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पुतिन की भारत यात्रा: टैरिफ युद्ध के बीच ट्रम्प को संदेश? तेल व्यापार पर विशेष ध्यान

पुतिन की भारत यात्रा: टैरिफ युद्ध के बीच ट्रम्प को संदेश? तेल व्यापार पर विशेष ध्यान

चर्चा में क्यों? (Why in News?):** हाल ही में, यह खबर सामने आई है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत की यात्रा पर आने वाले हैं। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध (Tariff War) छिड़ा हुआ है, और रूस तथा अमेरिका के बीच संबंधों में भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस यात्रा को भू-राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जा रहा है, खासकर ऊर्जा व्यापार (Energy Trade), विशेष रूप से तेल व्यापार के संदर्भ में, जिस पर विशेष ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है। पुतिन की यह यात्रा कई मायनों में भारत के लिए सामरिक रूप से महत्वपूर्ण है और वैश्विक शक्ति संतुलन को भी प्रभावित कर सकती है।

पृष्ठभूमि: एक जटिल भू-राजनीतिक पहेली (Background: A Complex Geopolitical Puzzle)

अंतरराष्ट्रीय संबंध कभी भी सरल रेखाओं में नहीं चलते। वे जटिल, बहुआयामी और अक्सर विरोधाभासों से भरे होते हैं। भारत, रूस और अमेरिका के बीच संबंधों का ताना-बाना भी कुछ ऐसा ही है।

  • भारत-रूस संबंध: ऐतिहासिक रूप से, भारत और रूस के बीच एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी रही है। रूस भारत का एक प्रमुख रक्षा साझेदार रहा है, और द्विपक्षीय व्यापार, विशेषकर ऊर्जा के क्षेत्र में, लगातार बढ़ रहा है। रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद भारत के लिए महत्वपूर्ण है, हालांकि यह अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर कुछ दबाव भी डालती है।
  • भारत-अमेरिका संबंध: वहीं, हाल के वर्षों में भारत और अमेरिका के बीच संबंध भी काफी मजबूत हुए हैं। दोनों देश आतंकवाद का मुकाबला, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और आर्थिक साझेदारी जैसे मुद्दों पर मिलकर काम कर रहे हैं। हालांकि, भारत के रूस के साथ घनिष्ठ संबंध और हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए प्रतिबंध (जैसे CAATSA) कभी-कभी भारत के लिए एक नाजुक संतुलन साधने की चुनौती पेश करते हैं।
  • अमेरिका-रूस संबंध: अमेरिका और रूस के बीच संबंध वर्तमान में बेहद तनावपूर्ण हैं। यूक्रेन संकट, सीरियाई संघर्ष, साइबर सुरक्षा और चुनावों में कथित हस्तक्षेप जैसे मुद्दों पर दोनों देशों के बीच गहरे मतभेद हैं। ऐसे में, जब अमेरिका चीन के साथ व्यापार युद्ध में उलझा हुआ है, पुतिन की भारत यात्रा को कई विश्लेषक रूस द्वारा अमेरिका को एक अप्रत्यक्ष संदेश के रूप में भी देख रहे हैं।

यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये सभी संबंध आपस में जुड़े हुए हैं। जब पुतिन भारत आते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ द्विपक्षीय बैठक नहीं होती, बल्कि यह वैश्विक शक्ति की गतिशीलता पर भी प्रभाव डालता है।

पुतिन की भारत यात्रा का महत्व (Significance of Putin’s India Visit)

राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं है, बल्कि इसके कई गहरे भू-राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थ हैं।

1. ऊर्जा व्यापार और तेल कूटनीति (Energy Trade and Oil Diplomacy):

यह यात्रा मुख्य रूप से तेल और गैस व्यापार पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। रूस भारत के लिए कच्चे तेल (Crude Oil) का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में अग्रसर है।

  • रणनीतिक साझेदारी: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को सुनिश्चित करने के लिए विविध स्रोतों पर निर्भर करता है। रूस के साथ तेल व्यापार को बढ़ाना भारत के लिए सामरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है, खासकर जब वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बनी हुई है।
  • भुगतान तंत्र: अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, रूस के लिए डॉलर-आधारित व्यापार पर निर्भरता कम करना महत्वपूर्ण हो गया है। भारत और रूस के बीच रुपये-रूबल या अन्य गैर-डॉलर भुगतान तंत्र पर चर्चा इस यात्रा का एक प्रमुख बिंदु हो सकती है। यह वैश्विक वित्तीय प्रणाली के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती दे सकता है।
  • पेट्रोकेमिकल निवेश: न केवल कच्चे तेल का आयात, बल्कि रूस भारत के पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में निवेश करने में भी रुचि रखता है। यह द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को और गहरा करेगा।

“ऊर्जा सुरक्षा किसी भी देश के लिए सर्वोपरि होती है। भारत जैसे बड़े उपभोक्ता देश के लिए, विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी आपूर्तिकर्ता का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। रूस इस दिशा में एक महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में उभर रहा है।”

2. रक्षा सहयोग का विस्तार (Expansion of Defence Cooperation):

रक्षा क्षेत्र में भारत और रूस के बीच दशकों पुरानी साझेदारी है।

  • एस-400 का क्रियान्वयन: भारत एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ अनुबंध कर चुका है। इस सौदे के क्रियान्वयन की प्रगति और भविष्य में रक्षा उपकरणों के संयुक्त उत्पादन जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
  • नई रक्षा प्रौद्योगिकियां: दोनों देश रक्षा अनुसंधान और विकास में सहयोग बढ़ाने पर भी विचार कर सकते हैं।
  • अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव: अमेरिका की CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) जैसी नीतियों के तहत, रूस से बड़े रक्षा सौदे करने वाले देशों पर प्रतिबंध का खतरा मंडराता रहता है। पुतिन की भारत यात्रा के दौरान, यह मुद्दा अनौपचारिक रूप से उठाया जा सकता है, खासकर भारत की सुरक्षा आवश्यकताओं और उसकी संप्रभुता के संदर्भ में।

3. भू-राजनीतिक संतुलन (Geopolitical Balancing):

पुतिन की भारत यात्रा का एक महत्वपूर्ण पहलू भू-राजनीतिक संदेश है।

  • ट्रम्प को संदेश? अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के बीच, रूस के नेता की भारत यात्रा को कुछ विश्लेषक इस रूप में देख रहे हैं कि रूस एक ऐसे बड़े देश के साथ अपनी साझेदारी मजबूत कर रहा है जो अमेरिका का भी एक महत्वपूर्ण भागीदार है। यह अमेरिकी विदेश नीति के लिए एक सूक्ष्म संदेश हो सकता है।
  • बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था: भारत और रूस दोनों बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था (Multipolar World Order) के समर्थक हैं, जहां शक्ति का केंद्रीकरण किसी एक देश के पास न हो। यह यात्रा इस दृष्टिकोण को मजबूत करती है।
  • आसियान और यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) के साथ सहयोग: भारत ने आसियान देशों और रूस के नेतृत्व वाले यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) में भी रुचि दिखाई है। इस यात्रा में इस दिशा में भी प्रगति हो सकती है।

टैरिफ युद्ध और इसका प्रभाव (The Tariff War and Its Impact)

अमेरिका और चीन के बीच छिड़ा व्यापार युद्ध वैश्विक अर्थव्यवस्था और भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव डाल रहा है।

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का पुनर्गठन: यह युद्ध विभिन्न देशों को अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं (Supply Chains) पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है। कंपनियां अपनी उत्पादन इकाइयों को चीन से हटाकर अन्य देशों में स्थानांतरित करने पर विचार कर रही हैं।
  • ऊर्जा बाजारों पर प्रभाव: व्यापार युद्ध के कारण वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका बढ़ जाती है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल की मांग पर पड़ता है। इससे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आ सकता है।
  • भू-राजनीतिक गठबंधन: इस व्यापार युद्ध ने देशों को अपने गठबंधनों का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए भी प्रेरित किया है। जो देश अमेरिका और चीन दोनों के साथ महत्वपूर्ण संबंध रखते हैं, उन्हें संतुलन साधना पड़ रहा है।

यह वह जटिल पृष्ठभूमि है जिसमें पुतिन की भारत यात्रा हो रही है। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को देखते हुए, रूस और अमेरिका दोनों के साथ अपने संबंधों को बुद्धिमानी से निभाना होगा।

भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ (Opportunities and Challenges for India)

राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा भारत के लिए कई अवसर लेकर आती है, लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियाँ भी जुड़ी हैं।

अवसर (Opportunities):

  • ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करना: रूस के साथ दीर्घकालिक तेल आपूर्ति सौदों से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
  • आर्थिक विकास: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर, भारत अपने आर्थिक विकास को गति दे सकता है। रूस भारतीय उत्पादों के लिए एक नया बाजार खोल सकता है।
  • रणनीतिक स्वायत्तता: रूस के साथ घनिष्ठ संबंध भारत को अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे वह किसी एक महाशक्ति पर पूरी तरह निर्भर न रहे।
  • रक्षा आधुनिकीकरण: रूस से उन्नत रक्षा प्रौद्योगिकियों तक पहुंच भारत के सैन्य आधुनिकीकरण के लिए महत्वपूर्ण है।

चुनौतियाँ (Challenges):

  • अमेरिकी प्रतिबंधों का दबाव: CAATSA जैसे अमेरिकी कानूनों के तहत, रूस के साथ रक्षा या ऊर्जा सौदों पर भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। यह भारत की अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी के लिए बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • संतुलन साधना: भारत को रूस के साथ अपने संबंधों को मजबूत करते हुए अमेरिका के साथ भी अपने मजबूत संबंधों को बनाए रखने का नाजुक संतुलन साधना होगा।
  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में अस्थिरता: वैश्विक व्यापार युद्धों और भू-राजनीतिक तनावों के कारण ऊर्जा बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ सकता है।
  • भुगतान तंत्र की जटिलता: गैर-डॉलर भुगतान तंत्र स्थापित करना तकनीकी और वित्तीय रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

भविष्य की राह: आगे क्या? (The Way Forward: What Next?)

पुतिन की भारत यात्रा दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को एक नई दिशा दे सकती है। इस यात्रा से जो निष्कर्ष निकलेंगे, वे न केवल भारत-रूस संबंधों को बल्कि व्यापक भू-राजनीतिक परिदृश्य को भी प्रभावित करेंगे।

  • ऊर्जा सहयोग को गहरा करना: भारत को रूस के साथ न केवल कच्चे तेल की आपूर्ति पर, बल्कि पेट्रोकेमिकल संयंत्रों में संयुक्त निवेश और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर भी सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
  • डॉलर-मुक्त व्यापार पर काम: रुपये-रूबल या अन्य राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को सुगम बनाने के लिए वित्तीय तंत्र को और मजबूत करना होगा।
  • रक्षा संबंधों का विविधीकरण: हालांकि रूस एक महत्वपूर्ण रक्षा भागीदार है, भारत को रक्षा उपकरणों के लिए अपने स्रोतों में विविधता लाने की ओर भी ध्यान देना चाहिए ताकि किसी एक देश पर अत्यधिक निर्भरता कम हो।
  • भू-राजनीतिक तालमेल: भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि रूस के साथ उसके संबंध उसके अन्य प्रमुख भागीदारों, विशेष रूप से अमेरिका के साथ उसके संबंधों को नकारात्मक रूप से प्रभावित न करें।
  • रणनीतिक संवाद: विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर भारत और रूस के बीच निरंतर रणनीतिक संवाद जारी रहना चाहिए, खासकर उन मुद्दों पर जो सीधे तौर पर भारत के राष्ट्रीय हितों को प्रभावित करते हैं।

संक्षेप में, राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक अवसर है। यह भारत को अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने, रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने और वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति को और मजबूत करने का मौका देती है। हालांकि, इस यात्रा के साथ आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत को सावधानीपूर्वक और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। यह यात्रा निश्चित रूप से वैश्विक राजनीति के समीकरणों पर एक नया अध्याय लिखेगी।

UPSC परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न (Practice Questions for UPSC Exam)

प्रारंभिक परीक्षा (Prelims) – 10 MCQs

  1. प्रश्न 1: हाल ही में चर्चा में रहे राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा का मुख्य फोकस निम्नलिखित में से किस क्षेत्र पर रहने की उम्मीद है?
    (a) सांस्कृतिक आदान-प्रदान
    (b) ऊर्जा व्यापार
    (c) अंतरिक्ष सहयोग
    (d) आतंकवाद विरोधी साझेदारी

    उत्तर: (b) ऊर्जा व्यापार

    व्याख्या: समाचारों के अनुसार, राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा के दौरान तेल और गैस व्यापार, विशेष रूप से कच्चे तेल की आपूर्ति, पर विशेष ध्यान केंद्रित होने की उम्मीद है।
  2. प्रश्न 2: भारत और रूस के बीच ऐतिहासिक रूप से रक्षा क्षेत्र में मजबूत संबंध रहे हैं। रूस से भारत द्वारा खरीदी जा रही महत्वपूर्ण वायु रक्षा प्रणाली का नाम क्या है?
    (a) पैट्रियट
    (b) एस-300
    (c) एस-400
    (d) आयरन डोम

    उत्तर: (c) एस-400

    व्याख्या: भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए अनुबंध किया है, जो एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा है।
  3. प्रश्न 3: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों से संबंधित किस अधिनियम (Act) के तहत भारत को चिंताएं हो सकती हैं?
    (a) CAATSA
    (b) NDAA
    (c) JCPOA
    (d) IMF Act

    उत्तर: (a) CAATSA

    व्याख्या: CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) एक अमेरिकी कानून है जो रूस के साथ बड़े रक्षा या ऊर्जा सौदे करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा सकता है।
  4. प्रश्न 4: भारत और रूस जिस प्रकार की विश्व व्यवस्था का समर्थन करते हैं, उसे क्या कहा जाता है?
    (a) एकध्रुवीय विश्व व्यवस्था
    (b) द्विध्रुवीय विश्व व्यवस्था
    (c) बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था
    (d) गैर-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था

    उत्तर: (c) बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था

    व्याख्या: भारत और रूस दोनों ही एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था का समर्थन करते हैं जहां शक्ति किसी एक केंद्र में केंद्रित न होकर कई शक्ति केंद्रों में बंटी हो।
  5. प्रश्न 5: ऊर्जा व्यापार में, रूस के लिए डॉलर-आधारित व्यापार पर निर्भरता कम करना क्यों महत्वपूर्ण है?
    (a) रूस की अर्थव्यवस्था का विस्तार करने के लिए
    (b) अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए
    (c) यूरोप के साथ व्यापार बढ़ाने के लिए
    (d) ऊर्जा की कीमतों को स्थिर करने के लिए

    उत्तर: (b) अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करने के लिए

    व्याख्या: अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण, रूस डॉलर-आधारित वित्तीय प्रणालियों से बचकर अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित करना चाहता है।
  6. प्रश्न 6: भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किस प्रकार के भुगतान तंत्र पर विचार किया जा सकता है?
    (a) केवल अमेरिकी डॉलर
    (b) केवल यूरो
    (c) रुपये-रूबल या राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान
    (d) इनमे से कोई नहीं

    उत्तर: (c) रुपये-रूबल या राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान

    व्याख्या: डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए, दोनों देश राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार को बढ़ावा देने पर विचार कर सकते हैं।
  7. प्रश्न 7: “टैरिफ युद्ध” (Tariff War) का अर्थ क्या है?
    (a) देशों के बीच सांस्कृतिक बहिष्कार
    (b) देशों के बीच वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त कर (शुल्क)
    (c) देशों के बीच सैन्य अभ्यासों पर प्रतिबंध
    (d) देशों के बीच सूचना प्रौद्योगिकी का बहिष्कार

    उत्तर: (b) देशों के बीच वस्तुओं पर लगाए गए अतिरिक्त कर (शुल्क)

    व्याख्या: टैरिफ युद्ध तब होता है जब देश एक-दूसरे पर आयातित वस्तुओं पर भारी कर लगाते हैं, जिससे व्यापार बाधित होता है।
  8. प्रश्न 8: हाल के वर्षों में भारत के अमेरिका के साथ संबंधों में किस क्षेत्र में मजबूती आई है?
    (a) आतंकवाद का मुकाबला
    (b) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग
    (c) आर्थिक साझेदारी
    (d) उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d) उपरोक्त सभी

    व्याख्या: भारत और अमेरिका आतंकवाद का मुकाबला, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग और आर्थिक साझेदारी जैसे कई क्षेत्रों में मिलकर काम कर रहे हैं।
  9. प्रश्न 9: भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए कौन सा कारक महत्वपूर्ण है?
    (a) केवल घरेलू उत्पादन
    (b) केवल नवीकरणीय ऊर्जा
    (c) ऊर्जा के विविध स्रोतों पर निर्भरता
    (d) तेल के भंडार को बढ़ाना

    उत्तर: (c) ऊर्जा के विविध स्रोतों पर निर्भरता

    व्याख्या: किसी भी बड़े उपभोक्ता देश के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न देशों और स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करना महत्वपूर्ण है।
  10. प्रश्न 10: रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा को अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के संदर्भ में कौन सा भू-राजनीतिक संदेश देने के रूप में देखा जा सकता है?
    (a) रूस द्वारा अमेरिका की अनदेखी
    (b) रूस का भारत के साथ बढ़ता प्रभाव
    (c) रूस द्वारा अमेरिका को अप्रत्यक्ष संदेश
    (d) रूस द्वारा चीन का समर्थन

    उत्तर: (c) रूस द्वारा अमेरिका को अप्रत्यक्ष संदेश

    व्याख्या: कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि यह यात्रा रूस की ओर से अमेरिका को एक संकेत है कि वह अपने सहयोगियों के साथ संबंध मजबूत कर रहा है, भले ही अमेरिका और रूस के बीच तनाव हो।

मुख्य परीक्षा (Mains)

  1. प्रश्न 1: राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा का भारतीय विदेश नीति के संदर्भ में सामरिक महत्व का विश्लेषण कीजिए। विशेष रूप से ऊर्जा व्यापार, रक्षा सहयोग और भू-राजनीतिक संतुलन पर इसके निहितार्थों की चर्चा करें। (लगभग 250 शब्द)
  2. प्रश्न 2: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की पृष्ठभूमि में, रूस-भारत संबंधों को मजबूत करने के भारत के लिए अवसरों और चुनौतियों का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। CAATSA जैसे अमेरिकी प्रतिबंधों के संभावित प्रभाव पर भी प्रकाश डालें। (लगभग 250 शब्द)
  3. प्रश्न 3: भारत, रूस और अमेरिका के बीच जटिल त्रिपक्षीय संबंधों का वर्णन करें। भारत अपनी रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy) को बनाए रखते हुए इन तीनों देशों के साथ अपने हितों को कैसे साध सकता है? (लगभग 150 शब्द)
  4. प्रश्न 4: तेल व्यापार के संदर्भ में, भारत और रूस के बीच भुगतान तंत्र को सुगम बनाने और डॉलर पर निर्भरता कम करने के लिए संभावित तंत्रों पर चर्चा करें। इसके वैश्विक वित्तीय प्रणाली पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं? (लगभग 150 शब्द)

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