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समाजशास्त्र की गहन समझ: आज की परीक्षा

समाजशास्त्र की गहन समझ: आज की परीक्षा

समाजशास्त्र के जिज्ञासुओं, अपनी संकल्पनात्मक स्पष्टता और विश्लेषणात्मक कौशल को तेज़ करने के लिए तैयार हो जाइए! पेश है आज की विशेष समाजशास्त्रीय चुनौती, जो आपको अपने ज्ञान की गहराई का परीक्षण करने और मुख्य सिद्धांतों में महारत हासिल करने में मदद करेगी। आइए, समाजशास्त्र के विशाल परिदृश्य में एक और ज्ञानवर्धक यात्रा शुरू करें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान की गई विस्तृत व्याख्याओं के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘वरिष्ठता’ (Gerontocracy) किस प्रकार की सामाजिक संरचना का वर्णन करती है?

  1. वह समाज जहाँ शक्ति और अधिकार मुख्य रूप से युवाओं के पास होता है।
  2. वह समाज जहाँ शक्ति और अधिकार मुख्य रूप से वृद्ध लोगों के हाथों में केंद्रित होता है।
  3. वह समाज जहाँ शक्ति और अधिकार समान रूप से सभी आयु समूहों में वितरित होता है।
  4. वह समाज जहाँ शक्ति और अधिकार का निर्धारण योग्यता के आधार पर होता है, न कि आयु के।

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ‘वरिष्ठता’ (Gerontocracy) एक ऐसी सामाजिक या राजनीतिक व्यवस्था को संदर्भित करती है जिसमें सत्ता, नेतृत्व और अधिकार मुख्य रूप से वृद्ध या वरिष्ठ व्यक्तियों के हाथों में केंद्रित होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शब्द ग्रीक शब्द ‘geron’ (वृद्ध) और ‘kratos’ (शासन) से बना है। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से, यह आयु-आधारित स्तरीकरण (age-based stratification) का एक रूप है जहाँ अनुभव और उम्र को विशेषाधिकार और निर्णय लेने की शक्ति का आधार माना जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) ‘युवा-शासन’ (Gerontocracy का विपरीत) होगा। विकल्प (c) ‘समान वितरण’ और (d) ‘योग्यता-आधारित’ वितरण वरिष्ठता के विपरीत अवधारणाएँ हैं।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, समाज में ‘एकता’ (Solidarity) के दो मुख्य रूप कौन से हैं?

  1. औपचारिक एकता और अनौपचारिक एकता
  2. यांत्रिक एकता और साव्यवी एकता
  3. सामूहिक एकता और व्यक्तिगत एकता
  4. आर्थिक एकता और राजनीतिक एकता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में समाज में सामाजिक एकता (social solidarity) के दो प्रमुख रूपों का वर्णन किया है: यांत्रिक एकता (Mechanical Solidarity) और साव्यवी एकता (Organic Solidarity)।
  • संदर्भ और विस्तार: यांत्रिक एकता निम्न-जटिलता वाले समाजों में पाई जाती है जहाँ लोग समान विश्वासों, मूल्यों और अनुभवों को साझा करते हैं (सामूहिक चेतना प्रबल होती है)। साव्यवी एकता उच्च-जटिलता वाले समाजों में श्रम विभाजन के कारण विकसित होती है, जहाँ लोग एक-दूसरे पर विशिष्ट कार्यों के लिए निर्भर होते हैं, जैसे शरीर के अंग एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प दुर्खीम द्वारा प्रस्तावित एकता के प्रकारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

प्रश्न 3: ‘अमीरों का गरीबी’ (Poverty of the Rich) या ‘सापेक्षिक अभाव’ (Relative Deprivation) की अवधारणा किसने विकसित की?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. रॉबर्ट किंगाले मर्टन
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: रॉबर्ट किंगाले मर्टन ने ‘सापेक्षिक अभाव’ (Relative Deprivation) की अवधारणा का विकास किया। इसका अर्थ है कि व्यक्ति अपनी स्थिति का मूल्यांकन दूसरों के संदर्भ में करता है। जब कोई व्यक्ति देखता है कि उसके पास उन लोगों की तुलना में कम संसाधन या अवसर हैं जिन्हें वह अपना संदर्भ समूह (reference group) मानता है, तो वह अभाव महसूस कर सकता है, भले ही उसके पास निरपेक्ष रूप से पर्याप्त हो। ‘अमीरों का गरीबी’ इसी विचार का एक अभिव्यंजक रूप है।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने इस अवधारणा का उपयोग सामाजिक असंतोष और अपराध जैसे व्यवहारों की व्याख्या करने के लिए किया। यह संदर्भ समूह सिद्धांत (Reference Group Theory) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘निरपेक्ष अभाव’ (Absolute Deprivation) और वर्ग संघर्ष पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने शक्ति, प्रतिष्ठा और वर्ग के आधार पर स्तरीकरण का विश्लेषण किया। जॉर्ज हर्बर्ट मीड ने प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism) का विकास किया।

प्रश्न 4: भारतीय समाज में ‘अस्पृश्यता’ (Untouchability) किस सामाजिक स्तरीकरण व्यवस्था का परिणाम है?

  1. वर्ग व्यवस्था
  2. जाति व्यवस्था
  3. लिंग व्यवस्था
  4. नस्ल व्यवस्था

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: भारत में ‘अस्पृश्यता’ ऐतिहासिक रूप से जाति व्यवस्था (Caste System) का एक चरम और अमानवीय परिणाम रही है। यह एक पदानुक्रमित सामाजिक व्यवस्था है जो जन्म पर आधारित होती है और व्यवसाय, सामाजिक संपर्क और अनुष्ठानिक शुद्धता के आधार पर विभिन्न समूहों को विभाजित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: जाति व्यवस्था के भीतर, कुछ निम्न जातियों को ‘अछूत’ माना जाता था और उनसे शारीरिक संपर्क, साथ खाना-पीना या सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश को वर्जित किया गया था। भारतीय संविधान ने अस्पृश्यता को अनुच्छेद 17 के तहत समाप्त कर दिया है।
  • गलत विकल्प: जबकि वर्ग, लिंग और नस्ल भी सामाजिक स्तरीकरण के रूप हैं, भारत में अस्पृश्यता का सीधा संबंध और उत्पत्ति जाति व्यवस्था से है।

प्रश्न 5: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के प्रमुख प्रवर्तक कौन माने जाते हैं?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. ताल्कोट पार्सन्स

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख संस्थापक माना जाता है। उन्होंने समाज को व्यक्तियों के बीच निरंतर होने वाली अंतःक्रियाओं की एक श्रृंखला के रूप में देखा, जो प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) के माध्यम से होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड का काम, जो अक्सर उनके छात्रों द्वारा संकलित किया गया था (जैसे ‘Mind, Self, and Society’), इस बात पर जोर देता है कि ‘स्व’ (Self) और ‘समाज’ (Society) अंतःक्रियात्मक रूप से निर्मित होते हैं। उन्होंने ‘मी’ (Me) और ‘आई’ (I) के बीच के द्वंद्व का भी वर्णन किया, जो सामाजिक आत्म के निर्माण की प्रक्रिया को समझाता है।
  • गलत विकल्प: मार्क्स, दुर्खीम और पार्सन्स विभिन्न समाजशास्त्रीय दृष्टिकोणों (जैसे मार्क्सवाद, कार्यात्मकता) से जुड़े हैं, न कि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से।

प्रश्न 6: ‘नारीवाद’ (Feminism) के संदर्भ में, ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) का क्या अर्थ है?

  1. परिवार में महिलाओं का शासन
  2. समाज में पुरुषों का प्रमुख राजनीतिक और सामाजिक प्रभुत्व
  3. महिलाओं द्वारा पुरुषों पर आर्थिक नियंत्रण
  4. पुरुषों और महिलाओं के बीच पूर्ण सामाजिक समानता

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: नारीवाद के क्षेत्र में, ‘पितृसत्ता’ (Patriarchy) एक सामाजिक व्यवस्था को संदर्भित करती है जिसमें पुरुष, विशेष रूप से पिता या बड़े पुरुष रिश्तेदार, शक्ति के प्राथमिक धारक होते हैं, और जहाँ महिलाओं के पास प्रमुख राजनीतिक नेतृत्व, नैतिक अधिकार, सामाजिक विशेषाधिकार और संपत्ति के नियंत्रण का अधिकार कम होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज में पुरुषों के प्रभुत्व और महिलाओं की अधीनता की व्याख्या करती है, जो संस्थागत (जैसे सरकार, अर्थव्यवस्था) और व्यक्तिगत स्तर पर प्रकट हो सकती है। कैथरीन मैककिनन और आर.डब्ल्यू. कॉन का काम पितृसत्ता को समझने में महत्वपूर्ण रहा है।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प या तो पितृसत्ता के विपरीत हैं (जैसे समानता) या इसके एक विशिष्ट पहलू को गलत तरीके से प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 7: आर.के. मर्टन द्वारा प्रस्तुत ‘अनुकूलनीय व्यवहार’ (Deviant Behavior) के तीन मुख्य प्रकार कौन से हैं, जो संरचनात्मक तनाव (Strain Theory) से उत्पन्न होते हैं?

  1. ईमानदारी, सहयोग, परोपकार
  2. नवप्रवर्तन (Innovation), अनुष्ठानवाद (Ritualism), पलायनवाद (Retreatism), विद्रोह (Rebellion)
  3. परंपरा, आधुनिकता, उत्तर-आधुनिकता
  4. संघर्ष, प्रतियोगिता, सह-अस्तित्व

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: आर.के. मर्टन ने अपनी ‘स्ट्रक्चरल स्ट्रेन थ्योरी’ में बताया कि जब समाज सांस्कृतिक लक्ष्यों (जैसे धन कमाना) और संस्थागत साधनों (जैसे शिक्षा, कड़ी मेहनत) के बीच एक विसंगति पैदा करता है, तो अनुकूलन के विभिन्न तरीके उत्पन्न होते हैं। इनमें नवप्रवर्तन (लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अवैध साधनों का उपयोग), अनुष्ठानवाद (लक्ष्यों को छोड़ना लेकिन साधनों का पालन करना), पलायनवाद (लक्ष्यों और साधनों दोनों को छोड़ना) और विद्रोह (लक्ष्यों और साधनों को बदलना) शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मर्टन के अनुसार, केवल ‘अनुरूपता’ (Conformity) ही सामाजिक लक्ष्य को प्राप्त करने का स्वीकृत तरीका है, जबकि अन्य अनुकूलन को ‘असामान्य’ या ‘विचलन’ (devient) माना जाता है।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) सामान्य व्यवहार के उदाहरण हैं। विकल्प (c) सामाजिक परिवर्तन के प्रकार हैं। विकल्प (d) सामाजिक संपर्क के सामान्य रूप हैं।

प्रश्न 8: ‘सामूहिकीकरण’ (Collectivization) की प्रक्रिया, जहाँ संपत्ति और उत्पादन के साधनों का स्वामित्व राज्य या समुदाय के पास होता है, किस प्रकार की अर्थव्यवस्था से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?

  1. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था
  2. समाजवादी अर्थव्यवस्था
  3. बाजार अर्थव्यवस्था
  4. मिश्रित अर्थव्यवस्था

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: सामूहिकीकरण, जहाँ उत्पादन के साधनों का स्वामित्व और नियंत्रण सार्वजनिक या सामूहिक होता है, समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं की एक प्रमुख विशेषता है। इसमें निजी संपत्ति को कम या समाप्त किया जाता है और उत्पादन को सामूहिक लाभ के लिए निर्देशित किया जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: सोवियत संघ में कृषि का सामूहिकीकरण एक प्रमुख उदाहरण है, जहाँ व्यक्तिगत किसानों की भूमि को बड़े सामूहिक खेतों (kolkhozes) में एकीकृत किया गया था। यह समाजवाद के केंद्रीय योजना और उत्पादन के साधनों के सार्वजनिक स्वामित्व के सिद्धांत से जुड़ा है।
  • गलत विकल्प: पूंजीवादी अर्थव्यवस्था निजी संपत्ति और मुक्त बाजार पर आधारित होती है। मिश्रित अर्थव्यवस्था दोनों के तत्व रखती है। बाजार अर्थव्यवस्था भी मुख्य रूप से निजी स्वामित्व पर निर्भर करती है।

प्रश्न 9: ‘अभिजन वर्ग सिद्धांत’ (Elite Theory) के प्रमुख प्रतिपादकों में कौन शामिल हैं?

  1. ई.बी. टाइलर और एल.एच. मॉर्गन
  2. एमिल दुर्खीम और मैक्स वेबर
  3. विलफ्रेडो पैरेटो और गÉtano Mosca
  4. हर्बर्ट स्पेंसर और अगस्ट कॉम्ट

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विलफ्रेडो पैरेटो (Vilfredo Pareto) और गÉtano Mosca को अभिजन वर्ग सिद्धांत (Elite Theory) के मुख्य प्रवर्तकों में गिना जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि किसी भी समाज में, चाहे वह कितना भी लोकतांत्रिक क्यों न हो, एक छोटा, विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक वर्ग (अभिजन) हमेशा सत्ता और प्रभाव रखता है।
  • संदर्भ और विस्तार: पैरेटो ने ‘अभिजन के परिसंचरण’ (circulation of elites) का सिद्धांत भी दिया, जिसमें कहा गया है कि अभिजन वर्ग समय के साथ बदलता रहता है। पैरेटो की पुस्तक ‘The Mind and Society’ (जिसे ‘Treatise on General Sociology’ के नाम से भी जाना जाता है) और मॉस्का की ‘The Ruling Class’ इस सिद्धांत के महत्वपूर्ण स्रोत हैं।
  • गलत विकल्प: टाइलर और मॉर्गन मानवविज्ञान से जुड़े हैं। दुर्खीम और वेबर (जिन्होंने ‘अभिजन’ पर कुछ काम किया, लेकिन विशेष रूप से सिद्धांत के रूप में नहीं) कार्यात्मकता और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से जुड़े हैं। स्पेंसर और कॉम्ट समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाते हैं जिन्होंने विकासवादी और सकारात्मकतावादी सिद्धांत दिए।

प्रश्न 10: भारत में ‘कृषि संकट’ (Agrarian Crisis) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा कारक महत्वपूर्ण नहीं है?

  1. बढ़ता ऋणग्रस्तता
  2. कमजोर विपणन व्यवस्था
  3. भूमि सुधारों का प्रभावी कार्यान्वयन
  4. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: कृषि संकट के संदर्भ में, ‘भूमि सुधारों का प्रभावी कार्यान्वयन’ एक सकारात्मक या समाधानकारी कारक है, न कि संकट का कारण। जबकि भारत में भूमि सुधारों के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ रही हैं, ‘प्रभावी कार्यान्वयन’ को संकट के कारक के रूप में सूचीबद्ध करना गलत है।
  • संदर्भ और विस्तार: बढ़ता ऋणग्रस्तता, कमजोर विपणन व्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, गिरते भूजल स्तर, छोटी जोत, और कृषि उत्पादों के लिए अपर्याप्त न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) जैसे कारक भारत में कृषि संकट के प्रमुख कारण रहे हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य सभी विकल्प (a, b, d) भारतीय कृषि संकट के स्थापित और महत्वपूर्ण कारक हैं।

प्रश्न 11: ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने प्रस्तुत की?

  1. एल्बर्ट कोएनीग
  2. विलियम ग्राहम समनर
  3. हर्बर्ट ब्लूमर
  4. चार्ल्स हॉर्टन कूली

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: विलियम ग्राहम समनर (William Graham Sumner) ने अपनी पुस्तक ‘Folkways’ (1906) में ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि समाज में भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे रीति-रिवाज, मूल्य, कानून) की तुलना में तेज़ी से बदलती है, जिससे सामाजिक समायोजन में कठिनाई होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, इंटरनेट और सोशल मीडिया जैसी नई प्रौद्योगिकियों (भौतिक संस्कृति) का आविष्कार बहुत तेज़ी से हुआ, जबकि उनके उपयोग से जुड़े नैतिक, कानूनी और सामाजिक नियमों (अभौतिक संस्कृति) को विकसित होने में समय लगा, जिससे ‘सांस्कृतिक विलंब’ उत्पन्न हुआ।
  • गलत विकल्प: कोएनीग, ब्लूमर और कूली क्रमशः समाजशास्त्रीय कार्य, प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद और ‘लुकिंग-ग्लास सेल्फ’ (Looking-glass self) सिद्धांत से जुड़े हैं।

प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का सिद्धांत मुख्य रूप से किस पर केंद्रित है?

  1. व्यक्तिगत वित्तीय संसाधन
  2. सामाजिक संबंधों से उत्पन्न होने वाले लाभ और अवसर
  3. किसी व्यक्ति की शिक्षा और कौशल
  4. भौतिक संपत्ति जैसे भूमि और भवन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) का सिद्धांत, जिसे पियरे बॉर्डियू (Pierre Bourdieu), जेम्स कॉलमैन (James Coleman) और रॉबर्ट पुटनम (Robert Putnam) जैसे समाजशास्त्रियों ने विकसित किया है, इस बात पर जोर देता है कि सामाजिक नेटवर्क, विश्वास, आपसी समझ और सहयोग जैसे सामाजिक संबंधों से व्यक्तियों या समूहों को मिलने वाले लाभ और अवसर क्या हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक पूंजी लोगों को सूचना, समर्थन और संसाधनों तक पहुँच प्रदान करती है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। बॉर्डियू ने इसे ‘सांस्कृतिक पूंजी’ और ‘आर्थिक पूंजी’ के साथ एक पूंजी के रूप में देखा।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प व्यक्तिगत या भौतिक संपत्तियों का वर्णन करते हैं, न कि सामाजिक संबंधों से प्राप्त लाभों का।

प्रश्न 13: ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा, जिसका अर्थ है सामाजिक मानदंडों की कमी या कमजोर पड़ना, किस समाजशास्त्री द्वारा विकसित की गई?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. ऑगस्ट कॉम्ट
  4. एमिल दुर्खीम

उत्तर: (d)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एमिल दुर्खीम ने ‘अराजकता’ (Anomie) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाया। उन्होंने इसे एक ऐसी स्थिति के रूप में परिभाषित किया जहाँ समाज में अच्छे व्यवहार के नियम या तो अनुपस्थित होते हैं या कमजोर पड़ जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में अनिश्चितता, अलगाव और दिशाहीनता की भावना पैदा होती है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने आत्महत्या पर अपने काम में ‘अनोमिक आत्महत्या’ (anomic suicide) का उल्लेख किया, जो सामाजिक अस्थिरता या तेजी से हो रहे परिवर्तनों के दौरान उत्पन्न होती है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ में भी इस अवधारणा का प्रयोग किया।
  • गलत विकल्प: मार्क्स ने वर्ग संघर्ष और अलगाव (alienation) पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने सत्ता, नौकरशाही और तर्कसंगतता पर काम किया। कॉम्ट समाजशास्त्र के संस्थापक थे जिन्होंने ‘सकारात्मकता’ (positivism) का सिद्धांत दिया।

प्रश्न 14: ‘प्रबलन’ (Reinforcement) और ‘सजा’ (Punishment) के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया, जो समाजशास्त्रीय व्यवहार के अध्ययन में महत्वपूर्ण है, किस मनोवैज्ञानिक सिद्धांत से ली गई है?

  1. मनोविश्लेषण (Psychoanalysis)
  2. व्यवहारवाद (Behaviorism)
  3. संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)
  4. मानवतावादी मनोविज्ञान (Humanistic Psychology)

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ‘प्रबलन’ (Reinforcement) और ‘सजा’ (Punishment) के माध्यम से सीखने की प्रक्रिया व्यवहारवाद (Behaviorism) का मुख्य सिद्धांत है। बी.एफ. स्किनर (B.F. Skinner) जैसे व्यवहारवादियों ने बताया कि व्यवहार को उसके परिणामों (पुरस्कार या दंड) से आकार मिलता है।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्र में, यह सिद्धांत सामाजिक सीखने (social learning), समाजीकरण (socialization) और सामाजिक नियंत्रण (social control) की प्रक्रियाओं को समझने में सहायक होता है, जहाँ लोग पुरस्कृत व्यवहारों को सीखते हैं और दंडित व्यवहारों से बचते हैं।
  • गलत विकल्प: मनोविश्लेषण अचेतन मन पर केंद्रित है। संज्ञानात्मक मनोविज्ञान विचार प्रक्रियाओं से संबंधित है। मानवतावादी मनोविज्ञान व्यक्तिगत विकास और आत्म-बोध पर केंद्रित है।

प्रश्न 15: भारत में ‘वस्त्र’ (Clothing) और ‘खान-पान’ (Diet) जैसी चीजें, जो समूह की पहचान का संकेत देती हैं, समाजशास्त्र में क्या कहलाती हैं?

  1. सामाजिक संरचना
  2. सांस्कृतिक प्रतीक
  3. सामाजिक गतिशीलता
  4. आर्थिक संकेतक

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: वस्त्र, खान-पान, भाषा, रीति-रिवाज और कला जैसी चीजें जो किसी विशेष समूह या संस्कृति की पहचान को दर्शाती हैं, उन्हें ‘सांस्कृतिक प्रतीक’ (Cultural Symbols) कहा जाता है। ये प्रतीक समूह के सदस्यों को आपस में जोड़ने और बाहरी लोगों से अलग करने में मदद करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: ये प्रतीक समूह के सदस्यों के बीच साझा अर्थ और मूल्य रखते हैं, जो उनकी सामूहिक पहचान को मजबूत करते हैं। वे संस्कृति का एक दृश्यमान या अनुभवजन्य तत्व हैं।
  • गलत विकल्प: सामाजिक संरचना समाज के पैटर्न को संदर्भित करती है। सामाजिक गतिशीलता समाज में व्यक्तियों या समूहों की स्थिति में परिवर्तन को दर्शाती है। आर्थिक संकेतक अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को मापते हैं।

प्रश्न 16: ‘संसाधन जुटाना’ (Resource Mobilization) सिद्धांत मुख्य रूप से किस प्रकार के सामाजिक आंदोलनों की व्याख्या करने के लिए उपयोग किया जाता है?

  1. धार्मिक आंदोलन
  2. सामाजिक सुधार आंदोलन
  3. राजनीतिक आंदोलन
  4. संक्षिप्त, अचानक होने वाले आंदोलन

उत्तर: (b)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: ‘संसाधन जुटाना’ (Resource Mobilization) सिद्धांत मुख्य रूप से उन सामाजिक आंदोलनों की व्याख्या करता है जो अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संगठित होते हैं और विभिन्न प्रकार के संसाधनों (जैसे मानव शक्ति, धन, संचार माध्यम, नेतृत्व) को जुटाते हैं। यह अक्सर सामाजिक सुधार आंदोलनों पर लागू होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह सिद्धांत मानता है कि किसी आंदोलन की सफलता केवल उत्पीड़न या असंतोष पर निर्भर नहीं करती, बल्कि इस बात पर भी निर्भर करती है कि आंदोलन अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक संसाधनों को कितनी प्रभावी ढंग से जुटा सकता है।
  • गलत विकल्प: यद्यपि यह सिद्धांत अन्य आंदोलनों पर भी लागू हो सकता है, लेकिन इसका प्राथमिक ध्यान संगठित, दीर्घकालिक आंदोलनों पर होता है, जिसमें सामाजिक सुधार आंदोलन शामिल हैं। विकल्प (d) ‘संक्षिप्त, अचानक होने वाले आंदोलन’ (जैसे दंगे) के लिए कम प्रासंगिक है।

प्रश्न 17: ‘जाति-वर्ग’- (Caste-Class) अंतर्संबंध पर भारतीय समाज के संदर्भ में किसने विशेष रूप से कार्य किया?

  1. टी.बी. बॉटमोर
  2. डी.पी. मुखर्जी
  3. एम.एन. श्रीनिवास
  4. आई.पी. देसाई

उत्तर: (c)

विस्तृत व्याख्या:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के अध्ययन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और जाति तथा वर्ग के बीच जटिल अंतर्संबंधों को समझाने का प्रयास किया है। उन्होंने ‘सanskritization’ (संस्कृतीकरण) और ‘Dominant Caste’ (प्रभावी जाति) जैसी अवधारणाओं के माध्यम से यह दर्शाया कि कैसे पारंपरिक जाति पदानुक्रम आधुनिक सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों से प्रभावित होता है और अप्रत्यक्ष रूप से वर्ग संरचना से जुड़ता है।
  • संदर्भ और विस्तार: श्रीनिवास के कार्य ने यह स्पष्ट किया कि भारत में वर्ग केवल आर्थिक स्थिति पर आधारित नहीं है, बल्कि इसमें जातिगत स्थिति का भी महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
  • गलत विकल्प: बॉटमोर वर्ग संरचना पर एक ब्रिटिश समाजशास्त्री थे। डी.पी. मुखर्जी एक भारतीय मार्क्सवादी समाजशास्त्री थे जिन्होंने भारतीय संस्कृति और परिवर्तन पर लिखा। आई.पी. देसाई ने भी भारतीय समाज पर काम किया, लेकिन श्रीनिवास का जाति-वर्ग पर काम अधिक केंद्रीय है।

  • प्रश्न 18: ‘सामाजिक संस्था’ (Social Institution) से आप क्या समझते हैं?

    1. व्यक्तियों का एक अनौपचारिक समूह
    2. समाज द्वारा स्वीकृत और स्थायी रूप से स्थापित सामाजिक व्यवहार और संबंधों का एक पैटर्न
    3. सरकार द्वारा बनाए गए नियम और कानून
    4. व्यक्तिगत धारणाएं और विश्वास

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक संस्था (Social Institution) किसी भी समाज के मौलिक स्तंभों में से एक है। यह व्यवहार और संबंधों का एक स्थापित, व्यवस्थित और स्थायी पैटर्न है जिसे समाज द्वारा स्वीकार किया गया है और जो समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए संरचित है। उदाहरणों में परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार और अर्थव्यवस्था शामिल हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: ये संस्थाएं अक्सर अपने स्वयं के नियमों, प्रक्रियाओं और प्रतीकों के साथ आती हैं। वे सामाजिक व्यवस्था और निरंतरता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) एक अनौपचारिक समूह को संस्था नहीं माना जाता। (c) नियम और कानून संस्थाओं का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन पूरी संस्था नहीं। (d) व्यक्तिगत धारणाएं संस्था का आधार हो सकती हैं, लेकिन स्वयं संस्था नहीं।

    प्रश्न 19: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) सिद्धांत के अनुसार, परंपरागत समाजों से आधुनिक समाजों में परिवर्तन के प्रमुख संकेतक क्या हैं?

    1. कृषि पर निर्भरता, पारंपरिक मूल्य, सीमित गतिशीलता
    2. औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्रीकरण
    3. सामंतवाद, वंशानुगत शासन, ग्रामीण जीवन
    4. कबीलाई समाज, अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण, संवादात्मक अर्थव्यवस्था

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: आधुनिकीकरण सिद्धांत मानता है कि परंपरागत समाजों का आधुनिक समाजों में परिवर्तन औद्योगीकरण (औद्योगिक उत्पादन), शहरीकरण (शहरों की ओर पलायन), धर्मनिरपेक्षता (धर्म के प्रभाव में कमी) और लोकतंत्रीकरण (अधिक भागीदारी वाली शासन प्रणाली) जैसे प्रमुख कारकों से चिह्नित होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत को अक्सर आलोचना का सामना करना पड़ता है क्योंकि यह पश्चिमीकरण (Westernization) को एक सार्वभौमिक मॉडल के रूप में देखता है, लेकिन यह सामाजिक परिवर्तन को समझने का एक प्रभावशाली ढांचा रहा है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) परंपरागत समाजों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं, न कि आधुनिकीकरण के संकेतकों का।

    प्रश्न 20: ‘भूमि-पुत्र’ (Son of the Soil) की अवधारणा भारतीय संदर्भ में किस मुद्दे से सबसे अधिक जुड़ी हुई है?

    1. भूमि स्वामित्व का अधिकार
    2. क्षेत्रीयतावाद और स्थानीय रोजगार की मांग
    3. किसानों का शहरों की ओर पलायन
    4. कृषि श्रम की कमी

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: ‘भूमि-पुत्र’ (Son of the Soil) की अवधारणा भारतीय संदर्भ में क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) और स्थानीय रोजगार की मांग से जुड़ी है। यह उन लोगों के समूह का वर्णन करती है जो किसी विशेष क्षेत्र के मूल निवासी होने का दावा करते हैं और अन्य क्षेत्रों से आए लोगों के खिलाफ स्थानीय संसाधनों (विशेषकर नौकरियों) पर अपने पहले अधिकार की मांग करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह आंदोलन अक्सर राज्यों में स्थानीय भाषाओं, संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को संरक्षित करने के एजेंडे के साथ जुड़ा होता है।
    • गलत विकल्प: जबकि भूमि स्वामित्व (a) और पलायन (c) जैसे मुद्दे सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन से जुड़े हैं, ‘भूमि-पुत्र’ सीधे तौर पर स्थानीयता और क्षेत्रीय पहचान की राजनीति से संबंधित है। कृषि श्रम की कमी (d) एक परिणाम हो सकती है, लेकिन मूल मुद्दा नहीं।

    प्रश्न 21: ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा क्या स्पष्ट करती है?

    1. समाज में व्यक्तियों के बीच व्यक्तिगत संबंध
    2. समाज में संसाधनों, विशेषाधिकारों और शक्ति के असमान वितरण की व्यवस्था
    3. समाज में सामाजिक समूहों के बीच सहयोग की प्रक्रिया
    4. समाज में सांस्कृतिक आदान-प्रदान का तरीका

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक स्तरीकरण (Social Stratification) समाज में लोगों को उनकी आय, धन, शिक्षा, व्यवसाय, सामाजिक स्थिति और शक्ति के आधार पर विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की एक सार्वभौमिक और पदानुक्रमित प्रक्रिया है। यह संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण को दर्शाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: स्तरीकरण के मुख्य रूप वर्ग (class), जाति (caste), स्थिति (status) और शक्ति (power) पर आधारित होते हैं। यह समाज की संरचना का एक अंतर्निहित पहलू है।
    • गलत विकल्प: (a) व्यक्तिगत संबंध सामाजिक अंतःक्रिया का हिस्सा है। (c) सहयोग एक सामाजिक प्रक्रिया है, न कि स्तरीकरण। (d) सांस्कृतिक आदान-प्रदान सांस्कृतिक परिवर्तन का हिस्सा है।

    प्रश्न 22: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, जिसे कार्ल मार्क्स ने औद्योगिक पूंजीवाद के तहत श्रमिकों के अनुभव का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया, के चार मुख्य आयाम क्या थे?

    1. वर्ग, स्थिति, शक्ति, संपत्ति
    2. उत्पाद, उत्पादन की प्रक्रिया, स्वयं, अन्य मनुष्य
    3. प्रकृति, संस्कृति, समाज, परिवार
    4. धर्म, राजनीति, अर्थव्यवस्था, शिक्षा

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स ने अपने ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में श्रमिकों के अलगाव के चार प्रमुख आयामों का वर्णन किया: (1) उत्पाद से अलगाव (श्रमिक अपने द्वारा बनाए गए उत्पाद पर नियंत्रण नहीं रखता), (2) उत्पादन की प्रक्रिया से अलगाव (कार्य दोहराव वाला, नीरस और अनियंत्रित होता है), (3) स्वयं से अलगाव (कार्य उनकी मानव क्षमता को व्यक्त नहीं करता), और (4) अन्य मनुष्यों से अलगाव (प्रतिस्पर्धा और वर्ग संघर्ष संबंधों को विकृत करता है)।
    • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में अलगाव एक स्वाभाविक परिणाम है क्योंकि श्रमिक अपने श्रम के मूल्य और अपने काम पर नियंत्रण खो देता है।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प अलगाव के आयामों का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।

    प्रश्न 23: ‘शहरीकरण’ (Urbanization) की प्रक्रिया में, निम्नलिखित में से कौन सा एक अप्रत्यक्ष कारक (Indirect Factor) है?

    1. ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रोजगार के अवसर
    2. ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन
    3. शहरों में उच्च जीवन स्तर और सुविधाएँ
    4. औद्योगिक विकास और औद्योगीकरण

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: ‘ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर रोजगार के अवसर’ शहरीकरण का प्रत्यक्ष कारण नहीं, बल्कि अप्रत्यक्ष कारक है। शहरीकरण मुख्य रूप से ‘ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर पलायन’ (b) के कारण होता है, जो स्वयं ‘शहरों में उच्च जीवन स्तर’ (c) और ‘औद्योगिक विकास’ (d) जैसे प्रत्यक्ष आकर्षणों से प्रेरित होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कमी (जो विकल्प (a) के विपरीत है) भी पलायन का एक महत्वपूर्ण कारण है। यदि ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर अवसर होते, तो पलायन कम होता। अतः, ग्रामीण क्षेत्रों में ‘बेहतर’ अवसरों की कमी (यानी, खराब स्थिति) एक अप्रत्यक्ष कारक है जो शहरों को आकर्षक बनाती है।
    • संदर्भ और विस्तार: शहरीकरण का मुख्य चालक शहरों की ओर जनसांख्यिकीय और आर्थिक प्रवृत्तियाँ हैं, जो प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं से जुड़ी होती हैं।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) सभी शहरीकरण के प्रत्यक्ष कारण या परिणाम हैं।

    प्रश्न 24: ‘पारंपरिक समाज’ (Traditional Society) की प्रमुख विशेषता क्या है?

    1. उच्च स्तर की तर्कसंगतता और वैज्ञानिक सोच
    2. प्रबलित धर्मनिरपेक्षता और व्यक्तिवाद
    3. जन्म, वंश और रीति-रिवाजों पर आधारित सामाजिक संरचना
    4. लगातार तकनीकी नवाचार और सामाजिक गतिशीलता

    उत्तर: (c)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: पारंपरिक समाज (Traditional Society) की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि इसकी सामाजिक संरचना, शक्ति वितरण और भूमिकाएँ अक्सर जन्म, वंशानुगत स्थिति और स्थापित रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित होती हैं, न कि योग्यता या व्यक्तिगत पसंद पर।
    • संदर्भ और विस्तार: ऐसे समाजों में धर्म, परिवार और समुदाय का प्रभाव अधिक होता है, और सामाजिक परिवर्तन धीमी गति से होता है। यह मैक्स वेबर के ‘परंपरागत प्रभुत्व’ (Traditional Authority) से भी जुड़ा है।
    • गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) आधुनिक समाजों की विशेषताओं का वर्णन करते हैं।

    प्रश्न 25: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में, ‘नियंत्रित प्रयोग’ (Controlled Experiment) विधि का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    1. एक चर (Variable) और उसके परिणाम के बीच कारण-और-प्रभाव संबंध स्थापित करना
    2. बड़े पैमाने पर डेटा एकत्र करना
    3. सामाजिक घटनाओं का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करना
    4. व्यक्तियों के व्यक्तिगत अनुभवों को समझना

    उत्तर: (a)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: सामाजिक अनुसंधान में, ‘नियंत्रित प्रयोग’ (Controlled Experiment) विधि का प्राथमिक उद्देश्य एक स्वतंत्र चर (Independent Variable) को बदलकर और आश्रित चर (Dependent Variable) पर उसके प्रभाव को मापकर, दो चरों के बीच कारण-और-प्रभाव संबंध (cause-and-effect relationship) को स्थापित करना है।
    • संदर्भ और विस्तार: इसमें आमतौर पर एक प्रायोगिक समूह (experimental group) और एक नियंत्रण समूह (control group) होता है, जहाँ केवल प्रायोगिक समूह को हस्तक्षेप (intervention) के संपर्क में लाया जाता है। यह विधि प्राकृतिक विज्ञानों में अधिक प्रचलित है, लेकिन सामाजिक विज्ञानों में भी इसका उपयोग किया जाता है।
    • गलत विकल्प: (b) बड़े पैमाने पर डेटा सर्वेक्षण (surveys) से एकत्र किया जाता है। (c) वर्णनात्मक अनुसंधान (descriptive research) सामाजिक घटनाओं का विस्तृत विवरण देता है। (d) व्याख्यात्मक अनुसंधान (interpretive research) या नृवंशविज्ञान (ethnography) व्यक्तिगत अनुभवों को समझने पर केंद्रित होते हैं।

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