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आज का समाजशास्त्र अभ्यास: वैचारिक स्पष्टता को धार दें

आज का समाजशास्त्र अभ्यास: वैचारिक स्पष्टता को धार दें

समाजशास्त्र के गंभीर परीक्षार्थियों, एक नए दिन, एक नई चुनौती में आपका स्वागत है! आज हम आपके समाजशास्त्रीय ज्ञान की गहराई और विश्लेषणात्मक कौशल का परीक्षण करने के लिए 25 विशेष रूप से तैयार किए गए बहुविकल्पीय प्रश्न लेकर आए हैं। अपनी अवधारणाओं को स्पष्ट करें, प्रमुख विचारकों को याद करें और भारतीय समाज की जटिलताओं को समझें। आइए, अपनी तैयारी को एक नया आयाम दें!

समाजशास्त्र अभ्यास प्रश्न

निर्देश: निम्नलिखित 25 प्रश्नों का प्रयास करें और प्रदान किए गए विस्तृत स्पष्टीकरण के साथ अपनी समझ का विश्लेषण करें।


प्रश्न 1: ‘सामाजिक स्थिरीकरण’ (Social Stratification) की अवधारणा को किस समाजशास्त्री ने सर्वप्रथम व्यवस्थित रूप से विश्लेषित किया?

  1. कार्ल मार्क्स
  2. मैक्स वेबर
  3. एमिल दुर्खीम
  4. टी. पार्सन्स

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: मैक्स वेबर ने सामाजिक स्थिरीकरण के बहुआयामी दृष्टिकोण पर बल दिया, जिसमें केवल आर्थिक वर्ग ही नहीं, बल्कि प्रतिष्ठा (Status) और शक्ति (Party) जैसे अन्य आयाम भी शामिल थे। उन्होंने इन तीनों को समाज में स्तरीकरण के प्रमुख आधार माना।
  • संदर्भ और विस्तार: वेबर ने अपनी कृति ‘Economy and Society’ में वर्ग, प्रतिष्ठा समूह (Status Group) और शक्ति (Party) के बीच जटिल संबंधों का विश्लेषण किया, जो केवल वर्ग संघर्ष पर केंद्रित मार्क्स के सिद्धांत से भिन्न है।
  • गलत विकल्प: कार्ल मार्क्स का मुख्य जोर वर्ग संघर्ष और आर्थिक उत्पादन संबंधों पर था। एमिल दुर्खीम ने सामाजिक एकजुटता और एनोमी (Anomie) जैसी अवधारणाओं पर काम किया। टी. पार्सन्स ने संरचनात्मक-प्रकार्यात्मकता (Structural-Functionalism) के विकास में योगदान दिया।

प्रश्न 2: एमिल दुर्खीम के अनुसार, ‘एनोमी’ (Anomie) की स्थिति कब उत्पन्न होती है?

  1. जब समाज में अत्यधिक नियमन होता है
  2. जब सामाजिक मानदंडों और मूल्यों में बिखराव या कमी होती है
  3. जब व्यक्ति अपने समाज से पूरी तरह से जुड़ जाता है
  4. जब शक्ति का वितरण समान होता है

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: दुर्खीम के अनुसार, एनोमी एक ऐसी सामाजिक स्थिति है जहाँ समाज के नियम कमजोर पड़ जाते हैं या पूरी तरह से अनुपस्थित हो जाते हैं, जिससे व्यक्तियों में दिशाहीनता और अनिश्चितता की भावना पैदा होती है। यह तब होता है जब सामाजिक मानदंडों और मूल्यों में विघटन होता है।
  • संदर्भ और विस्तार: दुर्खीम ने अपनी पुस्तक ‘The Division of Labour in Society’ और ‘Suicide’ में एनोमी का विस्तृत विश्लेषण किया। उन्होंने दर्शाया कि सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक संकट या जनसंख्या वृद्धि जैसी स्थितियाँ एनोमी को बढ़ा सकती हैं।
  • गलत विकल्प: अत्यधिक नियमन ‘totalitarianism’ या ‘authoritarianism’ से जुड़ा हो सकता है, एनोमी से नहीं। समाज से जुड़ाव व्यक्ति को ‘एकीकृत’ (integrated) महसूस कराता है, न कि एनोमिक। शक्ति का समान वितरण भी एनोमी का कारण नहीं है।

प्रश्न 3: ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद’ (Symbolic Interactionism) का प्रमुख प्रवर्तक किसे माना जाता है?

  1. एमिल दुर्खीम
  2. मैक्स वेबर
  3. जॉर्ज हर्बर्ट मीड
  4. हरबर्ट स्पेंसर

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: जॉर्ज हर्बर्ट मीड को प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद का प्रमुख विचारक माना जाता है, जिन्होंने इस सिद्धांत की नींव रखी। उन्होंने मानव व्यवहार को समझने के लिए प्रतीकों (जैसे भाषा, हाव-भाव) और अंतःक्रियाओं के महत्व पर जोर दिया।
  • संदर्भ और विस्तार: मीड ने ‘Self’, ‘Mind’, और ‘Society’ के विकास में अंतःक्रिया और प्रतीकों की भूमिका पर प्रकाश डाला। उनके विचारों को मरे ई. कुले जैसे अन्य विचारकों के साथ जोड़कर देखा जाता है।
  • गलत विकल्प: दुर्खीम और वेबर वृहत् समाजशास्त्रीय सिद्धांतों (Macrosociology) से जुड़े हैं, जबकि मीड सूक्ष्म समाजशास्त्र (Microsociology) पर केंद्रित थे। हरबर्ट स्पेंसर विकासवादी समाजशास्त्र के प्रमुख प्रस्तावक थे।

प्रश्न 4: एम.एन. श्रीनिवास द्वारा प्रस्तुत ‘संस्कृतिकरण’ (Sanskritization) की अवधारणा का क्या अर्थ है?

  1. पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना
  2. किसी निम्न जाति या जनजाति का उच्च जाति की रीतियों, अनुष्ठानों और विश्वासों को अपनाकर अपनी सामाजिक स्थिति को ऊपर उठाना
  3. आधुनिकीकरण की प्रक्रिया
  4. शहरीकरण के कारण सामाजिक परिवर्तन

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: एम.एन. श्रीनिवास ने ‘संस्कृतिकरण’ को एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में परिभाषित किया जहाँ निचली जातियों या जनजातियों द्वारा उच्च जातियों (विशेष रूप से द्विजा (dvija) जातियों) की जीवन शैली, अनुष्ठानों, पूजा विधियों और सामाजिक व्यवहारों का अनुकरण किया जाता है, ताकि वे सामाजिक पदानुक्रम में उच्च स्थान प्राप्त कर सकें।
  • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा श्रीनिवास की पुस्तक ‘Religion and Society Among the Coorgs of South India’ में प्रमुखता से आई। यह सांस्कृतिक गतिशीलता का एक रूप है।
  • गलत विकल्प: पश्चिमी जीवन शैली को अपनाना ‘पश्चिमीकरण’ (Westernization) है। आधुनिकीकरण और शहरीकरण broader terms हैं जो औद्योगिकीकरण, तकनीकी विकास आदि से जुड़े हैं, जबकि संस्कृतीकरण विशेष रूप से जाति व्यवस्था के भीतर होने वाला सांस्कृतिक परिवर्तन है।

प्रश्न 5: निम्नलिखित में से कौन सी समाजशास्त्रीय पद्धति, व्यक्तिनिष्ठ अनुभवों और अर्थों को समझने पर बल देती है?

  1. प्रत्यक्षवाद (Positivism)
  2. व्याख्यात्मक समाजशास्त्र (Interpretive Sociology)
  3. संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता (Structural-Functionalism)
  4. द्वंद्वात्मक भौतिकवाद (Dialectical Materialism)

उत्तर: (b)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: व्याख्यात्मक समाजशास्त्र, जिसे अक्सर ‘सामाजिक क्रिया’ (Social Action) या ‘समझ’ (Verstehen) के रूप में भी जाना जाता है, व्यक्ति द्वारा अपनी क्रियाओं को दिए जाने वाले व्यक्तिनिष्ठ अर्थों और इरादों को समझने पर ध्यान केंद्रित करता है। मैक्स वेबर इसके प्रमुख प्रस्तावक थे।
  • संदर्भ और विस्तार: यह पद्धति प्राकृतिक विज्ञानों की वस्तुनिष्ठता (Objectivity) से भिन्न, मानवीय समाज की व्यक्तिनिष्ठता (Subjectivity) को स्वीकार करती है।
  • गलत विकल्प: प्रत्यक्षवाद प्राकृतिक विज्ञानों की विधियों को समाजशास्त्र पर लागू करने का प्रयास करता है, वस्तुनिष्ठता पर जोर देता है। संरचनात्मक प्रकार्यात्मकता समाज को एक जीवित प्राणी के रूप में देखती है जिसके विभिन्न अंग (संस्थाएं) मिलकर समाज को बनाए रखते हैं। द्वंद्वात्मक भौतिकवाद मार्क्सवादी सिद्धांत का मूल है, जो भौतिक परिस्थितियों और वर्ग संघर्ष पर केंद्रित है।

प्रश्न 6: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद के अंतर्निहित विरोधाभास (inherent contradiction) से किस वर्ग का उदय होगा?

  1. पूंजीपति वर्ग (Bourgeoisie)
  2. बुर्जुआ (Bourgeoisie)
  3. सर्वहारा वर्ग (Proletariat)
  4. कुलीन वर्ग (Aristocracy)

उत्तर: (c)

विस्तृत स्पष्टीकरण:

  • सत्यता: कार्ल मार्क्स का मानना था कि पूंजीवादी व्यवस्था में उत्पादन के साधनों पर पूंजीपतियों (Bourgeoisie) का नियंत्रण होता है, जबकि बहुसंख्यक श्रमिक वर्ग (Proletariat) अपने श्रम को बेचकर जीवित रहता है। पूंजीवाद का अंतर्निहित शोषणकारी स्वरूप अंततः सर्वहारा वर्ग को उसके अधिकारों के प्रति सचेत करेगा और एक क्रांति होगी, जिससे साम्यवाद की स्थापना होगी।
  • संदर्भ और विस्तार: यह विचार उनकी प्रमुख कृतियों, जैसे ‘Das Kapital’ और ‘The Communist Manifesto’ में विस्तृत है। वे उत्पादन संबंधों के आधार पर समाज को वर्गों में विभाजित करते हैं।
  • गलत विकल्प: पूंजीपति वर्ग (Bourgeoisie) और बुर्जुआ (Bourgeoisie) एक ही हैं और वे शोषणकारी वर्ग हैं, क्रांतिकारी वर्ग नहीं। कुलीन वर्ग सामंती व्यवस्था से जुड़ा है।

  • प्रश्न 7: सामाजिक गतिशीलता (Social Mobility) के संदर्भ में, ‘अंतर-पीढ़ीय गतिशीलता’ (Intergenerational Mobility) से क्या तात्पर्य है?

    1. किसी व्यक्ति का अपने जीवनकाल में एक सामाजिक स्थिति से दूसरी में जाना
    2. पिता और पुत्र की सामाजिक स्थिति की तुलना
    3. किसी समाज में कुल सामाजिक गतिशीलता की मात्रा
    4. सामाजिक स्तरीकरण की कठोरता

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: अंतर-पीढ़ीय गतिशीलता का अर्थ है विभिन्न पीढ़ियों के बीच सामाजिक स्थिति में होने वाले परिवर्तन। विशेष रूप से, इसका मूल्यांकन अक्सर माता-पिता की सामाजिक-आर्थिक स्थिति और उनके बच्चों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति की तुलना करके किया जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा समाज में अवसरों की समानता और सामाजिक संरचना की लोचशीलता को समझने में मदद करती है।
    • गलत विकल्प: (a) किसी व्यक्ति का अपने जीवनकाल में होने वाला परिवर्तन ‘अंतः-पीढ़ीय गतिशीलता’ (Intragenerational Mobility) कहलाता है। (c) और (d) सामान्य या अधिक व्यापक अवधारणाएँ हैं, न कि विशेष रूप से अंतर-पीढ़ीय गतिशीलता की परिभाषा।

    प्रश्न 8: भारत में जाति व्यवस्था के संदर्भ में, ‘अंतर्विवाह’ (Endogamy) का क्या अर्थ है?

    1. जाति के भीतर विवाह करना
    2. जाति के बाहर विवाह करना
    3. विभिन्न जातियों के बीच विवाह करना
    4. बिना जाति देखे विवाह करना

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: अंतर्विवाह का अर्थ है किसी व्यक्ति का अपनी ही जाति, उपजाति या गोत्र के सदस्य से विवाह करना। भारतीय जाति व्यवस्था की यह एक मूलभूत विशेषता रही है, जो जाति की शुद्धता और पहचान को बनाए रखने में मदद करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह व्यवस्था जातिगत पदानुक्रम और समूह पहचान को सुदृढ़ करती है। इसका विपरीत ‘बहिर्विवाह’ (Exogamy) है, जिसका अर्थ है समूह के बाहर विवाह करना (जैसे गोत्र बहिर्विवाह)।
    • गलत विकल्प: (b) और (c) बहिर्विवाह (Exogamy) या अंतर्जातीय विवाह (Intercaste Marriage) से संबंधित हैं। (d) आधुनिक या अंतर-जातीय विवाह को दर्शाता है।

    प्रश्न 9: आर. के. मर्टन ने ‘प्रकट प्रकार्यों’ (Manifest Functions) के विपरीत किस अवधारणा का प्रयोग किया?

    1. छुपे हुए प्रकार्य (Latent Functions)
    2. अकार्य (Dysfunctions)
    3. प्रतीकात्मक अंतःक्रिया
    4. सामाजिक तथ्य (Social Facts)

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: आर. के. मर्टन ने समाजशास्त्रीय विश्लेषण में ‘प्रकट प्रकार्य’ (जो किसी सामाजिक संस्था के उद्देश्यपूर्ण और इच्छित परिणाम हों) के साथ-साथ ‘छुपे हुए प्रकार्यों’ (Latent Functions) की अवधारणा दी, जो अनजाने या अनपेक्षित परिणाम होते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक दृष्टिकोण का हिस्सा है। उदाहरण के लिए, चर्च जाने का प्रकट प्रकार्य धार्मिक अनुष्ठान करना है, जबकि छुपे हुए प्रकार्य सामाजिक मेलजोल बढ़ाना या समुदाय का हिस्सा महसूस करना हो सकता है। उन्होंने ‘अकार्य’ (Dysfunctions) की भी बात की, जो समाज के लिए नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं।
    • गलत विकल्प: ‘अकार्य’ एक अलग अवधारणा है। ‘प्रतीकात्मक अंतःक्रिया’ मीड से संबंधित है। ‘सामाजिक तथ्य’ दुर्खीम की अवधारणा है।

    प्रश्न 10: ‘कल्चरल लैग’ (Cultural Lag) की अवधारणा किसने दी?

    1. विलियम ओगबर्न
    2. ए.एल. क्रोबर
    3. ए.आर. रैडक्लिफ-ब्राउन
    4. इरविंग गॉफमैन

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: विलियम ओगबर्न ने ‘कल्चरल लैग’ की अवधारणा दी, जिसमें उन्होंने बताया कि भौतिक संस्कृति (जैसे प्रौद्योगिकी) अभौतिक संस्कृति (जैसे कानून, नैतिकता, सामाजिक संस्थाएं) की तुलना में अधिक तेज़ी से बदलती है, जिससे समाज में एक प्रकार का ‘पिछड़ापन’ या ‘अंतराल’ पैदा हो जाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक परिवर्तन को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बताती है कि कैसे नई तकनीकें सामाजिक संरचनाओं और मूल्यों के साथ सामंजस्य बिठाने में समय लेती हैं।
    • गलत विकल्प: क्रोबर और रैडक्लिफ-ब्राउन मानवविज्ञान से जुड़े हैं, जबकि गॉफमैन सूक्ष्म समाजशास्त्र और ‘ड्रामाटर्जी’ (Dramaturgy) के लिए जाने जाते हैं।

    प्रश्न 11: मैकाइवर और पेज के अनुसार, ‘परिवार’ (Family) की सबसे बुनियादी विशेषता क्या है?

    1. आर्थिक सहयोग
    2. यौन संबंध और प्रजनन
    3. सामूहिक जीवन और एक सामान्य निवास
    4. धार्मिक अनुष्ठान

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: मैकाइवर और पेज ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘Society: An Introduction’ में परिवार को यौन संबंधों के नियमन, प्रजनन और बच्चों के पालन-पोषण के लिए एक संघ के रूप में परिभाषित किया। वे यौन संबंध और प्रजनन को परिवार की सबसे मौलिक और सार्वभौमिक विशेषता मानते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि आर्थिक सहयोग, सामान्य निवास और भावनात्मक संबंध भी परिवार के महत्वपूर्ण पहलू हैं, लेकिन यौन संबंध और प्रजनन को वे जैविक और सामाजिक निरंतरता के लिए आवश्यक बताते हैं।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प परिवार के महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं, लेकिन यौन संबंध और प्रजनन को मैकाइवर और पेज परिवार की मूलभूत परिभाषा का आधार मानते हैं।

    प्रश्न 12: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) की अवधारणा, जो सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और सहयोग के माध्यम से उत्पन्न होती है, का श्रेय मुख्य रूप से किसे दिया जाता है?

    1. पियरे बॉर्डियू
    2. जेम्स कॉलमैन
    3. रॉबर्ट पटनम
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक पूंजी की अवधारणा को विकसित करने में पियरे बॉर्डियू, जेम्स कॉलमैन और रॉबर्ट पटनम तीनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बॉर्डियू ने इसे सामाजिक संबंधों से प्राप्त संसाधनों के रूप में देखा, कॉलमैन ने इसे एक ऐसी इकाई के रूप में परिभाषित किया जो सामाजिक संरचनाओं से उत्पन्न होती है और व्यक्तियों को कार्य करने में सक्षम बनाती है, और पटनम ने इसे नागरिक जुड़ाव और सामुदायिक जीवन के संदर्भ में लोकप्रिय बनाया।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा सामाजिक नेटवर्क के मूल्य को समझने के लिए महत्वपूर्ण है, जो व्यक्तियों और समुदायों को लाभ पहुंचा सकता है।
    • गलत विकल्प: जबकि तीनों ने योगदान दिया है, इसलिए ‘उपरोक्त सभी’ सही उत्तर है।

    प्रश्न 13: निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता ‘आदिम समाज’ (Primitive Society) की नहीं मानी जाती है?

    1. छोटे पैमाने की जनसंख्या
    2. जटिल श्रम विभाजन
    3. घनिष्ठ सामाजिक संबंध
    4. अलिखित परंपराएं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: आदिम समाज आम तौर पर छोटे पैमाने के होते हैं, जिनमें सामाजिक संबंध घनिष्ठ होते हैं और मौखिक या अलिखित परंपराओं पर आधारित होते हैं। इनमें श्रम विभाजन अपेक्षाकृत सरल होता है, जबकि जटिल श्रम विभाजन औद्योगिक और आधुनिक समाजों की विशेषता है।
    • संदर्भ और विस्तार: समाजशास्त्री जैसे एमिल दुर्खीम ने श्रम विभाजन के विकास का अध्ययन किया, जहां उन्होंने सरल समाजों (जैसे ‘यांत्रिक एकजुटता’) और जटिल समाजों (जैसे ‘सावयिक एकजुटता’) के बीच अंतर किया।
    • गलत विकल्प: (a), (c), और (d) आदिम समाजों की विशेषताएँ हैं। (b) जटिल श्रम विभाजन अधिक उन्नत समाजों की पहचान है।

    प्रश्न 14: ‘सामाजिक नियंत्रण’ (Social Control) का प्राथमिक साधन क्या है, विशेष रूप से अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण के संदर्भ में?

    1. कानून और दंड
    2. पुलिस और न्यायपालिका
    3. परिवार, मित्र और समुदाय का दबाव
    4. जेल और कारावास

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: अनौपचारिक सामाजिक नियंत्रण समाज के भीतर मौजूद अनौपचारिक साधनों जैसे कि परिवार, पड़ोस, मित्र मंडली, धर्म और जनमत के माध्यम से लागू होता है। ये लोगों के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए सामाजिक दबाव, प्रशंसा, निंदा, या बहिष्कार जैसी विधियों का उपयोग करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: औपचारिक सामाजिक नियंत्रण (जैसे कानून) की तुलना में, अनौपचारिक नियंत्रण अधिक सूक्ष्म और दैनिक जीवन में व्याप्त होता है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) औपचारिक सामाजिक नियंत्रण के साधन हैं, जो राज्य या संस्थाओं द्वारा लागू किए जाते हैं।

    प्रश्न 15: इर्विंग गॉफमैन (Erving Goffman) ने अपनी ‘ड्रामाटर्जी’ (Dramaturgy) अवधारणा में, व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार की तुलना किससे की है?

    1. वैज्ञानिक प्रयोग
    2. एक कलाकार द्वारा मंच पर प्रस्तुति
    3. बाजार में लेन-देन
    4. युद्ध का मैदान

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: इर्विंग गॉफमैन ने अपनी पुस्तक ‘The Presentation of Self in Everyday Life’ में व्यक्ति के सामाजिक व्यवहार को एक रंगमंचीय प्रस्तुति के रूप में देखा। उन्होंने तर्क दिया कि लोग दैनिक जीवन में विभिन्न ‘भूमिकाएं’ निभाते हैं, ‘मुखौटे’ पहनते हैं और अपने ‘दर्शकों’ (अन्य लोग) को प्रभावित करने के लिए अपने व्यवहार का प्रबंधन करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे अभिनेता मंच पर करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: इस दृष्टिकोण को ‘ड्रामाटर्जी’ कहा जाता है। इसमें ‘सामने का चरण’ (front stage) और ‘पीछे का चरण’ (back stage) जैसी अवधारणाएं शामिल हैं।
    • गलत विकल्प: अन्य विकल्प सामाजिक जीवन की जटिलताओं का प्रतिनिधित्व करते हैं, लेकिन गॉफमैन की विशिष्ट उपमा एक रंगमंचीय प्रस्तुति है।

    प्रश्न 16: भारत में ‘अनुसूचित जनजातियों’ (Scheduled Tribes) के संबंध में, निम्नलिखित में से कौन सी एक प्रमुख विशेषता नहीं है?

    1. विशिष्ट भौगोलिक अलगाव
    2. पृथक संस्कृति और पहचान
    3. आमतौर पर एक सामान्य भाषा का प्रयोग
    4. आर्थिक पिछड़ापन

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: भारत की अनुसूचित जनजातियों में भौगोलिक अलगाव, एक विशिष्ट संस्कृति और पहचान, और आर्थिक पिछड़ापन जैसी विशेषताएं आम तौर पर पाई जाती हैं। हालाँकि, यह कहना गलत होगा कि सभी जनजातियाँ केवल एक सामान्य भाषा का प्रयोग करती हैं। कई जनजातियों की अपनी अलग-अलग बोलियाँ या भाषाएँ होती हैं, और वे बहुभाषी भी हो सकती हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: जनजातीय समुदायों की विविधता बहुत अधिक है, और किसी भी एक विशेषता को सार्वभौमिक रूप से लागू करना कठिन है।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) अक्सर जनजातीय समुदायों की विशेषताएं होती हैं। (c) एक सामान्यीकरण है जो हमेशा सत्य नहीं होता, क्योंकि जनजातियों में भाषाई विविधता पाई जाती है।

    प्रश्न 17: ‘सामाजिक पूंजी’ (Social Capital) को अक्सर किस रूप में परिभाषित किया जाता है?

    1. वित्तीय या भौतिक संपत्ति
    2. ज्ञान और कौशल का संचय
    3. सामाजिक नेटवर्क, विश्वास और पारस्परिक संबंधों से उत्पन्न होने वाले लाभ
    4. व्यक्तिगत क्षमताएँ और प्रतिभाएँ

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: सामाजिक पूंजी उन लाभों को संदर्भित करती है जो व्यक्ति या समूह अपने सामाजिक नेटवर्क, संबंधों, विश्वास और आपसी सहयोग से प्राप्त करते हैं। यह लोगों को जानकारी, समर्थन और अवसर तक पहुँचने में मदद करती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अक्सर उन अमूर्त संसाधनों को संदर्भित करता है जो मूर्त (जैसे वित्तीय) या बौद्धिक (ज्ञान) पूंजी से भिन्न होते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) व्यक्तिगत या भौतिक संपत्तियों से संबंधित हैं, न कि सामाजिक नेटवर्क से उत्पन्न होने वाले लाभों से।

    प्रश्न 18: एमिल दुर्खीम ने समाज के विकास को किस प्रकार के ‘एकीकरण’ (Integration) के बढ़ते आधार पर समझाया?

    1. यांत्रिक एकजुटता से सावयिक एकजुटता
    2. शक्ति और प्रभुत्व पर आधारित
    3. संस्कृति और मूल्यों के साझाकरण पर आधारित
    4. प्रौद्योगिकी के विकास पर आधारित

    उत्तर: (a)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: दुर्खीम ने ‘The Division of Labour in Society’ में बताया कि समाज ‘यांत्रिक एकजुटता’ (Mechanical Solidarity) से, जो सजातीयता और समानताओं पर आधारित होती है, ‘सावयिक एकजुटता’ (Organic Solidarity) की ओर बढ़ता है, जो श्रम के विशेषीकरण और अंतर्निर्भरता पर आधारित होती है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह समाजशास्त्रीय विश्लेषण का एक मुख्य सिद्धांत है जो सामाजिक व्यवस्था के विकास को स्पष्ट करता है।
    • गलत विकल्प: (b), (c), और (d) समाज के विकास या व्यवस्था के अन्य पहलू हो सकते हैं, लेकिन दुर्खीम के अनुसार एकजुटता का आधार यांत्रिक से सावयिक एकजुटता की ओर संक्रमण है।

    प्रश्न 19: ‘प्रतीक’ (Symbols) सामाजिक अंतःक्रिया में क्या भूमिका निभाते हैं, जैसा कि प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद में बताया गया है?

    1. केवल बाहरी दिखावे को व्यक्त करते हैं
    2. अर्थ के निर्माण और संचार के लिए आधार प्रदान करते हैं
    3. व्यक्तिगत भावनाओं को दबाते हैं
    4. सामाजिक स्तरीकरण को बनाए रखते हैं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्रतीकात्मक अंतःक्रियावाद के अनुसार, प्रतीक (जैसे भाषा, हाव-भाव, वस्तुएं) वे माध्यम हैं जिनके द्वारा लोग अपने विचारों, भावनाओं और इरादों को संप्रेषित करते हैं और अर्थों का निर्माण करते हैं। यही प्रतीक लोगों को आपस में जुड़ने और सामाजिक दुनिया को समझने में मदद करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: जॉर्ज हर्बर्ट मीड और हरबर्ट ब्लूमर जैसे विचारकों ने प्रतीकों के माध्यम से अर्थ निर्माण की प्रक्रिया पर जोर दिया।
    • गलत विकल्प: प्रतीक केवल बाहरी दिखावा नहीं हैं, वे गहरे अर्थ रखते हैं। वे भावनाओं को दबाने के बजाय व्यक्त करने में मदद कर सकते हैं। वे सामाजिक स्तरीकरण का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन उनकी प्राथमिक भूमिका अर्थ निर्माण है।

    प्रश्न 20: भारतीय समाज में, ‘जाति पंचायत’ (Caste Panchayat) मुख्य रूप से किस प्रकार की भूमिका निभाती है?

    1. कानूनी प्रवर्तन एजेंसी
    2. जाति के सदस्यों के बीच सामाजिक नियंत्रण और व्यवहार के नियमन की संस्था
    3. आर्थिक विकास को बढ़ावा देने वाला निकाय
    4. सांस्कृतिक उत्सवों का आयोजन

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: पारंपरिक रूप से, जाति पंचायतें अपने जाति समूह के सदस्यों के बीच सामाजिक नियमों, आचार-संहिता और पारंपरिक प्रथाओं को बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण सामाजिक नियंत्रण तंत्र के रूप में कार्य करती रही हैं। वे अनुशासन लागू करने और विवादों को सुलझाने में भूमिका निभाती थीं।
    • संदर्भ और विस्तार: हालांकि उनका कानूनी अधिकार सीमित है, ऐतिहासिक रूप से और कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी उनका सामाजिक प्रभाव बना हुआ है।
    • गलत विकल्प: जाति पंचायतें कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां नहीं हैं, न ही वे मुख्य रूप से आर्थिक विकास या केवल सांस्कृतिक उत्सवों के लिए जिम्मेदार हैं, हालांकि वे कभी-कभी इन भूमिकाओं को अप्रत्यक्ष रूप से निभा सकती हैं।

    प्रश्न 21: ‘आधुनिकीकरण’ (Modernization) की प्रक्रिया में आमतौर पर क्या शामिल होता है?

    1. कृषि आधारित अर्थव्यवस्था की ओर लौटना
    2. औद्योगिकीकरण, शहरीकरण और धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि
    3. पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं को मजबूत करना
    4. अलगाववादी आंदोलनों को बढ़ावा देना

    उत्तर: (b)

    विस्तृत व्याख्या:

    • सत्यता: आधुनिकीकरण एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसमें आमतौर पर अर्थव्यवस्था का औद्योगिकीकरण, जनसंख्या का शहरीकरण, सामाजिक संस्थाओं का युक्तिकरण (rationalization), धर्मनिरपेक्षता में वृद्धि और पारंपरिक मूल्यों एवं संरचनाओं में परिवर्तन शामिल होता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक व्यापक अवधारणा है जो विकासशील समाजों में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन करती है।
    • गलत विकल्प: (a) आधुनिकीकरण के विपरीत है। (c) पारंपरिक संरचनाएं अक्सर आधुनिकीकरण से कमजोर होती हैं, मजबूत नहीं। (d) अलगाववादी आंदोलन आधुनिकीकरण का प्रत्यक्ष परिणाम नहीं होते, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के परिणाम हो सकते हैं।

    प्रश्न 22: ‘विस्थापन’ (Alienation) की अवधारणा, जैसा कि कार्ल मार्क्स द्वारा वर्णित है, का अर्थ है:

    1. उत्पादन प्रक्रिया से अलगाव
    2. अन्य श्रमिकों से अलगाव
    3. अपने स्वयं के श्रम से अलगाव
    4. उपरोक्त सभी

    उत्तर: (d)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: कार्ल मार्क्स के अनुसार, पूंजीवादी उत्पादन प्रणाली में श्रमिकों को चार मुख्य तरीकों से विस्थापित (alienated) महसूस होता है: अपने श्रम के उत्पाद से, उत्पादन की प्रक्रिया से, अपनी ‘जातिगत प्रजाति’ (species-being) या मानव सार से, और अन्य मनुष्यों (सहकर्मियों) से।
    • संदर्भ और विस्तार: यह अवधारणा उनके प्रारंभिक लेखन, विशेषकर ‘Economic and Philosophic Manuscripts of 1844’ में प्रमुखता से पाई जाती है।
    • गलत विकल्प: सभी विकल्प मार्क्स द्वारा वर्णित विस्थापन के विभिन्न आयामों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    प्रश्न 23: निम्नलिखित में से कौन सा समाजशास्त्र में ‘प्रश्नावली’ (Questionnaire) की एक सीमा है?

    1. बड़े पैमाने पर डेटा संग्रह संभव है
    2. मानकीकृत प्रश्न डेटा को तुलनीय बनाते हैं
    3. उत्तरदाताओं की भावनाएं और बारीकियां समझ में नहीं आतीं
    4. लागत प्रभावी हो सकती है

    उत्तर: (c)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: प्रश्नावली की एक प्रमुख सीमा यह है कि यह मुख्य रूप से संरचित (structured) होती है, जिससे उत्तरदाताओं की गहरी भावनाओं, प्रेरणाओं या जटिल प्रतिक्रियाओं को पूरी तरह से पकड़ना मुश्किल हो सकता है। यह ‘क्यों’ का उत्तर हमेशा नहीं दे पाती।
    • संदर्भ और विस्तार: इसके विपरीत, साक्षात्कार (interviews) अधिक गहराई में जाने की अनुमति देते हैं।
    • गलत विकल्प: (a), (b), और (d) प्रश्नावली के फायदे या विशेषताएं हैं, सीमाएं नहीं।

    प्रश्न 24: ‘संस्था’ (Institution) की समाजशास्त्रीय परिभाषा के अनुसार, यह क्या है?

    1. व्यक्तियों का एक समूह जो एक साथ काम करता है
    2. समाज में स्वीकृत और स्थापित व्यवहार के पैटर्न का एक संगठन
    3. एक विशेष भवन या स्थान
    4. अस्थायी सामाजिक सभा

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: समाजशास्त्र में, एक संस्था (जैसे परिवार, शिक्षा, धर्म, सरकार) को स्वीकृत और स्थापित व्यवहार के पैटर्न, नियमों, मूल्यों और भूमिकाओं के एक संगठन के रूप में परिभाषित किया जाता है जो समाज की कुछ विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
    • संदर्भ और विस्तार: यह एक अमूर्त अवधारणा है जिसमें भौतिक संरचनाएं या केवल व्यक्तियों का समूह शामिल नहीं होता, बल्कि स्वीकृत सामाजिक व्यवस्थाएं शामिल होती हैं।
    • गलत विकल्प: (a) एक समूह हो सकता है, लेकिन आवश्यक नहीं कि संस्था हो। (c) केवल भौतिक पहलू है। (d) अस्थायी हो सकता है, संस्थाएं स्थायी होती हैं।

    प्रश्न 25: टी. पार्सन्स ने समाज को एक ‘बंद प्रणाली’ (Closed System) के रूप में देखा या खुला?

    1. बंद प्रणाली
    2. खुली प्रणाली
    3. अर्ध-खुली प्रणाली
    4. इनमें से कोई नहीं

    उत्तर: (b)

    विस्तृत स्पष्टीकरण:

    • सत्यता: टी. पार्सन्स, एक संरचनात्मक-प्रकार्यात्मक विचारक के रूप में, समाज को एक ‘खुली प्रणाली’ (Open System) के रूप में देखते थे, जो अपने पर्यावरण (भौतिक और सामाजिक) के साथ अंतःक्रिया करती है और उससे सामग्री, ऊर्जा और सूचना का आदान-प्रदान करती है। उनका AGIL मॉडल (Adaptation, Goal Attainment, Integration, Latency) समाज की विभिन्न प्रणालियों की अपने पर्यावरण के साथ अंतःक्रिया और अनुकूलन की क्षमता को दर्शाता है।
    • संदर्भ और विस्तार: यह दृष्टिकोण समाज को एक गतिशील और परस्पर क्रियाशील इकाई के रूप में देखता है।
    • गलत विकल्प: एक बंद प्रणाली बाहरी दुनिया से अलग होती है और ऊर्जा या सामग्री का आदान-प्रदान नहीं करती, जो समाज की प्रकृति के विपरीत है। अर्ध-खुली प्रणाली एक मध्यवर्ती स्थिति हो सकती है, लेकिन पार्सन्स ने समाज को मुख्य रूप से खुली प्रणाली के रूप में माना।

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