इतिहास की महापरीक्षा: हर दिन, हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए 25 प्रश्न!
ज्ञान के इस महासागर में गोता लगाएँ और समय की गहराइयों से चुनिंदा 25 प्रश्नों के साथ अपनी तैयारी को परखें! हर प्रश्न एक नई चुनौती, हर उत्तर एक नई सीख। चलिए, आज के इतिहास के सफर पर निकलते हैं और अपनी समझ को और भी पैना बनाते हैं।
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा कथन सिंधु घाटी सभ्यता के संदर्भ में सत्य नहीं है?
- नगरों की योजना ग्रिड प्रणाली पर आधारित थी।
- पक्की ईंटों का प्रयोग सामान्य था।
- उनकी लिपि अभी तक पढ़ी जा चुकी है।
- वहाँ विशाल सार्वजनिक स्नानागार थे।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को अभी तक सफलतापूर्वक पढ़ा या समझा नहीं गया है। यह लेखन प्रणाली दाएँ से बाएँ लिखी जाती थी और इसमें लगभग 375-400 चित्रलिपि चिन्हों का प्रयोग हुआ है।
- संदर्भ और विस्तार: यह सभ्यता शहरीकरण, जल निकासी व्यवस्था, और भवन निर्माण में उन्नत थी। मोहनजोदड़ो का विशाल स्नानागार इसका प्रमुख उदाहरण है। पक्की ईंटों का प्रयोग और ग्रिड प्रणाली पर आधारित नगर योजना उनकी इंजीनियरिंग कौशल को दर्शाती है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), और (d) सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ हैं और वे सत्य हैं।
प्रश्न 2: ‘उत्तरवैदिक काल’ में ‘राजा’ की उपाधियों में से कौन सी उपाधि आमतौर पर प्रयोग नहीं की जाती थी?
- राजन्
- सम्राट
- विराट्
- वैश्य
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: उत्तरवैदिक काल में राजा को ‘राजन्’ के रूप में जाना जाता था। ‘सम्राट’ और ‘विराट्’ जैसी उपाधियाँ भी उनके विशाल अधिकार क्षेत्र को दर्शाती थीं, जो बड़े राज्यों और साम्राज्यों के उद्भव का संकेत देती हैं। ‘वैश्य’ उस समय समाज का एक वर्ण था, न कि राजा की उपाधि।
- संदर्भ और विस्तार: इस काल में राज्य का आकार बढ़ा, राजसूय यज्ञ (जैसे अश्वमेध) जैसे अनुष्ठान राजा की शक्ति और प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए किए जाते थे। समाज चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) में विभाजित था।
- गलत विकल्प: (a) राजन् राजा के लिए मूल शब्द था। (b) सम्राट और (c) विराट राजा की व्यापक सत्ता के प्रतीक थे। (d) वैश्य एक वर्ण था।
प्रश्न 3: जैन धर्म के अनुसार, ‘तीर्थंकर’ का क्या अर्थ है?
- बुद्धिमान गुरु
- मोक्ष प्राप्त करने वाले
- संसार से पार ले जाने वाले
- सभी जीवों के मित्र
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: जैन धर्म में, ‘तीर्थंकर’ शब्द का अर्थ है ‘संसार सागर से पार ले जाने वाले’। ये वे महान आत्माएँ हैं जिन्होंने कर्मों के बंधनों को तोड़कर मोक्ष प्राप्त किया है और दूसरों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया है।
- संदर्भ और विस्तार: जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं, जिनमें ऋषभनाथ (पहले) और महावीर (अंतिम) प्रमुख हैं। तीर्थंकर वह व्यक्ति होता है जो जैन धर्म के चार मुख्य सिद्धांतों – सत्य, अहिंसा, अस्तेय (चोरी न करना), और ब्रह्मचर्य (और अपरिग्रह – अनासक्ति) का पालन करके आत्म-ज्ञान प्राप्त करता है।
- गलत विकल्प: (a) बुद्धिमान गुरु, (b) मोक्ष प्राप्त करने वाले, और (d) सभी जीवों के मित्र, ये सभी तीर्थंकर के गुण हो सकते हैं, लेकिन ‘तीर्थंकर’ का शाब्दिक और मुख्य अर्थ ‘संसार से पार ले जाने वाले’ ही है।
प्रश्न 4: चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आने वाला प्रसिद्ध यूनानी राजदूत कौन था?
- टॉलेमी
- मेगस्थनीज
- ट्रेपेज़स
- डायोडोरस
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: मेगस्थनीज चंद्रगुप्त मौर्य के दरबार में आया था। वह सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था, जिसने लगभग 302 ईसा पूर्व में चंद्रगुप्त से संधि की थी।
- संदर्भ और विस्तार: मेगस्थनीज ने भारत में अपने प्रवास के दौरान ‘इंडिका’ नामक एक पुस्तक लिखी, जो मौर्य काल के समाज, राजनीति और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। हालाँकि, पुस्तक का मूल रूप खो गया है और इसके अंश अन्य प्राचीन लेखकों के कार्यों में मिलते हैं।
- गलत विकल्प: टॉलेमी एक मिस्र का शासक था। ट्रेपेज़स और डायोडोरस अन्य ऐतिहासिक व्यक्ति थे लेकिन चंद्रगुप्त के दरबार में राजदूत के रूप में नहीं आए थे।
प्रश्न 5: ‘गुप्त काल’ को भारतीय इतिहास का ‘स्वर्ण युग’ क्यों कहा जाता है?
- साम्राज्य की अधिकतम भौगोलिक विस्तार के कारण
- कला, विज्ञान, साहित्य और वास्तुकला के अभूतपूर्व विकास के कारण
- सैन्य विजयों की अधिकता के कारण
- लोकप्रियतावादी नीतियों के कारण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: गुप्त काल (लगभग 320-550 ईस्वी) को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है क्योंकि इस अवधि में कला, साहित्य, विज्ञान, गणित, खगोल विज्ञान और दर्शन के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हुई।
- संदर्भ और विस्तार: कालिदास जैसे महान कवियों ने इसी काल में रचनाएँ कीं। आर्यभट्ट जैसे गणितज्ञों ने दशमलव प्रणाली और शून्य की अवधारणा को आगे बढ़ाया। अजंता की गुफाओं की चित्रकला और वास्तुकला भी इसी काल की महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हैं।
- गलत विकल्प: जबकि गुप्त शासकों ने साम्राज्य का विस्तार किया (a), मुख्य कारण सांस्कृतिक और वैज्ञानिक उत्कर्ष (b) था। सैन्य विजयें (c) और लोकलुभावन नीतियाँ (d) इसके सहायक कारण हो सकते हैं, लेकिन स्वर्ण युग का प्रमुख कारण नहीं।
प्रश्न 6: निम्नलिखित में से कौन सा शासक ‘महाबलीपुरम’ के ‘रथ मंदिरों’ के निर्माण से जुड़ा है?
- चोल
- चालुक्य
- पल्लव
- पांड्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘महाबलीपुरम’ (वर्तमान मामल्लपुरम) के प्रसिद्ध ‘रथ मंदिरों’ का निर्माण सातवीं और आठवीं शताब्दी ईस्वी में पल्लव राजवंश के शासकों द्वारा करवाया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: ये मंदिर एकल-शिला (monolithic) वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं, जिनमें से प्रत्येक को एक ही विशाल चट्टान को काटकर बनाया गया है। नरसिंहवर्मन प्रथम और नरसिंहवर्मन द्वितीय जैसे पल्लव शासक कला और वास्तुकला के महान संरक्षक थे।
- गलत विकल्प: चोल, चालुक्य और पांड्य राजवंशों की भी अपनी विशिष्ट वास्तुकला शैलियाँ थीं, लेकिन रथ मंदिरों का निर्माण विशेष रूप से पल्लवों से जुड़ा है।
प्रश्न 7: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ (दासों का विभाग) की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- फिरोज शाह तुगलक
- अलाउद्दीन खिलजी
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फिरोज शाह तुगलक (शासनकाल 1351-1388 ईस्वी) ने ‘दीवान-ए-बंदगान’ नामक एक विशेष विभाग की स्थापना की थी, जो गुलामों (बंदगान) के प्रबंधन और उन्हें विभिन्न सरकारी व सैन्य पदों पर नियुक्त करने के लिए जिम्मेदार था।
- संदर्भ और विस्तार: फिरोजशाह तुगलक गुलामों की एक बड़ी संख्या रखता था और उन्हें कुशल कारीगरों, सैनिकों और प्रशासकों के रूप में प्रशिक्षित करता था। यह उसकी लोक कल्याणकारी नीतियों का भी हिस्सा माना जाता है, जिसमें बेरोजगारों और जरूरतमंदों की सहायता शामिल थी।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) की स्थापना की थी। बलबन ने राजत्व के दैवीय सिद्धांत को लागू किया। अलाउद्दीन खिलजी ने बाजार नियंत्रण और स्थायी सेना की शुरुआत की।
प्रश्न 8: विजयनगर साम्राज्य के किस शासक ने ‘कृष्णदेवराय’ के नाम से शासन किया?
- संगम राजवंश
- सलुव राजवंश
- तुलुव राजवंश
- अराविडु राजवंश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कृष्णदेवराय विजयनगर साम्राज्य के सबसे महान शासकों में से एक थे और वे तुलुव राजवंश से संबंधित थे। उनका शासनकाल 1509 से 1529 ईस्वी तक रहा।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय एक कुशल प्रशासक, एक महान योद्धा और एक विद्वान थे। उन्होंने कला, साहित्य और वास्तुकला को संरक्षण दिया। उनके दरबार में तेलुगु साहित्य के आठ महान विद्वान (अष्टदिग्गज) थे। उन्होंने ‘आमुक्तमाल्यता’ नामक एक उत्कृष्ट तेलुगु महाकाव्य की भी रचना की।
- गलत विकल्प: कृष्णदेवराय तुलुव राजवंश के थे, जबकि संगम राजवंश विजयनगर का पहला राजवंश था। सलुव और अराविडु अन्य राजवंश थे।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य है?
- इसकी शुरुआत मेरठ में हुई थी।
- यह केवल उत्तर भारत तक सीमित रहा।
- रानी लक्ष्मीबाई ने लखनऊ का नेतृत्व किया।
- यह विद्रोह सिपाही विद्रोह के रूप में शुरू हुआ और व्यापक हो गया।
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1857 का विद्रोह सिपाही विद्रोह के रूप में शुरू हुआ था, जब मंगल पांडे नामक सैनिक ने अपने अधिकारियों पर हमला किया, लेकिन जल्द ही यह एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक आंदोलन में बदल गया जिसमें नागरिक आबादी के बड़े वर्गों ने भाग लिया।
- संदर्भ और विस्तार: विद्रोह की शुरुआत 10 मई 1857 को मेरठ में हुई थी। यह केवल उत्तर भारत तक सीमित नहीं था, बल्कि पूर्वी भारत (जैसे जगदीशपुर, बिहार), मध्य भारत (जैसे झाँसी, ग्वालियर) और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में भी फैला था। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी का नेतृत्व किया, न कि लखनऊ का (लखनऊ का नेतृत्व बेगम हजरत महल ने किया था)।
- गलत विकल्प: (a) सही है कि मेरठ से शुरुआत हुई, लेकिन (d) अधिक व्यापक सत्य को दर्शाता है। (b) गलत है क्योंकि यह देश के कई हिस्सों में फैला था। (c) रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी का नेतृत्व किया।
प्रश्न 10: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (Quit India Movement) का नारा क्या था?
- स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है
- करो या मरो
- इंकलाब जिंदाबाद
- आराम हराम है
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान महात्मा गांधी द्वारा दिया गया प्रसिद्ध नारा ‘करो या मरो’ (Do or Die) था। यह नारा 8 अगस्त 1942 को मुंबई में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश शासन को तुरंत समाप्त करना था। गांधीजी ने लोगों से अहिंसक तरीके से अधिकतम प्रयास करने का आग्रह किया। यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ।
- गलत विकल्प: (a) ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’ बाल गंगाधर तिलक का नारा था। (c) ‘इंकलाब जिंदाबाद’ भगत सिंह का प्रसिद्ध नारा था। (d) ‘आराम हराम है’ जवाहरलाल नेहरू का नारा था।
प्रश्न 11: चम्पारण सत्याग्रह (1917) किसके विरोध में था?
- कृषि कर में वृद्धि
- फसल का नकदीकरण
- नील की खेती के लिए तीन-कठिया प्रणाली
- भूमि सुधारों का अभाव
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: चम्पारण सत्याग्रह 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में किसानों द्वारा नील की खेती के लिए ‘तीन-कठिया प्रणाली’ के विरोध में किया गया था। इस प्रणाली के तहत, किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें हिस्से पर नील की खेती करना अनिवार्य था।
- संदर्भ और विस्तार: महात्मा गांधी ने इस सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जो भारत में उनका पहला सविनय अवज्ञा आंदोलन था। गांधीजी को स्थानीय नेता राजकुमार शुक्ल ने आमंत्रित किया था। इस आंदोलन की सफलता ने गांधीजी को भारतीय जनमानस में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया।
- गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे हो सकते थे, लेकिन चम्पारण सत्याग्रह का मुख्य और विशिष्ट उद्देश्य तीन-कठिया प्रणाली का विरोध था।
प्रश्न 12: ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ के किस अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का प्रस्ताव पारित किया गया?
- लाहौर अधिवेशन, 1929
- कलकत्ता अधिवेशन, 1920
- फैजपुर अधिवेशन, 1936
- त्रिपुरी अधिवेशन, 1939
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन (1929) में पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ‘पूर्ण स्वराज’ (पूर्ण स्वतंत्रता) का संकल्प पारित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस अधिवेशन ने ब्रिटिश डोमिनियन स्टेटस की पुरानी मांग को त्याग कर पूर्ण स्वतंत्रता को कांग्रेस का अंतिम लक्ष्य घोषित किया। 26 जनवरी 1930 को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ के रूप में मनाने का भी निर्णय लिया गया, जिसे बाद में भारत के गणतंत्र दिवस के रूप में अपनाया गया।
- गलत विकल्प: कलकत्ता (1920) में असहयोग आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। फैजपुर (1936) भारत का पहला ग्रामीण अधिवेशन था। त्रिपुरी (1939) में सुभाष चंद्र बोस को अध्यक्ष चुना गया था।
प्रश्न 13: 1906 में ढाका में ‘मुस्लिम लीग’ की स्थापना किसने की?
- मोहम्मद अली जिन्ना
- सर सैयद अहमद खान
- नवाब वकार-उल-मुल्क और नवाब मोहरम अली
- सर आगा खान III
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1906 में ढाका में अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना नवाब वकार-उल-मुल्क और नवाब मोहरम अली (जिन्हें नवाब मोहसिन-उल-मुल्क भी कहा जाता है) की पहल पर हुई थी, हालांकि सर आगा खान III को इसका पहला अध्यक्ष चुना गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश भारत में मुसलमानों के राजनीतिक अधिकारों की रक्षा करना और ब्रिटिश सरकार को मुसलमानों की चिंताओं से अवगत कराना था। अलीगढ़ आंदोलन के अनुयायियों की यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।
- गलत विकल्प: मोहम्मद अली जिन्ना बाद में मुस्लिम लीग के प्रमुख नेता बने। सर सैयद अहमद खान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना की और मुस्लिम समुदाय के सुधार पर जोर दिया, लेकिन लीग की स्थापना में उनकी सीधी भूमिका नहीं थी। सर आगा खान III अध्यक्ष थे, संस्थापक नहीं।
प्रश्न 14: ‘सबैध या जलपोत’ (Savaidya Ya Jalpot) नामक पुस्तक किसने लिखी थी?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- सरदार पटेल
- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सबैध या जलपोत’ (Discovery of India) नामक प्रसिद्ध पुस्तक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1944 में अहमदनगर जेल में लिखी थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह पुस्तक भारत के इतिहास, संस्कृति, दर्शन और परंपराओं का गहन अध्ययन प्रस्तुत करती है। नेहरू ने जेल में रहते हुए भारत की समृद्ध विरासत को समझने और उसे दर्शाने का प्रयास किया। यह पुस्तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और नेहरू के विचारों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है।
- गलत विकल्प: अन्य नेता भी महान थे, लेकिन यह विशेष पुस्तक नेहरू द्वारा लिखी गई है।
प्रश्न 15: ‘अष्टाध्यायी’ नामक व्याकरण ग्रंथ के रचयिता कौन हैं?
- पाणिनि
- कात्यायन
- पतंजलि
- भरतमुनि
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अष्टाध्यायी’ प्राचीन भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और विस्तृत संस्कृत व्याकरण ग्रंथ है, जिसके रचयिता महर्षि पाणिनि हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह ग्रंथ लगभग 5वीं से 4थी शताब्दी ईसा पूर्व का माना जाता है। इसमें संस्कृत भाषा के नियमों, संरचना और उपयोग का व्यवस्थित वर्णन किया गया है। पाणिनि को भारतीय व्याकरण का जनक माना जाता है, और अष्टाध्यायी का प्रभाव आज भी संस्कृत के अध्ययन पर देखा जा सकता है।
- गलत विकल्प: कात्यायन ने वार्तिक लिखे, पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ लिखा (जो अष्टाध्यायी पर आधारित है), और भरतमुनि ने ‘नाट्यशास्त्र’ लिखा।
प्रश्न 16: ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना किस मुगल सम्राट ने की थी?
- हुमायूँ
- अकबर
- जहाँगीर
- शाहजहाँ
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘दीन-ए-इलाही’ (ईश्वर का धर्म) की स्थापना मुगल सम्राट अकबर ने 1582 ईस्वी में की थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह एक संश्लेषित धर्म था जिसका उद्देश्य सभी प्रमुख धर्मों के सार को एक साथ लाना था। यह अकबर की धार्मिक सहिष्णुता और विभिन्न समुदायों को एकजुट करने की नीति का प्रतीक था। हालाँकि, यह आम जनता में लोकप्रिय नहीं हुआ और कुछ वर्षों के भीतर ही समाप्त हो गया। बीरबल इस धर्म को स्वीकार करने वाले एकमात्र प्रमुख दरबारी थे।
- गलत विकल्प: हुमायूँ, जहाँगीर और शाहजहाँ अन्य महत्वपूर्ण मुगल सम्राट थे, लेकिन उन्होंने ‘दीन-ए-इलाही’ की स्थापना नहीं की थी।
प्रश्न 17: ‘पानीपत का द्वितीय युद्ध’ (1556) किनके बीच लड़ा गया था?
- बाबर और इब्राहिम लोदी
- अकबर और हेमू
- अकबर और महाराणा प्रताप
- शाहजहाँ और दारा शिकोह
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पानीपत का द्वितीय युद्ध 5 नवंबर 1556 को अकबर (जिसका प्रतिनिधित्व बैरम खान कर रहे थे) और उत्तर भारत के अंतिम हिंदू सम्राट हेमू के बीच लड़ा गया था।
- संदर्भ और विस्तार: इस युद्ध में अकबर की जीत हुई और इसने मुगल साम्राज्य की नींव को मजबूत किया। हेमू ने आदिल शाह सूर के अधीन ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की थी और दिल्ली पर कब्जा कर लिया था। युद्ध के दौरान हेमू घायल हो गया और बैरम खान के आदेश पर उसे मार दिया गया।
- गलत विकल्प: (a) पानीपत का प्रथम युद्ध (1526) बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच हुआ था। (c) अकबर और महाराणा प्रताप के बीच हल्दीघाटी का युद्ध (1576) हुआ था। (d) शाहजहाँ और दारा शिकोह के बीच उत्तराधिकार का युद्ध हुआ था।
प्रश्न 18: ‘ताजमहल’ के निर्माण में किस प्रमुख सामग्री का उपयोग किया गया था?
- लाल बलुआ पत्थर
- ग्रेनाइट
- संगमरमर
- कांस्य
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: आगरा में स्थित विश्व प्रसिद्ध ‘ताजमहल’ के निर्माण में मुख्य रूप से सफेद संगमरमर का उपयोग किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: शाहजहाँ द्वारा अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया गया यह मकबरा मुगल वास्तुकला का चरम बिंदु माना जाता है। इसकी भव्यता, जटिल नक्काशी और रत्नों का जड़ाव इसे अद्वितीय बनाते हैं। अन्य सामग्रियां जैसे लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर का भी उपयोग किया गया था, लेकिन इसका मुख्य ढांचा सफेद संगमरमर से बना है।
- गलत विकल्प: लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग अक्सर किलों और अन्य इमारतों में किया गया था। ग्रेनाइट और कांस्य ताजमहल की मुख्य निर्माण सामग्री नहीं थे।
प्रश्न 19: ‘शिवाजी के अष्टप्रधान’ में ‘पेशवा’ का क्या कार्य था?
- सैन्य कमांडर
- गृह मंत्रालय का प्रमुख
- विदेश मंत्रालय का प्रमुख
- प्रधानमंत्री या प्रधान मंत्री
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: शिवाजी के अष्टप्रधान (आठ मंत्रियों की परिषद) में ‘पेशवा’ का पद प्रधानमंत्री या प्रधान मंत्री के समान था। वह सरकार और राजा का मुख्य सलाहकार होता था।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टप्रधान प्रणाली छत्रपति शिवाजी महाराज की कुशल प्रशासनिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थी। पेशवा के अलावा, अन्य पद थे: मजूमदार (लेखा), आमत्या (वित्त), सुमंत (विदेश), सचिव (राजकाज), पंडितराव (धार्मिक मामले), न्यायाधीश (न्याय) और सर-ए-नौबत (सेनापति)।
- गलत विकल्प: (a) सर-ए-नौबत सैन्य कमांडर थे। (b) गृह मंत्रालय का प्रमुख का कार्य निश्चित नहीं है, पर सचिव या आमत्या से सम्बंधित हो सकता है। (c) सुमंत विदेश मंत्री थे।
प्रश्न 20: ‘फूट डालो और राज करो’ (Divide and Rule) की नीति किस ब्रिटिश वायसराय द्वारा अधिक तीव्रता से लागू की गई?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड विलियम बेंटिक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को ब्रिटिश नीतियों में हमेशा देखा गया है, लेकिन इसे विशेष रूप से लॉर्ड कर्जन (वायसराय: 1899-1905) के कार्यकाल के दौरान बंगाल के विभाजन (1905) के माध्यम से तीव्रता से लागू किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: बंगाल के विभाजन का घोषित उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा था, लेकिन इसका वास्तविक उद्देश्य बंगाल में बढ़ते राष्ट्रवादी आंदोलन को कमजोर करना और हिंदू-मुस्लिम एकता को तोड़ना था। इस नीति ने भारतीय राष्ट्रवाद को रोकने के ब्रिटिश प्रयासों को बल दिया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड लिटन ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट जैसे विवादास्पद कानून लागू किए। लॉर्ड विलियम बेंटिक भारत के पहले गवर्नर-जनरल थे जिन्होंने सती प्रथा उन्मूलन जैसे सुधार किए।
प्रश्न 21: ‘पुनर्जागरण’ (Renaissance) शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या है?
- नई खोज
- पुनर्जन्म
- ज्ञान का उदय
- कला का पुनरुत्थान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘पुनर्जागरण’ (Renaissance) एक फ्रांसीसी शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ ‘पुनर्जन्म’ (Rebirth) है।
- संदर्भ और विस्तार: यह शब्द 14वीं से 16वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में हुए सांस्कृतिक, कलात्मक, राजनीतिक और आर्थिक पुनरुत्थान को दर्शाता है। इस अवधि में प्राचीन ग्रीक और रोमन संस्कृति, ज्ञान और कलाओं में रुचि का पुनरुत्थान हुआ, जिसने मध्ययुगीन सोच से बाहर निकलकर मानववाद और तर्कवाद को बढ़ावा दिया।
- गलत विकल्प: जबकि नई खोज (a), ज्ञान का उदय (c) और कला का पुनरुत्थान (d) पुनर्जागरण के परिणाम थे, ‘पुनर्जन्म’ (b) इसका शाब्दिक और केंद्रीय अर्थ है।
प्रश्न 22: ‘फ्रांसीसी क्रांति’ (1789) का नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- नागरिकों का अधिकार
- राष्ट्रवाद की भावना
- लोकतंत्र की जीत
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रसिद्ध नारा ‘लिबर्टे, एगैलिते, फ्रेटरनिटे’ (Liberté, égalité, fraternité) था, जिसका अर्थ है ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’।
- संदर्भ और विस्तार: इस क्रांति ने यूरोप और दुनिया भर में उदारवाद, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के विचारों को फैलाया। इसने राजशाही को उखाड़ फेंका और समानता, स्वतंत्रता और भ्रातृत्व के सिद्धांतों पर आधारित गणराज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया।
- गलत विकल्प: (b), (c), और (d) क्रांति के परिणाम या प्रेरणाएँ हो सकती हैं, लेकिन ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ सीधा नारा था।
प्रश्न 23: ‘ऑटोमन साम्राज्य’ का पतन किस वर्ष में हुआ?
- 1918
- 1922
- 1924
- 1930
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: प्रथम विश्व युद्ध में हार के बाद, तुर्की की ग्रैंड नेशनल असेंबली ने 1 नवंबर 1922 को ‘ऑटोमन साम्राज्य’ के सल्तनत को समाप्त कर दिया, जिससे साम्राज्य का प्रभावी रूप से पतन हो गया। इसके बाद, 29 अक्टूबर 1923 को तुर्की गणराज्य की स्थापना हुई।
- संदर्भ और विस्तार: ऑटोमन साम्राज्य, जो सदियों तक एक प्रमुख विश्व शक्ति रहा था, प्रथम विश्व युद्ध में केंद्रीय शक्तियों के साथ हार गया। युद्ध के बाद, साम्राज्य को मित्र देशों के बीच विभाजित कर दिया गया, और मुस्तफा कमाल अतातुर्क के नेतृत्व में तुर्की राष्ट्रवादियों ने इसे समाप्त कर दिया।
- गलत विकल्प: 1918 में प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ। 1924 में खलीफ़ा का पद समाप्त किया गया, जो ऑटोमन साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण संस्थान था। 1930 इस संदर्भ में प्रासंगिक नहीं है।
प्रश्न 24: ‘शीत युद्ध’ (Cold War) शब्द किसके बीच के तनावपूर्ण संबंधों को दर्शाता है?
- संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ
- ब्रिटेन और फ्रांस
- जर्मनी और इटली
- चीन और जापान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘शीत युद्ध’ (Cold War) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से लेकर 1991 में सोवियत संघ के विघटन तक संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) और सोवियत संघ (USSR) तथा उनके सहयोगियों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और वैचारिक संघर्ष की अवधि को दर्शाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह युद्ध सीधे सैन्य टकराव के बजाय प्रॉक्सी युद्धों, हथियारों की दौड़, अंतरिक्ष दौड़, प्रचार और आर्थिक प्रतिस्पर्धा के माध्यम से लड़ा गया था। यह विश्व को दो प्रमुख गुटों में विभाजित करने वाली एक भू-राजनीतिक स्थिति थी।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प देशों के बीच विभिन्न ऐतिहासिक या समकालीन संबंध दर्शाते हैं, लेकिन ‘शीत युद्ध’ विशेष रूप से अमेरिका और सोवियत संघ के बीच की स्थिति थी।
प्रश्न 25: ‘अमेरिकी क्रांति’ (American Revolution) किस वर्ष में ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ (Declaration of Independence) के साथ अपने चरम पर पहुंची?
- 1775
- 1776
- 1781
- 1783
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अमेरिकी क्रांति के दौरान, ‘स्वतंत्रता की घोषणा’ 4 जुलाई 1776 को फिलाडेल्फिया में महाद्वीपीय कांग्रेस द्वारा अपनाई गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: यह घोषणा ग्रेट ब्रिटेन से तेरह अमेरिकी उपनिवेशों की स्वतंत्रता की घोषणा थी। इस घटना ने क्रांति को एक नया आयाम दिया और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम को एक निश्चित उद्देश्य प्रदान किया। अंततः, 1783 में पेरिस की संधि के साथ युद्ध समाप्त हुआ, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका की स्वतंत्रता को औपचारिक रूप से मान्यता दी।
- गलत विकल्प: 1775 में क्रांति की शुरुआत हुई (लेक्सिंगटन और कॉनकॉर्ड की लड़ाई)। 1781 में यॉर्कटाउन में निर्णायक ब्रिटिश हार हुई, और 1783 में पेरिस की संधि हुई। लेकिन स्वतंत्रता की घोषणा 1776 में की गई थी।