इतिहास मंथन: ज्ञान की कसौटी पर अपनी तैयारी को परखें!
आइए, समय की गलियों में एक रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ें! क्या आप इतिहास के रहस्यों को उजागर करने के लिए तैयार हैं? आज के इस विशेष अभ्यास सत्र में, हम प्राचीन भारत से लेकर आधुनिक विश्व तक, इतिहास के हर कोने से चुनिंदा 25 प्रश्नों के साथ आपके ज्ञान की परीक्षा लेंगे। अपनी तैयारी को धार दें और प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में सफलता की ओर एक कदम और बढ़ाएँ!
इतिहास अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: निम्नलिखित में से कौन सा हड़प्पा स्थल गुजरात में स्थित नहीं है?
- लोथल
- धौलावीरा
- कालीबंगा
- सुरकोटदा
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कालीबंगा एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल है जो वर्तमान राजस्थान में स्थित है, जबकि लोथल, धौलावीरा और सुरकोटदा (कच्छ के रण में) गुजरात में स्थित प्रमुख हड़प्पा सभ्यता के स्थल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: लोथल एक महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था, धौलावीरा अपनी जल प्रबंधन प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है, और सुरकोटदा में हड़प्पाकालीन कब्रिस्तान के प्रमाण मिले हैं। कालीबंगा (शाब्दिक अर्थ ‘काली चूड़ियाँ’) अपने अलंकृत ईंटों और हल चलाने के प्राचीनतम साक्ष्यों के लिए जाना जाता है।
- गलत विकल्प: लोथल, धौलावीरा और सुरकोटदा सभी प्रमुख हड़प्पा स्थल हैं जो गुजरात क्षेत्र में पाए गए हैं, इसलिए ये गलत उत्तर हैं।
प्रश्न 2: ‘अष्टध्यायी’ नामक प्रसिद्ध व्याकरणिक कृति के लेखक कौन थे?
- पतंजलि
- पाणिनि
- कात्यायन
- वररुचि
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘अष्टध्यायी’ की रचना महर्षि पाणिनि ने की थी, जो संभवतः ईसा पूर्व 5वीं या 4थी शताब्दी के थे। यह संस्कृत भाषा के व्याकरण का एक अत्यंत व्यवस्थित और व्यापक ग्रंथ है।
- संदर्भ और विस्तार: अष्टध्यायी में लगभग 4000 सूत्र हैं जो ध्वनि विज्ञान, रूपात्मकता (morphology) और वाक्य-विन्यास (syntax) को कवर करते हैं। यह प्राचीन भारतीय भाषा विज्ञान और साहित्य का एक आधारशिला माना जाता है।
- गलत विकल्प: पतंजलि ने ‘महाभाष्य’ की रचना की, जो पाणिनि के अष्टध्यायी पर एक टिप्पणी है। कात्यायन ने ‘वार्तिक’ लिखे, जो अष्टध्यायी के सूत्रों पर आधारित थे। वररुचि को भी प्रारंभिक संस्कृत व्याकरणविदों में गिना जाता है, लेकिन ‘अष्टध्यायी’ के लेखक पाणिनि ही हैं।
प्रश्न 3: किस गुप्त शासक को ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है?
- चंद्रगुप्त प्रथम
- समुद्रगुप्त
- चंद्रगुप्त द्वितीय
- कुमारगुप्त
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: समुद्रगुप्त (शासनकाल लगभग 335-375 ई.) को उनके साम्राज्यवादी विस्तार और विजयों के कारण ‘भारत का नेपोलियन’ कहा जाता है। यह उपाधि प्रसिद्ध इतिहासकार वी. ए. स्मिथ द्वारा दी गई थी।
- संदर्भ और विस्तार: समुद्रगुप्त ने एक विशाल साम्राज्य का निर्माण किया, जिसमें उत्तर भारत के अधिकांश भाग और दक्षिण के कई राज्य उनके अधीन थे। इलाहाबाद स्तंभ शिलालेख (प्रयाग प्रशस्ति) उनके विजयों का विस्तृत विवरण देता है।
- गलत विकल्प: चंद्रगुप्त प्रथम गुप्त वंश का संस्थापक था। चंद्रगुप्त द्वितीय (विक्रमादित्य) ने भी अपनी विजयों से साम्राज्य का विस्तार किया और कला व साहित्य को बढ़ावा दिया। कुमारगुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान दिया।
प्रश्न 4: निम्नलिखित में से कौन चोल राजवंश का संस्थापक था?
- राजराज प्रथम
- राजेंद्र चोल प्रथम
- विजयालय
- परान्तक प्रथम
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: विजयालय (लगभग 850-870 ई.) ने चोल राजवंश की नींव रखी थी, जब उन्होंने तंजावुर पर विजय प्राप्त की और चोल शक्ति को फिर से स्थापित किया।
- संदर्भ और विस्तार: विजयालय ने पांड्यों से तंजावुर पर अधिकार कर लिया और इसे अपनी राजधानी बनाया। हालांकि, चोल राजवंश का वास्तविक उत्थान राजराज प्रथम और राजेंद्र चोल प्रथम के शासनकाल में हुआ, जिन्होंने चोल साम्राज्य को एक प्रमुख नौसैनिक और क्षेत्रीय शक्ति बनाया।
- गलत विकल्प: राजराज प्रथम और राजेंद्र चोल प्रथम महान चोल शासक थे जिन्होंने साम्राज्य का विस्तार किया। परान्तक प्रथम भी एक महत्वपूर्ण शासक थे जिन्होंने पांडेय राज्य को हराया था।
प्रश्न 5: ‘किताब-उल-हिंद’ (भारत का वृत्तांत) के लेखक कौन थे?
- अल-बरूनी
- इब्न बतूता
- अल-मसूदी
- सुलेमान
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अल-बरूनी (973-1048 ई.) एक फारसी विद्वान और यात्री थे, जिन्होंने महमूद गजनवी के साथ भारत की यात्रा की थी। उन्होंने ‘किताब-उल-हिंद’ (जिसे ‘तहकीक-ए-हिंद’ भी कहा जाता है) की रचना की, जो 11वीं शताब्दी के भारत का एक विस्तृत और वस्तुनिष्ठ विवरण प्रस्तुत करती है।
- संदर्भ और विस्तार: अल-बरूनी ने भारतीय धर्म, दर्शन, विज्ञान, रीति-रिवाजों और समाज का गहन अध्ययन किया। उनकी पुस्तक उस समय के भारत को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
- गलत विकल्प: इब्न बतूता एक मोरक्को के यात्री थे जिन्होंने 14वीं शताब्दी में भारत की यात्रा की थी और ‘रेहला’ लिखा था। अल-मसूदी और सुलेमान अन्य महत्वपूर्ण मध्यकालीन यात्री थे, लेकिन उन्होंने ‘किताब-उल-हिंद’ नहीं लिखी।
प्रश्न 6: दिल्ली सल्तनत के किस सुल्तान ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक सैन्य विभाग की स्थापना की थी?
- इल्तुतमिश
- बलबन
- अलाउद्दीन खिलजी
- फिरोज शाह तुगलक
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बलबन (शासनकाल 1266-1287 ई.) ने ‘दीवान-ए-अर्ज’ नामक एक स्वतंत्र सैन्य विभाग की स्थापना की थी। यह विभाग सेना की भर्ती, प्रशिक्षण, और संगठन के लिए जिम्मेदार था।
- संदर्भ और विस्तार: बलबन ने अपनी शक्ति को मजबूत करने और मंगोल आक्रमणों से बचाव के लिए एक मजबूत और अनुशासित सेना का गठन किया। दीवान-ए-अर्ज उसकी प्रशासनिक और सैन्य सुधारों का हिस्सा था।
- गलत विकल्प: इल्तुतमिश ने ‘चालीसा’ (तुर्क-ए-चहलगानी) की स्थापना की थी। अलाउद्दीन खिलजी ने सेना में दाग (घोड़ों को दागना) और हुलिया (सैनिकों का विवरण) जैसी प्रथाएं शुरू कीं। फिरोजशाह तुगलक ने अपनी सेना के प्रबंधन में कुछ परिवर्तन किए थे, लेकिन दीवान-ए-अर्ज की स्थापना बलबन ने की थी।
प्रश्न 7: विजयनगर साम्राज्य का सबसे प्रसिद्ध शासक कौन था, जिसने ‘कृष्णदेवराय’ के नाम से शासन किया?
- संगम राजवंश
- सलुव राजवंश
- तुलुव राजवंश
- अराविडु राजवंश
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: कृष्णदेवराय (शासनकाल 1509-1529 ई.) तुलुव राजवंश के सबसे प्रतापी शासक थे। उनके शासनकाल को विजयनगर साम्राज्य का स्वर्ण युग माना जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: कृष्णदेवराय ने साहित्य, कला और वास्तुकला को बहुत बढ़ावा दिया। वे स्वयं एक विद्वान थे और उन्होंने ‘अमुक्तमाल्यदा’ नामक तेलुगु महाकाव्य की रचना की। उन्होंने अपने शासनकाल में साम्राज्य की सीमाओं का विस्तार किया और एक मजबूत प्रशासन स्थापित किया।
- गलत विकल्प: संगम, सलुव और अराविडु विजयनगर साम्राज्य के अन्य राजवंश थे, लेकिन कृष्णदेवराय तुलुव राजवंश से संबंधित थे।
प्रश्न 8: ‘सप्तवर्षीय युद्ध’ (Seven Years’ War) किन दो यूरोपीय शक्तियों के बीच लड़ा गया था, जिसका प्रभाव भारत पर भी पड़ा?
- फ्रांस और स्पेन
- ब्रिटेन और स्पेन
- ब्रिटेन और फ्रांस
- ऑस्ट्रिया और प्रशिया
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सप्तवर्षीय युद्ध (1756-1763) मुख्य रूप से ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस के बीच लड़ा गया था, हालांकि इसमें कई अन्य यूरोपीय शक्तियाँ भी शामिल थीं। इस युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोर्चा उत्तरी अमेरिका में था, लेकिन भारत में भी इसने ब्रिटिश और फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कंपनियों के बीच संघर्ष को तीव्र कर दिया।
- संदर्भ और विस्तार: भारत में, यह युद्ध तीसरे कर्नाटक युद्ध के रूप में जाना जाता है। वोंडिवाश का युद्ध (1760) इस संघर्ष का एक निर्णायक मोड़ था, जिसमें ब्रिटिशों ने फ्रांसीसियों को हराया और भारत में फ्रांसीसी प्रभुत्व की उम्मीदों को समाप्त कर दिया।
- गलत विकल्प: स्पेन, ऑस्ट्रिया और प्रशिया अन्य शक्तियाँ थीं जो सप्तवर्षीय युद्ध में शामिल थीं, लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे, विशेष रूप से औपनिवेशिक शक्ति के लिए।
प्रश्न 9: 1857 के विद्रोह को ‘सिपाही विद्रोह’ कहने वाले प्रारंभिक व्यक्ति कौन थे?
- कार्ल मार्क्स
- अशोक मेहता
- सईद अहमद खान
- जवाहरलाल नेहरू
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: सैयद अहमद खान (बाद में सर सैयद अहमद खान) ने 1857 के विद्रोह के कारणों पर ‘असबब-ए-बग़ावत-ए-हिंद’ (Reasons for the Indian Mutiny) नामक एक पुस्तक लिखी थी। वे इस विद्रोह को मुख्य रूप से सिपाही विद्रोह मानते थे, हालांकि वे इसके पीछे कुछ भारतीय नेताओं की भूमिका को भी स्वीकार करते थे।
- संदर्भ और विस्तार: सर सैयद अहमद खान ने बाद में भारतीय मुसलमानों के आधुनिकीकरण और शिक्षा पर ध्यान केंद्रित किया। उनके प्रारंभिक विचारों ने विद्रोह की प्रकृति पर बहस में योगदान दिया।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने इसे ‘पूंजीवाद का जन्म’ के रूप में देखा। अशोक मेहता ने इसे ‘पहला राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम’ कहा। जवाहरलाल नेहरू ने भी इसे राष्ट्रीय संग्राम का रूप दिया।
प्रश्न 10: किस वायसराय के कार्यकाल में भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की गई?
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड मिंटो
- लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय
- लॉर्ड चेम्सफोर्ड
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय (शासनकाल 1910-1916) के कार्यकाल के दौरान, 1911 में दिल्ली दरबार में यह घोषणा की गई कि भारत की राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की जाएगी। औपचारिक रूप से यह 1912 में हुआ।
- संदर्भ और विस्तार: इस निर्णय के पीछे कई कारण थे, जिनमें बंगाल के विभाजन (1905) के कारण हुए राष्ट्रवादी आंदोलन को शांत करना और भारत के भौगोलिक केंद्र के करीब एक नई राजधानी स्थापित करना शामिल था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड कर्जन (1905 में बंगाल का विभाजन) और लॉर्ड मिंटो (1909 का मार्ले-मिंटो सुधार) अन्य महत्वपूर्ण वायसराय थे, लेकिन राजधानी परिवर्तन लॉर्ड हार्डिंग द्वितीय के समय हुआ। लॉर्ड चेम्सफोर्ड (1916-1921) मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों से जुड़े थे।
प्रश्न 11: निम्नलिखित में से किस वेद में जादू, टोना और मंत्रों का वर्णन है?
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्ववेद
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: अथर्ववेद, चारों वेदों में से अंतिम वेद है, जिसमें जादू-टोना, भूत-प्रेत, चिकित्सा, युद्ध और दैनिक जीवन से संबंधित मंत्र और सूक्त शामिल हैं।
- संदर्भ और विस्तार: अथर्ववेद को ‘ब्रह्मवेद’ या ‘जादू-टोने का वेद’ भी कहा जाता है। यह उस समय के समाज की मान्यताओं और प्रथाओं में एक अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, हालांकि इसे अन्य वेदों की तुलना में कम पवित्र माना जाता था।
- गलत विकल्प: ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसमें देवताओं की स्तुति में मंत्र हैं। यजुर्वेद यज्ञों और बलिदानों से संबंधित मंत्रों का संग्रह है। सामवेद गायन योग्य मंत्रों का संग्रह है, जो ऋग्वेद से लिए गए हैं।
प्रश्न 12: मगध साम्राज्य के उत्कर्ष के लिए कौन सा शासक मुख्य रूप से उत्तरदायी था?
- बिम्बिसार
- अजातशत्रु
- उदयीन
- नागदशक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: बिम्बिसार (लगभग 544-492 ईसा पूर्व) हर्यक वंश का एक प्रारंभिक शासक था जिसने मगध को एक महत्वपूर्ण राज्य के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उसने वैवाहिक गठबंधन और कूटनीति के माध्यम से अपने प्रभाव का विस्तार किया।
- संदर्भ और विस्तार: बिम्बिसार ने अपनी राजधानी राजगृह (आधुनिक राजगीर) को मजबूत किया और पड़ोसी राज्यों, जैसे अंग, को अपने साम्राज्य में मिला लिया। उसका पुत्र अजातशत्रु भी एक महत्वाकांक्षी शासक था जिसने मगध के विस्तार को जारी रखा।
- गलत विकल्प: अजातशत्रु और उदयीन ने बिम्बिसार के बाद मगध के विस्तार में योगदान दिया, लेकिन बिम्बिसार को प्रारंभिक आधारशिला रखने वाला माना जाता है। नागदशक हर्यक वंश का अंतिम शासक था।
प्रश्न 13: ‘पंच महाव्रत’ की अवधारणा किस धर्म से संबंधित है?
- बौद्ध धर्म
- हिंदू धर्म
- जैन धर्म
- सिख धर्म
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: पंच महाव्रत जैन धर्म की केंद्रीय नैतिक अवधारणाएँ हैं, जिनका पालन जैन भिक्षुओं और अनुयायियों द्वारा किया जाता है। ये हैं: अहिंसा (non-violence), सत्य (truth), अस्तेय (non-stealing), ब्रह्मचर्य (celibacy), और अपरिग्रह (non-possession)।
- संदर्भ और विस्तार: इन व्रतों का पालन आत्मा के शुद्धिकरण और मोक्ष (कैवल्य) की प्राप्ति के लिए आवश्यक माना जाता है। ये जैन दर्शन के कठोर अनुशासनात्मक मार्ग का आधार हैं।
- गलत विकल्प: बौद्ध धर्म में ‘पंचशील’ (अहिंसा, सत्य, चोरी न करना, व्यभिचार न करना, नशा न करना) जैसी अवधारणाएँ हैं, लेकिन ‘पंच महाव्रत’ विशेष रूप से जैन धर्म से संबंधित हैं। हिंदू धर्म और सिख धर्म की अपनी नैतिक संहिताएँ हैं।
प्रश्न 14: इल्तुतमिश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में किसे नामित किया था?
- रजिया सुल्तान
- नसीरुद्दीन महमूद
- बहराम शाह
- मसूद शाह
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इल्तुतमिश (शासनकाल 1211-1236 ई.) ने अपनी मृत्यु से पहले अपनी बेटी रज़िया सुल्तान को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। उस समय यह एक अभूतपूर्व कदम था।
- संदर्भ और विस्तार: हालाँकि उनके कुछ बेटों के बावजूद, इल्तुतमिश ने रज़िया की क्षमता को पहचाना और उसे सिंहासन का उत्तराधिकारी नियुक्त किया। उनकी मृत्यु के बाद, रज़िया दिल्ली सल्तनत की पहली और अंतिम मुस्लिम महिला शासक बनी।
- गलत विकल्प: नसीरुद्दीन महमूद इल्तुतमिश का एक बेटा था, लेकिन वह पहले मर गया था। बहराम शाह और मसूद शाह इल्तुतमिश के बाद के अयोग्य शासक थे।
प्रश्न 15: ‘सुरक्षा प्रकोष्ठ की नीति’ (Policy of the Ring Fence) का संबंध किस गवर्नर-जनरल से था?
- लॉर्ड डलहौजी
- लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- वारेन हेस्टिंग्स
- लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘सुरक्षा प्रकोष्ठ की नीति’ (Policy of the Ring Fence) का संबंध वारेन हेस्टिंग्स (गवर्नर-जनरल 1772-1785) से था। इस नीति के तहत, कंपनी ने अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने के लिए पड़ोसी राज्यों को या तो अपने प्रभाव में रखने या उन्हें बफर राज्य के रूप में इस्तेमाल करने की कोशिश की।
- संदर्भ और विस्तार: इसका उद्देश्य कंपनी के क्षेत्र को बाहरी आक्रमणों से बचाना था। इस नीति के तहत, कंपनी ने अवध जैसे राज्यों के साथ गठबंधन किया और मैसूर और मराठों जैसे प्रतिद्वंद्वियों को कमजोर करने की कोशिश की।
- गलत विकल्प: लॉर्ड डलहौजी ‘व्यपगत का सिद्धांत’ (Doctrine of Lapse) के लिए जाने जाते हैं। लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने सती प्रथा को प्रतिबंधित किया। लॉर्ड कैनिंग 1857 के विद्रोह के समय वायसराय थे।
प्रश्न 16: निम्नलिखित में से किस वायसराय के कार्यकाल में ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस’ की स्थापना हुई थी?
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड रिपन
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को हुई थी, और उस समय लॉर्ड डफरिन (गवर्नर-जनरल 1884-1888) भारत के वायसराय थे।
- संदर्भ और विस्तार: कांग्रेस की स्थापना ए.ओ. ह्यूम नामक एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी के मार्गदर्शन में हुई थी। यह माना जाता है कि तत्कालीन सरकार ने इसे भारतीयों को अधिक संगठित तरीके से अपनी शिकायतें व्यक्त करने के लिए एक ‘सुरक्षा वाल्व’ के रूप में देखा था।
- गलत विकल्प: लॉर्ड रिपन (1880-1884) को स्थानीय स्वशासन के लिए जाना जाता है। लॉर्ड लिटन (1876-1880) ने वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट जैसे विवादास्पद कानून लाए। लॉर्ड कर्जन (1905 में बंगाल का विभाजन) कांग्रेस की स्थापना के काफी बाद आए।
प्रश्न 17: 1905 में हुए बंग-भंग (बंगाल विभाजन) का विरोध करने के लिए कौन सा आंदोलन शुरू किया गया था?
- असहयोग आंदोलन
- सविनय अवज्ञा आंदोलन
- स्वदेशी आंदोलन
- भारत छोड़ो आंदोलन
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: 1905 में लॉर्ड कर्जन द्वारा किए गए बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन शुरू किया गया था। यह आंदोलन ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार और स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने पर केंद्रित था।
- संदर्भ और विस्तार: इस आंदोलन ने भारतीय राष्ट्रवाद को एक नई दिशा दी और आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ावा दिया। इसमें बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षा और स्वदेशी उद्योगों की स्थापना जैसे विभिन्न कार्यक्रम शामिल थे।
- गलत विकल्प: असहयोग आंदोलन 1920 में, सविनय अवज्ञा आंदोलन 1930 में और भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में शुरू हुए। ये सभी महत्वपूर्ण आंदोलन थे, लेकिन बंगाल विभाजन के विरोध में स्वदेशी आंदोलन ही शुरू हुआ था।
प्रश्न 18: ‘दास प्रथा’ (Slavery) को कब समाप्त किया गया, और किस गवर्नर-जनरल के कार्यकाल में?
- 1833, लॉर्ड विलियम बेंटिंक
- 1843, लॉर्ड एलनबरो
- 1856, लॉर्ड डलहौजी
- 1858, लॉर्ड कैनिंग
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में दास प्रथा को 1843 में लॉर्ड एलनबरो के कार्यकाल के दौरान ‘भारतीय दासता अधिनियम, 1843’ (Indian Slavery Act, 1843) द्वारा समाप्त कर दिया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: यद्यपि 1833 के चार्टर अधिनियम ने भारत में दासता को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन इसका पूर्ण कार्यान्वयन 1843 के अधिनियम के माध्यम से हुआ। इस अधिनियम ने दासता को कानूनन अवैध घोषित कर दिया और दासों को केवल उनके मालिकों द्वारा अनुबंधित श्रमिकों के रूप में माना जाने लगा।
- गलत विकल्प: लॉर्ड विलियम बेंटिंक ने 1833 के चार्टर अधिनियम के तहत भारत में दास प्रथा को समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए थे, लेकिन पूर्ण उन्मूलन 1843 में हुआ।
प्रश्न 19: फ्रांसीसी क्रांति (1789) का प्रमुख नारा क्या था?
- स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व
- राष्ट्रीयता, एकता, शक्ति
- लोकतंत्र, न्याय, शांति
- धर्म, परंपरा, साम्राज्य
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: फ्रांसीसी क्रांति का प्रमुख नारा ‘स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व’ (Liberté, Égalité, Fraternité) था। यह नारा फ्रांसीसी गणराज्य के आदर्शों का प्रतिनिधित्व करता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह नारा फ्रांसीसी क्रांति के मूलभूत सिद्धांतों को दर्शाता है, जिसने पुरानी व्यवस्था (Ancien Régime) को उखाड़ फेंका और समानता, नागरिक अधिकारों और राष्ट्रवाद के विचारों को बढ़ावा दिया। यह आज भी फ्रांस का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य है।
- गलत विकल्प: अन्य विकल्प महत्वपूर्ण अवधारणाएँ हो सकती हैं, लेकिन फ्रांसीसी क्रांति का विशिष्ट और प्रसिद्ध नारा स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व था।
प्रश्न 20: ‘इंडियन एसोसिएशन’ की स्थापना किसने की थी?
- सुरेन्द्रनाथ बनर्जी
- दादाभाई नौरोजी
- गोपाल कृष्ण गोखले
- बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: इंडियन एसोसिएशन की स्थापना 1876 में सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस ने मिलकर की थी। यह ब्रिटिश भारत में एक महत्वपूर्ण प्रारंभिक राष्ट्रवादी संगठन था।
- संदर्भ और विस्तार: इंडियन एसोसिएशन ने राजनीतिक सुधारों, शिक्षा और भारतीयों के अधिकारों की वकालत की। इसने 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- गलत विकल्प: दादाभाई नौरोजी ‘ग्रैंड ओल्ड मैन ऑफ इंडिया’ के रूप में जाने जाते हैं और उन्होंने ईस्ट इंडिया एसोसिएशन की स्थापना की थी। गोपाल कृष्ण गोखले सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के संस्थापक थे। बाल गंगाधर तिलक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख नेता थे।
प्रश्न 21: किस चोल शासक ने ‘राजराजेश्वरम’ (बृहदेश्वर) मंदिर का निर्माण करवाया था?
- राजराज प्रथम
- राजेंद्र चोल प्रथम
- कुलतुंग प्रथम
- विक्रम चोल
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: तंजावुर में स्थित भव्य राजराजेश्वरम मंदिर (जिसे बृहदेश्वर मंदिर भी कहा जाता है) का निर्माण चोल शासक राजराज प्रथम (शासनकाल 985-1014 ई.) ने करवाया था।
- संदर्भ और विस्तार: यह मंदिर द्रविड़ वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और इसे भगवान शिव को समर्पित किया गया है। मंदिर के निर्माण में इस्तेमाल की गई विशाल ग्रेनाइट की शिलाएँ इसकी इंजीनियरिंग प्रतिभा को दर्शाती हैं। यह चोल वास्तुकला की भव्यता का प्रतीक है।
- गलत विकल्प: राजेंद्र चोल प्रथम ने गंगईकोंडचोलपुरम में एक और भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। कुलतुंग प्रथम और विक्रम चोल भी महत्वपूर्ण चोल शासक थे, लेकिन राजराजेश्वरम मंदिर राजराज प्रथम की देन है।
प्रश्न 22: ‘अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए अकाल आयोग’ का गठन किस वायसराय के कार्यकाल में हुआ था?
- लॉर्ड लिटन
- लॉर्ड कर्जन
- लॉर्ड डफरिन
- लॉर्ड मिंटो
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: लॉर्ड कर्जन (गवर्नर-जनरल 1899-1905) के कार्यकाल में 1901 में ‘आयोग (Famine Commission)’ की स्थापना की गई थी। यह आयोग विशेष रूप से अकाल से निपटने के लिए नीतियों और सुधारों की सिफारिश करने के लिए गठित किया गया था।
- संदर्भ और विस्तार: लॉर्ड कर्जन के समय भारत में कई भयानक अकाल पड़े थे, जिससे लाखों लोग प्रभावित हुए थे। उन्होंने कृषि सुधारों और सिंचाई परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित किया।
- गलत विकल्प: लॉर्ड लिटन (1876-1880) के कार्यकाल में एक बड़ा अकाल पड़ा था, जिसके लिए उन्होंने दिल्ली दरबार का आयोजन किया था, लेकिन अकाल आयोग का गठन उनके बाद हुआ। लॉर्ड डफरिन और लॉर्ड मिंटो अन्य वायसराय थे जिनके समय में अकाल की समस्याएँ मौजूद थीं।
प्रश्न 23:TCP/IP मॉडल की किस लेयर को ‘नेटवर्क एक्सेस लेयर’ भी कहा जाता है?
- एप्लीकेशन लेयर
- ट्रांसपोर्ट लेयर
- इंटरनेट लेयर
- फिजिकल एंड डेटा लिंक लेयर
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: TCP/IP मॉडल में, फिजिकल लेयर और डेटा लिंक लेयर को संयुक्त रूप से ‘नेटवर्क एक्सेस लेयर’ या ‘नेटवर्क इंटरफेस लेयर’ कहा जाता है। यह लेयर वास्तविक भौतिक ट्रांसमिशन और नेटवर्क इंटरफेसिंग से संबंधित है।
- संदर्भ और विस्तार: यह लेयर तय करती है कि डेटा को भौतिक माध्यम (जैसे केबल या वायरलेस) पर कैसे भेजा जाए और प्राप्त किया जाए। इसमें ईथरनेट, वाई-फाई जैसे प्रोटोकॉल शामिल हैं।
- गलत विकल्प: एप्लीकेशन लेयर (जैसे HTTP, FTP) उपयोगकर्ता के अनुप्रयोगों से संबंधित है। ट्रांसपोर्ट लेयर (जैसे TCP, UDP) एंड-टू-एंड संचार प्रदान करती है। इंटरनेट लेयर (जैसे IP) पैकेट रूटिंग का कार्य करती है।
प्रश्न 24: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा किसने दिया था?
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- भगत सिंह
- सरदार वल्लभभाई पटेल
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का प्रसिद्ध नारा महान क्रांतिकारी भगत सिंह से जुड़ा हुआ है। हालाँकि, यह नारा मूल रूप से मौलाना हसरत मोहानी ने दिया था। भगत सिंह ने इसे ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपने विरोध में लोकप्रिय बनाया।
- संदर्भ और विस्तार: इस नारे का अर्थ है ‘क्रांति जिंदाबाद’ या ‘शाश्वत क्रांति’। यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक शक्तिशाली प्रेरणादायक उद्घोष बन गया। भगत सिंह ने इसे अपनी कई जनसभाओं और भाषणों में इस्तेमाल किया।
- गलत विकल्प: महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल जैसे नेता भी स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्ति थे, लेकिन ‘इंकलाब जिंदाबाद’ का नारा विशेष रूप से भगत सिंह से जुड़ा हुआ है।
प्रश्न 25: किस ईसवी में भारत में पहली बार रेलवे का शुभारंभ हुआ?
- 1853
- 1857
- 1869
- 1885
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सत्यता: भारत में पहली यात्री रेलगाड़ी 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे (अब मुंबई) से ठाणे के बीच चलाई गई थी। यह लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल में हुआ था।
- संदर्भ और विस्तार: इस पहली ट्रेन ने 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी और यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के तहत भारत के आधुनिकीकरण और परिवहन के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। यह परियोजना मुख्य रूप से ब्रिटिश वाणिज्यिक और प्रशासनिक हितों के लिए शुरू की गई थी।
- गलत विकल्प: 1857 वह वर्ष है जब सिपाही विद्रोह हुआ था। 1869 स्वेज नहर के खुलने का वर्ष है। 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई थी।