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समाजशास्त्र की दैनिक अभ्यास: 25 प्रश्न – अपनी समझ को परखें!

समाजशास्त्र की दैनिक अभ्यास: 25 प्रश्न – अपनी समझ को परखें!

क्या आप समाजशास्त्र की दुनिया में अपनी अवधारणाओं को मजबूत करने के लिए तैयार हैं? आज का यह विशेष अभ्यास सत्र आपको विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर चुनौती देगा। अपनी विश्लेषणात्मक क्षमता को तेज करें और आगामी परीक्षाओं के लिए अपनी तैयारी का स्तर जानें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।

प्रश्न 1: ‘तर्कसंगतता’ (Rationalization) की अवधारणा को समाजशास्त्र में प्रमुखता से किसने विकसित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. एमिल दुर्खीम
  3. मैक्स वेबर
  4. हर्बर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैक्स वेबर ने ‘तर्कसंगतता’ की अवधारणा को समाजशास्त्र में केंद्रीयता प्रदान की। उनके अनुसार, पश्चिमी समाजों में संस्थाओं, सामाजिक संबंधों और व्यक्तिगत व्यवहार का धीरे-धीरे कुशल, गणना योग्य और अनुमानित तर्कसंगत सिद्धांतों पर आधारित होना तर्कसंगतता है।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी रचनाओं, विशेषकर ‘द प्रोटेस्टेंट एथिक एंड द स्पिरिट ऑफ कैपिटलिज्म’ में, तर्कसंगतता के विभिन्न रूपों, जैसे नौकरशाही, पूंजीवाद और कानूनी-तर्कसंगत सत्ता, का विश्लेषण किया। यह आधुनिक समाज के उद्भव को समझने की कुंजी है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘अलगाव’ जैसी अवधारणाओं पर ध्यान केंद्रित किया। एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ और ‘एनोमी’ पर जोर दिया। हर्बर्ट स्पेंसर ने ‘सामाजिक डार्विनवाद’ का विकास किया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम ने सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में किस अवधारणा को महत्वपूर्ण माना?

  1. शक्ति
  2. प्रतिष्ठा
  3. सामाजिक एकजुटता (Social Solidarity)
  4. जाति व्यवस्था

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘सामाजिक एकजुटता’ को समाज के सदस्यों को एक साथ बांधे रखने वाली शक्ति के रूप में परिभाषित किया। उन्होंने एकजुटता के दो मुख्य प्रकार बताए: यांत्रिक (पारंपरिक समाजों में) और जैविक (आधुनिक समाजों में)।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम की पुस्तक ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन है। उनका मानना था कि श्रम विभाजन बढ़ने के साथ, साझा विश्वासों और मूल्यों (यांत्रिक एकजुटता) की जगह आपसी निर्भरता (जैविक एकजुटता) लेती है।
  • गलत विकल्प: शक्ति (Power) मार्क्सवादी विचार का केंद्रीय तत्व है। प्रतिष्ठा (Prestige) वेबर के वर्गीकरण का हिस्सा है। जाति व्यवस्था भारतीय समाज का एक विशिष्ट पहलू है, लेकिन दुर्खीम के समाजशास्त्रीय सिद्धांत का केंद्रीय तत्व नहीं है।

प्रश्न 3: ‘सामाजिक संरचना’ (Social Structure) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा तत्व सबसे महत्वपूर्ण है?

  1. व्यक्तिगत भावनाएं
  2. सामाजिक भूमिकाएँ और समूह
  3. व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति
  4. नैतिक मूल्य

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक संरचना से तात्पर्य समाज के स्थिर, व्यापक पैटर्न से है जो व्यक्तियों और समूहों के बीच संबंधों को परिभाषित करता है। इसमें सामाजिक भूमिकाएँ, संस्थाएँ और समूह शामिल हैं जो समाज को एक व्यवस्थित इकाई के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: टैल्कोट पार्सन्स जैसे संरचनात्मक-प्रकार्यवादियों ने सामाजिक संरचना को समाज के कामकाज के लिए आवश्यक माना। यह समाज के विभिन्न भागों के बीच अंतर्संबंध और स्थिरता पर जोर देता है।
  • गलत विकल्प: व्यक्तिगत भावनाएं और नैतिक मूल्य संरचना का हिस्सा हो सकते हैं, लेकिन वे संरचना को परिभाषित करने वाले प्राथमिक तत्व नहीं हैं। व्यक्तिगत आर्थिक स्थिति सामाजिक स्तरीकरण से संबंधित है, जो सामाजिक संरचना का एक पहलू है, लेकिन स्वयं संरचना नहीं।

प्रश्न 4: मैकिं नॉर के अनुसार, ‘आर्थिक व्यवस्था’ (Economic System) समाज के किस प्रकार से संबंधित है?

  1. सामाजिक संरचना
  2. राजनीतिक व्यवस्था
  3. सांस्कृतिक व्यवस्था
  4. सभी उपरोक्त

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: मैकिं नॉर (Alvin Gouldner) ने अपनी आलोचनात्मक समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण में, समाज को एक समग्र प्रणाली के रूप में देखा जहाँ आर्थिक व्यवस्था, सामाजिक संरचना, राजनीतिक व्यवस्था और सांस्कृतिक व्यवस्था सभी आपस में जुड़ी हुई हैं और एक दूसरे को प्रभावित करती हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उनके काम ‘द कमिंग क्राइसिस ऑफ वेस्टर्न सोशियोलॉजी’ में, उन्होंने समाजशास्त्रीय सिद्धांतों की अंतःविषय प्रकृति पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: आर्थिक व्यवस्था को केवल एक पहलू तक सीमित करना नॉर के समग्र दृष्टिकोण के विपरीत है।

प्रश्न 5: जाति व्यवस्था को ‘विवाह की व्यवस्था’ (System of Marriage) के रूप में किसने परिभाषित किया?

  1. एम.एन. श्रीनिवास
  2. ई.के. नागानाथन
  3. जी.एस. घुरिये
  4. इरावती कर्वे

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: इरावती कर्वे, एक प्रसिद्ध मानवविज्ञानी और समाजशास्त्री, ने जाति व्यवस्था को एक ‘विवाह की व्यवस्था’ के रूप में परिभाषित किया, क्योंकि यह निर्धारित करती है कि कौन किसके साथ विवाह कर सकता है और कौन नहीं। विवाह के नियम जाति के भीतर या उसके बीच (अंतर्विवाह और बहिर्विवाह) को नियंत्रित करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: उनकी पुस्तक ‘हिन्दू सोसाइटी: एन इंट्रोडक्शन’ में इस बिंदु पर प्रकाश डाला गया है। उन्होंने जाति को ‘बहिर्विवाही समूहों का एक पदानुक्रमित विखंडन’ (a hierarchical fragmentation of endogamous groups) के रूप में भी वर्णित किया।
  • गलत विकल्प: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा दी। जी.एस. घुरिये ने जाति को ‘खंडित समाज’ (segmented society) कहा। ई.के. नागानाथन एक प्रमुख समाजशास्त्री नहीं हैं।

प्रश्न 6: ‘अलगाव’ (Alienation) की अवधारणा, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों से अलगाव, किससे जुड़ी है?

  1. मैक्स वेबर
  2. कार्ल मार्क्स
  3. एमिल दुर्खीम
  4. जॉर्ज सिमेल

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स ने पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों के ‘अलगाव’ की अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने चार प्रकार के अलगाव की पहचान की: उत्पाद से अलगाव, उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव, स्वयं की प्रजाति-सार (species-being) से अलगाव, और अन्य मनुष्यों से अलगाव।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी प्रारंभिक रचनाओं, विशेष रूप से ‘इकोनॉमिक एंड फिलॉसॉफिकल मैन्युस्क्रिप्ट्स ऑफ 1844’ में पाई जाती है। मार्क्स के अनुसार, यह अलगाव श्रमिकों को उनके श्रम और उसके उत्पाद से विमुख कर देता है।
  • गलत विकल्प: वेबर ने तर्कसंगतता और नौकरशाही पर ध्यान केंद्रित किया। दुर्खीम ने एनोमी पर काम किया। सिमेल ने सामाजिक संपर्क और महानगरीय जीवन के रूपों का अध्ययन किया।

प्रश्न 7: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था ‘सामाजिकरण’ (Socialization) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है?

  1. परिवार
  2. शिक्षा
  3. धर्म
  4. उपरोक्त सभी

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: परिवार, शिक्षा और धर्म तीनों ही समाजीकरण की महत्वपूर्ण संस्थाएं हैं। परिवार प्राथमिक समाजीकरण में मुख्य भूमिका निभाता है, जबकि स्कूल और धर्म भी व्यक्ति को समाज के मूल्यों, मानदंडों और अपेक्षाओं को सीखने में मदद करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा व्यक्ति समाज का सदस्य बनता है और उसके मूल्यों, विश्वासों और व्यवहार को सीखता है। ये सभी संस्थाएं अपने-अपने तरीके से इस प्रक्रिया में योगदान करती हैं।
  • गलत विकल्प: इनमें से किसी भी संस्था को बाहर करना समाजीकरण की एक व्यापक समझ को अधूरा छोड़ देगा।

प्रश्न 8: ‘संरचनात्मक-प्रकार्यवाद’ (Structural-Functionalism) के प्रमुख प्रतिपादकों में कौन शामिल हैं?

  1. कार्ल मार्क्स और फ्रेडरिक एंगेल्स
  2. मैक्स वेबर और जॉर्ज सिमेल
  3. एमिल दुर्खीम और टैल्कोट पार्सन्स
  4. हर्बर्ट ब्लूमर और इरविंग गॉफमैन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम (अपने सामाजिक एकजुटता और सामाजिक तथ्यों के विचारों के साथ) और टैल्कोट पार्सन्स (अपने AGIL मॉडल और सामाजिक प्रणाली सिद्धांत के साथ) संरचनात्मक-प्रकार्यवाद के प्रमुख प्रतिपादक माने जाते हैं। वे समाज को एक जीवित जीव की तरह देखते हैं जहाँ प्रत्येक भाग का एक विशेष कार्य होता है जो संपूर्ण व्यवस्था के संतुलन और स्थिरता में योगदान देता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने समाज में ‘सामाजिक तथ्य’ (social facts) की वस्तुनिष्ठता और प्रकार्यवाद पर बल दिया, जबकि पार्सन्स ने इसे एक व्यापक सैद्धांतिक ढांचे में विकसित किया।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स और एंगेल्स ‘द्वंद्वात्मक भौतिकवाद’ से जुड़े हैं। वेबर और सिमेल ‘व्याख्यात्मक समाजशास्त्र’ और ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ के पूर्वज माने जाते हैं। ब्लूमर और गॉफमैन ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ से प्रमुखता से जुड़े हैं।

प्रश्न 9: ‘नृजातीयता’ (Ethnicity) से आप क्या समझते हैं?

  1. किसी राष्ट्र की राजनीतिक सीमा
  2. सांस्कृतिक लक्षणों का एक समूह जो एक विशिष्ट जनसंख्या समूह को अलग करता है
  3. किसी व्यक्ति का आर्थिक स्तर
  4. सामाजिक गतिशीलता की दर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: नृजातीयता (Ethnicity) साझा सांस्कृतिक परंपराओं, भाषा, धर्म, या वंश के आधार पर लोगों के एक समूह की पहचान को संदर्भित करती है। यह एक सामूहिक पहचान है जो लोगों के एक साझा अतीत या भविष्य की भावना को इंगित करती है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर राष्ट्रीयता से भिन्न होता है, जो राज्य की सदस्यता से जुड़ा होता है, हालांकि दोनों आपस में जुड़े हो सकते हैं। समाजशास्त्री अक्सर नृजातीयता को सामाजिक स्तरीकरण और समूह पहचान के विश्लेषण के लिए एक महत्वपूर्ण श्रेणी के रूप में उपयोग करते हैं।
  • गलत विकल्प: राजनीतिक सीमा (a) राष्ट्रीयता से संबंधित है। आर्थिक स्तर (c) वर्ग या स्तरीकरण से संबंधित है। सामाजिक गतिशीलता (d) समाज के भीतर गति का एक माप है।

प्रश्न 10: ‘संस्कृति’ (Culture) के समाजशास्त्रीय अर्थ में क्या शामिल है?

  1. केवल कला और संगीत
  2. मानव निर्मित भौतिक वस्तुएं
  3. लोगों के व्यवहार, विश्वास, मूल्य, ज्ञान, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई अन्य क्षमताएं और आदतें जो समाज के सदस्यों के रूप में सीखी जाती हैं
  4. केवल भाषा

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: संस्कृति का व्यापक समाजशास्त्रीय अर्थ उन सभी सीखी हुई और साझा की गई चीजों को शामिल करता है जो एक समाज या समूह के सदस्यों को एक साथ बांधती हैं। इसमें अमूर्त (जैसे विश्वास, मूल्य, भाषा) और भौतिक (जैसे कला, वास्तुकला, उपकरण) दोनों पहलू शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: एडवर्ड बर्नेट टायलर की क्लासिक परिभाषा का यह सार है, जिसमें कहा गया है कि संस्कृति ‘समग्र जटिलता’ है जिसमें ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, रीति-रिवाज और कोई भी अन्य क्षमताएं और आदतें शामिल हैं जो समाज के सदस्य के रूप में सीखी जाती हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प संस्कृति के केवल एक या दो पहलुओं को ही संदर्भित करते हैं, जबकि संस्कृति एक अधिक समग्र अवधारणा है।

प्रश्न 11: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Conflict) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने अपने सिद्धांत के केंद्र में रखा?

  1. मैक्स वेबर
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. ऑगस्ट कॉम्टे

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: कार्ल मार्क्स के द्वंद्वात्मक भौतिकवाद का मूल सिद्धांत वर्ग संघर्ष है। उनका मानना था कि इतिहास वर्ग संरचनाओं और उनके बीच के संघर्षों द्वारा संचालित होता है, विशेष रूप से बुर्जुआ (पूंजीपति वर्ग) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच।
  • संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के लिए, यह संघर्ष ही समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक है और अंततः साम्यवाद की ओर ले जाएगा।
  • गलत विकल्प: वेबर ने वर्ग, स्थिति और शक्ति के त्रयी पर जोर दिया। दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता पर ध्यान केंद्रित किया। कॉम्टे समाजशास्त्र के संस्थापक माने जाते हैं और उन्होंने ‘प्रत्यक्षवाद’ (positivism) का विकास किया।

प्रश्न 12: ‘एनोमी’ (Anomie) की अवधारणा, जो सामाजिक मानदंडों के कमजोर पड़ने या अनुपस्थिति से जुड़ी है, किससे संबंधित है?

  1. हरबर्ट स्पेंसर
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. सोरेन किर्केगार्ड

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एमिल दुर्खीम ने ‘एनोमी’ की अवधारणा को विकसित किया, जिसका अर्थ है एक ऐसी स्थिति जहाँ सामाजिक मानदंड कमजोर या अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है। यह विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के तीव्र दौर में देखा जाता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तकों ‘द डिविजन ऑफ लेबर इन सोसाइटी’ और ‘सुसाइड’ में महत्वपूर्ण है। दुर्खीम ने एनोमी को आत्महत्या के कारणों में से एक के रूप में पहचाना।
  • गलत विकल्प: स्पेंसर ने सामाजिक डार्विनवाद पर काम किया। वेबर ने तर्कसंगतता पर काम किया। किर्केगार्ड एक दार्शनिक थे।

प्रश्न 13: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) के मुख्य प्रस्तावक कौन माने जाते हैं?

  1. अगस्ट कॉम्टे
  2. एमिल दुर्खीम
  3. कार्ल मार्क्स
  4. जॉर्ज हर्बर्ट मीड

उत्तर: (d)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का जनक माना जाता है। यह सिद्धांत समाज को व्यक्तिगत अंतःक्रियाओं के माध्यम से निर्मित और समझा जाने वाला मानता है, जहाँ लोग प्रतीकों (जैसे भाषा, हावभाव) का उपयोग करके अर्थ बनाते और साझा करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड का कार्य, विशेष रूप से ‘माइंड, सेल्फ एंड सोसाइटी’ (जो उनके छात्रों द्वारा मरणोपरांत संकलित की गई थी), ‘स्व’ (self) और सामाजिक अनुभव के विकास में प्रतीकों की केंद्रीय भूमिका पर जोर देता है। हर्बर्ट ब्लूमर ने इस शब्द को गढ़ा और सिद्धांत को व्यवस्थित रूप दिया।
  • गलत विकल्प: कॉम्टे, दुर्खीम और मार्क्स ‘समग्रतावादी’ (holistic) या ‘संरचनात्मक’ समाजशास्त्री माने जाते हैं।

प्रश्न 14: भारतीय समाज में ‘संस्कृति-गतिशीलता’ (Culture Mobility) के अध्ययन में एम.एन. श्रीनिवास का कौन सा योगदान महत्वपूर्ण है?

  1. वर्ग संघर्ष का विश्लेषण
  2. संस्कृतिकरण (Sanskritization)
  3. आधुनिकीकरण (Modernization)
  4. जाति व्यवस्था का आर्थिक विश्लेषण

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृति-गतिशीलता’ (Culture Mobility) के अध्ययन में ‘संस्कृतिकरण’ की अवधारणा का प्रतिपादन किया। यह प्रक्रिया तब होती है जब निचली जातियाँ या समूह उच्च जातियों के रीति-रिवाजों, अनुष्ठानों और जीवन शैली को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाने का प्रयास करते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनकी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में पहली बार प्रस्तुत की गई थी। यह भारतीय समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
  • गलत विकल्प: वर्ग संघर्ष कार्ल मार्क्स से संबंधित है। आधुनिकीकरण एक व्यापक अवधारणा है। जाति व्यवस्था का आर्थिक विश्लेषण कई समाजशास्त्रियों ने किया है, लेकिन श्रीनिवास का विशिष्ट योगदान संस्कृतिकरण है।

प्रश्न 15: ‘जाति’ (Caste) को एक ‘खंडित समाज’ (Segmented Society) के रूप में किसने वर्णित किया, जहाँ प्रत्येक खंड की अपनी विशेषताएं और दूसरे से अलगाव है?

  1. इरावती कर्वे
  2. एम.एन. श्रीनिवास
  3. जी.एस. घुरिये
  4. आंद्रे बेतेई

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: जी.एस. घुरिये ने भारतीय जाति व्यवस्था को ‘खंडित समाज’ के रूप में वर्णित किया। उनके अनुसार, जाति व्यवस्था एक ऐसा ढाँचा प्रदान करती है जहाँ समाज छोटे, आत्मनिर्भर और अक्सर पृथक खंडों में बँटा होता है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशिष्ट पहचान और नियम होते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: घुरिये ने जाति व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं (जैसे समाज का खंडित विभाजन, अंतर्विवाह, पेशा प्रतिबंध, पदानुक्रम) का विस्तृत विश्लेषण किया।
  • गलत विकल्प: इरावती कर्वे ने इसे ‘विवाह की व्यवस्था’ कहा। एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ पर जोर दिया। आंद्रे बेतेई ने जाति पर महत्वपूर्ण कार्य किया लेकिन ‘खंडित समाज’ की विशेष शब्दावली घुरिये की है।

प्रश्न 16: ‘आदिवासी समुदाय’ (Tribal Community) के अध्ययन में सामाजिक संरचना को समझने के लिए ‘आदिवासियों का समाजीकरण’ (Tribal Socialization) का क्या महत्व है?

  1. यह केवल व्यक्तिगत व्यवहार का अध्ययन है।
  2. यह समाज की निरंतरता और सदस्यों के अपनेपन की भावना को सुनिश्चित करता है।
  3. यह केवल उनकी आर्थिक गतिविधियों का अध्ययन है।
  4. यह उनके धार्मिक विश्वासों का अध्ययन है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आदिवासी समाजीकरण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा आदिवासी समुदाय के सदस्य अपने समुदाय के मूल्यों, विश्वासों, मानदंडों और ज्ञान को सीखते हैं। यह प्रक्रिया समुदाय की निरंतरता, पहचान के निर्माण और सदस्यों के बीच अपनेपन की भावना को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
  • संदर्भ और विस्तार: आदिवासी समाजीकरण अक्सर अनौपचारिक होता है और परिवार, समुदाय के बुजुर्गों और पारंपरिक अनुष्ठानों के माध्यम से होता है। यह उनकी सामाजिक संरचना को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • गलत विकल्प: समाजीकरण केवल व्यक्तिगत व्यवहार (a) या केवल आर्थिक गतिविधियां (c) या केवल धार्मिक विश्वास (d) का अध्ययन नहीं है, बल्कि यह इन सभी को एकीकृत करने वाली एक व्यापक प्रक्रिया है।

प्रश्न 17: ‘शहरी समाजशास्त्र’ (Urban Sociology) मुख्य रूप से किसका अध्ययन करता है?

  1. ग्रामीण जीवन के पैटर्न
  2. शहरों के विकास, संरचना, कार्य और सामाजिक जीवन
  3. आदिवासी समुदायों की संस्कृति
  4. अंतरराष्ट्रीय संबंध

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: शहरी समाजशास्त्र विशेष रूप से शहरों के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करता है, जिसमें उनका भौतिक विकास, सामाजिक संगठन, जनसांख्यिकी, संस्थाएं, सामाजिक समस्याएं और शहरी जीवन के अनुभव शामिल हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: लुईस वर्थ जैसे समाजशास्त्रियों ने शहरीकरण के सामाजिक प्रभावों पर महत्वपूर्ण काम किया है, जिसमें शहरी जीवन की विशिष्ट प्रकृति जैसे गुमनामी (anonymity), सतही संबंध (superficial relations) और प्रतिस्पर्धा पर प्रकाश डाला गया है।
  • गलत विकल्प: (a), (c) और (d) क्रमशः ग्रामीण समाजशास्त्र, नृविज्ञान और अंतरराष्ट्रीय संबंध के अध्ययन के विषय हैं।

प्रश्न 18: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा एक महत्वपूर्ण पहलू है?

  1. पारंपरिक संस्थाओं का मजबूत होना
  2. औद्योगीकरण और तकनीकी विकास
  3. स्थानीय ज्ञान पर अधिक निर्भरता
  4. कृषि पर अधिक जोर

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आमतौर पर औद्योगीकरण, शहरीकरण, राष्ट्रीयकरण, शिक्षा का प्रसार, वैज्ञानिक तर्कसंगतता का उदय और राजनीतिक-आर्थिक संस्थानों का विकास शामिल होता है। प्रौद्योगिकी और औद्योगीकरण इसके केंद्रीय तत्व हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया पारंपरिक समाजों को अधिक औद्योगिक, शहरी और धर्मनिरपेक्ष समाजों में बदलने से जुड़ी है।
  • गलत विकल्प: आधुनिकीकरण पारंपरिक संस्थाओं को कमजोर करता है (a), वैज्ञानिक तर्कसंगतता पर जोर देता है (c), और अक्सर कृषि से औद्योगिक अर्थव्यवस्था की ओर बदलाव का संकेत देता है (d)।

प्रश्न 19: ‘सामाजिक अनुसंधान’ (Social Research) में, ‘कार्य-कारण संबंध’ (Causal Relationship) स्थापित करने के लिए किस प्रकार की पद्धति सबसे उपयुक्त है?

  1. विवरणात्मक सर्वेक्षण (Descriptive Survey)
  2. विषय-वस्तु विश्लेषण (Content Analysis)
  3. प्रयोग (Experiment)
  4. मानवशास्त्रीय क्षेत्र अध्ययन (Anthropological Field Study)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक अनुसंधान में कार्य-कारण संबंध स्थापित करने के लिए प्रयोग (Experiment) सबसे उपयुक्त पद्धति मानी जाती है। इसमें शोधकर्ता एक या अधिक स्वतंत्र चरों को हेरफेर करता है और आश्रित चर पर इसके प्रभाव को मापता है, जबकि अन्य सभी चरों को नियंत्रित करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विधि अन्य पद्धतियों की तुलना में चर के बीच संबंध की मजबूती और दिशा को निश्चित रूप से स्थापित करने में अधिक सक्षम है।
  • गलत विकल्प: विवरणात्मक सर्वेक्षण (a) वर्णन करता है, कारण नहीं बताता। विषय-वस्तु विश्लेषण (b) संचार सामग्री का विश्लेषण करता है। क्षेत्र अध्ययन (d) गहन समझ प्रदान करता है लेकिन कार्य-कारण स्थापित करने के लिए हमेशा उपयुक्त नहीं होता।

प्रश्न 20: ‘विधर्मिता’ (Deviance) के सामाजिक निर्माणवादी सिद्धांत के अनुसार, विधर्मिता क्या है?

  1. एक जन्मजात विशेषता
  2. एक सार्वभौमिक नैतिक विफलता
  3. कुछ ऐसा है जो विशेष व्यवहारों को ‘विधर्मी’ के रूप में लेबल करने वाले समाज की प्रतिक्रिया से उत्पन्न होता है
  4. केवल कानूनी उल्लंघन

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: सामाजिक निर्माणवाद (Social Constructionism) के दृष्टिकोण से, विधर्मिता (Deviance) कोई अंतर्निहित गुण नहीं है, बल्कि यह सामाजिक मानदंडों, मूल्यों और शक्ति संरचनाओं द्वारा परिभाषित किया जाता है। जो व्यवहार एक समाज में विधर्मी माना जाता है, वह दूसरे समाज में सामान्य हो सकता है। यह विधर्मी लेबल लगाने वाले समाज की प्रतिक्रिया और व्याख्या का परिणाम है।
  • संदर्भ और विस्तार: हॉवर्ड बेकर जैसे प्रतीकात्मक अंतःक्रियावादी इस दृष्टिकोण के प्रमुख समर्थक हैं। वे ‘लेबलिंग सिद्धांत’ (Labeling Theory) का भी हिस्सा हैं, जो बताता है कि किसी व्यक्ति को विधर्मी के रूप में लेबल करने से उसका व्यवहार और पहचान बदल सकती है।
  • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) विधर्मिता की अधिक सारगर्भित या पारंपरिक व्याख्याएं हैं, न कि सामाजिक निर्माणवादी दृष्टिकोण।

प्रश्न 21: ‘टैल्कोट पार्सन्स’ के AGIL मॉडल में ‘A’ का क्या अर्थ है?

  1. Alignment
  2. Analysis
  3. Adaptation
  4. Action

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: टैल्कोट पार्सन्स ने सामाजिक प्रणालियों के विश्लेषण के लिए AGIL प्रतिमान (Paradigm) विकसित किया। इसमें A का अर्थ ‘Adaptation’ (अनुकूलन) है, जो बाहरी पर्यावरण के साथ प्रणाली की बातचीत से संबंधित है, विशेष रूप से संसाधन प्राप्त करने के संदर्भ में।
  • संदर्भ और विस्तार: AGIL का पूर्ण रूप है: Adaptation (अनुकूलन), Goal Attainment (लक्ष्य प्राप्ति), Integration (एकीकरण), और Latency/Pattern Maintenance (सुप्तता/पैटर्न रखरखाव)। ये चार कार्यात्मक आवश्यकताएं किसी भी सामाजिक प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • गलत विकल्प: अन्य विकल्प पार्सन्स के मॉडल से सीधे संबंधित नहीं हैं।

प्रश्न 22: ‘परिवार’ (Family) को समाज की ‘प्राथमिक संस्था’ (Primary Institution) क्यों माना जाता है?

  1. यह सभी औपचारिक शिक्षा प्रदान करता है।
  2. यह समाज के प्राथमिक समाजीकरण और भावनात्मक समर्थन के लिए जिम्मेदार है।
  3. यह सभी राजनीतिक निर्णय लेता है।
  4. यह केवल आर्थिक उत्पादन का केंद्र है।

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: परिवार को प्राथमिक संस्था इसलिए माना जाता है क्योंकि यह व्यक्ति के शुरुआती समाजीकरण के लिए जिम्मेदार होता है, जहाँ वह भाषा, बुनियादी मूल्य, मानदंड और सामाजिक व्यवहार सीखता है। इसके अतिरिक्त, यह भावनात्मक सुरक्षा और घनिष्ठता का मुख्य स्रोत प्रदान करता है।
  • संदर्भ और विस्तार: हालांकि अन्य संस्थाएं भी समाजीकरण में भूमिका निभाती हैं, परिवार वह पहली और सबसे प्रभावशाली संस्था होती है जो व्यक्ति के विकास पर स्थायी प्रभाव डालती है।
  • गलत विकल्प: परिवार सभी औपचारिक शिक्षा (a) प्रदान नहीं करता, राजनीतिक निर्णय (c) नहीं लेता, और केवल आर्थिक उत्पादन (d) का केंद्र नहीं होता।

प्रश्न 23: ‘ज्ञान समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा से कौन सा विचारक प्रमुख रूप से जुड़ा है?

  1. इरविन गॉफमैन
  2. पीटर ड्रकर
  3. जॉन लॉ
  4. ई.पी. थॉम्पसन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: पीटर ड्रकर (Peter Drucker) एक प्रबंधन सलाहकार और समाजशास्त्री थे जिन्हें ‘ज्ञान समाज’ (Knowledge Society) की अवधारणा को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने तर्क दिया कि आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में ज्ञान ही सबसे महत्वपूर्ण संसाधन बन गया है।
  • संदर्भ और विस्तार: ड्रकर ने 1969 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘द एज ऑफ डिसकंटिन्यूइटी’ में इस अवधारणा का विस्तार से वर्णन किया, जहाँ उन्होंने ‘ज्ञान कार्यकर्ता’ (knowledge worker) की भूमिका और महत्व पर जोर दिया।
  • गलत विकल्प: गॉफमैन ‘ड्रामाटर्जी’ (dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं। लॉ ‘एक्टेंट-नेटवर्क थ्योरी’ (Actor-Network Theory) से जुड़े हैं। थॉम्पसन ‘द मेकिंग ऑफ द इंग्लिश वर्किंग क्लास’ के लेखक हैं।

प्रश्न 24: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) के संदर्भ में, ‘ऊर्ध्वाधर गतिशीलता’ (Vertical Mobility) का क्या अर्थ है?

  1. एक ही सामाजिक स्थिति के भीतर व्यक्तियों या समूहों का स्थानांतरण
  2. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में सामाजिक स्थिति का परिवर्तन
  3. सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर या नीचे की ओर गति
  4. भौगोलिक स्थानों के बीच व्यक्तियों या समूहों का स्थानांतरण

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: ऊर्ध्वाधर गतिशीलता (Vertical Mobility) का तात्पर्य व्यक्ति या समूह की सामाजिक सीढ़ी पर ऊपर या नीचे की ओर जाने से है, जैसे आय, शक्ति, या प्रतिष्ठा में वृद्धि या कमी।
  • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, क्षैतिज गतिशीलता (Horizontal Mobility) का अर्थ है समान स्तर पर स्थिति का परिवर्तन (जैसे एक कंपनी से दूसरी कंपनी में जाना)। पीढ़ीगत गतिशीलता (Intergenerational Mobility) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने वाले परिवर्तन को दर्शाती है।
  • गलत विकल्प: (a) क्षैतिज गतिशीलता का वर्णन करता है। (b) पीढ़ीगत गतिशीलता का वर्णन करता है। (d) भौगोलिक गतिशीलता का वर्णन करता है।

प्रश्न 25: ‘उत्तर-औद्योगिक समाज’ (Post-Industrial Society) की मुख्य विशेषता क्या है?

  1. कृषि क्षेत्र का प्रभुत्व
  2. विनिर्माण क्षेत्र का प्रभुत्व
  3. सेवा क्षेत्र और सूचना/ज्ञान का प्रभुत्व
  4. सामंतवाद का पुनरुत्थान

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सही उत्तर: उत्तर-औद्योगिक समाज की प्रमुख विशेषता औद्योगिक उत्पादन से हटकर सेवा क्षेत्र, सूचना प्रौद्योगिकी, ज्ञान और नवाचार पर आधारित अर्थव्यवस्था का उदय है। इसमें ‘ज्ञान कार्यकर्ता’ (knowledge workers) महत्वपूर्ण हो जाते हैं।
  • संदर्भ और विस्तार: डेनियल बेल (Daniel Bell) जैसे समाजशास्त्रियों ने इस अवधारणा को विकसित किया, जिन्होंने तर्क दिया कि समाज उत्पादन से सूचना और सेवा-आधारित अर्थव्यवस्थाओं की ओर स्थानांतरित हो गया है।
  • गलत विकल्प: (a) पूर्व-औद्योगिक समाजों की विशेषता है। (b) औद्योगिक समाजों की विशेषता है। (d) सामंतवाद एक मध्ययुगीन व्यवस्था है।

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