समाजशास्त्र मंथन: 25 बहुविकल्पीय प्रश्न
समाजशास्त्र के इस दैनिक अभ्यास सत्र में आपका स्वागत है! अपनी अवधारणाओं को परखें, अपने ज्ञान को ताज़ा करें और अपनी तैयारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। आज के 25 सवालों के साथ, अपने विश्लेषणात्मक कौशल को तेज करने के लिए तैयार हो जाइए!
समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न
निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और दिए गए विस्तृत स्पष्टीकरणों के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।
प्रश्न 1: ‘सामाजिक तथ्य’ (Social Fact) की अवधारणा किसने प्रतिपादित की?
- कार्ल मार्क्स
- मैक्स वेबर
- एमिल दुर्खीम
- ऑगस्ट कॉम्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: एमिल दुर्खीम को समाजशास्त्र में ‘सामाजिक तथ्य’ की अवधारणा पेश करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने इसे समाजशास्त्र के अध्ययन की मूल इकाई माना।
- संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम के अनुसार, सामाजिक तथ्य वे तरीके होते हैं जो व्यक्ति को बाहरी दबाव डालते हैं, जिनका पालन व्यक्ति अपनी इच्छा से न भी करता हो। ये समाज में बाहरी और बाध्यकारी शक्ति के रूप में मौजूद होते हैं, जैसे कि रूढ़ियाँ, कानून, नैतिक नियम, वेशभूषा आदि। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘समाजशास्त्रीय पद्धति के नियम’ (The Rules of Sociological Method) में इस अवधारणा को विस्तार से समझाया है।
- गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स ने ‘वर्ग संघर्ष’ और ‘अलगाव’ (alienation) जैसी अवधारणाओं पर जोर दिया। मैक्स वेबर ने ‘सब्जेक्टिव मीनिंग’ (subjective meaning) और ‘करिश्माई अधिकार’ (charismatic authority) जैसी अवधारणाएं दीं। ऑगस्ट कॉम्त को समाजशास्त्र का जनक माना जाता है, जिन्होंने ‘पॉजिटिविज्म’ (positivism) का सिद्धांत दिया।
प्रश्न 2: निम्नलिखित में से कौन सी अवधारणा ‘सामाजिक स्तरीकरण’ (Social Stratification) से संबंधित है?
- सांस्कृतिक पुनरुत्थान (Cultural Revival)
- सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility)
- व्यक्तिवाद (Individualism)
- समूह सामंजस्य (Group Cohesion)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक स्तरीकरण समाज के सदस्यों को विभिन्न स्तरों या परतों में व्यवस्थित करने की प्रक्रिया है, और ‘सामाजिक गतिशीलता’ इसी स्तरीकरण के भीतर एक व्यक्ति या समूह की एक स्तर से दूसरे स्तर पर जाने की प्रक्रिया का वर्णन करती है।
- संदर्भ और विस्तार: सामाजिक स्तरीकरण के अध्ययन में, सामाजिक गतिशीलता यह बताती है कि लोग अपनी सामाजिक स्थिति को कितना बदल सकते हैं, चाहे वह ऊपर की ओर (ऊर्ध्वमुखी गतिशीलता) हो या नीचे की ओर (अधोमुखी गतिशीलता)। यह किसी समाज की संरचना और उसमें मौजूद अवसरों को समझने में मदद करती है।
- गलत विकल्प: ‘सांस्कृतिक पुनरुत्थान’ किसी विशेष संस्कृति के पुनर्जीवित होने से संबंधित है। ‘व्यक्तिवाद’ समाज पर व्यक्ति के प्रभुत्व पर केंद्रित है। ‘समूह सामंजस्य’ समूह के सदस्यों के बीच एकता और जुड़ाव की डिग्री को दर्शाता है।
प्रश्न 3: मैक्स वेबर के अनुसार, सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकारों में कौन सा शामिल नहीं है?
- पारंपरिक सत्ता (Traditional Authority)
- कानूनी-तर्कसंगत सत्ता (Legal-Rational Authority)
- करिश्माई सत्ता (Charismatic Authority)
- बल-आधारित सत्ता (Force-based Authority)
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: मैक्स वेबर ने सत्ता (Authority) के तीन आदर्श प्रकार बताए थे: पारंपरिक, कानूनी-तर्कसंगत, और करिश्माई। उन्होंने ‘बल-आधारित सत्ता’ को सत्ता के एक प्रकार के रूप में वर्गीकृत नहीं किया, बल्कि इसे अक्सर बल (coercion) के रूप में देखा।
- संदर्भ और विस्तार: वेबर ने सत्ता को ‘वैध प्रभुत्व’ (legitimate domination) के रूप में परिभाषित किया। पारंपरिक सत्ता पुराने रीति-रिवाजों और परंपराओं पर आधारित होती है (जैसे राजशाही)। कानूनी-तर्कसंगत सत्ता नियमों और कानूनों के तर्कसंगत ढांचे पर आधारित होती है (जैसे आधुनिक नौकरशाही)। करिश्माई सत्ता नेता के असाधारण व्यक्तिगत गुणों या करिश्मे पर आधारित होती है।
- गलत विकल्प: विकल्प a, b, और c वेबर द्वारा बताए गए तीन मुख्य प्रकार हैं। बल-आधारित सत्ता (Force-based Authority) को वेबर ने ‘बल’ (Force) से अलग किया, जहाँ बल का प्रयोग बिना किसी वैधता के होता है, जबकि सत्ता वैध होती है।
प्रश्न 4: “समाज एक जटिल प्रणाली है जिसके विभिन्न हिस्से एक साथ मिलकर काम करते हैं ताकि स्थिरता और एकजुटता सुनिश्चित हो सके।” यह कथन किस समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य (Sociological Perspective) को दर्शाता है?
- संघर्ष परिप्रेक्ष्य (Conflict Perspective)
- प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद (Symbolic Interactionism)
- संरचनात्मक प्रकार्यवाद (Structural Functionalism)
- उत्तर-आधुनिकतावाद (Postmodernism)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: यह कथन संरचनात्मक प्रकार्यवाद का मूल विचार है, जो समाज को विभिन्न परस्पर निर्भर भागों (जैसे संस्थाएं, संरचनाएं) से बनी एक प्रणाली के रूप में देखता है, जिनका कार्य समाज के समग्र संतुलन और स्थिरता को बनाए रखना है।
- संदर्भ और विस्तार: संरचनात्मक प्रकार्यवाद के प्रमुख समर्थकों में एमिल दुर्खीम, टालकोट पार्सन्स और रॉबर्ट मर्टन शामिल हैं। वे समाज को एक जीवित जीव के रूप में देखते हैं, जहाँ प्रत्येक अंग (सामाजिक संस्था) का एक विशिष्ट कार्य (function) होता है जो संपूर्ण प्रणाली के अस्तित्व के लिए आवश्यक है।
- गलत विकल्प: ‘संघर्ष परिप्रेक्ष्य’ समाज को शक्ति और असमानता के संघर्ष के रूप में देखता है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ व्यक्तियों के बीच सूक्ष्म-स्तरीय अंतःक्रियाओं और प्रतीकों के महत्व पर केंद्रित है। ‘उत्तर-आधुनिकतावाद’ सामाजिक स्थिरता के बजाय परिवर्तन, विखंडन और बहुलता पर जोर देता है।
प्रश्न 5: एमिल दुर्खीम के अनुसार, जब समाज में स्वीकृत नियमों और मानदंडों का अभाव होता है, तो उसे क्या कहते हैं?
- अलगाव (Alienation)
- विसंगति (Anomie)
- सामूहिक चेतना (Collective Consciousness)
- सांस्कृतिक विलंब (Cultural Lag)
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: दुर्खीम ने ‘विसंगति’ (Anomie) शब्द का प्रयोग उस स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जब समाज में सामाजिक मानदंडों और मूल्यों का विघटन हो जाता है, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा दुर्खीम की आत्महत्या के समाजशास्त्रीय विश्लेषण (Suicide: A Study in Sociology) में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। जब सामाजिक संरचनाएं बदलती हैं, या जब व्यक्ति की आकांक्षाएं समाज द्वारा निर्धारित सीमाओं से बाहर चली जाती हैं, तो विसंगति उत्पन्न हो सकती है।
- गलत विकल्प: ‘अलगाव’ (Alienation) कार्ल मार्क्स की एक प्रमुख अवधारणा है, जो उत्पादन के साधनों से श्रमिकों के अलगाव का वर्णन करती है। ‘सामूहिक चेतना’ दुर्खीम की एक और अवधारणा है जो समाज के साझा विश्वासों और मनोवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करती है। ‘सांस्कृतिक विलंब’ (Cultural Lag) विलियम ओगबर्न ने दिया था, जो सामाजिक परिवर्तन में भौतिक और अभौतिक संस्कृति के बीच समय के अंतर को दर्शाता है।
प्रश्न 6: निम्न में से किस समाजशास्त्री ने ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का बीड़ा उठाया?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- चार्ल्स हार्टन कूले
- हेर्बर्ट मीड
उत्तर: (d)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का संस्थापक माना जाता है, हालांकि इस शब्द को उनके छात्र हर्बर्ट ब्लूमर ने गढ़ा था। मीड ने इस बात पर जोर दिया कि व्यक्ति स्वयं (self) और समाज के बीच अंतःक्रिया प्रतीकों के माध्यम से होती है।
- संदर्भ और विस्तार: मीड का मानना था कि व्यक्ति सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से अपनी पहचान और चेतना का विकास करता है, विशेष रूप से भाषा और प्रतीकों के उपयोग से। ‘मैं’ (I) और ‘मुझे’ (Me) की अवधारणाएँ उनकी महत्वपूर्ण देन हैं।
- गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर क्रमशः संरचनात्मक प्रकार्यवाद और व्याख्यात्मक समाजशास्त्र से जुड़े हैं। चार्ल्स हार्टन कूले ने ‘प्राथमिक समूह’ (primary group) की अवधारणा दी थी, जो प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद से कुछ हद तक संबंधित है, लेकिन मीड को इसके मुख्य प्रणेता के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 7: भारतीय समाज में ‘पवित्रता-अपवित्रता’ (Purity-Pollution) की अवधारणा मुख्य रूप से किससे जुड़ी है?
- आर्थिक असमानता
- जाति व्यवस्था
- धर्मनिरपेक्षता
- शहरीकरण
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भारतीय जाति व्यवस्था में ‘पवित्रता-अपवित्रता’ का विचार एक केंद्रीय तत्व है, जो विभिन्न जातियों के बीच सामाजिक संपर्क, व्यवसाय, खान-पान और विवाह जैसे संबंधों को नियंत्रित करता है। उच्च जातियां स्वयं को अधिक पवित्र और निम्न जातियों को अपवित्र मानती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: एम.एन. श्रीनिवास जैसे समाजशास्त्रियों ने जाति व्यवस्था के अध्ययन में इस अवधारणा के महत्व को रेखांकित किया है। यह व्यवस्था सामाजिक पदानुक्रम (hierarchy) को बनाए रखने में सहायक होती है, जहाँ स्वच्छता और अपवित्रता के नियमों का पालन किया जाता है।
- गलत विकल्प: ‘आर्थिक असमानता’ भले ही जाति से जुड़ी हो, पर पवित्रता-अपवित्रता का आधार नहीं है। ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘शहरीकरण’ आधुनिक अवधारणाएं हैं जिनका संबंध प्रत्यक्ष रूप से इस पारंपरिक व्यवस्था से नहीं है, हालांकि वे इसे प्रभावित कर सकते हैं।
प्रश्न 8: किसने कहा कि “धर्म अफीम है” (Religion is the opium of the people)?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- ऑगस्ट कॉम्त
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: यह प्रसिद्ध कथन कार्ल मार्क्स का है, जिन्होंने धर्म को सर्वहारा वर्ग के लिए एक ऐसे अफीम के रूप में देखा जो उन्हें वर्तमान कष्टों को भूलने और यथास्थिति को स्वीकार करने में मदद करता है।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स के अनुसार, धर्म ‘सर्वहारा वर्ग की आह’ (the sigh of the oppressed creature) है और यह उत्पादन के सामाजिक संबंधों का एक हिस्सा है जो शोषक वर्ग द्वारा शोषित वर्ग को नियंत्रित करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक प्रकार का ‘मिथ्या बोध’ (false consciousness) पैदा करता है।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने धर्म को समाज की एकता और सामूहिकता के स्रोत के रूप में देखा। वेबर ने प्रोटेस्टेंट धर्म के उदय और पूंजीवाद के बीच संबंध का विश्लेषण किया। कॉम्त ने धर्म की विभिन्न अवस्थाओं (धर्मशास्त्रीय, आध्यात्मिक, प्रत्यक्षवादी) का वर्णन किया।
प्रश्न 9: ‘संस्था’ (Institution) के निर्माण के लिए निम्नलिखित में से कौन सा तत्व आवश्यक है?
- केवल एक व्यक्ति
- लिखित नियम
- स्थापित व्यवहार प्रतिमान (Established patterns of behavior)
- तत्काल संतुष्टि
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: समाजशास्त्र में, एक संस्था को स्थापित और स्थायी व्यवहार के पैटर्न के रूप में परिभाषित किया जाता है जो समाज के महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा करने के लिए विकसित होते हैं। इन पैटर्नों में अक्सर नियम, रीति-रिवाज और मूल्य शामिल होते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: उदाहरण के लिए, विवाह एक सामाजिक संस्था है जिसमें विवाह के तरीके, पति-पत्नी के कर्तव्य, बच्चों का पालन-पोषण आदि से संबंधित स्थापित व्यवहार प्रतिमान शामिल होते हैं। परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार सभी सामाजिक संस्थाएं हैं।
- गलत विकल्प: एक संस्था को कार्य करने के लिए केवल एक व्यक्ति पर्याप्त नहीं है; इसमें एक सामाजिक समूह शामिल होता है। जबकि कुछ संस्थाओं में लिखित नियम (जैसे कानून) हो सकते हैं, यह हमेशा आवश्यक नहीं होता (जैसे कुछ रीति-रिवाज)। तत्काल संतुष्टि संस्थागत व्यवहार का प्राथमिक लक्ष्य नहीं है।
प्रश्न 10: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा गढ़ा गया ‘सांस्कृतिकरण’ (Sanskritization) शब्द क्या दर्शाता है?
- उच्च जातियों द्वारा निम्न जातियों की जीवनशैली अपनाना
- निम्न जातियों द्वारा उच्च जातियों की जीवनशैली, कर्मकांड और विश्वास अपनाना
- पश्चिमी संस्कृति का भारतीय संस्कृति पर प्रभाव
- जाति व्यवस्था का अंत
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘सांस्कृतिकरण’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जिसके द्वारा निम्न जाति या जनजाति के लोग किसी उच्च, अधिक प्रभावी जाति के अनुकरण के माध्यम से अपनी सामाजिक स्थिति को उन्नत करने का प्रयास करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: यह प्रक्रिया मुख्य रूप से उस उच्च जाति की जीवनशैली, पूजा विधियों, कर्मकांडों, खान-पान की आदतों और अन्य सांस्कृतिक तत्वों को अपनाने के माध्यम से होती है। श्रीनिवास ने अपनी पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में इस अवधारणा को प्रस्तुत किया।
- गलत विकल्प: विकल्प (a) इसका विपरीत है। विकल्प (c) ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) से संबंधित है, जो एक अलग अवधारणा है। विकल्प (d) सांस्कृतिकरण का सीधा परिणाम नहीं है, हालांकि यह सामाजिक परिवर्तन की एक प्रक्रिया है।
प्रश्न 11: रॉबर्ट मर्टन द्वारा प्रस्तावित ‘विचलित व्यवहार’ (Deviant Behavior) के सिद्धांत के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन सा मिलान सही नहीं है?
- अनुरूपता (Conformity): सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को स्वीकार करना।
- नवाचार (Innovation): सांस्कृतिक लक्ष्यों को स्वीकार करना लेकिन संस्थागत साधनों को अस्वीकार करना।
- अनुष्ठानवाद (Ritualism): सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार करना लेकिन संस्थागत साधनों को स्वीकार करना।
- प्रत्याहार (Retreatism): सांस्कृतिक लक्ष्यों और संस्थागत साधनों दोनों को अस्वीकार करना।
- विद्रोह (Rebellion): सांस्कृतिक लक्ष्यों को नया बनाना और संस्थागत साधनों को नया बनाना।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: रॉबर्ट मर्टन के एनोमी (anomie) सिद्धांत के अनुसार, ‘अनुष्ठानवाद’ (Ritualism) वह स्थिति है जब व्यक्ति सांस्कृतिक लक्ष्यों को अस्वीकार कर देता है लेकिन संस्थागत साधनों को स्वीकार करता रहता है, अक्सर नियमों का अत्यधिक पालन करते हुए। विकल्प (c) में यह गलत ढंग से प्रस्तुत किया गया है।
- संदर्भ और विस्तार: मर्टन ने चार प्रकार के विचलित व्यवहार बताए थे: 1. नवाचार (Innovation – लक्ष्य स्वीकार, साधन अस्वीकार, जैसे चोर), 2. अनुष्ठानवाद (Ritualism – लक्ष्य अस्वीकार, साधन स्वीकार, जैसे निम्न-स्तरीय नौकरशाह), 3. प्रत्याहार (Retreatism – दोनों अस्वीकार, जैसे नशा करने वाले), और 4. विद्रोह (Rebellion – लक्ष्य और साधन दोनों को बदलना)। अनुरूपता (Conformity) गैर-विचलित व्यवहार है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (b), (d), और (e) मर्टन के सिद्धांत के अनुसार सही मिलान हैं। विकल्प (c) गलत है क्योंकि अनुष्ठानवाद में व्यक्ति लक्ष्य को अस्वीकार करता है, स्वीकार नहीं।
प्रश्न 12: ‘प्रतीक’ (Symbol) समाजशास्त्र में किस प्रकार की भूमिका निभाते हैं?
- यह केवल सजावटी तत्व होते हैं।
- ये सामाजिक अंतःक्रियाओं को अर्थ प्रदान करते हैं।
- ये हमेशा सार्वभौमिक रूप से समान अर्थ रखते हैं।
- ये केवल अमूर्त विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, प्रतीक (जैसे भाषा, हाव-भाव, वस्तुएं) मानव समाज के लिए मौलिक हैं क्योंकि वे व्यक्तियों को विचारों, भावनाओं और इरादों को संप्रेषित करने और एक-दूसरे के व्यवहार को समझने में मदद करते हैं, जिससे सामाजिक अंतःक्रिया संभव होती है।
- संदर्भ और विस्तार: प्रतीक विचारों को साझा करने और अर्थ बनाने का माध्यम हैं। उदाहरण के लिए, एक लाल बत्ती का संकेत ‘रुकने’ का अर्थ रखता है, जो ड्राइवरों के बीच एक साझा समझ है।
- गलत विकल्प: प्रतीक केवल सजावटी नहीं होते। वे हमेशा सार्वभौमिक रूप से समान अर्थ नहीं रखते; उनका अर्थ सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ पर निर्भर करता है। वे अमूर्त विचारों के साथ-साथ मूर्त वास्तविकताओं का भी प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
प्रश्न 13: सामाजिक नियंत्रण (Social Control) का अर्थ क्या है?
- समाज को पूरी तरह से नियंत्रित करने की व्यवस्था
- समाज के सदस्यों को नियमों और मानकों के अनुसार व्यवहार करने के लिए प्रेरित करने की प्रक्रिया
- किसी विशेष समूह की स्वतंत्रता को सीमित करना
- सरकार द्वारा लागू किए गए सख्त नियम
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक नियंत्रण उन प्रक्रियाओं और तंत्रों को संदर्भित करता है जिनके माध्यम से समाज अपने सदस्यों के व्यवहार को विनियमित करता है ताकि व्यवस्था, स्थिरता और अनुरूपता बनी रहे।
- संदर्भ और विस्तार: इसमें अनौपचारिक तरीके (जैसे सामाजिक दबाव, परिवार का प्रभाव) और औपचारिक तरीके (जैसे कानून, पुलिस) दोनों शामिल हैं। इसका उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखना और अनैतिक या विघटनकारी व्यवहार को रोकना है।
- गलत विकल्प: समाज को ‘पूरी तरह से नियंत्रित’ करना अतिशयोक्ति है। यह सिर्फ स्वतंत्रता को सीमित करने के बारे में नहीं है, बल्कि व्यवहार को विनियमित करने के बारे में है। यह हमेशा सरकार द्वारा सख्त नियमों तक सीमित नहीं है।
प्रश्न 14: ‘जाति’ (Caste) व्यवस्था की विशेषता क्या है?
- खुली सामाजिक स्तरीकरण
- निर्धारित सामाजिक स्थिति (Ascribed Status)
- गतिशीलता (Mobility) को बढ़ावा देना
- व्यवसाय की स्वतंत्रता
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भारतीय जाति व्यवस्था की एक मुख्य विशेषता यह है कि किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति जन्म से निर्धारित होती है (ascribed status) और यह पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित होती है।
- संदर्भ और विस्तार: जन्म के आधार पर सदस्य की स्थिति तय होती है, और उसमें परिवर्तन करना अत्यंत कठिन या असंभव होता है। यह व्यवस्था पेशा, विवाह और सामाजिक अंतःक्रियाओं को भी प्रभावित करती है।
- गलत विकल्प: जाति व्यवस्था एक ‘बंद’ (closed) स्तरीकरण प्रणाली है, खुली नहीं। यह गतिशीलता को हतोत्साहित करती है। व्यवसाय अक्सर वंशानुगत होते थे, जिससे व्यवसाय की स्वतंत्रता सीमित थी।
प्रश्न 15: सामाजिक अनुसंधान में ‘गुणात्मक विधि’ (Qualitative Method) का मुख्य उद्देश्य क्या है?
- आंकड़ों का सांख्यिकीय विश्लेषण करना।
- घटनाओं के पीछे के अर्थ, अनुभव और संदर्भ को समझना।
- बड़े पैमाने पर आबादी के सामान्यीकरण (generalization) की तलाश करना।
- कारण-कार्य संबंधों (cause-effect relationships) को मापना।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: गुणात्मक विधियाँ, जैसे साक्षात्कार, केस स्टडी और नृवंशविज्ञान (ethnography), व्यक्तियों के अनुभवों, भावनाओं, विचारों और सामाजिक संदर्भों की गहराई से जाँच करने पर केंद्रित होती हैं।
- संदर्भ और विस्तार: इनका उद्देश्य ‘क्यों’ और ‘कैसे’ जैसे प्रश्नों का उत्तर देना है, न कि ‘कितना’। ये विधियाँ सामाजिक वास्तविकता की सूक्ष्म समझ प्रदान करती हैं।
- गलत विकल्प: सांख्यिकीय विश्लेषण और सामान्यीकरण अक्सर मात्रात्मक विधियों (quantitative methods) के उद्देश्य होते हैं। कारण-कार्य संबंधों को मापना भी मुख्य रूप से मात्रात्मक अनुसंधान का क्षेत्र है, हालांकि गुणात्मक अनुसंधान इनमें अंतर्दृष्टि प्रदान कर सकता है।
प्रश्न 16: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में आमतौर पर क्या शामिल होता है?
- पारंपरिक समाजों का पतन और औद्योगीकरण, शहरीकरण, और तर्कसंगतता का उदय।
- सभी पारंपरिक संस्थानों का पूर्ण उन्मूलन।
- तकनीकी प्रगति का पूर्ण बहिष्कार।
- सामुदायिक संबंधों पर अत्यधिक जोर।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: आधुनिकीकरण एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें समाज की संरचना, संस्कृति और मूल्यों में व्यापक परिवर्तन शामिल हैं, विशेष रूप से औद्योगिक क्रांति के बाद। यह औद्योगीकरण, शहरीकरण, धर्मनिरपेक्षीकरण, शिक्षा के प्रसार और तर्कसंगत, वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने से जुड़ा है।
- संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर पारंपरिक, कृषि-आधारित समाजों से औद्योगिक, शहरी समाजों की ओर एक संक्रमण के रूप में देखा जाता है।
- गलत विकल्प: आधुनिकीकरण सभी पारंपरिक संस्थानों का ‘पूर्ण’ उन्मूलन नहीं करता, बल्कि उन्हें बदलता है। यह तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देता है, उसे बहिष्कृत नहीं करता। यह अक्सर सामुदायिक संबंधों को कम करता है और व्यक्तिवाद को बढ़ाता है।
प्रश्न 17: निम्नलिखित में से कौन समाजशास्त्र के अध्ययन के लिए प्रत्यक्षवादी (Positivist) दृष्टिकोण का समर्थन करता है?
- सब्जेक्टिव मीनिंग को समझना
- सामाजिक तथ्यों का वस्तुनिष्ठ (objective) अवलोकन और मापन
- व्यक्तिगत व्याख्याओं पर जोर देना
- अनुभूति (experience) पर आधारित ज्ञान
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: प्रत्यक्षवाद, जिसे अक्सर ऑगस्ट कॉम्त से जोड़ा जाता है, मानता है कि समाज को उसी वैज्ञानिक पद्धति से अध्ययन किया जाना चाहिए जो प्राकृतिक विज्ञानों में उपयोग की जाती है। इसमें अवलोकन, प्रयोग और मात्रात्मक डेटा पर जोर दिया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण सामाजिक तथ्यों को वस्तुनिष्ठ रूप से मापने योग्य मानता है और व्यक्तिपरक व्याख्याओं से बचने का प्रयास करता है। एमिल दुर्खीम के कार्य को भी प्रत्यक्षवादी दृष्टिकोण का उदाहरण माना जाता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (a), (c), और (d) व्याख्यात्मक (interpretive) या व्यक्तिपरक (subjective) समाजशास्त्र के दृष्टिकोण हैं, जो प्रत्यक्षवाद से भिन्न हैं।
प्रश्न 18: ‘संसाधनों का समान वितरण’ (Equal distribution of resources) किस प्रकार के समाज के लिए एक सैद्धांतिक आदर्श है?
- पूंजीवादी समाज (Capitalist Society)
- समाजवादी समाज (Socialist Society)
- साम्यवादी समाज (Communist Society)
- सामंतवादी समाज (Feudal Society)
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स के साम्यवाद के सिद्धांत में, अंतिम चरण में वर्गविहीन समाज की कल्पना की गई है जहाँ उत्पादन के साधनों पर सामूहिक स्वामित्व होगा और संसाधनों का वितरण “प्रत्येक से उसकी क्षमता के अनुसार, प्रत्येक को उसकी आवश्यकता के अनुसार” (from each according to his ability, to each according to his need) के सिद्धांत पर होगा, जिसका अर्थ है समान वितरण।
- संदर्भ और विस्तार: यह मार्क्स के वर्ग संघर्ष सिद्धांत का अंतिम लक्ष्य है, जहाँ कोई शोषण या असमानता नहीं होगी।
- गलत विकल्प: पूंजीवादी समाज निजी स्वामित्व और लाभ के उद्देश्य पर आधारित होता है, जहाँ असमानता आम है। समाजवादी समाज में राज्य द्वारा उत्पादन के साधनों का नियंत्रण होता है, लेकिन वितरण अभी भी कुछ हद तक आवश्यकता और योगदान पर आधारित हो सकता है। सामंतवादी समाज जन्म पर आधारित पदानुक्रम वाला समाज था।
प्रश्न 19: निम्नलिखित में से कौन सी सामाजिक संस्था लोगों को वर्गीकृत करने, शिक्षा देने और सामाजिक मूल्यों को प्रसारित करने का कार्य करती है?
- परिवार
- धर्म
- शिक्षा
- अर्थव्यवस्था
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: शिक्षा प्रणाली का एक मुख्य कार्य समाज के सदस्यों को वर्गीकृत करना (जैसे शैक्षणिक योग्यता के आधार पर), उन्हें ज्ञान और कौशल प्रदान करना, और समाज के प्रमुख मूल्यों, मानदंडों और संस्कृति को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है।
- संदर्भ और विस्तार: स्कूल न केवल अकादमिक ज्ञान देते हैं, बल्कि अनुशासन, सामाजिक व्यवहार और नागरिकता जैसे छिपे हुए पाठ्यक्रम (hidden curriculum) के माध्यम से सामाजिक मूल्यों को भी सिखाते हैं।
- गलत विकल्प: परिवार भी कुछ हद तक ये कार्य करता है, लेकिन शिक्षा प्रणाली विशेष रूप से इन कार्यों के लिए संस्थागत रूप से स्थापित है। धर्म मुख्य रूप से आध्यात्मिक और नैतिक मार्गदर्शन देता है। अर्थव्यवस्था वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और वितरण से संबंधित है।
प्रश्न 20: ‘वर्ग संघर्ष’ (Class Struggle) की अवधारणा किस समाजशास्त्री से सबसे अधिक जुड़ी है?
- एमिल दुर्खीम
- मैक्स वेबर
- कार्ल मार्क्स
- टालकोट पार्सन्स
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: कार्ल मार्क्स के मार्क्सवादी सिद्धांत का मूल आधार यह है कि इतिहास वर्ग संघर्षों का इतिहास है, विशेष रूप से उत्पादन के साधनों के स्वामित्व को लेकर बुर्जुआ (पूंजीपति) और सर्वहारा (श्रमिक वर्ग) के बीच।
- संदर्भ और विस्तार: मार्क्स का मानना था कि यह संघर्ष समाज में परिवर्तन का मुख्य चालक है और अंततः एक वर्गविहीन समाज की ओर ले जाएगा।
- गलत विकल्प: दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी पर ध्यान केंद्रित किया। वेबर ने वर्ग, स्थिति (status) और शक्ति (party) को सामाजिक स्तरीकरण के तीन आयामों के रूप में देखा। पार्सन्स ने संरचनात्मक प्रकार्यवाद पर काम किया।
प्रश्न 21: ग्रामीण समाजशास्त्र (Rural Sociology) में ‘भूमि सुधार’ (Land Reforms) का अध्ययन क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह केवल शहरी नियोजन से संबंधित है।
- यह कृषि उत्पादन को प्रभावित करता है और ग्रामीण सामाजिक-आर्थिक संरचना को बदलता है।
- यह ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देता है।
- यह केवल राजनीतिक एजेंडा का हिस्सा है।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: भूमि सुधार, जैसे कि चकबंदी, काश्तकारों को भूमि का स्वामित्व, या भूमि का पुनर्वितरण, सीधे तौर पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि उत्पादकता, धन के वितरण और ग्रामीण सामाजिक संरचना (जैसे जमींदार-काश्तकार संबंध) को प्रभावित करते हैं।
- संदर्भ और विस्तार: भारत जैसे कृषि प्रधान देशों में, भूमि सुधार ग्रामीण गरीबी को कम करने, सामाजिक न्याय स्थापित करने और कृषि क्षेत्र के विकास के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं।
- गलत विकल्प: भूमि सुधार सीधे तौर पर शहरी नियोजन से संबंधित नहीं है, हालांकि इसके अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं। यह पर्यटन को बढ़ावा देने का मुख्य साधन नहीं है। यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन इसका सामाजिक-आर्थिक प्रभाव अधिक गहरा होता है।
प्रश्न 22: ‘परिवार’ (Family) को एक प्राथमिक समूह (Primary Group) के रूप में वर्गीकृत करने का मुख्य आधार क्या है?
- यह एक बड़ी संख्या में सदस्यों वाला समूह है।
- यह औपचारिक नियम और संरचनाएं रखता है।
- यह सदस्यों के बीच घनिष्ठ, आमने-सामने की अंतःक्रिया, भावनात्मक जुड़ाव और आपसी सहयोग पर आधारित है।
- इसका मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना है।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: चार्ल्स हार्टन कूले ने ‘प्राथमिक समूह’ की अवधारणा पेश की, जिसमें परिवार, निकट मित्रों और पड़ोस को शामिल किया गया। इन समूहों की विशेषता सदस्यों के बीच घनिष्ठ, व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंध, आमने-सामने की अंतःक्रियाएं और दीर्घकालिक संबंध हैं।
- संदर्भ और विस्तार: परिवार वह पहली सामाजिक इकाई है जहाँ व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का विकास करता है और समाज के संपर्क में आता है।
- गलत विकल्प: परिवार आमतौर पर एक छोटा समूह होता है। यह अनौपचारिक होता है, औपचारिक नहीं। परिवार का मुख्य उद्देश्य आर्थिक लाभ कमाना नहीं, बल्कि समाजीकरण, भावनात्मक समर्थन और पुनरुत्पादन है।
प्रश्न 23: ‘सामाजिक गतिशीलता’ (Social Mobility) का उदाहरण क्या है?
- एक व्यक्ति का अपने जन्म के गांव से बड़े शहर में जाकर बसना।
- एक ही व्यवसाय में पीढ़ी-दर-पीढ़ी काम करना।
- किसी व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का वैसा ही रहना जैसा उसके माता-पिता का था।
- एक ही समाज के सदस्यों के बीच समान जीवन स्तर बनाए रखना।
उत्तर: (a)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: सामाजिक गतिशीलता का अर्थ है समाज में एक व्यक्ति या समूह की स्थिति में परिवर्तन। एक व्यक्ति का अपने मूल स्थान से किसी अन्य स्थान पर जाना, खासकर यदि वह बेहतर अवसरों की तलाश में हो, तो यह एक प्रकार की सामाजिक और भौगोलिक गतिशीलता का उदाहरण है।
- संदर्भ और विस्तार: यदि यह प्रवास बेहतर आर्थिक या सामाजिक अवसरों की ओर ले जाता है, तो यह ऊर्ध्वमुखी गतिशीलता (upward mobility) का भी संकेत हो सकता है।
- गलत विकल्प: विकल्प (b) और (c) सामाजिक गतिशीलता की अनुपस्थिति (स्थिरता) दर्शाते हैं। विकल्प (d) समानता का विचार है, गतिशीलता का नहीं।
प्रश्न 24: ‘धर्मनिरपेक्षीकरण’ (Secularization) की प्रक्रिया में क्या शामिल होता है?
- धर्म का समाज में बढ़ते प्रभाव और प्रभुत्व।
- धर्म का समाज के सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से अलगाव और निजी क्षेत्र तक सीमित होना।
- सभी धार्मिक विश्वासों का पूर्ण परित्याग।
- सभी समाजों में एक ही सार्वभौमिक धर्म का उदय।
उत्तर: (b)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: धर्मनिरपेक्षीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा समाज के विभिन्न क्षेत्रों (जैसे राजनीति, शिक्षा, विज्ञान) का महत्व और प्रभाव धर्म से स्वतंत्र हो जाता है, और धर्म व्यक्तिगत जीवन का अधिक निजी मामला बन जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: यह धर्म की शक्ति और प्रभाव में कमी को दर्शाता है, न कि धर्म के पूर्ण अंत को।
- गलत विकल्प: यह धर्म के प्रभाव में कमी को दर्शाता है, न कि बढ़ते प्रभाव को। यह सभी धार्मिक विश्वासों के परित्याग को अनिवार्य नहीं करता। यह किसी एक सार्वभौमिक धर्म के उदय से भी संबंधित नहीं है।
प्रश्न 25: ‘अभिजात वर्ग’ (Elite) के सिद्धांतकार गैटानो मोस्का (Gaetano Mosca) के अनुसार, शासक वर्ग की विशेषता क्या है?
- वे समाज का बहुसंख्यक हिस्सा होते हैं।
- वे हमेशा सबसे बुद्धिमान और सक्षम व्यक्ति होते हैं।
- वे हमेशा समाज का अल्पसंख्यक हिस्सा होते हैं जिनके पास सत्ता और संगठन की क्षमता होती है।
- वे आर्थिक रूप से सबसे कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।
उत्तर: (c)
विस्तृत स्पष्टीकरण:
- सही होने का कारण: गैटानो मोस्का और विल्फ्रेडो पारेतो जैसे अभिजात वर्ग सिद्धांतकारों ने तर्क दिया कि हर समाज में एक अल्पसंख्यक समूह (अभिजात वर्ग) होता है जो संगठित होता है और सत्ता पर एकाधिकार रखता है, जबकि बहुसंख्यक जनता (आम जनता) को नियंत्रित किया जाता है।
- संदर्भ और विस्तार: मोस्का के अनुसार, इस अल्पसंख्यक शासक वर्ग में हमेशा वह शक्ति और संगठन क्षमता होती है जो उन्हें बड़े समूह पर शासन करने की अनुमति देती है, चाहे उनका मूल या व्यक्तिगत गुण कुछ भी हों।
- गलत विकल्प: अभिजात वर्ग समाज का अल्पसंख्यक हिस्सा होता है, बहुसंख्यक नहीं। यह आवश्यक नहीं है कि वे हमेशा सबसे बुद्धिमान हों; संगठन और राजनीतिक चालाकी अधिक महत्वपूर्ण हो सकती है। वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं करते।