संवैधानिक पकड़: रोज़ाना 25 प्रश्न
लोकतंत्र के आधार स्तंभों को समझने की आपकी प्रतिबद्धता ही आपको परीक्षा में सफलता दिलाएगी! आइए, आज फिर से भारतीय राजव्यवस्था के गहन ज्ञान का परीक्षण करें और अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें। हर प्रश्न के साथ, अपने ज्ञान को निखारें और परीक्षा के लिए और भी मजबूत बनें!
भारतीय राजव्यवस्था और संविधान अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: भारतीय संविधान के किस भाग में ‘राज्य के नीति निदेशक तत्व’ (DPSP) वर्णित हैं?
- भाग III
- भाग IV
- भाग V
- भाग VI
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IV, अनुच्छेद 36 से 51 तक, राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) से संबंधित है। ये तत्व संविधान निर्माताओं द्वारा शासन के लिए मार्गदर्शक सिद्धांतों के रूप में शामिल किए गए थे।
- संदर्भ और विस्तार: DPSP, आयरलैंड के संविधान से प्रेरित हैं। ये अदालतों द्वारा प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य द्वारा इन सिद्धांतों को लागू करना राज्य का कर्तव्य होगा (अनुच्छेद 37)।
- गलत विकल्प: भाग III मौलिक अधिकारों से संबंधित है, भाग V संघ की कार्यपालिका और विधायिका से, और भाग VI राज्यों की कार्यपालिका और विधायिका से संबंधित है।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी रिट ‘हम आदेश देते हैं’ का शाब्दिक अर्थ रखती है और किसी सार्वजनिक अधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य को करने का निर्देश देती है?
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
- परमादेश (Mandamus)
- प्रतिषेध (Prohibition)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus), जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’, एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निचली अदालत, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकरण को उसके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य को करने का निर्देश देने के लिए जारी की जाने वाली रिट है। यह शक्ति सर्वोच्च न्यायालय को अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
- संदर्भ और विस्तार: यह रिट केवल सार्वजनिक प्राधिकरणों के विरुद्ध जारी की जा सकती है, न कि किसी निजी व्यक्ति या निकाय के विरुद्ध। यह एक अनिवार्य रिट है जो किसी कार्य को करने का निर्देश देती है।
- गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी व्यक्ति को अदालत में पेश करने की मांग करती है। ‘प्रतिषेध’ किसी निचली अदालत को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने से रोकने के लिए जारी की जाती है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निचली अदालत के निर्णय को रद्द करने के लिए जारी की जाती है।
प्रश्न 3: भारत के संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन भारत के संसद का एक अभिन्न अंग है, लेकिन वह उसमें भाग नहीं लेता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- उपराष्ट्रपति
- भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के अनुसार, भारत के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति, और दो सदन (जिन्हें क्रमशः राज्य सभा और लोक सभा कहा जाता है) शामिल होंगे। इस प्रकार, राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग है।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि राष्ट्रपति संसद का अंग है, वह न तो किसी भी सदन में बैठता है, न ही भाग लेता है, और न ही उसका कोई कार्य करता है। वह संसद द्वारा पारित विधेयकों को अपनी स्वीकृति देता है।
- गलत विकल्प: उपराष्ट्रपति, राज्यसभा का पदेन सभापति होता है और संसद का सदस्य होता है। CAG और मुख्य निर्वाचन आयुक्त संवैधानिक निकाय हैं लेकिन संसद के अभिन्न अंग नहीं हैं।
प्रश्न 4: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़े गए?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 ने प्रस्तावना में तीन नए शब्द जोड़े: ‘संप्रभु, लोकतांत्रिक गणराज्य’ के स्थान पर ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ किया गया, और ‘राष्ट्र की एकता’ के स्थान पर ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ किया गया।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन मिनी-कॉन्स्टीट्यूशन के रूप में भी जाना जाता है। इसने राज्य के नीति निदेशक तत्वों को मौलिक अधिकारों पर वरीयता भी दी। ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द भारतीय गणराज्य के आदर्शों को और स्पष्ट करते हैं।
- गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर कानूनी अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दलबदल विरोधी प्रावधान जोड़े। 61वें संशोधन ने मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की।
प्रश्न 5: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने व्यवस्था दी कि प्रस्तावना संविधान का एक ‘आधारभूत ढाँचा’ (Basic Structure) है?
- ए.के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
- केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
- मेनका गांधी बनाम भारत संघ
- गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की 13-न्यायाधीशों की पीठ ने यह व्यवस्था दी कि प्रस्तावना संविधान का एक अंग है और संविधान के मूल ढांचे (Basic Structure) का हिस्सा है।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय ने संसद की संविधान में संशोधन करने की शक्ति को कुछ सीमाओं के अधीन किया। संसद संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती, जिसमें प्रस्तावना भी शामिल है। यह निर्णय भारतीय संवैधानिक कानून में एक मील का पत्थर साबित हुआ।
- गलत विकल्प: ए.के. गोपालन मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निर्णय हुआ। मेनका गांधी मामले ने अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया। गोलकनाथ मामले में यह कहा गया था कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती, जिसे बाद में केशवानंद भारती मामले में पलट दिया गया।
प्रश्न 6: भारत के संविधान के तहत, निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘राज्य’ की परिभाषा को परिभाषित करता है, जिसमें संसद और प्रत्येक राज्य की विधानमंडल भी शामिल हैं?
- अनुच्छेद 12
- अनुच्छेद 13
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 12 ‘राज्य’ को परिभाषित करता है। इस परिभाषा में भारत सरकार और संसद, प्रत्येक राज्य की सरकार और विधानमंडल, और भारत के क्षेत्र के भीतर या भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र के अधीन सभी स्थानीय और अन्य प्राधिकारी शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: मौलिक अधिकारों के संदर्भ में ‘राज्य’ की यह व्यापक परिभाषा महत्वपूर्ण है, क्योंकि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन केवल ‘राज्य’ द्वारा ही हो सकता है (जिन्हें अनुच्छेद 12 में परिभाषित किया गया है) और ऐसी रिट जारी करने का अधिकार है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 13 ‘विधियों को शून्य घोषित करने की शक्ति’ से संबंधित है। अनुच्छेद 14 ‘विधि के समक्ष समानता’ की बात करता है। अनुच्छेद 15 ‘धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध’ करता है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी भारतीय संविधान की एक विशेषता है जिसे ‘लचीला’ (Flexible) संविधान माना जाता है?
- संशोधन प्रक्रिया की कठोरता
- संघीय प्रणाली
- दोहरी नागरिकता
- न्यायपालिका की स्वतंत्रता
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: जिस संविधान में कुछ प्रावधानों को साधारण बहुमत से और कुछ को विशेष बहुमत या विशेष बहुमत के साथ-साथ राज्यों के अनुसमर्थन से संशोधित किया जा सकता है, वह लचीला भी और कठोर भी कहलाता है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 368 संशोधन प्रक्रिया निर्धारित करता है, जो कुछ मायनों में कठोर (जैसे विशेष बहुमत) और कुछ मायनों में लचीला (जैसे साधारण बहुमत से कुछ संशोधन) है। हालाँकि, यह प्रश्न ‘लचीला’ होने के पहलू पर केंद्रित है।
- संदर्भ और विस्तार: भारतीय संविधान संशोधन के मामले में पूर्णतः कठोर (जैसे अमेरिकी संविधान) या पूर्णतः लचीला (जैसे ब्रिटिश संविधान) नहीं है। कुछ संशोधन, जैसे कि अनुच्छेद 368(2) के पहले प्रोवो (parliament) द्वारा विशेष बहुमत से किए जाने वाले, तुलनात्मक रूप से अधिक लचीले माने जा सकते हैं।
- गलत विकल्प: संघीय प्रणाली, दोहरी नागरिकता (जो भारत में नहीं है) और न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की कठोरता या अन्य विशेषताएं हैं, न कि लचीलेपन के कारण।
प्रश्न 8: भारत में ‘मौलिक कर्तव्यों’ को किस संविधान संशोधन द्वारा जोड़ा गया?
- 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976
- 44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978
- 52वाँ संशोधन अधिनियम, 1985
- 61वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा संविधान में एक नया भाग IV-A जोड़ा गया, जिसमें अनुच्छेद 51A के तहत नागरिकों के लिए दस मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान किया गया। बाद में 86वें संशोधन, 2002 द्वारा एक और मौलिक कर्तव्य जोड़ा गया।
- संदर्भ और विस्तार: ये कर्तव्य स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिशों के आधार पर जोड़े गए थे, जिसका उद्देश्य नागरिकों को राष्ट्र निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना था।
- गलत विकल्प: अन्य संशोधन अधिनियमों के बारे में ऊपर बताया गया है।
प्रश्न 9: भारत के राष्ट्रपति के चुनाव में कौन भाग लेते हैं?
- केवल लोकसभा के सदस्य
- केवल राज्यसभा के सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के सभी सदस्य
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य तथा राज्यों की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 54 के अनुसार, राष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और राज्य विधान मंडलों (विधान सभाओं) के निर्वाचित सदस्यों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें मनोनीत सदस्य भाग नहीं लेते हैं। दिल्ली और पुडुचेरी (और अब जम्मू-कश्मीर भी, यदि विधानमंडल हो) की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भी भाग लेते हैं।
- गलत विकल्प: केवल एक सदन के सदस्य या सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों) राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लेते हैं।
प्रश्न 10: भारत के प्रधान मंत्री को निम्नलिखित में से किसके द्वारा नियुक्त किया जाता है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का उपराष्ट्रपति
- लोकसभा के अध्यक्ष
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 75(1) के अनुसार, प्रधान मंत्री की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति उस व्यक्ति को प्रधान मंत्री नियुक्त करता है जिसे लोकसभा में बहुमत का विश्वास प्राप्त हो। व्यवहार में, यह आमतौर पर उस राजनीतिक दल या गठबंधन का नेता होता है जो लोकसभा चुनाव जीतता है।
- गलत विकल्प: अन्य पद कार्यकारी या न्यायिक प्रमुख होते हैं और सीधे तौर पर प्रधान मंत्री की नियुक्ति से संबंधित नहीं हैं।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से कौन सा अनुच्छेद ‘संसद के सत्र बुलाने’ और ‘सत्र अवसान’ से संबंधित है?
- अनुच्छेद 85
- अनुच्छेद 86
- अनुच्छेद 87
- अनुच्छेद 88
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 85 राष्ट्रपति के लिए संसद के सत्र बुलाने (summon), सत्रावसान (prorogue) करने और लोकसभा को भंग करने की शक्ति प्रदान करता है।
- संदर्भ और विस्तार: सत्र बुलाने का अर्थ है संसद की बैठक शुरू करना, जबकि सत्रावसान का अर्थ है सत्र को समाप्त करना (बिना भंग किए)। लोकसभा को राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत ही पद धारण करने वाले प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर भंग किया जा सकता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति को सदनों को संबोधित करने का अधिकार देता है, अनुच्छेद 87 विशेष अभिभाषण से संबंधित है, और अनुच्छेद 88 मंत्रियों और महान्यायवादी को सदनों में बोलने का अधिकार देता है।
प्रश्न 12: भारत में ‘संसदीय विशेषाधिकार’ (Parliamentary Privileges) संविधान के किस अनुच्छेद के तहत परिभाषित किए गए हैं?
- अनुच्छेद 105
- अनुच्छेद 106
- अनुच्छेद 107
- अनुच्छेद 108
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 संसद सदस्यों के विशेषाधिकारों और उन्मुक्तियों से संबंधित है। इसके अनुसार, प्रत्येक सदन के प्रत्येक सदन के सदस्य के रूप में उनके द्वारा किए गए या किए जाने वाले किसी भी कार्य के संबंध में उन्हें कुछ विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ प्राप्त होंगी।
- संदर्भ और विस्तार: ये विशेषाधिकार बोलने की स्वतंत्रता, सदन में मतदान करने की स्वतंत्रता, किसी भी विधायी कार्यवाही में भाग लेने की स्वतंत्रता और सदन के सत्रों के दौरान कुछ मामलों में गिरफ्तारी से उन्मुक्ति प्रदान करते हैं। ये विशेषाधिकार ‘संसदीय संप्रभुता’ को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 106 सदस्यों के वेतन भत्तों से, 107 विधेयकों के पुरःस्थापन से, और 108 संयुक्त बैठक से संबंधित है।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सर्वोच्च न्यायालय के ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ (Judicial Review) के संबंध में सही है?
- यह केवल कार्यकारी कार्यों की समीक्षा तक सीमित है।
- यह संसद द्वारा पारित किसी भी कानून को अमान्य कर सकता है यदि वह संविधान के विपरीत हो।
- यह संविधान के अनुच्छेद 13 में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
- सर्वोच्च न्यायालय के पास यह शक्ति नहीं है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: न्यायिक पुनर्विलोकन वह शक्ति है जिसके तहत सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय किसी भी कानून या कार्यकारी कार्रवाई की संवैधानिकता की जाँच कर सकते हैं। यदि कोई कानून या कार्रवाई संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करती है, तो उसे असंवैधानिक घोषित किया जा सकता है। यह शक्ति संविधान में प्रत्यक्ष रूप से ‘न्यायिक पुनर्विलोकन’ शब्द से उल्लिखित नहीं है, लेकिन अनुच्छेद 13, 32, 226 आदि में निहित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति भारत में विधायी और कार्यकारी दोनों कार्यों पर लागू होती है। यह संविधान के ‘आधारभूत ढाँचे’ का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा है (केशवानंद भारती मामले के अनुसार)।
- गलत विकल्प: यह केवल कार्यकारी कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि विधायी कार्यों तक भी विस्तृत है। यह केवल अनुच्छेद 13 में नहीं, बल्कि अन्य अनुच्छेदों में भी अंतर्निहित है। सर्वोच्च न्यायालय के पास यह शक्ति है।
प्रश्न 14: केंद्र-राज्य संबंधों के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सी सूची अवशिष्ट विषयों (Residuary Subjects) पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र को प्रदान करती है?
- संघ सूची
- राज्य सूची
- समवर्ती सूची
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में शक्तियों का विभाजन किया गया है, जिसमें संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची शामिल हैं। अवशिष्ट विषय वे हैं जो तीनों सूचियों में से किसी में भी शामिल नहीं हैं। अनुच्छेद 248 के अनुसार, संसद को अवशिष्ट विषयों पर कानून बनाने की अनन्य शक्ति है।
- संदर्भ और विस्तार: अनुच्छेद 248 के तहत, ऐसे विषय जो किसी भी सूची में शामिल नहीं हैं, उन पर कानून बनाने की शक्ति संसद के पास है। यह भारतीय संघवाद की एक अनूठी विशेषता है जो केंद्र को मजबूत बनाती है।
- गलत विकल्प: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची में उल्लिखित विषयों पर संबंधित सरकारों को कानून बनाने का अधिकार है। अवशिष्ट विषयों के लिए अलग से कोई सूची नहीं है, बल्कि यह अधिकार संसद के पास है।
प्रश्न 15: भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत संसद में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करता है?
- अनुच्छेद 148
- अनुच्छेद 149
- अनुच्छेद 150
- अनुच्छेद 151
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 151 के अनुसार, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) संघ के लेखाओं से संबंधित अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है, जो उसे संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखता है।
- संदर्भ और विस्तार: CAG भारतीय वित्त प्रणाली का प्रहरी है। यह सरकार के खातों की लेखा-परीक्षा करता है और अपनी रिपोर्टों के माध्यम से वित्तीय अनियमितताओं और कुप्रबंधन को उजागर करता है। अनुच्छेद 148 CAG के पद और नियुक्ति से, अनुच्छेद 149 इसके कर्तव्यों से, और अनुच्छेद 150 खातों के प्रारूप से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 148-150 CAG के पद, कर्तव्यों और खातों के प्रारूप से संबंधित हैं, न कि रिपोर्ट प्रस्तुत करने से।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय ‘संवैधानिक निकाय’ नहीं है?
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
- संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
- चुनाव आयोग (ECI)
- वित्त आयोग (Finance Commission)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय है, जिसे मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत स्थापित किया गया था। यह संविधान में सीधे उल्लिखित नहीं है।
- संदर्भ और विस्तार: UPSC (अनुच्छेद 315-323), ECI (अनुच्छेद 324-329), और वित्त आयोग (अनुच्छेद 280) संविधान द्वारा सीधे स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिन्हें संबंधित अनुच्छेदों में विशेष प्रावधान प्राप्त हैं।
- गलत विकल्प: UPSC, ECI और वित्त आयोग सभी संवैधानिक निकाय हैं क्योंकि उनके पद और कार्य सीधे संविधान में उल्लिखित हैं।
प्रश्न 17: भारतीय संविधान के तहत, पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संशोधन द्वारा प्रदान किया गया?
- 73वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 74वाँ संशोधन अधिनियम, 1992
- 64वाँ संशोधन अधिनियम, 1989
- 65वाँ संशोधन अधिनियम, 1990
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने संविधान में भाग IX जोड़ा और पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसके साथ ही, ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई, जिसमें पंचायती राज संस्थाओं के 29 विषय शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन भारत में स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत में लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना था।
- गलत विकल्प: 74वाँ संशोधन शहरी स्थानीय निकायों से संबंधित है। 64वें और 65वें संशोधन पंचायती राज से संबंधित थे लेकिन पारित नहीं हुए थे।
प्रश्न 18: राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) की घोषणा निम्नलिखित में से किस अनुच्छेद के तहत की जा सकती है?
- अनुच्छेद 352
- अनुच्छेद 356
- अनुच्छेद 360
- अनुच्छेद 365
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है, जो युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में या इन संकटों की आशंका होने पर लागू किया जा सकता है।
- संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति केवल संघीय मंत्रिपरिषद की लिखित सलाह पर ही कर सकता है। यह घोषणा संसद के दोनों सदनों द्वारा एक महीने के भीतर अनुमोदित होनी चाहिए।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति शासन (राज्य आपातकाल) से, अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से, और अनुच्छेद 365 कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के आधार से संबंधित है।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी रिट किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने के मामले में जारी की जाती है?
- परमादेश (Mandamus)
- अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
- उत्प्रेषण (Certiorari)
- बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ (Habeas Corpus), जिसका अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, एक ऐसी रिट है जो किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखने के खिलाफ जारी की जाती है। यह हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत के सामने पेश करने का आदेश देती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकारों की सुरक्षा के लिए सबसे शक्तिशाली रिटों में से एक है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
- गलत विकल्प: ‘परमादेश’ किसी लोक प्राधिकारी को कर्तव्य पालन का आदेश देती है। ‘अधिकार पृच्छा’ किसी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक पद पर अवैध रूप से आसीन होने पर सवाल उठाती है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए है।
प्रश्न 20: किस अनुच्छेद के तहत, भारत का राष्ट्रपति अपने कार्यों के निष्पादन के लिए या अपने द्वारा की जाने वाली किसी भी कार्य के लिए किसी भी न्यायालय को उत्तरदायी नहीं होगा?
- अनुच्छेद 361
- अनुच्छेद 362
- अनुच्छेद 363
- अनुच्छेद 364
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 361 राष्ट्रपति और राज्यपालों को कुछ विशेष संरक्षण प्रदान करता है। इसके तहत, राष्ट्रपति अपने पद की शक्तियों या कृत्यों के प्रयोग के संबंध में किसी भी न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि, यह संरक्षण राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान या कुछ गंभीर मामलों में महाभियोग (impeachment) की प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है। यह पद की गरिमा और निष्पक्ष कार्यप्रणाली सुनिश्चित करने के लिए है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 362 रियासतों के शासकों से संबंधित परिनिर्धारित अधिकार, 363 संधियों आदि से संबंधित मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का अपवर्जन, और 364 विशेष मामलों में बंदरगाहों आदि के संबंध में राष्ट्रपति की शक्तियों से संबंधित है।
प्रश्न 21: भारतीय संविधान की ‘समवर्ती सूची’ (Concurrent List) का प्रावधान किस देश के संविधान से लिया गया है?
- यूनाइटेड किंगडम (UK)
- संयुक्त राज्य अमेरिका (USA)
- ऑस्ट्रेलिया
- कनाडा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारत के संविधान में समवर्ती सूची (Concurrent List) की अवधारणा ऑस्ट्रेलिया के संविधान से प्रेरित है। भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: समवर्ती सूची में ऐसे विषय शामिल हैं जिन पर संघ और राज्य दोनों कानून बना सकते हैं। यदि किसी विषय पर राज्य और संघ दोनों द्वारा बनाए गए कानूनों में कोई विरोध होता है, तो संघ द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा।
- गलत विकल्प: यूके से संसदीय प्रणाली, यूएसए से मौलिक अधिकार और न्यायिक पुनर्विलोकन, और कनाडा से संघीय प्रणाली (मजबूत केंद्र के साथ) ली गई है।
प्रश्न 22: ‘लोकसभा का अध्यक्ष’ (Speaker of Lok Sabha) निम्नलिखित में से किसे अपना त्यागपत्र सौंपता है?
- भारत के राष्ट्रपति
- भारत के उपराष्ट्रपति
- लोकसभा के उपाध्यक्ष
- भारत के मुख्य न्यायाधीश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: लोकसभा का अध्यक्ष अपना त्यागपत्र लोकसभा के उपाध्यक्ष को सौंपता है। यह लोकसभा के कामकाज से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रक्रियात्मक नियम है।
- संदर्भ और विस्तार: इसी प्रकार, उपाध्यक्ष अपना त्यागपत्र अध्यक्ष को सौंपता है। यदि अध्यक्ष या उपाध्यक्ष दोनों का पद रिक्त होता है, तो राष्ट्रपति ऐसे व्यक्ति को नियुक्त कर सकते हैं जो सदन के सदस्य हों।
- गलत विकल्प: अध्यक्ष राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति को त्यागपत्र नहीं देता है। मुख्य न्यायाधीश का लोकसभा अध्यक्ष के पद से कोई सीधा संबंध नहीं है।
प्रश्न 23: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार ‘मौलिक अधिकार’ नहीं है?
- समानता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- संपत्ति का अधिकार
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संपत्ति का अधिकार (Right to Property) मूल रूप से मौलिक अधिकार था (अनुच्छेद 31)। लेकिन 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा इसे मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया और अनुच्छेद 300A के तहत एक ‘कानूनी अधिकार’ (Legal Right) बना दिया गया।
- संदर्भ और विस्तार: यह संशोधन सामाजिक-आर्थिक न्याय को बढ़ावा देने और सार्वजनिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण को सुगम बनाने के उद्देश्य से किया गया था।
- गलत विकल्प: समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14-18), स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19-22), और धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25-28) भारतीय संविधान के भाग III में मौलिक अधिकार बने हुए हैं।
प्रश्न 24: ‘धन विधेयक’ (Money Bill) को प्रमाणित करने की शक्ति निम्नलिखित में से किसे प्राप्त है?
- भारत का राष्ट्रपति
- भारत का उपराष्ट्रपति
- लोकसभा का अध्यक्ष
- राज्यसभा का सभापति
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 25: भारत के संविधान का कौन सा अनुच्छेद ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) के आचरण का निषेध करता है और इसके किसी भी रूप में अभ्यास को दंडनीय बनाता है?
- अनुच्छेद 14
- अनुच्छेद 15
- अनुच्छेद 16
- अनुच्छेद 17
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता का अंत करता है और इसके किसी भी रूप के आचरण को दंडनीय घोषित करता है। अस्पृश्यता से उपजी किसी भी अक्षमता को लागू करना विधि के अनुसार दंडनीय होगा।
- संदर्भ और विस्तार: यह मौलिक अधिकार सामाजिक समानता की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है, जो इस अनुच्छेद को लागू करता है।
- गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 15 धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध, और अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के विषयों में अवसर की समानता से संबंधित हैं।