क्या ट्रम्प के टैरिफ युद्ध से अमेरिका-भारत संबंध और क्वाड की नींव हिल जाएगी?
चर्चा में क्यों? (Why in News?):
हाल के दिनों में, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ (सीमा शुल्क) को लेकर अमेरिका-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण तनाव देखा गया है। यह मुद्दा न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चार प्रमुख लोकतांत्रिक देशों के बीच एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी, जिसे ‘क्वाड’ (Quad) के नाम से जाना जाता है, के भविष्य पर भी सवालिया निशान लगा रहा है। ट्रम्प के “टैरिफ पर टैरिफ” (tariff pe tariff) की नीति को अक्सर “सनक” (tantrums) के रूप में देखा जा रहा है, जिसने इन संबंधों की दिशा को अनिश्चित बना दिया है।
यह ब्लॉग पोस्ट इसी जटिल स्थिति का गहराई से विश्लेषण करेगा, जिसमें टैरिफ युद्ध के कारणों, अमेरिका-भारत संबंधों पर इसके प्रभाव, क्वाड की भूमिका और भविष्य की राह पर प्रकाश डाला जाएगा। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह अंतर्राष्ट्रीय संबंध, व्यापार, और भू-राजनीति जैसे विषयों की समझ को गहरा करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
पृष्ठभूमि: टैरिफ युद्ध की जड़ें
डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति का एक प्रमुख स्तंभ व्यापार असंतुलन को कम करना और अमेरिकी उद्योगों को बढ़ावा देना रहा है। इस नीति के तहत, ट्रम्प ने कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं, जिनका लक्ष्य उनके देशों से अमेरिका में आयात होने वाले सामानों पर अधिक शुल्क लगाना है, ताकि अमेरिकी उत्पाद प्रतिस्पर्धी बन सकें।
- लक्ष्य: अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना।
- रणनीति: आयातित वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाना, विशेष रूप से उन देशों से जो अमेरिका के साथ बड़े व्यापार घाटे में हैं।
- भारत पर प्रभाव: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले इस्पात (steel) और एल्यूमीनियम (aluminium) जैसे सामानों पर टैरिफ बढ़ाए गए। इसके जवाब में, भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाए।
यह “टैरिफ युद्ध” केवल भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि चीन, यूरोपीय संघ और अन्य प्रमुख व्यापारिक साझेदारों को भी अपनी चपेट में ले चुका था। हालांकि, भारत जैसे देशों के साथ यह स्थिति विशेष रूप से संवेदनशील हो जाती है क्योंकि उनके संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि रणनीतिक और सुरक्षा के पहलू भी शामिल हैं।
अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव: “टैरिफ पर टैरिफ” का असर
डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा बार-बार लगाए गए टैरिफ और व्यापार नीतियों ने अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों में एक असामान्य तनाव पैदा किया है। जहाँ एक ओर दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए, मजबूत हो रही थी, वहीं दूसरी ओर व्यापारिक मतभेद इस साझेदारी की नींव को हिला रहे थे।
“हमने अपने ग्राहकों के लिए कुछ बहुत अच्छी चीजें की हैं, लेकिन हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे हमारे लिए भी अच्छी चीजें करें। यह निष्पक्ष होना चाहिए।” – डोनाल्ड ट्रम्प
ट्रम्प का यह बयान उनकी व्यापार नीति का सार दर्शाता है, जो अक्सर एकतरफा लाभ पर केंद्रित होती है। भारत के दृष्टिकोण से, यह नीति विकासशील देशों के लिए अनुचित है, जो अपनी अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिए निर्यात पर निर्भर करते हैं।
मुख्य चिंताएँ:
- व्यापार घाटा: अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा, जो उनके कुल व्यापार की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है, ट्रम्प प्रशासन के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय बन गया।
- बाजार पहुंच: अमेरिकी कंपनियों ने भारतीय बाजारों में टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं (non-tariff barriers) का भी मुद्दा उठाया, जैसे कि डेटा स्थानीयकरण (data localization) और ई-कॉमर्स नियम।
- जवाबी कार्रवाई: भारत द्वारा जवाबी टैरिफ लगाने से दोनों देशों के बीच आर्थिक हितों का टकराव और बढ़ गया।
इस व्यापारिक टकराव ने भारत को अपनी सुरक्षा और रणनीतिक प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया, खासकर जब इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में अमेरिका की भूमिका पर सवाल उठने लगे।
क्वाड (Quad) की भूमिका और भविष्य: क्या यह बिखर जाएगा?
क्वाड (The Quadrilateral Security Dialogue) एक अनौपचारिक रणनीतिक मंच है जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इसका प्राथमिक उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी (free, open, and inclusive) क्षेत्र सुनिश्चित करना है, जिसका मुख्य लक्ष्य चीन के बढ़ते सैन्य और आर्थिक प्रभाव का संतुलन बनाना है।
क्वाड की स्थापना और मजबूती अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण पहलू रहा है। इस साझेदारी का उद्देश्य साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन और एक नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखना है।
क्वाड पर टैरिफ युद्ध का प्रभाव:
- विश्वास का क्षरण: जब एक प्रमुख सदस्य (अमेरिका) अपने सहयोगियों पर व्यापार प्रतिबंध लगाता है, तो यह समग्र साझेदारी में विश्वास को कमजोर करता है। भारत को यह चिंता सताने लगी कि क्या वह अमेरिका पर सुरक्षा और रणनीतिक मुद्दों के लिए पूरी तरह भरोसा कर सकता है, जब व्यापार जैसे बुनियादी मुद्दों पर भी मतभेद हों।
- रणनीतिक प्राथमिकताओं में बदलाव: टैरिफ युद्ध के कारण, भारत को अपनी आर्थिक आत्मनिर्भरता (economic self-reliance) और बहु-ध्रुवीय (multi-polar) विदेश नीति पर अधिक जोर देने के लिए प्रेरित होना पड़ा। इसका मतलब था कि भारत को केवल एक ही शक्ति पर निर्भर रहने के बजाय विभिन्न वैश्विक शक्तियों के साथ संबंध बनाए रखने होंगे।
- क्वाड की कार्यप्रणाली में अनिश्चितता: जहाँ क्वाड का एजेंडा मुख्य रूप से सुरक्षा, समुद्री डोमेन जागरूकता (maritime domain awareness), साइबर सुरक्षा और बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है, वहीं सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध भी अप्रत्यक्ष रूप से इन चर्चाओं को प्रभावित कर सकते हैं। यदि सदस्य देशों के बीच बड़े आर्थिक विवाद होते हैं, तो यह सहयोग की भावना को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
- चीन का दृष्टिकोण: चीन, क्वाड का मुख्य प्रतिपक्षी माना जाता है, इस स्थिति को अपने पक्ष में देखने का प्रयास कर सकता है। यदि वह अमेरिका-भारत संबंधों में दरार देखता है, तो वह अपनी क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को और बढ़ा सकता है।
यह कहना जल्दबाजी होगी कि क्वाड “बिखर जाएगा”। हालांकि, यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण परीक्षा से गुजर रहा है। क्वाड की निरंतरता इस बात पर निर्भर करेगी कि सदस्य देश अपने द्विपक्षीय व्यापारिक मुद्दों को कैसे प्रबंधित करते हैं और क्या वे साझा रणनीतिक लक्ष्यों के लिए अपने मतभेदों को दूर कर सकते हैं।
भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ
अमेरिका-भारत व्यापारिक विवाद और क्वाड पर इसका संभावित प्रभाव सिर्फ दोनों देशों तक सीमित नहीं है। इसके व्यापक भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ हैं:
1. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का संतुलन:
- चीन का लाभ: यदि अमेरिका-भारत संबंध कमजोर होते हैं, तो चीन को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी शक्ति का विस्तार करने का अवसर मिल सकता है। भारत, जो चीन के प्रभाव को संतुलित करने में एक महत्वपूर्ण कड़ी है, यदि आर्थिक दबाव में आता है, तो उसकी रणनीतिक स्वायत्तता (strategic autonomy) प्रभावित हो सकती है।
- क्षेत्रीय सहयोग में बाधा: क्वाड, जो क्षेत्र में सहयोग और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है, यदि इसके सदस्य देशों के बीच तनाव बढ़ता है तो अपनी प्रभावशीलता खो सकता है।
2. वैश्विक व्यापार व्यवस्था:
- संरक्षणवाद का उदय: ट्रम्प प्रशासन द्वारा टैरिफ का उपयोग संरक्षणवाद (protectionism) की बढ़ती प्रवृत्ति का प्रतीक है। यदि प्रमुख शक्तियाँ संरक्षणवादी नीतियों को अपनाती हैं, तो यह विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे बहुपक्षीय संस्थानों के लिए एक चुनौती पेश कर सकता है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (global supply chains) को बाधित कर सकता है।
- वैकल्पिक व्यापार ब्लॉक: यदि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएँ द्विपक्षीय और संरक्षणवादी नीतियों में फंस जाती हैं, तो यह अन्य देशों को क्षेत्रीय व्यापार समझौतों (regional trade agreements) या वैकल्पिक आर्थिक गठबंधनों की ओर धकेल सकता है।
3. भारत की विदेश नीति:
- रणनीतिक स्वायत्तता का महत्व: यह स्थिति भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” की विदेश नीति के महत्व को रेखांकित करती है। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए विभिन्न शक्तियों के साथ संतुलन बनाना होगा, चाहे वह अमेरिका हो, रूस हो, या यूरोप हो।
- आर्थिक विविधीकरण: भारत को अपनी निर्यात अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान करने और उन देशों पर निर्भरता कम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा जहाँ से उसे व्यापार संबंधी समस्याएँ होती हैं।
भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक प्रयास
भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ पर अपनी चिंता व्यक्त की है और विश्व व्यापार संगठन (WTO) के मंच पर भी इस मुद्दे को उठाया है। इसके साथ ही, भारत ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय बातचीत (bilateral talks) के माध्यम से समाधान खोजने के प्रयास भी जारी रखे हैं।
मुख्य प्रतिक्रियाएं:
- जवाबी टैरिफ: भारत ने कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाए, जो एक प्रकार की “आँख के बदले आँख” (tit-for-tat) रणनीति थी।
- डब्ल्यूटीओ में शिकायत: भारत ने अमेरिका की टैरिफ नीतियों को डब्ल्यूटीओ के नियमों का उल्लंघन बताते हुए शिकायत दर्ज कराई।
- कूटनीतिक बातचीत: दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी नियमित रूप से बातचीत कर रहे हैं ताकि व्यापारिक मतभेदों को दूर किया जा सके और संबंधों को पटरी पर लाया जा सके।
- क्वाड पर जोर: भारत ने स्पष्ट किया है कि वे क्वाड जैसे रणनीतिक मंचों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और व्यापारिक मुद्दे द्विपक्षीय स्तर पर सुलझाए जाने चाहिए।
भारत की कूटनीति का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि व्यापारिक मतभेद रणनीतिक साझेदारी को कमजोर न करें। यह एक नाजुक संतुलन बनाने का प्रयास है, जहाँ भारत अपने आर्थिक हितों की रक्षा करते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी रणनीतिक भूमिका को भी बनाए रखे।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
अमेरिका-भारत संबंधों और क्वाड के भविष्य के लिए कई चुनौतियाँ हैं:
मुख्य चुनौतियाँ:
- ट्रम्प की अप्रत्याशितता: डोनाल्ड ट्रम्प की “अमेरिका फर्स्ट” नीति की अप्रत्याशित प्रकृति एक बड़ी चुनौती है। उनके व्यक्तिगत निर्णय अक्सर व्यापार और कूटनीति की दिशा को प्रभावित करते हैं।
- व्यापार असंतुलन पर अमेरिकी जोर: जब तक अमेरिका अपने व्यापार घाटे को कम करने पर जोर देता रहेगा, तब तक टैरिफ जैसे मुद्दे बने रहने की संभावना है।
- चीन का बढ़ता प्रभाव: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन का बढ़ता प्रभाव एक निरंतर भू-राजनीतिक कारक है, जिसे भारत और अमेरिका दोनों ही स्वीकार करते हैं। यह क्वाड की प्रासंगिकता को बनाए रखता है, लेकिन देशों के बीच मतभेदों को दूर करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
- क्वाड की आंतरिक गतिशीलता: क्वाड एक औपचारिक गठबंधन नहीं है, बल्कि एक साझा हितों पर आधारित मंच है। यदि सदस्य देशों के बीच प्रमुख हित टकराव उत्पन्न होते हैं, तो इसका सहयोग पर प्रभाव पड़ सकता है।
भविष्य की राह:
अमेरिका-भारत संबंधों और क्वाड को मजबूत बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
- निरंतर कूटनीति: दोनों देशों को व्यापार और सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर निरंतर कूटनीतिक संवाद बनाए रखना होगा।
- साझा एजेंडा का विस्तार: क्वाड को केवल चीन का मुकाबला करने के मंच से आगे बढ़कर जलवायु परिवर्तन, समुद्री सुरक्षा, स्वास्थ्य और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग का विस्तार करना चाहिए।
- पारस्परिक विश्वास का निर्माण: सदस्य देशों को एक-दूसरे की चिंताओं को समझना होगा और ऐसे निर्णय लेने होंगे जो साझेदारी को मजबूत करें, न कि कमजोर।
- विविधतापूर्ण आर्थिक संबंध: भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान करनी होगी और अमेरिका पर अपनी निर्भरता कम करनी होगी, साथ ही अन्य देशों के साथ भी मजबूत व्यापारिक संबंध बनाने होंगे।
- दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि: दोनों देशों को अल्पकालिक व्यापारिक चिंताओं से ऊपर उठकर, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
संक्षेप में, “टैरिफ पर टैरिफ” की नीति ने अमेरिका-भारत संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया है। यह न केवल द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित करता है, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भू-राजनीतिक गतिशीलता और क्वाड जैसे महत्वपूर्ण रणनीतिक गठबंधनों के भविष्य पर भी गंभीर प्रश्न उठाता है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कैसे आर्थिक नीतियां विदेश नीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं, और कैसे एक बहुध्रुवीय दुनिया में देश अपने हितों को साधने के लिए संतुलन बनाते हैं।
UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)
प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs
1. प्रश्न: हाल के वर्षों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर टैरिफ (सीमा शुल्क) में वृद्धि की है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य क्या है?
(a) वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देना
(b) अमेरिकी निर्यातकों को सब्सिडी देना
(c) अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देना
(d) विकासशील देशों को वित्तीय सहायता प्रदान करना
उत्तर: (c)
व्याख्या: डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का एक प्रमुख स्तंभ अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करना और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना रहा है। टैरिफ इसी नीति का एक उपकरण है।
2. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा देश ‘क्वाड’ (Quad) समूह का सदस्य नहीं है?
(a) भारत
(b) संयुक्त राज्य अमेरिका
(c) जापान
(d) दक्षिण कोरिया
उत्तर: (d)
व्याख्या: क्वाड (Quadrilateral Security Dialogue) में भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
3. प्रश्न: ‘क्वाड’ (Quad) समूह का प्राथमिक उद्देश्य क्या है?
(a) दक्षिण एशिया में आर्थिक सहयोग बढ़ाना
(b) इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र सुनिश्चित करना
(c) परमाणु निरस्त्रीकरण को बढ़ावा देना
(d) साइबर सुरक्षा पर वैश्विक मानक स्थापित करना
उत्तर: (b)
व्याख्या: क्वाड का मुख्य उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव के संतुलन के रूप में एक स्वतंत्र, खुला और समावेशी क्षेत्र बनाए रखना है।
4. प्रश्न: ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत पर टैरिफ लगाने का एक प्रमुख कारण क्या था?
(a) भारत द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन
(b) अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा
(c) भारत द्वारा अमेरिकी निवेश पर प्रतिबंध
(d) भारतीय कृषि उत्पादों पर अनुचित सब्सिडी
उत्तर: (b)
व्याख्या: अमेरिका का भारत के साथ व्यापार घाटा (हालांकि कुल व्यापार की तुलना में छोटा) ट्रम्प प्रशासन की चिंता का एक विषय रहा है।
5. प्रश्न: भारत ने अमेरिका के टैरिफ के जवाब में क्या कदम उठाए?
(a) अमेरिका से सभी आयात पर पूर्ण प्रतिबंध
(b) कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी टैरिफ लगाना
(c) विश्व व्यापार संगठन (WTO) से अमेरिका की सदस्यता रद्द करने की मांग
(d) दोनों देशों के बीच सभी कूटनीतिक संबंध तोड़ना
उत्तर: (b)
व्याख्या: भारत ने अक्सर जवाबी टैरिफ लगाकर और डब्ल्यूटीओ जैसे मंचों पर अपनी बात रखकर प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
6. प्रश्न: “अमेरिका फर्स्ट” (America First) नीति का सबसे मजबूत पैरोकार कौन था?
(a) बराक ओबामा
(b) बिल क्लिंटन
(c) डोनाल्ड ट्रम्प
(d) जॉर्ज डब्लू. बुश
उत्तर: (c)
व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति कार्यकाल की एक केंद्रीय विदेश और व्यापार नीति थी।
7. प्रश्न: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में “स्वतंत्र और खुला” (Free and Open) क्षेत्र सुनिश्चित करने की अवधारणा का मुख्य उद्देश्य किसे संतुलित करना है?
(a) रूस का बढ़ता प्रभाव
(b) चीन का बढ़ता सैन्य और आर्थिक प्रभाव
(c) यूरोपीय संघ का विस्तार
(d) मध्य पूर्व में अस्थिरता
उत्तर: (b)
व्याख्या: इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में “स्वतंत्र और खुला” क्षेत्र सुनिश्चित करने की भारत और अमेरिका की नीति चीन के बढ़ते क्षेत्रीय प्रभुत्व को संतुलित करने के प्रयास के रूप में देखी जाती है।
8. प्रश्न: निम्नलिखित में से कौन सा एक अप्रत्यक्ष टैरिफ या व्यापार बाधा नहीं है?
(a) आयात पर सीमा शुल्क
(b) गैर-टैरिफ बाधाएं (जैसे, कड़े नियामक मानक)
(c) राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर लगाए गए प्रतिबंध
(d) मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreements)
उत्तर: (d)
व्याख्या: मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) टैरिफ और व्यापार बाधाओं को कम करने का प्रयास करते हैं, जबकि अन्य विकल्प (a, b, c) टैरिफ या बाधाओं के उदाहरण हैं।
9. प्रश्न: ‘क्वाड’ (Quad) देशों के बीच प्रमुख सहयोग के क्षेत्र कौन से हैं?
(a) केवल सांस्कृतिक आदान-प्रदान
(b) समुद्री डोमेन जागरूकता, साइबर सुरक्षा, और बुनियादी ढांचा
(c) अंतरिक्ष अन्वेषण
(d) ऊर्जा अनुसंधान
उत्तर: (b)
व्याख्या: क्वाड के सहयोग के मुख्य क्षेत्रों में समुद्री डोमेन जागरूकता (MDA), साइबर सुरक्षा, महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियां, और इंडो-पैसिफिक में बुनियादी ढांचा शामिल हैं।
10. प्रश्न: हालिया टैरिफ विवादों ने भारत की विदेश नीति को किस ओर अधिक उन्मुख होने के लिए प्रेरित किया है?
(a) केवल पश्चिमी देशों पर निर्भरता
(b) बहु-ध्रुवीयता और रणनीतिक स्वायत्तता
(c) केवल पूर्वी एशिया के साथ संबंध
(d) द्विपक्षीय व्यापार से पूर्ण अलगाव
उत्तर: (b)
व्याख्या: ऐसे विवाद भारत को अपनी विदेश नीति में बहु-ध्रुवीयता और रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखने के महत्व को समझने के लिए प्रेरित करते हैं।
मुख्य परीक्षा (Mains)
1. प्रश्न: “ट्रम्प के टैरिफ युद्ध” का अमेरिका-भारत द्विपक्षीय संबंधों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा है? विश्लेषण करें कि क्या यह भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता” को मजबूत करता है या कमजोर करता है। (लगभग 250 शब्द)
2. प्रश्न: ‘क्वाड’ (Quad) समूह के संदर्भ में, सदस्य देशों के बीच व्यापारिक मतभेद उनकी साझा रणनीतिक प्राथमिकताओं और सहयोग की भावना को कैसे प्रभावित कर सकते हैं? क्या यह समूह भविष्य में प्रभावी रह पाएगा? (लगभग 150 शब्द)
3. प्रश्न: डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के वैश्विक व्यापार व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर क्या व्यापक निहितार्थ रहे हैं? भारत जैसे देशों के लिए यह नीति क्या चुनौतियाँ और अवसर प्रस्तुत करती है? (लगभग 250 शब्द)
4. प्रश्न: भारत अपनी आर्थिक और रणनीतिक चिंताओं को कैसे संतुलित कर सकता है, विशेष रूप से जब उसे प्रमुख वैश्विक शक्तियों के साथ व्यापार और सुरक्षा दोनों मोर्चों पर व्यवहार करना हो? ‘क्वाड’ की प्रासंगिकता के आलोक में चर्चा करें। (लगभग 150 शब्द)