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संविधान मंथन: ज्ञान की परख

संविधान मंथन: ज्ञान की परख

भारतीय लोकतंत्र के आधारभूत स्तंभों को समझना हर प्रतियोगी परीक्षा के लिए अनिवार्य है। अपनी संवैधानिक समझ को निखारने और कांसेप्चुअल क्लैरिटी को परखने का यह बेहतरीन मौका है। आइए, आज के इस गहन अभ्यास के साथ भारतीय राजव्यवस्था के अपने ज्ञान को और मजबूत करें!

भारतीय राजव्यवस्था एवं संविधान अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: निम्नलिखित में से किस रिट का अर्थ ‘हम आज्ञा देते हैं’ है और इसका प्रयोग किसी लोक प्राधिकारी को उसके सार्वजनिक कर्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य करने हेतु किया जाता है?

  1. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  2. परमादेश (Mandamus)
  3. उत्प्रेषण (Certiorari)
  4. प्रतिषेध (Prohibition)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: ‘परमादेश’ (Mandamus) का शाब्दिक अर्थ है ‘हम आज्ञा देते हैं’। इसका प्रयोग उच्च न्यायालय द्वारा किसी निम्न न्यायालय, न्यायाधिकरण या सार्वजनिक प्राधिकारी को उनके सार्वजनिक या सांविधिक कर्तव्य का पालन करने के लिए बाध्य करने हेतु किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय को यह शक्ति अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालयों को अनुच्छेद 226 के तहत प्राप्त है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह रिट किसी निजी व्यक्ति या संस्था के विरुद्ध जारी नहीं की जा सकती है। यह राष्ट्रपति या राज्यपालों के विरुद्ध भी जारी नहीं की जा सकती है, क्योंकि वे अपने पद के तहत ऐसे कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं होते हैं।
  • गलत विकल्प: ‘बंदी प्रत्यक्षीकरण’ का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’, जिसका प्रयोग किसी अवैध रूप से हिरासत में रखे गए व्यक्ति को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। ‘उत्प्रेषण’ का प्रयोग किसी निम्न न्यायालय के निर्णय या आदेश को रद्द करने के लिए किया जाता है, और ‘प्रतिषेध’ का प्रयोग किसी निम्न न्यायालय को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर कार्य करने से रोकने के लिए किया जाता है।

प्रश्न 2: संसद के किसी सदस्य की, दल-बदल के आधार के अतिरिक्त अन्य आधारों पर, अयोग्यता के बारे में प्रश्न पर किसी निर्णय की अंतिम शक्ति किसके पास होती है?

  1. भारत का राष्ट्रपति
  2. संसदीय कार्य मंत्री
  3. संबंधित सदन का अध्यक्ष
  4. भारत का सर्वोच्च न्यायालय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान के अनुच्छेद 103 के अनुसार, संसद के किसी सदस्य की, दल-बदल (दसवीं अनुसूची) के आधार के अतिरिक्त अन्य आधारों पर, अयोग्यता के बारे में किसी प्रश्न पर अंतिम निर्णय लेने की शक्ति भारत के राष्ट्रपति में निहित है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रपति यह निर्णय चुनाव आयोग की सलाह से करते हैं। दल-बदल के आधार पर अयोग्यता का निर्णय दसवीं अनुसूची के तहत संबंधित सदन के अध्यक्ष (लोकसभा के लिए अध्यक्ष और राज्यसभा के लिए सभापति) द्वारा किया जाता है।
  • गलत विकल्प: संसदीय कार्य मंत्री या सर्वोच्च न्यायालय के पास यह प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है। अध्यक्ष का निर्णय केवल दल-बदल के मामलों में मान्य होता है, न कि सामान्य अयोग्यता के आधार पर।

प्रश्न 3: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ शब्द किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया?

  1. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 52वें संशोधन अधिनियम, 1985
  4. 73वें संशोधन अधिनियम, 1992

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन संदर्भ: ‘समाजवाद’ (Socialism), ‘पंथनिरपेक्ष’ (Secularism) और ‘अखंडता’ (Integrity) शब्दों को 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 द्वारा भारतीय संविधान की प्रस्तावना में जोड़ा गया था। इसे ‘मिनी कॉन्स्टिट्यूशन’ भी कहा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: इन शब्दों को जोड़ने का उद्देश्य भारतीय राज्य के स्वरूप को समाजवादी, पंथनिरपेक्ष और एकात्मक के बजाय एक अखंड राष्ट्र के रूप में परिभाषित करना था, जिससे एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना को बल मिले।
  • गलत विकल्प: 44वें संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटाकर विधिक अधिकार बनाया। 52वें संशोधन ने दल-बदल विरोधी कानून को जोड़ा। 73वें संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया।

प्रश्न 4: भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. CAG राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
  2. CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन उसे पद से केवल सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित प्रस्ताव के बाद ही हटाया जा सकता है।
  3. CAG अपनी रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उन्हें संसद के पटल पर रखवाता है।
  4. CAG को सार्वजनिक धन का संरक्षक माना जाता है।

इन कथनों में से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. केवल 1 और 4
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 1, 2 और 3
  4. सभी सत्य हैं

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: कथन 1 असत्य है। CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो, तक होता है, न कि राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत। कथन 2 सत्य है। CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 148) और उसे सिद्ध कदाचार या असमर्थता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समान प्रक्रिया द्वारा हटाया जा सकता है (अनुच्छेद 148(1) और 124(4))। कथन 3 सत्य है। CAG अपनी ऑडिट रिपोर्टें राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो उन्हें संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष रखवाता है (अनुच्छेद 149)। कथन 4 सत्य है। CAG सार्वजनिक धन के व्यय पर नियंत्रण रखता है और उसे ‘सार्वजनिक धन का संरक्षक’ माना जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: CAG की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए उसे कार्यकाल की सुरक्षा और अन्य प्रावधान दिए गए हैं।
  • गलत विकल्प: विकल्प (a) गलत है क्योंकि पहला कथन असत्य है। विकल्प (c) गलत है क्योंकि पहला कथन असत्य है। विकल्प (d) गलत है क्योंकि पहला कथन असत्य है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सा मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत ‘जीवन के अधिकार’ और ‘व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ में शामिल नहीं है?

  1. साफ पानी का अधिकार
  2. निजता का अधिकार
  3. असीमित टेलीफोन टैपिंग का अधिकार
  4. मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है। सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से इस अधिकार का व्यापक अर्थ निकाला है, जिसमें साफ पानी का अधिकार, निजता का अधिकार (न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टास्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ), और मानवीय गरिमा के साथ जीने का अधिकार शामिल हैं। असीमित टेलीफोन टैपिंग का अधिकार निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और इसलिए अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित नहीं है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार केवल शारीरिक उपस्थिति या जीवन के अंत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें वे सभी पहलू शामिल हैं जो मनुष्य को सार्थक जीवन जीने में सक्षम बनाते हैं।
  • गलत विकल्प: साफ पानी, निजता और गरिमापूर्ण जीवन के अधिकार सभी को अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षण प्राप्त है, जबकि असीमित टेलीफोन टैपिंग इस सुरक्षा के दायरे में नहीं आता है।

प्रश्न 6: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा किस संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया?

  1. 70वां संशोधन अधिनियम, 1992
  2. 73वां संशोधन अधिनियम, 1992
  3. 74वां संशोधन अधिनियम, 1992
  4. 80वां संशोधन अधिनियम, 2000

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन संदर्भ: 73वें संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं को भारतीय संविधान के भाग IX में अनुच्छेद 243 से 243-O तक जोड़कर उन्हें संवैधानिक दर्जा प्रदान किया। इसके साथ ही संविधान में ग्यारहवीं अनुसूची भी जोड़ी गई, जिसमें 29 विषय शामिल थे।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य पंचायती राज संस्थाओं को अधिक शक्तियाँ और स्वायत्तता प्रदान कर जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना था।
  • गलत विकल्प: 70वां संशोधन पंचायती राज से संबंधित कुछ उपबंधों को लागू करने में कुछ राज्यों को छूट देने से संबंधित था। 74वां संशोधन शहरी स्थानीय निकायों (नगर पालिकाओं) को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। 80वां संशोधन करों के वितरण से संबंधित था।

प्रश्न 7: भारतीय संविधान में ‘अवशिष्ट शक्तियाँ’ (Residuary Powers) किसे सौंपी गई हैं?

  1. संघ को
  2. राज्यों को
  3. संघ और राज्यों को संयुक्त रूप से
  4. न तो संघ को और न ही राज्यों को

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 248 के अनुसार, संसद के पास उन सभी विषयों पर कानून बनाने की अवशिष्ट शक्तियाँ (Residuary Powers) हैं जो संघ सूची, राज्य सूची या समवर्ती सूची में शामिल नहीं हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रावधान संघीय व्यवस्था में संघ की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। कनाडा के संविधान से प्रेरित यह व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि संविधान के लागू होने के बाद उत्पन्न होने वाले नए विषय या जिन पर सूची में स्पष्ट उल्लेख नहीं है, उन पर कानून बनाने का अधिकार केंद्र सरकार के पास हो।
  • गलत विकल्प: भारत का संविधान एक अर्ध-संघीय (Quasi-federal) व्यवस्था अपनाता है जहाँ शक्तियों का स्पष्ट विभाजन है, लेकिन अवशिष्ट शक्तियाँ संघ को दी गई हैं। राज्यों को विशेष अवशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त नहीं हैं।

प्रश्न 8: राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सत्य नहीं है?

  1. यह एक संवैधानिक निकाय है।
  2. इसका पदेन अध्यक्ष भारत का प्रधानमंत्री होता है।
  3. इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल होते हैं।
  4. इसका मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम रूप देना है।

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: कथन (a) असत्य है। राष्ट्रीय विकास परिषद (NDC) एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि यह एक कार्यकारी प्रस्ताव द्वारा 1952 में स्थापित की गई एक अतिरिक्त-संवैधानिक (extra-constitutional) संस्था है। कथन (b) सत्य है। भारत का प्रधानमंत्री इसका पदेन अध्यक्ष होता है। कथन (c) सत्य है। इसमें सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। कथन (d) सत्य है। NDC का मुख्य कार्य पंचवर्षीय योजनाओं को अंतिम मंजूरी देना और राष्ट्रीय विकास से संबंधित मुद्दों पर विचार करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: NDC योजना आयोग (अब नीति आयोग) द्वारा तैयार की गई योजनाओं के लिए एक अंतिम स्वीकृति प्राधिकरण के रूप में कार्य करता है, जिससे राज्यों की भागीदारी सुनिश्चित होती है।
  • गलत विकल्प: प्रश्न पूछ रहा है कि कौन सा कथन सत्य नहीं है, और यह कथन (a) है कि NDC एक संवैधानिक निकाय है, जो गलत है।

प्रश्न 9: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद शिक्षा के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में स्थापित करता है?

  1. अनुच्छेद 21
  2. अनुच्छेद 21A
  3. अनुच्छेद 45
  4. अनुच्छेद 51A(k)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: 86वें संशोधन अधिनियम, 2002 द्वारा संविधान में अनुच्छेद 21A जोड़ा गया, जिसमें यह प्रावधान किया गया कि “राज्य 6 से 14 वर्ष की आयु के सभी बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करेगा।” यह शिक्षा का अधिकार को एक मौलिक अधिकार बनाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अधिकार एक महत्वपूर्ण सामाजिक अधिकार है जो संविधान के भाग III में मौलिक अधिकारों के अंतर्गत आता है। इससे पहले, शिक्षा का अधिकार अनुच्छेद 45 के तहत राज्य के नीति निदेशक तत्वों का हिस्सा था। अनुच्छेद 51A(k) एक मौलिक कर्तव्य है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार है, जिसमें शिक्षा का अधिकार अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकता था, लेकिन 21A ने इसे स्पष्ट रूप से मौलिक अधिकार बनाया। अनुच्छेद 45 राज्य के नीति निदेशक तत्वों में प्रारंभिक बाल्यावस्था की देखभाल और शिक्षा का प्रावधान करता है, न कि 6-14 वर्ष के बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार।

प्रश्न 10: निम्नलिखित में से कौन सा विषय भारतीय संविधान की संघ सूची (Union List) में शामिल है?

  1. जन स्वास्थ्य
  2. पुलिस
  3. रेलवे सुरक्षा
  4. वन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और सूची संदर्भ: भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में शक्तियों का विभाजन तीन सूचियों में किया गया है: संघ सूची, राज्य सूची और समवर्ती सूची। ‘रेलवे सुरक्षा’ संघ सूची का विषय है।
  • संदर्भ और विस्तार: संघ सूची के विषय वे हैं जिन पर केवल केंद्र सरकार कानून बना सकती है। सूची I (संघ सूची) के विषय 1, 3, 7, 14, 15, 17, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, 29, 30, 32, 33, 34, 38, 39, 41, 42, 43, 44, 45, 46, 47, 49, 50, 51, 52, 53, 54, 55, 56, 57, 58, 59, 60, 61, 62, 63, 64, 65, 66, 67, 69, 70, 71, 72, 73, 74, 75, 76, 77, 78, 79, 80, 81, 82, 83, 84, 85, 87, 88, 89, 90, 91, 92, 92A, 93, 94, 95, 96, 97, 98, 99, 100, 101, 102, 103, 104, 105. रेलवे रेलवे सुरक्षा (Entry 25) संघ सूची में है।
  • गलत विकल्प: ‘जन स्वास्थ्य’ (राज्य सूची, प्रविष्टि 6), ‘पुलिस’ (राज्य सूची, प्रविष्टि 5) और ‘वन’ (समवर्ती सूची, प्रविष्टि 17) संघ सूची के विषय नहीं हैं।

प्रश्न 11: भारत के महान्यायवादी (Attorney General) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही है?

  1. वह भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है।
  2. वह संसद के दोनों सदनों में बोल सकता है, लेकिन मतदान नहीं कर सकता।
  3. उसकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: महान्यायवादी (Attorney General) भारत सरकार का मुख्य विधि अधिकारी होता है (अनुच्छेद 76(1))। वह राष्ट्रपति की इच्छा तक पद धारण करता है। उसे संसद के दोनों सदनों में बोलने और कार्यवाही में भाग लेने का अधिकार है, लेकिन उसे मत देने का अधिकार नहीं है (अनुच्छेद 88)। उसकी नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है (अनुच्छेद 76(1))।
  • संदर्भ और विस्तार: महान्यायवादी का मुख्य कार्य सरकार को कानूनी सलाह देना और महत्वपूर्ण कानूनी मामलों में उसकी ओर से पेश होना है।
  • गलत विकल्प: सभी दिए गए कथन महान्यायवादी के पद और शक्तियों के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 12: निम्नलिखित में से किस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने ‘संविधान के मूल ढांचे’ (Basic Structure) के सिद्धांत को प्रतिपादित किया?

  1. ए. के. गोपालन बनाम मद्रास राज्य
  2. शंकरी प्रसाद सिंह देव बनाम भारत संघ
  3. केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य
  4. मेनका गांधी बनाम भारत संघ

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और निर्णय संदर्भ: केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य (1973) के ऐतिहासिक मामले में, सर्वोच्च न्यायालय की एक पूर्ण पीठ ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया कि संसद संविधान के किसी भी भाग, जिसमें मौलिक अधिकार भी शामिल हैं, में संशोधन कर सकती है, लेकिन यह संशोधन संविधान के ‘मूल ढांचे’ (Basic Structure) को विकृत या नष्ट नहीं कर सकता।
  • संदर्भ और विस्तार: इस सिद्धांत ने संविधान की सर्वोच्चता और उसके अनवरत विकास के बीच संतुलन स्थापित किया। इसमें संसद की संशोधन शक्ति को अप्रत्यक्ष रूप से सीमित किया गया।
  • गलत विकल्प: ‘ए. के. गोपालन’ मामले में व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निवारक निरोध पर निर्णय दिया गया था। ‘शंकरी प्रसाद’ मामले में संसद की संशोधन शक्ति को मौलिक अधिकारों तक विस्तारित माना गया था। ‘मेनका गांधी’ मामले में अनुच्छेद 21 के अर्थ का विस्तार किया गया था।

प्रश्न 13: भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली की अनुशंसा किसने की थी?

  1. बलवंत राय मेहता समिति
  2. अशोक मेहता समिति
  3. जी. वी. के. राव समिति
  4. एल. एम. सिंघवी समिति

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और समिति संदर्भ: बलवंत राय मेहता समिति (1957) ने भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज प्रणाली (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद) की अनुशंसा की थी, जिसे 1959 में राजस्थान के नागौर में पहली बार लागू किया गया था।
  • संदर्भ और विस्तार: इस समिति का उद्देश्य स्थानीय स्तर पर स्व-शासन की संस्थाओं को मजबूत करना और लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना था।
  • गलत विकल्प: अशोक मेहता समिति (1977) ने दो-स्तरीय प्रणाली की अनुशंसा की थी। जी. वी. के. राव समिति (1985) ने जिला स्तर पर अधिक ध्यान केंद्रित किया। एल. एम. सिंघवी समिति (1986) ने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा देने की अनुशंसा की थी।

प्रश्न 14: भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं?

  1. अनुच्छेद 352
  2. अनुच्छेद 356
  3. अनुच्छेद 360
  4. अनुच्छेद 365

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: भारतीय संविधान का अनुच्छेद 352 राष्ट्रपति को युद्ध, बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करने की शक्ति प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिमंडल की लिखित सहमति पर ही की जा सकती है। इस घोषणा को संसद के दोनों सदनों द्वारा एक माह के भीतर अनुमोदित किया जाना आवश्यक है।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 356 राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के आधार पर आपातकाल (राष्ट्रपति शासन) से संबंधित है। अनुच्छेद 360 वित्तीय आपातकाल से संबंधित है। अनुच्छेद 365 उन स्थितियों से संबंधित है जहाँ राज्य केंद्र के निर्देशों का अनुपालन करने में विफल रहते हैं।

प्रश्न 15: निम्नलिखित में से कौन सा निकाय भारतीय संविधान के भाग IVA (मौलिक कर्तव्य) के अंतर्गत आता है?

  1. मानवाधिकार आयोग
  2. राष्ट्रीय महिला आयोग
  3. अल्पसंख्यक राष्ट्रीय आयोग
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और भाग संदर्भ: भारतीय संविधान का भाग IVA मौलिक कर्तव्यों से संबंधित है, जो अनुच्छेद 51A में सूचीबद्ध हैं। ये कर्तव्य नागरिकों के लिए निर्धारित हैं। मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग और अल्पसंख्यक राष्ट्रीय आयोग सांविधिक निकाय (Statutory Bodies) हैं, जिनका गठन संसद के अधिनियमों द्वारा किया गया है, न कि ये संविधान के मौलिक कर्तव्यों के अंतर्गत आने वाले निकाय हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मौलिक कर्तव्य नागरिकों को राष्ट्र के प्रति उनके उत्तरदायित्वों की याद दिलाते हैं।
  • गलत विकल्प: तीनों विकल्प सांविधिक निकाय हैं और सीधे तौर पर मौलिक कर्तव्यों के अंतर्गत नहीं आते हैं।

प्रश्न 16: भारतीय संविधान का कौन सा अनुच्छेद संसद को नए राज्यों के निर्माण या राज्यों की सीमाओं में परिवर्तन करने की शक्ति प्रदान करता है?

  1. अनुच्छेद 1
  2. अनुच्छेद 2
  3. अनुच्छेद 3
  4. अनुच्छेद 4

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: अनुच्छेद 3 संसद को यह शक्ति देता है कि वह किसी भी राज्य के क्षेत्र को बढ़ा या घटा सकती है, या किसी राज्य की सीमाओं या नाम को बदल सकती है, या दो या अधिक राज्यों को मिलाकर या किसी राज्य के भाग को किसी राज्य से मिलाकर नया राज्य बना सकती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह शक्ति प्राप्त करने के लिए, राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी आवश्यक है, और संबंधित राज्य विधानमंडल को अपना मत व्यक्त करने के लिए समय दिया जाता है, हालांकि संसद उस मत से बाध्य नहीं होती।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 1 भारत को ‘राज्यों का संघ’ घोषित करता है। अनुच्छेद 2 नए राज्यों के प्रवेश या स्थापना से संबंधित है। अनुच्छेद 4 में कहा गया है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत पारित कानून संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माने जाएंगे।

प्रश्न 17: लोकपाल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें:

  1. लोकपाल एक सांविधिक निकाय है।
  2. यह भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है।
  3. यह प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कर सकता है।

इन कथनों में से कौन से कथन सत्य हैं?

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. सभी सत्य हैं

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संदर्भ: लोकपाल एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत की गई थी। यह जनसेवकों (प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, सांसदों आदि) के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: लोकपाल का उद्देश्य भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना और सार्वजनिक संस्थाओं में जवाबदेही सुनिश्चित करना है।
  • गलत विकल्प: तीनों दिए गए कथन लोकपाल के संबंध में सत्य हैं।

प्रश्न 18: भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ‘न्याय’ का क्या अर्थ है?

  1. सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय
  2. केवल राजनीतिक न्याय
  3. सामाजिक और आर्थिक न्याय
  4. आर्थिक, सामाजिक और धार्मिक न्याय

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और प्रस्तावना संदर्भ: भारतीय संविधान की प्रस्तावना ‘न्याय’ के तीन रूपों का उल्लेख करती है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।
  • संदर्भ और विस्तार: सामाजिक न्याय का अर्थ है जाति, रंग, धर्म, लिंग आदि के आधार पर कोई भेदभाव न होना। आर्थिक न्याय का अर्थ है धन और आय का समान वितरण। राजनीतिक न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का समान अवसर मिले।
  • गलत विकल्प: प्रस्तावना में केवल राजनीतिक न्याय या केवल सामाजिक-आर्थिक न्याय का उल्लेख नहीं है, बल्कि तीनों का एक साथ उल्लेख है। धार्मिक न्याय का उल्लेख सीधे तौर पर नहीं है, हालांकि यह सामाजिक न्याय का एक निहितार्थ हो सकता है।

प्रश्न 19: सर्वोच्च न्यायालय निम्नलिखित में से किस रिट का प्रयोग व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए करता है?

  1. परमादेश (Mandamus)
  2. अधिकार पृच्छा (Quo Warranto)
  3. बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus)
  4. उत्प्रेषण (Certiorari)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) का अर्थ है ‘शरीर प्रस्तुत करो’। यह रिट किसी व्यक्ति को अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश है, जिसे अवैध रूप से हिरासत में रखा गया हो। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण रिट है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत और उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत जारी कर सकते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह नागरिकों को मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत से बचाता है।
  • गलत विकल्प: परमादेश किसी लोक प्राधिकारी को कर्तव्य पालन का आदेश देता है। अधिकार पृच्छा किसी व्यक्ति से उसके पद के अधिकार की मांग करता है। उत्प्रेषण किसी निचली अदालत के आदेश को रद्द करने के लिए जारी किया जाता है।

प्रश्न 20: भारत में ‘सांविधिक निकाय’ (Statutory Body) का एक उदाहरण निम्नलिखित में से कौन सा है?

  1. नीति आयोग
  2. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
  3. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC)
  4. भारतीय लोक सेवा आयोग (UPSC)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और प्रकार संदर्भ: सांविधिक निकाय वह निकाय होता है जिसकी स्थापना संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा पारित किसी अधिनियम (कानून) के माध्यम से की जाती है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) का गठन मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत किया गया था, इसलिए यह एक सांविधिक निकाय है।
  • संदर्भ और विस्तार: सांविधिक निकायों को अक्सर विशिष्ट कार्य सौंपे जाते हैं, जैसे कि मानवाधिकारों की रक्षा करना।
  • गलत विकल्प: नीति आयोग (NITI Aayog) एक कार्यकारी आदेश द्वारा स्थापित एक गैर-संवैधानिक (non-constitutional) और गैर-सांविधिक (non-statutory) निकाय है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का गठन RBI अधिनियम, 1934 के तहत हुआ था, लेकिन इसे एक ‘केंद्रीय बैंक’ के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, और इसके अधिकार काफी हद तक अधिनियम द्वारा शासित होते हैं, हालाँकि यह अपने आप में एक ‘सांविधिक निकाय’ के रूप में NHRC की तरह सीधे परिभाषित नहीं होता। भारतीय लोक सेवा आयोग (UPSC) एक संवैधानिक निकाय है, जिसका उल्लेख संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315-323 में है।

प्रश्न 21: भारतीय संविधान के किस संशोधन ने संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटा दिया?

  1. 42वें संशोधन अधिनियम, 1976
  2. 44वें संशोधन अधिनियम, 1978
  3. 50वें संशोधन अधिनियम, 1984
  4. 52वें संशोधन अधिनियम, 1985

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और संशोधन संदर्भ: 44वें संशोधन अधिनियम, 1978 ने संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 31) को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर इसे संविधान के भाग XII में एक नए अनुच्छेद 300A के तहत एक विधिक अधिकार (Legal Right) बना दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: इस संशोधन का उद्देश्य भूमि सुधारों को सुगम बनाना और संपत्ति के अधिकार के संबंध में उत्पन्न होने वाले अनावश्यक विवादों को कम करना था।
  • गलत विकल्प: 42वां संशोधन प्रस्तावना में समाजवाद, पंथनिरपेक्षता और अखंडता शब्दों को जोड़ा। 50वां संशोधन अनुच्छेद 33 के तहत संशोधन से संबंधित था। 52वां संशोधन दल-बदल विरोधी कानून से संबंधित था।

प्रश्न 22: यदि कोई व्यक्ति किसी विदेशी राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अपराध में दोषी पाया जाता है, तो उसे भारतीय संविधान के किस अनुच्छेद के तहत नागरिकता से वंचित किया जा सकता है?

  1. अनुच्छेद 7
  2. अनुच्छेद 9
  3. अनुच्छेद 10
  4. अनुच्छेद 11

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और अनुच्छेद संदर्भ: संविधान का अनुच्छेद 7 यह प्रावधान करता है कि यदि कोई व्यक्ति 1 मार्च, 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान को प्रस्थान कर गया है और उसके बाद किसी ऐसे क्षेत्र में चला गया है जो अब पाकिस्तान का हिस्सा है, तो वह भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। हालाँकि, जब नागरिकता के त्याग या समाप्ति की बात आती है, तो अनुच्छेद 10 यह कहता है कि संसद विधि द्वारा नागरिकता के अर्जन या समाप्ति के बारे में प्रावधान कर सकती है। यहां प्रश्न में थोड़ा भ्रम है, अनुच्छेद 7 पाकिस्तान के प्रवासन से संबंधित है, जबकि नागरिकता के संबंध में अन्य प्रावधान, विशेष रूप से ‘त्याग’ या ‘वंचित’ करने की शक्ति, नागरिकता अधिनियम, 1955 में दी गई है। नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) के अनुसार, कोई भी भारतीय नागरिक, जो स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा। हालांकि, सीधे संविधान के अनुच्छेद के तहत नागरिकता से वंचित करने के विशिष्ट कारण के रूप में ‘विदेशी राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ का उल्लेख प्रत्यक्ष रूप से किसी एक अनुच्छेद में नहीं है, बल्कि यह 1955 के अधिनियम के तहत ‘वंचित’ (deprivation) होने का एक आधार हो सकता है। लेकिन यदि दिए गए विकल्पों में से एक को चुनना हो, और प्रश्न नागरिकता के खोने के संबंध में संविधान के भाग II से संबंधित हो, तो अनुच्छेद 10 संसद को शक्ति देता है, और अनुच्छेद 7 प्रवासन से संबंधित है।
  • स्पष्टीकरण पर पुनर्मूल्यांकन: प्रश्न पूछ रहा है कि किस अनुच्छेद के तहत ‘वंचित’ किया जा सकता है। नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(1) के तहत, कोई भी भारतीय नागरिक जो स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त करता है, वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा। धारा 9(2) में कहा गया है कि यदि किसी नागरिक ने स्वेच्छा से अपनी नागरिकता खो दी है, तो वह कोई भी उपाधि या सम्मान ले सकता है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कर सकता जो भारत सरकार के विरुद्ध हो। भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(1) में नागरिकता के त्याग (renunciation) या समाप्ति (termination) के आधार बताए गए हैं। धारा 9(1)(b) में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा। हालांकि, नागरिकता से ‘वंचित’ (deprivation) करने के आधार, जैसे कि धोखाधड़ी से नागरिकता प्राप्त करना, संविधान के अनुच्छेद 10 के तहत संसद द्वारा बनाए गए कानून (अर्थात नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 8) के अनुसार होते हैं।
  • दिए गए विकल्पों में से सबसे सटीक अनुच्छेद जो नागरिकता के संबंध में विधायी शक्ति प्रदान करता है, वह अनुच्छेद 10 है। अनुच्छेद 7 पाकिस्तान को प्रस्थान करने से संबंधित है। अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा। यह स्वेच्छा से प्राप्त करने की बात करता है, न कि वंचित करने की। अनुच्छेद 11 संसद को नागरिकता संबंधी मामलों में कानून बनाने की शक्ति देता है।
  • अंतिम निर्णय: प्रश्न में ‘वंचित’ शब्द का प्रयोग भ्रामक है, क्योंकि सीधे तौर पर संविधान के किसी अनुच्छेद में ‘युद्ध छेड़ने’ के आधार पर नागरिकता से वंचित करने का उल्लेख नहीं है, यह नागरिकता अधिनियम का विषय है। हालांकि, यदि प्रश्न को नागरिकता के खोने या समाप्ति से जोड़ा जाए, और यह माना जाए कि ‘वंचित’ का अर्थ ‘समाप्त’ है, तो अनुच्छेद 9 (स्वैच्छिक विदेशी नागरिकता) या अनुच्छेद 10 (संसद की शक्ति) पर विचार किया जा सकता है। लेकिन, यदि प्रश्न को नागरिकता अधिनियम, 1955 के संदर्भ में देखा जाए, जहाँ ‘वंचित’ (Deprivation) एक प्रकार है (धोखाधड़ी, निष्ठाहीनता, शत्रुतापूर्ण देश से व्यापार आदि), तो सीधे संविधान के अनुच्छेद से जोड़ना मुश्किल है।
  • एक संभावित व्याख्या यह है कि यदि व्यक्ति शत्रुतापूर्ण देश का नागरिक बन जाता है, या उसकी निष्ठा बदल जाती है, तो अनुच्छेद 9 लागू हो सकता है, या अनुच्छेद 10 के तहत संसद कानून बना सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी माना है कि अनुच्छेद 10, नागरिकता के निरंतरता को बनाए रखता है, और संसद को इस पर कानून बनाने की शक्ति देता है।
  • फिर से विचार: नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(1) कहती है कि यदि कोई व्यक्ति स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारतीय नागरिक नहीं रहेगा। इसी तरह, कुछ विशेष परिस्थितियों में नागरिकता से वंचित (deprivation) किया जा सकता है। यह मानते हुए कि प्रश्न एक ऐसे आधार पर नागरिकता समाप्त करने के बारे में है जो संविधान में परोक्ष रूप से समाहित है, और सीधे तौर पर ‘वंचित’ शब्द को पकड़ना है, और अनुच्छेद 10 संसद को शक्ति देता है, और अन्य अनुच्छेद प्रत्यक्ष रूप से इसका कारण नहीं बताते।
  • पुनः चयन: यदि प्रश्न ‘संसद द्वारा कानून बनाने की शक्ति’ को इंगित करता है, तो अनुच्छेद 11 अधिक प्रासंगिक है। लेकिन यह ‘अनुच्छेद के तहत वंचित’ पूछ रहा है। अनुच्छेद 9 किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता की समाप्ति की बात करता है, जो अप्रत्यक्ष रूप से ‘वंचित’ होने जैसा है।
  • अंतिम निर्णय (दिए गए विकल्पों के अनुसार): यदि हम मानते हैं कि ‘विदेशी राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने’ का अर्थ दुश्मन देश की नागरिकता स्वीकार करना या उसके प्रति निष्ठावान होना है, तो अनुच्छेद 9 एक संभावित उत्तर हो सकता है, क्योंकि यह विदेशी नागरिकता प्राप्त करने पर भारतीय नागरिकता की समाप्ति की बात करता है। हालाँकि, यह प्रत्यक्ष रूप से ‘युद्ध छेड़ने’ के लिए वंचित करने का कारण नहीं बताता।
    सबसे सटीक उत्तर अनुच्छेद 10 होना चाहिए, क्योंकि यह संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के संबंध में कानून बनाने की शक्ति देता है, और इसी के तहत नागरिकता अधिनियम, 1955 बनाया गया है।
    लेकिन, प्रश्न एक विशिष्ट अनुच्छेद के तहत ‘वंचित’ होने की बात करता है।
    संविधान के भाग II में, नागरिकता की समाप्ति पर सीधे अनुच्छेद 9 (विदेशी राज्य की नागरिकता) और अनुच्छेद 10 (संसद की शक्ति) हैं।
    यदि हम अनुच्छेद 7 को देखें, तो यह पाकिस्तान जाने वाले लोगों की नागरिकता की समाप्ति की बात करता है।
    दिए गए संदर्भ में, यदि हम ‘वंचित’ को ‘समाप्त’ मानें और ‘विदेशी राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना’ को देशद्रोह या शत्रुतापूर्ण कृत्य मानें, तो यह अप्रत्यक्ष रूप से विदेशी नागरिकता प्राप्त करने जैसा हो सकता है।
    सबसे कमजोर कड़ी अनुच्छेद 7 है, क्योंकि यह सीधे तौर पर ‘युद्ध छेड़ने’ से नहीं जुड़ता।
    अनुच्छेद 9 (विदेशी नागरिकता) या अनुच्छेद 10 (संसद की शक्ति) अधिक प्रासंगिक लगते हैं।
    चलिए, हम नागरिकता अधिनियम, 1955 के खंड 8 (वंचित करना) और खंड 9 (समाप्त करना) पर विचार करते हैं। खंड 9(1)(b) स्वैच्छिक विदेशी नागरिकता को नागरिकता की समाप्ति का आधार बनाता है।
    अनुच्छेद 9, “दोहरी नागरिकता का न होना” की बात करता है। यदि कोई व्यक्ति विदेशी राज्य के खिलाफ युद्ध में भाग लेता है, तो संभवतः वह उस विदेशी राज्य की नागरिकता ले लेता है या उसकी निष्ठा बदल जाती है।
    इसलिए, अनुच्छेद 9 सबसे निकटतम लग रहा है, हालांकि यह प्रत्यक्ष नहीं है।
    यदि हम यह मान लें कि ‘युद्ध छेड़ने’ का अर्थ एक शत्रुतापूर्ण देश की नागरिकता प्राप्त करना है, तो अनुच्छेद 9 के तहत वह भारतीय नागरिकता खो देगा।
    अंतिम उत्तर अनुच्छेद 9।
  • गलत विकल्प: अनुच्छेद 7 पाकिस्तान को प्रस्थान करने वाले व्यक्ति से संबंधित है। अनुच्छेद 10 संसद की शक्ति से संबंधित है, न कि सीधे तौर पर वंचित करने के आधार से। अनुच्छेद 11 संसद की कानून बनाने की शक्ति से संबंधित है, न कि सीधे तौर पर वंचित करने के आधार से।

प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सी समिति केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए गठित की गई थी?

  1. सरकारी आयोग
  2. बलवंत राय मेहता समिति
  3. अशोक मेहता समिति
  4. द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग

उत्तर: (a)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और समिति संदर्भ: सरकारी आयोग (Sarkaria Commission) का गठन 1983 में केंद्र-राज्य संबंधों की समीक्षा के लिए किया गया था। इसने अपनी रिपोर्ट 1987 में प्रस्तुत की।
  • संदर्भ और विस्तार: आयोग ने केंद्र-राज्य संबंधों में विभिन्न सुधारों की सिफारिश की, जिनमें से कई को बाद में अपनाया भी गया, जैसे कि अनुच्छेद 356 के प्रयोग में अधिक संयम बरतना।
  • गलत विकल्प: बलवंत राय मेहता और अशोक मेहता समितियाँ पंचायती राज से संबंधित थीं। द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2005) का उद्देश्य सार्वजनिक प्रशासन में सुधार के लिए सिफारिशें देना था, जिसमें केंद्र-राज्य संबंध एक पहलू थे, लेकिन सरकारी आयोग विशेष रूप से इसी उद्देश्य से गठित हुआ था।

प्रश्न 24: भारतीय संविधान के अनुसार, एक ‘विधायिका’ (Legislature) का मुख्य कार्य क्या है?

  1. कानूनों का प्रवर्तन
  2. कानूनों का निर्माण
  3. न्यायिक निर्णय देना
  4. प्रशासनिक निर्णय लेना

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और कार्यप्रणाली संदर्भ: सरकार के तीन मुख्य अंग होते हैं: विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका। विधायिका का प्राथमिक और मौलिक कार्य देश के लिए कानूनों का निर्माण करना है।
  • संदर्भ और विस्तार: भारत में, संसद (केंद्र स्तर पर) और राज्य विधानमंडल (राज्य स्तर पर) विधायी निकाय हैं जो कानून बनाते हैं।
  • गलत विकल्प: कानूनों का प्रवर्तन कार्यपालिका का कार्य है। न्यायिक निर्णय देना न्यायपालिका का कार्य है। प्रशासनिक निर्णय लेना भी कार्यपालिका का कार्य है।

प्रश्न 25: भारतीय संविधान में ‘आपातकालीन उपबंध’ (Emergency Provisions) किस देश के संविधान से प्रेरित हैं?

  1. संयुक्त राज्य अमेरिका
  2. कनाडा
  3. जर्मनी (पूर्व में वाइमर गणराज्य)
  4. ऑस्ट्रेलिया

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सटीकता और स्रोत संदर्भ: भारतीय संविधान के आपातकालीन उपबंधों, विशेष रूप से राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) और वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) के प्रावधानों को काफी हद तक जर्मनी के वाइमर गणराज्य के संविधान से लिया गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था राष्ट्रीय सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने के लिए आपातकाल के दौरान सरकार को विशेष शक्तियां प्रदान करती है।
  • गलत विकल्प: संयुक्त राज्य अमेरिका से संघात्मक व्यवस्था, न्यायपालिका की स्वतंत्रता आदि लिए गए हैं। कनाडा से अर्ध-संघीय व्यवस्था, अवशिष्ट शक्तियां संघ को मिलना आदि लिए गए हैं। ऑस्ट्रेलिया से समवर्ती सूची और संयुक्त बैठक का प्रावधान लिया गया है।

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