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संविधान का महा-संगम: दैनिक प्रश्नोत्तरी

संविधान का महा-संगम: दैनिक प्रश्नोत्तरी

नमस्कार, भावी लोकसेवकों! आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है। भारतीय संविधान की गहरी समझ ही हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करती है। आइए, अपनी वैचारिक स्पष्टता को परखें और जानें कि आप इस महत्वपूर्ण विषय में कितनी महारत हासिल कर चुके हैं। तैयार हो जाइए, संविधान के इस महा-संगम में गोता लगाने के लिए!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस रीट (Writ) का अर्थ ‘हम आदेश देते हैं’ है और इसका प्रयोग किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य करने हेतु किया जाता है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. प्रतिषेध (Prohibition)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आदेश देते हैं’। यह एक उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण, या लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य का पालन करने के लिए जारी किया जाने वाला आदेश है। यह शक्ति संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सर्वोच्च न्यायालय और अनुच्छेद 226 के तहत उच्च न्यायालयों को प्राप्त है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: परमादेश किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध जारी नहीं किया जा सकता जो लोक प्राधिकारी के रूप में कार्य नहीं कर रहा हो, न ही यह किसी सरकारी विभाग के विरुद्ध जारी किया जा सकता है यदि वह अपने विवेकाधिकार का प्रयोग कर रहा हो। इसका उद्देश्य किसी को अपना विधिक कर्तव्य करने के लिए मजबूर करना है।
  • गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ किसी बंदी व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश है। ‘उत्प्रेषण’ किसी निम्न न्यायालय के निर्णय को रद्द करने हेतु, और ‘प्रतिषेध’ किसी निम्न न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने हेतु जारी किया जाता है।

प्रश्न 2: भारत के महान्यायवादी (Attorney General of India) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?

  1. उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  2. वे संसद के दोनों सदनों में बोल सकते हैं।
  3. वे एक निजी वकील के रूप में कार्य कर सकते हैं, बशर्ते वह सरकार के हितों के विरुद्ध न हो।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 76(1))। वे सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार होते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 88 के अनुसार, महान्यायवादी को संसद के किसी भी सदन या उसकी किसी समिति में, या संसद के साथ, जो इस प्रयोजन के लिए पुकारा जाए, उसमें भाग लेने का अधिकार है, परन्तु मत देने का अधिकार नहीं है। वे सरकार के विरूद्ध न होने वाली किसी भी निजी प्रैक्टिस को जारी रख सकते हैं।
  • गलत विकल्प: तीनों कथन सत्य हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ (Socialist) शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वां संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 61वां संशोधन अधिनियम, 1989

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: प्रस्तावना में ‘समाजवादी’, ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secular), और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्द 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा जोड़े गए थे। यह भारतीय संविधान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण संशोधन था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इन शब्दों को जोड़कर प्रस्तावना को लोकतांत्रिक गणराज्य से एक ‘संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य’ बनाने का प्रयास किया गया। यह संशोधन मिनर्वा मिल्स मामले (1980) में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आंशिक रूप से मान्य किया गया था, जिसमें कहा गया था कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है लेकिन इसके मूल ढांचे (Basic Structure) को संशोधित नहीं किया जा सकता।
  • गलत विकल्प: 44वां संशोधन मतदाता आयु 21 से 18 वर्ष करना (हालांकि यह 61वें से हुआ), संपत्ति के अधिकार को मूल अधिकार से हटाना आदि से संबंधित है। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी प्रावधानों से, और 61वां मतदाता आयु से संबंधित है।

प्रश्न 4: किसी राज्य के विधानमंडल के स्थगन (Adjournment) और सत्रावसान (Prorogation) के बीच क्या मुख्य अंतर है?

  1. स्थगन सत्र को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर देता है, जबकि सत्रावसान सत्र को एक निश्चित अवधि के लिए रोकता है।
  2. स्थगन में गणपूर्ति (Quorum) आवश्यक है, जबकि सत्रावसान में नहीं।
  3. स्थगन सदन को निश्चित अवधि के लिए स्थगित करता है, जबकि सत्रावसान सत्र को समाप्त कर देता है और अगली बैठक के लिए नई तारीख की घोषणा की जाती है।
  4. स्थगन केवल लोकसभा अध्यक्ष द्वारा किया जा सकता है, जबकि सत्रावसान राज्यपाल द्वारा किया जा सकता है।

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: स्थगन (Adjournment) एक सदन के व्यवसाय को कुछ समय के लिए (घंटों, दिनों या हफ्तों के लिए) निलंबित करना है। यह सदन का पीठासीन अधिकारी (अध्यक्ष/सभापति) करता है। सत्रावसान (Prorogation) सत्र के अंत को इंगित करता है और यह राज्यपाल (राज्य विधानमंडल के लिए) द्वारा किया जाता है, जो सदन को अनिश्चित काल के लिए समाप्त कर देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सत्रावसान के बाद, विधायी व्यवसाय, लंबित विधेयक आदि समाप्त हो जाते हैं (जब तक कि विशेष रूप से अगली सत्र में जारी रखने के लिए न कहा जाए)। स्थगन केवल सदन के कामकाज को रोकता है, सत्र जारी रहता है।
  • गलत विकल्प: स्थगन एक निश्चित अवधि के लिए होता है, सत्रावसान सत्र को समाप्त करता है। गणपूर्ति दोनों ही स्थितियों में प्रासंगिक है, हालांकि स्थगन के दौरान नहीं। सत्रावसान राज्यपाल करते हैं, लेकिन स्थगन पीठासीन अधिकारी करते हैं।

प्रश्न 5: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद किसी भी नागरिक के विरुद्ध धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध करता है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 15
  3. अनुच्छेद 16
  4. अनुच्छेद 17

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 15 राज्य को किसी भी नागरिक के विरुद्ध केवल धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर कोई विभेद करने से रोकता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश के संबंध में भेदभाव का भी प्रतिषेध करता है। यह केवल राज्य को निर्देशित करता है, निजी व्यक्तियों या संस्थाओं को नहीं, जब तक कि कानून द्वारा अन्यथा प्रावधान न हो।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण की गारंटी देता है। अनुच्छेद 16 लोक नियोजन के मामलों में अवसर की समानता की बात करता है। अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता के उन्मूलन से संबंधित है।

प्रश्न 6: भारतीय संविधान के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा एक संवैधानिक निकाय (Constitutional Body) नहीं है?

  1. संघ लोक सेवा आयोग (UPSC)
  2. चुनाव आयोग (Election Commission)
  3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (National Human Rights Commission)
  4. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: संघ लोक सेवा आयोग (अनुच्छेद 315), चुनाव आयोग (अनुच्छेद 324), और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (अनुच्छेद 148) भारतीय संविधान द्वारा स्थापित संवैधानिक निकाय हैं, जिनके लिए संविधान में विशेष प्रावधान हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है, जिसकी स्थापना मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत की गई थी। इसे संविधान में प्रत्यक्ष रूप से स्थापित नहीं किया गया है।
  • गलत विकल्प: UPSC, EC, और CAG सभी के लिए संविधान में अलग-अलग अनुच्छेद हैं, जो उनकी संवैधानिक स्थिति को दर्शाते हैं। NHRC का गठन एक अधिनियम द्वारा हुआ है।

प्रश्न 7: भारत में किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति को किसी राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर आपातकाल घोषित करने की शक्ति प्राप्त है?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 356 राष्ट्रपति को किसी राज्य में ‘संवैधानिक तंत्र की विफलता’ (Failure of Constitutional Machinery) या ऐसी विफलता के कारणों का अनुमान होने पर, उस राज्य में राष्ट्रपति शासन (जिसे आमतौर पर ‘राज्य आपातकाल’ कहा जाता है) घोषित करने की शक्ति देता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अनुच्छेद 365 के साथ मिलकर काम करता है, जो कहता है कि यदि कोई राज्य राज्य विधानमंडल की विधायी शक्ति के प्रयोग द्वारा भारत की संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि के या उसके किसी उपबंध के, जिसके अंतर्गत उस राज्य के संबंध में वित्तीय उपबंध भी हैं, किसी उपबंध का अनुपालन करने में या उसे कार्यान्वित करने में असफ़ल रहता है, तो यह समझा जाएगा कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन अनुच्छेद 356 के उपबंधों के अनुसार चलाया जा सकेगा।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 352 राष्ट्रीय आपातकाल (युद्ध, बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह के आधार पर), अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है।

प्रश्न 8: निम्नलिखित में से कौन सी एक ‘तदर्थ न्यायाधीश’ (Ad hoc Judge) की नियुक्ति के संबंध में सही है?

  1. सर्वोच्च न्यायालय में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के पूर्वानुमोदन से मुख्य न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
  2. तदर्थ न्यायाधीशों को वही शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जो नियमित न्यायाधीशों को प्राप्त होते हैं।
  3. वे सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या योग्य व्यक्तियों में से नियुक्त किए जा सकते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 127 सर्वोच्च न्यायालय में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान करता है। इसके अनुसार, जब किसी भी समय, सर्वोच्च न्यायालय के बैठक के लिए कोरम (गणपूर्ति) पूरा करने के लिए न्यायाधीशों की पर्याप्त संख्या में उपस्थिति न हो, तो मुख्य न्यायाधीश, भारत के राष्ट्रपति की पूर्व सहमति से, किसी भी उच्च न्यायालय के किसी योग्य न्यायाधीश को, कुछ समय के लिए, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्त कर सकते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: तदर्थ न्यायाधीशों को वही शक्तियां और विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जो सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को प्राप्त होते हैं, और वे न्यायालय की कार्यवाही में भाग लेते हैं। नियुक्ति योग्य व्यक्ति में भारत का नागरिक होना, 10 वर्ष के लिए उच्च न्यायालय या दो या अधिक न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में कार्य करना शामिल है।
  • गलत विकल्प: सभी कथन अनुच्छेद 127 के प्रावधानों के अनुसार सत्य हैं।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान के किस भाग में पंचायतें और नगरपालिकाएं (Panchayats and Municipalities) से संबंधित प्रावधान हैं?

  1. भाग IX
  2. भाग IXA
  3. भाग IXB
  4. भाग X

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भाग IX (अनुच्छेद 243 से 243O) पंचायतों से संबंधित है, और भाग IXA (अनुच्छेद 243P से 243ZG) नगर पालिकाओं से संबंधित है। भाग IXB सहकारी समितियों से संबंधित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भाग IX को जोड़कर पंचायतों को संवैधानिक दर्जा दिया, और 74वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भाग IXA को जोड़कर नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा दिया।
  • गलत विकल्प: भाग IX पंचायतों से, भाग IXA नगर पालिकाओं से, और भाग IXB सहकारी समितियों से संबंधित है। भाग X अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्रों से संबंधित है।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल नागरिकों को प्राप्त है, विदेशियों को नहीं?

  1. विधि के समक्ष समानता (अनुच्छेद 14)
  2. जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा (अनुच्छेद 21)
  3. धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध (अनुच्छेद 15)
  4. भारत में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 19 (भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्वक जमा होने, संघ बनाने, आने-जाने, बसने और पेशा करने की स्वतंत्रता) भारत के नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता), अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा), और अनुच्छेद 15 (विभेद का प्रतिषेध) नागरिकों और विदेशियों दोनों को प्राप्त हैं। जबकि अनुच्छेद 19 में वर्णित अधिकार भारत के राष्ट्रीयता के आधार पर विशेष हैं।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14, 15, और 21 भारतीय और विदेशी दोनों के लिए हैं। केवल अनुच्छेद 19, 20, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 32 ऐसे अधिकार हैं जो केवल भारतीय नागरिकों के लिए आरक्षित हैं।

प्रश्न 11: भारतीय संविधान की उद्देशिका (Preamble) के अनुसार, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने और उसकी रक्षा करने का प्रावधान किसमें निहित है?

  1. केवल संसद में
  2. केवल उच्चतम न्यायालय में
  3. प्रत्येक नागरिक के कर्तव्य के रूप में
  4. राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के सामूहिक उत्तरदायित्व के रूप में

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A(c) के अनुसार, यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह राष्ट्रीय ध्वज का आदर करे और उसके आदर्शों और संस्थाओं, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रीय प्रतीकों का आदर करे। तथापि, संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखने की बात मूल प्रस्तावना में थी और बाद में 42वें संशोधन द्वारा ‘अखंडता’ शब्द जोड़ा गया। यह एक राष्ट्रीय भावना और नागरिक का कर्तव्य है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि प्रस्तावना में कही गई बातें स्वयं में प्रवर्तनीय नहीं हैं, लेकिन उनमें निहित सिद्धांत नागरिकों के लिए मार्गदर्शक हैं। भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को बनाए रखना प्रत्येक भारतीय नागरिक का एक नैतिक और नागरिक कर्तव्य माना जाता है।
  • गलत विकल्प: यह शक्ति केवल एक संस्था में निहित नहीं है; यह देश के प्रत्येक नागरिक से अपेक्षित है।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से कौन सी शक्ति केवल राष्ट्रपति के पास है, संसद के पास नहीं?

  1. कानून बनाना
  2. कानून की व्याख्या करना
  3. क्षमादान की शक्ति (Pardon)
  4. संसद को बुलाना

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को कुछ मामलों में, अपराध के लिए सिद्ध किए गए या ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड या दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण आदि की शक्ति प्रदान करता है। यह क्षमादान की शक्ति है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: संसद कानून बनाती है (अनुच्छेद 79, 107, 108, 109, 110, 111)। कानून की व्याख्या का कार्य न्यायपालिका (सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय) द्वारा किया जाता है, यद्यपि संसद भी व्याख्यात्मक कानून बना सकती है। राष्ट्रपति संसद को बुला सकता है (अनुच्छेद 85), लेकिन यह एक विधायी प्रक्रिया का हिस्सा है, न कि विशुद्ध कार्यकारी या न्यायिक शक्ति।
  • गलत विकल्प: कानून बनाना संसद का कार्य है। कानून की व्याख्या का कार्य मुख्य रूप से न्यायपालिका का है। संसद को बुलाना भी एक विधायी प्रक्रिया का हिस्सा है, जबकि क्षमादान एक विशुद्ध कार्यकारी/न्यायिक क्षमा की शक्ति है।

प्रश्न 13: संघ शासित प्रदेशों (Union Territories) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. इनका प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा प्रत्यक्ष रूप से या उनके द्वारा नियुक्त किसी प्रशासक के माध्यम से किया जाता है।
  2. कुछ संघ शासित प्रदेशों के लिए विधानमंडल की व्यवस्था की जा सकती है।
  3. संघ शासित प्रदेशों के लिए कानून बनाने की शक्ति केवल संसद में निहित है।
  4. सभी संघ शासित प्रदेशों का अपना उच्च न्यायालय होता है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 239 के अनुसार, संघ राज्यक्षेत्र का प्रशासन राष्ट्रपति द्वारा इस प्रकार किया जाएगा जो वह ठीक समझे। अनुच्छेद 239A दिल्ली जैसे कुछ संघ राज्यक्षेत्रों के लिए विधानमंडल या मंत्रिपरिषद की व्यवस्था का प्रावधान करता है। अनुच्छेद 246(4) के अनुसार, संसद के पास संघ राज्यक्षेत्रों के संबंध में सभी विधायी शक्तियां हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: सभी संघ शासित प्रदेशों का अपना उच्च न्यायालय नहीं होता है। उदाहरण के लिए, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के अपने उच्च न्यायालय हैं, लेकिन चंडीगढ़ का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है, और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का कलकत्ता उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता है।
  • गलत विकल्प: संघ शासित प्रदेशों के संबंध में पहला, दूसरा और तीसरा कथन सही हैं। चौथा कथन गलत है क्योंकि सभी संघ शासित प्रदेशों का अपना अलग उच्च न्यायालय नहीं होता।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया?

  1. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 42वां संशोधन अधिनियम, 1976
  4. 44वां संशोधन अधिनियम, 1978

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: 73वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने भारतीय संविधान में भाग IX को जोड़ा, जो पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। इसने संविधान में अनुच्छेद 243 से 243O तक के नए प्रावधान पेश किए।
  • संदर्भ एवं विस्तार: इस संशोधन ने पंचायतों को एक स्व-शासित संस्था के रूप में कार्य करने के लिए तीन-स्तरीय संरचना (ग्राम स्तर, मध्यवर्ती स्तर और जिला स्तर), सीटों का आरक्षण (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए), और वित्तीय स्वायत्तता के लिए राज्य वित्त आयोग के गठन जैसे प्रावधान किए।
  • गलत विकल्प: 74वां संशोधन नगरपालिका को संवैधानिक दर्जा देता है। 42वां और 44वां संशोधन प्रस्तावना और मौलिक अधिकारों से संबंधित थे।

प्रश्न 15: राज्य के नीति निदेशक तत्वों (DPSP) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?

  1. ये गैर-न्यायिक (Non-justiciable) हैं, जिसका अर्थ है कि इन्हें न्यायालयों द्वारा लागू नहीं किया जा सकता।
  2. ये नागरिकों के अधिकारों के विपरीत हैं और केवल राज्य के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हैं।
  3. संविधान के भाग IV में इनका उल्लेख है।
  4. ये देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य इनका ध्यान रखेगा।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: राज्य के नीति निदेशक तत्व (DPSP) संविधान के भाग IV (अनुच्छेद 36 से 51) में वर्णित हैं। ये गैर-न्यायिक हैं, अर्थात इन्हें किसी न्यायालय द्वारा लागू नहीं कराया जा सकता (अनुच्छेद 37)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: DPSP नागरिकों के अधिकारों (जो न्यायिक हैं) के विपरीत नहीं हैं, बल्कि उनके पूरक हैं। ये सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए हैं। अनुच्छेद 37 स्पष्ट करता है कि ये तत्व देश के शासन में मूलभूत हैं और कानून बनाने में राज्य इनका ध्यान रखेगा। ये राज्य को सामाजिक-आर्थिक क्रांति लाने के लिए एक उपकरण प्रदान करते हैं।
  • गलत विकल्प: DPSP नागरिकों के अधिकारों के विपरीत नहीं हैं, बल्कि ये दोनों मिलकर एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना करते हैं। ये राज्य के लिए निर्देशक हैं।

प्रश्न 16: भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करते हैं।
  2. मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जिसमें वे अन्य न्यायाधीशों (जिनमें से वह मुख्य न्यायाधीश को नियुक्त करते समय सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों से परामर्श करते हैं) से परामर्श करते हैं।
  3. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को केवल महाभियोग (Impeachment) द्वारा ही हटाया जा सकता है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 124(1) के अनुसार, भारत में एक सर्वोच्च न्यायालय होगा जिसमें एक मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश होंगे, जैसा कि संसद द्वारा कानून द्वारा निर्धारित किया जा सकता है। अनुच्छेद 124(2) नियुक्ति प्रक्रिया का वर्णन करता है: राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश से परामर्श के बाद, अन्य न्यायाधीशों को नियुक्त करते हैं। कोलेजियम प्रणाली (न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए न्यायाधीशों की समिति) का विकास विभिन्न न्यायिक निर्णयों (जैसे तीसरे और चौथे न्यायाधीश मामले) से हुआ है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: हालांकि वरिष्ठतम न्यायाधीश को अक्सर मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाता रहा है, यह अनिवार्य नहीं है। न्यायाधीशों को केवल साबित कदाचार या अक्षमता के आधार पर संसद द्वारा महाभियोग प्रक्रिया के माध्यम से ही हटाया जा सकता है (अनुच्छेद 124(4))।
  • गलत विकल्प: सभी कथन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और निष्कासन की प्रक्रिया के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 17: ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) का अंत और इसके किसी भी रूप में आचरण का प्रतिषेध भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद में किया गया है?

  1. अनुच्छेद 14
  2. अनुच्छेद 16
  3. अनुच्छेद 17
  4. अनुच्छेद 18

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 17 अस्पृश्यता को समाप्त करता है और इसके किसी भी रूप में आचरण को दंडनीय अपराध घोषित करता है। यह एक मौलिक अधिकार है जो पूर्णतः राज्य और निजी व्यक्ति दोनों पर लागू होता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: अस्पृश्यता के आधार पर किसी भी प्रकार का भेदभाव, चाहे वह सार्वजनिक हो या निजी, कानून द्वारा दंडनीय है। संसद ने अस्पृश्यता (अपराध) अधिनियम, 1955 (बाद में नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1955) पारित किया है, जो इस अनुच्छेद के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 14 विधि के समक्ष समानता, अनुच्छेद 16 लोक नियोजन में अवसर की समानता, और अनुच्छेद 18 उपाधियों के अंत से संबंधित है।

प्रश्न 18: निम्नलिखित में से कौन सा कथन भारत के उपराष्ट्रपति के पद के बारे में सत्य है?

  1. वे राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष होते हैं।
  2. उनकी नियुक्ति संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा एक निर्वाचक मंडल द्वारा की जाती है।
  3. राष्ट्रपति के पद रिक्त रहने की अवधि में वे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 64 के अनुसार, उपराष्ट्रपति राज्यसभा का पदेन अध्यक्ष होता है। अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण द्वारा किया जाता है। अनुच्छेद 65 के अनुसार, राष्ट्रपति का पद रिक्त होने पर या राष्ट्रपति द्वारा अपने कर्तव्यों के निष्पादन में असमर्थ होने की दशा में, उपराष्ट्रपति, उस अवधि के दौरान, राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष होता है। वे राज्यसभा के पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करते हैं, लेकिन वे उस सदन के सदस्य नहीं होते।
  • गलत विकल्प: तीनों कथन भारत के उपराष्ट्रपति के पद की शक्तियों और निर्वाचन प्रक्रिया के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 19: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘गणराज्य’ (Republic) शब्द का क्या अर्थ है?

  1. सरकार का वंशानुगत स्वरूप
  2. सरकार का एक ऐसा स्वरूप जहाँ राज्य का प्रमुख अप्रत्यक्ष रूप से या प्रत्यक्ष रूप से चुना जाता है, न कि वंशानुगत होता है।
  3. सरकार का एक ऐसा स्वरूप जहाँ जनता सीधे शासन करती है।
  4. सरकार का एक ऐसा स्वरूप जहाँ अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की जाती है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: ‘गणराज्य’ शब्द का अर्थ है कि राज्य का प्रमुख, यानी राष्ट्रपति, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से एक निश्चित अवधि के लिए चुना जाता है, न कि कोई वंशानुगत शासक होता है। भारत का राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: गणराज्य शब्द भारत को एक ऐसी राजनीतिक इकाई के रूप में परिभाषित करता है जहां संप्रभुता अंततः जनता के हाथों में है, और राज्य का प्रमुख जनता द्वारा चुना जाता है। यह राजशाही (Monarchy) के विपरीत है, जहां प्रमुख वंशानुगत होता है।
  • गलत विकल्प: वंशानुगत स्वरूप गणराज्य के विपरीत है। जनता के सीधे शासन को प्रत्यक्ष लोकतंत्र कहते हैं, न कि गणराज्य। अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा गणराज्य का हिस्सा हो सकती है, लेकिन यह ‘गणराज्य’ शब्द का मुख्य अर्थ नहीं है।

प्रश्न 20: केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission – CVC) के संबंध में कौन सा कथन गलत है?

  1. यह एक सांविधिक निकाय है।
  2. इसका गठन भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत किया गया था।
  3. इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक समिति की सिफारिश पर की जाती है।
  4. यह प्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह है।

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) को 2003 में केंद्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 के माध्यम से एक सांविधिक निकाय का दर्जा दिया गया था। इससे पहले, यह केवल एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित निकाय था।
  • संदर्भ एवं विस्तार: CVC के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की बनी एक तीन-सदस्यीय समिति की सिफारिश पर की जाती है। CVC एक स्वतंत्र निकाय है और प्रत्यक्ष रूप से प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह नहीं है, बल्कि संसद के प्रति (रिपोर्ट के माध्यम से) जवाबदेह है।
  • गलत विकल्प: कथन (a), (b), और (c) सही हैं। कथन (d) गलत है क्योंकि CVC एक स्वतंत्र निकाय है और प्रत्यक्ष रूप से किसी एक मंत्री या मंत्रालय के प्रति जवाबदेह नहीं है।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन उपबंध’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. यूनाइटेड किंगडम
  3. जर्मनी (वाइमर गणराज्य)
  4. कनाडा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के आपातकालीन उपबंध, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352), राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) की व्यवस्था, जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान (Weimar Republic Constitution) से प्रेरित है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: वाइमर संविधान में भी आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता के निलंबन का प्रावधान था, जिसे भारत के संविधान निर्माताओं ने अपनाया, हालांकि इसमें महत्वपूर्ण परिवर्तन और सुरक्षा उपाय भी शामिल किए गए।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से न्यायिक समीक्षा, संयुक्त राज्य के संविधान से मौलिक अधिकार लिए गए हैं। यूनाइटेड किंगडम से संसदीय प्रणाली और विधि का शासन लिया गया है। कनाडा से संघात्मक व्यवस्था (मजबूत केंद्र के साथ) ली गई है।

प्रश्न 22: निम्नलिखित में से कौन सा अधिकार केवल संसद के सदस्यों (MPs) को प्राप्त है, न कि आम नागरिकों को?

  1. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of Speech)
  2. विशेषाधिकार (Privileges)
  3. निजी संपत्ति का अधिकार (Right to Private Property)
  4. जीवन का अधिकार (Right to Life)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 105 भारतीय संसद के सदस्यों को विशेषाधिकार और उन्मुक्तियाँ प्रदान करता है। इन विशेषाधिकारों में सत्र के दौरान और सत्र समाप्त होने के 40 दिन पहले और बाद में गिरफ्तारी से छूट, सदन में या उसकी समितियों में कही गई किसी भी बात या उनके द्वारा दिए गए किसी भी वोट के लिए किसी भी अदालत में कार्यवाही से छूट आदि शामिल हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये विशेषाधिकार संसद की स्वतंत्रता और गरिमा बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। आम नागरिकों को ये विशेष विशेषाधिकार प्राप्त नहीं होते हैं।
  • गलत विकल्प: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19), निजी संपत्ति का अधिकार (अब एक सांविधिक अधिकार, पूर्व में मूल अधिकार), और जीवन का अधिकार (अनुच्छेद 21) सभी नागरिकों को प्राप्त हैं।

प्रश्न 23: किसी राज्य के उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?

  1. उनकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  2. नियुक्ति से पहले, राष्ट्रपति संबंधित राज्य के राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करते हैं।
  3. इसके अतिरिक्त, राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श करते हैं।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 217 के अनुसार, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायाधीश, संबंधित राज्य के राज्यपाल और उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के पश्चात् की जाती है, जहां नियुक्ति की जानी है।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह प्रक्रिया न्यायाधीशों की नियुक्ति में निष्पक्षता और योग्यता सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। यदि मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रश्न हो, तो अन्य न्यायाधीशों से परामर्श की आवश्यकता नहीं है।
  • गलत विकल्प: तीनों कथन, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति, राज्यपाल और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श, और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श, सभी अनुच्छेद 217 के तहत सही हैं।

प्रश्न 24: निम्नलिखित में से कौन सा एक ‘अनुच्छेद 32’ के तहत उपलब्ध नहीं है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  3. अनुशासन की स्वतंत्रता (Freedom of Discipline)
  4. उत्प्रेषण (Certiorari)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचारों का अधिकार) सर्वोच्च न्यायालय को पाँच प्रकार की रिट जारी करने की शक्ति देता है: बंदी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश (Mandamus), प्रतिषेध (Prohibition), उत्प्रेषण (Certiorari), और अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)।
  • संदर्भ एवं विस्तार: ये सभी रिट मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए हैं। ‘अनुशासन की स्वतंत्रता’ (Freedom of Discipline) एक मान्यता प्राप्त रीट या मौलिक अधिकार नहीं है। यह संभवतः मौलिक अधिकारों के दायरे या उनके उल्लंघन से संबंधित भ्रमित करने वाला विकल्प है।
  • गलत विकल्प: बंदी प्रत्यक्षीकरण, अधिकार पृच्छा, और उत्प्रेषण सभी अनुच्छेद 32 के तहत उपलब्ध हैं। ‘अनुशासन की स्वतंत्रता’ एक रीट नहीं है।

प्रश्न 25: राष्ट्रपति द्वारा संसद के दोनों सदनों को संबोधित करने का अधिकार किस अनुच्छेद में वर्णित है?

  1. अनुच्छेद 86
  2. अनुच्छेद 87
  3. अनुच्छेद 88
  4. अनुच्छेद 89

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता एवं अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 87(1) के अनुसार, राष्ट्रपति, प्रत्येक आम चुनाव के पश्चात, प्रत्येक वर्ष, संसद के प्रत्येक सदन के लिए प्रथमतः एक साथ समवेत होने पर, अभिभाषण करेगा। इस प्रकार, राष्ट्रपति विशेष अभिभाषण (Special Address) करते हैं।
  • संदर्भ एवं विस्तार: यह अभिभाषण संसद को उसके कार्य के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है और सरकार की नीतियों का उल्लेख करता है। अनुच्छेद 86 राष्ट्रपति को किसी भी सदन में संदेश भेजने या अन्यतः हाजिर होने और संबोधित करने का अधिकार देता है, लेकिन अनुच्छेद 87 विशेष रूप से ‘संबोधन’ (Address) की बात करता है। अनुच्छेद 88 महान्यायवादी के अधिकारों से संबंधित है, और अनुच्छेद 89 राज्यसभा के सभापति और उपसभापति के पद से संबंधित है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 86 में सदन को संदेश भेजने की बात है, पर नियमित अभिभाषण की नहीं। अनुच्छेद 88 महान्यायवादी से, और 89 राज्यसभा के सभापति से संबंधित हैं।

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