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50% टैरिफ का तूफान: भारत के कपड़ा, आभूषण और 50+ अन्य क्षेत्रों पर पड़ेगा कितना असर?

50% टैरिफ का तूफान: भारत के कपड़ा, आभूषण और 50+ अन्य क्षेत्रों पर पड़ेगा कितना असर?

चर्चा में क्यों? (Why in News?):

हाल के अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य में, अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले संभावित 50% टैरिफ (शुल्क) की खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। यह आंकड़ा, जो अपने आप में बहुत बड़ा है, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और विशेष रूप से भारत जैसे निर्यात-उन्मुख देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर गंभीर प्रभाव डालने की क्षमता रखता है। समाचारों में उभरते हुए ये टैरिफ, सिर्फ़ कपड़े और आभूषण जैसे पारंपरिक निर्यात क्षेत्रों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि 50 से अधिक विभिन्न औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों को अपनी चपेट में ले सकते हैं। यह स्थिति UPSC सिविल सेवा परीक्षा के उम्मीदवारों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है, क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्र, व्यापार नीति, भू-राजनीति और भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव से संबंधित है। इस लेख में, हम इन टैरिफों के पीछे की संभावित मंशा, उनके व्यापक प्रभाव, और भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ने वाले असर का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।

क्या हैं ये टैरिफ और क्यों लगाए जा रहे हैं? (What are these Tariffs and Why are they being Imposed?):

सरल शब्दों में, टैरिफ एक प्रकार का ‘कर’ या ‘शुल्क’ है जो एक देश द्वारा दूसरे देश से आयात किए जाने वाले सामानों पर लगाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना, सरकारी राजस्व बढ़ाना, या राजनीतिक उद्देश्यों को साधने के लिए दबाव बनाना हो सकता है।

“टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाकर घरेलू उत्पादकों के लिए समान स्तर का खेल मैदान तैयार करने का एक उपकरण है।”

अमेरिकी संदर्भ में, जब इस तरह के बड़े टैरिफों की बात आती है, तो इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं:

  • व्यापार घाटे को कम करना: अमेरिका ऐतिहासिक रूप से अपने व्यापार घाटे (निर्यात से अधिक आयात) को लेकर चिंतित रहा है। टैरिफ लगाकर आयात महंगा करने से घरेलू खपत को बढ़ावा मिल सकता है।
  • ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति का एक प्रमुख हिस्सा यह था कि अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों को लाभ पहुंचाया जाए, भले ही इसके लिए वैश्विक व्यापार नियमों में बदलाव करना पड़े।
  • रणनीतिक दबाव: कुछ मामलों में, टैरिफ का उपयोग राजनीतिक या रणनीतिक उद्देश्यों के लिए एक दबाव उपकरण के रूप में किया जाता है, जैसे कि किसी विशेष देश की व्यापार नीतियों को बदलना या किसी विशिष्ट मुद्दे पर रियायतें प्राप्त करना।
  • घरेलू उद्योगों की सुरक्षा: कुछ अमेरिकी उद्योग, जैसे कि इस्पात, एल्यूमीनियम, या ऑटोमोबाइल, वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं, और टैरिफ उन्हें संरक्षण प्रदान कर सकते हैं।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 50% जैसे उच्च टैरिफ असामान्य हैं और इनका प्रभाव विनाशकारी हो सकता है, जिससे व्यापार युद्ध (Trade Wars) शुरू होने की संभावना बढ़ जाती है।

50% टैरिफ का संभावित परिदृश्य: किन क्षेत्रों पर पड़ेगा असर? (Potential Scenario of 50% Tariffs: Which Sectors will be Affected?):

यह एक जटिल प्रश्न है जिसका उत्तर इस बात पर निर्भर करता है कि ये टैरिफ किस देश पर और किन वस्तुओं पर लगाए जा रहे हैं। हालांकि, यदि हम सामान्य परिदृश्य को देखें, तो निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं:

  1. कपड़ा और परिधान उद्योग (Textiles and Apparel):
    • भारत का पक्ष: भारत कपड़ा और परिधान निर्यात में एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी है। अमेरिका भारतीय कपड़ों का एक बड़ा बाजार है। 50% टैरिफ लगने से भारतीय कपड़ों की लागत अमेरिका में बहुत बढ़ जाएगी, जिससे उनकी मांग में भारी गिरावट आएगी। इससे भारतीय निर्माताओं, श्रमिकों और संबंधित उद्योगों (जैसे कपास उत्पादक) पर सीधा असर पड़ेगा।
    • उदाहरण: मान लीजिए एक भारतीय शर्ट अमेरिका में $20 की बिकती है। 50% टैरिफ लगने पर इसकी कीमत $30 हो जाएगी। यह अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए महंगा होगा, और वे शायद चीनी या बांग्लादेशी सस्ते विकल्प चुनेंगे, या अपनी खरीदारी कम कर देंगे।
  2. आभूषण और रत्न उद्योग (Jewellery and Gemstones):
    • भारत का पक्ष: भारत हीरे और जवाहरात के प्रसंस्करण (processing) और निर्यात में एक महत्वपूर्ण केंद्र है। अमेरिका इन उत्पादों का एक प्रमुख उपभोक्ता है। टैरिफ से अमेरिकी बाजार में भारतीय आभूषणों की प्रतिस्पर्धात्मकता कम हो जाएगी। इससे भारत में रत्न काटने, पॉलिश करने और आभूषण बनाने वाले कारीगरों और उद्योगों पर असर पड़ेगा।
    • विशेष बिंदु: यह क्षेत्र अक्सर उच्च मूल्य वाली वस्तुओं से जुड़ा होता है, इसलिए मांग की लोच (elasticity of demand) अधिक हो सकती है, जिसका अर्थ है कि कीमत बढ़ने पर मांग तेजी से गिर सकती है।
  3. कृषि उत्पाद (Agricultural Products):
    • संभावित प्रभाव: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले चावल, मसाले, चाय, कॉफी, और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों पर टैरिफ लग सकता है। इससे भारतीय किसानों और कृषि-प्रसंस्करण इकाइयों को नुकसान होगा।
  4. चमड़ा उत्पाद (Leather Products):
    • संभावित प्रभाव: भारत चमड़े के सामानों (जूते, बैग, जैकेट) का एक महत्वपूर्ण निर्यातक है। अमेरिका में उच्च टैरिफ से निर्यात प्रभावित होगा।
  5. इंजीनियरिंग सामान (Engineering Goods):
    • संभावित प्रभाव: ऑटो पार्ट्स, मशीनरी, और अन्य निर्मित वस्तुओं के निर्यात पर भी असर पड़ सकता है, खासकर अगर ये चीन जैसे देशों से प्रतिस्पर्धा कर रहे हों।
  6. फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals):
    • संभावित प्रभाव: भारत जेनेरिक दवाओं का एक बड़ा आपूर्तिकर्ता है। कुछ दवाओं या दवाओं के मध्यवर्ती (intermediates) पर टैरिफ से आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है।
  7. आईटी और सेवा क्षेत्र (IT and Services Sector):
    • आँकड़े: अमेरिका भारत की आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा बाजार है। हालांकि, वस्तु-आधारित टैरिफ सीधे तौर पर सेवा क्षेत्र को प्रभावित नहीं करते। लेकिन, एक बड़े व्यापार युद्ध या आर्थिक मंदी से मांग कम हो सकती है, जो परोक्ष रूप से सेवा निर्यात को प्रभावित कर सकती है।
    • उदाहरण: यदि अमेरिकी अर्थव्यवस्था टैरिफ के कारण धीमी हो जाती है, तो कंपनियाँ आईटी सेवाओं पर खर्च कम कर सकती हैं, जिससे भारत की आईटी कंपनियों के राजस्व पर असर पड़ सकता है।
  8. अन्य संभावित क्षेत्र:
    • रसायन (Chemicals)
    • प्लास्टिक (Plastics)
    • लकड़ी और संबंधित उत्पाद (Wood and related products)
    • धातु और धातु उत्पाद (Metals and metal products)
    • ऑटोमोबाइल और उनके पार्ट्स (Automobiles and their parts)
    • उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स (Consumer Electronics)
    • खिलौने (Toys)

    संक्षेप में, 50% का टैरिफ किसी भी देश के साथ व्यापार पर एक बहुत बड़ा झटका होगा, और भारत जैसे देश के लिए, जिसका निर्यात अमेरिका पर निर्भर करता है, यह गंभीर परिणाम ला सकता है।

नकारात्मक प्रभाव (Negative Impacts):

इस तरह के टैरिफ के कई नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं:

  • निर्यात में गिरावट: जैसा कि ऊपर बताया गया है, भारतीय निर्यात की लागत बढ़ने से अमेरिकी बाजार में उनकी मांग घटेगी।
  • रोजगार पर असर: निर्यात-आधारित उद्योगों में उत्पादन कम होने से श्रमिकों की छंटनी हो सकती है, जिससे बेरोजगारी बढ़ सकती है।
  • आर्थिक विकास दर में कमी: निर्यात, जीडीपी का एक महत्वपूर्ण घटक है। निर्यात में गिरावट से समग्र आर्थिक विकास दर प्रभावित हो सकती है।
  • निवेश पर असर: अनिश्चितता और निर्यात में कमी से घरेलू और विदेशी निवेश दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
  • मुद्रास्फीति (Inflation): आयातित वस्तुओं पर टैरिफ लगने से उनकी कीमतें बढ़ेंगी, जिससे उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा और मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
  • प्रतिशोध (Retaliation): यदि भारत या अन्य देश जवाबी कार्रवाई के तौर पर अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ लगाते हैं, तो यह एक पूर्ण विकसित व्यापार युद्ध को जन्म दे सकता है, जिसके परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं।
  • आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन: कंपनियाँ लागत कम करने के लिए वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं या उत्पादन स्थानों की तलाश कर सकती हैं, जिससे वर्तमान आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होंगी।

कौन रहेगा बेअसर? (Who will Remain Unaffected?):

यह कहना मुश्किल है कि कोई भी क्षेत्र पूरी तरह से बेअसर रहेगा, क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था आपस में जुड़ी हुई है। हालांकि, कुछ क्षेत्र तुलनात्मक रूप से कम प्रभावित हो सकते हैं:

  • घरेलू मांग पर केंद्रित उद्योग: जो उद्योग मुख्य रूप से भारतीय घरेलू बाजार पर निर्भर हैं और जिनका अमेरिकी बाजार से सीधा निर्यात संबंध कम है, वे अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं। उदाहरण के लिए, घरेलू उपभोग के लिए उत्पादित वस्तुएं, जैसे कुछ खाद्य पदार्थ, निर्माण सामग्री, और स्थानीय सेवाओं की मांग।
  • सेवा क्षेत्र (कुछ हद तक): जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, वस्तु-आधारित टैरिफ सेवा क्षेत्र को सीधे तौर पर प्रभावित नहीं करते। यदि भारत की आईटी और बीपीओ सेवाएं अमेरिका की समग्र आर्थिक वृद्धि से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं हैं, तो वे कम प्रभावित हो सकती हैं। हालाँकि, अप्रत्यक्ष प्रभाव हमेशा संभव है।
  • रक्षा और सामरिक क्षेत्र: ये क्षेत्र अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े होते हैं और इनका वाणिज्यिक व्यापार पर सीधा प्रभाव कम होता है।
  • निर्यात जो अमेरिका पर कम निर्भर हैं: यदि भारत अपने निर्यात के लिए अमेरिका के अलावा अन्य बाजारों, जैसे यूरोपीय संघ, दक्षिण पूर्व एशिया, या अफ्रीका पर अधिक निर्भर करता है, तो अमेरिका में टैरिफ का प्रभाव कम हो सकता है।

यह एक सापेक्षिक प्रश्न है। ‘बेअसर’ का मतलब केवल ‘कम प्रभावित’ हो सकता है।

भारत के लिए रणनीतिक विकल्प और भविष्य की राह (Strategic Options for India and the Way Forward):

इस तरह की स्थिति में, भारत को कुछ रणनीतिक कदम उठाने होंगे:

  1. बाजार विविधीकरण (Market Diversification): अमेरिका पर निर्यात निर्भरता कम करने के लिए अन्य संभावित बाजारों की तलाश करनी चाहिए।
  2. आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना: घरेलू आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देना और नई वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना।
  3. रणनीतिक बातचीत: अमेरिका के साथ द्विपक्षीय (bilateral) और बहुपक्षीय (multilateral) मंचों पर बातचीत कर अपने हितों की रक्षा करना।
  4. घरेलू उत्पादन को बढ़ावा: ‘मेक इन इंडिया’ जैसी पहलों को और मजबूत करना ताकि आयात पर निर्भरता कम हो और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिले।
  5. मूल्य संवर्धन (Value Addition): निर्यातित वस्तुओं में मूल्य संवर्धन करके उनकी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाना।
  6. ट्रेड एग्रीमेंट्स: नए और लाभकारी व्यापार समझौतों (Free Trade Agreements – FTAs) पर हस्ताक्षर करना।
  7. प्रौद्योगिकी और नवाचार: उद्योगों में नवाचार और स्वचालन (automation) को अपनाकर लागत कम करना और दक्षता बढ़ाना।

“वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति में, सबसे अच्छी रणनीति अक्सर विविधीकरण (diversification) और लचीलापन (resilience) होती है।”

निष्कर्ष (Conclusion):

50% टैरिफ जैसे कठोर व्यापार प्रतिबंध वैश्विक अर्थव्यवस्था और विशेष रूप से भारत जैसे उभरते निर्यातकों के लिए गंभीर चुनौतियां पेश करते हैं। कपड़ा, आभूषण, कृषि, और चमड़ा जैसे क्षेत्र सीधे तौर पर प्रभावित हो सकते हैं, जिससे रोजगार, आर्थिक विकास और निवेश पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि, कुछ क्षेत्र, खासकर जो घरेलू बाजार पर केंद्रित हैं या जिनका निर्यात अमेरिका पर कम निर्भर है, अपेक्षाकृत सुरक्षित रह सकते हैं। भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी अर्थव्यवस्था में विविधीकरण लाए, घरेलू विनिर्माण को मजबूत करे, और कूटनीतिक माध्यमों से अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करे। भविष्य की राह अनिश्चितताओं से भरी है, लेकिन एक मजबूत और लचीली अर्थव्यवस्था ही इस तरह के वैश्विक झटकों का सामना कर सकती है। UPSC के उम्मीदवारों के लिए, यह समझना महत्वपूर्ण है कि भू-राजनीतिक और आर्थिक नीतियां किस प्रकार राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को गहराई से प्रभावित करती हैं, और ऐसे में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, यह सीखना एक महत्वपूर्ण कौशल है।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में ‘टैरिफ’ (Tariff) का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    a) घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना

    b) सरकारी राजस्व बढ़ाना

    c) आयातित वस्तुओं को महंगा बनाना

    d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: d) उपरोक्त सभी

    व्याख्या: टैरिफ के कई उद्देश्य हो सकते हैं, जिनमें घरेलू उद्योगों की सुरक्षा, राजस्व अर्जन और आयात को हतोत्साहित करना शामिल है।

  2. प्रश्न 2: यदि कोई देश अपने व्यापार घाटे (Trade Deficit) को कम करने के लिए आयात पर उच्च टैरिफ लगाता है, तो इसका सबसे संभावित परिणाम क्या होगा?

    a) आयातित वस्तुओं की कीमतें कम हो जाएंगी

    b) घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

    c) निर्यात की मात्रा में वृद्धि होगी

    d) देश की मुद्रा मजबूत होगी

    उत्तर: b) घरेलू उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी

    व्याख्या: टैरिफ आयातित वस्तुओं को महंगा बनाते हैं, जिससे घरेलू उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बन जाते हैं।

  3. प्रश्न 3: भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले कपड़े और आभूषणों पर 50% टैरिफ लगने से निम्नलिखित में से किस पर सबसे अधिक प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है?

    a) अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए आयातित कपड़ों की कीमत

    b) भारतीय कपड़ा और आभूषण निर्माताओं का निर्यात राजस्व

    c) भारत में कपास उत्पादकों और रत्न कारीगरों का रोजगार

    d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: d) उपरोक्त सभी

    व्याख्या: उच्च टैरिफ निर्यात की लागत बढ़ाते हैं, जिससे निर्माताओं का राजस्व घटता है और परिणामस्वरूप रोजगार पर भी असर पड़ता है, साथ ही उपभोक्ताओं के लिए कीमतें भी बढ़ती हैं।

  4. प्रश्न 4: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का प्राथमिक लक्ष्य क्या था?

    a) अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों को मजबूत करना

    b) अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों को लाभ पहुंचाना

    c) वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देना

    d) विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना

    उत्तर: b) अमेरिकी उद्योगों और श्रमिकों को लाभ पहुंचाना

    व्याख्या: “अमेरिका फर्स्ट” नीति का मूल सिद्धांत अमेरिकी राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देना था, जिसमें अर्थव्यवस्था और रोजगार भी शामिल थे।

  5. प्रश्न 5: यदि दो देश एक-दूसरे पर जवाबी टैरिफ (Retaliatory Tariffs) लगाते हैं, तो इस स्थिति को क्या कहा जाता है?

    a) मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement)

    b) व्यापार युद्ध (Trade War)

    c) आर्थिक सहयोग (Economic Cooperation)

    d) संरक्षणवाद (Protectionism)

    उत्तर: b) व्यापार युद्ध (Trade War)

    व्याख्या: जब देश व्यापार को लेकर एक-दूसरे पर प्रतिबंध लगाते हैं, तो यह एक व्यापार युद्ध को जन्म दे सकता है।

  6. प्रश्न 6: वस्तु-आधारित टैरिफ का सेवा क्षेत्र (जैसे IT और BPO) पर क्या प्रभाव पड़ सकता है?

    a) सीधा प्रभाव, जिससे सेवाओं की लागत बढ़ जाती है

    b) अप्रत्यक्ष प्रभाव, यदि आर्थिक मंदी के कारण मांग घटती है

    c) कोई प्रभाव नहीं पड़ता

    d) केवल सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है

    उत्तर: b) अप्रत्यक्ष प्रभाव, यदि आर्थिक मंदी के कारण मांग घटती है

    व्याख्या: वस्तु-आधारित टैरिफ सीधे सेवाओं को प्रभावित नहीं करते, लेकिन ये आर्थिक मंदी ला सकते हैं, जिससे सेवाओं की मांग घट सकती है।

  7. प्रश्न 7: भारत के निर्यात विविधीकरण (Export Diversification) का क्या अर्थ है?

    a) केवल अमेरिका को निर्यात बढ़ाना

    b) अमेरिका पर निर्भरता कम करके अन्य देशों को निर्यात बढ़ाना

    c) केवल सेवा क्षेत्र का निर्यात बढ़ाना

    d) केवल रक्षा उपकरणों का निर्यात बढ़ाना

    उत्तर: b) अमेरिका पर निर्भरता कम करके अन्य देशों को निर्यात बढ़ाना

    व्याख्या: विविधीकरण का मतलब है जोखिम को फैलाना, जिसमें नए बाजारों की खोज करना शामिल है।

  8. प्रश्न 8: “मांग की लोच” (Elasticity of Demand) का क्या अर्थ है?

    a) कीमत में बदलाव के प्रति मांग की संवेदनशीलता

    b) उपभोक्ताओं की आय में बदलाव के प्रति मांग की संवेदनशीलता

    c) वस्तु की उपलब्धता के प्रति मांग की संवेदनशीलता

    d) वस्तुओं की गुणवत्ता के प्रति मांग की संवेदनशीलता

    उत्तर: a) कीमत में बदलाव के प्रति मांग की संवेदनशीलता

    व्याख्या: मांग की लोच यह मापती है कि कीमत बदलने पर किसी वस्तु की कितनी मांग बदलती है।

  9. प्रश्न 9: ‘संरक्षणवाद’ (Protectionism) की नीति में निम्नलिखित में से कौन सा एक प्रमुख उपाय है?

    a) मुक्त व्यापार समझौते

    b) टैरिफ और कोटा

    c) विदेशी निवेश को बढ़ावा देना

    d) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग

    उत्तर: b) टैरिफ और कोटा

    व्याख्या: संरक्षणवाद का अर्थ है घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए व्यापार पर प्रतिबंध लगाना।

  10. प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा क्षेत्र भारत के निर्यात के लिए अमेरिका पर सबसे अधिक निर्भर है?

    a) आईटी सेवाएं

    b) कपड़ा और परिधान

    c) फार्मास्यूटिकल्स

    d) कृषि उत्पाद

    उत्तर: b) कपड़ा और परिधान

    व्याख्या: हालांकि ये सभी क्षेत्र अमेरिका को निर्यात करते हैं, कपड़ा और परिधान जैसे क्षेत्र विशेष रूप से अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर रहे हैं, जिससे वे टैरिफ के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। (यह एक सामान्य अवलोकन है, वास्तविक निर्भरता बदल सकती है।)

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: अमेरिका द्वारा संभावित 50% टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले संभावित बहुआयामी प्रभावों का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। विशेष रूप से कपड़ा, आभूषण और आईटी जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें। (250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: वैश्विक व्यापार में संरक्षणवाद (Protectionism) की बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे के कारणों और इसके अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर पड़ने वाले परिणामों की चर्चा करें। भारत जैसे उभरते देशों के लिए इसके क्या निहितार्थ हैं? (250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: यदि अमेरिका भारत पर भारी टैरिफ लगाता है, तो भारत को अपने निर्यात क्षेत्र को इस झटके से बचाने के लिए क्या रणनीतिक कदम उठाने चाहिए? प्रमुख पहलों और नीतियों पर प्रकाश डालें। (150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: “वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं” (Global Supply Chains) पर टैरिफ और व्यापार युद्धों के प्रभाव का विश्लेषण करें। इससे भारत को कैसे लाभ या हानि हो सकती है, इस पर टिप्पणी करें। (150 शब्द)

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