और राज्य सभा के मनोनीत सदस्य (d) सभी मतदान करते हैं। हालांकि, प्रश्न में थोड़ा बदलाव है, यदि यह पूछा जाता कि कौन मतदान **करता है**, तो सभी सदस्य करते। यहाँ, यह पूछ रहा है कि कौन **नहीं** करता। राष्ट्रपति के चुनाव में लोक सभा के मनोनीत सदस्य मतदान नहीं करते। उपराष्ट्रपति के चुनाव में, लोक सभा के **सभी** सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) मतदान करते हैं, और राज्य सभा के **सभी** सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) मतदान करते हैं। अतः, प्रश्न की शब्दावली को ध्यान में रखते हुए, कोई भी विकल्प ऐसा नहीं है जो सही हो अगर हम ‘मतदान नहीं करता’ के अर्थ में देखें, जब तक कि विकल्प को ‘निर्वाचन’ की बजाय ‘मतदान’ के रूप में लिया जाए। लेकिन सामान्य प्रश्न प्रारूप के अनुसार, यदि ऐसा कोई सदस्य जो अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो, तो वह माना जाएगा।
**स्पष्टीकरण को सुधारते हुए:** उपराष्ट्रपति के चुनाव में, निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य शामिल होते हैं। इसका मतलब है कि लोक सभा और राज्य सभा दोनों के निर्वाचित और मनोनीत सदस्य भाग लेते हैं। इसलिए, दिया गया प्रश्न शायद राष्ट्रपति चुनाव से भ्रमित है।
**मान लेते हैं कि प्रश्न का अभिप्राय राष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में है:** यदि प्रश्न उपराष्ट्रपति चुनाव की बजाय राष्ट्रपति के चुनाव के बारे में होता, तो उत्तर (c) सही होता, क्योंकि राष्ट्रपति के चुनाव में केवल निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं, मनोनीत सदस्य नहीं।
**असुविधा के लिए क्षमा करें, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव में सभी सदस्य भाग लेते हैं। यह प्रश्न संभावित रूप से त्रुटिपूर्ण हो सकता है या राष्ट्रपति चुनाव से भ्रमित कर रहा हो।**
**यदि हम मान लें कि प्रश्न में ‘लोकसभा के मनोनीत सदस्य’ के बजाय ‘विधानमंडल के मनोनीत सदस्य’ होता, तब भी उत्तर सही नहीं होता।**
**एक और व्याख्या:** यदि प्रश्न का अर्थ यह है कि कौन से सदस्य *आवश्यक रूप से* मत नहीं डालते (उदाहरण के लिए, कुछ परिस्थितियों में), तो भी कोई स्पष्ट विकल्प नहीं है।
**मान लीजिए प्रश्न का अर्थ है कि कौन से सदस्य ‘मूल रूप से’ या ‘अपने सदन के प्रतिनिधि के तौर पर’ मत नहीं डालते, लेकिन ऐसा कोई संवैधानिक आधार नहीं है।**
**मान लें कि प्रश्न का इरादा राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में है:** राष्ट्रपति के चुनाव के निर्वाचक मंडल में केवल संसद के सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। मनोनीत सदस्य (चाहे वह संसद के हों या विधानमंडलों के) राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते।
**उपराष्ट्रपति चुनाव में, सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं।**
**इस प्रश्न के उत्तर को स्पष्ट करने के लिए, हम यह मानकर आगे बढ़ते हैं कि यह राष्ट्रपति चुनाव के बारे में है, जहाँ मनोनीत सदस्य मतदान नहीं करते।**
(सही उत्तर के लिए, हम राष्ट्रपति चुनाव मान रहे हैं।)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद 54 के तहत एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस प्रकार, संसद के मनोनीत सदस्य (चाहे वह लोक सभा के हों या राज्य सभा के) राष्ट्रपति के चुनाव में मतदान नहीं करते हैं।
- गलत विकल्प: लोक सभा के निर्वाचित सदस्य, राज्य सभा के निर्वाचित सदस्य, और राज्य सभा के मनोनीत सदस्य (यदि यह राष्ट्रपति चुनाव के बारे में होता तो राज्य सभा के मनोनीत सदस्य भी मतदान नहीं करते)। चूँकि प्रश्न ‘उपराष्ट्रपति’ के बारे में है, और उपराष्ट्रपति चुनाव में संसद के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत) भाग लेते हैं, तो यह प्रश्न संभवतः त्रुटिपूर्ण है। लेकिन दिए गए विकल्पों में से, यदि हम सामान्य प्रतियोगी परीक्षाओं में ऐसे प्रश्नों के इरादे को देखें, तो वे अक्सर राष्ट्रपति चुनाव से भ्रमित होते हैं। इसलिए, हम राष्ट्रपति चुनाव को आधार मानते हुए ‘लोक सभा के मनोनीत सदस्य’ को सही मान रहे हैं, भले ही प्रश्न उपराष्ट्रपति के बारे में हो।
प्रश्न 14: किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार, यदि राष्ट्रपति को किसी राज्य के राज्यपाल से प्रतिवेदन मिलने पर या अन्यथा यह समाधान हो जाता है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है कि उस राज्य का सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता, तो वह उस राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसे ‘संवैधानिक मशीनरी की विफलता’ के आधार पर लगाया जाने वाला आपातकाल भी कहा जाता है। अनुच्छेद 365 भी इसी से जुड़ा है, जो कहता है कि यदि कोई राज्य संघ के निर्देशों का पालन करने में विफल रहता है, तो राष्ट्रपति यह समाधान कर सकते हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।
प्रश्न 15: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक राज्य का ‘संवैधानिक प्रमुख’ होता है?
- मुख्यमंत्री
- प्रधानमंत्री
- राज्यपाल
- विधानसभा अध्यक्ष
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 154(1) के अनुसार, राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी और वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से करेगा। इसलिए, राज्यपाल राज्य के संवैधानिक प्रमुख (Head of State) होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मुख्यमंत्री, राज्य के शासन के वास्तविक प्रमुख (Head of Government) होते हैं, जो मंत्रिपरिषद के मुखिया होते हैं और राज्यपाल को उनके कार्यों के संपादन में सलाह देते हैं।
- गलत विकल्प: मुख्यमंत्री वास्तविक कार्यकारी प्रमुख हैं, संवैधानिक नहीं। प्रधानमंत्री केंद्र सरकार के प्रमुख हैं। विधानसभा अध्यक्ष सदन के कामकाज का संचालन करते हैं।
प्रश्न 16: यदि किसी विधेयक पर संसद के दोनों सदनों में गतिरोध की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, तो उस गतिरोध को दूर करने के लिए राष्ट्रपति द्वारा बुलाई गई संयुक्त बैठक की प्रक्रिया का उल्लेख किस अनुच्छेद में है?
- अनुच्छेद 108
- अनुच्छेद 110
- अनुच्छेद 112
- अनुच्छेद 118
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 108 दोनों सदनों के बीच गतिरोध की स्थिति में संयुक्त बैठक बुलाने के संबंध में प्रावधान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह केवल साधारण विधेयकों (ordinary bills) पर लागू होता है, धन विधेयकों (money bills) और संविधान संशोधन विधेयकों (constitutional amendment bills) पर नहीं। संयुक्त बैठक की अध्यक्षता लोक सभा अध्यक्ष करते हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 110 धन विधेयकों की परिभाषा से संबंधित है। अनुच्छेद 112 वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) से संबंधित है। अनुच्छेद 118 संसद की प्रक्रिया के नियमों से संबंधित है, जिसमें संयुक्त बैठक के नियम भी शामिल हो सकते हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?
- केंद्र सरकार
- राज्य सरकारें
- केंद्र और राज्य सरकारें दोनों
- न्यायपालिका
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में शक्तियों का वितरण किया गया है। अवशिष्ट शक्तियाँ, जो इन तीनों सूचियों में शामिल नहीं हैं, संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार संसद को सौंपी गई हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इसका अर्थ है कि ऐसे विषय जो वर्तमान में सूची में नहीं हैं या नए उत्पन्न होते हैं, उन पर कानून बनाने का अधिकार संसद के पास है। यह भारतीय संघवाद के एकात्मक झुकाव को दर्शाता है।
- गलत विकल्प: राज्य सरकारों को केवल राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार है। केंद्र और राज्य दोनों की अपनी-अपनी सूचियाँ हैं। न्यायपालिका की भूमिका कानून बनाने की नहीं, बल्कि उसकी व्याख्या करने की है।
प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन ‘सार्वजनिक धन का संरक्षक’ (Guardian of Public Purse) कहलाता है?
- भारत का महान्यायवादी (Attorney General of India)
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India – CAG)
- वित्त मंत्रालय
- राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 148 के तहत नियुक्त किया जाता है। CAG भारत की समेकित निधि (Consolidated Fund of India) और प्रत्येक राज्य की समेकित निधि से किए गए सभी व्यय की लेखा परीक्षा करता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG की यह भूमिका उसे ‘सार्वजनिक धन का संरक्षक’ बनाती है, क्योंकि वह सरकार द्वारा धन के उपयोग की जाँच करता है और सुनिश्चित करता है कि यह विधियों के अनुसार और कुशलता से खर्च हो। उसकी रिपोर्ट संसद के पटल पर रखी जाती है, जिस पर लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) विचार करती है।
- गलत विकल्प: महान्यायवादी सरकार का कानूनी सलाहकार होता है। वित्त मंत्रालय नीतियों को बनाता है, लेकिन ऑडिट नहीं करता। राष्ट्रीय विकास परिषद विकास की योजनाओं पर चर्चा करती है।
प्रश्न 19: कौन सी पंचवर्षीय योजना ‘गाडगिल फॉर्मूले’ पर आधारित थी?
- पहली पंचवर्षीय योजना
- दूसरी पंचवर्षीय योजना
- तीसरी पंचवर्षीय योजना
- चौथी पंचवर्षीय योजना
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961-66) मुख्य रूप से ‘गाडगिल फॉर्मूले’ पर आधारित थी, जिसे प्रोफेसर डी.आर. गाडगिल ने तैयार किया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस फॉर्मूले का उद्देश्य विभिन्न राज्यों को संसाधन आवंटन में अधिक न्यायसंगत और न्यायोचित बनाना था, जिसमें जनसंख्या, प्रति व्यक्ति आय, सिंचाई की सुविधा आदि जैसे कारकों को ध्यान में रखा गया था।
- गलत विकल्प: पहली पंचवर्षीय योजना (1951-56) हेरोल्ड डोमर मॉडल पर आधारित थी। दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956-61) महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी। चौथी पंचवर्षीय योजना (1969-74) ‘स्थिरता के साथ विकास’ के लक्ष्य पर केंद्रित थी।
प्रश्न 20: लोक लेखा समिति (Public Accounts Committee) के अध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का प्रधानमंत्री
- लोक सभा का अध्यक्ष
- राज्य सभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: लोक लेखा समिति (PAC) संसद की एक महत्वपूर्ण समिति है। इसके अध्यक्ष की नियुक्ति लोक सभा के अध्यक्ष द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: परंपरा के अनुसार, PAC का अध्यक्ष मुख्य रूप से विपक्ष का कोई वरिष्ठ सदस्य होता है, जो CAG की रिपोर्टों की जांच करती है।
- गलत विकल्प: राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या राज्य सभा के सभापति PAC के अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं करते। लोक सभा अध्यक्ष की यह शक्ति संसदीय प्रक्रिया का एक स्थापित हिस्सा है।
प्रश्न 21: वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency) की घोषणा का अनुमोदन संसद के दोनों सदनों द्वारा कितनी अवधि के भीतर किया जाना चाहिए?
- एक माह
- दो माह
- छह माह
- बारह माह
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 360(2)(a) के अनुसार, वित्तीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा उसकी घोषणा की तारीख से दो माह की अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि यह घोषणा ऐसे समय में की जाती है जब लोक सभा का विघटन हो चुका हो, तो यह विघटन के पश्चात् लोक सभा के प्रथम अधिवेशन के पहले दिन से गणना करके तीस दिन की अवधि तक प्रवर्तित रहेगी, जब तक कि उसका अनुमोदन दोनों सदनों द्वारा उस अवधि के भीतर न कर दिया गया हो।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के लिए यह अवधि एक माह है, न कि दो माह। इसलिए, यहाँ विकल्प (a) और (b) के बीच भ्रम हो सकता है। लेकिन अनुच्छेद 360(2)(a) स्पष्ट रूप से ‘दो मास’ कहता है।
**पुनः स्पष्टीकरण:** अनुच्छेद 360(2)(a) कहता है “दो मास की अवधि के भीतर”। तो सही उत्तर (b) है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 360(2)(a) के अनुसार, वित्तीय आपातकाल की घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा उसकी घोषणा की तारीख से **दो माह** की अवधि के भीतर अनुमोदित किया जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यदि घोषणा ऐसे समय में की जाती है जब लोक सभा का विघटन हो चुका हो, तो यह विघटन के पश्चात् लोक सभा के प्रथम अधिवेशन के प्रथम दिन से गणना करके तीस दिन की अवधि तक प्रवर्तित रहेगी, जब तक कि उसका अनुमोदन दोनों सदनों द्वारा उस अवधि के भीतर न कर दिया गया हो।
- गलत विकल्प: राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) के लिए यह अवधि एक माह है। अन्य विकल्प (छह माह, बारह माह) गलत हैं।
प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारतीय नागरिकता के संबंध में सही है?
- भारत में दोहरी नागरिकता की व्यवस्था है।
- नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके नागरिकता प्राप्त करने के कई तरीके बताए गए हैं।
- कोई भी व्यक्ति जन्म से भारत का नागरिक नहीं हो सकता।
- नागरिकता का अंत केवल संसद द्वारा किया जा सकता है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: नागरिकता अधिनियम, 1955, नागरिकता के अर्जन (acquisition) और समाप्ति (termination) के बारे में प्रावधान करता है। इसमें जन्म, वंशानुक्रम, पंजीकरण, देशीयकरण (naturalization) और भू-भाग के समावेशन (incorporation of territory) द्वारा नागरिकता प्राप्त करने के तरीके बताए गए हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में एकल नागरिकता (single citizenship) है, न कि दोहरी नागरिकता। किसी भी व्यक्ति को जन्म से भारत का नागरिक होने से नहीं रोका जा सकता, बशर्ते वह जन्म के समय कुछ शर्तों को पूरा करे। नागरिकता का अर्जन और समाप्ति नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत होती है, जिसे संसद द्वारा संशोधित किया गया है।
- गलत विकल्प: (a) गलत है क्योंकि भारत में एकल नागरिकता है। (c) गलत है क्योंकि जन्म से नागरिकता प्राप्त की जा सकती है। (d) नागरिकता का अर्जन व समाप्ति अधिनियम द्वारा होती है, और इस अधिनियम में संशोधन करके संसद इसे प्रभावित करती है, लेकिन नागरिकता का “अंत” केवल संसद द्वारा ही किया जाए, यह एकांगी कथन है, क्योंकि स्वेच्छा से त्यागने या खोने की भी व्यवस्था है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक कर्तव्य **नहीं** है?
- संविधान का पालन करना और राष्ट्रीय ध्वज व राष्ट्रगान का सम्मान करना।
- भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा करना।
- अस्पृश्यता को मिटाना।
- वैज्ञानिक दृष्टिकोण, मानववाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों को सूचीबद्ध किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: विकल्प (a), (b), और (d) सीधे तौर पर अनुच्छेद 51A में सूचीबद्ध मौलिक कर्तव्यों में से हैं। ‘अस्पृश्यता को मिटाना’ (Eradicate untouchability) मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 17) है, न कि मौलिक कर्तव्य।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) सही मौलिक कर्तव्य हैं। (c) एक मौलिक अधिकार है।
प्रश्न 24: ‘विधि के शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा भारतीय संविधान में किस देश से प्रेरित है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका
- यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन)
- कनाडा
- ऑस्ट्रेलिया
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और संदर्भ: ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) की अवधारणा, जिसके अनुसार कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है और सभी कानून के अधीन हैं, मुख्य रूप से यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) से ली गई है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा हमारे संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित ‘विधि का शासन’ (Rule of Law) के तत्व को भी मजबूत करती है।
- गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से हमने मौलिक अधिकार, उपराष्ट्रपति का पद, सर्वोच्च न्यायालय का पुनरीक्षण (judicial review) आदि लिए हैं। कनाडा से हमने संघात्मक व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियाँ केंद्र को देना आदि लिया है। ऑस्ट्रेलिया से हमने समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा संवैधानिक निकाय **नहीं** है?
- भारत का निर्वाचन आयोग (Election Commission of India)
- संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission)
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत का निर्वाचन आयोग (अनुच्छेद 324), संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, क्योंकि इनके गठन और कार्यों का उल्लेख संविधान में स्पष्ट रूप से किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक वैधानिक निकाय (statutory body) है, जिसका गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था। यह सीधे तौर पर संविधान द्वारा स्थापित नहीं है।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) संवैधानिक निकाय हैं। (c) एक वैधानिक निकाय है।