समाजशास्त्र की दैनिक चुनौती: अपनी अवधारणात्मक स्पष्टता को परखें
आइए, आज समाजशास्त्र के गहन और विस्तृत परिदृश्य में एक नई यात्रा शुरू करें! यह दैनिक अभ्यास सत्र आपके लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि आप अपनी वैचारिक पकड़ को मजबूत कर सकें और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी को धार दे सकें। तैयार हो जाइए, क्योंकि ये प्रश्न आपकी विश्लेषणात्मक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: सामाजिक संरचना की अवधारणा को किसने ‘मानव क्रियाकलापों की व्यवस्था’ के रूप में परिभाषित किया?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन
- इमाइल दुर्खीम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ए. आर. रेडक्लिफ-ब्राउन ने सामाजिक संरचना को ‘सामाजिक संबंधों के एक ताने-बाने’ या ‘मानव क्रियाकलापों की व्यवस्था’ के रूप में परिभाषित किया, जहां इन संबंधों को व्यक्तियों के बीच अपेक्षाकृत स्थायी माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: रेडक्लिफ-ब्राउन एक संरचनात्मक-प्रकार्यवादक थे जिनका मानना था कि समाज को विभिन्न भागों के एक एकीकृत संपूर्ण के रूप में देखा जाना चाहिए, और ये भाग समाज की निरंतरता में योगदान करते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने सामाजिक संरचना को मुख्य रूप से उत्पादन के साधनों से संबंधित वर्गों के बीच संघर्ष के रूप में देखा। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रियाओं पर ध्यान केंद्रित किया और नौकरशाही व सत्ता की संरचनाओं का विश्लेषण किया। इमाइल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और सामूहिक चेतना पर जोर दिया।
प्रश्न 2: “द स्ट्रगल फॉर रिकग्निशन” (The Struggle for Recognition) नामक पुस्तक के लेखक कौन हैं?
- Axel Honneth
- Jürgen Habermas
- Nancy Fraser
- Charles Taylor
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: Axel Honneth, एक जर्मन दार्शनिक और समाजशास्त्री, ने अपनी पुस्तक “The Struggle for Recognition: A Mode of Social Conflict” (1992) में ‘पहचान के लिए संघर्ष’ की अवधारणा विकसित की।
- संदर्भ और विस्तार: Honneth के अनुसार, सामाजिक न्याय केवल आर्थिक पुनर्वितरण से नहीं आता, बल्कि यह पहचान और सम्मान की मान्यता से भी जुड़ा है। इसमें प्रेम, अधिकार और सम्मान की मान्यता के संघर्ष शामिल हैं।
- गलत विकल्प: Jürgen Habermas ‘सार्वजनिक क्षेत्र’ और ‘संचारिक क्रिया’ के लिए जाने जाते हैं। Nancy Fraser बहुआयामी न्याय के अपने सिद्धांत के लिए जानी जाती हैं। Charles Taylor ने ‘विविधतावाद’ और ‘पहचान’ के विषयों पर महत्वपूर्ण कार्य किया है, लेकिन यह विशिष्ट पुस्तक Honneth की है।
प्रश्न 3: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा इमाइल दुर्खीम द्वारा प्रस्तुत की गई थी, जो समाज में अव्यवस्था और विघटन की स्थिति को दर्शाती है?
- अलंकरण (Alienation)
- विजातीयता (Exoticism)
- आत्महत्या (Suicide)
- अराजकता (Anomie)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा को प्रस्तुत किया, जो सामाजिक मानदंडों के टूटने या कमजोर पड़ने की स्थिति को दर्शाती है, जिससे व्यक्तियों में उद्देश्यहीनता और दिशाहीनता की भावना उत्पन्न होती है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “Suicide” (1897) में अनॉमी को आत्मघाती दर में वृद्धि के एक कारण के रूप में पहचाना। यह तब होता है जब सामाजिक नियम अपर्याप्त या विरोधाभासी होते हैं।
- गलत विकल्प: ‘अलंकरण’ (Alienation) कार्ल मार्क्स की अवधारणा है जो पूंजीवाद में श्रमिक के अलगाव को दर्शाती है। ‘विजातीयता’ सांस्कृतिक भिन्नता से संबंधित है। ‘आत्महत्या’ दुर्खीम का अध्ययन विषय था, लेकिन ‘अराजकता’ वह अवधारणा है जो समाज में अव्यवस्था को दर्शाती है।
प्रश्न 4: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, “प्रभु जाति” (Dominant Caste) की अवधारणा किसने विकसित की?
- जी. एस. घुरिये
- एम. एन. श्रीनिवास
- इरावती कर्वे
- आंद्रे बेतेई
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
प्रश्न 5: मैक्स वेबर के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सी ‘तर्कसंगतता’ (Rationality) का एक रूप नहीं है?
- Practical Rationality
- Substantive Rationality
- Formal Rationality
- Emotional Rationality
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैक्स वेबर ने अपने कार्य में तर्कसंगतता के विभिन्न रूपों की चर्चा की, जिनमें व्यावहारिक तर्कसंगतता, सारगर्भित तर्कसंगतता और औपचारिक तर्कसंगतता शामिल हैं। ‘भावनात्मक तर्कसंगतता’ (Emotional Rationality) उनके विश्लेषण का हिस्सा नहीं है, क्योंकि वेबर ने तर्कसंगतता को जानबूझकर, सचेत और गणनात्मक व्यवहार से जोड़ा।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर का तर्क है कि आधुनिक समाज का उदय ‘औपचारिक तर्कसंगतता’ (Formal Rationality) के कारण हुआ है, जो नियमों, विनियमों और दक्षता पर आधारित है, विशेष रूप से नौकरशाही में। ‘सारगर्भित तर्कसंगतता’ (Substantive Rationality) लक्ष्यों के साधनों के बजाय स्वयं लक्ष्यों के मूल्य पर केंद्रित होती है। ‘व्यावहारिक तर्कसंगतता’ (Practical Rationality) दैनिक जीवन में समस्याओं को हल करने के लिए सबसे प्रभावी तरीके खोजने से संबंधित है।
- गलत विकल्प: अन्य तीनों विकल्प (a, b, c) वेबर द्वारा चर्चा की गई तर्कसंगतता के रूपों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रश्न 6: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) के किस सिद्धांत के अनुसार, समाज में स्तरीकरण आवश्यक है क्योंकि यह उन पदों को भरने के लिए सबसे योग्य व्यक्तियों को प्रेरित करता है जो सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण हैं?
- संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory)
- प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- नारीवादी सिद्धांत (Feminist Theory)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: यह विवरण प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory) का है, जिसे विशेष रूप से किंग्सले डेविस और विल्बर्ट मूर ने प्रस्तुत किया था। उनके अनुसार, सामाजिक स्तरीकरण समाज की कार्यक्षमता के लिए आवश्यक है।
- संदर्भ और विस्तार: डेविस और मूर (1945) ने तर्क दिया कि सभी सामाजिक पद समान महत्व के नहीं होते। कुछ पदों को भरने के लिए विशेष प्रशिक्षण या कौशल की आवश्यकता होती है और वे समाज के लिए अधिक महत्वपूर्ण होते हैं। इसलिए, इन पदों के लिए उच्च पुरस्कार (जैसे धन, सम्मान) निर्धारित किए जाते हैं ताकि सबसे योग्य व्यक्ति उन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेरित हों।
- गलत विकल्प: संघर्ष सिद्धांत (Conflict Theory), जैसे मार्क्सवादी सिद्धांत, स्तरीकरण को शक्तियों के बीच संघर्ष और शोषण के परिणाम के रूप में देखता है। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्ति-से-व्यक्ति के स्तर पर सामाजिक संबंधों पर केंद्रित है। नारीवादी सिद्धांत लिंग-आधारित असमानताओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था परिवार, विवाह और नातेदारी (kinship) के अध्ययन से संबंधित है?
- राजनीतिक समाजशास्त्र
- धर्म का समाजशास्त्र
- परिवार का समाजशास्त्र
- शहरी समाजशास्त्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: परिवार का समाजशास्त्र (Sociology of Family) वह शाखा है जो परिवार, विवाह, नातेदारी, पितृत्व, मातृत्व और इन संस्थाओं से संबंधित विभिन्न सामाजिक प्रक्रियाओं का अध्ययन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्र की एक प्रमुख उप-अनुशासन है जो इन प्राथमिक समूहों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक पहलुओं का विश्लेषण करती है।
- गलत विकल्प: राजनीतिक समाजशास्त्र राजनीति और सरकार का अध्ययन करता है। धर्म का समाजशास्त्र धर्म और उसके सामाजिक प्रभावों का अध्ययन करता है। शहरी समाजशास्त्र शहरों और शहरीकरण से संबंधित सामाजिक घटनाओं का अध्ययन करता है।
प्रश्न 8: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में अलगाव (Alienation) का प्रमुख स्रोत क्या है?
- राज्य का अत्यधिक हस्तक्षेप
- सामाजिक मानदंडों का अभाव
- उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव
- धार्मिक अंधविश्वास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के तहत श्रमिक का सबसे महत्वपूर्ण अलगाव ‘उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव’ (Alienation from the process of production) है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स ने “Economic and Philosophic Manuscripts of 1844” में बताया कि पूंजीवादी व्यवस्था में, श्रमिक अपने श्रम के उत्पाद, श्रम की क्रिया, अपनी प्रजाति-सार (species-essence) और अन्य मनुष्यों से अलग हो जाता है। वह केवल उत्पादन के एक साधन के रूप में कार्य करता है, न कि सृजनकर्ता के रूप में।
- गलत विकल्प: राज्य का हस्तक्षेप (a) महत्वपूर्ण हो सकता है, लेकिन अलगाव का मुख्य स्रोत उत्पादन प्रक्रिया है। सामाजिक मानदंडों का अभाव (b) दुर्खीम की ‘अराजकता’ से संबंधित है। धार्मिक अंधविश्वास (d) भी अलगाव का एक संभावित कारण है, लेकिन मार्क्स के अनुसार, यह उत्पादन संबंधों से उत्पन्न होता है।
प्रश्न 9: सामाजिक अनुसंधान में, ‘नियंत्रित प्रयोग’ (Controlled Experiment) का उपयोग किस पद्धति में किया जाता है?
- मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research)
- गुणात्मक अनुसंधान (Qualitative Research)
- सहसंबद्ध अनुसंधान (Correlational Research)
- विवरणात्मक अनुसंधान (Descriptive Research)
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: नियंत्रित प्रयोग (Controlled Experiment) मुख्य रूप से मात्रात्मक अनुसंधान (Quantitative Research) का एक हिस्सा है, जहां वैज्ञानिक कारण-कार्य संबंधों को स्थापित करने के लिए चर (variables) में हेरफेर करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इस पद्धति में, एक प्रायोगिक समूह (experimental group) को एक स्वतंत्र चर (independent variable) के संपर्क में लाया जाता है, जबकि एक नियंत्रण समूह (control group) को नहीं। फिर दोनों समूहों के बीच आश्रित चर (dependent variable) में अंतर मापा जाता है। यह प्राकृतिक विज्ञानों में अधिक आम है, लेकिन समाजशास्त्र में भी इसका उपयोग किया जाता है, जैसे कि मनोवैज्ञानिक प्रयोगों में।
- गलत विकल्प: गुणात्मक अनुसंधान (b) अनुभवों, भावनाओं और अर्थों को गहराई से समझने पर केंद्रित है। सहसंबद्ध अनुसंधान (c) दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध की डिग्री को मापता है, लेकिन कारण-कार्य स्थापित नहीं करता। विवरणात्मक अनुसंधान (d) किसी स्थिति या घटना का वर्णन करता है।
प्रश्न 10: भारत में, ‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग मुख्य रूप से किसके द्वारा किया गया था?
- बी. आर. अम्बेडकर
- महात्मा गांधी
- ई. वी. रामासामी पेरियार
- ज्योतिबा फुले
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: ‘हरिजन’ (ईश्वर के लोग) शब्द का प्रयोग महात्मा गांधी द्वारा दलितों (जिन्हें तब अछूत माना जाता था) के लिए किया गया था, ताकि उन्हें सम्मानजनक पहचान मिल सके।
- संदर्भ और विस्तार: गांधीजी का मानना था कि अस्पृश्यता हिंदू धर्म का कलंक है और उन्होंने दलितों को समाज में एकीकृत करने और उनके उत्थान के लिए अथक प्रयास किए। यह शब्द उन समुदायों के लिए सम्मानजनक अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया था।
- गलत विकल्प: बी. आर. अम्बेडकर ने दलितों के लिए ‘अछूत’ शब्द का प्रयोग किया और दलितों के अधिकारों के लिए एक प्रमुख नेता थे। ई. वी. रामासामी पेरियार ने ‘आत्म-सम्मान आंदोलन’ (Self-Respect Movement) का नेतृत्व किया और दलितों के लिए एक अलग पहचान की वकालत की। ज्योतिबा फुले ने भी दलितों और महिलाओं के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य किया और ‘मूलनिवासी’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया।
प्रश्न 11: निम्न में से कौन सा विचारक ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Facts) की अवधारणा के लिए जाना जाता है?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- इमाइल दुर्खीम
- हरबर्ट स्पेंसर
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इमाइल दुर्खीम को ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा के लिए जाना जाता है, जिसे उन्होंने समाजशास्त्र के अध्ययन की मुख्य इकाई के रूप में परिभाषित किया।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Rules of Sociological Method” (1895) में बताया कि सामाजिक तथ्य वे तरीके हैं जो व्यक्ति से बाहरी होते हैं और जिनमें एक बाध्यकारी शक्ति होती है। ये व्यवहार, विचार और भावनाएं हैं जो पूरे समाज में फैले होते हैं।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग चेतना’ और ‘उत्पादन के संबंध’ पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने ‘सामाजिक क्रिया’ और ‘अर्थ’ को महत्व दिया। हरबर्ट स्पेंसर ने सामाजिक विकास के लिए ‘जैविक विकासवाद’ के सिद्धांतों को लागू किया।
प्रश्न 12: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- एल्बाइन टौफ्लर
- विलियम एफ. ओगबर्न
- एमिल दुर्खीम
- हर्बर्ट ब्लूमर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: विलियम एफ. ओगबर्न (William F. Ogburn) ने 1922 में अपनी पुस्तक “Social Change with Respect to Culture and Original Nature” में ‘सांस्कृतिक विलंब’ की अवधारणा प्रस्तुत की।
- संदर्भ और विस्तार: ओगबर्न के अनुसार, संस्कृति के दो मुख्य भाग होते हैं: भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी, उपकरण) और अभौतिक संस्कृति (जैसे मान्यताएं, कानून, रीति-रिवाज)। उनका तर्क था कि भौतिक संस्कृति अभौतिक संस्कृति की तुलना में अधिक तेजी से बदलती है, जिससे दोनों के बीच एक ‘विलंब’ या ‘अंतराल’ उत्पन्न होता है। यह अंतराल सामाजिक समस्याओं को जन्म दे सकता है।
- गलत विकल्प: एल्बाइन टौफ्लर ‘फ्यूचर शॉक’ (Future Shock) के लिए जाने जाते हैं। दुर्खीम ने सामाजिक तथ्यों और एकजुटता पर काम किया। हर्बर्ट ब्लूमर प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के प्रमुख प्रतिपादक थे।
प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्री ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के दृष्टिकोण से जुड़ा नहीं है?
- जॉर्ज हर्बर्ट मीड
- हरबर्ट ब्लूमर
- चार्ल्स कूली
- टैल्कॉट पार्सन्स
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टैल्कॉट पार्सन्स, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से जुड़े प्रमुख विचारकों में से नहीं हैं। वे संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादक थे।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद व्यक्तियों के बीच अर्थों और प्रतीकों के माध्यम से होने वाली अंतःक्रिया पर केंद्रित है। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने ‘स्व’ (Self) और ‘समाज’ के विकास में इन अंतःक्रियाओं की भूमिका पर जोर दिया। हरबर्ट ब्लूमर ने इस दृष्टिकोण को औपचारिक रूप दिया और ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ शब्द गढ़ा। चार्ल्स कूली ने ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass Self) की अवधारणा विकसित की, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का ही एक हिस्सा है।
- गलत विकल्प: पार्सन्स का AGIL मॉडल और सामाजिक व्यवस्था का विश्लेषण प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से भिन्न है।
प्रश्न 14: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) में, ‘सामुदायिक संगठन’ (Community Organization) की अवधारणा का संबंध किससे है?
- केवल आर्थिक विकास
- निवासियों की स्व-सहायता और सामूहिक क्रिया
- सरकारी हस्तक्षेप
- शहरों की ओर पलायन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामुदायिक संगठन की अवधारणा का मुख्य संबंध ग्रामीण क्षेत्रों में निवासियों की स्व-सहायता, आत्म-निर्णय और सामूहिक क्रिया के माध्यम से स्थानीय समस्याओं को हल करने और विकास को बढ़ावा देने से है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण इस विचार पर आधारित है कि स्थानीय समुदाय के लोग अपनी आवश्यकताओं और लक्ष्यों को बेहतर ढंग से समझते हैं और उन्हें प्राप्त करने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। यह अक्सर स्थानीय नेतृत्व, भागीदारी और संसाधनों के जुटाव पर जोर देता है।
- गलत विकल्प: यद्यपि आर्थिक विकास (a) इसका एक हिस्सा हो सकता है, यह एकमात्र या मुख्य संबंध नहीं है। सरकारी हस्तक्षेप (c) आवश्यक हो सकता है, लेकिन यह सामुदायिक संगठन का मूल नहीं है, बल्कि एक संभावित सहायक तत्व है। शहरों की ओर पलायन (d) ग्रामीण विकास के विपरीत दिशा को दर्शाता है।
प्रश्न 15: सामाजिक परिवर्तन के ‘संघर्ष सिद्धांत’ (Conflict Theory) के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक क्या है?
- सांस्कृतिक प्रसार
- विचारधारात्मक मतभेद
- वर्गों के बीच संघर्ष
- प्रौद्योगिकी का विकास
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संघर्ष सिद्धांत, विशेष रूप से मार्क्सवादी दृष्टिकोण, के अनुसार सामाजिक परिवर्तन का मुख्य चालक विभिन्न सामाजिक समूहों, मुख्य रूप से वर्गों के बीच संघर्ष है।
- संदर्भ और विस्तार: कार्ल मार्क्स का मानना था कि ऐतिहासिक विकास समाज में मौजूद उत्पादन के साधनों के स्वामित्व से उत्पन्न होने वाले वर्ग संघर्षों द्वारा संचालित होता है। यह संघर्ष अंततः सामाजिक क्रांति और नए सामाजिक व्यवस्था की ओर ले जाता है।
- गलत विकल्प: सांस्कृतिक प्रसार (a), विचारधारात्मक मतभेद (b), और प्रौद्योगिकी का विकास (d) सामाजिक परिवर्तन के अन्य महत्वपूर्ण कारक हो सकते हैं, लेकिन संघर्ष सिद्धांत इन्हें प्राथमिक चालक नहीं मानता।
प्रश्न 16: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में समाजशास्त्रियों द्वारा किन प्रमुख परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है?
- औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और लोकतंत्रीकरण
- कृषि का विस्तार और परंपराओं का सुदृढ़ीकरण
- धार्मिक अनुष्ठानों का सरलीकरण
- जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: आधुनिकीकरण की प्रक्रिया को आम तौर पर औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, शिक्षा का प्रसार, राष्ट्र-राज्य का उदय और लोकतांत्रिकरण जैसी व्यापक सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तनों से जोड़ा जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि पारंपरिक समाज को विकास और प्रगति के लिए आधुनिक समाज में रूपांतरित होना चाहिए। इस परिवर्तन में अक्सर बड़े पैमाने पर संस्थागत और सांस्कृतिक बदलाव शामिल होते हैं।
- गलत विकल्प: कृषि का विस्तार (b) आधुनिकता का संकेत नहीं है, और परंपराओं का सुदृढ़ीकरण आधुनिकीकरण की प्रक्रिया के विपरीत है। धार्मिक अनुष्ठानों का सरलीकरण (c) एक संभावित परिणाम हो सकता है, लेकिन यह समग्र प्रक्रिया को परिभाषित नहीं करता। जाति व्यवस्था का पूर्ण उन्मूलन (d) आधुनिकीकरण का एक लक्ष्य या परिणाम हो सकता है, लेकिन यह स्वयं प्रक्रिया का मुख्य घटक नहीं है।
प्रश्न 17: निम्न में से कौन ‘अनुकूलन’ (Adaptation) को सामाजिक व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण कार्य के रूप में मानते हैं?
- कार्ल मार्क्स
- टेल्कॉट पार्सन्स
- इर्विंग गॉफमैन
- जॉर्ज सिमेल
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: टेल्कॉट पार्सन्स ने अपनी ‘AGIL’ (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) मॉडल में ‘अनुकूलन’ (Adaptation) को सामाजिक व्यवस्था के चार मूलभूत कार्यों में से एक के रूप में पहचाना।
- संदर्भ और विस्तार: पार्सन्स के अनुसार, किसी भी सामाजिक प्रणाली को अपने पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए ताकि वह जीवित रह सके और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सके। यह कार्य बाहरी वातावरण से संसाधनों को प्राप्त करने और उन्हें व्यवस्थित करने से संबंधित है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने संघर्ष और परिवर्तन पर जोर दिया। इर्विंग गॉफमैन ने ‘नाटकशास्त्र’ (Dramaturgy) और रोजमर्रा की बातचीत का विश्लेषण किया। जॉर्ज सिमेल ने सामाजिक रूपों और अंतःक्रियाओं के सूक्ष्म विश्लेषण पर ध्यान केंद्रित किया।
प्रश्न 18: समाजशास्त्र में, ‘सांस्कृतिक सापेक्षवाद’ (Cultural Relativism) का क्या अर्थ है?
- सभी संस्कृतियों को समान रूप से श्रेष्ठ मानना
- किसी संस्कृति को उसके अपने सांस्कृतिक संदर्भ में समझना
- अपनी संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानना
- विभिन्न संस्कृतियों के बीच तुलना न करना
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सांस्कृतिक सापेक्षवाद एक दृष्टिकोण है जिसके अनुसार किसी भी संस्कृति को उसकी अपनी विशिष्टताओं, मूल्यों और मानदंडों के आधार पर समझा जाना चाहिए, न कि किसी अन्य संस्कृति के मानदंडों से मापा जाना चाहिए।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा हमें पूर्वाग्रहों से मुक्त होकर विभिन्न सांस्कृतिक प्रथाओं के पीछे के कारणों और अर्थों को समझने में मदद करती है। यह ‘आत्म-केन्द्रितता’ (ethnocentrism) का विरोधी है।
- गलत विकल्प: सभी संस्कृतियों को समान रूप से श्रेष्ठ मानना (a) या तुलना न करना (d) इसके अर्थ को सीमित करता है। अपनी संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ मानना (c) आत्म-केन्द्रितता है, जो सांस्कृतिक सापेक्षवाद के बिल्कुल विपरीत है।
प्रश्न 19: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी किस पुस्तक में ‘रंगमंच’ (Dramaturgy) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया?
- Asylums
- The Presentation of Self in Everyday Life
- Stigma
- Frame Analysis
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी 1959 की पुस्तक “The Presentation of Self in Everyday Life” में ‘रंगमंच’ (Dramaturgy) के सिद्धांत का प्रतिपादन किया।
- संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत के अनुसार, व्यक्ति अपने सामाजिक जीवन को एक मंच की तरह जीते हैं, जहां वे ‘अभिनय’ (acting) करते हैं, ‘मुखौटे’ (masks) पहनते हैं और दूसरों पर एक विशेष ‘छाप’ (impression) छोड़ने का प्रयास करते हैं। रोजमर्रा की बातचीत को एक प्रदर्शन के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: ‘Asylums’ (1961) में उन्होंने संस्थाओं का अध्ययन किया। ‘Stigma’ (1963) में उन्होंने सामाजिक उपेक्षा का विश्लेषण किया। ‘Frame Analysis’ (1974) अन्य विषयों से संबंधित है।
प्रश्न 20: भारतीय समाज में, ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की प्रक्रिया का अर्थ है?
- पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण
- उच्च जातियों की प्रथाओं और रीति-रिवाजों को निम्न जातियों द्वारा अपनाना
- आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग
- शहरी जीवन शैली का अनुकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: संस्कृतिकरण, जैसा कि एम. एन. श्रीनिवास द्वारा परिभाषित किया गया है, एक प्रक्रिया है जिसमें निम्न या मध्यम जातियों के समूह उच्च जातियों (विशेष रूप से ‘द्विजा’ या ‘ब्राह्मण’) की जीवन शैली, अनुष्ठानों, विश्वासों और सामाजिक प्रथाओं को अपनाते हैं ताकि वे अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठा सकें।
- संदर्भ और विस्तार: यह जाति व्यवस्था के भीतर सामाजिक गतिशीलता का एक रूप है। यह एक सांस्कृतिक और अनुष्ठानिक प्रक्रिया है जो सामाजिक स्थिति प्राप्त करने के लिए होती है।
- गलत विकल्प: पश्चिमी संस्कृति का अनुकरण (a) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है। आधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग (c) ‘आधुनिकीकरण’ से संबंधित है। शहरी जीवन शैली का अनुकरण (d) ‘शहरीकरण’ का प्रभाव हो सकता है।
प्रश्न 21: मैरी डगलस (Mary Douglas) ने अपनी पुस्तक “Purity and Danger” (1966) में किन प्रमुख अवधारणाओं का विश्लेषण किया?
- सामाजिक वर्ग और असमानता
- धर्म, अनुष्ठान और वर्जनाएं
- पर्यावरण और विकास
- नारीवाद और लैंगिक भूमिकाएं
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मैरी डगलस ने अपनी क्लासिक पुस्तक “Purity and Danger” में धर्म, अनुष्ठान, वर्जनाएं (taboos) और अपवित्रता (pollution) के विचारों का मानवशास्त्रीय और समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से विश्लेषण किया।
- संदर्भ और विस्तार: उन्होंने तर्क दिया कि पवित्र और अपवित्र के बीच की रेखाएँ सामाजिक रूप से निर्मित होती हैं और इन रेखाओं को बनाए रखने के लिए वर्जनाओं का उपयोग किया जाता है। यह पुस्तक मानव समाज में ‘वर्ग’ (order) और ‘खतरे’ (danger) की अवधारणाओं को समझने में महत्वपूर्ण है।
- गलत विकल्प: सामाजिक वर्ग और असमानता (a) कार्ल मार्क्स और अन्य समाजशास्त्रियों के लिए केंद्रीय हैं। पर्यावरण और विकास (c) इको-सोशियोलॉजी का विषय है। नारीवाद और लैंगिक भूमिकाएं (d) नारीवादी सिद्धांतकारों के लिए मुख्य हैं।
प्रश्न 22: निम्न में से कौन सी सामाजिक समस्या, आधुनिक औद्योगिक समाजों में व्यक्तियों के अपने श्रम से अलगाव की भावना को दर्शाती है?
- साइबर अपराध
- मानसिक स्वास्थ्य विकार
- पराबैंगनी विकिरण का बढ़ता स्तर
- वैश्विक तापन
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: मानसिक स्वास्थ्य विकार (Mental health disorders), जैसे अवसाद, चिंता और अकेलापन, अक्सर आधुनिक औद्योगिक समाजों में व्यक्तियों द्वारा अपने काम, समाज और स्वयं से महसूस किए जाने वाले अलगाव (alienation) का परिणाम हो सकते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि कार्ल मार्क्स ने मुख्य रूप से आर्थिक अलगाव की बात की थी, आधुनिक समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को अन्य क्षेत्रों में भी विस्तारित किया है। काम की नीरसता, सामाजिक अलगाव, और जीवन में अर्थ की कमी मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है।
- गलत विकल्प: साइबर अपराध (a), पराबैंगनी विकिरण का बढ़ता स्तर (c), और वैश्विक तापन (d) महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय मुद्दे हैं, लेकिन वे सीधे तौर पर ‘श्रम से अलगाव’ की भावना को नहीं दर्शाते हैं।
प्रश्न 23: निम्नलिखित में से किस समाजशास्त्री ने ‘वर्ण-व्यवस्था’ (Varna System) को भारतीय समाज की संरचना का आधार माना?
- एम. एन. श्रीनिवास
- जी. एस. घुरिये
- इरावती कर्वे
- डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: जी. एस. घुरिये (G. S. Ghurye) भारतीय समाज के सबसे प्रमुख समाजशास्त्रियों में से एक थे, जिन्होंने वर्ण-व्यवस्था को भारतीय समाज की संरचना और विशेषताओं को समझने की कुंजी माना।
- संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने अपनी पुस्तक “Caste and Race in India” (1932) में जाति व्यवस्था की उत्पत्ति और संरचना का विस्तृत विश्लेषण किया और इसे प्राचीन वर्ण व्यवस्था से जोड़ा। उन्होंने जाति व्यवस्था के छः प्रमुख लक्षण बताए, जिनमें से एक वर्ण व्यवस्था का मूल सिद्धांत था।
- गलत विकल्प: एम. एन. श्रीनिवास ने ‘प्रभु जाति’ और ‘संस्कृतिकरण’ जैसी अवधारणाएं दीं। इरावती कर्वे ने जाति को ‘विस्तारित परिवार’ के रूप में देखा। डॉ. बी. आर. अम्बेडकर ने जाति व्यवस्था की आलोचना की और इसके उन्मूलन पर जोर दिया, तथा इसे ‘ऊंच-नीच’ पर आधारित माना, न कि केवल वर्ण पर।
प्रश्न 24: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा को किसने विकसित किया?
- पियरे बॉर्डियू
- जेम्स कोलमेन
- रॉबर्ट पटनम
- उपरोक्त सभी
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को मुख्य रूप से पियरे बॉर्डियू, जेम्स कोलमेन और रॉबर्ट पटनम जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित और लोकप्रिय किया है, हालाँकि उनके दृष्टिकोण थोड़े भिन्न हैं।
- संदर्भ और विस्तार: पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu) ने सामाजिक पूंजी को ‘सदस्यता के नेटवर्क तक पहुंच’ के रूप में परिभाषित किया, जो सामाजिक संबंधों से प्राप्त होता है। जेम्स कोलमेन (James Coleman) ने सामाजिक पूंजी को ‘सामाजिक संरचनाओं में निहित संसाधन’ के रूप में देखा जो व्यक्तियों को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करते हैं। रॉबर्ट पटनम (Robert Putnam) ने इसे ‘सामाजिक नेटवर्क, साझा मूल्यों और मानदंडों’ के रूप में परिभाषित किया जो सहयोग को सुविधाजनक बनाते हैं।
- गलत विकल्प: चूंकि तीनों ही विचारक इस अवधारणा से महत्वपूर्ण रूप से जुड़े हैं, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।
प्रश्न 25: निम्नलिखित में से कौन सा सिद्धांत सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में ‘धर्म’ की भूमिका पर जोर देता है?
- मार्क्सवाद
- प्रकार्यवादी सिद्धांत
- संघर्ष सिद्धांत
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही उत्तर: प्रकार्यवादी सिद्धांत (Functionalist Theory), विशेष रूप से एमिल दुर्खीम के कार्य में, धर्म को एक ऐसी संस्था के रूप में देखा जाता है जो समाज में एकता, एकजुटता और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक “The Elementary Forms of Religious Life” (1912) में तर्क दिया कि धर्म सामूहिक चेतना को मजबूत करता है, साझा मूल्यों और विश्वासों को बढ़ावा देता है, और लोगों को सामाजिक मानदंडों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है। इससे समाज में स्थिरता आती है।
- गलत विकल्प: मार्क्सवाद और संघर्ष सिद्धांत (a, c) धर्म को अक्सर प्रभुत्व और नियंत्रण के एक उपकरण के रूप में देखते हैं, जो मौजूदा शक्ति संरचनाओं को बनाए रखता है, न कि स्वाभाविक रूप से सामाजिक व्यवस्था के सहायक के रूप में। प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (d) धर्म के व्यक्तिगत और सामाजिक अर्थों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है, न कि बड़े पैमाने पर व्यवस्था बनाए रखने पर।